एक समूह के भीतर लोगों की विस्तृत व्यक्तिगत विशेषताये जैसे की लिंग, आयु, वैवाहिक स्थिति, शिक्षा, व्यवसाय, और घर के मुखिया के साथ रिश्ते आदि के आधार पर किया गए वितरण को जनसंख्या संरचना कहा जाता है। जनसंख्या को दो भागों में बांटा गया हैं - ग्रामीण और शहरी, आकार और बस्तियों के कब्जे के आधार पर । ग्रामीण आबादी को छोटे आकार के ग्रामीण इलाकों में फैली हुइ बस्तियों के आधार पर । एक समूह के भीतर लोगों की विस्तृत व्यक्तिगत विशेषताये जैसे की लिंग, आयु, वैवाहिक स्थिति, शिक्षा, व्यवसाय, और घर के मुखिया के साथ रिश्ते आदि के आधार पर किया गए वितरण को जनसंख्या संरचना कहा जाता है। जनसंख्या को दो भागों में बांटा गया हैं - ग्रामीण और शहरी, आकार और बस्तियों के कब्जे के आधार पर । ग्रामीण आबादी को छोटे आकार के ग्रामीण इलाकों में फैली हुइ बस्तियों के आधार पर । शहरी आबादी - वो है जो बड़े आकार की बस्तियों जैसे की कस्बों और शहरों में रहती है। भारतीय आबादी की संरचना का ग्रामीण -शहरी विशेषताओं, भाषा, धर्म और व्यवसाय के आकार के संबंध में नीचे चर्चा की जाएगी : ग्रामीण - शहरी संरचना सामाजिक और आर्थिक विशेषताओं का एक महत्वपूर्ण सूचक जनसंख्या की संरचना को लोगो के निवास के स्थान के आधार पर किया गया वितरण है । आजादी के बाद से पहली बार जनसंख्या में पूर्ण वृद्धि शहरी क्षेत्रों में ग्रामीण क्षेत्रों से अधिक है। ग्रामीण - शहरी वितरण : 68.84 % और 31.16 %। शहरीकरण के स्तर में 2001 की जनगणना में 27.81 % से 2011 की जनगणना में 31.16 % की वृद्धि हुई। ग्रामीण जनसंख्या के अनुपात में 72.19 % से 68.84 % की गिरावट आई. भाषा-संबंधी संरचना प्रमुख भारतीय भाषाओं के बोलने वालों के आधार पर चार भाषाओ के परिवार प्रमुख है जिनको आगे उनके उप - परिवारों और शाखाओं या समूहों के रूप में बांटा जा सकता हैं।
धार्मिक संरचना अधिकांश भारतीयों के सांस्कृतिक और राजनीतिक जीवन को प्रभावित करने वाला सबसे प्रमुख कारणों में से एक प्रमुख कारण धर्म है। वस्तुतः धर्म लोगों के परिवार और समुदाय के जीवन के लगभग सभी पहलुओं में व्याप्त है, इसलिए धार्मिक संरचना का अध्ययन विस्तार से करना महत्वपूर्ण है। पिछले दशक (2001-2011) में विभिन्न धर्मो की जनसंख्या वृद्धि दर में कमी आई है। हिन्दू जनसंख्या वृद्धि दर 19.92% पिछले एक दशक के आंकड़े से 16.76% कम हुई है, जबकि मुस्लिम जनसँख्या की विकास दर में 29.52% (1991-2001) के पिछले आंकड़े से 24.60% (2001-2011) में तेज गिरावट आई है ।पिछले 6 दशकोंमें मुसलमानों की जनसंख्या वृद्धि दर में इस तरह की तेज गिरावट नहीं आई थी। ईसाई जनसंख्या वृद्धि दर 15.5% थी , जबकि सिख जनसंख्या वृद्धि दर 8.4% ही रही। जैनियों के सबसे शिक्षित और धनी समुदाय ने 2001-2011 में केवल 5.4% के आंकड़ा के साथ सबसे कम विकास दर दर्ज कराई । आगामी 2021 की जनगणना में हिंदू, मुस्लिम और ईसाई धर्म की वृद्धि दर में ओर अधिक गिरावटआने की उम्मीद है, जबकि अन्य धर्मों सिख धर्म, जैन धर्म और बौद्ध धर्म की विकास दर स्थिर रहने की उम्मीद कर रहे है क्यूंकि पहले से ही इन धर्मो की विकास दर धीमी है. अखिल भारतीय धर्म जनगणना तथ्य 2011
|