Jatav (Chamar) History in Hindi (जाटव / चमार जाति की उत्पत्ति एवं इतिहास) : हेलो दोस्तो! आज इस लेख के माध्यम से हम आपके साथ "जाटव (चमार) जाति की उत्पत्ति एवं इतिहास" के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी शेयर करेंगे, उम्मीद करते हैं आपके लिए यह लेख महत्वपूर्ण साबित होगा। Show जाटव जाति को इतिहास में 'चमार और चर्मकार' नाम से जाना जाता था, इस जाति का इतिहास प्राचीन भारत के समय से अस्तित्व में रहा है। चमार जाति की उत्पत्ति के विषय में इतिहासकारों के अलग अलग मत है, कुछ इतिहासकारों का कहना है कि बीसवीं सदी से पहले चमार चंद्रवंशी राजपूत थे और इन्हें क्षत्रिय समुदाय में गिना जाता था, लेकिन उस समय की आंतरिक लड़कियों के चलते इन्हें क्षत्रिय समुदाय से अलग कर दिया गया और चमार जाति को शुद्र जाति में गिना जाने लगा। लेकिन इस कहानी का उल्लेख किसी भी ऐतिहासिक पुस्तक एवं ग्रंथ में देखने को नहीं मिलता है, इसीलिए इस कहानी को पूर्ण सत्य नहीं माना जा सकता। वर्तमान समय में इनकी मुख्य जनसंख्या 'उत्तर प्रदेश, कानपुर, मेरठ, इलाहाबाद, वाराणसी आदि शहरों में अधिक है। 2001 की जनगणना के अनुसार चमार जाति की संख्या उत्तर प्रदेश में 16% पंजाब में 14% और हरियाणा में 12% है। वर्तमान समय में इस जाति के लोग अनुसूचित जनजाति की श्रेणी में आते हैं। चमार जाति के लोग प्राचीन समय से शूद्र समुदाय की श्रेणी में शामिल किये जाते रहे हैं। प्राचीन राजा महाराजाओं के समय से इस जाति के लोगों का मानसिक और शारीरिक रूप से शोषण होता रहा है। चमार जाति के लोगों का परंपरागत व्यवसाय चमड़े की वस्तुओं का निर्माण कार्य है, लेकिन चमड़े के व्यवसाय के चलते इस जाति के लोगों को छुआछूत की श्रेणी में रखा गया। इतिहासकारों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि चमार जाति के लोग भारत में अंग्रेजों की हुकूमत से पहले काफी धनवान हुआ करते थे, लेकिन अंग्रेजी हुकूमत के रहते हुए दबंग और सत्ताधारी लोगों ने उनका शोषण किया और इन्हें शूद्र जाति की तरह इस्तेमाल किया। अंग्रेजों से देश को आजादी मिलने के बाद सभी अनुसूचित जनजातियों एवं दलितों के साथ छुआछूत रोकने के लिए डॉ भीमराव अंबेडकर ने संवैधानिक रूप से कई सख्त कानून व्यवस्था का निर्माण किया। डॉ भीमराव अंबेडकर ने चमार जाति की आर्थिक और मानसिक मनोदशा को सुधारने के लिए संविधान में आरक्षण व्यवस्था का निर्माण किया। अनुसूचित जनजाति के लोगों के लिए आरक्षण व्यवस्था के बाद चमार जाति में तेजी से आर्थिक सुधार देखने को मिला, इस आर्थिक सुधार का पूरा श्रेय डॉ भीमराव अंबेडकर को जाता है। चमार (जाटव) जाति की वर्तमान स्थितिभारत के सभी राज्यों में चमार जाति की 150 से भी ज्यादा उपजातियां पाई जाती हैं जिनमें 'कुरीन, संखवाद, दोहरे, ततवा, मोची' आदि शामिल हैं। वर्तमान समय में चमार जाति के लोगों की स्थिति पहले से कई गुना बेहतर है, अब इस जाति के लोग चमड़े के व्यापार के अलावा 'राजनीति, विज्ञान, सिनेमा जगत, व्यापार और खेती आदि सभी क्षेत्रों में प्रगति के पथ पर अग्रसर हैं। इस बात का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं, कि वर्तमान समय में ब्राह्मण जाति के बाद अखिल भारतीय सेवाओं में सबसे अधिक चमार जाति के लोग शामिल हैं। मध्यकाल में यह जाति छुआछूत और अपवित्र जातियों में शुमार की जाती थी, लेकिन अब यह स्थिति पूर्ण रूप से बदल गई है। चमार जाति के लोग मुख्यतः हिंदू गांव क्षेत्रों में रहते हैं। इस जाति को भारतीय संविधान के अनुसार अनुसूचित जनजाति में शुमार किया जाता है। रीत रिवाज और रहन-सहनचमार जाति के रहन-सहन और रीति-रिवाज की बात करें तो मध्यकाल में चमार जाति के लोगों में शिक्षा की कमी के कारण रहन-सहन में काफी दोष थे, लेकिन वर्तमान समय में इस जाति के लोगों में काफी सुधार देखने को मिल रहा है। अब इस जाति के लोग बड़े स्तर पर सामाजिक हो चले हैं, चमार जाति का एक बड़ा हिस्सा गौतम बुध और संत रविदास के उपदेशों का पालन करता है। इस जाति के लोगों का मुख्य आदर्श डॉ भीमराव अंबेडकर हैं। जाटव (चमार) जाति की जनसंख्या2001 की जनगणना के अनुसार चमारों की जनसंख्या नीचे दिए गए तालिका के अनुसार निम्नलिखित है : राज्य जनसंख्या जाटव समाज के महत्वपूर्ण व्यक्ति
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इंडिया में चमार कितने प्रतिशत है?2011 की जनगणना के मुताबिक देश में दलितों की आबादी करीब 17 फीसदी है. देश की कुल जनसंख्या में 20.14 करोड़ दलित हैं. 31 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में अनुसूचित जातियां अधिसूचित हैं. 1241 जातीय समूहों को अनुसूचित जाति के रूप में अधिसूचित किया गया है.
भारत में जाटव की जनसंख्या कितनी है?भारत की 2011 की जनगणना के अनुसार, उत्तर प्रदेश के जाटव (चमार) जाती में उस राज्य की कुल 22,496,047 अनुसूचित जाति की आबादी का 54% हिस्सा थे।
चमार वंश का राजा कौन था?कहा जाता है कि यह राजवंश सूर्यवंशी क्षत्रिय कुल से संबंधित था. राजा चंवरसेन का जन्म इसी चंवर वंश में हुआ था जो इस वंश के प्रथम प्रतापी राजा थे. गुजरात स्थित चंवरावती नगरी राजा चंवरसेन की राजधानी थी.
बिहार में चमार कितने प्रतिशत है?- बिहार में दलितों के साथ, चमार 25.3% हैं, पासवान (दुसाध) 36.9% और मुसाहर 13.9% हैं।
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