अमीर खुसरो के दोहे की व्याख्या pdf - ameer khusaro ke dohe kee vyaakhya pdf

                
                                                                                 
                            खड़ी बोली हिन्दी के प्रथम कवि अमीर खुसरो सूफियाना कवि थे और ख्वाजा निजामुद्दीन औलिया के मुरीद थे। अमीर खुसरो की 99 पुस्तकों का उल्लेख मिलता है लेकिन सभी उपलब्ध नहीं हैं।  इसके अतिरिक्त खुसरो की फुटकर रचनाएं भी संकलित है, जिनमें पहेलियां, मुकरियां, गीत, निस्बतें और अनमेलियां हैं। ये सामग्री भी लिखित में कम उपलब्ध थीं, वाचक रूप में इधर-उधर फैली थीं, जिसे नागरी प्रचारिणी सभा ने खुसरो की हिन्दी कविता नामक छोटी पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया था। आज प्रस्तुत है ख़ुसरो के दोहे-

अंगना तो परबत भयो, देहरी भई विदेस
जा बाबुल घर आपने, मैं चली पिया के देस

खुसरो पाती प्रेम की बिरला बाँचे कोय
वेद, कुरान, पोथी पढ़े, प्रेम बिना का होय

खुसरो बाजी प्रेम की मैं खेलूं पी के संग
जीत गयी तो पिया मोरे हारी पी के संग

साजन ये मत जानियो तोहे बिछड़त मोहे को चैन
दिया जलत है रात में और जिया जलत बिन रैन

खुसरो सरीर सराय है क्यों सोवे सुख चैन
कूच नगारा सांस का, बाजत है दिन रैन

खुसरो दरिया प्रेम का, उल्टी वा की धार
जो उतरा सो डूब गया, जो डूबा सो

खुसरो रैन सुहाग की, जागी पी के संग
तन मेरो मन पियो को, दोउ भए एक रंग

रैन बिना जग दुखी और दुखी चन्द्र बिन रैन
तुम बिन साजन मैं दुखी और दुखी दरस बिन नैंन

आ साजन मोरे नयनन में, सो पलक ढाप तोहे दूँ
न मैं देखूँ और न को, न तोहे देखन दूँ

खुसरो पाती प्रेम की बिरला बाँचे कोय
वेद, कुरान, पोथी पढ़े, प्रेम बिना का होय

आगे पढ़ें

ख़ुसरो कहते हैं कि आत्मा रूपी गोरी सेज पर सो रही है, उसने अपने मुख पर केश डाल लिए हैं, अर्थात वह दिखाई नहीं दे रही है। तब ख़ुसरो ने मन में निश्चय किया कि अब चारों ओर अँधेरा हो गया है, रात्रि की व्याप्ति दिखाई दे रही है। अतः उसे भी अपने घर अर्थात परमात्मा के घर चलना चाहिए।

स्रोत :

  • पुस्तक : अमीर खुसरो (पृष्ठ 130)
  • रचनाकार : अमीर खुसरो
  • प्रकाशन : प्रभात प्रकाशन
  • संस्करण : 1993

Additional information available

Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

rare Unpublished content

This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

meaning of hindi poem kundaliya kundaliya meaning giridhar kavirai wikipedia girdhar ki kundaliya bhavarth girdhar ki kundaliya pdf giridhar kaviray kundaliya summary giridhar kavirai jeevan parichay गिरधर की कुंडलियाँ का भावार्थ कह गिरधर कविराय गिरिधर कविराय गिरधर की कुंडलियाँ विथ मीनिंग कमरी थोरे दाम की meaning गुण के गाहक सहस नर लाठी में गुण बहुत हैं कुण्डलियाँ meaning of hindi poem kundaliya kundaliya meaning giridhar kavirai wikipedia girdhar ki kundaliya bhavarth girdhar ki kundaliya pdf giridhar kaviray kundaliya summary giridhar kavirai jeevan parichay