भारत अनेकता में एकता का प्रतीक है कैसे? - bhaarat anekata mein ekata ka prateek hai kaise?

जियाजी सदावर्त समिति के सत्संग हॉल के भूमिपूजन कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि समिति द्वारा धार्मिक कार्य के लिए आगे आना एक महत्वपूर्ण कदम है। समाज के हित के लिए कार्य करना हमारे उद्देश्यों में शामिल होना चाहिए। उन्होंने कहा इस कार्य के लिए कई लोगों ने मिलकर प्रयास किया है। समिति द्वारा समय-समय पर धार्मिक आयोजन किए जाते हैं। अब इसके लिए हॉल का निर्माण किया जाएगा। कार्यक्रम में नगर के व्यापारीगण मौजूद थे। व्यापारी मंडल समिति के अध्यक्ष गोकुल बंसल एवं गोविंद दास अग्रवाल ने मंत्री माया सिंह को स्मृति चिन्ह भेंट किया।

सत्संग हॉल का भूमिपूजन करती मंत्री माया सिंह।

Speech on Unity in Diversity in Hindi: भारत राष्ट्रीय और सांस्कृतिक विविधता का एक प्रतीक माना जाता है। भारत एक पारंपरिक देश है, जहां पर एकता राष्ट्रीयता व अखंडता तथा विशेष प्रकार की भिन्नता व अभिन्नता भी पाई जाती हैं। भारत संपूर्ण संसार का एक शहर है, जहां पर सभी प्रकार के जातियां प्रजातियां इंसान पाए जाते हैं, जो राष्ट्रीयता में एकता और विविधता का प्रतीक दर्शाती हैं।

ऐसे ही कुछ शब्दों को सहयोग करके आज इस पोस्ट के माध्यम से आपके स्कूल व कालेज या किसी भी सामाजिक व धार्मिक स्थलों पर देश के प्रति वर्ग राष्ट्र के प्रति बोले जाने वाले अनेकता में एकता पर भाषण को आपके समक्ष प्रस्तुत करने जा रहे हैं। कृपया पोस्ट में अंत तक बने रहे।

भारत अनेकता में एकता का प्रतीक है कैसे? - bhaarat anekata mein ekata ka prateek hai kaise?
Speech on Unity in Diversity in Hindi

अनेकता में एकता पर भाषण | Speech on Unity in Diversity in Hindi

विषय सूची

  • अनेकता में एकता पर भाषण
  • अनेकता में एकता पर भाषण
  • अनेकता में एकता पर भाषण (Speech on Unity in Diversity in Hindi)
  • निष्कर्ष

अनेकता में एकता पर भाषण

आदरणीय प्रधानाचार्य जी तथा इस विद्यालय के समक्ष अध्यापक गणों को मेरा नमस्कार।

मैं अभिषेक कुमार आज अपने विचार को आपके समक्ष प्रस्तुत करने जा रहा हूं तथा यह अवश्य मेरे लिए बहुत ही महत्वपूर्ण अवसर है, जो मेरे जीवन तथा मेरे अध्ययन को आपके समक्ष प्रस्तुत करने का अवसर, मुझे मिला है। मैं धन्यवाद कहना चाहूंगा इस विद्यालय का तथा विद्यालय के प्रधानाचार्य जी का जो यह अवसर मुझे दिया गया और इस काबिल मुझे समझा गया।

राष्ट्रीय एकता यह एक ऐसा प्रतीक माना जाता है। यू कहे कि भारत देश इस शब्द के लिए एक सटीक उदाहरण के रूप में जाना जाता है, जहां पर अनेकों जाति धर्म जैसे हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, पारसी, यहूदी इतिहास धर्म एक साथ निवास करते हैं तथा विभिन्न प्रकार की भाषाएं बोली जाने वाले व्यक्तियों का जो निवास है।

वह भारत देश में देखने को मिलता है। एक साथ एक देश में एक ही खानपान एक ही रहन सहन एक ही कपड़ा पहनकर हमारा भारत एकता का प्रतीक दर्शाता है तथा हमें यह महसूस करना चाहिए कि एक समृद्ध भारत है, जिसमें अखंडता की बात ना करके एकता व राष्ट्रीयता की बात की जाती है।

भारत एक विशाल देश तथा भारत में विभिन्न प्रकार के समुदाय जातियां निवास करती हैं। यह डर हमेशा बना रहता है कि भारत में विभिन्न प्रकार की जातियों के निवास होने के कारण भारत अखंडता की बढ़ता रहा है। किसी कारण से इतिहास में भारत अंग्रेजों तथा मुगलों का गुलाम रहा है।

सबसे बड़ा कारण इसका यह देखा गया है कि भारत जातियों और धर्मों में बैठे होने के कारण का गुलाम बन गया था। लेकिन आज यह हमारी जिम्मेदारी है कि हमें अपने भारत को अखंड रखना है। इस प्रकार के अशांत विवादों को हमें सुलझा कर तथा उन पर एक दृढ़ निश्चय लेकर देश को आगे बढ़ाना है तभी यह भारत अखंड और एकता का प्रतीक बना रहेगा।

राष्ट्रीय एकता का विचार या एक बहुत बड़ा मुद्दा है। यदि इस विचार को हर एक व्यक्ति स्वीकार करें तथा अपने मस्तिष्क के द्वारा विशेष निर्णय लें तो जाति और धर्म पर हो रहे विवादों में लाखों लोगों की जो जाने जा रहे हैं। इसको राष्ट्रीय एकता के विचार को समझकर रोका जा सकता है।

कहीं न कहीं देखा गया है कि राष्ट्रीय एकता के विचारों को कुछ लोगों द्वारा अपनाने पर एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति के धर्म को अच्छा बताता है तथा दूसरा व्यक्ति पहले व्यक्ति के धर्म को अच्छा बताता है, जिससे समाज में धार्मिक संबंध अच्छे होते जा रहे हैं। परंतु कहीं न कहीं इसकी यह बात भी असत्य होती जा रही है। राजनीतिक पार्टियों के दृश्य से देखें तो यह एक मुद्दा है, जो राजनीतिक पार्टियों के लिए आवश्यक हो जाता है।

मैं अपने अंतिम शब्दों की ओर चलता हुआ बस इतना ही कहना चाहूंगा कि राष्ट्रीय एकता एक राष्ट्र भक्ति है। हर व्यक्ति के अंदर यदि राष्ट्र के प्रति प्रेम है तो वह राष्ट्र उन व्यक्तियों के बीच एक एकता की डोर से सबको बांध देता है। जैसे एक समूह व संघ का निर्माण होता है।

यही एक एकता का प्रतीक दर्शाता है मैं अपनी अंतिम शब्दो में बस इतना ही कहना चाहूंगा कि राष्ट्रीय एकता है तो राष्ट्र है।

जय हिंद जय भारत

धन्यवाद।

अनेकता में एकता पर भाषण

आए हुए सभी सम्मानित अतिथि तथा इस विद्यालय के प्रधानाध्यापक तथा समस्त शिक्षक गण और विद्यालय में अध्यनरत विद्यार्थियों को मेरा नमस्कार।

आज मैं एक ऐसे विषय पर चर्चा करना चाहता हूं, जो विषय हर व्यक्ति कुछ जानना चाहिए उस पर विचार करना चाहिए तथा इस विषय को और भी अध्ययन करके इस समाज को सुधार या एक सही पद पर ले जाना चाहिए। आज का भारत जिस स्थिति में है, वह भविष्य में एक बहुत भयंकर भारत देखने को मिल सकता है।

यदि आज का व्यक्ति इन बातों को ना समझा तो भविष्य में इसका परिणाम देखने को मिल सकता है। हां दोस्तों मैं आज राष्ट्रीय एकता राष्ट्र का प्रेम राष्ट्रभक्ति के बारे में बात करने जा रहा हूं।

राष्ट्रीय एकता का अर्थ ही है एक समूह में रहने वाले व्यक्तियों का संगठन अर्थात राष्ट्रीय एकता भारत में विभिन्न प्रकार की जातियों धर्म तथा विभिन्न समुदाय के लोग रहते हैं, जो एक राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है। यहां पर विभिन्न भाषाएं बोली जाती है लेकिन यह भी एक राष्ट्रीयता का प्रतीक है।

अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नृत्य होते हैं, अलग-अलग त्योहार मनाए जाते हैं लेकिन किसी भी प्रकार की कोई अड़चन नहीं आती। यह भी राष्ट्रीयता का प्रतीक है। राष्ट्र का निर्माण एक ऐसे समुदाय में रहने वाले व्यक्तियों द्वारा किया जाए, जो समाज को तथा अपने आप को उस क्षेत्र में भेजना चाहते हैं, जिस क्षेत्र में यह जिस रास्ते पर पहुंचकर व्यक्ति को सफलता के मार्ग दिख जाता है।

राष्ट्रीयता एक आम पहचान के लिए पूरे देश पूरे तथा पूरे राज्य में व्यक्तियों का एकीकरण, राष्ट्रीय एकता ने भारत के लोगों को समानता के धागे में बांधा है, जो भारत की शक्ति को अग्रसर करके एक नई शक्ति प्रदान की है। आज हम पूरे भारत को विश्व का चौथा ही सख्त के रूप में जानते हैं, जो वास्तव में एक बहुत बड़ी शक्ति के रूप में प्रसिद्ध हो चुकी है।

स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए हमारे देश के अनेकों वीर जवान तथा अनेक आम लोगों ने एकत्र होकर इस देश को बेड़ियों से आजाद करवाया है। यह एकता का तथा राष्ट्रीय एकता का एक बहुत बड़ा उदाहरण माना जाता है।

किसी भी देश को राष्ट्रीय एकता के मार्ग में आने वाली बाधाओं को रोकना चाहिए। क्योंकि यह बाधाएं ही राष्ट्र में एकता को बाधित करती हैं चाहे वह जाति और धर्म पर हो रहे विवाद हो या किसी भी राजनैतिक मुद्दे पर हो रहे हैं। विवाद हो आज हमने कई सारे धार्मिक तथा राजनीतिक हो रहे विवादों को दिखाएं, जिसमें लाखों हजारों लोगों की जानें गई हैं। यह राजनीतिक तथा धार्मिक विवाद देश को अखंडता की ओर ले जाते हैं। यह एक विशेष मुद्दा बन जाता है जब देश के व्यक्तियों का हनन होता है।

मैं अपने अंतिम शब्दों में बस इतना कहना चाहूंगा कि कि राष्ट्रीय एकता ही सबसे बड़ी एकता है। सामाजिक व धार्मिक दृष्टि से देखा जाए तो राष्ट्र के प्रति जो प्रेम होता है, वही राष्ट्रीय एकता का सबसे बड़ा प्रतीक राष्ट्रीय एकता हर व्यक्ति के हर भारतीय के हृदय में होना चाहिए।

राष्ट्र के प्रति प्रेम के राष्ट्र को एकत्रित करके एक संघ बनाता है, जो भारत को अखंड रखता है। मैं अपने अंतिम शब्दों की ओर बढ़ते हुए बस इतना ही कहना चाहूंगा कि राष्ट्र से प्रेम करिए राष्ट्रीय एकता  को मजबूत बनाना है।

धन्यवाद।

अनेकता में एकता पर भाषण (Speech on Unity in Diversity in Hindi)

आए हुए मुख्य अतिथि विधायक जी तथा विद्यालय के समस्त अध्यापक गण और विद्यालय के प्रधानाचार्य तथा विद्यालय के समस्त विद्यार्थियों को मेरा शुभ प्रभात।

राष्ट्रीय एकता के विषय में अगर हम बात करें तो राष्ट्रीय एकता अनेक जाति धर्म तथा विभिन्न समुदाय में रहने वाले व्यक्तियों के ही संघ को राष्ट्रीय एकता कहा जाता है। वह कोई भी देश हो परंतु इसका सबसे बड़ा उदाहरण भारत माना जाता है। क्योंकि भारत में विभिन्न प्रकार की जाति धर्म तथा अनेकों भाषा में बोले जाने वाली प्रजातियां निवास करती है।

आज हम राष्ट्रीय एकता के विषय में बात करेंगे। क्योंकि राष्ट्रीय एकता एक ऐसा विषय है, जो हर व्यक्ति को समझना चाहिए तथा अपने राष्ट्र के निर्माण के लिए अपना योगदान देना चाहिए।

अगर हम राष्ट्रीय एकता को एक आम आदमी की दृष्टि से देखे तो यह एक व्यक्तियों का समूह अर्थात एकीकरण है, जो विभिन्न जाति धर्म के हो सकते हैं। परंतु जो राष्ट्र के प्रति प्रेम रखते हैं तथा अपने राष्ट्र निर्माण के लिए योगदान देते हैं। यही एकता है और इसी को हम राष्ट्रीय एकता कहते हैं।

इस प्रकार राष्ट्रीय एकता एक सांस्कृतिक तथा परंपराओं का मेल है, जो राष्ट्र के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। राष्ट्रीय एकीकरण तथा एकता को इस प्रकार समझ सकते हैं कि जो विभिन्न जातियों तथा धर्मों के व्यक्तियों को तथा अन्य मार्ग पर चलने वाले अन्य अनुयायियों को एक सीध में लाती है तथा एक साथ एक संगठन में एक दिशा की ओर प्रवाहित करती है।

इसे ही राष्ट्रीय एकता व अखंडता के रूप में जाना जाता है। एकता भी वह एक ही शब्द है अर्थात विविधता में एकता का परिचय किया जाता है या एकता से विविधता की पहचान होती है।

किसी भी देश या राज्य को अपने एकता व राज्य के निर्माण में आने वाली प्रतिभाओं को दूर करके राष्ट्र के निर्माण में मुख्य भूमिका निभानी चाहिए तथा भारत में हो रहे विवादों को जो जाति धर्म पर हुए हैं इनको आंखों देखी हाल सुनाने तथा इन पर लिखी गई किताबों को पढ़ने में आपको जो एहसास होगा तथा जो देश के प्रति दर्द होगा वह राष्ट्रप्रेम कहलाता है।

राष्ट्रप्रेम की राष्ट्रभक्ति है और राष्ट्रभक्ति राष्ट्र की एकता का निर्माण करती है। अगर हम देश के प्रति अपना आत्म सम्मान कम न करें और देश के निर्माण में अपना योगदान दें और देश कुछ सामाजिक तथा आर्थिक रूप से कमजोर न करके उसके राष्ट्र के निर्माण के लिए अपना सब कुछ दांव लगाएं तो यकीन मानिए यह एक अनोखा भारत बन सकता है।

मैं अपने अंतिम शब्दों की ओर जाते हुए बस इतना ही कहना चाहूंगा कि राष्ट्र की एकता हर व्यक्ति के मन में उमर सकती है सिर्फ एक छोटी सी चिंगारी उस व्यक्ति की भावनाओं को तथा उस व्यक्ति की यादों को परख करके आग लगाने का कार्य करें राष्ट्रप्रेम सबसे बड़ा प्रेम माना जाता है इसलिए राष्ट्र का निर्माण सबसे बड़ा निर्माण है।

जय हिंद जय भारत।

निष्कर्ष

इस पोस्ट के माध्यम से हमने राष्ट्र की एकता के बारे में कुछ भाषण आपके सामने प्रस्तुत किए हैं। उम्मीद करते हैं आपको यह पसंद आये होंगे। इसे आगे शेयर जरूर करें।

यह भी पढ़े

राष्ट्रीय एकता पर भाषण

मुख्य अतिथि के लिए स्वागत भाषण

फ्रेशर्स पार्टी के लिए स्वागत भाषण

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Rahul Singh Tanwar

इनका नाम राहुल सिंह तंवर है। इनकी रूचि नई चीजों के बारे में लिखना और उन्हें आप तक पहुँचाने में अधिक है। इनको 4 वर्ष से अधिक SEO का अनुभव है और 6 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे है। इनके द्वारा लिखा गया कंटेंट आपको कैसा लगा, कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं। आप इनसे नीचे दिए सोशल मीडिया हैंडल पर जरूर जुड़े।

भारत में अनेकता में एकता का प्रतीक है कैसे?

भारत को सभी धर्मों एवं सम्प्रदायों की कर्मस्थली माना गया हैं, इसे विविधता ने एकता अथवा अनेकता में एकता की अवधारणा के प्रतीक के रूप में देखा जाता हैं. क्योंकि यहाँ रहने वाले लोगों का धर्म, भाषाएँ, वेशभूषा, खान-पान आदि अलग अलग होने के बावजूद राष्ट्रीयता का एक ही भाव सभी के दिलों में होता हैं.

21 भारत में अनेकता में एकता का प्रतीक हिन्दी है कैसे ?`?

Answer: अनेकता में एकता ही भारत की पहचान: भारत में “अनेकता में एकता” इसकी मूल पहचान है और यह भारतीय संस्कृति और परंपरा को सबसे अलग एवं समृद्ध बनाने में मद्द करती है। हमारा देश भारत अनेकता में एकता की मिसाल है क्योंकि भारत ही एक ऐसा देश है जो इस अवधारणा को बेहतरीन तरीके से साबित करता है।

भारत में अनेकता में एकता और एकता में अनेकता यह कथन किसका है?

ए. स्मिथ एक ब्रिटिश इतिहासकार हैं जिन्होंने भारत को विविधता का देश कहा है। उन्होंने कहा, "भारत में अनेकता में एकता और एकता में अनेकता है।"

अनेकता में एकता से क्या अभिप्राय है उदाहरण सहित?

अनेकता में एकता (Unity in Diversity) यह फैलाव और क्षैतिज दोनों प्रकार से होता है। उदाहरण के लिए , शक्त पंथ दोनों प्रकार से फैला है। क्षैतिज फैलाव की प्रक्रिया में परिणामजनक संशोधन का प्रसार, आत्मसातीकरण और एकीकरण जैसी क्रियाओं की भूमिका होती है। परिणामस्वरूप, धार्मिक पर्व के क्षेत्रीय स्वरूपों का विकास होता है।