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अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का अर्थ-Meaning of International Trade in Hindiअन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का अर्थ (Meaning of International Trade) – साधारण तौर पर जब दो व्यक्तियों के बीच वस्तुओं और सेवाओं का लेनदेन किया जाता है तो इसे व्यापर की संज्ञा दी जाती है। विस्तार से देखा जाये तो व्यापार के अन्तर्गत उन सभी आर्थिक क्रियाओं को सम्मिलित किया जाता है जिनका सम्बन्ध उत्पादित वस्तुओं के वितरण से होता है। इसी प्रकार जब वस्तुओं और सेवाओं का लेनदेन दो राष्ट्रों के बीच में होता है तब उसे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कहा जाता है। दूसरे शब्दों में अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का अर्थ उस व्यापार से है जिसके अन्तर्गत दो या दो से अधिक राष्ट्रों के बीच वस्तुओं और सेवाओं का विनिमय किया जाता है। हेबलर के अनुसार, “गृह व्यापार और विदेशी व्यापार की विभाजन रेखा एक देश की सीमा होती है। उस सीमा के भीतर होने वाला गृह व्यापार होता है तथा देश की सीमा से बाहर होने वाला व्यापार विदेशी व्यापार कहलाता है। “ इसे भी पढ़े…
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लाभ(1) विशिष्टीकरण का लाभ- अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भौगोलिक अथवा क्षेत्रीय विभाजन से कुल उत्पादन क्षमता को बढ़ाकर अधिकतम उत्पादन किया जा सकता है। विशिष्टीकरण के माध्यम से हम वस्तुओं को सस्ती कीमत पर विदेशों से आयात कर सकते हैं। एल्सवर्थ के अनुसार, “अंतर्राष्ट्रीय व्यापार देश की सीमा के बाहर का एक विस्तार मात्र है। यह विशिष्टीकरण और उसमें उपलब्ध होने वाले लाभों के क्षेत्र को अधिक विकसित करता है। “ (2) सस्ती उपभोक्ता वस्तुयें- अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के माध्यम से एक देश के उपभोक्ता उन वस्तुओं को सस्ते दर पर क्रय कर सकते हैं जिनका कि उनके देश में उत्पादन सम्भव नहीं है या वे वस्तुयें उनके देश में काफी महंगी बनती हैं। अत: अंतर्राष्ट्रीय व्यापार से हम विभिन्न उपभोक्ता वस्तुओं को विदेशों से सस्ती दर पर आयात कर सकते हैं। (3) राष्ट्र का आर्थिक विकास- प्रो० मार्शल के अनुसार, “राष्ट्रों की आर्थिक प्रगति का निर्धारण करने वाले कारण अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के अध्ययन के अन्तर्गत आते हैं।” अत: वर्तमान में पिछड़े देशों के आर्थिक विकास में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। (4) रोजगार में वृद्धि- अंतर्राष्ट्रीय व्यापार से क्षेत्रीय श्रम विभाजन सम्भव होता है। आयात-निर्यात बाजार में वृद्धि होती है जिसके फलस्वरूप श्रमिकों को अधिक रोजगार के अवसर उपलब्ध होते हैं। (5) मूल्यों में समानता – अंतर्राष्ट्रीय व्यापार से अंतर्राष्ट्रीय बाजार में वस्तुओं तथा सेवाओं के मूल्यों में समानता आती है। इससे मूल्यों के भारी अंतर को रोका जा सकता है। (6) सभ्यता का विकास- अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के जरिए हम विभिन्न देशों की सभ्यताओं और उनके रीति-रिवाजों आदि से परिचित होते हैं जिससे अंतर्राष्ट्रीय सभ्यता का विकास होता है। हमारी सभ्यता अन्य देशों में भी विकसित होती है या अन्य देशों की सभ्यता हमारे देश में आती है। | इस प्रकार अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को सभ्यता की बड़ी एजेन्सी भी कहा जाता है। (7) शिक्षाप्रद महत्त्व- इस सन्दर्भ में प्रो० मियर का कहना है कि, “विदेशी व्यापार चूँकि निर्धन देशों को अपने से अधिक समृद्ध देशों की सफलताओं एवं असफलताओं से सीख लेने का अवसर प्रदान करता है अतएव विदेशी व्यापार उनके विकास की गति बढ़ाने में बहुत अधिक सहायता प्रदान कर सकता है।” (8) संसाधनों का पूर्ण उपयोग- अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के कारण देश में संसाधनों के अनुकूल उद्योग स्थापित किये जाते हैं और देश में उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों का पूर्ण दोहन किया जाता है जिससे जहाँ एक ओर हमारा उत्पादन बढ़ता है वहीं दूसरी ओर प्राकृतिक संसाधनों का पूर्ण उपयोग भी होता है। (9) संकट के समय सहायता- अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्धों के चलते देश में जब भी अकाल या संकट का समय होता है तब विदेशों में खाद्यान्न आदि का आयात कर देश की जनता को अकाल तथा संकट से बचाया जा सकता है। (10) औद्योगिक विकास- अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में घरेलू उद्योगों को अंतर्राष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ता है जिसके कारण वे नई-नई तकनीकों का विकास करते हैं और अपने उद्योगों का भी विकास करते हैं अत: अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में प्रतिस्पर्धा में बने रहने के लिए औद्योगिक विकास अनिवार्य हो जाता है। (11) बाजार का विस्तार- अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में हमारी घरेलू बाजारों का विस्तार होता है। हमारी घरेलू बाजारें अन्तर्राष्ट्रीय बाजारों के रूप में विकसित होती हैं। अतः अंतराष्ट्रीय व्यापार से हमारे बाजारों का विस्तार होता है। इसे भी पढ़े…
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की हानियाँ (Limitations)(1) विदेशी निर्भरता- अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के कारण कुछ उपभोक्ता वस्तुओं का हम आयात करते हैं। कभी-कभी ये वस्तुयें विदेशों से इतनी सस्ती प्राप्त होती हैं कि हम अपने देश में इसका उत्पाद बंद कर देते हैं और पूरी तरह से विदेशों पर आश्रित हो जाते हैं और आकस्मिक काल में विदेशों द्वारा यदि इन वस्तुओं की आपूर्ति सम्बन्धित देश रोक दें तो हमारे विकास पर इसका विपरीत असर पड़ सकता है। (2) खनिज पदार्थों की कमी- अपने निर्यातों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से हम अपने देश में उपलब्ध खनिज पदार्थों को विदेशों में भेज देते हैं और कुछ समय बाद इनकी कमी का परिणाम हमें भुगतना पड़ता है। (3) राशिपाटन – विदेशी बाजारों पर कब्जा बनाने के लिए घरेलू उत्पाद की वस्तुओं को विदेशी बाजार में सस्ता बेचा जाता है जिससे घरेलू बाजार में कीमतों में वृद्धि होती है और घरेलू उपभोक्ताओं को हानि उठानी पड़ती है। (4) हानिकारक वस्तुओं का उपभोग- कभी-कभी लाभ कमाने के उद्देश्य से विदेशी कम्पनियाँ हमारे देश में हानिकारक वस्तुओं का भी निर्यात कर देती हैं। ऐसी स्थिति में हमारे देश की जनता को हानि का सामना करना पड़ता है। (5) प्रदर्शन प्रभाव जनित हानि- जब विदेशों के सम्पर्क में आकर पिछड़े देशों के उपभोक्ता विदेशी उच्च उपभोग के स्तर की नकल करते हैं तो इसका परिणाम यह होता है कि एक ओर तो उपभोक्ता विदेशी आयात पर निर्भर हो जाता है और दूसरी ओर खर्च बढ़ने से बचत की मात्रा घट जाती है। (6) पिछड़े देशों का शोषण- अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के जरिए विकसित देशों द्वारा पिछड़े देशों का लगातार शोषण होता है। उपरोक्त विवचेन से यह कहा जा सकता है कि अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के जहाँ एक ओर लाभ हैं वहीं दूसरी ओर बहुत सी हानियाँ भी हैं। लाभ विकसित देशों को अधिक है क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में विकसित देश प्रतिस्पर्धा में आगे निकल जाते हैं और पिछड़े तथा अर्द्धविकसित देश अंतर्राष्ट्रीय बाजार में प्रतियोगिता में पिछड़े रह जाते हैं। अक्सर पिंछड़े तथा अर्द्धविकसित देश शोषण का शिकार होते हैं अतः कहा जा सकता है कि अर्द्धविकसित देशों के लिए पूर्ण रूप अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का समर्थन नहीं किया जा सकता है। इसे भी पढ़े…
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DisclaimerDisclaimer:Sarkariguider does not own this book, PDF Materials Images, neither created nor scanned. We just provide the Images and PDF links already available on the internet. If any way it violates the law or has any issues then kindly mail us: You may also likeAbout the authorअन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का महत्व क्या है?इसी कारण से प्रत्येक देश के लिए उन वस्तुओं एवं सेवाओं का उत्पादन अधिक लाभप्रद रहता है जिनका वह अधिक कुशलतापूर्वक उत्पादन कर सकते हैं तथा शेष वस्तुओं को वह व्यापार के माध्यम से उन देशों से ले सकते हैं जो उन वस्तुओं का उत्पादन कम लागत पर कर सकते हैं।
अंतरराष्ट्रीय व्यापार से क्या लाभ है?वैश्विक बाजार आपको राजस्व के नए स्रोत तक पहुंच प्रदान कर सकता है, जो आपके व्यवसाय को अधिक वित्तीय क्षमता दे सकता है। एक बाजार में व्यापार करके, आप जोखिम को कम करते हैं कि घरेलू व्यापार के मुद्दे आपके व्यवसाय पर हो सकते हैं। कारोबार और राजस्व में वृद्धि सुनिश्चित करता है कि आपका व्यवसाय अधिक स्थिर है।
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार से क्या समझते है?जिनमें वे अपेक्षाकृत अच्छी तरह से कर सकते हैं और उन वस्तुओं और सेवाओं को खरीदें जिन पर उनके द्वारा आसानी से उत्पादन नहीं किया जा सकता है। इसे पारस्परिक व्यापार कहा जाता है। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार भी पारस्परिक व्यापार पर आधारित है।
अंतरराष्ट्रीय व्यापार क्या है अंतरराष्ट्रीय व्यापार के महत्व की व्याख्या करें?अंतर्राष्ट्रीय व्यापार, अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं या क्षेत्रों के आर-पार पूंजी, माल और सेवाओं का आदान-प्रदान है।. अधिकांश देशों में, यह सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के महत्त्वपूर्ण अंश का प्रतिनिधित्व करता है।
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