भारतवर्ष की अवधारणा कैसे और कब हुई? - bhaaratavarsh kee avadhaarana kaise aur kab huee?

भारतवर्ष का नाम कैसे पड़ा भारत

भारतवर्ष की अवधारणा कैसे और कब हुई? - bhaaratavarsh kee avadhaarana kaise aur kab huee?

भारतवर्ष का नामकरण कैसे हुआ इस संबंध में मतभेद हैं। भारतवर्ष में तीन भरत हुए एक भगवान ऋषभदेव के पुत्र, दूसरे राजा दशरथ के और तीसरे दुश्यंत- शकुंतला के पुत्र भरत।


भारत-1 : भारत नाम की उत्पति का संबंध प्राचीन भारत के चक्रवर्ती सम्राट राजा मनु के वंशज भगवान ऋषभदेव के पुत्र भरत से है। श्रीमद् भागवत एवं जैन ग्रंथों में उनके जीवन एवं अन्य जन्मों का वर्णन आता है।

ऋषभदेव स्वयंभू मनु से पांचवीं पीढ़ी में इस क्रम में हुए- स्वयंभू मनु, प्रियव्रत, अग्नीघ्र, नाभि और फिर ऋषभ। राजा और ऋषि ऋषभनाथ के दो पुत्र थे- भरत और बाहुबली।


बाहुबली को वैराग्य प्राप्त हुआ तो ऋषभ ने भरत को चक्रवर्ती सम्राट बनाया। भरत को वैराग्य हुआ तो वो अपने बड़े पुत्र को राजपाट सौंपकर जंगल चले गए।


भारत-2 : राम के छोटे भाई भरत राजा दशरथ के दूसरे पुत्र थे। उनकी माता कैकयी थी। उनके अन्य भाई थे लक्ष्मण और शत्रुघ्न। परंपरा के अनुसार राम को गद्दी पर विराजमान होना था लेकिन उन्हें 14 वर्ष का वनवास मिला। इस दौरान भरत ने राजगद्दी संभाली और उन्होंने राज्य का विस्तार किया। कहते हैं उन्हीं के कारण इस देश का नाम भारत पड़ा।
भरत-3 : पुरुवंश के राजा दुष्यंत और शकुंतला के पुत्र भरत की गणना 'महाभारत' में वर्णित सोलह सर्वश्रेष्ठ राजाओं में होती है। कालिदास कृत महान संस्कृत ग्रंथ 'अभिज्ञान शाकुंतलम' के एक वृत्तांत अनुसार राजा दुष्यंत और उनकी पत्नी शकुंतला के पुत्र भरत के नाम से भारतवर्ष का नामकरण हुआ।

मरुद्गणों की कृपा से ही भरत को भारद्वाज नामक पुत्र मिला। भारतद्वाज महान ‍ऋषि थे। चक्रवर्ती राजा भरत के चरित का उल्लेख महाभारत के आदिपर्व में भी है।
हालांकि ज्यादातर विद्वान मानते हैं कि ऋषभनाथ के प्रतापी पुत्र भरत के नाम पर ही भारत का नामकरण हुआ।
-प्रस्तुति अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'




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भारत की अवधारणा विषय पर करवाया व्याख्यान

संवाद सहयोगी, ब¨ठडा पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय ब¨ठडा में भारत की अवधारणा वाले विषय पर एक विशे

संवाद सहयोगी, ब¨ठडा

पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय ब¨ठडा में भारत की अवधारणा वाले विषय पर एक विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया । जिसमें ब्रिगेडियर डॉ आरएस ग्रेवाल ने मुख्य वक्ता के तौर पर शिरकत की।

आरंभ में प्रोफेसर एके धवन ने मुख्य वक्ता का रस्मी स्वागत करते हुए उनका औपचारिक परिचय श्रोताओं से करवाया।

इस मौके ब्रिगेडियर डॉ. आरएस ग्रेवाल ने छात्रों को बताया कि भारत की एक राष्ट्र के रूप में अवधारणा पर प्रकाश डालते हुए भारत के इतिहास से श्रोताओं को रूबरू करवाया। उन्होंने बताया कि वर्तमान राष्ट्र के मॉडल पर भारत की एक राष्ट्र के रूप में अवधारणा अत्यंत स्पष्ट है। उन्होंने बताया कि मौर्यकाल, गुप्तकाल, दिल्ली सल्तनत, मुगलकाल एवं ब्रिटिश काल में भारत की राजनीतिक सीमाएं बदलती रहीं। अंग्रेजों द्वारा भारत का राजनीतिक एकीकरण एक महत्वपूर्ण घटना रहा। जिसमें देश को भौगोलिक सीमाओं के साथ-साथ स्पष्ट राजनीतिक सीमाएं भी प्राप्त हुईं। उन्होंने भारत के राष्ट्र की अवधारणा के सम्मुख दो महत्त्वपूर्ण चुनौतियों का उल्लेख विस्तार से किया। जिसमें उन्होंने जम्मू-कश्मीर की समस्या का उसके ऐतिहासिक संदर्भ में उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि किस प्रकार पाकिस्तान ने जम्मू कश्मीर को हथियाने का प्रयास किया। जिसे भारतीय सेना ने नाकाम कर दिया। उन्होंने पाकिस्तान की कुटिल नीतियों के कारण जम्मू कश्मीर में अलगाववादी गुटों ने सामान्य नागरिकों को गुमराह करके भारतीय सेना के विरुद्ध खड़ा करने का प्रयास किया। साथ ही उन्होंने धारा 370 से भी श्रोताओं को अवगत करवाया। उन्होंने कहा कि दूसरी चुनौती पूर्वोत्तर राज्यों की है। उन्होंने पूर्वोत्तर के असम, मेघालय, मणीपुर, मि•ाोरम, त्रिपुरा, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश और सिक्कम राज्यों के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, आर्थिक एवं राजनीतिक पहलुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने इन राज्यों के विविध आतंकवादी संगठनों द्वारा पैदा की जाने वाली मुश्किलों, इन राज्यों के सामाजिक आर्थिक ढांचे में परिवर्तन, इनकी नस्सलीय भिन्नता एवं विकासवादी मॉडल में इनकी आस्था-अनास्था आदि पर विस्तारपूर्वक चर्चा की। इन्होंने पूर्वोत्तर राज्यों के लिए संविधान की धारा 371 का भी विशेष उल्लेख किया। व्याख्यान के उपरांत प्रश्नकाल में विद्यार्थियों द्वारा पूछे गए प्रश्नों का उत्तर दिया गया।

इसके उपरांत कुलपति प्रोफेसर आरके कोहली ने आए सभी श्रोताओं का धन्यवाद करते हुए मुख्य अतिथि को स्मृति चिह्न से सम्मानित किया। इस मौके प्रोफेसर डॉ. जगदीप ¨सह व अन्य स्टाफ भी मौजूद रहा।

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भारतवर्ष की अवधारणा कैसे और कब हुई? - bhaaratavarsh kee avadhaarana kaise aur kab huee?

भारत शब्द से भारतीय उपमहाद्वीप, भारत गणतंत्र, या वृहत्तर भारत आदि का आशय लिया जाता है। भारत के अंग्रेजी नाम इण्डिया (India) की उत्पत्ति सिंधु शब्द से हुई है जो यूनानियों द्वारा चौथी सदी ईसा पूर्व से प्रचलन में है। इंडिया नाम पुरानी अंग्रेजी में ९वीं सदी में और आधुनिक अंग्रेजी में १७वीं सदी से मिलता है।

भारत को भारतवर्ष जम्बूद्वीप, भारतखण्ड, आर्यावर्त, हिन्दुस्तान (हिन्दुस्थान), हिन्द आदि अन्य नामों से भी जाना जाता है।

अजनाभवर्ष[संपादित करें]

भारत का प्राचीन नाम अजनाभवर्ष था।[1] ऋषभदेव के सौ पुत्रों में सबसे बड़े पुत्र भरत के नाम पर बाद में भारतवर्ष पड़ा।

भारतवर्ष[संपादित करें]

भारतवर्ष नाम ऋषभदेव के पुत्र भरत के नाम पर पड़ा है।

अनेक पुराणों के अनुसार नाभिराज के पुत्र भगवान ऋषभदेव के पुत्र भरत चक्रवर्ती के नाम पर इस देश का नाम भारतवर्ष पड़ा। हिन्दू ग्रन्थ, स्कन्द पुराण (अध्याय ३७) के अनुसार "ऋषभदेव नाभिराज के पुत्र थे, ऋषभ के पुत्र भरत थे, और इनके ही नाम पर इस देश का नाम "भारतवर्ष" पड़ा"।[2] इसी तरह की बात विष्णुपुराण (2,1,31), वायुपुराण (33,52), लिंगपुराण (1,47,23), ब्रह्माण्डपुराण (14,5,62), अग्निपुराण (107,11–12), और मार्कण्डेय पुराण (50,41), में भी आयी है।[कृपया उद्धरण जोड़ें]

ऋग्वेद में दस राजाओं के युद्ध का वर्णन है जिसमें भारत नामक जनसमूह के राजा सुदास का नाम आया है। इस जनसमूह से भी भारतवर्ष का नाम आया हो सकता है।

भारतवर्ष शब्द का एक भौगोलिक ईकाई के रूप में सबसे पुराना उपयोग हाथीगुम्फा शिलालेख में मिलता है।[3][4]

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

  • भारत की आधिकारिक भाषाओं में भारत के नाम

सन्दर्भ सूची[संपादित करें]

  1. श्रीमद्भागवतमहापुराण,एकादश स्कन्ध,दूसरा अध्याय, गीता प्रेस, गोरखपुर
  2. Sangave २००१, पृ॰ २३.
  3. Dwijendra Narayan Jha, Rethinking Hindu Identity (Routledge: 2014), p.11
  4. Upinder Singh, Political Violence in Ancient India, p.253

ग्रंथ सूची[संपादित करें]

  • Sangave, Vilas Adinath (२००१), Facets of Jainology: Selected Research Papers on Jain Society, Religion, and Culture, Mumbai: Popular prakashan, आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 81-7154-839-3

भारतवर्ष की अवधारणा क्या है?

भारतवर्ष संज्ञा पुं॰ [सं॰] पुराणानुसार जंबू द्वीप के अंतर्गत नौ वर्षों या खंडों में से एक जो हिमालय के दक्षिण ओर गंगोत्तरी से लेकर कन्याकुमारी तक और सिंधु नदी से ब्रह्मपुत्र तक फैला हुआ है । आर्यावर्त । हिंदुस्तान ।

भारतवर्ष की अवधारणा कैसे और कब हुई वर्णन कीजिए?

लगभग ५५,००० वर्ष पहले (प्राचीन भारत) आधुनिक मानव या होमो सेपियन्स अफ्रीका से भारतीय उपमहाद्वीप में पहुंचे थे। दक्षिण एशिया में ज्ञात मानव का प्राचीनतम अवशेष ३०,००० वर्ष पुराना है।

भारतवर्ष की स्थापना कब हुई थी?

बीसवीं शताब्दी के प्रारंभ में अंग्रेजी शासन से स्वतंत्रता प्राप्ति के लिये संघर्ष चला। इस संघर्ष के परिणामस्वरूप 15 अगस्त, 1947 ई को सफल हुआ जब भारत ने अंग्रेजी शासन से स्वतंत्रता प्राप्त की, मगर देश को विभाजन कर दिया गया। तदुपरान्त 26 जनवरी, 1950 ई को भारत एक गणराज्य बना।

हमारे देश का नाम भारतवर्ष कैसे पड़ा?

भगवान ऋषभदेव के ज्येष्ठ पुत्र महायोगी भरत के नाम पर इस देश का नाम भारतवर्ष पड़ा.