भक्तिन ने घर में अलगौझा अर्थात अपने पति के साथ अलग क्यों रहने लगी? - bhaktin ne ghar mein alagaujha arthaat apane pati ke saath alag kyon rahane lagee?

भक्तिन

लेखिका- महादेवी वर्मा

पाठ का सारांश- भक्तिन जिसका वास्तविक नाम लक्ष्मी था,लेखिका ‘महादेवी वर्मा’ की सेविका है | बचपन में ही भक्तिन की माँ की मृत्यु हो गयी| सौतेली माँ ने पाँच वर्ष की आयु में विवाह तथा नौ वर्ष की आयु में गौना कर भक्तिन को ससुराल भेज दिया| ससुराल में भक्तिन ने तीन बेटियों को जन्म दिया, जिस कारण उसे सास और जिठानियों की उपेक्षा सहनी पड़ती थी| सास और जिठानियाँ आराम फरमाती थी और भक्तिन तथा उसकी नन्हीं बेटियों को घर और खेतों का सारा काम करना पडता था| भक्तिन का पति उसे बहुत चाहता था| अपने पति के स्नेह के बल पर भक्तिन ने ससुराल वालों से अलगौझा कर अपना अलग घर बसा लिया और सुख से रहने लगी, पर भक्तिन का दुर्भाग्य, अल्पायु में ही उसके पति की मृत्यु हो गई | ससुराल वाले भक्तिन की दूसरी शादी कर उसे घर से निकालकर उसकी संपत्ति हड़पने की साजिश करने लगे| ऐसी परिस्थिति में भक्तिन ने अपने केश मुंडा लिए और संन्यासिन बन गई | भक्तिन स्वाभिमानी, संघर्षशील, कर्मठ और दृढ संकल्प वाली स्त्री है जो पितृसत्तात्मक मान्यताओं और छ्ल-कपट से भरे समाज में अपने और अपनी बेटियों के हक की लड़ाई लड़ती है।घर गृहस्थी सँभालने के लिए अपनी बड़ी बेटी दामाद को बुला लिया पर  दुर्भाग्य ने यहाँ भी भक्तिन का पीछा नहीं छोड़ा, अचानक उसके दामाद की भी मृत्यु हो गयी| भक्तिन के जेठ-जिठौत ने साजिश रचकर भक्तिन की विधवा बेटी का विवाह जबरदस्ती अपने तीतरबाज साले से कर दिया| पंचायत द्वारा कराया गया यह संबंध दुखदायी रहा | दोनों माँ-बेटी का मन घर-गृहस्थी से उचट गया, निर्धनता आ गयी, लगान न चुका पाने के कारण जमींदार ने भक्तिन को दिन भर धूप में खड़ा रखा| अपमानित भक्तिन पैसा कमाने के लिए गाँव छोड़कर शहर आ जाती है और महादेवी की सेविका बन जाती है| भक्तिन के मन में महादेवी के प्रति बहुत आदर, समर्पण और अभिभावक के समान अधिकार भाव है| वह छाया के समान महादेवी के साथ रहती है| वह रात-रात भर जागकर चित्रकारी या लेखन जैसे कार्य में व्यस्त अपनी मालकिन की सेवा का अवसर ढूँढ लेती है| महादेवी, भक्तिन को नहीं बदल पायी पर भक्तिन ने महादेवी को बदल दिया| भक्तिन के हाथ का मोटा-देहाती खाना खाते-खाते महादेवी का स्वाद बदल गया, भक्तिन ने महादेवी को देहात के किस्से-कहानियाँ, किंवदंतियाँ कंठस्थ करा दी| स्वभाव से महाकंजूस होने पर भी भक्तिन, पाई-पाई कर जोडी हुई १०५ रुपयों की राशि को सहर्ष महादेवी को समर्पित कर देती है| जेल के नाम से थर-थर काँपने वाली भक्तिन अपनी मालकिन के साथ जेल जाने के लिए बड़े लाट साहब तक से लड़ने को भी तैयार हो जाती है| भक्तिन, महादेवी के जीवन पर छा जाने वाली एक ऐसी सेविका है जिसे लेखिका नहीं खोना चाहती।

पाठ आधारित प्रश्नोत्तर

नोट- उत्तर में निहित रेखांकित वाक्य, मुख्य संकेत बिंदु हैं |

प्रश्न 1-भक्तिन का वास्तविक नाम क्या था, वह अपने नाम को क्यों छुपाना चाहती थी?

उत्तर-भक्तिन का वास्तविक नाम लक्ष्मी था, हिन्दुओं के अनुसारलक्ष्मी धन की देवीहै। चूँकि भक्तिन गरीब थी| उसके वास्तविक नाम के अर्थ और उसके जीवन के यथार्थ में विरोधाभास है, निर्धन भक्तिन सबको अपना असली नाम लक्ष्मी बताकर उपहास का पात्र नहीं बनना चाहती थी इसलिए वह अपना असली नाम छुपाती थी।

प्रश्न 2- लेखिका ने लक्ष्मी का नाम भक्तिन क्यों रखा?

उत्तर-

घुटा हुआ सिर, गले में कंठी माला

और भक्तों की तरह सादगीपूर्ण वेशभूषा देखकर महादेवी वर्मा ने लक्ष्मी का नाम भक्तिन रख दिया | यह नाम उसके व्यक्तित्व से पूर्णत: मेल खाता था |

प्रश्न 3-भक्तिन के जीवन को कितने  परिच्छेदों में विभाजित किया गया है?

उत्तर-  भक्तिन के जीवन को चार भागों में बाँटा गया है-

  • पहला परिच्छेद-भक्तिन का बचपन, माँ की मृत्यु, विमाता के द्वारा भक्तिन का बाल-विवाह करा देना  ।
  • द्वितीय परिच्छेद-भक्तिन का वैवाहिक जीवन, सास तथा जिठानियों का अन्यायपूर्ण व्यवहार, परिवार से अलगौझा कर लेना ।
  • तृतीय परिच्छेद- पति की मृत्यु, विधवा के रूप में संघर्षशील जीवन।
  • चतुर्थ परिच्छेद- महादेवी वर्मा की सेविका के रूप में ।

प्रश्न 4- भक्तिन पाठ के आधार पर भारतीय ग्रामीण समाज में लड़के-लड़कियों में किये जाने वाले भेदभाव का उल्लेख कीजिए |

भारतीय ग्रामीण समाज में लड़के-लड़कियों में भेदभाव किया जाता है| लड़कियों को खोटा सिक्का या पराया धन माना जाता है| भक्तिन ने तीन बेटियों को जन्म दिया, जिस कारण उसे सास और जिठानियों की उपेक्षा सहनी पड़ती थी| सास और जिठानियाँ आराम फरमाती थी क्योंकि उन्होंने लड़के पैदा किए थे और भक्तिन तथा उसकी नन्हीं बेटियों को घर और खेतों का सारा काम करना पडता था|  भक्तिन और उसकी बेटियों को रूखा-सूखा मोटा अनाज खाने को मिलता था जबकि उसकी जिठानियाँ और उनके काले-कलूटे बेटे दूध-मलाई राब-चावल की दावत उड़ाते थे

प्रश्न 5-भक्तिन पाठ के आधार पर पंचायत के न्याय पर टिप्पणी कीजिए |

भक्तिन की बेटी के सन्दर्भ में पंचायत द्वारा किया गया न्याय,  तर्कहीन और अंधे कानून पर आधारितहै | भक्तिन के जिठौत ने संपत्ति के लालच में षडयंत्र कर भोली बच्ची को धोखे से जाल में फंसाया| पंचायत ने निर्दोष लड़की की कोई बात नहीं सुनी और एक तरफ़ा फैसला देकर उसका विवाह जबरदस्ती जिठौत के निकम्मे तीतरबाज साले से कर दिया | पंचायत के अंधे कानून से दुष्टों को लाभ हुआ और निर्दोष को दंड मिला |

प्रश्न 6-भक्तिन की पाक-कला  के बारे में टिप्पणी कीजिए |

भक्तिन को ठेठ देहाती, सादा भोजन पसंद था | रसोई में वह पाक छूत को बहुत महत्त्व देती थी | सुबह-सवेरे  नहा-धोकर चौके की सफाई करके वह द्वार पर कोयले की मोटी रेखा खींच देती थी| किसी को रसोईघर में प्रवेश करने नहीं देती थी| उसे अपने बनाए भोजन पर बड़ा अभिमान था| वह अपने बनाए भोजन का तिरस्कार नहीं सह सकती थी |

प्रश्न 7- सिद्ध कीजिए कि भक्तिन तर्क-वितर्क करने में माहिर थी |

भक्तिन तर्कपटु थी | केश मुँडाने से मना किए जाने पर वह शास्त्रों का हवाला देते  हुए कहती है ‘तीरथ गए मुँडाए सिद्ध’ | घर में इधर-उधर रखे गए पैसों को वह चुपचाप उठा कर छुपा लेती है, टोके जानेपर वह वह इसे चोरी नही मानती बल्कि वह इसे अपने घर में पड़े पैसों को सँभालकर रखना कहती है|  पढाई-लिखाई से बचने के लिए भी वह अचूक तर्क देती है कि अगर मैं भी पढ़ने लगूँ  तो घर का काम कौन देखेगा?

प्रश्न 8-भक्तिन का दुर्भाग्य भी कम हठी नही था, लेखिका ने ऐसा क्यों कहा है?

उत्तर- भक्तिन का दुर्भाग्य उसका पीछा नहीं छोड़ता  था-

1-  बचपन में ही माँ की  मृत्यु ।

2-  विमाता की उपेक्षा ।

3-  भक्तिन(लक्ष्मी) का बालविवाह ।

4-  पिता का निधन ।

5-  तीन-तीन बेटियों को जन्म देने के कारण सास और जिठानियों के द्वारा भक्तिन की उपेक्षा ।

6-  पति की असमय मृत्यु ।

7-  दामाद का निधन और पंचायत के द्वारा निकम्मे तीतरबाज युवक से भक्तिन की विधवा बेटी का जबरन विवाह ।

8-  लगान न चुका पाने पर जमींदार के द्वारा भक्तिन का अपमान।

प्रश्न 9-भक्तिन ने महादेवी वर्मा के जीवन पर कैसे प्रभावित किया?

उत्तर- भक्तिन के साथ रहकर महादेवी की जीवन-शैली सरल हो गयी, वे अपनी सुविधाओं की चाह को छिपाने लगीं और असुविधाओं को सहने लगीं। भक्तिन ने उन्हें देहाती भोजन खिलाकर उनका स्वाद बदल दिया। भक्तिन मात्र एक सेविका न होकर महादेवी की अभिभावक और आत्मीय बन गयी।भक्तिन, महादेवी के जीवन पर छा जाने वाली एक ऐसी सेविका है जिसे लेखिका नहीं खोना चाहती।

प्रश्न 10- भक्तिन के चरित्र की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।

उत्तर- महादेवी वर्मा की सेविका भक्तिन के व्यक्तित्व की विशेषताएं निम्नांकित हैं-

·           समर्पित सेविका

·           स्वाभिमानी

·           तर्कशीला

·           परिश्रमी

·           संघर्षशील

·            

प्रश्न 11-भक्तिन के दुर्गुणों का उल्लेख करें।

उत्तर-  गुणों के साथ-साथ भक्तिन के व्यक्तित्व में अनेक दुर्गुण भी निहित है-

  1. वह घर में इधर-उधर पड़े रुपये-पैसे को भंडार घर की मटकी में छुपा देती है और अपने इस कार्य को चोरी नहीं मानती।
  2. महादेवी के क्रोध से बचने के लिए भक्तिन बात को इधर-उधर करके बताने को झूठ नही मानती। अपनी बात को सही सिद्ध करने के लिए वह तर्क-वितर्क भी करती है।
  3. वह दूसरों को अपनी इच्छानुसार बदल देना चाहती है पर स्वयं बिलकुल नही बदलती।

प्रश्न 12 निम्नांकित भाषा-प्रयोगों का अर्थ स्पष्ट कीजिए-

  • पहली कन्या के दो और संस्करण कर डाले- भक्तिन ने अपनी पहली कन्या के बाद उसके जैसी दो और कन्याएँ पैदा कर दी अर्थात भक्तिन के एक के बाद एक तीन बेटियाँ पैदा हो गयीं |
  • खोटे सिक्कों की टकसाल जैसी पत्नी- आज भी अशिक्षित ग्रामीण समाज में बेटियों को खोटा सिक्का कहा जाता है। भक्तिन ने एक के बाद एक तीन बेटियाँ पैदा कर दी इसलिए उसे खोटे सिक्के को ढालने वाली मशीन कहा गया।

प्रश्न 13-भक्तिन पाठ में लेखिका ने समाज की किन समस्याओं का उल्लेख किया है?

उत्तर- भक्तिन पाठ के माध्यम से लेखिका ने भारतीय ग्रामीण समाज की अनेक समस्याओं का उल्लेख किया है-

1.  लड़के-लड़कियों में किया जाने वाला भेदभाव

2.  विधवाओं की समस्या

3.  न्याय के नाम पर पंचायतों के द्वारा स्त्रियों के मानवाधिकार को कुचलना

4.  अशिक्षा और अंधविश्वास

गद्यांश-आधारित अर्थग्रहण संबंधित प्रश्नोत्तर

परिवार और परिस्थितियों के कारण स्वभाव में जो विषमताएँ उत्पन्न हो गई हैं, उनके भीतर से एक स्नेह और सहानुभूति की आभा फूटती रहती है, इसी से उसके संपर्क में आनेवाले व्यक्ति उसमें जीवन की सहज मार्मिकता ही पाते हैं। छात्रावास की बालिकाओं में से कोई अपनी चाय बनवाने के लिए देहली पर बैठी रहती हैं, कोई बाहर खडी मेरे लिए नाश्ते को चखकर उसके स्वाद की विवेचना करती रहती है। मेरे बाहर निकलते ही सब चिड़ियों के समान उड़ जाती हैं और भीतर आते ही यथास्थान विराजमान हो जाती है। इन्हें आने में रूकावट न हो, संभवतः इसी से भक्तिन अपना दोनों जून का भोजन सवेरे ही बनाकर ऊपर के आले में रख देती है और खाते समय चौके का एक कोना धोकर पाक–छूत के सनातन नियम से समझौता कर लेती है।

      मेरे परिचितों और साहित्यिक बंधुओं से भी भक्तिन विशेष परिचित है, पर उनके प्रति भक्तिन के सम्मान की मात्रा, मेरे प्रति उनके सम्मान की मात्रा पर निर्भर है और सद्भाव उनके प्रति मेरे सद्भाव से निश्चित होता है। इस संबंध में भक्तिन की सहज बुद्धि विस्मित कर देने वाली है।

(क) भक्तिन का स्वभाव परिवार में रहकर कैसा हो गया है ?

उत्तर-विषम परिस्थितिजन्य उसके उग्र, हठी और दुराग्रही स्वभाव के बावजूद भक्तिन के भीतर स्नेह और सहानुभूति की आभा फूटती रहती है। उसके संपर्क में आने वाले व्यक्ति उसमें जीवन की सहज मार्मिकता ही पाते हैं।

(ख) भक्तिन के पास छात्रावास की छात्राएँ क्यों आती हैं ?

उत्तर- भक्तिन के पास कोई छात्रा अपनी चाय बनवाने आती है और देहली पर बैठी रहती है, कोई महादेवी जी के लिए बने नाश्ते को चखकर उसके स्वाद की विवेचना करती रहती है। महादेवी को देखते ही सब छात्राएँ भाग जाती हैं, उनके जाते ही फिर वापस आ जातीं हैं  भक्तिन का सहज-स्नेह पाकर चिड़ियों की तरह चहचहाने लगती हैं |

(ग) छात्राओं के आने में रुकावट न डालने के लिए भक्तिन ने क्या उपाय किया ?

उत्तर- छात्राओं के आने में रुकावट न डालने के लिए भक्तिन ने अपने पाक-छूत के नियम से समझौता कर लिया | भक्तिन अपना दोनों वक्त का खाना बनाकर सुबह ही आले में रख देती और खाते समय चौके का एक कोना धोकर वहाँ बैठकर खा लिया करती थी ताकि छात्राएँ बिना रोक-टोक के उसके पास आ सकें।

(घ) साहित्यकारों के प्रति भक्तिन के सम्मान का क्या मापदंड है ?

उत्तर-भक्तिन महादेवी के साहित्यिक मित्र के प्रति सद्भाव रखती थी जिसके प्रति महादेवी स्वयं सद्भाव रखती थी | वह सभी से परिचित हैपर उनके प्रति सम्मान की मात्रा महादेवी जी के सम्मान की  मात्रा पर निर्भर करती है। वह एक अद्भुत ढंग से जान लेती थी कि कौन कितना सम्मान करता है । उसी अनुपात में उसका प्राप्य उसे देती थी।

भक्तिन अपने घर वालों से अलग क्यों हो गई?

स्वाभिमानिनी- भक्तिन बेहद स्वाभिमानिनी है। पिता की मृत्यु पर विमाता के कठोर व्यवहार से उसने मायके जाना छोड़ दिया। पति की मृत्यु के बाद उसने किसी का पल्ला नहीं थामा तथा स्वयं मेहनत करके घर चलाया। जमींदार द्वारा अपमानित किए जाने पर वह गाँव छोड़कर शहर आ गई

भक्तिन का झगड़ा अक्सर अपने ससुराल वालों से क्यों होता रहता था?

शादी तो मुझे करना ही नहीं थी।

भक्तिन आज अपने पति को बुढऊ कहकर क्यों स्मरण करती है?

धूम-धाम से बड़ी लड़की का विवाह करने के उपरान्त, पति ने घरौंदे से खेलती हुई दो कन्याओं और कच्ची गृहस्थी का भार उन्तीस वर्ष की पत्नी पर छोड़कर संसार से विदा ली. जब वह मरा, तब उसकी अवस्था छत्तीस वर्ष से कुछ ही अधिक रही होगी; पर पत्नी उसे आज बुढ़ऊ कहकर स्मरण करती है.

भक्तिन का पति उसे क्यों चाहता था?

भक्तिन का पति उससे बहुत प्रेम करता था। वह उसके गुणों के कारण उसे प्रेम करता था। वह उसे कभी मारता-पीटता नहीं थाभक्तिन की बात स्वीकार कर वह संयुक्त परिवार से अलग भी हो गया था