बच्चा मां के पेट में कैसे घूमता है? - bachcha maan ke pet mein kaise ghoomata hai?

प्रेग्नेंसी के दौरान भले एक महीला कितनी ही उठापटक से गुजरती है। कई बार डाॅक्टर के पास जाती है। तरह-तरह की दवाई खाती है। कुछ महिलाएं तो मानसिक रूप से खुद को थका हुआ भी पाती हैं। यहां तक कि कई महिलाएं ऐसी हैं, जो पूरे 9 माह तक अच्छी तरह नींद नहीं ले पाती हैं। इतनी परेशानियों के बावजूद हर मां के मन में एक ही बात होती है, गर्भ में पल रहा उसका शिशु खुश रहे और स्वस्थ रहे। इसके लिए जो कुछ संभव होता है, मां करती है।

​फनी फिल्में देखें

बच्चा मां के पेट में कैसे घूमता है? - bachcha maan ke pet mein kaise ghoomata hai?

हंसने के असंख्य फायदे हैं। हंसने से रक्तचाप बेहतर होता है, ह्रदय रोग की आशंकाएं कम होती हैं। कई शोध सर्वेक्षण इन बातों को सिद्ध कर चुके हैं।

तो फिर देर किस बात की है। इन सब बीमारियों और जटिलताओं से अपने बच्चे को दूर रखना चाहती हैं, तो फनी फिल्में देखें।

मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि जब मां हंसती हैं तो गर्भ में पल रहा शिशु भी अंदर ही अंदर उछलता है। इसका मतलब है कि मां की भावनाएं बच्चे को प्रभावित करती हैं।

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​अपने पेट पर हल्के हाथों से मसाज करें

बच्चा मां के पेट में कैसे घूमता है? - bachcha maan ke pet mein kaise ghoomata hai?

मसाज करवाना किसे पसंद नहीं है? गर्भ में पल रहे आपके शिशु को भी मसाज पसंद है। यकीन नहीं हो रहा है? विशेषज्ञ कहते हैं कि मांओं को अपने पेट पर हल्के हाथों से मसाज करना चाहिए।

इससे बच्चे को बहुत अच्छा महसूस होता है। दरअसल अंदर बच्चा अपनी मां के स्पर्ष को महसूस करता है। यह स्पर्श बच्चे के मस्तिष्क विकास में मदद करते हैं।

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गाने सुनें

बच्चा मां के पेट में कैसे घूमता है? - bachcha maan ke pet mein kaise ghoomata hai?

गाने की रिदम से बच्चे की धड़कनें कम-ज्यादा होती हैं। इसलिए बहुत प्यारे और मीठे संगीत सुनें। बच्चे को ये सब सुनना पसंद आता है। लेकिन कभी भी जोर आवाज से म्यूजिक न सुनें। इससे बच्चा डर सकता है। प्यारे और मधुर संगीत बच्चों के कारगर है।

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​कहानी सुनाएं

बच्चा मां के पेट में कैसे घूमता है? - bachcha maan ke pet mein kaise ghoomata hai?

बड़ा आश्चर्य लगता है कि गर्भ में पल रहे शिशु को भला कौन कहानी सुनाता है? अपनी इस अवधारणा को बदल दीजिए। आपके गर्भ में पल रहा शिशु आपकी हर धड़कन को सुनता है, आपकी हर भावना को महसूस करता है।

इसलिए उसके साथ नित बातें करें। अगर समझ नहीं आ रहा है कि क्या बातें की जाए, तो उसे कहानी सुनाएं। हर कहानी का सार समझाएं। कहानी हमेशा सकारात्मक ही हो।

यह कभी न सोचें कि बच्चा आपकी बातों को सुन नहीं पा रहा है। बच्चा आपकी हर बात को सुनेगा और महसूस करेगा।

​पापा से कहें बातें करें

बच्चा मां के पेट में कैसे घूमता है? - bachcha maan ke pet mein kaise ghoomata hai?

गर्भ में पल रहे शिशु के लिए मां की मौजूदगी जितनी जरूरी है, उतनी ही जरूरी उसके पिता की भी है। इसलिए अपने पति से कहें कि वह भी अपके पेट पर हाथ रखें और बच्चे के साथ दो चार बातें करें।

इस तरह बातचीत करने से बच्चे को अच्छा तो महसूस होगा ही, अंदर रहते हुए ही बच्चे का अपने पैरेंट्स के साथ एक अलग संबंध स्थापित हो जाएगा।

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गर्भावस्था की पहली तिमाही में मिसकैरेज का खतरा ज्यादा रहता है और गर्भपात होने का दुख भी असहनीय होता है लेकिन कुछ मामलों में पहले तीन महीने से लेकर गर्भावस्था के आखिरी तीन महीने तक अच्छे गुजर जाते हैं लेकिन डिलीवरी के समय बच्चा मरा हुआ पैदा होता है। इस स्थिति को स्टिलबर्थ कहा जाता है।

गर्भावस्‍था के 20वें हफ्ते के बीच शिशु का मर जाना स्टिल बर्थ होता है। 20वें हफ्ते से पहले गर्भ गिरने को आमतौर पर मिसकैरेज कहते हैं। गर्भावस्‍था की अवधि के आधार पर स्टिल बर्थ को तीन तरह से विभाजित किया गया है :
20 से 27वें हफ्ते में : शीघ्र या जल्‍दी स्टिलबर्थ, 28 से 36वें हफ्ते में : लेट स्टिलबर्थ और 37वें हफ्ते के बाद : टर्म स्टिलबर्थ

​पेट में बच्चा मरने के कारण

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पेट में बच्चा मर जाए तो इसके तीन प्रमुख कारण होते हैं, जैसे कि :

प्‍लेसेंटा और/या गर्भनाल से संबंधित समस्‍या के कारण स्टिलबर्थ हो सकता है। इन दोनों से शिशु को खून, ऑक्‍सीजन और पोषक तत्‍व मिलते हैं। इसलिए अगर इसमें कोई गड़बड़ आए तो शिशु का विकास प्रभावित होता है।

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यदि प्रेगनेंट महिला को कोई बीमारी हो या किसी बीमारी का इलाज चल रहा हो तो भी कभी-कभी पेट में बच्‍चा मर जाता है। हाई ब्‍लड प्रेशर, प्रीक्‍लैंप्‍सिया (हाई बीपी और सूजन, अक्‍सर प्रेग्‍नेंसी के आखिरी महीनों में), डायबिटीज, लुपस, थायराइड, कुछ वायरल या बैक्‍टीरियल इंफेक्‍शन, अधिक उम्र में मां बनने पर इन स्थितियों के साथ-साथ स्टिल बर्थ का खतरा बढ़ जाता है।

​पेट में बच्चा कैसे मर जाता है

बच्चा मां के पेट में कैसे घूमता है? - bachcha maan ke pet mein kaise ghoomata hai?

पहले बताए गए कारणों के अलावा प्रेगनेंट महिलाओं के धूम्रपान करने, शराब पीने और गर्भावस्‍था के दौरान रिक्रिएशनल दवाएं लेने से स्टिल बर्थ का खतरा बढ़ जाता है।

स्टिलबर्थ के एक चौथाई मामलों में शिशु में एक या इससे ज्‍यादा जन्‍म विकार होने पर मृत्‍यु का खतरा बना रहता है। गर्भस्‍थ शिशु की जांच और ऑटोप्‍सी के बाद ही इसका पता चलता है।

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​किसे होता है स्टिलबर्थ का खतरा

बच्चा मां के पेट में कैसे घूमता है? - bachcha maan ke pet mein kaise ghoomata hai?

अगर इससे पहले वाली प्रेग्‍नेंसी में भी स्टिलबर्थ हुआ हो, शराब या दवा के सेवन, धूम्रपान, मोटापे और 15 से कम या 35 से अधिक उम्र की महिलाओं में स्टिलबर्थ का खतरा अधिक रहता है।

​स्टिलबर्थ के संकेत

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स्टिलबर्थ की शुरुआत में हो सकता है कि आपको कोई संकेत या लक्षण न दिखें। इसके कुछ संकेतों और लक्षणों में ऐंठन, दर्द या योनि से ब्‍लीडिंग होना शामिल है। इसके अन्‍य लक्षण में शिशु का मूवमेंट करना बंद कर देना है।

26वें से 28वें हफ्ते में पहुंचने तक बच्‍चा रोज किक मारना शुरू कर सकता है। बाईं करवट लेटकर बच्‍चे की किक काउंट करें। नोट करें कि बच्‍चा कितने मिनट में 10 बार मूव करता है।

आपको ऐसा रोज करना है। यदि दो घंटे बीत जाने पर भी शिशु 10 बार मूव नहीं करता है या अचानक से शिशु की मूवमेंट में कमी आ जाती है तो तुरंत डॉक्‍टर से बात करें।

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​पेट में बच्‍चा मर जाए तो क्‍या करें

बच्चा मां के पेट में कैसे घूमता है? - bachcha maan ke pet mein kaise ghoomata hai?

यदि पेट में बच्‍चा मर जाता है तो इसके कुछ हफ्ते बाद ही आपको नैचुरल लेबर पेन शुरू होगा जिसके बाद मृत शिशु बाहर आ जाएगा। इसके अलावा अगर कोई स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍या हो तो तुरंत प्रसव के विकल्‍पों पर गौर किया जाता है। सिजेरियन डिलीवरी के बारे में भी सोच सकती हैं।

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पेट में बच्चा कौन से महीने में घूमता है?

यदि यह आपकी पहली गर्भावस्था है, तो आपको शिशु की हलचल पहली बार शायद 18 से 20 हफ्तों के बीच महसूस होगी। अपने पेट में सबसे पहले आप जो फड़फड़ाहट महसूस करती हैं, उसे अंग्रेजी में क्विकनिंग कहा जाता है। ये शुरुआती हलचल आपको पेट में गैस जैसी महसूस हो सकती है। इसलिए हो सकता है आप ये न जान पाएं कि ये शिशु की पहली हलचल है।

गर्भ में बच्चे की हलचल कैसे होती है?

जैसे-जैसे आपके शिशु की मांसपेशियां विकसित होती हैं, वह वह उन्हें मोड़ना और फैलाना और अपनी बाजुओं और टांगों को जोड़ों से मोड़ना शुरु कर देता है। जब उसका मध्यपट (डायाफ्राम) मजबूत हो जाता है, तो शिशु हिचकी लेना शुरु कर देगा। यदि आपको लयबद्ध क्रम में बार-बार हलचल की महसूस हो, तो हो सकता है कि ये शिशु की हिचकियां हों!

गर्भवती महिला को कैसे बैठना चाहिए?

कैसे बैठें: सही अवस्था एकदम सीधा बैठना या फिर थोड़ा सा पीछे की तरफ झुकाव देकर बैठने की मुद्रा अच्छी है। आपके स्तन एकदम सामने या हल्के से ऊपर की तरफ होने चाहिए। वे आपके पेट से लगे हुए नहीं होने चाहिए। आपकी टांगें भी एक-दूसरे से जुड़ी न हों, ताकि बढ़े हुए पेट को जगह मिल सके।

Pregnancy में ज्यादा हलचल कौन करता है?

कई गर्भवती महिलाओं का कहना है कि उनका शिशु रात के समय ज्‍यादा किक और मूवमेंट करता है। अधिकतर महिलाओं को सबसे पहले शिशु की मूवमेंट प्रेग्‍नेंसी के 14वें हफ्ते से गर्भावस्‍था के 26वें हफ्ते के बीच महसूस होती है लेकिन 18वें हफ्ते से 22वें हफ्ते में इसके होने की संभावना अधिक होती है।