भूगर्भ की जानकारी के साधन कौन कौन से हैं? - bhoogarbh kee jaanakaaree ke saadhan kaun kaun se hain?

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क्या आपने कभी सोचा है कि पृथ्वी की आंतरिक संरचना के बारे में कैसे पता चलता है| वैज्ञानिकों ने क्रमिक रूप से विभिन्न प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष स्त्रोतों के आधार पर पृथ्वी की आंतरिक संरचना की जानकारी हासिल किया है, इन्हें ही भूगर्भ की जानकारी के स्रोत या साधन कहते है| What is the source of information about geological structure in Hindi?

भूगर्भ की जानकारी के साधन कौन कौन से हैं? - bhoogarbh kee jaanakaaree ke saadhan kaun kaun se hain?

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आपसे इस संबंध में प्रश्न पूछा जा सकता है कि:

  • पृथ्वी की भूगर्भ की संरचना के बारे में कैसे पता चलता है?
  • भूगर्भ की जानकारी के प्रत्यक्ष स्रोत कौन-कौन से हैं
  • पृथ्वी के आंतरिक भाग की जानकारी के प्रत्यक्ष स्रोतों के नाम लिखिए
  • भूगर्भ की जानकारी के लिए कोई तीन प्रत्यक्ष साधनों के नाम लिखिए
  • भूकंपीय गतिविधियों के अतिरिक्त भूगर्भ की जानकारी संबंधी अप्रत्यक्ष साधनों का संक्षेप में वर्णन करें

हम इस लेख में इन्हीं प्रश्नों को केंद्र में रखते हुए भूगर्भ की जानकारी के स्रोत या साधन के बारे में चर्चा करेंगें. Source of information about geological structure in Hindi.

भूगर्भ की जानकारी के स्रोत या साधन

पृथ्वी की त्रिज्या 6371 किलोमीटर है| यानी कि पृथ्वी के केंद्र तक पहुँचने के लिए 6371 किलोमीटर की दुरी तय करनी होगी| लेकिन पृथ्वी की आंतरिक संरचना के कारण यहाँ तक पहुंचना संभव नहीं है|

अभी तक अधिकतम 12 किलोमीटर तक की गहराई तक ड्रिल (आर्कटिक महासागर में) किया जा सका है| इससे भी अत्यंत सीमित जानकारी प्राप्त हुई है| यही कारण है की भूगर्भिक सरंचना के जानकारी के लिए विभिन्न स्त्रोतों को अपनाया गया|

पृथ्वी की भूगर्भिक सरंचना के जानकारी के स्त्रोत को दो प्रकार में बांटा जा सकता है प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष|

भूगर्भ की जानकारी के प्रत्यक्ष स्रोत कौन-कौन से हैं

भूगर्भिक सरंचना के जानकारी के प्रत्यक्ष स्त्रोत (Direct source) के अंतर्गत हम उन चीजों को रखते है जिनके द्वारा हमें प्रत्यक्ष तौर पर पृथ्वी की आंतरिक संरचना की प्राप्त होती है| जैसे खनन से प्राप्त चट्टानें, ज्वालामुखी आदि| हालाँकि इनसे हमें सीमित मात्रा में ही आंतरिक सरंचना की जानकारी प्राप्त हो पाती है.

खनन द्वारा प्राप्त चट्टानों से हमें जानकारी प्राप्त तो हुई है लेकिन इसकी सबसे बड़ी सीमा है की यह धरातलीय चट्टाने होती है, जो की अधिकतम 12 किलोमीटर गहराई से प्राप्त की गई है.

पृथ्वी की भूगर्भ में गहराई बढ़ने के साथ तापमान में वृद्धि होती है इसीलिए प्रत्यक्षतः अधिक गहराई में जाना संभव नहीं है. हालाँकि वैज्ञानिक विभिन्न परियोजना (मुख्य रूप से दो -1. गहरे समुद्र में प्रवेधन योजना – Deep ocean drilling project 2. समन्वित महासागरीय प्रवेधन योजना – Integrated ocean drilling project) के अंतर्गत पृथ्वी की आंतरिक स्थिति को जानने के लिए पर्पटी में गहराई तक छानबीन कर रहे है.

ज्वालामुखी क्रिया भी भूगर्भिक सरंचना के जानकारी के स्त्रोत है| लावा के अन्वेषण-विश्लेषण से वैज्ञानिक जानकारी प्राप्त करते है| यद्यपि इसकी भी कई सीमाएं है जैसे की यह निश्चय कर पाना कठिन होता है की मैग्मा कितनी गहराई से निकला है.

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भूगर्भ की जानकारी का अप्रत्यक्ष साधन कौन सा है

कई अप्रत्यक्ष स्त्रोतों (indirect sources) द्वारा भी भूगर्भिक संरचना के जानकारी मिलती है. यह अप्रत्यक्ष स्त्रोत इस प्रकार है:

  • पदार्थो के गुण धर्म का विश्लेषण
  • उल्का पिंड
  • गुरुत्वाकर्षण
  • चुम्बकीय क्षेत्र
  • भूकम्पीय तरंगो

पदार्थो के गुण धर्म का विश्लेषण: पदार्थो के गुण धर्म विश्लेषण से हमें पृथ्वी के आंतरिक भागों की अप्रत्यक्ष जानकारी प्राप्त होती है| खनन क्रिया से हमें पता चलता है की भूगर्भ में गहराई बढ़ने के साथ-साथ तापमान और घनत्व में वृद्धि होती है| इससे  तापमान, घनत्व, दबाब में परिवर्तन के दर को मापा जा सका| इसके माध्यम से यह अनुमान लगाया जा सका की गहराई में 1°C प्रति मीटर के तापमान में वृद्धि होती है. पृथ्वी की कुल मोटाई को ध्यान में रखते हुए, वैज्ञानिकों ने विभिन्न गहराइयों पर पदार्थ के तापमान, दबाब एवं घनत्व के मान को अनुमानित किया.

उल्का पिंड: उल्का पिंड का अध्ययन पृथ्वी की आंतरिक जानकारी के लिए महत्वपूर्ण अप्रत्यक्ष स्त्रोत के रूप में किया जाता है| यह कभी-कभी धरती तक पहुँचती है| हालाँकि उल्काओं के विश्लेषण के लिए उपलब्ध पदार्थ पृथ्वी के आंतरिक भाग से नहीं प्राप्त होते, तथापि उल्का पिंड की संरचना एवं पदार्थ पृथ्वी से मिलती जुलती है| इसी सन्दर्भ में उल्का पिंड को पृथ्वी की आंतरिक संरचना की जानकारी का स्त्रोत माना जाता है|

गुरुत्वाकर्षण: गुरुत्वाकर्षण द्वारा भी पृथ्वी की आंतरिक संरचना के बारे में अनुमान लगाया जा सका| पृथ्वी के विभिन्न अक्षांसो पर गुरुत्वाकर्षण बल एकसमान नही होता है| जहाँ ध्रुवों पर गुरुत्वाकर्षण बल अधिक होता है वहीँ भूमध्य रेखा की ओर कम होता जाता है तथा भूमध्य रेखा पर न्यूनतम होता है| गुरुत्व का मान पदार्थो के द्रव्यमान के अनुसार भी बदलता है| पृथ्वी के भीतर पदार्थो का असमान वितरण भी इस भिन्नता को प्रभावित करता है| अलग -अलग स्थानों पर गुरुत्वाकर्षण की भिन्नता अनेक अन्य कारणों से प्रभावित होती है. इस भिन्नता को गुरुत्व विसंगति (gravity anomaly) कहा जाता है| यह हमें भूपर्पटी में पदार्थ के द्रव्यमान के वितरण की जानकारी देती है|

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चुम्बकीय क्षेत्र: चुम्बकीय सर्वेक्षण भी भूपर्पटी में चुम्बकीय पदार्थ के वितरण की जानकारी देते है|

भूकम्प:भूकम्प एवं भूकम्पीय गतिविधियाँ पृथ्वी की भूगर्भिक जानकारी का एक महत्वपूर्ण स्त्रोत है| इससे हमें भूगर्भ की अपेक्षाकृत सर्वाधिक जानकारी प्राप्त हुई है| इसके बारे में विस्तार से पढने के लिए यहाँ क्लिक करें.

आउटरलाइन

स्पष्ट है कि वैज्ञानिकों ने क्रमिक रूप से विभिन्न प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष स्त्रोतों के आधार पर पृथ्वी की आंतरिक संरचना की जानकारी हासिल किया है, इन्हें ही भूगर्भ की जानकारी के स्रोत या साधन कहते है.

हमें उम्मीद है कि इस लेख ने आपको सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के संदर्भ में भूगर्भ की जानकारी के स्रोत या साधन क्या है, के बारे में जानने में मदद की. इससे संबंधित प्रश्न आप कमेंट के माध्यम से पूछ सकते है.

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भूगर्भ की जानकारी के लिए प्रत्यक्ष साधन कौन सा है?

उत्तर- भूगर्भ की जानकारी के लिए प्रत्यक्ष साधनों में धरातलीय चट्टानें हैं अथवा वे चट्टाने हैं जो हम खनन क्षेत्रों से प्राप्त करते हैं। खनन के अतिरिक्त वैज्ञानिक विभिन्न परियोजनाओं के अंतर्गत पृथ्वी की आंतरिक स्थिति को जानने के लिए पर्पटी में गहराई तक छानबीन कर रहे हैं।

भूगर्भ की जानकारी के स्रोत कौन कौन से हैं?

भूगर्भ की जानकारी के लिए प्रत्यक्ष साधनों के नाम बताइये.
गहरा खनन तथा धरातलीय चट्टान.
समुन्द्र में प्रवेधान परियोजना और समन्वित महासागरीय प्रवेधान परियोजना.
ज्वालामुखी विस्फ़ोट.

पृथ्वी की आंतरिक संरचना की जानकारी देने वाले साधन कौन कौन से हैं?

Answer: Explanation: पृथ्वी की आंतरिक संरचना कई स्तरों में विभाजित है। पृथ्वी की आंतरिक संरचना के तीन प्रधान अंग हैं- ऊपरी सतह भूपर्पटी (Crust), मध्य स्तर मैंटल (mantle) और आंतरिक स्तर धात्विक क्रोड (Core)।

भूगर्भीय तरंगें क्या है?

भूगर्भीय तरंगें उद्गम केंद्र से ऊर्जा मुक्त होने के दौरान पैदा होती हैं और पृथ्वी के अंदरूनी भाग से होकर सभी दिशाओं में आगे बढ़ती हैं, इसलिए इन्हें भूगर्भिक तरंगें कहा जाता है। भूगर्भीय तरंगें दो प्रकार की होती हैं। इन्हें 'P' तरंगें व 'S' तरंगें कहा जाता है।