भारत का आधुनिक इतिहास क्या है? - bhaarat ka aadhunik itihaas kya hai?

भारत का आधुनिक इतिहास: अंग्रेजों का 1600 के दशक में व्यापारियों के रूप में आगमन, उपनिवेशवाद के चरम को चिह्नित करता था। मुगल नियंत्रण के बाद भारत में मौजूद विघटन का फायदा उठाते हुए, अंग्रेजों ने लगभग दो शताब्दियों तक भारत पर हावी होने के लिए ‘फूट डालो और राज करो’ की रणनीति का सक्रिय रूप से फायदा उठाया। हालाँकि अंग्रेज पहले आ चुके थे, लेकिन 1757 ई. में प्लासी की लड़ाई तक उन्होंने राजनीतिक नियंत्रण रखना शुरू नहीं किया था। लगभग दो शताब्दियों तक, अंग्रेजों ने भारत पर शासन किया, जिससे देश के सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक परिदृश्य में क्रांतिकारी परिवर्तन हुए।

भारत में अंग्रेजों की शोषणकारी नीतियों ने इसके खिलाफ राष्ट्रवादी आंदोलन का जन्म और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (1885) का गठन देखा। महात्मा गांधी (1869 – 1948) के आगमन के साथ ब्रिटिश विरोधी संघर्ष वास्तव में एक जन आंदोलन बन गया। समय बीतने और भारतीयों की जिद से हमें 1947 में आजादी मिली।

भारत का आधुनिक इतिहास बिपिन चंद्र

भारत का आधुनिक इतिहास बिपिन चंद्र पुस्तक 18वीं से 20वीं शताब्दी तक के भारतीय इतिहास को समेटे हुए है, हालांकि यह विशेष रूप से मुक्ति आंदोलन का इतिहास नहीं है। यह उस समय भारत में मौजूद सामाजिक आर्थिक पहलुओं और परिस्थितियों का वर्णन करता है, जिसने अंग्रेजों को महाद्वीप पर अपना प्रभुत्व स्थापित करने में सहायता की। पुस्तक अपने दर्शकों के लिए उस समय के दैनिक जीवन के एक दिलचस्प संस्करण को दर्शाती है। यह ब्रिटिश शासन के प्रति औसत व्यक्ति की धारणाओं और प्रतिक्रियाओं पर चर्चा करती है। संक्षेप में, यह भारत में ब्रिटिश प्रभुत्व के पीछे के कारणों और परिणामों को दर्शाती है। यदि आप रचनात्मक और विश्लेषणात्मक प्रतिक्रियाएं प्रदान करना चाहते हैं, जहां आप न केवल तथ्यों और घटनाओं को सूचीबद्ध करते हैं बल्कि उनका विश्लेषण भी करते हैं, तो यह पढ़ने के लिए एक उत्कृष्ट पुस्तक है।

Modern History of India Book in hindi

प्रतियोगी परीक्षाओं में इतिहास एक महत्वपूर्ण विषय है। परीक्षा की तैयारी के लिए उम्मीदवारों के पास भारत के आधुनिक इतिहास की पुस्तकों की एक सूची होना आवश्यक है।

वैसे तो मुगल साम्राज्य के समापन के साथ  भारत के आधुनिक इतिहास की शुरुआत मानी जाती हैं, लेकिन मुगल काल का पतन अचानक से नहीं हुआ था, ये कई वर्षों तक चलने वाले राजनैतिक गतिविधियों का परिणाम था जिसके परिणामस्वरूप भारत की सत्ता मुगलों से ब्रिटिशर्स के पास गयी.  वास्तव में भारत शुरू से सोने की चिड़िया था, और सारी दुनिया की नजर यहाँ की संपति और वैभव पर थी. जिसका साक्ष्य इस देश पर हुए अनगिनत हमले हैं, और इन हमलों के दौरान ही सत्ता कब मूल भारतीय शासकों के हाथ से निकलकर विदेशियों के हाथ में पहुंची, इसका अंदाजा तब तक नही हुआ, जब तक इतिहास का विश्लेषण ना किया गया.  उस काल में भारत में जमीन के लिए सभी राजा एक-दुसरे से लड़ रहे थे, इसी बात ने विदेशी आक्रान्ताओं को आकर्षित किया, और उन्होंने उपलब्ध संसाधनों का उपभोग करते हुए यहाँ शासन तक अपनी पहुँच बनाई. जैसे यूरोपियन शुरू में भारत से मसालों का व्यापार करना चाहते थे, लेकिन कालांतर में उन्होंने परिस्थितयों को इस तरह से अपने वश में किया कि राजशाही को लगभग समाप्त करके पूरा साम्राज्य अपने अधीन कर लिया.

भारत का आधुनिक इतिहास क्या है? - bhaarat ka aadhunik itihaas kya hai?

ब्रिटिश, भारत में उपलब्ध संसाधनों से आकर्षित होकर ही यहाँ आये थे,जिसकी जानकारी उन्हें अन्य देशों से मिली थी. 17 वी शताब्दी में भारत में कई यूरोपियन कम्पनियों में एक प्रतियोगिता चल रही थी, और 18वीं शताब्दी तक ईस्ट इंडिया कम्पनी ने इस प्रतियोगिता को लगभग जीत लिया था और देश के अधिकाँश हिस्सों में अपना प्रभुत्व कायम कर लिया था, लेकिन सबसे बड़ा परिवर्तन तब आया जब इस कम्पनी ने यहाँ की राजनीतिक गतिविधियों में ना केवल हस्तक्षेप शुरू किया, बल्कि कूटनीति से कई क्षेत्रों में अपना शासन भी जमा लिया, जिसका परिणाम ये हुआ कि भारत में आर्थिक,राजनीतिक और सामजिक स्तर तक ब्रिटिशर्स के कारण कई तरह के बदलाव आ गये.

भारत एवं भारतीय सामाजिक ढांचा इस तरह की विदेशी शक्ति के शासन और उनके कार्य-पद्धति के लिए तैयार नहीं था, लेकिन जब तक कि भारतीयों को ये बात समझ आती तब तक देर हो चुकी थी, क्योंकि ईस्ट इंडिया कंपनी ने पूरी तरह से अपने पैर भारत में जमा लिए थे. ईस्ट इंडिया कम्पनी ने यहाँ के संसाधनों एवं मजदूर वर्ग का शोषण करना शुरू किया, जिसके कारण ब्रिटिशर्स के खिलाफ जन-आक्रोश बहुत ही बढ़ गया और परिणामत: 1857 की क्रांति हुयी, सैन्य विद्रोह से शुरू हुआ ये विद्रोह बहुत स्तर तक विफल रहा लेकिन ये संग्राम तो आम-जन में स्वायत्ता और स्वतंत्रता की महत्वकांक्षा के वो भ्रूण का उद्भव था. उस समय समस्त भारतीयों ने एकता और सामूहिक विद्रोह की परिभाषाएं सीखी, ब्रिटिशर्स की क्रियाविधियों को समझा और अपनी स्वतंत्रता के महत्व को महसूस किया. सच यही था कि उस समय इस जन-जागृति की सबसे ज्यादा जरूरत थी, क्योंकि सदियों के शोषण से भारतीय इस तरह के जीवन अपना भाग्य और प्रारब्ध मानने लगे थे, इसलिए असफल ही सही लेकिन अगली सदी के लिए कई सन्दर्भों में ये क्रान्ति बेहद सार्थक सिद्ध हुयी थी.

इस तरह कई कारणों और समय की जरूरत को समझते हुए ही भारतियों ने अपने लिए 1885 में एक राजनीतिक पार्टी की स्थापना की थी (जिसका नाम इंडियन नेशनल कांग्रेस था), जो ब्रिटिशर्स के साथ मिलकर भारतीयों के हितों के लिए काम करती थी. प्रथम विश्व युद्ध के दौरान और बाद अंग्रेजों ने भारत में साम्राज्यवाद को बेहद बढ़ा दिया था, जिसके कारण भारतीयों में आक्रोश बढने लगा और आखिर में कांग्रेस भी ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध हो गयी. उसी समय भारत को महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरु, लाला लाजपत राय जैसे कई नेता भी मिले तो कुछ ऐसे युवा क्रान्तिकारी भी मिले, जिन्होंने इस स्तंत्रता संग्राम में अपना जीवन आहूत कर दिया. बहुत से आन्दोलन सत्याग्रह एवं घटनाएँ उस समय घटित हुयी जिनके कारण ब्रिटिश सरकार पर ये दबाव पड़ा कि वो देश को छोड़ दे और यहाँ स्वतंत्रता की घोषणा कर दे.

आधुनिक भारत के इतिहास की औपचारिक शुरुआत प्लासी के युद्ध से मानी जा सकती हैं, क्योंकि इस युद्ध ने भारत की सत्ता तक आधिकारिक रूप से पहुँचने के लिए अंग्रेजों को मौका दे दिया था, इसके बाद हुए निम्न घटनाक्रमों से समझा जा सकता हैं कि कितने युद्ध, संघर्ष और समस्याओं से भारत को समप्रभुता, स्वतंत्रता और स्वायत्ता मिली.

वर्षघटना1757प्लासी का युद्ध: इसमें ब्रिटिश ने सिराजुदौल्लाह को हरा दिया था1760वान्दिवाश (Wandiwash): ब्रिटिशर्स ने फ्रांस को हराया.1761पानीपत का तीसरा युद्ध1764 बक्सर का युद्ध जिसमें ब्रिटिश ने मेरे कासिम को हराया1765ब्रिटिश को बंगाल,बिहार,उड़ीसा में दीवानी के अधिकार मिल गये1767 से 1769मैसूर का प्रथम युद्ध1772बंगाल में वारेन हेस्टिंग को गवर्नर जनरल बनाया गया.1773.

 

ब्रिटिश पार्लियामेंट द्वारा रेग्युलेटिंग एक्ट पारित किया गया1775-1782पहला एंग्लो-मराठा युद्ध हुआ था1780 से 1784 तकमैसूर का द्वितीय युद्ध हुआ था,जिसमें ब्रिटिशर्स ने हैदर अली को हरा दिया था.1784पिट इंडिया एक्ट आया था.1790 से 1792 तकटीपू सुल्तान और ब्रिटिशर्स के मध्य मैसूर का युद्ध चला था.1793बंगाल का परमानेंट सेटलमेंट कर दिया गया1799इस वर्ष मैसूर का चौथा युद्ध हुआ जिसमें ब्रिटिशर्स ने टीपू सुलतान को हरा दिया.1802बेसिन (bassein) की संधि1803 से 1805दूसरा एंग्लो मराठा युद्ध हुआ1814 से 1816एंग्लो गुरखा युद्ध1817 -1818पिंडारी युद्ध1824 से 1826बर्मेस का प्रथम युद्ध (burmese)1829सती प्रथा पर रोक1831मैसूर पर ईस्ट इंडिया कम्पनी का कब्जा1833कम्पनी के चार्टर (charter) का नवीनीकरण 1833पूरे ब्रिटिश साम्राज्य में गुलाम-प्रथा की समाप्ति1838शाह शुजा,रंजित सिंह और ब्रिटिशर्स के मध्य त्रिकोणीय संधि (Tripartite treaty)1839 से 1842पहला अफगानी युद्ध1843-ग्वालियर का युद्ध1845 से 1846-पहला एंग्लो-सिख युद्ध1848लार्ड डलहौजी गवर्नर जनरल बने1848 से 1849

 

द्वितीय एंग्लो सिख युद्ध1852 द्वितीय एंग्लो-बर्मीज युद्ध1853रेलवे और टेलीग्राफ लाइन की शुरुआत1857 स्वतंत्रता संग्राम की पहली क्रान्ति-सैन्य विद्रोह और झांसी की रानी का संघर्ष1858ब्रिटिश क्राउन ने भारत की सत्ता ईस्ट इंडिया कम्पनी से ले ली1877इंग्लैंड की महारानी ने ने भारत पर शासन शुरू किया1878वेरनाक्युलर प्रेस एक्ट (Vernacular press act)1881फैक्ट्री एक्ट1885इंडियन नेशनल कांग्रेस की पहली मीटिंग1897बोम्बे में प्लेग का फैलना  और फेमाइन कमीशन का आना1899लार्ड कर्जन का गवर्नर जनरल और वायसराय बनना

 

1905बंगाल का विभाजन

 

1906 मुस्लिम लीग का बनना

 

1911बंगाल के विभाजन में परिवर्तन (मॉडिफिकेशन) और बंगाल में प्रेसिडेंसी बनाना1912ब्रिटिश राजधानी का कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित होना1913भारत की सरकार का शैक्षिक संकल्प1915डिफेन्स ऑफ़ इंडिया एक्ट1916होम रूल लीग,पूना में महिला विश्विद्यालय की स्थापना1919रोलेट एक्ट विरोध,जलियावाला बाग़ हत्याकांड1920खिलाफत आंदोलन की शुरुआत,असहयोग आंदोलन1921मालाबार में मोपला विद्रोह:सेन्सस ऑफ़ इंडिया (Census of india)1922असहयोग आंदोलन,चौरी-चौरा काण्ड1925रिफोर्म इन्क्वायरी कमिटी रिपोर्ट1927इंडियन नेवी एक्ट:साइमन कमीशन बनना 

1928

साइमन कमीशन भारत में आई,सभी पार्टियों ने इसका बहिष्कार किया1929लार्ड इरविन ने भारत को सम्प्रभुता देने का वादा किया1930नमक सत्याग्रह,पहला गोलमेज सम्मेलन1931दूसरा गोलमेज सम्मेलन:इरविन-गांधी समझौता1932तीसरा गोलमेज सम्मेलन,पूना पैक्ट1934असहयोग आंदोलन की समाप्ति1937प्रांतीय स्वायत्ता का उद्घाटन1939भारत में कांग्रेस नेताओं के इस्तीफे से राजनीति में गतिरोध होना1942क्रिप मिशन (Cripp’s mission)1944गांधी-जिन्ना का पाकिस्तान मुद्दे पर बातचीत1946भारतीय नेवी में विद्रोह,कैबिनेट मिशन और अंतरिम सरकार का निर्माण3 जून 1947लार्ड माउंटबेटन का भारत विभाजन की योजना15 अगस्त 1947भारत का विभाजन और स्वतंत्रता

इस तरह आधुनिक भारत के इतिहास में जहां भारत में हुए राजनैतिक और सामजिक परिवर्तन का अध्ययन किया जाता हैं, वहीं ब्रिटिश सरकार द्वारा भारत में किये गये विकास कार्यों को भी नजरंदाज नहीं किया जाता क्योंकि सरकार ने शैक्षिक संस्थाओं और चिकित्सा सुविधाओं के अतिरिक्त कुछ ऐसी परम्पराओं में भी क़ानूनी परिवर्तन किया था जिसके कारण भारत की तस्वीर ही बदल गयी.

आधुनिक भारत का इतिहास क्या है?

आधुनिक भारतीय इतिहास को 1850 के बाद का इतिहास कहा जा सकता है। आधुनिक भारतीय इतिहास के एक बड़े हिस्से पर भारत में ब्रिटिश शासन का कब्जा था। Modern History in Hindi को मुगलों के भारत में आने से पहले से लेकर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जी के शासन काल तक को माना जा सकता है।

आधुनिक इतिहास कब शुरू हुआ?

पूर्व-आधुनिक काल (early modern period) - १६वीं शताब्दी से आरम्भ होता है।

आधुनिक आधुनिक इतिहास क्या है?

Modern History- (आधुनिक इतिहास) प्रारंभिक आधुनिक काल 15वीं से 18वीं शताब्दी तक का काल है। 18वीं शताब्दी के अंत में, औद्योगिक क्रांति ने गति पकड़ी, और यह मानव विकास की ऐसी अवधि का प्रतीक है जिसे पहले कभी नहीं देखा गया था। यह युग आवश्यक जानकारी, तर्क और ज्ञान लेकर आया था। 19वीं शताब्दी में ब्रिटिश साम्राज्य का उदय हुआ।

आधुनिक इतिहास का जनक कौन है?

वोलटेयिर को आधुनिक इतिहास लेखन का जनक कहा जाता है।