भारत के दक्षिण में कौन सा देश स्थित हैं? - bhaarat ke dakshin mein kaun sa desh sthit hain?

Explanation : भारत के दक्षिण में श्रीलंका और मालदीव देश हैं। हांलाकि भारत से इनकी सीमाऐं नहीं लगती, क्योंकि भारत और इन दोनों देशों के बची समुद्र है। भारत की भूमि की सीमाऐं उत्तर-पश्चिम में पाकिस्तान और अफगानिस्तान के साथ, उत्तर में चीन (तिब्बत) नेपाल और भूटान के साथ तथा पूर्व में म्यांमार व बांग्लादेश के साथ है। दक्षिण में समुद्र पार हमारे पड़ोसी दो द्वीप समूह राष्ट्र श्रीलंका और मालदीव है। भारत और श्रीलंका के बीच में छोटा समुद्री रास्ता पाक जलसंधि तथा मन्नार की खाड़ी है। मालदीव, लक्षद्वीव समूह के दक्षिण में स्थित है।....अगला सवाल पढ़े

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दक्षिण भारत पाँच भारतीय राज्यों आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु और तेलंगाना के साथ-साथ तीन केंद्र शासित प्रदेशों लक्षद्वीप, अण्डमान और निकोबार द्वीपसमूह और पुडुचेरी का क्षेत्रफल है, जो भारत के 19% क्षेत्र (635,780 कि॰मी2 या 245,480 वर्ग मील) है।[1] भारत के दक्षिणी भाग को दक्षिण भारत भी कहते हैं। अपनी संस्कृति, इतिहास तथा प्रजातीय मूल की भिन्नता के कारण यह पहचान बना चुका है। दक्षिण भारत में लोकसभा की 130 सीटें हैं।[2]

दक्षिण भारतीय लोग मुख्यतः द्रविड़ भाषा जैसे तेलुगू ,तमिल, कन्नड़ और मलयालम बोलते हैं और मुख्यतः द्रविड़ मूल के हैं।

कार्बन डेटिंग पद्धति से यह पता चला है कि इस क्षेत्र में ईसा पूर्व 8000 से मानव बस्ती रही है। लगभग 1000 ईसा पूर्व से लौह युग का सूत्रपात हुआ। मालाबार और तमिल लोग संगम प्राचीन काल में यूनान और रोम से व्यापार किया करते थे। वे रोम, यूनान, चीन, अरब, यहूदी आदि लोगों के सम्पर्क में थे। प्राचीन दक्षिण भारत में विभिन्न समयों तथा क्षेत्रों में विभिन्न शासकों तथा राजवंशों ने राज किया। सातवाहन, चेर, चोल, पांड्य, चालुक्य, पल्लव, होयसल, राष्ट्रकूट आदि ऐसे ही कुछ राजवंश हैं। मध्यकालीन युग के आरंभिक मध्य में क्षेत्र मुस्लिम शासन तथा प्रभाव के अधीन रहा। सबसे पहले तुगलकों ने दक्षिण में अपना प्रभाव बढ़ाया। अलाउद्दीन खिलजी ने यूँ तो मदुरै तक अपना सैनिक अभियान चलाया था पर उसकी मृत्यु के बाद उसका साम्राज्य टिक नहीं सका। सन् 1323 में यहाँ तुर्कों द्वारा मुस्लिम बहमनी सल्तनत की स्थापना हुई। इसके कुछ सालों बाद हिन्दू विजयनगर साम्राज्य की स्थापना हुई। इन दोनों में सत्ता के लिए संघर्ष होता रहा। सन् 1565 में विजयनगर का पतन हो गया। बहमनी सल्तनत के पतन के कारण 5 नए साम्राज्य बने - बीजापुर तथा गोलकोण्डा सबसे शक्तिशाली थे। औरंगजेब ने सत्रहवीं सदी के अन्त में दक्कन में अपना प्रभुत्व जमा लिया पर इसी समय शिवाजी के नेतृत्व में मराठों का उदय हो रहा था। मराठों का शासन अट्ठारहवीं सदी के उत्तरार्ध तक रहा जिसके बाद मैसूर तथा अन्य स्थानीय शासकों का उदय हुआ। पर इसके 50 वर्षों के भीतर पूरे दक्षिण भारत पर अंग्रेज़ों का अधिकार हो गया। 1947 में स्वराज्य आया।

भाषा और सास्कृतिक रूप से यह शेष भारत से भिन्न भारत का ही अंग है।

दक्षिण भारत, गर्मियों के दौरान एक अत्यधिक मांग वाला पर्यटन स्थल, दक्षिण भारत में कई लोकप्रिय गर्मियों की छुट्टियों के स्थानों के साथ बिंदीदार। इतिहास, वास्तुकला, सुंदर दृश्य, सुखद मौसम, रोमांच और अविश्वसनीय अनुभव आकर्षण में इजाफा करते हैं। तो दक्षिण भारत सुंदरता और रहस्य का एक पूर्ण पैकेज है, और गर्मी और आर्द्रता से दूर है। समुद्र तटों, बैकवाटर्स, हिल स्टेशनों, वन्यजीव अभयारण्यों, प्राचीन मंदिरों, ऐतिहासिक शहरों और बहुत कुछ का आनंद लें[3]।

इस क्षेत्र को तथा इसके कई अंगों को भूगोल और संस्कृति के आधार पर कई विशेष नाम दिए जाते हैं। इनका विवरण नीचे है -

मीलों दूर से भाप की लकीर आसमान में लहराती देखी जा सकती है. लेकिन रिएक्टर को खोज पाना उतना आसान नहीं. पेड़ों के सघन डेरे और एक रसायन फैक्ट्री के बीच एम्सलांड न्यूक्लियर पावर स्टेशन मौजूद है. लोअर सेक्सोनी राज्य के एक छोटे से शहर लिंगेन से 10 किलोमीटर दूर दक्षिण में यहां चुपचाप एटमी ऊर्जा उत्पादन किया जा रहा है.

इलाके में पली बढ़ी 44 साल की क्रिस्टीन ने लिंगेन की लाल ईंट की सड़क पर डीडब्लू से बात करते हुए कहा, "ईमानदारी से कहूं तो आप इसके बारे में भूल जाते हैं. और आपको यकीन है और उम्मीद है कि सब कुछ अच्छा होगा."

एम्सलांड रिएक्टर जर्मनी के आखिरी तीन एटमी पावर स्टेशनों में से एक है. इस साल नये साल की पूर्व संध्या पर ये तीनों बंद किए जाने थे और इस तरह जर्मनी में एटमी ऊर्जा उत्पादन पूरी तरह से बंद हो जाता. लेकिन यूक्रेन पर रूस नेलड़ाई छेड़ दी.

जर्मनी फिर कोयले की शरण में क्यों?

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क्रिस्टीन कहती हैं, "वाकई मैं खुद को एटमी ऊर्जा के खिलाफ पाती हूं. लेकिन मुझे ये स्वीकार करना पड़ेगा कि हालात अभी थोड़ा अलग हो गए हैं."

प्रमुख नीतिगत बदलाव

हाल तक, रूस जर्मनी का एक प्रमुख ऊर्जा सहयोगी रहा था. जर्मनी का अधिकांश तेल और प्राकृतिक गैस आयात रूस से ही होता था. लेकिन यूक्रेन में लड़ाई के तनावों के बीच ये साझेदारी भंग हो गई. जिसकी वजह से जर्मनी वैकल्पिक सप्लाई के लिए परेशान हो उठा क्योंकि यूरोप में सर्दियों की आमद होने लगी थी और ऊर्जा कीमते बुलंदी पर थीं.

अब जर्मनी अपनी एटमी ऊर्जा को फेजआउट करने की रणनीति पर पुनर्विचार कर रहा है. देश के तीनों एटमी रिएक्टर देश का करीब 6 फीसदी बिजली उत्पादन करते हैं. लेकिन हमेशा से ऐसा नहीं था. 1990 के दशक में, 19 एटमी ऊर्जा संयंत्र जर्मनी की एक तिहाई ऊर्जा का उत्पादन कर रहे थे.

फिर 1998 में, सोशल डेमोक्रेट्स और ग्रीन्स पार्टी वाली मध्य-वाम सरकार ने एटमी ऊर्जा से दूरी बनाने का फैसला किया. ग्रीन्स पार्टी की ये लंबे समय से मांग थी. 1980 के दशक में इसी मुद्दे पर पार्टी का रसूख बनने लगा था.

कितनी खतरनाक है परमाणु बिजली?

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उसके नेता शीत युद्ध की पृष्ठभूमि में एटमी हथियारों और एटमी ऊर्जा के खतरों के खिलाफ आंदोलन करने लगे थे. जर्मनी में नये एटमी संयंत्र का निर्माण2002 में खत्म हो गया.

'दिलचस्प' प्रौद्योगिकी

लेकिन एटमी ऊर्जा का जर्मनी के साथ नाटकीय रिश्ता पूरा होने का नाम ही नहीं लेता था. 2010 में कंजरवेटिव क्रिश्चियन डेमोक्रेट्स और लिबरल फ्री डेमोक्रेटिक पार्टी सत्ता में आई और एटमी ऊर्जा का इस्तेमाल 14 साल तक

बढ़ा दिया गया. लेकिन एक साल बाद ही, जापान के फुकुशिमा एटमी ऊर्जा संयंत्र में परमाणु विस्फोटों ने जर्मनी को अपनी नीति पर फिर से गौर करने पर मजबूर कर दिया. 2022 के आखिर तक एटमी ऊर्जा को हटाने की योजना पर जर्मन सरकार लौट आई.

अक्टूबर में जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्स ने देश के तीनों एटमी ऊर्जा स्टेशनों को 2023 में मध्य अप्रैल तक जारी रखने का आदेश दिया. उनकी योजनाबद्ध विदाई से तीन महीने से भी कम समय पहले ये आदेश आया था.

एटमी उद्योग से अपने रिटायरमेंट के समय डीडब्लू से बात करते हुए लिंगेन के स्थानीय निवासी और बिजलीकर्मी फ्रांत्स-योसेफ थीरिंग इस बात पर हैरान नहीं है कि जर्मनी एटमी ऊर्जा को छोड़ने को लेकर दुविधा में पड़ा है.

परमाणु संयंत्र बंद कराने के लिए 35 साल लंबा संघर्ष

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अपने घर पर कॉफी पीते हुए वो यूरेनियम के टुकड़े का मॉडल दिखाते हैं, जो उन्हें यूरेनियम ईंधन की छड़ बनाने वाली कंपनी ने उपहार में दिया था जिसमें वो काम करते थे. एक साफ प्लास्टिक में बंद, सबसे छोटी अंगुली के नाखून के आकार का एक पतला सा टुकड़ा था वो.

थीरिंग कहते हैं कि इस जैसे दो टुकड़े एक साल तक जर्मनी में एक औसत गृहस्थी को बिजली मुहैया करा सकते हैं. उन्होंने डीडब्लू को बताया, "ये मुझे बड़ा दिलचस्प लगता है. ये भौतिकी है."

ऊर्जा की बढ़ती जरूरतें

थीरिंग की दलील है कि हरित ऊर्जा की ओर जाने की कोशिश में लगे जर्मनी में एटमी ऊर्जा संयंत्रों से पैदा होने वाली बिजली की अहमियत को कमतर समझना मूर्खता होगी.

इलेक्ट्रिक कारों और हीट पंपों का जिक्र करते हुए वो कहते हैं कि "हमें भविष्य में और ज्यादा बिजली की जरूरत होगी. ये तथ्य है. और 6 फीसदी गंवाना भारी पड़ेगा जबकि उसकी जगह या उसके बदले कुछ भी नया नहीं है. हम 6 फीसदी गंवा रहे होंगे जबकि हमें वास्तव में ज्यादा की जरूरत है."

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कई जर्मन इससे सहमत हैं. जर्मन प्रसारण कंपनी एआरडी के मुताबिक फुकुशिमा तबाही के बाद एटमी फेजआउट के पक्ष में जनता का बहुमत था. लेकिन इस साल अगस्त में 80 फीसदी लोग जर्मनी के मौजूदा एटमी रिएक्टरों की उम्र को बढ़ाने के पक्ष में थे.

तबाही का डर

एटमी तबाही का डर और रेडियो एक्टिव एटमी कचरे के निस्तारण का अनसुलझा सवाल फिर भी कई लोगों को ये मानने को मजबूर करता है कि एटमी रिएक्टरों को चलाए रखने का कदम गलत है. बर्लिन मे हर्टी स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में एनर्जी इकोनॉमिक्स की प्रोफेसर क्लाउडिया केमफेर्ट, एटमी ऊर्जा पर बहुत ज्यादा निर्भर, पड़ोसी देश फ्रांस का हवाला देती हैं.

उन्होंने डीडब्लू से कहा, "फ्रांस में आधे नये एटमी ऊर्जा प्लांट ऑफलाइन हैं क्योंकि उनमें सुरक्षा समस्याएं हैं. जर्मनी में हमारी भी वही समस्याएं हैं. सुरक्षा निरीक्षण हुए 15 साल से ज्यादा हो चुके हैं. और इस समय निरीक्षणों की तत्काल जरूरत है जिससे हमें पता चल सके कि फ्रांस जैसी समस्या यहां है या नहीं."

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वो इस बात को भी रेखांकित करती है कि एटमी ऊर्जा प्राकृतिक गैस का एक कमजोर विकल्प है. जिसका इस्तेमाल बिजली पैदा करने के अलावा हीटिंग के लिए भी किया जा सकता है.

छोटा कार्बन फुटप्रिंट

फिर भी कई लोग एटमी ऊर्जा को कोयला जलाने से बेहतर विकल्प के रूप में देख रहे हैं. लेकिन इस ऊर्जा संकट के बीच जर्मनी कोयला ईंधन की ओर भी देख रहा है.

नीदरलैंड्स स्थित एटमी ऊर्जा विरोधी समूह वाइज के मुताबिक, एटमी संयंत्रो से 117 ग्राम सीओटू प्रति किलोवॉट घंटा निकलती है जबकि कोयले की एक किस्म लिग्नाइट को जलाने से प्रति किलोवॉट घंटा एक किलोग्राम सीओटू उत्सर्जन होता है.

बदलती परिस्थितियों के बावजूद, थीरिंग को नहीं लगता कि ये अस्थायी विस्तार, जर्मनी में मुकम्मल स्तर के एटमी पुनर्जागरण मे तब्दील हो पाएगा. वो कहते हैं, "मुझे लगता है कि ये सिर्फ थोड़े से वक़्त की बात है. एक पुल की तरह."

भारत के दक्षिण में स्थित देश का नाम क्या है?

श्रीलंका (Sri Lanka) : श्रीलंका पहले सीलोन के नाम से जाना जाता था भारत के दक्षिण में स्थित इस देश की दूरी भारत से मात्र ३१ किलोमीटर ही है। 1972 तक इसका नाम सीलोन था, जिसे 1972 में बदलकर लंका तथा 1978 में इसके आगे सम्मानसूचक शब्द “श्री” जोड़कर श्रीलंका कर दिया गया तब से इसका नाम श्रीलंका पर गया हैं

भारत के दक्षिण दिशा में कौन सा सागर है?

देश पूर्व में बंगाल की खाड़ी, पश्चिम में अरब सागर और दक्षिण में हिन्द महासागर से घिरा हुआ है।

दक्षिण दिशा कौनसी है?

दक्षिण दिशा उत्तर दिशा के विपरीत (दूसरी तरफ) होती है और पूर्व एवं पश्चिम दिशाओं से ९० डिग्री (अंश) पर होती है। (उत्तर दक्षिण एक दूसरे के आमने सामने हैं और पूर्व पश्चिम भी एक दुसरे के आमने सामने हैं।)

भारत के दक्षिण में क्या है in Hindi?

Answer: भारत के दक्षिण में कई राज्य जैसे आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना, केरल और तमिल नाडु है। साथ ही साथ, शासित प्रदेश जैसे लक्षद्वीप, अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह एवें पुडुचेरी भी उपस्थितीत है।