ज्ञान का तद्भव शब्द क्या है? - gyaan ka tadbhav shabd kya hai?

ज्ञान का तद्भव शब्द क्या है? - gyaan ka tadbhav shabd kya hai?


तत्सम का अर्थ होता है "उसके समान"। अर्थात, ऐसे शब्द जो संस्कृत के समान है, जो शब्द संस्कृत भाषा से हिंदी भाषा मे आये है और उन्हें ज्यों का त्यों प्रयुक्त कर रहे है, उन्हें तत्सम शब्द कहते है। तत्भाव का अर्थ होता है "उससे उत्पन्न"। संस्कृत के ऐसे शब्द संस्कृत से उत्पन्न हुए है उन्हें तद्भव शब्द कहते है।


कुछ तद्भव शब्द के तत्सम शब्द:-

(तद्भव) - (तत्सम)
आग - अग्नि

आम - आम्र

आंख - अक्षि

आसमान - आकाश

आखर - अक्षर

ऊँची - उच्च

कान्हा - कृष्ण

केस - केश

घर - गृह

घड़ा - घट
मोर - मयूर
सौत - सपत्नी
पोथी - पुस्तक

पुत्रवधू - पतोहू

फूल - फुल्ल
सक्र - शक्कर
खेत - क्षेत्र
गीध - गृध
नेह - स्नेह
गाय - गो
बच्चा - बालक
जबान - जिह्वा
दही - दघ



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इन्हे देखें :

हिंदी भाषा

शब्द के प्रकार

समास

उपसर्ग एवं प्रत्यय

समोच्चरित शब्द

पर्यायवाची शब्द

विलोम शब्द

तत्सम एवं तत्भव


(i) तत्सम (ii) तद्भव (iii) देशज (iv) विदेशी

गौण भेद दो होते है- (i) अर्द्ध तत्सम (ii) संकर/ मिश्रित

2.रचना के आधार पर शब्द के तीन भेद होते है।

(i) रूढ़ (ii) यौगिक (iii) योग रूढ़

3.रूपांतर / विकार के आधार पर शब्द के दो भेद होते है।

(i) विकारी- संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया 

(ii) अविकारी- विस्मयादिबोधक, संबंधबोधक, समुच्चयबोधक, क्रिया विशेषण, निपात 

4. अर्थ के आधार पर शब्द के दो भेद होते है।

(i) परंपरागत शब्द – वाचक शब्द, लक्षक शब्द, व्यंजक शब्द  

(ii) नवीन शब्द – सार्थक, निरर्थक, एकार्थी, पर्यायवाची, विलोम,  समश्रुत भिन्नार्थक शब्द।

5. प्रयोग के आधार पर शब्द कर तीन भेद होते है।

(i) सामान्य शब्द (ii) तकनिकी शब्द (iv) अर्द्ध तकनिकी शब्द

1.उद्गम / व्युत्पति के आधार पर शब्द के चार भेद होते है।

(i) तत्सम (ii) तद्भव (iii) देशज (iv) विदेशी- अंग्रेजी, फारसी, तुर्की, जापानी, चीनी, पश्तों, पुर्तगाली आदि

गौण भेद दो होते है- (i) अर्द्ध तत्सम (ii) संकर / मिश्रित

(i)तत्सम शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है। तत् (उसी के) + सम (सामान) = अथार्त उसी (संस्कृत) के सामान शब्द।

परिभाषा- वे शब्द जो संस्कृत के सामान ही हिन्दी में प्रचलित हैं, जिनके उच्चारण व लिखावट में कोई अंतर नहीं आया हैं, उसे तत्सम शब्द कहते है।

तत्सम शब्दों की पहचानने के कुछ लक्षण:

जिन शब्दों में ‘ऋ’ आता है। वे शब्द अक्सर तत्सम होते है। जैसे- ऋण, ऋजु, ऋत, कृपा, कृपण आदि।

अनुस्वार (ॱ) युक्त शब्द अक्सर तत्सम होते है। जैसे- कंपन, अलंकार, संहार, संवाद आदि।

जिन शब्दों का अंतिम वर्ण हलंत (ˎ) होता है। वे अक्सर तत्सम शब्द होते है। जैसे- अथार्त्, परिषद्, श्रीमान् आदि।

संयुक्ताक्षर (क्ष, त्र, ज्ञ श्र) युक्त शब्द अक्सर तत्सम होते है। जैसे- अक्षर, पुत्र, यज्ञ, विद्दा आदि।

जिन शब्दों में ‘श’ / ‘ष’ आएँ वे शब्द अक्सर तत्सम होते हैं। जैसे- शंकर, पाषाण आदि।

जिन शब्दों में ‘ण’ आये वे शब्द अक्सर तत्सम होते है। कारण, रावण, परिणाम आदि।

जिन शब्दों में ऊपर लगा हुआ ‘र’ अथार्त रेफ आये वे अक्सर तत्सम शब्द होते है। जैसे- कर्म, धर्म, मर्म आदि।

जिन शब्दों में नीचे लगा हुआ ‘र’ आए वे शब्द अक्सर तत्सम शब्द होते है। जैसे- राष्ट्रीय, राष्ट्र आदि।  

जिन शब्दों में निम्नलिखित उपसर्ग का प्रयोग हो वे तत्सम शब्द होगा

परि – पर्यावरण, परिवार, पर्यंक

अति – अत्याचार, अत्युक्ति, अतिशय, अतिरिक्त

वि – विषम, विच्छेद, विशुद्ध

अभि – अभिसार, अभिषेक, अभ्युत्थान  

अधि – अधीक्षक, अध्ययन, अधिकार, अध्यूढ़ा

प्रति – प्रतिहार, प्रतिकार, प्रत्येक, प्रतीक्षा, प्रतीत

प्र – प्रहार, प्रसिद्ध, प्रमुख, प्रबुद्ध, प्रख्यात

अन- अनायास, अनुत्तीर्ण, अनुत्तर, अनाघात

कु – कुपुत्र, कुख्यात, कुमार्ग

सत् – सदाचार, सज्जन, सन्मार्ग

उत् / उद् – उत्थान, उत्थापक, उत्कीर्ण उत्खनन

सम् – संहार, संवाद, समीक्षा, समुत्थान

अलम् (अव्यय) – अलंकार

इति – इत्यादि

चिरम् – चिरंजीव 

अंतर – अंतर्राज्यीय, अंतर्राष्टीय

बहिर् – बहिर्द्वद्व

बहिस् – बहिष्कार 

अंतस् – अन्तश्चेतना 

निस् – निस्संकोच, निस्सार, निश्चल  

निर – निर्जन, निराकार, निरुत्तर

दुस् – दुस्साहस, दुस्साध्य, दुष्कर

दुर् –  दुर्जन, दुराचार, दुरुपयोग

तद्भव शब्द- तद्भव दो शब्दों के मिलकर बना है। तद् (उससे) + भव (बने हुए) शब्द है।

परिभाषा- वे शब्द जो संस्कृत के शब्दों के सरल होने से बने है। उन्हें तद्भव शब्द कहते है।

जैसे- मर्कटी – मकड़ी, स्वर्णकार – सुनार, कुंभकार – कुम्हार आदि।

तत्सम एवं तद्भव शब्द:

तत्सम – तद्भव

अक्षर – अच्छर / आखर

अकार्य – अकाज

कार्य – काज 

अक्षि –  आँख

अग्र – आगे

अगम्य – अगम

अट्टालिका – अटारी

अनार्य – अनाड़ी

आदित्यवार – इतवार

आखिन – आसोज

आश्चर्य – अचरज

अर्द्ध – अध / आधा

अश्रु – आँसू

अमूल्य – अमोल

अमृत – अमिय

अंगुष्ट – अँगूठा

अंगरक्षक – अंगरखा

अर्क – आक

आम्र – आम

आम्रचूर्ण – अमचूर

आखेट – अहेर

आभीर – अहीर

अक्षयतृतीय – आखातीज

इष्टिका – ईंट

उलूक – उल्लू

एकत्र – इकट्ठा

कदली – केला

आदेश – आयसु

आशीष – असीस

आलस्य – आलस

अग्नि – आग

आश्रय – आसरा

अष्टादश – अट्ठारह

अर्द्ध – अध / आधा

उत्साह – उछाह

उत्थान – उठान

उच्च – उँचा

उज्जवल – उजला

श्वेत – सफेद

उपरि – ऊपर

कर्तव्य – करतब

अद्द (अद्य) – आज

अज्ञानी – अनजाना

अक्षत – अच्छत

इक्षु – ईख

उपालंभ – उलाहना

एला – इलाइची

कंकन – कंगन

क्लेस – कलेस

कृष्ण – कान्हा

ऊर्ण – ऊन

कपाट – किवाड़

उष्ट – ऊँट

कज्जल – काजल

कंदुक – गेंद

कर्ण – कान

कटु – कड़ा / कड़वा

कपर्दिका – कौड़ी

काक – कौआ

कास – खाँसी

काष्ठ – काठ

अर्पण – अरपन

अम्लिका – इमली

अवगुण – औगुन

अवतार – औतार

अवसर – औसर

अवघट – औघट  

अग्रवर्ती – अगाड़ी

किरण – किरन

ज्योति – जोत / जोति

खट्वा – खाट

खनि – खान

स्थिर – थिर

स्थान – थान

स्थल – थल

स्नेह – सनेह / नेह

चंचु – चोंच

साक्षी – साखी

चक्र – चक्कर

सौभाग्य – सुहाग

सूर्य – सूरज

चतुष्कोण – चौकोर

स्थिति – थिति

क्षीर – खीर

क्षेत्र – खेत

छिद्र – छेद

छत्र – छाता

गोस्वामी – गुसाई

गुंफन – गुँथना 

गृहणी – घरनी

गृह – घर / गेह

गर्त – गड्ढा

गदर्भ – गधा

सरोवर – सरवर

घृणा – घिन

घोटक – घोड़ा

ग्रंथि – गाँठ

केशरी – केसरी

उपाध्याय – ओझा

कुमार – कुँवर

कक्षि – कोख

हृदय हिय

दद्रु – दाद

चर्वण – चबाना

दंश – डंक

दीप – दीया

दीपश्लाका  – दीयासलाई

दूर्वा – दूब

अच्युत – अचूक

गोपालक – ग्वाला

ग्रामीण – गँवार

घृत – घी

चित्रकार – चितेरा

चर्म – चाम

कर्पूर – कपूर

कर्तन – करतन

दुःख – दुख

धनश्रेष्ठी – धन्नासेठ

धूम्र – धूम / धुआँ

धान्य – धान

धरित्रि – धरती

निष्टुर – निठुर

निर्वाह – निबाह

नग्न – नंगा

नकुल – नेवला

नापित – नाई

नारिकेल – नारियल

नृत्य – नाच

तैल – तेल

तंडुल – तंदुल

तप्त – तपन

तपस्वी – तपसी

ताम्र – ताँबा

तीर्थ – तीरथ

धर्म – धरम

स्तंभ खंबा

नयन – नैन

पत्र – पत्ता

संधि – सेंध

पक्व – पका

पक्वान्न – पकवान

पर्पट – पापड़

चर्वण – चबाना

चंद्रिका – चाँदनी

षट् – छह

जीर्ण – झीना

जयेष्ट – जेठ

जामाता – जवाई

जंघा – जाँघ

श्रृंगार – सिंगार

पुत्र – पूत

पुच्छ – पूछ

वारयात्रा – बरात

पृष्ठ – पीठ

पीत – पीला

स्वप्न – सपना  

तिलक – टीका

त्रीणि – तीन

स्तन – थन

दुर्बल – दुबला

दृष्टि – दीठ

द्विवर – देवर

दुग्ध –  दूध

पथ – पंथ

पुष्कर – पोखर

पर्यंक – पलंग

पश्चाताप – पछतावा

परशु – फरसा

परीक्षा – परख

दिशांतर – दिशावर

यज्ञमान – जजमान

यव – जौ

छिद्र – छेद

चतुर्थी – चौथ

चौर – चोर

जिह्वा – जीभ

पक्ष – पंख/ पख

प्रहर – पहर

पिपासा – प्यास

शिक्षा – सीख

फाल्गुन – फागुन

बालुका – बालू

बंध – बाँध

बर्कर – बकरा 

यमुना – जमुना

बक – बगुला

परश्व – परसों

कच्छप – कछुआ

किंचित् – कुछ

मणिकार – मनिहार

मक्षिका – मक्खी

भ्रमर – भौरा

प्रकट – प्रगट

स्वजन – साजन

बलिवर्द – बैल

स्वर्णकार – सुनार

भ्रातृजा – भतीजी

भ्रातृजाया – भौजाई

मेख – मेह

श्मश्रु – मूँछ

श्यामल – साँवला

मुषल – मूसल

श्मशान – मरघट

मस्तिष्क – माथा

मल – मैल

मारीच – मिर्च

भद्र – भला  

श्वसुर –ससुर

शुण्ड/ शुंड – सूंड

पट्टिका – पट्टी/ पाटी

शैया – सेज

शुक – सुआ

मार्ग – मारग

मित्र – मीत

रुदन – रोना

यति – जति

यूथ – जत्था

युक्ति – जुगति

यशोदा – जशोदा

तृण – तिनका

देशज और विदेशी शब्द:

देशज शब्द की परिभाषा:

कामता प्रसाद गुरु के अनुसार- “वे शब्द जिनके उत्पत्ति का स्त्रोत ज्ञात नहीं हो उसे देशज शब्द कहलाते है।”

डॉ० भोलानाथ तिवारी के अनुसार- “वे शब्द जो भारतीय भाषाओं या बोलियों से हिन्दी में आए हैं, उन्हें देशज शब्द कहते है।”

मैक्समूलर के शब्दों में- “क्षेत्र विशेष में प्रचलित शब्द देशज शब्द कहलाते है।”

महत्वपूर्ण देशज शब्द

तेंदुआ, पगड़ी, कोड़ी, खिड़की, चुटकी, ताला, फटाफट, लौकी, लोटा, ऊटपटांग, केतली, खुल्लम खुला, चुस्की, दाल, बछिया, सटकना, चिडिया, कपड़ा, गमछा, तौलिया, चिकना, तोला, भाड़े, पेट, रोड़ा, पैसा, खुरपा, झाड़, झुग्गी, जूता, रोटी, खचाखच, ठेठ, कटोरा, कपास, खटपट, चकाचक, छकड़ा, भिंडी, सरसों, ठुमरी, डिबिया, खटिया, चटाचट, परवल, मेलजोल, काँच, झोला, टाँग, खडाऊं, फावड़ा, झंझट, कोल्हू, ठोकर, थप्पड़, लड़का, छाती, बाप, बेटा, पिल्ला, खिचड़ी, लथपथ, चंपत, भोंदू, डाब, चुटिया, छोरा, खर्राटा, चाट, पड़ोसी, पटाखा, डोसा, चकल्लस, पेटी, झाड़ू, ताम्बूल, भौं- भौं, अटकल, खटखटाना, थपथपाना, फडफडाना, फड़फाड़ाना, चहचहाना, सरसराना, चीनी, झाड़ आदि।

‘देशज’ शब्दों के पहचान:

निम्नलिखित प्रत्ययों के योगसे निर्मित शब्द देशज होते है

जिसमे भी ‘आटा’ प्रत्यय आ जाए वे ‘देशज’ शब्द होंगे जैसे- सन्नाटा, फर्राटा, खर्राटा

जिसमे भी ‘आकू’ प्रत्यय आ जाए वे देशज शब्द होंगे जैसे- लड़ाकू, पढ़ाकू

जिसमे भी ‘आक’ प्रत्यय आ जाए वे देशज शब्द होंगे जैसे- तैराक

जिसमे भी ‘आका’ प्रत्यय आ जाए वे देशज शब्द होंगे जैसे- लड़ाका, धमाका

जिसमे भी ‘इया’ प्रत्यय आ जाए वे देशज शब्द होंगे जैसे- बढ़िया, घटिया, चुटिया

जिसमे भी ‘अक्कड़’ प्रत्यय आ जाए वे देशज शब्द होंगे जैसे- भुल्लकड़, घुमक्कड़

जिसमे भी ‘अड़’ प्रत्यय आ जाए वे देशज शब्द होंगे जैसे- अंधड़

जिसमे भी ‘उवा’ प्रत्यय आ जाए वे देशज शब्द होंगे जैसे- बबुवा

विदेशी शब्द- अरबी, फारसी, अंग्रेजी, जापानी, चीनी, पुर्तगाली, पोश्तो और तुर्की शब्द

‘अरबी’ भाषा के महत्वपूर्ण शब्द:

अज़ब (विचित्र), अमीर, अजीब (विचित्र), अदालत, अल्लाह, असर, आखिर, आदमी, आजाद, आदत, औलाद, औरत, औसत, इनाम, खत, उम्दा, मशाल, लगान, क़त्ल, कब्र, गरीब, इलाज़, इज्ज़त, इंतजार, इस्तीफ़ा, एहसान, कमाल, कब्जा, कबीला, जलसा, तारीख़, दफ़्तर, नक़ल, नशा, सुबह, हुक्म, हलवाई, कीमत, इशारा, ताज, मुरब्बा, कानून, किताब, तहसील, वालिद, हिसाब, हैजा, हौसला, हकीम, हिम्मत, तकिया, ख्याल, कर्ज, खिदमत, मुसाफिर, फ़िक्र, गरीब, ज़नाब, नतीज़ा, हज़म, तराजू, तरक्की, हवालात, मीनार, तमाम, फ़कीर, बहस, मौका, इरादा, मौलवी, मुश्किल, मौसम, लिफ़ाफ़ा, दुनिया, दौलत, तक़दीर, मुहावरा, नहर, ख़ास, तमाशा, जुर्माना, ज़हाज, नक़द, शेख, कुंडी, अरबी, खुफिया, आजाद, तमाम, कागज़, किस्मत आदि ।

फारसी भाषा के महत्वपूर्ण शब्द:

अफ़सोस, अदा, अमरूद, आराम, आबरू, आतिशबाजी, आमदनी, आवारा, आवाज़, आफ़त, आसमान, उम्मीद, उस्ताद, कबूतर, खुराक, गुलाब, कारीगर, तख़्त, रोशनदान, रोशनदान, पर्दा, जमींदार, खराब, हिंदू, हिंदी, हिन्दुस्तान, कमर, कद्दू, कमीना, कुश्ती, खूबसूरत, फ़ौज, जल्दी, दंगल, दवा, पुल, पैदा, जवान, जहर, ताजा, तेज, गोश्त, खूब, चिलम, अखबार, देहात, अनार, चाबुक, गरम, खाक, ख़ुद, खामोश, ग़लती, जागीर, दीवार, दीदार, पाक, नापाक, मदरसा, जादू, जगह, दरबार, दरवाज़ा, शराब, सुल्तान, सूद, प्याला, कारखाना, जंग, दुकान, बाज़ार, बर्फ़, मुर्दा, बर्फी, साल, सितार, जिंदगी, जेब, सज़ा, सिलाई, गिरफ़्तार, क़ानून, पाजामा, गुलाब, खून, मोर्चा, नमक, ख़राब, गज, गवाह आदि।

‘अंग्रेजी’ भाषा के महत्वपूर्ण शब्द:

अफसर, क्लास, क्लर्क, टीचर, नर्स, कार, कॉपी, कोट, गार्ड, चैक, टेलर, टीचर, ट्रक, टेक्सी, स्कूल, पैन, पेपर, बस, रेडियो, रजिस्टर, रेल, रेडिमेट, शर्त, सूर, स्वेटर, टिकट आदि।

‘जापानी’ भाषा के महत्वपूर्ण शब्द:

रिक्शा, सायोनारा, झप्पान आदि।

‘चीनी’भाषा के महत्वपूर्ण शब्द:

चाय, चीनी, लीची, चीकू, लोकाट, तूफ़ान आदि।

‘पुर्तगाली’ भाषा के महत्वपूर्ण शब्द:

आचार, अगस्त, आलपीन, आलू, आया, अनन्नास, इस्पात, कनस्तर, कारबन, कमीज, कमरा, गोभी, गोदाम, गमला, चाबी, पीपा, पादरी, फीता, बस्ता, बटन, बाल्टी, पपीता, पतलून, मेज, लबादा, संतरा, साबुन आदि।

‘पश्तो’ भाषा के महत्वपूर्ण शब्द:

अटकल, अखरोट, कलूटा, खचड़ा, खर्राटा, गुलगपाड़ा, गड़बड़, गुंडा, चख-चख, टसमस, डेरा, तहस-नहस, पटाखा, पठान, बाड़, भड़ास, मटरगश्ती, रोला (पर्वत) आदि।

तुर्की भाषा के महत्वपूर्ण शब्द:

आका, उर्दू, अजबक, कलगी, काबू, कैंची, कुर्की, कुली, कलंकी, कालीन, कुर्ता, खंजर, खच्चर, कुर्क, कुमुक, गलीचा, गनीमत, चकमक, चाक, चिक, चेचक, चुगली, चोगा, चम्मच, तमगा, तमंचा, तोप, तोपची, नागा, तमाशा, टॉप, बारूद, बावर्ची, बीबी, बेगम, बहादुर, मुग़ल, मुचकला, लाश, सराय, सौगात, सुराग, आदि।

गौण भेद दो होते है- (i) अर्द्ध तत्सम (ii) संकर / मिश्रित

(i) अर्द्ध तत्सम- ऐसे शब्द हैं जो संस्कृत से थोड़ा परिवर्तन होकर हिन्दी में आए है, उन्हें अर्द्धतत्सम शब्द कहते है।

अर्द्धतत्सम उन संस्कृत शब्दों को कहते हैं, जो प्राकृत-भाषा बोलने वाले के उच्चारण से बिगड़ते-बिगड़ते अन्य रूप के हो गए हैं, जैसे-

बच्छ (वत्स), आग्याँ (आज्ञा),  अग्नि (आग), मुँह, बंस इत्यादि।

(ii) संकर / मिश्रित- हिन्दी के वे शब्द जो दो अलग-अलग भाषाओँ के शब्दों को मिलाकर बन गए हैं उन्हें संकर शब्द कहते हैं, जैसे-

ज्ञान का तद्भव शब्द क्या होगा?

आज हम हिंदी भाषा ज्ञान के अंतर्गत 1000+ tatsam shabd– तत्सम- तद्भव शब्द नामक पोस्ट लेकर आये हैं। ... .

तद्भव शब्द को कैसे पहचाने?

तत्सम और तद्भव शब्दों को पहचानने के नियम (1) तत्सम शब्दों के पीछे 'क्ष' वर्ण का प्रयोग होता है और तद्भव शब्दों के पीछे 'ख' या 'छ' शब्द का प्रयोग होता है। (2) तत्सम शब्दों में 'श्र' का प्रयोग होता है और तद्भव शब्दों में 'स' का प्रयोग हो जाता है।

तद्भव शब्द कौन कौन से हैं?

तद्भव (शाब्दिक अर्थ : 'उससे उत्पन्न') एक संस्कृत शब्द है जो मध्यकालीन भारत-आर्य भाषाओं के सन्दर्भ में उन शब्दों को कहते हैं जो संस्कृत के मूल शब्द नहीं हैं बल्कि संस्कृत के किसी मूल शब्द से व्युत्पन्न (निकले हुए) हैं

तद्भव शब्द कैसे बनाते हैं?

तद्भव शब्द: तद्भव शब्द दो शब्दों तत् + भव से मिलकर बना है। जिसका अर्थ है – उससे उत्पन्न। अत: कहा जा सकता है कि संस्कृत भाषा के वे शब्द जो कुछ परिवर्तन के साथ हिंदी शब्दावली में आ गए हैं, उसे तद्भव शब्द कहा जाता है। जैसे:- अकाज, कचौड़ी, काजल, चाम, चमड़ा, चितेरा, कौड़ी, गहरा आदि।