भारतीय समाज में नैतिक मूल्यों की आवश्यकताAbstractभारतीय समाज मूल्यप्रधान समाज है. भारतीय संस्कृति में मूल्यों को मनुष्य के सामाजिक, राजनैतिक और धार्मिक जीवन में विशेष स्थान दिया गया है क्योंकि मूल्यों के वास्तवीकरण का नाम ही संस्कृति है. वर्तमान समय में विज्ञान ने जहाँ मनुष्य को भौतिक सुविधाएँ उपलब्ध करने के लिए प्रत्येक क्षेत्र में अविष्कारों के ढेर लगा दिए हैं ,वहां उसके जीवन में एक खोखलापन भी उत्त्पन्न कर दिया है. ऐसे में समाज, देश और अपने स्वयं के जीवन में उसने मानव मूल्यों को तिलांजली दे दी है. मानव जीवन की सार्थकता तभी है जब वह श्रेष्ठ भावनाएं रखे. हम एक लोकतान्त्रिक समाज का हिस्सा हैं जहाँ पर हम आपसी भाई-चारे, न्याय, समान अधिकार और स्वतन्त्रता का हिमायती बनने का नाटक करते हैं. संविधान में दिए गये मूल्यों की प्राप्ति से पहले हमें व्यक्ति के जीवन और समाज का भी मुआयना करना होगा तभी हम श्रेष्ठ मूल्यों को समाज में स्थापित कर सकते हैं. मूल्य, व्यक्ति की सामाजिक विरासत का एक अंग होता है इसलिए मूल्यों की व्यवस्था मानव आस्तित्व के विभिन्न स्तरों या आयामों में व्यक्ति के अनुकूलन की प्रक्रिया का मार्गदर्शन करती है. नैतिक मूल्य व्यक्ति के जीवन के साथ साथ समाज को भी उत्कृष्टता की तरफ अग्रसर करते हैं. इस शोध-पत्र का मुख्य उद्देश्य नैतिक मूल्यों के व्यक्ति के जीवन और वर्तमान भारतीय समाज में उपयोगिता का अध्ययन करना है. Show
आधुनिक भारतीय समाज में अनेक परिवर्तन हुए हैं और निरंतर हो रहे हैं। आज यहां भारतीय समाज विकास की सीढ़ियां चढ़ता जा रहा है, वहीं दूसरी ओर अनेकानेक दोषों और समस्याओं से भी ग्रस्त हो रहा है। आधुनिक भारतीय समाज दुनिया के सबसे जटिल समाजों में एक है। इसमें कई
धर्म, जाति, भाषा, नस्ल के लोग बिलकुल अलग-अलग तरह के भौगोलिक भू-भाग में रहते हैं। उनकी संस्कृतियां अलग हैं, लोक-व्यवहार अलग हैं। Contents
आधुनिक भारतीय समाजआधुनिक भारतीय समाज के स्वरूप को निम्न प्रकार समझा जा सकता है –
1. जनतांत्रिक समाजवादी व्यवस्थाभारत में जनतांत्रिक सामाजिक व्यवस्था है। इस व्यवस्था में दो तत्व निहित है एक जनतंत्र और दूसरा समाजवाद। जनतंत्र के अनुसार भारत की जनता के हाथ में शासन की सर्वोच्च सत्ता है और समाजवाद के अनुसार व्यक्ति और समाज दोनों के उत्थान पर बल देकर वर्ग ही समाज स्थापित करने की कल्पना की गई है। भारत में समानता, स्वतंत्रता, बंधुत्व, के सिद्धांत को स्वीकार किया गया है। 2. सामाजिक न्यायसामाजिक न्याय के लिए भारतीय संविधान में अनेक प्रावधान किए गए हैं। संविधान में कहा गया है कि सबको समानता की दृष्टि से सभी आवश्यक सुविधाएं प्रदान की जानी चाहिए और समाज के उन वर्गों को विशेष सुविधाएं दी जानी चाहिए जिनका लंबे समय से शोषण और दमन हुआ है। जिससे वे उठकर समाज के दूसरे वर्गों के बराबर आ सके सामाजिक न्याय का अर्थ है- समाज में सब को यथोचित सम्मान तथा उन्नति करने के अवसर उपलब्ध हो। 3. धर्म निरपेक्षताआधुनिक भारतीय समाज की एक प्रमुख विशेषता धर्मनिरपेक्षता है। यहां पर सभी व्यक्तियों को समान धार्मिक स्वतंत्रता प्राप्त है। धार्मिक स्वतंत्रता के परिणाम स्वरुप प्रत्येक व्यक्ति किसी भी धर्म को स्वीकार करने और उसका प्रचार व प्रसार करने के लिए स्वतंत्र होता है। राज्य किसी भी धार्मिक कार्य में कोई हस्तक्षेप नहीं करता है। राज्य किसी भी धर्म विशेष को ना संरक्षण देता है और ना ही कोई सुविधा देता है। 4. आर्थिक असमानताआधुनिक भारतीय समाज में आर्थिक आधार पर तीन वर्गों में सारी जनता बैठी हुई है धनी वर्ग, मध्यम वर्ग और निर्धन वर्ग। धनी अधिक धनी होता जा रहा है और निर्धन अधिक निर्धन हो रहा है समाज में गरीबी की रेखा से नीचे रहने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है मध्यम वर्ग व्यापक रूप से उभर रहा है और अपनी स्थिति से असंतुष्ट है। आधुनिक भारतीय समाज5. बेरोजगारीस्वतंत्रता प्राप्ति के बाद सही अनुपात में लोगों को रोजगार के अवसर उपलब्ध नहीं हो पाए हैं जिससे शिक्षण नव युवकों में निराशा हताशा पैदा होती है कोई कार्य न मिलने पर भी अनुचित और अनैतिक कार्यों को करने लगते हैं जिससे उनका नैतिक पतन होता है। 6. संतुलित परिवारों का विघटनव्यक्तिवाद की फैलती हुई भावना में संयुक्त परिवारों को विघटित करके व्यक्ति परिवार को जन्म दिया है जिसमें माता पिता अपनी संतान के साथ में रहते हैं इन एकांकी परिवारों में भी भावात्मक संबंधों का अभाव पाया जाता है। 7. दहेज प्रथा और बाल विवाहदहेज प्रथा आधुनिक भारतीय समाज की गंभीर समस्या है जिसके कारण ना जाने कितनी नव युवतियों को अपने जीवन का बलिदान करना पड़ता है कानून बनने के बाद भी बाल विवाह की कुर्ती खूब प्रचलित है विधवाओं पर अत्याचार और अनमेल विवाह आज भी कम नहीं हुए हैं। 8. निम्न जीवन स्तरनिर्धनता और बेरोजगारी के कारण लोगों को रहन-सहन का स्तर गिरता जा रहा है। यद्यपि लोगों के जीवन स्तर को ऊंचा उठाने के लिए सरकार द्वारा अनेकानेक प्रयत्न किए जा रहे हैं। 9. जनसंख्या की वृद्धिआज की सबसे बड़ी समस्या बढ़ती हुई जनसंख्या की समस्या है। इस समस्या ने भारतीय समाज के आधुनिक स्वरूप को अत्यधिक प्रभावित किया है। यह समस्या के परिणाम स्वरुप खाद्य सामग्री का अभाव हो रहा है महंगाई बढ़ रही है बेरोजगारी बढ़ रही है जीवन स्तर गिर रहा है प्रदूषण की समस्या पैदा हो रही है और सामाजिक तथा नैतिक मूल्यों में गिरावट आ रही है। 10. स्त्रियों की दशा में परिवर्तनभारतीय संविधान ने सबको समान अधिकार प्रदान करके स्त्रियों को पुरुषों के बराबर बना लिया है आज भारत की स्त्रियां सभी व्यवसाय में कार्य कर रही हैं। 11. विघटनकारी शक्तियों को प्रोत्साहनआधुनिक भारतीय समाज में विघटनकारी प्रवृत्तियों का बहुमूल्य होता जा रहा है। जातिवाद, संप्रदायवाद, भाषावाद, प्रांतवाद आदि ने अलगाववाद को प्रोत्साहन दिया है लोगों के चिंतन में अंतर आया है। वे संपूर्ण समाज के हित की दृष्टि से ना सोच कर अपनी जाति अपने समुदाय अपनी भाषा अपने क्षेत्र और अपने प्रांत के हित की दृष्टि से सोचते हैं। 12. सामाजिक मूल्यों में परिवर्तनआधुनिक भारतीय समाज में नवीन विचारों के कारण क्रांतिकारी परिवर्तन हुए हैं जिसके कारण प्राचीन सामाजिक मूल्य विलुप्त हो रहे हैं उनका स्थान में मूली ले रहे हैं इसलिए भारतीय आध्यात्मिकता को छोड़कर बौद्धिकता की ओर तेजी से दौड़ रहे हैं। 13. नैतिक व धार्मिक मूल्यों में परिवर्तनआधुनिक भारतीय समाज धर्म प्रधान रहा है वहां व्यक्तियों का जीवन के प्रति दृष्टिकोण आध्यात्मिक रहा है प्रेम सत्य अहिंसा सहयोग सहिष्णुता पर्व का आदि भारतीय समाज के शाश्वत मूल्य रहे हैं परंतु असत्य के स्थान पर सत्य अहिंसा के स्थान पर हिंसा प्रेम के स्थान पर घृणा सहयोग के स्थान पर असहयोग ईष्या और परोपकार के स्थान पर स्वार्थ भावना बढ़ रही है। 14. उच्च आकांक्षाएंवर्तमान समय में भारतीय की इच्छाएं और आकांक्षा में बढ़ती जा रही हैं। एक दूसरे का अनुकरण करने की इच्छा बढ़ रही है इन इच्छाओं और आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए व्यक्ति अनैतिक और अवैधानिक कार्य कर रहा है। चोरी, डकैती, रिश्वत, भ्रष्टाचार आदि के बढ़ने से मनुष्य का चारित्रिक पतन हो रहा है। इसी प्रकार वर्तमान भारतीय समाज का स्वरूप अधिक आशा जनक नहीं है। इस में परिवर्तन लाना और सुधार करना अत्यंत आवश्यक है। इसके लिए शिक्षा का विशेष दायित्व है अतः ईमानदारी और निष्ठा से एक सुव्यवस्थित और उपयोगी शिक्षा योजना के निर्माण और उसके क्रियान्वयन की आवश्यकता है।
Join Hindibag भारतीय मूल्य क्या है?मूल्य, व्यक्ति की सामाजिक विरासत का एक अंग होता है इसलिए मूल्यों की व्यवस्था मानव आस्तित्व के विभिन्न स्तरों या आयामों में व्यक्ति के अनुकूलन की प्रक्रिया का मार्गदर्शन करती है. नैतिक मूल्य व्यक्ति के जीवन के साथ साथ समाज को भी उत्कृष्टता की तरफ अग्रसर करते हैं.
सामाजिक मूल्य कौन कौन से हैं?Solution : एक व्यक्ति जब दूसरे व्यक्ति को संकट की परिस्थिति में उलझा हुआ देखता है, तो उसमें सहायतापरक व्यवहार करने की इच्छा उत्पन्न होती है। मनोवैज्ञानिक समाज जीवन विज्ञान के प्रभाव में सहायतापरक व्यवहार को जैविक संरचना का परिणाम मानते हैं। सहायतापरक व्यवहार सामाजिक मूल्य का प्रतिनिधित्व करता है।
सामाजिक मूल क्या है?ये मूल्य ऐसे आदर्श या मानक होते हैं जो किसी समाज या संगठन या फिर व्यक्ति के लिये दिशा-निर्देश के रूप में कार्य करते हैं।
भारतीय समाज में कौन कौन से मूल्य परिलक्षित होते हैं?विकासशील भारतीय समाज के परिप्रेक्ष्य में आर्थिक, सामाजिक व राजनैतिक धारणाएँ, मुद्दे एवं चुनौतियों को समझ कर अपने लिये कुछ शैक्षणिक उद्देश्यों को निर्धारित करना। सामाजिक परिवर्तन एवं स्तरीकरण से संबंधित विभिन्न अवधारणाओं व प्रक्रियाओं (जैसे विषमता, बहिष्कार, भेदभाव, आरक्षण आदि) को समझना ।
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