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सिवनी के विभिन्न ऐतिहासिक स्थलइंदिरा गांधी पेंच राष्ट्रीय उद्यान कर्माझिरीइंदिरा गांधी पेंच राष्ट्रीय उद्यान कर्माझिरीसिवनी जिले में पर्यटन के रूप में पेंच राष्ट्रीय उद्यान प्रसिद्व है। पेंच राष्ट्रीय उद्यान में भ्रमण के लिए जाने के लिए दो गेट है। पहला गेट सिवनी से नागपुर रोड पर 20 कि.मी. ग्राम सुकतरा से पश्चिम दिशा में लगभग 20 कि.मी. की दूरी पर ग्राम कर्माझिरी से तथा दूसरा सिवनी से नागपुर रोड पर सिवनी से 50 कि.मी. की दूरी पर ग्राम खवासा से 12 कि.मी. पश्चिम में टुरिया ग्राम से भ्रमण की सुविधा में है। दोनो गेट पर वन विभाग, पर्यटन विभाग एवं प्राइवेट होटल एवं वाहनों की सुविधा पर्यटकों के लिए उपलब्ध रहती है। पार्क माह अक्टूबर से पर्यटकों के भ्रमण के लिए खोला जाता है तथा जून- जुलाई के बाद भ्रमण बंद कर दिया जाता है। पेंच राष्ट्रीय उद्यान में बाघ, नीलगाय, बारहसिंगा, हिरन, मोर, बन्दर, काले हिरन, सांभर, जंगली सुअर, सोनकुत्ता एवं अन्य जानवर तथा अनेक प्रकार के पक्षी बहुतायत में पाये जाते है। उद्यान के बीचों बीच से पेंच नदी बहती है। नदी पर एक छोटा सा तालाब है, जिस पर तोतलाडोह बांध भी बना हुआ है जहां पर बिजली बनाई जाती है एवं मछली पालन भी किया जाता है। इसकी स्थापना 1984 में की गई थी। वैनगंगा नदी का उद्गम स्थल मुंडारावैनगंगा नदी का उद्गम स्थल मुंडारावैनगंगा नदी का उद्गम स्थल मुंडारा :– सिवनी जिले में वैनगंगा नदी का उदगम स्थल सिवनी से नागपुर रोड पर 18 कि.मी. की दूरी पर बसे ग्राम गोपालगंज से लगभग 6 कि.मी. पूर्वी दिशा में ग्राम मुंडारा है। मुंडारा गांव के पास स्थित रजोलाताल से वैनगंगा नदी एक कुंड से निकलती है एवं मुख्य मार्ग पार करते हुए ग्राम मुंगवानी, दिघोरी, छपारा, मझगवा, केवलारी से होते हुए बालाघाट जिले मे प्रवेश करती है। उद्गम स्थल पर स्वंय के वाहन एवं पब्लिक ट्रान्सपोर्ट से जाया जा सकता है। यहां मकर संक्राति में एक सप्ताह का मेला लगता है। यह नदी सिवनी की अर्द्व परिक्रमा करती हुई बालाघाट, भंडारा तथा चांदा जिले से बहती हुई वर्धा नदी में मिलती है। यहां से इसका नाम प्राणहिता हो गया है। यह एक पौराणिक नदी है और प्रत्येक पुराण में वेणु अथवा वेण्या के नाम से इसका वर्णन मिलता है। 2 जून 1928 को नगर में मूर्तियों का भ्रमण कराया गया तथा 3 जून 1928 को मुंडारा के मंदिरों में मूर्ति स्थापित की गई। 4 जून से भागवत कथा का वाचन पं. शिवराम शास्त्री द्वारा किया गया।इस कार्य में सिवनी में पदस्थ अंग्रेज डिप्टी कमिश्नर श्री जे.जे. बोर्न का सहयोग भी रहा। सन 2000 में नगर के पटवा समाज द्वारा मंदिर में संगमरमर का फर्श बनाया गया। मंदिर में श्री आबुवाले बाबा द्वारा भंडारा कराया जाता रहा है। इस नदी की उत्पत्ति के विषय में दो दन्तकथायें प्रचलित है। सिवनी जिला मुख्यालय के पर्यटन, दर्शनीय एवं धार्मिक स्थल सिवनी जिला मुख्यालय में अनेक धार्मिक एवं दर्शनीय स्थल है। इनमें प्रमुख रूप से निम्नलिखित है।अन्य पर्यटन केन्द्र एवं धार्मिक केन्द्रः–वैनगंगा नदी गोदावरी नदी की एक प्रमुख सहायक नदी है। यह नदी मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र से होकर बहती है, इसके साथ ही यह अपने जलग्रहण क्षेत्र में पानी का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। पहाड़ियों से शुरू होकर मैदानी इलाकों में बहने वाली वैनगंगा नदी का विशिष्ट भूगोल है। विस्तृत जल निकासी व्यवस्था का विवरण और इस नदी के महत्व को निम्नलिखित लेख में विस्तृत किया गया है। वैनगंगा नदी का उल्लेख "जंगल बुक" की काल्पनिक कहानियों में भी किया गया है। "जंगल बुक" में वर्णित इस नदी का सार आगामी खण्डों में दिया गया है। वैनगंगा नदी के भौगोलिक, मानवशास्त्रीय और काल्पनिक विवरणों पर गौर करना दिलचस्प होगा। वैनगंगा नदी घाटी का भूगोल- Published By गंगा नदी की सबसे बड़ी सहायक नदी कौन सी है?यमुना नदी गंगा नदी की सबसे बड़ी सहायक नदी है। यह उत्तराखंड में बंदरपूँछ चोटी पर यमुनोत्री ग्लेशियर से निकलती है। नदी से जुड़ने वाली मुख्य सहायक नदियों में सिन, हिंडन, बेतवा केन और चंबल शामिल हैं। टोंस, यमुना की सबसे बड़ी सहायक नदी है।
वैनगंगा नदी की सहायक नदी कौन सी है?वैनगंगा नदी की प्रमुख सहायक नदियाँ थेल, थनवार, बाग, चुलबंद, गढ़वी, खोब्रगढ़ी, कथनी बाएं तट से जुड़ती हैं और हीरा, चंदन, बावनथरी, कन्हान और मूल दाहिने किनारे से जुड़ती हैं।
वैनगंगा नदी का उद्गम स्थल क्या है?वैनगंगा नदी का उद्गम स्थल मुंडारा
की दूरी पर बसे ग्राम गोपालगंज से लगभग 6 कि. मी. पूर्वी दिशा में ग्राम मुंडारा है। मुंडारा गांव के पास स्थित रजोलाताल से वैनगंगा नदी एक कुंड से निकलती है एवं मुख्य मार्ग पार करते हुए ग्राम मुंगवानी, दिघोरी, छपारा, मझगवा, केवलारी से होते हुए बालाघाट जिले मे प्रवेश करती है।
कौन सी नदी अंततः गंगा नदी में नहीं मिलती है?अपवाह जाती है। मुख्य धारा दक्षिण की ओर बहती हुई बांग्लादेश में प्रवेश करती है एवं ब्रह्मपुत्र नदी इससे आकर मिल जाती है। अंतिम चरण में गंगा और ब्रह्मपुत्र समुद्र में विलीन होने से पहले मेघना के नाम से जानी जाती हैं। गंगा एवं ब्रह्मपुत्र के जल वाली यह वृहद् नदी बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है।
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