अभिजात वर्ग क्या है विवेचना कीजिए - abhijaat varg kya hai vivechana keejie

अभिजात वर्ग के परिभ्रमण के सिद्धांत का वर्णन कीजिए

अभिजात की धारणा के सम्बन्ध में एक महत्वपूर्ण विचार 'अभिजात वर्ग में परिसंचरण' या 'अभिजात वर्ग का परिभ्रमण' है। 'अभिजात वर्ग में परिभ्रमण' का यह विचार ही अभिजात वर्ग की धारणा को कुलीनतन्त्र और वर्गतन्त्र से अलग कर उसे लोकतन्त्र के अनुकूल बना देता है। 

अभिजात वर्ग में परिभ्रमण' वह प्रक्रिया है जिसमें व्यक्ति अभिजात या विशिष्ट वर्ग और अविशिष्ट वर्ग के बीच घूमता रहता है या अभिजात वर्ग का एक स्थान दूसरे अभिजात वर्ग के द्वारा ग्रहण किया जाता है। इसे ही अभिजात वर्ग का परिभ्रमण कहते हैं। 'अभिजातों के परिभ्रमण' से उसका आशय है कि राजनीतिक अभिजात स्थायी नहीं होते, उनमें परिवर्तन होते रहते हैं। पुराने भ्रष्ट होकर पतित हो जाते हैं उन्हें हटना पड़ता है। पैरेटो के शब्दों में, "प्रत्येक समाज में व्यक्ति और अभिजात वर्ग अनवरत रूप से ऊँचे स्तर से नीचे स्तर की ओर, नीचे स्तर से ऊँचे स्तर की ओर जाते रहते हैं। पतनकारक तत्वों की संख्या बढ़ती रहती है और दूसरी ओर, शासित वर्गों में ऊँचे गुणों से सम्पन्न तत्व उभरते हैं।"शासक अभिजनों से उसका तात्पर्य अभिजातों के अन्दर ही के ऐसे छोटे समूह से है जो राजनीतिक व्यवस्था की संचालनता व संक्रियात्मकता में अग्रणी रहते हैं। राजनीतिक संक्रियता के सभी पक्ष इनके ही नियन्त्रण में होते हैं और समाज के लिए राजनीतिक कार्यों के यही कर्ताधर्ता होते हैं। 

पैरेटो का कहना है कि शासक अभिजात संचलन, में कभी शासक वर्ग के विभिन्न समूहों तक ही परिवर्तन की प्रक्रिया सीमित रहती है अर्थात् ऊपर के अभिजात वर्ग में से ही अन्य लोग इनका स्थान ले लेते हैं, परन्तु कभी-कभी अभिजात वर्ग और गैर-अभिजात वर्गों के बीच परिवर्तन-प्रत्यावर्तन होता है। इसमें व्यक्ति निम्न स्तर से ऊपर उठकर तत्कालीन अभिजात वर्ग में आ जाते हैं और यह नये अभिजात वगों का निर्माण करके शासक अभिजात वर्ग के विरूद्ध शक्ति के संघर्ष में जुट जाते हैं और यह अदला-बदली चलती रहती है। पैरेटो के अनुसार, अभिजात वर्ग में परिवर्तन की इस प्रक्रिया को अपनाना क्रान्ति से रक्षा के लिए भी नितान्त आवश्यक है। इसके ही शब्दों में, "क्रान्ति तब होती है जबकि व्यक्तियों की स्थिति में परिवर्तन की गति बहुत धीमी हो जाती है।"

पैरेटो की शिष्य मेरी कोलाबिन्सका ने अभिजात वर्ग में परिवर्तन के तीन रूप बतलाये हैं-प्रथम, जिसमें अभिजात वर्ग और अन्य व्यक्ति ही परस्पर स्थिति बदलते रहते हैं। द्वितीय, जिसमें अभिजात वर्ग और अन्य व्यक्तियों के बीच स्थिति बदलती है अर्थात् जिससे निम्न वर्ग के व्यक्ति विद्यमान अभिजात वर्ग में प्रवेश प्राप्त करने में सफल रहते हैं, तृतीय, निम्न वर्गों में रहने वाले व्यक्ति नवीन विशिष्ट समुदायों का निर्माण कर सकते हैं, जो कि विद्यमान विशिष्ट वर्ग के साथ सत्ता में रत हो सकते हैं। कोलाबिन्सका की रचना में अन्तिम दो पर अधिक ध्यान दिया गया है। प्रथम स्थिति वास्तव में अभिजात वर्ग में परिवर्तन का उदाहरण ही नहीं है।

अभिजात वर्ग में परिवर्तन के सन्दर्भ में पैरेटो ने मनोवैज्ञानिक लक्षणों पर अधिक बल दिया है, मोस्का अभिजात वर्ग के सदस्यों में बौद्धिक और नैतिक गुणों पर अधिक जोर देता है और शुम्पीटर के द्वारा इस सन्दर्भ में व्यक्तिगत और सामाजिक दोनों ही प्रकार के तत्वों पर विचार किया गया है। मोस्का, पिरेने और शुम्पीटर परस्पर अनेक बातों पर असहमत होते हुए भी इस बात को स्वीकार करते हैं कि आर्थिक और सांस्कृतिक परिवर्तनों के परिणामस्वरूप समाज में नवीन सामाजिक समुदायों का निर्माण हो सकता है, ये सामाजिक समुदाय समाज के लिए अपने कार्य का महत्व अधिक हो जाने के कारण अपने सामाजिक प्रभाव में वृद्धि कर सकते हैं और ये तत्व आगे चलकर राज-व्यवस्था और समस्त सामाजिक ढाँचे में परिवर्तन को सम्भव बनाते हैं। जीवन मूल्य परिवर्तित होने के साथ अभिजात वर्ग भी परिवर्तित होता है। उदाहरण के लिए, इंग्लैण्ड के पीयर आज अपने पूर्वजों की भाँति महत्वपूर्ण नहीं हैं। विचारणीय अभिजात वर्ग में परिवर्तन' के सन्दर्भ में महत्वपर्ण बात यह है कि अभिजात वर्ग के स्थिति में यह परिवर्तन किस अनुपात में होता है अर्थात विशिष्ट वर्ग का कौन-सा अनुपात निम्न वर्गों में से आता है और निम्न वर्गों का कौन-सा अनुपात अपनी स्थिति सुधारने में सफल होता है। जिस समाज के अन्तर्गत यह परिवर्तन काफी अधिक सीमा तक होता है, उसे एक गतिशील समाज (Mobile Society) कहा जा सकता है।

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अभिजात वर्गः अर्थ एवं परिभाषाएँ - The Elite: Meaning and Definitions

सत्रहवीं शताब्दी में अभिजात जन शब्द का प्रयोग सबसे अल्प वस्तुओं या वस्तुओं की किसी खास अच्छाई के लिए किया जाता था। इस सीमित अर्थ में अभिजात या संभ्रांत जन शब्द का प्रयोग केवल वज्र सैनिक दस्तों (Crack Miltary Units) अथवा कुलीन वर्ग के उच्चतर स्तर के लोगों के लिए किया जाता था। अंग्रेजी भाषा में अभिजात (Elite) शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम ऑक्सफोर्ड अंग्रेजी शब्दकोश में 1823 में सम्मिलित किया गया था जिसका शाब्दिक अर्थ "श्रेष्ठ होता है। समाजशास्त्र में इस शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम पैरेटो ने किया था। पैरेटो द्वारा समाजशास्त्रीय सिद्धान्तों में इस शब्द को अपनाये जाने के पश्चात यूरोप तथा अमेरिका में इस शब्द का काफी प्रचलन हो गया।

पैरेटो ने अभिजात वर्ग की अवधारणा का मौलिक ढंग से विवेचन किया है। उन्होंने मुख्य रूप से शासन सम्बन्धी अभिजात वर्ग का वर्णन किया है। पैरेटो का मत है कि सभी व्यक्ति समान नहीं होते हैं। इनकी अवसरों, क्षमताओं, योग्यताओं और कुशलताओं में अंतर होता है। इस अंतर के कारण समाज में स्तरीकरण हो जाता है। इस स्तरीकरण के कारण विभिन्न श्रेणियों का गठन हो जाता है।

कुछ व्यक्ति उच्च में श्रेणी में कुछ निम्न श्रेणी में रखे जाते हैं। सर्वोच्च योग्यता वाले व्यक्ति का अन्य व्यक्तियों से पृथक होने के कारण उनका एक पृथक वर्ग हो जाता है। पैरेटो इसे (अभिजात वर्ग ( कहते हैं। पैरेटो ने हर क्षेत्र में अभिजात वर्ग की विस्तृत विवेचना नहीं की है बल्कि मुख्य रूप से शासन से संबंधित अभिजात या सभ्रांत जनों की व्याख्या की है। इनके अनुसार प्रत्येक मानवीय क्रिया जैसे न्यायालय, व्यापार, कला, राजनीति, बौद्धिकता आदि में अगर हम व्यक्तियों की गतिविधि के क्षेत्र में इन सूचकों को अंक दे दें तो वे व्यक्ति जो सर्वोच्च अंक प्राप्त करते हैं तो वे अभिजात जन कहलाते हैं। पैरोटो के अनुसार, "मानवीय गतिविधियों के किसी अवशिष्ट क्षेत्र में जिन व्यक्तियों को सर्वाधिक अंक मिले, उनका यदि एक वर्ग बनाया जाये तो उसी को अभिजात वर्ग कहा जायेगा।" दूसरे शब्दों में किसी विशिष्ट कार्यक्षेत्र में सर्वोच्च योग्यता रखने वाले व्यक्तियों को हम अभिजात जन की संज्ञा प्रदान कर सकते हैं। "इस संदर्भ में कुछ अन्य परिभाषाएँ भी इस प्रकार हैं

पेरी गारिएन्ट (Pary Gariant Political Elite, 1969) कहते हैं, “कुछ अल्पसंख्य को विषिश्ट क्षेत्रों में समाज के मामलों में अद्वितीय प्रभावशाली भूमिका का निर्वहन करते हैं, अभिजन कहलाते है।" 

राइट मिल्स (C.Wright Mills: Power Elite, 1956), "अभिजन जनसमुदाय के सर्वोत्कृष्ट लोगों का एक समूह है जो कि धन, शक्ति और प्रतिष्ठा के सर्वोपरि है एवं जो अन्यों के विरोध के पश्चात भी अपनी इच्छा को आरोपित करने (समाज पर) समर्थ होते हैं।"

राम अहूजा (Ram Ahuja Recruitment and Role in Modernçation), "मैं अभिजन को एक प्रभुता सम्पन्न समूह कहता हूँ जिसके पास वैशिष्ट्य और अनन्यता एवं अलगपन होती है।” स्वयं पैरेटो ही ये कहते हैं कि अभिजन वे सफल लोग हैं जो सबसे ऊपर (समाज में) आ जाते हैं। 

रेमण्ड एरॉ ( Raymond Aron) के अनुसार, “अभिजात वर्ग से हमारा तात्पर्य समाज के उस छोटे से वर्ग से है जिसके सदस्य अपने से संबंधित व्यवसायिक संस्तरण से उच्चतम स्थान प्राप्त करते हैं।

एन.एस. टिमाशेफ (N.S. Timashffe). "अभिजात वर्ग के अन्तर्गत वे व्यक्ति आते हैं जो समाज के विभिन्न क्षेत्रों में उच्चतम् कार्यों का निर्वाह करते हैं अथवा अपने-अपने क्षेत्र में जिनकी स्थिति बहुत उच्च होती है।"

गायतानो मोस्का (Gaetane Mosca):- पहले विद्वान है जिन्होंने सभ्रांत जन तथा जनसाधारण शब्दों का प्रयोग विशेष अर्थों में किया। इनके अनुसार उन विकासशील समाजों में जिनमें सभ्यता का विकास अभी मुश्किल से हो पाया है, से लेकर अत्यधिक विकसित और शक्तिशाली समाजों में दो प्रकार के वर्ग पाये जाते हैं- शासक वर्ग व शासित वर्ग। प्रथम वर्ग के लोग अल्पसंख्यक होते हुए भी समस्त राजनीतिक कार्यों को निभाते हैं, सारी सत्ता उनके हाथ में केन्द्रित होती है तथा सत्ता के लाभों का रस भी उन्हें मिलता है जबकि इसके विपरीत दूसरा वर्ग बहुसंख्यक होते हुए भी प्रथम वर्ग द्वारा कभी वैधानिक तरीकों से चालित और नियन्त्रित होता है।"

टी.बी. बॉटोमोर ने भी विद्वानों द्वारा दी गई संभ्रांतजन की परिभाषाओं से इस आधार पर असहमति प्रकट की है कि उन्होंने सभ्रांतजन के सिद्धांत में निहित विचारधारा की ओर कोई ध्यान नहीं दिया है।

इनका कहना है कि संभ्रांतजन की अवधारणा जनतन्त्र के महत्व के विरोध में विकसित हुई है। इन्होंने संभ्रांतजन की परिभाषा इस प्रकार दी है- “अभिजात जन शब्द का प्रयोग आमतौर पर वस्तुतः उन प्रकार्यात्मक, मुख्यतः व्यावसासिक, समूहों के लिए किया जाने लगा है। जिनको समाज में (किसी कारणवश) उच्च स्थिति प्राप्त है।"

उपर्युक्त विवेचन के आधार पर कहा जा सकता है कि संभ्रांतजन की कोई सर्वमान्य परिभाषा नहीं है तथा मुख्य रूप से अभिजात जन उन व्यक्तियों का एक वर्ग है जो कि सामाजिक, आर्थिक तथा राजीनितक दृष्टि से अन्य व्यक्तियों की अपेक्षा उच्च स्थिति रखते हैं। इस विवेचना से यह निष्कर्ष निकलता है कि अभिजात जन कई प्रकार के होते हैं। जैसे शासक वर्ग (Gaetano Mosca) शक्ति अभिजातजन (Power Elite). बुद्धजीवि वर्ग (Intellectuals). मैनेजर (Manager), उच्च अधिकारी (Bureaucats) तथा सैनिक अधिकारी (Military Elite) इत्यादि ।


अभिजात वर्ग क्या है विवेचना कीजिये?

दूसरे शब्दों में, अभिजनों में उन सभी सफल व्यक्तियों को सम्मिलित किया जाता है जो प्रत्येक गतिविधि में और समाज के प्रत्येक स्तर पर सर्वोच्च होते हैं। इनके शब्दों में जिन व्यक्तियों को किसी विशिष्ट मानवीय गतिविधि के क्षेत्र में सर्वोच्च अंक मिलें यदि उनका एक वर्ग बनाया जाय तो उस वर्ग को अभिजन वर्ग का नाम दे सकते हैं।

अभिजात वर्ग का परिभ्रमण सिद्धांत किसका है?

अभिजात वर्ग सिद्धांत और अभिजन परिभ्रमण (circulation of elites) का सिद्धान्त परेटो का यह दृढ़ विश्वास था कि मानव जाति के लोग शारीरिक दृष्टि के साथ-साथ मानसिक और नैतिक दृष्टि से भी असमान हैं। सभी सामाजिक वर्गों में कुह सामाजिक वगों में कुछ लोग दूसरों की अपेक्षा कहीं अधिक बुद्धिमान और योग्य होते हैं।

अभिजात वर्ग का घर क्या कहलाता है?

Answer: लॉर्ड का अपना मेनर-भवन होता था।

पैरेटो के अभिजात वर्ग के परिभ्रमण से आप क्या समझते हैं?

'अभिजातों के परिभ्रमण' से उसका आशय है कि राजनीतिक अभिजात स्थायी नहीं होते, उनमें परिवर्तन होते रहते हैं। पुराने भ्रष्ट होकर पतित हो जाते हैं उन्हें हटना पड़ता है। पैरेटो के शब्दों में, "प्रत्येक समाज में व्यक्ति और अभिजात वर्ग अनवरत रूप से ऊँचे स्तर से नीचे स्तर की ओर, नीचे स्तर से ऊँचे स्तर की ओर जाते रहते हैं