भारत का सबसे ताकतवर योद्धा कौन था? - bhaarat ka sabase taakatavar yoddha kaun tha?

2. प्रभु श्रीराम : भगवान श्रीराम ने वसिष्ठ, विश्वामित्र और अगस्त्य से प्रशिक्षण लिया था। उन्हें समस्त दिव्यास्त्रों का ज्ञान और स्वयं भी एक नए दिव्यास्त्र 'रामास्त्र' का निर्माण किया था। उनका मुख्‍य आयुध धनुष और खड्ग है। गीता में श्रीकृष्ण ने इन्हें शस्त्र धारियों में सर्वश्रेष्ठ कहा है।

उन्होंन कई असुरों का वध किया और कई राजाओं से युद्ध लड़ा। कई युद्धों के विजेता रहे श्रीराम का विशेषतः रावण के विरुद्ध युद्ध सबसे महत्वपूर्ण था। हालांकि कहते हैं कि एक बार उनका युद्ध शिव और हनुमान से भी हुआ था। हनुमान के विरुद्ध यह युद्ध टाइ रहा। अंत में पहला शक्तिशाली योद्धा...

महाभारत में एक से एक योद्धा थे। प्रत्येक व्यक्ति की दृष्टि में अलग-अलग योद्धा सर्वश्रेष्ठ हो सकते हैं। किसी के लिए अर्जुन सर्वश्रेष्ठ थे तो किसी के लिए कर्ण, किसी के लिए अश्‍वत्थामा तो किसी के लिए भीम। कोई बर्बरीक को तो कोई घटोत्कच को सर्वश्रेष्ठ योद्धा मानेगा। कोई एकलव्य को तो कोई द्रोण या भीष्म को। लेकिन हम क्या सोचते हैं, यह आपको बताएंगे। इस लेख में भगवान श्रीकृष्ण को तुलना में शामिल नहीं किया जा सकता।

कर्ण को क्यों मानते हैं सर्वश्रेष्ठ योद्धा?

दरअसल, कर्ण ही एक ऐसे सर्वश्रेष्ठ योद्धा थे जिन्होंने विपरीत परिस्थिति के बावजूद खुद को एक श्रेष्ठ योद्धा के रूप में स्थापित किया था। आओ जानते हैं कर्ण के बारे में वे तथ्‍य जिनके कारण उन्हें महान योद्धा माना जा सकता है।

1. अर्जुन का साथ देने के लिए जगत के स्वामी थे लेकिन कर्ण का साथ देने के लिए दुर्योधन ही था। अर्जुन पूर्णत: श्रीकृष्ण पर आश्रित थे जबकि इधर दुर्योधन खुद कर्ण पर आश्रित था।

2. कर्ण को द्रोण ने वह संपूर्ण शिक्षा नहीं दी, जो उन्होंने पांडवों या कौरवों को दी थी। फिर भी कर्ण ने परशुराम से बची हुई शिक्षा छल से हासिल कर ली थी। यदि कर्ण, अर्जुन के बराबर योग्य नहीं होता तो भगवान परशुराम कर्ण को शिक्षा देने के लिए तैयार नहीं होते।

3. कर्ण एक सच्चा मित्र होने के साथ-साथ ही दानवीर भी था। स्वयं भगवान श्रीकृष्ण इस बात की पुष्टि करते हैं कि कर्ण से बड़ा दानी कोई नहीं।

4. श्रीकृष्‍ण की योजना के तहत कर्ण के कवच और कुंडल को छलपूर्वक अर्जुन के पिता इंद्र द्वारा हथिया लेने के बावजूद कर्ण ने युद्ध को एक योद्धा की तरह लड़ा।

5. कर्ण ने जरासंध को अकेले हराया था, वहीं भीम ने श्रीकृष्ण की मदद से जरासंध को छल के द्वारा मारा था।

6. कर्ण के पास भगवान परशुराम द्वारा दिया गया शिव का विजय धनुष था। यह धनुष जिस भी योद्धा के हाथ में होता था, उस योद्धा के चारों तरफ एक ऐसा अभेद्य घेरा बना देता था जिसे भगवान शिव का पाशुपतास्त्र भी भेद नहीं सकता था। कर्ण को महाभारत में तब तक नहीं मारा जा सकता था, जब तक कि उसके हाथ में वह धनुष था।

7. कर्ण ने कुंती को वचन दिया था कि वो उनके 4 पुत्रों की जान नहीं लेगा लेकिन वह सिर्फ अर्जुन से ही युद्ध करेगा। युद्ध के दौरान ऐसे कई मौके आए भी, जब कर्ण का सामना भीम, युधिष्ठिर, नकुल और सहदेव के साथ हुआ। वो चाहता तो उन सभी को मार सकता था किंतु उसने ऐसा नहीं किया, क्योंकि एक योद्धा का वचन ही उसके लिए सर्वश्रेष्ठ होता है।

8. जिस द्रुपद को 105 भाई मिलकर जीत पाए, उसे कर्ण ने दिग्विजय के दौरान अकेले ही हराया था। प्राग्ज्योतिष का राजा भगदत्त जिसे राजसूय यज्ञ के दौरान अर्जुन नहीं हरा पाए थे, उसे भी कर्ण ने हराया था।

9. अश्वसेन बाण का संधान दोबारा न करना, यह भी श्रेष्ठता का प्रमाण है। अश्‍वसेन एक नाग था, जो कर्ण के धनुष पर चढ़ गया था और उसने कहा था कि तुम मेरा संधान करो, तो मैं वहां पहुंचकर अर्जुन को डंसकर अपना बदला पूरा करूंगा, क्योंकि अर्जुन ने खांडव वन दाह के समय मेरी माता को मारा था। लेकिन कर्ण ने अश्‍वसेन को इंकार कर दिया था।

10. जब श्रीकृष्‍ण ने कर्ण को यह बताया कि तुम पांडवों के सबसे बड़े भाई हों, तो कर्ण ने कहा कि हे कृष्‍ण! मेरी मृत्यु तक पांडवों को यह मत बताना कि मैं उनका बड़ा भाई हूं। कर्ण की यह बात सिद्ध करती है कि वह पांडवों के प्रति किसी भी षड्यंत्र मैं शामिल नहीं था, फिर भी युद्ध के सामने योद्धाओं की तरह ही लड़ा।

11. महाभारत के एक प्रसंगानुसार जब कर्ण के बाणों के प्रहार से अर्जुन का रथ कुछ इंच पीछे चला जाता है और कृष्ण उसकी प्रशंसा करते हैं तब अर्जुन कहता है कि मेरे बाणों से कर्ण का रथ कई गज पीछे चला गया, तब आपने मेरी प्रसंशा नहीं की? अर्जुन की इस बात पर भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि कर्ण के रथ पर कर्ण और महाराज शल्य बैठे हैं, परंतु तुम्हारे रथ पर मैं यानी भगवान नारायण और महावीर हनुमान बैठे हैं तब भी कर्ण ने तुम्हारा रथ पीछे धकेल दिया। सोचो यदि महावीर हनुमान नहीं होते तो क्या होता?

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श्रेणी

योद्धा

विवरण

श्रेणी१

अर्जुन,श्रीकृष्ण,भीष्म,
बलराम,

कर्ण,द्रोणाचार्य,भगदत्त

ये ऐसे योद्धा थे जिन्होने युद्ध में कभी हार का स्वाद नहीं चखा था। इनके पास दिव्यास्त्रों की कमी नहीं थी और अपनी अपनी युद्ध कला मे पूर्ण रुप से पारंगत और प्रवीण तथा सबसे अच्छे थे। महाभारत के अनुसार ये देवताओं को भी पराजित कर सकते थे जैसा कि अर्जुन और श्रीकृष्ण ने कई बार किया और यहाँ तक कि भगवान शिव को भी युद्ध मे सन्तुष्ट कर दिया। भीष्म ने भी परशुराम को पराजित किया था। और भगदत्त तो इन्द्र का मित्र था, उसने भी अनेकों बार देवासुर संग्राम में देवताओं की सहायता की थी।

श्रेणी२

भीम,,जरासंध,सात्यकि,
कृतवर्मा,भूरिश्र्वा,अश्वत्थामा,
अभिमन्यु,कंस

ये ऐसे योद्धा थे जिन्होने युद्ध मे बहुत ही कम बार हार का स्वाद चखा था। इनके पास भी दिव्यास्त्रों की कमी नहीं थी परन्तु अति विशेष दिव्यास्त्र जैसे पाशुपत अस्त्र आदि की प्रधानता भी नहीं थी। ये सब युद्ध कला में पूर्ण रुप से पारंगत और प्रवीण थे तथा भारतवर्ष के कई जनपदों को युद्ध में परास्त कर चुके थे।

श्रेणी३

दुर्योधन,धृष्टद्युम्न,शल्य,द्रुपद,
अलम्बुष,घटोत्कच,कीचक

ये ऐसे योद्धा थे जिन्होंने अपने युद्ध में हार कम ही बार देखी थी, परन्तु ये ऐसे योद्धा थे जो किसी भी क्षण उत्साह और आवेश मे आकर बड़े से बड़े युद्ध का पासा पलट देने की क्षमता रखते थे। ये योद्धा अपने-अपने युद्ध कौशल में प्रवीण तथा श्रेष्ठ थे।

श्रेणी४

कृपाचार्य,जयद्रथ,सुदक्षिण,बृहद्वल,
श्रुतायुध,नकुल,सहदेव,युधिष्ठिर

ये वीर युद्ध कला मे पूर्ण रुप से पारंगत और प्रवीण थे परन्तु इनके पास बहुत ज्यादा श्रेष्ठ दिव्यास्त्र नही थे। फिर भी ये समान्य वीरो से बहुत बढ़कर थे।

महाभारत काल के क्रमशः महाशक्तिशाली जनपद और उनके प्रतिनिधि

कुरु-भीष्म,मागध-जरासंध,प्राग्ज्योतिषपुर-भगदत्त,
शूरसेन-यादव,पांचाल-द्रुपद,बाह्लिक-भूरिश्र्वा,मद्र-शल्य,
काम्बोज-सुदक्षिण,शाल्वभोज-शाल्व,मत्स्य-विराट,
सौराष्ट्र-भोज,अवन्ति-विन्द एवं अनुविन्द,सिन्ध-जयद्रथ,चेदि-शिशुपाल

महाभारत के अनुसार ये जनपद महाभारत काल में सबसे अधिक विकसित और आर्थिक रुप से सुदृढ माने जाते थे, इन्हे उस समय के विकसित देश समझा जा सकता है तथा इनमे भी कुरु और यादव तो सबसे अधिक शक्तिशाली थे और केवल यही दो जनपद थे जिन्होंने उस समय राजसूय और अश्वमेध यज्ञ किये थे।

भारत का सबसे वीर योद्धा कौन है?

वो 10 प्रसिद्ध महान शासक और योद्धा जिनकी वीरता की गाथाएं भारत के शक्तिशाली इतिहास का सबूत हैं.
सम्राट अशोक ... .
सम्राट बहादुर शाह ज़फ़र ... .
महाराजा रणजीत सिंह ... .
महाराणा प्रताप ... .
राजा पृथ्वीराज चौहान ... .
शाहजहां ... .
कृष्णदेवराय ... .
छत्रपती शिवाजी महाराज बचपन से ही हम छत्रपती शिवाजी महाराज की बहादुरी की कहानी सुनते आये हैं..

दुनिया का सबसे बड़ा योद्धा कौन है?

दुनिया का सबसे ताकतवर योद्धा कौन था? अर्जुन: महाभारत के युद्ध में शक्तिशाली योद्धा के रूप में अर्जुन को भी जाना जाता है। माना जाता है कि अर्जुन के पास कई अस्त्रों का ज्ञान था।

भारत का सबसे खतरनाक योद्धा कौन था?

कौन सा भारतीय योद्धा कभी जंग में हारा नहीं? 1758: लाल किले से लेकर पेशावर तक भगवा लहराने वाले 41 में से 41 युद्ध जीतने वाले महानतम हिन्दू योद्धा "बाजीराव पेशवा" ऐशा योद्धा हैं।