बच्चेदानी के ऑपरेशन में क्या खाना चाहिए? - bachchedaanee ke opareshan mein kya khaana chaahie?

बच्चेदानी के ऑपरेशन में क्या खाना चाहिए? - bachchedaanee ke opareshan mein kya khaana chaahie?

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बच्चेदानी के ऑपरेशन में क्या खाना चाहिए? - bachchedaanee ke opareshan mein kya khaana chaahie?

बच्चेदानी के ऑपरेशन में क्या खाना चाहिए? - bachchedaanee ke opareshan mein kya khaana chaahie?

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February 26, 2021

कई बार आवाज़ आने में कुछ क्षण का विलम्ब हो सकता है!

बच्चेदानी के ऑपरेशन में क्या खाना चाहिए? - bachchedaanee ke opareshan mein kya khaana chaahie?

गर्भाशय लेइयोमोमा या फाइब्रॉइड यूट्रस को गर्भाशय की रसौली के नाम से जाना जाता है, यह फाइब्रॉइड महिलाओं में सबसे अधिक होने वाला ट्यूमर है। अधिकांश महिलाएं अपने जीवनकाल में कभी ना कभी यह समस्या देखती ही हैं। कुछ महिलाओं में कोई भी लक्षण नहीं दिखाई देते, जबकि कुछ महिलाओं में, ज्यादा मात्रा में रक्त स्राव, रक्त स्राव के परिणामस्वरूप एनीमिया का होना, मासिक धर्म के दौरान अधिक दर्द होना, बार-बार पेशाब की इच्छा होना और कब्ज होना; सेक्स के दौरान अत्यधिक दर्द होना इत्यादि इसके लक्षण देखे जाते हैं। ऐसे में डाइट में कुछ बदलाव करके इन लक्षणों एवं रसौली के आकर में परिवर्तन किया जा सकता है, साथ ही कुछ ऐसे भी भोज्य पदार्थ हैं जो इस बीमारी की स्थिति को और बिगाड़ सकते हैं, इस लेख में हम इन्हीं विषयों पर चर्चा करेंगे, साथ ही आपके साथ एक भारतीय डाइट चार्ट भी साझा करेंगे, आइये जानते हैं :

(और पढ़ें - मासिक धर्म बंद होने पर क्या करें)

  1. बच्चेदानी में फाइब्रॉएड में खाएं शाकाहारी आहार - Vegetarian diet for Uterine Fibroids in Hindi
  2. गर्भाशय में फाइब्रॉएड के लिए सब्जियां - Vegetables good for Uterine Fibroids in Hindi
  3. बच्चेदानी की रसौली के लिए फल - Fruits to shrink Uterine Fibroids in Hindi
  4. गर्भाशय की रसौली के दौरान खून की कमी के लिए आहार - Diet for anemia during Uterine Fibroids in Hindi
  5. बच्चेदानी की रसौली में लें विटामिन डी से भरपूर भोजन - Vitamin D rich food for Uterine Fibroids in Hindi
  6. गर्भाशय फाइब्रॉएड में करें ग्रीन टी का सेवन - Green tea good for Uterine Fibroids in Hindi
  7. गर्भाशय की रसौली में क्या न खाएं और परहेज - Avoid these foods in Uterine Fibroids in Hindi
  8. गर्भाशय की रसौली के लिए भारतीय डाइट प्लान - Indian Diet plan for Uterine Fibroids in Hindi

गर्भाशय की रसौली में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं के डॉक्टर

बच्चेदानी के ऑपरेशन में क्या खाना चाहिए? - bachchedaanee ke opareshan mein kya khaana chaahie?

बच्चेदानी में फाइब्रॉएड में खाएं शाकाहारी आहार - Vegetarian diet for Uterine Fibroids in Hindi

कुछ ऐसे अध्ययन हैं, जो कहते हैं कि बीफ और अन्य लाल मीट या हैम आदि का प्रयोग फाइब्रॉइड यानी रसौली को बढ़ाने में मुख्य भूमिका निभाते हैं और शाकाहारी आहार जैसे सब्जियां एवं फल, इसके जोखिम को कम करते हैं। अतः जब भी अपना डाइट प्लान करें, इस आवश्यक बिंदु का अवश्य ध्यान रखें, इसके तहत ऊर्जा के लिए साबुत अनाज लें, प्रोटीन के लिए दालें, फलियां, दूध और दूध से बनी चीजें लें, वसा के लिए पौधों से उत्पन्न चीजों के तेल जैसे सूरजमुखी का तेल, जैतून का तेल, अलसी का तेल और बीज और सूखे मेवे आदि का प्रयोग करें। सभी विटामिन और मिनरल के लिए सभी फलों और सब्जियों का सेवन करें।

(और पढ़ें - शाकाहारी भोजन के फायदे)

गर्भाशय में फाइब्रॉएड के लिए सब्जियां - Vegetables good for Uterine Fibroids in Hindi

कुछ सब्जियां इस बीमारी के लक्षणों में सुधार कर सकती हैं जैसे कि :

क्रुसिफेरस सब्जियों को अवश्य करें शामिल - कुछ ऐसे अध्ययन हैं जो बताते हैं कि रसौली वाली महिलाओं को क्रूसिबल सब्जियों (जैसे कि गोभी, ब्रोकोली, शलजम, सरसों का साग, शलजम और फूलगोभी) का सेवन अधिक करना चाहिए, क्योंकि यह गर्भाशय की रसौली को नियंत्रित करने में काफी हद तक मदद करते हैं। सब्जियों के इस समूह में इंडोल-3-कारबिनोल होता है जो एस्ट्रोजन चयापचय पर इसके प्रभाव के कारण एस्ट्रोजन ड्रिवन ट्यूमर पर रोक लगाता है।

हरी पत्तेदार सब्जियां - कुछ तथ्य ये बताते हैं कि फोलिक एसिड और फाइबर का उचित मात्रा में सेवन करना, रसौली के लक्षणों को नियंत्रित करने में मददगार हो सकता है। इसके लिए हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे कि पालक, मेथी की पत्तियां, चौलाई का साग, चुकंदर और चुकंदर का साग अपने नियमित आहार में शामिल करें। पौष्टिक लाभों के लिए इन सब्जियों को सलाद, सूप, करी के रूप में या अपनी दाल में डाल कर शामिल करें।

(और पढ़ें - फोलिक एसिड टेस्ट क्या है)

बच्चेदानी की रसौली के लिए फल - Fruits to shrink Uterine Fibroids in Hindi

कुछ फल हैं, जो इस बीमारी के दौरान उपचार में मदद कर सकते हैं, जैसे :

विटामिन ए से भरपूर फल - कुछ अध्ययन ये बताते हैं कि विटामिन ए से भरपूर फल लेना रसौली के दौरान काफी फायदेमंद साबित होता है, यह फाइब्रॉइड/रसौली के आकर को कम करने में मददगार साबित होते हैं। इसके लिए सेब, पपीता, गाजर, तरबूज और सभी लाल व पीले फल अपने आहार में शामिल करें।

खट्टे फल - खट्टे फल विटामिन सी से भरपूर होते हैं जो यूटेराइन फाइब्रॉइड की स्थिति को नियंत्रित करने के लिए जाना जाता है, इसलिए इस पोषक तत्व की आवश्यकता को पूरा करने के लिए अंगूर, संतरा, नींबू, चकोतरा, आंवला आदि को अपने आहार में शामिल करें। साथ ही, फलों के रस के बजाय, इन फलों को पूरे फल के रूप में लेने की कोशिश करें

(और पढ़ें - संतरा के जूस के फायदे)

गर्भाशय की रसौली के दौरान खून की कमी के लिए आहार - Diet for anemia during Uterine Fibroids in Hindi

अधिक मासिक धर्म प्रवाह के कारण, आमतौर पर गर्भाशय के रसौली वाले रोगियों में एनीमिया की समस्या हो जाती है। यदि आप भी इस लक्षण से पीड़ित हैं, तो रक्त में हीमोग्लोबिन, विटामिन बी 12 और आयरन के स्तर की नियमित जांच करवाएं। यदि आपके शरीर में इन पोषक तत्वों की कमी है, तो अपनी रिपोर्ट के अनुसार एक अच्छे डाइट प्लान के लिए अपने पोषण विशेषज्ञ से परामर्श करें। 

(और पढ़ें - आयरन की कमी के लक्षण)

यदि आप एनीमिया से बचना चाहते हैं, तो पोषक तत्वों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए सभी हरी पत्तेदार सब्जियां, अंकुरित अनाज, खजूर, अंजीर, अंडे की जर्दी, खमीर युक्त आहार आदि को खाने में लें।

(और पढ़ें - स्वस्थ भोजन खाने के फायदे)

बच्चेदानी की रसौली में लें विटामिन डी से भरपूर भोजन - Vitamin D rich food for Uterine Fibroids in Hindi

कुछ शोध अध्ययन इस बात का प्रमाण देते हैं कि पर्याप्त विटामिन डी गर्भाशय की रसौली के जोखिम को कम कर देते हैं। यदि आपके शरीर में इसकी कमी है तो आप अपने चिकित्सक से सप्लीमेंट के बारे में बात कर सकते हैं, इनके अलावा, कुछ खाद्य विकल्प ऐसे हैं, जिनका नियमित सेवन करके लाभ लिया जा सकता है, जैसे कि :

अंडे की जर्दी
फोर्टीफाइड दूध, पनीर और डेयरी उत्पाद
फोर्टीफाइड अनाज
फोर्टीफाइड फलों का जूस
फैटी मछलियां
कॉड लिवर ऑयल

(और पढ़ें - मछली के तेल के फायदे)

गर्भाशय फाइब्रॉएड में करें ग्रीन टी का सेवन - Green tea good for Uterine Fibroids in Hindi

ग्रीन टी पॉलीफेनॉल्स से भरपूर होती है, जो कि एक प्रकार के एंटीऑक्सीडेंट होते हैं। एंटीऑक्सीडेंट के कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं, जैसे कि सूजन को कम करना और कैंसर से लड़ने में मदद करना। इनके साथ ही साथ यह गर्भाशय की रसौली के आकार को कम करने के लिए भी जाना जाता है।

(और पढ़ें - बच्चेदानी से रसौली निकालने की सर्जरी)

एक अध्ययन के दौरान, 39 महिलाओं की भर्ती की गई, सभी ने अध्ययन के सभी पांच चरण पूरे किए। प्लेसीबो समूह में, अध्ययन की अवधि में रसौली की मात्रा में 24.3% की वृद्धि हुई; जबकि जिन रोगियों ने ग्रीन टी एक्सट्रेक्ट का सेवन किया, उनके उपचार में कुल गर्भाशय रसौली की मात्रा में एक महत्वपूर्ण कमी (32.6%) दिखाई दी। इसलिए इसके गुणों का भरपूर लाभ उठाने के लिए, हर रोज कम से कम 1 कप ग्रीन टी लेने की कोशिश करें, इसके अलावा, आप अपने डॉक्टर से चर्चा करके, ग्रीन टी एक्सट्रैक्ट कैप्सूल का भी सेवन शुरू कर सकते हैं।

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गर्भाशय की रसौली में क्या न खाएं और परहेज - Avoid these foods in Uterine Fibroids in Hindi

कुछ भोज्य पदार्थ इस स्थिति एवं उनके लक्षणों को बिगाड़ सकते हैं, उनसे परहेज करें। जैसे कि :

प्रोसेस्ड फूड के प्रयोग से बचें - कई अध्ययन हैं जो कहते हैं कि प्रोसेस्ड फूड लेने से शरीर में सूजन का स्तर बढ़ सकता है जो कि रसौली के आकार को बढ़ा सकता है और इस बीमारी के लक्षणों को और भी खराब कर सकता है। इसके लिए सभी पैकेज्ड और प्रोसेस्ड फूड के प्रयोग को कम करने के लिए इन खाद्य पदार्थों से बचें जैसे कि :
चिप्स
जैम
जेली
नमकीन
बिस्कुट
रेडी टू ईट फूड आदि
इस भोजन को लेने के बजाय, पोषक तत्वों से भरपूर, ताजा एवं घर का बना भोजन लेने की आदत डालें।

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शराब को कहें ना - किसी भी प्रकार की शराब पीने से आपकी रसौली के लिए खतरा बढ़ सकता है। ऐसा इसलिए हो सकता है, क्योंकि अल्कोहल रसौली के बढ़ने के लिए आवश्यक हार्मोन के स्तर को बढ़ा देता है। शराब सूजन को भी शरीर में बढ़ा सकती है, जो इस बीमारी के लक्षणों को खराब कर सकती है। एक अध्ययन में कहा गया है कि जो महिलाएं एक या एक से अधिक बियर पीती हैं, उनके लक्षणों में 50 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि देखी जाती है। अपने जोखिम को कम करने के लिए शराब एवं शराब युक्त पेय से बचें।

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रेड मीट से करें परहेज - कई अध्ययनों के अनुसार, लाल मांस का सेवन रसौली की स्थिति को बिगाड़ सकता है, अतः पोर्क, बीफ, मटन आदि से परहेज करें।

गर्भाशय की रसौली के लिए भारतीय डाइट प्लान - Indian Diet plan for Uterine Fibroids in Hindi

यहां हम एक भारतीय डाइट प्लान साझा कर रहे हैं, जो रसौली के आकार एवं लक्षणों को नियंत्रित करने में काफी फायदेमंद है :

सुबह खाली पेट - नींबू रस के साथ गर्म पानी (1 गिलास) + बादाम (6-7) + किशमिश (8-10)
सुबह का नाश्ता - बेसन पनीर चीला (2) + हरी चटनी (2 चम्मच)
मध्य भोजन - सेब (1 माध्यम)
दोपहर का खाना - चपाती (2) + राजमा (1 कटोरी) + मौसमी हरी सब्जी (1 कटोरी) + सलाद (1 छोटी प्लेट)
शाम की चाय - ग्रीन टी (1 कप) + भुना हुआ चना (1-2 मुट्ठी)
रात का खाना - वेजिटेबल सूप (1 कटोरी) + मल्टीग्रेन चपाती (2) + अरहर दाल (1 कटोरी) + को भी मौसमी हरी सब्जी (1 कटोरी)
सोते समय - हल्दी वाला दूध (1 कप)

बच्चेदानी के ऑपरेशन में क्या खाना चाहिए? - bachchedaanee ke opareshan mein kya khaana chaahie?

गर्भाशय की रसौली में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं के डॉक्टर

संदर्भ

  1. Flake GP, et al. Etiology and pathogenesis of uterine leiomyomas: a review.. Environ Health Perspect. 2003 Jun; 111(8): 1037-54. PMID:12826476
  2. Shen Yang, et al. Vegetarian diet and reduced uterine fibroids risk: A case-control study in Nanjing, China. J Obstet Gynaecol Res. 2016 Jan; 42(1): 87-94. PMID:26458740
  3. Wise LA, et al. Intake of fruit, vegetables, and carotenoids in relation to risk of uterine leiomyomata.. Am J Clin Nutr. 2011 Dec; 94(6): 1620-31. PMID:22071705
  4. Ciebiera Michał et al. Vitamins and Uterine Fibroids: Current Data on Pathophysiology and Possible Clinical Relevance. Int J Mol Sci. 2020 Aug; 21(15): 5528. PMID: 32752274
  5. Baird Donna Day et al. Vitamin d and the risk of uterine fibroids. Epidemiology. 2013 May; 24(3): 447-53. PMID: 23493030
  6. Ciebiera Michał, et al. Vitamins and Uterine Fibroids: Current Data on Pathophysiology and Possible Clinical Relevance. Int J Mol Sci. 2020 Aug; 21(15): 5528. PMID: 32752274
  7. Roshdy Eman et al. Treatment of symptomatic uterine fibroids with green tea extract: a pilot randomized controlled clinical study. Int J Womens Health. 2013; 5: 477–486. PMID: 23950663

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बच्चेदानी निकालने के बाद क्या परहेज करना चाहिए?

हिस्टरेक्टमी के बाद आपको करीब चार से छह हफ्ते सेक्स नहीं करने की सलाह दी जाती है। यह योनि पर घाव के ठीक होने और किसी तरह के योनिस्राव या रक्तस्राव को रोकने के लिए वक्त देगा। छह हफ्ते बाद भी यदि आप सेक्स के लिए खुद को तैयार नहीं पातीं तो चिंता की बात नहीं है- इसके लिए तैयार होने में हर महिला अलग-अलग समय लेती है।

बच्चेदानी का ऑपरेशन कितने दिन में ठीक हो जाता है?

अलग-अलग महिला के लिए बच्चेदानी का ऑपरेशन के बाद का रिकवरी टाइम अलग-अलग हो सकता है। आमतौर पर महिला 6 सप्ताह के भीतर पूरी तरह से रिकवर हो जाती है।

ऑपरेशन के बाद क्या क्या खा सकते हैं?

ऑपरेशन के बाद आपको आसानी से पचने वाली चीजें खानी चाहिए। फिर चाहे वो फल और सब्जियां ही क्‍यों न हो। अपनी डाइट में रोटी, कद्दू, लौकी, परवल, गाजर, खीरा, पालक, मूंग की दाल, अरहर, मल्‍का की दाल, तोरी, मूली और सब्जियों का सूप शामिल करें। ये खाने में आसान भी होते हैं और हाजमा भी सही रखते हैं।

गर्भाशय हटाने कितने दिन आराम के बाद?

सर्जरी के 1 या 2 दिन के बाद आईवी और कैथेटर को निकाल दिया जाता है। आपको 3 से 5 दिनों तक अस्पताल में रुकना पड़ सकता है। घर जाने के बाद, आपको बहुत सारा आराम करना होगा। 4 से 6 सप्ताह के लिए कोई भी भारी सामान न उठाएँ या अपने पेट की मांसपेशियों पर कोई दबाव न डालें।