निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए- Show
(ii) पर्वत की चोटी पर स्थित मंदिर की अनुपम
शोभा।
(iv) पिता की वेदना और उसका पश्चाताप। (i) नहीं खेलना रूकता उसका (ii) ऊँचे शैल-शिखर के ऊपर (iii) भूल गया उसका लेना झट (iv) बुझी पड़ी थी चिता वहाँ पर Short Note सुखिया ने अपने पिता से देवी के प्रसाद का फूल क्यों माँगा? Advertisement Remove all ads Solutionसुखिया महामारी की चपेट में आ चुकी थी। महामारी के कारण उसकी आवाज कमजोर हो गई और शरीर के अंग शिथिल पड़ गए थे। उसे लग गया होगा कि उसकी मृत्यु निकट है। उसे आशा रही होगी कि वह शायद देवी के प्रसाद से ठीक हो जाए। बीमारी की दशा में वह स्वयं तो जा नहीं सकती थी, इसलिए उसने देवी के प्रसाद का फूल माँगा। Concept: पद्य (Poetry) (Class 9 B) Is there an error in this question or solution? Advertisement Remove all ads Chapter 10: सियारामशरण गुप्त - एक फूल की चाह - अतिरिक्त प्रश्न Q 3Q 2Q 4 APPEARS INNCERT Class 9 Hindi - Sparsh Part 1 Chapter 10 सियारामशरण गुप्त - एक फूल की चाह Advertisement Remove all ads महामारी से सुखिया पर क्या प्रभाव पड़ा? इससे उसके पिता की दशा कैसी हो गई? महामारी की चपेट में आने से सुखिया को बुखार हो आया। उसका शरीर तेज़ बुखार से तपने लगा। तेज बुखार के कारण वह बहुत बेचैन हो रही थी। इस बेचैनी में उसका उछलना-कूदना न जाने कहाँ खो गया। वह भयभीत हो गई और देवी के प्रसाद का एक फूल पाने में अपना कल्याण समझने लगी। उसके बोलने की शक्ति कम होती जा रही थी। धीरे-धीरे उसके अंग शक्तिहीन हो गए। उसकी यह दशा देखकर सुखिया का पिता चिंतित हो उठा। उसे कोई उपाय नहीं सूझ रहा था। सुखिया के पास चिंतातुर बैठे हुए उसे यह भी पता नहीं चल सका कि कब सूर्य उगा, कब दोपहर बीतकर शाम हो गई। NCERT Solutions for Class 11 Entrepreneurship Chapter 5D Expanding MarketsTEXTBOOK QUESTIONS SOLVED.Question 1. Answer each of these questions in about 15 words: Question 2. Answer each of these questions in about 50 words: Question 3. Answer each of these questions in about 75 words: Question 4. Answer each of these questions in about 150 words: Question
5. Answer each of these questions in about 250 words: MORE QUESTIONS SOLVEDI. Very Short Answer Type Questions [1 Mark] Question 2. The manner which can help a company achieve, defend, glow, expand, diversify depends on what? Question 3. What is entrepreneurial strategy? Question 4. “STABILITY” is what the entrepreneur is looking for in the beginning.” Why? Question 5. Expansion by a firm depends on which factors. Question 6. What is initially preferred by a firm for expansion? Question 7. What is Intensive expansion? Question 8. How can a firm encourage the non-users of the product to use the product? Question 9. How can a firm enter foreign market? Question 10. What do you mean by Market Development Strategy? Question 11. Give one example of Licensing. Question 12. How is licensing used by the firms for entering in global market? Question 13. What is contract manufacturing? Question 14. What is vertical integration? Question 15. What do you mean by Backward Integration? Question
16. What is Market Expansion Grid? Question 17. How many types of options are available of expansion? Name them. II.
SHORT ANSWER TYPE QUESTIONS [2/3 MARKS]
Question 2. Describe an example of collaboration. Question 3. Fight is a better option for firms in the changing environment. Why? Question 4. What strategies are available to a firm for achieving its growth objectives? Question 5. Explain the meaning of Expansion.
Question 6. What methods can be used for encouraging frequency of use of the product by a firm?
Question 7. Describe one example describing “Attract new clientele” strategy of a firm. Question 8. Describe one example describing “Attract Competitors Customers” strategy of a firm. Question 9. While opting for New Geographical Market for extending sales, an entrepreneur must take
which features?
Question 10. Expansion is a very useful tool to safely increase a customer’s profile. Why?
Question 11. Give examples of the past who are on
the top today but once were in sorry state of affairs.
Question 12. Explain, how did Forhan’s use demographic features to increase sale? Question 13. Before going global what is to be decided by the
firm? III. Short Answer Type Questions [4 Marks]
For this the company makes:
Question 2. Why is indirect method a convenient mode of expanding?
Question 3. Explain Direct Export.
Question 4. How is licensing used by the firms for entering in global market? Question 5. Explain one example of licensing. Question 6. Explain Contract Manufacturing. Question 7. What are Joint Ventures? Explain. Question 8. Describe one example of Joint venture. Question
9. Explain Direct Investment method of going global. Question 10. Give one example of Direct investment. Question 11. Describe Horizontal Integration. Question 12. Give one example of Horizontal Integration. Question 13. What is Diversification strategy? Explain.
IV. Long Answer Type Questions [6 Marks]
Question 2. What changes are being seen in Indian economy in the recent times?
Question 3. When does a firm pursues to expansion strategy?
Question 4. Why is it desirous for a firm to grow and expand?
Question 5. Explain the various forms which a profit market expansion can assume.
Question 6. New group of customers can be searched in which terms. Explain each.
Question 7. Explain
the Product Development Strategy of Raymond. Question 8. What
is Vertical Expansion? Explain.
NCERT SolutionsPsychologyEntrepreneurshipIndian Economic DevelopmentHumanities CBSE Class 10 Hindi B लेखन कौशल सूचना लेखनमनुष्य जिज्ञासु प्राणी है। वह तरह-तरह की जानकारियों से अवगत होना चाहता है। वह सूचनाओं का आदान-प्रदान करता है। इसी तरह सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाएँ भी कुछ आवश्यक सूचनाएँ लोगों तक पहुँचाना चाहती हैं। जन साधारण की भलाई हेतु वे समय-समय पर ऐसा करती रहती हैं। इन सूचनाओं को जनता तक लिखित रूप में पहुँचाना सूचना-लेखन कहलाता है। सूचना-लेखन के माध्यम से जन साधारण से सीधे संवाद स्थापित किया जाता है। इसके माध्यम से कम खर्च और अल्प परिश्रम से अधिकाधिक लोगों तक सूचनाएँ पहुँचाई जाती हैं। छात्रों को भी तरह-तरह की सूचनाएँ विद्यालय के सूचनापट्ट पर लिखी मिलती हैं। सूचनाएँ प्रायः ऐसे स्थान पर लिखी जाती हैं, जहाँ लोगों द्वारा वे आसानी से देखी और पढ़ी जा सकें। इन्हें कॉलोनियों और रिहायशी इलाकों के मुख्य द्वार पर या प्रायः कॉलोनी के सूचनापट्टों पर लिखी मिल जाती हैं। You can also download Science NCERT Solutions Class 10 to help you to revise complete syllabus and score more marks in your examinations. सूचना-लेखन में ध्यान देने योग्य बातें-
सूचना-लेखन की विधि
विद्या भारती सेकेंड्री स्कूल, ज्योति नगर, दिल्ली खेल परिषद
सूचना इसके बाद शीर्षक और उसके नीचे अगले एक अनुच्छेद में इस तरह लिखनी चाहिए – हमारे विद्यालय की खेल परिषद दवारा आगामी सोमवार को प्रात: 9 बजे एक टायल कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है जिसके माध्यम से विभिन्न खेलों-क्रिकेट, टेबल-टेनिस, लंबी दौड़, फुटबॉल, वॉलीबाल, कबड्डी आदि की टीम बनाने हेतु संभावित खिलाड़ियों का चयन किया जाएगा। जो छात्र-छात्राएँ इसमें अपनी खेल प्रतिभा दिखाना चाहते हैं वे अधोहस्ताक्षरी के पास तीन दिनों के
भीतर अपना नामांकन अवश्य करा दें।
सूचना-लेखन के कुछ उदाहरणों द्वारा इसे स्पष्ट रूप से समझा जा सकता है- प्रश्नः 1. प्रश्नः2. प्रश्नः 3. प्रश्नः 4. प्रश्नः 5. प्रश्नः 6. प्रश्नः 7. प्रश्नः 8. प्रश्नः 9. प्रश्नः 10. प्रश्नः 11. प्रश्नः 12. प्रश्नः 13. प्रश्नः 14. आओ देखें कितना सीखा
NCERT Solutions for Class 10 HindiCBSE Class 10 Hindi B लेखन कौशल संवाद लेखनसंवाद दो शब्दों ‘सम्’ और ‘वाद’ के मेल से बना है, जिसका अर्थ है-बातचीत करना। इसे हम वार्तालाप भी कहते हैं। दो व्यकि तयों के मध्य होने वाली बातचीत को संवाद कहा जाता है। You can also download Science Class 10 to help you to revise complete syllabus and score more marks in your examinations. संवाद व्यक्ति के मन के भाव-विचार जानने-समझने और बताने का उत्तम साधन है। संवाद मौखिक और लिखित दोनों रूपों में किया जाता है। संवाद में स्वाभाविकता होती है। इसमें व्यक्ति की मनोदशा, संस्कार, बातचीत करने का ढंग आदि शामिल होता है। व्यक्ति की शिक्षा-दीक्षा उसकी संवाद शैली और भाषा को प्रभावित करती है। हमें सामने वाले की शिक्षा और मानसिक स्तर को ध्यान में रखकर संवाद करना चाहिए। इसी बातचीत का लेखन संवाद लेखन कहलाता है। प्रभावपूर्ण संवाद बोलना और लिखना एक कला है। इसके लिए निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना चाहिए –
संवाद-लेखन के कुछ उदाहरण प्रश्नः 1. प्रश्नः 2. प्रश्नः 3. प्रश्नः
4. प्रश्नः 5. प्रश्नः 6. प्रश्नः 7. प्रश्नः 8. प्रश्नः 9. प्रश्नः 10. प्रश्नः 11. प्रश्नः 12. प्रश्नः 13. प्रश्नः 14. प्रश्नः 15. प्रश्नः 16. प्रश्नः 17. कुछ और उदाहरण 1. निरंतर बढ़ती जनसंख्या पर दो मित्रों में संवाद – वैभव – नमस्कार सुमित! कहाँ से चले आ रहे हो? 2. देश में बढ़ते भ्रष्टाचार पर दो नागरिकों के मध्य बातचीत – राहुल – अरे, मित्र सार्थक! कहाँ से चले आ रहे हो? 3. दूरदर्शन पर प्रसारित कार्यक्रमों के विषय में दो विद्यार्थियों के मध्य संवाद – शुभम – मित्र ध्रुव! विज्ञान ने दूरदर्शन के रूप में हमें कितना सुंदर उपहार दिया है। 4. ग्राहक शोभित और दुकानदार (केमिस्ट) के मध्य बातचीत – शोभित – नमस्कार भाई साहब! मुझे ये दवाइयाँ चाहिए। 5. डॉक्टर और हर्ष के मध्य संवाद – हर्ष – डॉक्टर साहब, नमस्ते। 6. निरंतर बढ़ रही महँगाई पर दो स्त्रियों के मध्य संवाद – तान्या – अरे मोना! ये थैला लिए कहाँ से आ रही हो? 7. पिता और पुत्र के मध्य मोबाइल फ़ोन दिलवाने के विषय में संवाद – बेटा – पिता जी! यह देखिए मेरी रिपोर्ट बुक। 8. रजत अपने जन्मदिन पर मोटरसाइकिल उपहार में चाहता है। इस संबंध में अमर और उसके पिता के मध्य हुई बातचीत का संवाद-लेखन – रजत – पिता जी! परसों मेरा जन्मदिन है। 9. क्रिकेट मैच के विषय में दो मित्रों के मध्य संवाद श्रेय – अरे! दीपक, क्या तुमने कल का क्रिकेट मैच देखा था? 10. ‘प्लास्टिक की थैलियों का प्रयोग प्रतिबंधित होना चाहिए’-विषय पर प्रभात और पल्लव के मध्य संवाद प्रभात – अरे पल्लव! यह सामान कैसे बिखरा हुआ है? NCERT Solutions for Class 10 HindiCBSE Class 10 Hindi B लेखन कौशल पत्र लेखनपत्र लेखन मनुष्य सामाजिक प्राणी है। वह अपने निकट संबंधियों का दुख-सुख जानने का इच्छुक रहता है। इसके लिए वह पत्रों का सहारा लेता आया है। पत्र-लेखन एक विशिष्ट कला है। यह हमारे विचारों के आदान-प्रदान का एक सरल और सशक्त माध्यम है। यह लेखन की अन्य विधाओं से भिन्न है क्योंकि पत्र-लेखन किसी मित्र, निकट संबंधी, अधिकारी, कर्मचारी या संस्था प्रमुख को संबोधित करके लिखा जाता है। इसमें लेखक और पाठक के बीच कुछ-न-कुछ संबंध भी रहता है। You can also download NCERT Class 10 Science to help you to revise complete syllabus and score more marks in your examinations. पत्र-लेखन में निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए-
पत्र के आवश्यक अंग-पत्र के निम्नलिखित अंग होते हैं-
पत्र के प्रकार-पत्र को मोटे तौर पर दो भागों में बाँटा जाता है-
दसवीं के ‘बी’ पाठ्यक्रम में औपचारिक पत्र ही शामिल किए गए हैं। 1. औपचारिक पत्र-ये पत्र उन लोगों को लिखे जाते हैं, जिनसे हमारा निकट संबंध या रिश्ता नहीं होता है। विद्यालय के
2. अनौपचारिक पत्र-अनौपचारिक
पत्र पारिवारिक पत्र कहलाते हैं। ये पत्र रिश्तेदारों, सगे-संबंधियों और मित्रों को लिखे जाते हैं। पत्र लिखने वाला पत्र पाने वाले से भली प्रकार परिचित होता है। माता-पिता को, पुत्र को, मित्र को, चाचा-मामा आदि रिश्तेदारों को लिखे गए पत्र इसी वर्ग में आते हैं। इन पत्रों में आत्मीयता झलकती रहती है। संबोधन, अभिवादन तथा पत्र के अंत में लिखे जाने वाले शब्दों के कुछ उदाहरण- कृपया ध्यान दें- यदि प्रश्न-पत्र में कोई नाम और पता दिया गया है तो विद्यार्थियों को पत्र-लेखन में उसी नाम एवं पते का प्रयोग करना चाहिए, अपना नाम और पता या अनुक्रमांक कदापि नहीं लिखना चाहिए। प्रधानाचार्य को लिखे जाने वाले पत्रों के उदाहरण प्रश्नः 1. सेवा में मान्यवर विनम्र निवेदन यह है कि मैं इस विद्यालय की दसवीं कक्षा का छात्र हूँ। मेरे पिता जी जिस फैक्ट्री में काम करते थे, वह सीलिंग के कारण बंद हो गई है जिससे वे बेरोज़गार हो गए हैं। इस स्थिति में वे मेरा मासिक शुल्क, छात्रावास शुल्क, सरदी की ड्रेस आदि दिलवाने में असमर्थ हैं। मैं अपनी कक्षा में गतवर्ष प्रथम आया था। इसके अलावा मैं विद्यालयी क्रिकेट टीम का कप्तान भी हूँ। अतः आपसे प्रार्थना है कि मुझे विद्यालय से आर्थिक सहायता प्रदान करने की कृपा करें ताकि मैं अपनी पढ़ाई जारी रख सकूँ। आपकी इस कृपा के लिए मैं आपका आभारी रहूँगा। सधन्यवाद, प्रश्नः 2. सेवा में महोदय सविनय निवेदन यह है कि मैं इस विद्यालय की दसवीं कक्षा का छात्र हूँ। कल तीसरे पीरियड में प्रयोगशाला में प्रयोग करते समय नाइट्रिक एसिड की बोतल मेरे हाथ से छूटकर गिर गई, जिससे बोतल टूट गई और फ़र्श पर एसिड बिखर गया। यद्यपि विज्ञान शिक्षिका से मैं यह कहता रह गया कि जान-बूझकर मैंने ऐसा नहीं किया है, फिर भी उन्होंने मुझे दोषी मानते हुए एक हज़ार रुपये का जुर्माना कर दिया है। श्रीमान जी, मेरे पिता जी चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी हैं, जो यह जुर्माना भरने में असमर्थ हैं। अतः आपसे प्रार्थना है कि मेरे परिवार की आर्थिक स्थिति पर सहानुभूति पूर्वक विचार करते हुए जुर्माना माफ़ करने की कृपा करें। भविष्य में मैं ऐसी गलती नहीं करूँगा। सधन्यवाद, प्रश्नः 3. सेवा में महोदय विनम्र निवेदन यह है कि मैं इस विद्यालय की दसवीं कक्षा का छात्र हूँ। मेरे पिता जी कार्यालय जाते हुए एक दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गए थे। सूचना मिलने पर मैं भी तुरंत दुर्घटना स्थल पर गया और पुलिस की मदद से उन्हें अस्पताल ले गया। वहाँ भरती करके उनका इलाज शुरू किया गया। आपरेशन और अन्य कार्यों में पंद्रह दिन लग गया। उनकी देखभाल करने वाला कोई और न होने के कारण मुझे भी 15 दिन अस्पताल में रुकना पड़ा। इस कारण मेरा नाम काट दिया गया। अतः आपसे प्रार्थना है कि मेरी स्थिति पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करते हुए मेरा नाम पुनः लिखने की कृपा करें। इसके लिए मैं आपका आभारी रहूँगा। सधन्यवाद प्रश्नः 4. महोदया विनम्र निवेदन यह है कि मैं इस विद्यालय की दसवीं कक्षा की छात्रा हूँ। मेरी बड़ी बहन का विवाह आगामी 14 फरवरी, 20XX को होना तय हुआ है। विवाहोत्सव के कारण घर में मेहमानों का आना-जाना लगा हुआ है। इससे घर में काम-काज बढ़ गया है। मुझे भी घर के कार्यों में माँ का हाथ बँटाना पड़ रहा है। इस कारण मैं 13 फरवरी से 16 फरवरी, 20XX तक विद्यालय आने में असमर्थ हूँ। आपसे प्रार्थना है कि मुझे 13 से 16 फरवरी, 20XX तक अवकाश प्रदान करने की कृपा करें। आपकी अति कृपा होगी। प्रश्नः 5. सेवा में महोदय विनम्र निवेदन यह है कि मैं इस विद्यालय में दसवीं कक्षा का छात्र हूँ। सारे विद्यालय में पढ़ाई की व्यवस्था बहुत अच्छी है परंतु कुछ मूलभूत सुविधाओं की व्यवस्था अच्छी नहीं है। यहाँ छात्रों के लिए पीने के पानी की व्यवस्था ठीक नहीं है। टंकियों की स्थिति देखकर लगता है कि इनकी सफ़ाई काफ़ी समय से नहीं की गई हैं। टोटियाँ टूटी पड़ी हैं जिनसे बहता पानी रोकने के लिए लकड़ी ढूँसी गई है। अभी फरवरी बीती ही है कि नल पर छात्रों की भीड़ जुटनी शुरू हो गई है। इससे वहाँ अक्सर धक्का-मुक्की होती रहती है। आपसे प्रार्थना है कि छात्रों को होने वाली परेशानी को ध्यान में रखते हुए पीने के पानी की उत्तम व्यवस्था करवाने की कृपा करें। सधन्यवाद, प्रश्नः 6. सेवा में महोदय सविनय निवेदन यह है कि मैं इस विद्यालय की दसवीं कक्षा का छात्र हूँ। इस विद्यालय का पुस्तकालय अत्यंत समृद्ध है। यहाँ बहुत सारी पुस्तकें और पत्र-पत्रिकाएँ मँगवाई जाती हैं, पर इनमें से अधिकांश अंग्रेज़ी में होती हैं। इस कारण हिंदी माध्यम से पढ़ने वाले छात्र इनसे ज्ञानवर्धन और मनोरंजन करने से वंचित रह जाते हैं। हम हिंदी माध्यम के छात्र चाहते हैं कि विद्यालय में हिंदी की विभिन्न पत्र-पत्रिकाएँ जैसे सुमन-सौरभ, चंदा मामा, पराग, नंदन, नन्हें सम्राट, चंपक, लोट-पोट, विज्ञान प्रगति, आजकल, योजना आदि मँगवाने की कृपा करें। अतः आपसे प्रार्थना है कि विद्यालय के पुस्तकालय हेतु उपर्युक्त हिंदी की विभिन्न पत्र-पत्रिकाएँ मँगवाकर कृतार्थ करें ताकि हम छात्र भी इनसे लाभान्वित हो सकें। सधन्यवाद प्रश्नः 7. सेवा में महोदय अतः आपसे प्रार्थना है कि छात्रों में विज्ञान का भय दूर करने तथा इसमें रुचि पैदा करने के लिए अपने विद्यालय में विज्ञान-मेला आयोजित करवाने की कृपा करें। हम छात्र आपके आभारी रहेंगे। सधन्यवाद प्रश्नः 8. सेवा में महोदय सविनय निवेदन यह है कि मैं इस विद्यालय की दसवीं कक्षा का छात्र हूँ। हमारी कक्षा में गणित पढ़ाने वाले शिक्षक बीमारी के कारण डेढ़ महीने से स्कूल नहीं आए हैं। इसी तरह विज्ञान शिक्षक को कंप्यूटर पर कार्य करने के लिए शिक्षा निदेशालय में बुला लिया गया है, जिससे वे महीने भर से स्कूल नहीं आए हैं। इस कारण हम छात्रों की दोनों विषयों की पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हुई है और हमारा कोर्स अधूरा रह गया है। इसे पूरा करवाने के लिए शीतकालीन अवकाश में अतिरिक्त कक्षाएँ आयोजित करवाने की आवश्यकता है। अतः आपसे प्रार्थना है कि हमारा अधूरा कोर्स पूरा करवाने के लिए अतिरिक्त कक्षाएँ आयोजित करवाने की कृपा करें ताकि एस०ए०-2 की परीक्षा में अच्छे ग्रेड प्राप्त किए जा सकें। सधन्यवाद प्रश्नः 9. महोदय सविनय निवेदन यह है कि मैं इस विद्यालय की दसवीं कक्षा का छात्र हूँ। अब यह बताने की आवश्यकता नहीं रही कि वर्तमान में कंप्यूटर कितना उपयोगी और आवश्यक बन चुका है। आज शायद ही कोई कार्यालय हो जहाँ इसका उपयोग न किया जाता हो। अब तो लोगों द्वारा इसका उपयोग विभिन्न कार्यों के लिए घर में भी किया जाने लगा है। आज इसको उपयोग में लाने का ज्ञान न होने पर पढ़ा-लिखा व्यक्ति भी अर्ध-शिक्षित होकर रह जाता है। ऐसे में छात्रों को कंप्यूटर का ज्ञान होना अति आवश्यक हो गया है पर कंप्यूटर शिक्षण की कोई व्यवस्था इस विद्यालय में नहीं है। अतः आपसे प्रार्थना है कि छात्रों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए अगले सत्र से विद्यालय में कंप्यूटर शिक्षण की व्यवस्था करवाने की कृपा करें। हम छात्र इसके लिए आभारी रहेंगे। धन्यवाद सहित प्रश्नः 10. सेवा में महोदय सविनय निवेदन यह है कि इस विद्यालय में दसवीं कक्षा का छात्र हूँ। इस विद्यालय में पढ़ाई की व्यवस्था बहुत अच्छी है, जिसका प्रमाण है यहाँ का शत-प्रतिशत परीक्षाफल परंतु खेद के साथ कहना पड़ रहा है कि विद्यालय में खेलकूद का परिणाम अच्छा नहीं रहता हैं। कई साल से हम छात्र अंतर-विद्यालयी प्रतियोगिताओं में कोई पदक नहीं जीत पाए है। इसका कारण यह है कि हम छात्रों को टूटे बल्ले, फटी गेंदे, उखड़े पोल, झूलते नेट आदि के सहारे अभ्यास करना पड़ता है। इनके भरोसे अभ्यास करके पदक जीतने की कल्पना दिवा स्वप्न देखने जैसा है। इससे हम छात्र अन्य विद्यालय से प्रतियोगिता में पीछे रह जाते हैं। इसके लिए खेलों का नया सामान खरीदन की तुरंत आवश्यकता है। अतः आपसे प्रार्थना है कि विद्यालय में खेलों का नया सामान खरीदने की व्यवस्था करें ताकि हम छात्र खेलों में भी पदक जीतकर विद्यालय का नाम रोशन कर सकें। सधन्यवाद प्रश्नः 11. सेवा में महोदय निवेदन यह है कि मैं इस विद्यालय की दसवीं कक्षा का छात्र हूँ। हमारे विद्यालय के मुख्य द्वार पर बाहर कुछ खोमचे वाले खड़े रहते हैं, जो कटे फल और दूषित खाद्य पदार्थ बेचते हैं। बच्चे इन कटे फलों का नुकसान जाने बिना इन्हें खरीदते हैं और चाव से खाते हैं। इन फलों और अन्य खाद्य पदार्थों पर बैठी मक्खियाँ इन्हें और हानिकारक बनाती हैं। इन्हें बेचने वालों को अपनी रोजी-रोटी के आगे बच्चों के स्वास्थ्य से किया जाने वाला खिलवाड़ नज़र नहीं आता है। इनको खाकर बच्चे बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। अतः आपसे प्रार्थना है कि बच्चों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए इन खोमचेवालों को विद्यालय के मुख्य द्वार से हटाने के लिए उचित कार्यवाही करने की कृपा करें। हम सभी आपके आभारी रहेंगे। सधन्यवाद प्रश्नः 12. सेवा में महोदय सविनय निवेदन यह है कि मैं इस विद्यालय की दसवीं कक्षा का छात्र हूँ। हमारे विद्यालय के इकलौते माली की तबियत बीस दिनों से खराब चल रही है। इस कारण वह विद्यालय नहीं आ रहा है, जिससे विद्यालय वाटिका में पौधों की देख-रेख नहीं हो पा रही है। सिंचाई के अभाव में छोटे-छोटे पौधे सूखने लगे हैं और बड़े पौधे मुरझाने लगे हैं। इससे विद्यालय की शोभा में चार-चाँद लगाने वाले ये पेड़-पौधे नष्ट होने की कगार पर पहुँच चुके हैं। हम दसवीं के छात्र इन पौधों की देखभाल एवं सिंचाई की जिम्मेदारी लेना चाहते हैं। अतः आपसे प्रार्थना है कि हम दसवीं ‘अ’ के छात्रों को इन पौधों के देखभाल की अनुमति देकर कृतार्थ करें। हम आपके आभारी रहेंगे। सधन्यवाद प्रश्नः 13. महोदय सविनय निवेदन यह है कि मैं इस विद्यालय की दसवीं कक्षा का छात्र हूँ। मैं स्वयं और हमारी कक्षा के कुछ उत्साहित छात्र रात्रिकालीन कक्षाओं (सायं रात से नौ बजे तक) में उन गरीब बच्चों को पढ़ाना चाहते हैं जिनके माता-पिता मज़दूर और अनपढ़ हैं। वे शिक्षा का महत्त्व न समझ पाने के कारण अपने बच्चों को विद्यालय नहीं भेजते हैं। इन बच्चों को रात्रिकालीन कक्षाओं में पढ़ाकर मुख्य धारा में जोड़ा जा सकता है। इसके लिए विद्यालय परिसर एवं कक्षा कक्ष प्रयोग करने हेतु अनुमति की आवश्यकता है। अतः आपसे प्रार्थना है कि गरीब बच्चों का भविष्य संवारने की हमारी इच्छा को ध्यान में रखते हुए विद्यालय परिसर के प्रयोग की अनुमति देने की कृपा करें। सधन्यवाद, प्रश्नः 14. सेवा में महोदय सविनय निवेदन यह है कि मैं इस विद्यालय की दसवीं कक्षा का छात्र हूँ। हमारे विद्यालय की छवि समाज में बहुत अच्छी है। इसका कारण है यहाँ की उत्तम शिक्षा व्यवस्था और शत-प्रतिशत परिणाम। इसके अलावा खेलकूद में भी विद्यालय का नाम ऊँचा है। इस विद्यालय की प्रत्येक कक्षा में यदि गरीब बच्चों को प्रवेश देना शुरू कर दिया जाए तो समाज के कमजोर वर्ग के बच्चों के सपने साकार होंगे तथा विद्यालय की प्रतिष्ठा और भी बढ़ जाएगी। आपसे प्रार्थना है कि आप विद्यालय की प्रत्येक कक्षा की 20 प्रतिशत सीटों पर गरीब बच्चों को प्रवेश देने की व्यवस्था सुनिश्चित करें ताकि शैक्षिक समता में वृद्धि हो। सधन्यवाद प्रश्नः 15. सेवा में अतः आपसे प्रार्थना है कि मेरे भविष्य को ध्यान रखते हुए मुझे चरित्र प्रमाण-पत्र प्रदान करने की कृपा करें ताकि मैं केंद्रीय विद्यालय में प्रवेश लेकर अपनी आगे की पढ़ाई जारी रख सकूँ। आपकी अति कृपा होगी। सधन्यवाद प्रश्नः 16. सेवा में महोदय अतः आपसे प्रार्थना है कि विज्ञान की प्रयोगशाला हेतु अच्छी गुणवत्ता वाले खूब सारे नए उपकरण खरीदे जाएँ ताकि छात्र विज्ञान का व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त कर सकें। सधन्यवाद प्रश्नः 17. सेवा में महोदया विनम्र निवेदन यह है कि इस विद्यालय की दसवीं कक्षा की छात्रा हूँ। इस वर्ष हमारे विद्यालय में दसवीं की परीक्षाएँ 17 अप्रैल, 20XX को समाप्त हो रही हैं। हम छात्राएँ और कुछ छात्र चाहते हैं कि परीक्षा के बाद शैक्षिक भ्रमण हेतु राजस्थान के टूर का आयोजन किया जाए। राजस्थान की धरती वीरों की प्रसूता रही है। इन वीरों ने समय-समय पर अपनी कुरबानी देकर मातृभूमि की रक्षा की और एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया। राजस्थान के किले, गुलाबी शहर जयपुर, जंतर-मंतर, हवा महल पुष्कर में ब्रह्मा जी का मंदिर तथा माउंट आबू स्थित दिलवाड़े के मंदिर विशेष रूप से दर्शनीय हैं। अतः आपसे प्रार्थना है कि परीक्षा के बाद की इन छुट्टियों में राजस्थान भ्रमण टूर आयोजित करने की कृपा करें। आपकी अति कृपा होगी। सधन्यवाद प्रश्नः 18. सेवा में महोदय सविनय निवेदन यह है कि मैं इस विद्यालय की दसवीं कक्षा का छात्र हूँ। कल अनजाने में मुझसे एक भूल हो गई और मैं अपने कक्षाध्यापक एवं विज्ञान शिक्षक से अनुचित व्यवहार कर बैठा। वे हमें पढ़ा रहे थे, तभी बीच में मैं अपने सहपाठी से बात करने लगा। कक्षाध्यापक ने मुझे बातें करते देख लिया और डॉट दिया। मैंने जोश में आकर उनकी बातों का जवाब दे बैठा। बाद में मुझे महसूस हुआ कि मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए। अंतिम पीरियड में मैं उनके पास गया और क्षमा माँग ली पर तब तक उन्होंने इसकी शिकायत आपसे कर दी थी। आपसे प्रार्थना है कि मुझे माफ़ करते हुए प्रायश्चित करने का एक अवसर प्रदान करें। मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि भविष्य में ऐसी भूल नहीं करूँगा और शिकायत का मौका नहीं दूंगा। आपकी इस कृपा के लिए मैं आपका अत्यंत आभारी रहूँगा। सधन्यवाद, प्रश्नः 19. सेवा में महोदय विनम्र निवेदन यह है कि मैं इस विद्यालय की दसवीं कक्षा का छात्र हूँ। कल विद्यालय आते समय मैंने देखा कि दो अवारा लड़के एक वृद्ध का मोबाइल फ़ोन छीनकर भाग रहे थे। तभी वृद्ध ने शोर मचा दिया। उसका शोर सुनकर कुछ दूर पर विद्यालय की ओर जा रहे छात्र ने जानबूझ कर अपनी साइकिल रास्ते में गिरा दी जिससे टकराकर दोनों लड़के स्कूटी समेत गिर गए। तभी शोर मचाने पर दूसरी ओर से आ रहे मोटर साइकिल सवार ने उन लड़कों में से एक को पकड़ा और दूसरे को इस छात्र ने। तभी किसी ने 100 नंबर पर फ़ोन कर दिया। पुलिस आई और मोबाइल फ़ोन बरामद कर वृद्ध को दे दिया और दोनों लड़कों को थाने ले गई। बाद में पता चला कि यह हमारे विद्यालय का ही छात्र है। आपसे प्रार्थना है कि अंकुर नामक इस छात्र को सम्मानित एवं पुरस्कृत करें ताकि अन्य छात्रों को भी ऐसा साहसिक कार्य करने की प्रेरणा मिल सके। सधन्यवाद प्रश्नः 20. सेवा में महोदय सविनय निवेदन यह है कि मैं इस विद्यालय की दसवीं कक्षा की छात्रा हूँ। अगले महीने हमारे विद्यालय में इंटरजोनल खेल प्रतियोगिता का आयोजन किया जाना है। इसमें हमारे विद्यालय के अनेक खिलाड़ी भी भाग ले रहे हैं। मैं खुद बॉलीबॉल टीम की कप्तान हूँ। इन खेलों का अभ्यास करने के लिए हमें घर पर उचित स्थान नहीं मिल पाता है। उचित अभ्यास के बिना खेलों में जीत और पदक लाने की कल्पना करना भी ठीक नहीं। विद्यालय बंद होने के बाद इस खेल परिसर में हम अभ्यास करें तो हमारे खेल में अवश्य सुधार होगा। अतः आपसे प्रार्थना है कि विद्यालय बंद होने के बाद हमें इसी खेल-परिसर में अभ्यास करने का अवसर प्रदान कर कृतार्थ करें। हम खिलाड़ी छात्र-छात्राएँ आपके आभारी रहेंगे। सधन्यवाद अन्य प्रार्थना-पत्र का प्रारूप प्रश्नः 1. पानी का नया कनेक्शन लेने के लिए दिल्ली जल बोर्ड के मुख्य राजस्व अधिकारी को प्रार्थना पत्र लिखिए। आप 231/3, बाबा कॉलोनी, संतनगर, दिल्ली निवासी शैलेंद्र हो। उत्तर: सेवा में महोदय विनम्र निवेदन यह है कि मैंने एक महीने पहले बाबा कॉलोनी संतनगर में प्लाट लेकर एक मकान बनवाया है। मैं इस मकान में अपने नाम से पानी का नया कनेक्शन लेना चाहता हूँ। इसके लिए मैं आवश्यक औपचारिकताएं पूरी करने को तैयार हूँ। अतः आपसे प्रार्थना है कि इस मकान का निरीक्षण करके अन्य आवश्यक कार्यवाही पूरी करते हुए यथाशीघ्र पानी का नया कनेक्शन प्रदान करने की कृपा करें। प्रश्नः 2. सेवा में महोदय विनम्र निवेदन यह है कि मैं इस बैंक का 2013 से नियमित ग्राहक हूँ। मेरा खाता क्रमांक 1066688……… है। इस खाते के संचालन के लिए मुझे 02 जनवरी, 20XX में 959001………….50. क्रमांक वाली चेकबुक जारी की गई थी। फरवरी 20XX के अंतिम सप्ताह में बस द्वारा यात्रा करते समय मेरी चेकबुक और कुछ अन्य कागजात चोरी हो गए, जिसके संबंध में एफ०आई०आर० लिखवा दी है। अब मुझे नई चेकबुक की आवश्यकता है। अतः आपसे प्रार्थना है कि मुझे नई चेकबुक प्रदान करने की कृपा करें। प्रश्नः 3. सेवा में महोदय सविनय निवेदन यह है कि मैं कौशिक इन्क्लेव निवासी हूँ, जो बुराड़ी सर्किल में शामिल है। गत सप्ताह मेरे पिता जी जब उचित दर की दुकान से राशन लेकर लौट रहे थे तभी राशन
कार्ड कहीं गिर गया। इसे बहुत खोजा गया पर इसका पता न चला। हमने उस दुकान पर भी पता किया शायद कोई वहाँ जमा करा गया हो पर सारे प्रयास व्यर्थ रहे। यद्यपि दो दिन बाद ही हमने राशन कार्ड खोने की सूचना थाने में दे दी पर एक सप्ताह से अधिक समय बीत जाने पर भी उसका कुछ पता न चला। अब मुझे राशन लेने के लिए नए राशन कार्ड की आवश्यकता है। सधन्यवाद प्रश्नः 4. सेवा में महोदय सविनय निवेदन यह है कि मैं नजफगढ़ गाँव का निवासी हैं। इसी ग्राम सभा में मेरे 15 एकड़ खेत हैं। जिन पर मैं खेती करते हुए अनाज़, सब्ज़ियाँ और फूल उगाता हूँ। अब तक यह कार्य में किराए के ट्रैक्टर द्वारा किया करता था पर अब मैं खुद ट्रैक्टर खरीदना चाहता हूँ, जिसके लिए मुझे ऋण की आवश्यकता है। इसके लिए मैं सभी औपचारिकताएँ पूरी करने को तैयार हूँ। आपसे प्रार्थना है कि प्रार्थना पत्र के संलग्न कागजातों को देखते हुए मुझे कर्ज़ प्रदान करने के संबंध में सहानुभूतिपूर्वक विचार करते हुए ऋण प्रदान करने की कृपा करें। इसकी किश्तें मैं समय-समय पर चुकाता रहूँगा। आवेदन पत्र आवेदन पत्र का प्रारूप आवेदन पत्रों के उदाहरण प्रश्नः 1. सेवा में महोदय गाजियाबाद से प्रकाशित अमर उजाला (दैनिक) अंक 7 मार्च, 20XX में प्रकाशित विज्ञापन से ज्ञात हुआ कि कंपनी को कुछ विक्रय प्रतिनिधियों की आवश्यकता है। इस विज्ञापन के जवाब में प्रार्थी भी अपनी योग्यताओं का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत करते हुए आवेदन पत्र प्रस्तुत कर रहा है, जिसका विवरण निम्नलिखित है
6. अनुभव–छह माह तक इसी पद पर निरमा सोप एंड वाशिंग पाउडर प्रा० लिमिटेड में। घोषण-मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि अपनी सेवाओं से संतुष्ट रखने का पूर्ण प्रयास करूँगा। प्रश्नः 2. सेवा में महोदय दिनांक 02 मार्च, 20XX को प्रकाशित दैनिक जागरण समाचार पत्र के विज्ञापन से ज्ञात हुआ कि सीमा सुरक्षा बल दिल्ली को कुछ क्लर्कों की आवश्यकता है। प्रार्थी भी उक्त पद के लिए अपना आवेदन-पत्र प्रस्तुत कर रहा है जिसका संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है
घोषण : मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि मैं पूरी निष्ठा एवं ईमानदारी से देश की सेवा करूँगा। प्रश्नः 3. सेवा में महोदय 25 फरवरी, 20XX को प्रकाशित नवभारत टाइम्स दैनिक से ज्ञात हुआ कि इस निदेशालय को कुछ ऐसे युवकों की आवश्यकता है जो सायंकाल प्रौढ़ों को पढ़ा सकें। प्रार्थी भी इसी उद्देश्य हेतु अपना आवेदन-पत्र प्रस्तुत कर रहा है जिसका विवरण निम्नलिखित है
घोषण-मैं निष्ठा एवं विश्वासपूर्वक घोषणा करता हूँ कि यदि आप मुझे सेवा का अवसर प्रदान करते हैं तो मैं आपको शिकायत का मौका नहीं दूंगा। प्रश्नः 4. सेवा में महोदय 20 फरवरी, 20XX के दैनिक जागरण में प्रकाशित विज्ञापन से ज्ञात हुआ कि उत्तर प्रदेश के विद्यालयों में कंप्यूटर शिक्षकों की आवश्यकता है। प्रार्थी भी इस पद के लिए आवेदन पत्र प्रस्तुत कर रहा है, जिसका विवरण इस प्रकार है
घोषणा-मैं निष्ठा एवं ईमानदारी से घोषणा करता हूँ कि उक्त पद पर चुने जाने के बाद मैं अपनी सेवाओं से सदैव संतुष्ट रखने का प्रयास करूंगा। प्रश्नः 5. सेवा में महोदय 10 मार्च, 20XX को प्रकाशित नवभारत टाइम्स दैनिक समाचार-पत्र के एक विज्ञापन से ज्ञात हुआ कि दिल्ली नगर निगम के प्राथमिक विद्यालयों में अध्यापक/अध्यापिकाओं के कुछ पद रिक्त हैं। प्रार्थी भी इस पद पर अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत कर रहा है, जिसका विवरण इस प्रकार है-
7. अनुभव-निशांत पब्लिक स्कूल, रोहिणी दिल्ली में 2 वर्ष से प्राथमिक अध्यापक पद पर कार्यरत। प्रश्नः 6. महोदय दिनांक 10 मार्च, 20XX के टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित विज्ञापन से ज्ञात हुआ कि आपके बैंक मुख्यालय में लिपिकों के कुछ पद रिक्त हैं। प्रार्थी स्वयं को उम्मीदवार के रूप में प्रस्तुत कर रहा है। मेरा संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है-
6. अनुभव-बैंक ऑफ बड़ौदा में कांट्रेक्ट बेसिस पर कंप्यूटर ऑपरेटर गत 2 वर्ष छह माह से। सधन्यवाद प्रश्नः 7. सेवा में महोदय 15 फरवरी, 20XX को लखनऊ से प्रकाशित ‘राष्ट्रीय सहारा’ समाचार-पत्र से ज्ञात हुआ कि पुलिस मुख्यालय (उ०प्र०) में कुछ कांस्टेबलों की आवश्यकता है। प्रार्थी भी अपना संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत करते हुए अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत करता है, जो निम्नलिखित है
प्रश्नः 8. सेवा में महोदय 20 जनवरी, 20XX को ‘राजस्थान पत्रिका’ के अंक से ज्ञात हुआ कि इस कार्यालय में कार्यालय सहायकों के कुछ पद रिक्त हैं। प्रार्थी भी अपना संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कर रहा है, जिसका विवरण इस प्रकार है
सधन्यवाद प्रश्नः 9. प्रबंधक महोदय महोदय दिनांक 5 मार्च, 20XX को दैनिक जागरण समाचार पत्र में प्रकाशित विज्ञापन से ज्ञात हुआ कि इस कार्यालय में कुछ विक्रय प्रतिनिधियों की आवश्यकता है। प्रार्थी भी अपना आवेदन पत्र प्रस्तुत कर रहा है जिसका विवरण निम्नलिखित है
7. अनुभव-प्राची प्रकाशन मेरठ में 1 साल का अनुभव इसी पद पर। शिकायत/सुझाव संबंधी पत्र इन पत्रों में किसी व्यक्तिगत या सार्वजनिक समस्या के प्रति शिकायत अथवा उसके हल संबंधी सुझाव प्रस्तुत किए जाते हैं। शिकायत/सुझाव संबंधी पत्रों का प्रारूप प्रश्नः 1. सेवा में महोदय मैं आपका ध्यान रोहतक से दिल्ली आने वाले मार्ग के एक किलोमीटर दूर बसे प्रतापपुर गाँव को जोड़ने वाली सड़क की ओर ले जाना चाहता हूँ। दिल्ली-रोहतक मार्ग से प्रताप पुरा गाँव को जोड़ने वाली सड़क पर लगी लाइटों की दशा दयनीय हो चुकी है। इनमें से अधिकांश के बल्ब टूट गए हैं। उनमें से कुछ के खंभे तक टूटे हुए हैं। ऐसा लगता है, जैसे इनको लगाने के बाद इनकी मरम्मत पर कोई ध्यान नहीं दिया गया है। इससे रात में आने-जाने वालों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। लाइटों की कमी एवं अँधेरे का लाभ असामाजिक तत्व उठा रहे हैं। वे आने-जाने वालों का सामान छीनकर इधर-उधर छिप जाते हैं। इसके अलावा इस मार्ग पर यात्रियों के गिरकर घायल होने की कई घटनाएँ हो चुकी हैं। अतः आपसे प्रार्थना है कि सड़क पर लगी इन लाइटों को अतिशीघ्र ठीक करवाने हेतु उचित कदम उठाने की कृपा करें। सधन्यवाद प्रश्नः 2. सेवा में महोदय मैं आपका ध्यान अपनी कॉलोनी रामा विहार की ओर ले जाना चाहता हूँ, जहाँ पार्क के लिए छोड़ी गई खाली ज़मीन पर कुछ लोगों द्वारा अवैध कब्जा किया जा रहा है। सन् 1995 में बसाई गई इस कॉलोनी में डी०डी०ए० द्वारा खाली ज़मीन छोड़ी गई थी जिस पर पार्क विकसित किया जाना था, जिसमें बच्चे खेल सकें और वृद्धजन सैर कर सकें। दुर्भाग्य से इस ज़मीन पर एक किनारे टेंट हाउस के मालिक ने अपना सामान जमा कर लिया। दूसरे कोने पर एक भैंस वाला आठ-दस भैंसे बाँधने लगा है और सुबह-शाम दूध बेचता है। कॉलोनी की ओर वाले भाग पर लोगों ने कूड़ा फेंककर कूड़ेदान बना दिया है, जिससे यहाँ उठना बैठना मुश्किल हो गया है। आपसे प्रार्थना है कि इस मामले में व्यक्तिगत रुचि लेते हुए स्वयं पार्क की जगह का निरीक्षण करें और इसे यथाशीघ्र खाली करवाकर पार्क के रूप में विकसित करने की कृपा करें। सधन्यवाद प्रश्नः 3. सेवा में मैं आपका ध्यान दिल्ली दूरदर्शन पर प्रसारित कार्यक्रमों की गुणवत्ता में निरंतर आती गिरावट की ओर आकर्षित कराना चाहता हूँ। दिल्ली दूरदर्शन मनोरंजन एवं ज्ञानवर्धन की दुनिया में अपनी एक विशेष पहचान रखता है जिसे देशभर के लोग अत्यंत चाव से देखते हैं। दुर्भाग्य से इधर कुछ दिनों से दिल्ली दूरदर्शन अपने लक्ष्य से भटक गया है और अन्य चैनलों की नकल तथा आर्थिक पक्ष को अधिक महत्त्व देने के कारण इसके कार्यक्रमों में निरंतर गिरावट आती जा रही है, जिसका बालकों एवं किशोर मन पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। ये कार्यक्रम भारतीय संस्कृति की गरिमा को भी ठेस पहँचा रहे हैं। इन कार्यक्रमों में हिंसा, अश्लीलता, रोना-धोना, मार-पीट होना आम बात है। अतः आपसे प्रार्थना है कि आप स्वयं व्यक्तिगत रुचि लेते हुए इन कार्यक्रमों की समीक्षा करते हुए ऐसे कार्यक्रमों का प्रसारण करवाने की कृपा करें जिनसे ज्ञानवर्धन और स्वस्थ मनोरंजन हो और जिन्हें परिवार के सभी सदस्य एक साथ बैठकर देख सकें। सधन्यवाद प्रश्नः 4. सेवा में महोदय मैं आपका ध्यान दो सप्ताह पूर्व खरीदे गए आधुनिक मोबाइल फ़ोन ‘जी-टेक्स’ की ओर ले जाना चाहता हूँ जो आजकल मेरी परेशानी का कारण बना हुआ है। दो सप्ताह पूर्व इस दुकान से मैंने अत्याधुनिक विशेषताओं वाला एक मोबाइल फ़ोन 20999 रु. में खरीदा था। यह फ़ोन सप्ताह बाद ही हैंग होना शुरू हो गया। इसकी आवाज़ में खरखराहट होती है। इसके द्वारा खींची गई फोटो में शक्ल पहचानना कठिन हो जाता है। इसका रिकार्डिंग फंक्शन भी काम नहीं कर रहा है। वास्तव में इतना महँगा फ़ोन हमारी परेशानी का कारण बन गया है। आपसे प्रार्थना है कि इस फ़ोन को बदलकर नया फ़ोन प्रदान करने की कृपा करें। सधन्यवाद प्रश्नः 5. सेवा में महोदय मैं आपका ध्यान कल शालीमार बाग रेलवे आरक्षण केंद्र पर काउंटर नं०-4 पर कार्यरत क्लर्क के दुर्व्यवहार की ओर आकर्षित कराना चाहता हूँ। कल मैं महामना एक्सप्रेस द्वारा वाराणसी जाने के लिए आरक्षण करवाने गया था। मुझे लाइन में लगे दो घंटे से ज़्यादा समय बीत चुका था। काउंटर नं०-4 पर बैठा क्लर्क बिना लाइन में लगे लोगों का फार्म लेकर टिकट बना रहा था। हद तो तब हो गई जब उसने एक ही व्यक्ति से अलग-अलग समय पर तीन बार फार्म बिना नंबर के ले लिया। इससे हमारा नबंर बार-बार पीछे होता जा रहा था। जब मैंने इसका विरोध किया तो पहले तो उसने काम बंद कर दिया। दस मिनट बाद जब लौटकर आया तो बदतमीजी और गाली-गलौज पर उतर आया। इस व्यवहार से मैं स्वयं को अपमानित-सा महसूस करने लगा। आपसे प्रार्थना है कि आप स्वयं सी०सी०टी०वी० फुटेज की जाँच करके इस क्लर्क के विरुद्ध कार्यवाही करने की कृपा करें। सधन्यवाद प्रश्नः 6. सेवा में महोदय मैं आपका ध्यान मीरपुर नवादा गाँव और उसके आस-पास के क्षेत्रों में की जा रही बिजली की अघोषित कटौती की ओर ले जाना चाहती हूँ जहाँ सात-आठ घंटे तक बिजली कटौती हो रही है। श्रीमान जी, शहर के पास स्थित औद्योगिक प्रतिष्ठानों को लगातार बिजली देने के क्रम में शहर में बिजली कटौती की व्यवस्था लागू कर दी गई है, जिससे हम छात्रों को असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। आजकल परीक्षाओं का समय है। इस समय छात्र अपनी परीक्षा की तैयारी में लगे हैं। रात में बिजली की कटौती तैयारी में बाधक बनती जा रही है। हमारे प्रश्न-पत्रों की तैयारी आधी-अधूरी ही हो पा रही है। यदि यही स्थिति रही तो छात्र फेल हो जाएँगे और इससे उनका साल बेकार हो जाएगा। अतः आपसे विनम्र प्रार्थना है कि बिजली कम-से-कम काटें तथा इसकी कटौती का समय भी बदल दिया जाए। आशा है कि आप इस मामले में व्यक्तिगत रुचि लेकर हस्तक्षेप करने की कृपा करेंगे। सधन्यवाद प्रश्नः 7. सेवा में महोदय मैं आपका ध्यान अपने क्षेत्र बिजवासन में डाकघर न होने से उत्पन्न परेशानी की ओर आकर्षित कराना चाहता हूँ। ऐसा लगता है कि बिजवासन गाँव और उसके आसपास के क्षेत्रों की ओर डाक विभाग का ध्यान गया ही नहीं। दिल्ली और हरियाणा की सीमा पर बसे होने के कारण यहाँ डाकघर खोलने और यहाँ रहने वालों की परेशानियों की ओर किसी का ध्यान गया ही नहीं। इस क्षेत्र के लोगों को डाकघर संबंधी अपनी ज़रूरतें पूरी करने के लिए द्वारका या धौलाकुआँ आना पड़ता है जिससे समय श्रम एवं धन तीनों की ही बरबादी होती है। अतः आपसे प्रार्थना है कि क्षेत्रवासियों की समस्या को ध्यान में रखते हुए यहाँ नया डाकघर खोलने की कृपा करें। हम क्षेत्रवासी आपके आभारी रहेंगे। सधन्यवाद प्रश्नः 8. सेवा में महोदय मैं आपका ध्यान दिल्ली में चलने वाली बसों की असुरक्षित स्थिति की ओर ले जाना चाहता हूँ जिनमें सफ़र करना जोखिम भरा हो गया है। पिछले हफ्ते मुझे कश्मीरी गेट बस अड्डे से मायापुरी जाना था। मैंने पता नहीं क्या सोचकर रूट नं. 753 की बस से सफ़र करने का मन बनाया। ए०सी० वाली इस बस में नई दिल्ली स्टैंड पर कुछ सवारियाँ चढ़ीं। इनमें एक वृद्धा भी थी जिनके लिए मैं सीट छोड़कर खड़ा हो गया। इसी बीच कुछ धक्का-मुक्की हुई और अगले स्टैंड पर जब लोग उतरे तब मुझे ध्यान आया तो देखा मेरी जेब कट चुकी थी। इससे मुझे बहुत परेशानी हुई। आपसे प्रार्थना है कि दिल्ली की बसों में सुरक्षा बढ़ाने के लिए होमगार्ड या मार्शल तैनात करें ताकि लोगों की यात्रा मंगलमय हो सके। सधन्यवाद प्रश्नः 9. सेवा में महोदय मैं आपका ध्यान खजूरी से लोनी की ओर जाने वाली सड़क के किनारे बसी पूजा कॉलोनी की ओर आकर्षित करना चाहता हूँ जहाँ बस की सुविधा न होने के कारण लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। खजूरी से लोनी मार्ग पर सात-आठ किलोमीटर दूर बसी पूजा कॉलोनी से बस की कोई सुविधा नहीं है। इस कारण पहले लोगों को किसी तरह खजूरी आना पड़ता है। इसका अनुचित फायदा आटो और फटफट सेवा वाले उठाते हैं। वे यात्रियों से मनमाना किराया बसूलते हैं और दूंस-ठूसकर सवारियों को बिठाते हैं। इसके बाद भी वे प्रायः यात्रियों से दुर्व्यवहार करते हैं। आपसे विनम्र प्रार्थना है कि पूजा कॉलोनी से केंद्रीय टर्मिनल के लिए नया बस रुट बना देने से लोग कश्मीरी गेट बस अड्डा, दरियागंज, पंत अस्पताल आदि स्थानों पर आसानी से पहुँच सकेंगे। आपकी इस कृपा के लिए हम आपके आभारी रहेंगे। सधन्यवाद प्रश्नः 10. सेवा में महोदय इस पत्र के माध्यम से मैं आपका ध्यान अपने इलाके मंगलापुरी में पेयजल की आपूर्ति की ओर आकर्षित कराना चाहता हूँ। श्रीमान जी, इस क्षेत्र में करीब एक महीने से पेयजल आपूर्ति की व्यवस्था बदहाल स्थिति में पहुँच गई है। यहाँ पहले से ही पानी की आपूर्ति सुबह-शाम की जाती थी, परंतु आजकल पानी का दबाव बहुत कम होता है, जो दूसरी मंजिल पर भी नहीं पहुँच पाता है। इसके अलावा यह पानी देखने में गंदा तथा सँघने में बदबूदार लगता है। इस पानी को नाक बंद करके पीना भी कठिन हो गया है। ऐसे दूषित पानी की सप्लाई से क्षेत्र में हैजा, दस्त, आंत्रशोथ जैसी बीमारियों के मरीज बढ़ने लगे हैं। आपसे प्रार्थना है कि इस मामले में व्यक्तिगत रुचि लेते हुए जलापूर्ति
व्यवस्था सुचारु करवाने की कृपा करें ताकि हमें पीने का शदध पानी मिल सके तथा पानी की कठिनाई से मुक्ति मिल सके। आपकी इस कृपा के लिए हम इलाके वाले आपके आभारी रहेंगे। प्रश्नः 11. सेवा में मान्यवर मैं आपका ध्यान आजादपुर के पास बसी लालबाग की झुग्गी में रह रहे लोगों की ओर आकर्षित कराना चाहता हूँ। उनकी दयनीय दशा का पता उस समय लगा जब मैं एक सर्वेक्षण के लिए वहाँ गया। इन लोगों को मूलभूत सुविधाएँ भी नहीं मिल सकी हैं। लालबाग क्षेत्र में बसी ये झुग्गियाँ बीस साल से भी अधिक समय से यहाँ बसी हैं। यहाँ हर चुनाव में नेतागण विकास की बड़ी-बड़ी बातें करते हैं परंतु आज भी यहाँ मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव है। सफ़ाई की हालत इतनी बदतर है कि यहाँ से नाक पर रूमाल रखकर गुजरना पड़ता है। शौचालय की इतनी कमी है कि लोग रेल की पटरियों के किनारे शौच के लिए जाते हैं। पीने के पानी की व्यवस्था तो और भी बदतर है। पानी की पाइपें जगह-जगह टूटी हैं और नल गायब हैं जिनसे पानी बहकर कीचड़ और गंदगी फैलाता रहता है। आपसे प्रार्थना है कि इस क्षेत्र का निरीक्षण कर आप स्वयं वस्तुस्थिति को देखें और यहाँ के लोगों को मूलभूत सुविधाएँ प्रदान करने की कृपा करें। सधन्यवाद प्रश्नः 12. सेवा में महोदय मैं इस पत्र के माध्यम से अपने इलाके नंद नगरी में निरंतर बढ़ रही छीना-झपटी और अन्य अवांछित घटनाओं की ओर आपका ध्यान आकर्षित कराना चाहता हूँ। श्रीमान जी, यहाँ बस स्टैंड से बी-सी ब्लॉक की ओर आने वाली सड़क पर पिछले पंद्रह दिनों में छीना-झपटी की छह-सात घटनाएँ हो चुकी हैं। शाम ढलते ही स्टैंड के पास कुछ आवारा एवं मनचले किस्म के युवा मोटर-साइकिलों पर खड़े रहते हैं। वे मौका देख अकेली आती-जाती महिलाओं के गले से चेन, पर्स आदि खींचकर रफूचक्कर हो जाते हैं। इसके अलावा चोर मुख्य बाजार में शटर काटकर दो दुकानों पर चोरी करके चलते बने, जिसका अब तक कुछ पता नहीं चला है। यहाँ चोर-उचक्कों, झपटमारों के बढ़े हौंसले देख ऐसा लगता है, जैसे कानून-व्यवस्था नाम की कोई चीज़ नहीं है तथा पुलिस और कानून का ज़रा भी भय नहीं रह गया है। अतः आपसे प्रार्थना है कि इस इलाके विशेषतः बस-स्टैंड के आस-पास पुलिस गश्त बढ़ाने की कृपा करें ताकि इन झपटमारों में भय पैदा हो तथा नागरिक स्वयं को सुरक्षित महसूस कर सकें। हम क्षेत्रवासी आपके आभारी रहेंगे। सधन्यवाद प्रश्नः 13. 127/3ए, मंगल अपार्टमेंट महोदय इस पत्र के माध्यम से मैं आपका ध्यान अपने क्षेत्र मायापुरी में हो रही डाक-वितरण की लापरवाही की ओर आकर्षित कराना चाहता हूँ। श्रीमान जी, हम मंगल अपार्टमेंट, मायापुरी के निवासी यहाँ नियुक्त डाकिए की मनमर्जी से परेशान हैं। यहाँ डाकिया पत्र वितरण के लिए प्रतिदिन नहीं आता है। वह सप्ताह में एक या दो बार ही आता है। इससे हमारे पत्र काफ़ी विलंब से हमें मिलते हैं। वह दूसरी या तीसरी मंजिल के पत्रों को नीचे ही फेंक जाता है या गली में खेल रहे बच्चों को देकर चला जाता है, जिसे वे खेलने की वस्तु समझकर इधर-उधर फेंक देते हैं या फाड़कर फेंक देते हैं। पिछले सप्ताह ही हमें इंटरव्यू का पत्र तब मिला जब उसकी तिथि निकल चुकी थी। इसी प्रकार कुछ पत्रों के बंडल पास के नाले में फेंके मिले थे। इससे लोगों में रोष है। अतः आपसे प्रार्थना है कि इस मामले में व्यक्तिगत रुचि लेकर उचित कार्यवाही करने की कृपा करें ताकि क्षेत्र में डाक-वितरण व्यवस्था सुचारु हो और हमारे पत्र समय पर मिल सकें। सधन्यवाद संपादकीय पत्र का प्रारूप संपादकीय पत्रों के कुछ उदाहरण प्रश्नः 1. सेवा में महोदय आपके लोकप्रिय समाचार पत्र के माध्यम से मैं माननीयों का ध्यान संसद में उनके उस व्यवहार की ओर आकर्षित कराना चाहती हूँ जिसे देखकर देश की जनता बहुत कुछ सोचने पर विवश हो जाती है। हमारे माननीय सांसद एवं अन्य नेतागण चुनाव के समय में जनता के सामने शालीनता, नम्रता, विनम्रता आदि का उदाहरण प्रस्तुत करते नज़र आते हैं परंतु चुने जाने के उपरांत सांसद, राज्यसभा और विधानसभा में अमर्यादित आचरण करने से भी परहेज नहीं करते हैं। हाथमपाई करना, कपड़े फाड़ना, मुक्के मारना, फर्नीचर एवं अन्य कीमती उपकरण तोड़ना आदि जैसे अमर्यादित व्यवहार से अपनी और सदन की गरिमा को गिराते हैं तथा लोगों के बीच अपनी छवि ख़राब करते हैं। आपसे प्रार्थना है कि इसे अपने सम्मानित समाचार पत्र में स्थान दें ताकि इसे पढ़कर हमारे माननीय सांसद अपने व्यवहार को आदर्श एवं मर्यादित बनाने का प्रयास करें। सधन्यवाद प्रश्नः 2. सेवा में महोदय मैं आपके लोकप्रिय एवं सम्मानित समाचार-पत्र के माध्यम से सरकार एवं लोगों का ध्यान आतंकवाद की विश्वव्यापी समस्या की ओर ले जाना चाहता हूँ। आज आतंकवाद केवल भारत की नहीं, बल्कि समूचे विश्व की समस्या बन गया है। यद्यपि विभिन्न देशों द्वारा समय-समय पर इसे कुचलने का प्रयास किया गया पर सुरसा के मुँह की भाँति यह बढ़ता ही जा रहा है। ओसामा बिन लादेन के मारे जाने के बाद भी आतंकवाद में विशेष कमी नहीं आई है। विश्व के कुछ राष्ट्र आतंकियों की फ़सल पैदा करने के लिए उर्वर ज़मीन सिद्ध हो रहे हैं। वे अप्रत्यक्ष रूप से आतंकवाद का समर्थन और पोषण कर रहे हैं तथा आतंकियों को धन, सुविधाएँ एवं प्रशिक्षण देने का घृणित कार्य कर रहे हैं। यद्यपि पाकिस्तान जैसे पश्चिमी राष्ट्रों के लिए अब आतंकी भारी पड़ने लगे हैं पर उसे अपनी हानि की चिंता कम दूसरों की हानि देखने में ज़्यादा मजा आ रहा है। अब समय आ गया है कि अमेरिका के नेतृत्व में विश्व के सभी राष्ट्र एक जुट होकर आतंकवाद का मुकाबला करें। आपसे प्रार्थना है कि इसे अपने कॉलम में जगह देने की कृपा करें ताकि लोगों में आतंकवाद के विरुद्ध जागृति पैदा कर सके। सधन्यवाद प्रश्नः 3. महोदय मैं आपके सम्मानित पत्र के माध्यम से दूरदर्शन के प्रसारण अधिकारियों तथा सरकार का ध्यान दूरदर्शन के कार्यक्रमों में बढ़ते विज्ञापनों एवं उनमें बढ़ती अश्लीलता की ओर आकर्षित कराना चाहता हूँ। आजकल दूरदर्शन पर कोई भी कार्यक्रम प्रसारित किया जा रहा हो, उसका आधे से अधिक समय तक दर्शकों को विज्ञापन देखने के लिए विवश होना पड़ता है। इन विज्ञापनों को बार-बार दिखाया जाता है जिससे कार्यक्रम का मज़ा खराब हो जाता है। इन विज्ञापनों में बढ़ती अश्लीलता, हिंसा, द्विअर्थी भाषा आदि का किशोर एवं बालमन पर बुरा प्रभाव पड़ता है। नारी और किशोरी के देहदर्शन के बिना शायद ही कोई विज्ञापन पूरा होता है। ‘खाने से डरता है क्या’, ‘दाग अच्छे हैं’ जैसे वाक्यों से बच्चों की भाषा प्रभावित हो रही है और सामाजिक मर्यादाएँ भंग हो रही हैं। इससे समाज में अश्लीलता और कामुकता में वृद्धि हुई है। आपसे प्रार्थना है कि इसे अपने समाचार पत्र में स्थान दें ताकि इन विज्ञापनों की संख्या कम करके स्वस्थ विज्ञापनों के प्रसारण पर ध्यान दिया जाए। सधन्यवाद प्रश्नः 4. 125/4ए, महोदय आपके सम्मानित पत्र के माध्यम से मैं सरकार और संबंधित अधिकारियों का ध्यान दिनोदिन बढ़ती महँगाई की ओर आकर्षित कराना चाहता हूँ। महँगाई हमारे देश की समस्या है जिससे बहुसंख्यक जनता त्रस्त है। इसका अधिक प्रभाव मध्यम और निम्न आय वर्ग के लोगों पर अधिक देखने को मिलता है। वर्तमान में बढ़ती महँगाई ने आम आदमी का जीना मुश्किल कर दिया है। लोगों को अपनी मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करने के लाले पड़े हुए हैं। महँगाई बढ़ाने में बाढ़, सूखा तथा अन्य प्राकृतिक आपदाएँ तथा जमाखोरी, कालाबाज़ारी, मिलावट, अधिकाधिक लाभ कमाने की स्वार्थपर प्रवृत्ति भी जिम्मेदार है। इसके अलावा संपन्न वर्ग द्वारा अधिकाधिक वस्तुओं की खरीददारी कर शान प्रदर्शन करना भी एक कारण है। मूल्यवृद्धि तथा महँगाई रोकने के लिए वस्तुओं का अधिकाधिक उत्पादन, सार्वजनिक वितरण को सुचारु करने तथा लोगों की जमाखोरी आदि पर अंकुश लगाने की आवश्यकता है। कृपया इसे अपने समाचार-पत्र के कॉलम में स्थान दें, ताकि महँगाई रोकने के प्रति सरकार आवश्यक कदम उठाए। सधन्यवाद प्रश्नः 5. सेवा में महोदय मैं आपके सम्मानित पत्र के माध्यम से आपका ध्यान शहर की सड़कों पर आवारा घूमते पशुओं की ओर आकर्षित कराना चाहता हूँ जो आए दिन दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं। विगत कुछ वर्षों से हमारे शहर में आवारा पशुओं की संख्या बढ़ती जा रही है। कुछ दधिए गाय और भैंसों का सुबह-शाम दूध निकालकर उन्हें खुला छोड़ देते हैं। जिससे ये जानवर कुछ खाने की लालच में इधर-उधर और सड़कों पर घूमते हैं। इससे यातायात बाधित होता है तथा कई बार ये जानवर राहगीरों को सींग मार देते हैं। इन पशुओं के कारण कई साइकिल और मोटरसाइकिल दुर्घटनाग्रस्त हो चुके हैं। आपसे प्रार्थना है कि आप इसे अपने समाचार-पत्र में स्थान दें ताकि इन्हें खुला छोड़ने वाले ग्वालों और इन्हें पकड़ने वाले कर्मचारियों का ध्यान इस ओर जाए और वे इन पर नियंत्रण करें। . सधन्यवाद प्रश्नः 6. 104/3बी महोदय मैं आपके प्रतिष्ठित समाचार-पत्र के माध्यम से जनसामान्य, संबंधित अधिकारियों तथा सरकार का ध्यान देश को शर्मसार करने वाले घोटालों की ओर आकर्षित कराना चाहता हूँ। महोदय, गत कुछ वर्षों से देश में हो रहे घोटालों में बाढ-सी आ गई है। इन घोटालों के बारे में पढकर शर्म से सिर झुक जाता है। हमारे देश में हुए घोटालों में ट्र-जी घोटाला, कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाला, एन०आर०एच०एम० घोटाला प्रमुख हैं। लोग इन घोटालों के बारे में अभी भूल भी न पाए थे कि कोयला घोटाले की आग में देश झुलसने लगा। ये तो मात्र थोड़े-से घोटाले हैं जिनका खुलासा होने से आम लोगों की जानकारी में आ गए अन्यथा ऐसे बहुत-से घोटाले हैं जो फाइलों में दबे पड़े हैं। इन घोटालों में शामिल हमारे माननीय और संबंधित अधिकारियों ने निजी स्वार्थ के लिए देश की गरिमा को ठेस पहुँचाई है। ऐसे लोग जब तक स्वार्थ प्रवृत्ति नहीं त्यागेंगे तथा जब तक इन्हें कठोर दंड नहीं दिया जाता, तब तक ये घोटाले थमने का नाम नहीं लेंगे। कृपया इसे समाचार-पत्र में प्रकाशित करने का कष्ट करें ताकि लोगों में इन घोटालों के प्रति जन जागरूकता पैदा हो सके। सधन्यवाद प्रश्नः 7. सेवा में महोदय मैं आपके सम्मानित समाचार-पत्र के माध्यम से आधुनिक शिक्षा प्रणाली की कमियों और नैतिक शिक्षा की आवश्यकता की तरफ सरकार और संबंधित अधिकारियों का ध्यान आकर्षित कराना चाहता हूँ। हमारी वर्तमान शिक्षा प्रणाली को उपयुक्त नहीं कहा जा सकता है। यह प्रणाली छात्रों को विद्यालय लाने में तो सफल रही है पर शिक्षा की गुणवत्ता में भरपूर गिरावट भी लाई है। आठवीं कक्षा तक छात्रों को फेल न करने की नीति के कारण छात्रों में पढ़ाई की लगन घट गई है। वे अपनी ऊर्जा का उपयोग पढ़ाई के अलावा अनुशासनहीनता और अवांछित गतिविधियों में लगाकर दुरुपयोग करते हैं। ऐसे में उनके पाठ्यक्रम में नैतिक शिक्षा शामिल किया जाना अत्यावश्यक हो गया है। इससे छात्रों को योग्य नागरिक बनने में मदद मिलती है। अतः आपसे प्रार्थना है कि इसे आप अपने समाचार-पत्र में स्थान दें ताकि सरकार, अभिभावक और छात्रों का ध्यान इस ओर जाए और वे छात्रों का भविष्य उज्ज्वल बनाने हेतु उचित कदम उठाएँ। सधन्यवाद, प्रश्नः 8. सेवा में महोदय मैं आपके प्रतिष्ठित पत्र द्वारा युवा पीढ़ी में पनप रही पहनावे और खान-पान संबंधी आदतों के संबंध में लोगों का ध्यान आकर्षित कराना चाहता हूँ। मान्यवर, युवा वर्ग में नकल करने की प्रवृत्ति ज़बरदस्त होती है। यह प्रवृत्ति जब फ़ैशन और खान-पान की आदतों से जुड़ी हो तो और भी बढ़ जाती है। वर्तमान में युवा वर्ग चर्चित हस्तियों के पहनावे और खान-पान की आदतों का अंधानुकरण कर रहा है। ऐसा करते समय वह यह भूल जाता है कि इन चर्चित हस्तियों और उसकी आर्थिक, सामाजिक और राजनैतिक स्थिति में ज़मीन आसमान का अंतर है। उनका ऐसा करना गलत है। ऐसा करके वे एक ओर अपने माँ-बाप की गाढ़ी कमाई का अपव्यय करते हैं तो दूसरी ओर अपना समय खराब करते हुए गलत आदत की ओर अनजाने में कदम बढ़ाते हैं। जो समय, वे इस अंधानुकरण में बर्बाद कर रहे हैं वह उनके ज्ञानार्जन एवं चरित्र-निर्माण का है। इससे वे कम उम्र में लक्ष्य भ्रष्ट हो रहे हैं तथा सादा जीवन उच्च विचार की गरिमा को ठेस पहुंचा रहे हैं। आपसे प्रार्थना है कि इसे अपने समाचार-पत्र में छापने की कृपा करें ताकि युवा वर्ग अंधानुकरण के परिणामों से अवगत हो सके। सधन्यवाद प्रश्नः 9. सेवा में महोदय आपके सम्मानित एवं लोकप्रिय पत्र के माध्यम से मैं आपका ध्यान अपने शहर के सरकारी अस्पताल में दवाओं और चिकित्सीय सेवाओं के अभाव की ओर ले जाना चाहता हूँ। जयपुर के सरकारी अस्पताल में मरीजों को दवाएँ लिख तो दी जाती हैं परंतु अस्पताल से उन्हें एक भी दवा नहीं मिलती है। इसके अलावा यहाँ डॉक्टरों, नौं और पैरामेडिकल स्टाफ की घोर कमी है जिसके कारण दूर-दूर से इलाज कराने आनेवाले मरीजों को निराश लौटना पड़ता है। गरीबों को मुफ्त वितरण हेतु आने वाली दवाओं का कुछ पता ही नहीं चल पाता है। अतः आपसे प्रार्थना है कि इसे आप अपने समाचार-पत्र में स्थान देने की कृपा करें ताकि सरकार और संबंधित अधिकारियों का ध्यान अस्पताल की दयनीय दशा की ओर जाए और वे इसमें सुधार करने हेतु आवश्यक कदम उठाएँ। सधन्यवाद प्रश्नः 10. सेवा में महोदय मैं आपके लोकप्रिय समाचार-पत्र के माध्यम से अपने विद्यालय में हिंदी दिवस के अवसर पर आयोजित गोष्ठी का विवरण जनसाधारण तक पहुँचाना चाहता हूँ। 14 सितंबर अर्थात् हिंदी दिवस के शुभ अवसर पर हमारे विद्यालय के सभागार में एक गोष्ठी का आयोजन किया गया। इसकी अध्यक्षता हिंदी प्रचार संस्थान के सचिव ने की। गोष्ठी में विभिन्न साहित्यिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। इसमें स्थानीय कवियों स्वरचित कविताओं का पाठ किया। कुछ अध्यापकों तथा छात्रों ने कविता और कहानी सुनाई। हमारे विद्यालय प्रमुख ने हिंदी भाषा की उपयोगिता पर अपने विचार प्रस्तुत किए। मुख्य अतिथि महोदय ने अपने अध्यक्षीय भाषण में हिंदी की महत्ता के बारे में बताते हुए लोगों से अपनी मातृभाषा हिंदी में काम-काज करने का अनुरोध किया। अंत में हिंदी में काम करने की प्रतिज्ञा लेने के साथ ही इस गोष्ठी का समापन किया गया। आशा है कि आप इसे अपने समाचार-पत्र में स्थान देकर हमें कृतार्थ करेंगे। धन्यवाद सहित प्रश्नः 11. सेवा में महोदय मैं आपके सम्मानित एवं लोकप्रिय पत्र के माध्यम से सरकार एवं संबंधित लोगों का ध्यान अपने क्षेत्र में बढ़ती अवैध कॉलोनियों और अवैध कब्जे की ओर ले जाना चाहता हूँ। संतनगर, बुराड़ी के पास प्रधान इंक्लेव में आजकल धड़ल्ले से कुछ भूमाफिया कार्यरत हैं। वे कृषि योग्य ज़मीन पर भूखंड बनाकर बेच रहे हैं। लोग इन पर धड़ाधड़ मकान बनवाते जा रहे हैं। यही स्थिति आसपास भी देखी जा सकती है। हर तरफ नई कॉलोनियाँ बसती जा रही हैं। यहाँ पार्क के लिए छोड़े गए भूखंड पर भी लोगों ने कब्जा कर लिया है। इससे उधर से आने-जाने में बड़ी परेशानी होती है। इसके अलावा यहाँ आसपास का प्राकृतिक सौंदर्य नष्ट हो गया है। अतः आपसे प्रार्थना है कि आप इसे समाचार-पत्र में स्थान देने की कृपा करें ताकि संबंधित अधिकारियों का ध्यान इस ओर जाए तथा इन्हें रोकने की दिशा में आवश्यक कदम उठाने का कष्ट करें। सधन्यवाद प्रश्नः 12. सेवा में महोदय मैं आपके सम्मानित एवं लोकप्रिय समाचार-पत्र के माध्यम से सरकार तथा जनसाधारण का ध्यान सरकस में जानवरों पर किए जा रहे अत्याचार की ओर आकृष्ट कराना चाहता हूँ। प्रायः देखा गया है कि सरकस में तरह-तरह के जानवरों से काम लिया जाता है। यद्यपि इनके हैरतअंगेज एवं विचित्र कार्यों द्वारा लोग अपना मनोरंजन करते हैं और तालियाँ बजाकर उत्साहित होते हैं पर इसके बदले इन मासूम जानवरों एवं पक्षियों की आजादी छिन जाती है। इसके अलावा प्रशिक्षण के नाम पर इनके साथ बड़ा ही क्रूर और अमानवीय व्यवहार किया जाता है। ऐसा करते हुए कइयों की तो जान भी चली जाती है। इसे रोकने के लिए सरकस में जानवरों से काम लेने पर तुरंत प्रतिबंध लगा देना चाहिए। आपसे प्रार्थना है कि इसे अपने समाचार पत्र में स्थान दें ताकि सरकस और संबंधित अधिकारियों का ध्यान इस ओर जाए और सरकस में जानवरों से काम लेने पर प्रतिबंध लगाया जाए। सधन्यवाद प्रश्नः 13. संपादक महोदय महोदय मैं आपके सम्मानित पत्र के माध्यम से वन विभाग के अधिकारियों और लोगों का ध्यान अपने क्षेत्र के पार्क में सूखते पौधों की ओर आकर्षित कराना चाहता हूँ। हमारे क्षेत्र में 15 – 22 जुलाई 20XX तक वन महोत्सव मनाया गया। इस अवसर पर क्षेत्रीय विधायक ने इसकी अध्यक्षता की और वन विभाग के अधिकारियों ने स्थानीय लोगों के सहयोग से दो सौ से अधिक पौधे लगवाए। उस समय इनकी देखरेख और पानी का प्रबंध करने का वायदा किया पर महीना भर भी न बीतने पाया कि वन विभाग के कर्मचारी इन पौधों को पानी देना भूल गए और ये पौधे सूखने लगे हैं। यदि इनकी देखभाल न की गई तो ये शीघ्र ही नष्ट हो जाएँगे। आपसे प्रार्थना है कि इसे अपने समाचार पत्र में स्थान दें ताकि वन विभाग के कर्मचारियों का ध्यान इस ओर जाय और वे उन्हें सूखने से बचाने के लिए कदम उठाए। सधन्यवाद प्रश्नः 14. सेवा में महोदय मैं आपका ध्यान अपने क्षेत्र श्याम विहार में स्थित प्राथमिक विद्यालय के सामने अवैध रूप से बन गए कूड़ेदान की ओर ले जाना चाहता हूँ, जिसके कारण छोटे-छोटे बच्चों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। श्याम विहार के प्राथमिक विद्यालय के ठीक सामने खाली प्लॉट में लोगों द्वारा बेकार की वस्तुएँ फेंकते-फेंकते कूड़ादान बन गया है जिससे बदबू उठती रहती है। इस कारण वहाँ से नाक बंद करके निकलना पड़ता है। इस कूड़ेदान की दुर्गंध का सबसे अधिक असर नन्हें बच्चों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। वे तरह-तरह की बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। आपसे प्रार्थना है कि इसे आप अपने समाचार पत्र में स्थान दें ताकि सरकार एवं संबंधित अधिकारियों एवं कर्मचारियों का ध्यान इस ओर जाए और वे देश के भविष्य इन बच्चों के स्वास्थ्य के बारे में सोचते हुए आवश्यक कदम उठाएँ। सधन्यवाद भवदीय प्रश्नः 15. सेवा
में महोदय मैं आपके सम्मानित एवं लोकप्रिय पत्र के माध्यम से जन सामान्य का ध्यान ऐसे लोगों की ओर आकर्षित करना चाहती हूँ जो सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान करते हैं। कुछ लोग धूमपान करना अपनी शान समझते हैं। वे इसे अच्छी मानने की भूल ही नहीं करते हैं वरन उसका दिखावा करने से भी बाज नहीं आते हैं। ये लोग सार्वजनिक स्थलों पर भी धूम्रपान करते हैं और धूम्रपान संबंधी चेतावनियों को अनदेखा करते हैं। इनके धूम्रपान का किशोर मन पर बुरा प्रभाव पड़ता है तथा आसपास के लोगों का स्वास्थ्य भी प्रभावित होता है। आपसे प्रार्थना है कि इसे अपने समाचार पत्र में स्थान देने का कष्ट करें ताकि संबंधित लोगों का ध्यान इस दुष्प्रवृत्ति की ओर जाए और वे इसमें सुधार लाकर अनुकरणीय व्यवहार का नमूना प्रस्तुत करें। सधन्यवाद अन्य पत्र प्रश्नः
1. सेवा में महोदय निवेदन यह है कि हम सेक्टर-15, ग्रीनपार्क के निवासी हैं। हमारे सेक्टर के बीचोबीच एक सुंदर, हरा-भरा पार्क हुआ करता था, जिसकी देखभाल के लिए नियुक्त कर्मचारी ईमानदारी से कार्य करते थे। अब कर्मचारियों की कमी एवं लापरवाही के कारण यह पार्क बदहाल स्थिति को पहुँच चुका है। पेड़-पौधे सूखने लगे हैं तथा जगह-जगह झाड़-झंखाड़ उग आए हैं। पार्क के एक किनारे कूड़ा-करकट फेंका जाने लगा है। पार्क की ऐसी बदहाली हम स्थानीय निवासियों से नहीं देखी जा रही है। प्रात:काल की सैर का यही एकमात्र स्थान था जो अब बद से बदतर होता जा रहा है। अब इसकी देखभाल हम नवयुवक समिति के सदस्य स्वयं करना चाहते हैं। आपसे प्रार्थना है कि पार्क की देखरेख का उत्तरदायित्व नवयुवक समिति के सदस्यों को सौंपने की कृपा करें। सधन्यवाद प्रश्नः 2. सेवा में मान्यवर निवेदन यह है कि आजकल दूरदर्शन के कुछ चैनलों पर ऐसे कार्यक्रम प्रसारित किए जा रहे हैं जो लोगों में अंधविश्वास फैला रहे हैं। ऐसे कार्यक्रम समाज के लिए घातक हैं क्योंकि ये समाज को गलत दिशा में ले जाते हैं। ऐसे कार्यक्रमों से समाज का भला नहीं हो सकता है तथा ये लोगों को दिग्भ्रमित कर रहे हैं। लोग इनका शिकार होकर ऐसे कार्य कर रहे हैं, जिनसे उनका व्यक्तिगत तथा सामाजिक अहित हो रहा है। युवा वर्ग और बच्चों के लिए ये कार्यक्रम विशेष रूप से घातक सिद्ध हो रहे हैं। इस वैज्ञानिक युग में ऐसे कार्यक्रम दिखाना बुद्धिमानी से परे हैं। आपसे प्रार्थना है कि अंधविश्वास को बढ़ाने वाले इन कार्यक्रमों की जगह स्वस्थ मनोरंजक एवं ज्ञानवर्धक कार्यक्रमों का प्रसारण करने की कृपा करें। सधन्यवाद प्रश्नः 3. सेवा में मान्यवर विनम्र निवेदन यह है कि समाज में प्रगति होने के साथ-साथ दिखावे की भावना भी बढी है। इसका प्रदर्शन वे शादी-विवाह जैसे पावन मौकों पर करने से नहीं चूकते हैं। ये पवित्र कार्यक्रम भी लोगों की दिखावा-प्रवृत्ति का शिकार हो रहे हैं। लोग इन पर अनावश्यक खर्च करते हैं, जिसकी देखा-देखी गरीब वर्ग को भी वैसा ही करने को विवश होना पड़ता है। इन अवसरों पर इतने व्यंजन बनवा लिए जाते हैं जो खाने में कम प्रयुक्त, फेंकने के काम ज़्यादा आते हैं। भव्य पंडाल, बिजली की सजावट और आतिशबाज़ी पर ही इतना खर्च कर देते हैं कि उतने में साधारण-सी शादी हो जाए। उपहार और वस्त्राभूषणों पर हुए खर्च का कहना ही क्या। इतने खर्च के पीछे दिखावे की भावना अधिक रहती है। आपसे प्रार्थना है कि समाज कल्याण विभाग के कर्मचारियों के माध्यम से लोगों में जागरूकता का प्रचार-प्रसार करें ताकि फिजूलखर्ची पर अंकुश लग सके। सधन्यवाद प्रश्नः 4. सेवा में महोदय मैं आपका ध्यान दो दिन से निरंतर हो रही वर्षा के कारण जल-भराव की समस्या की ओर आकर्षित करना चाहता दो दिनों से हो रही वर्षा के कारण गाजियाबाद और आसपास के क्षेत्रों में जगह-जगह पानी भर गया है। सड़कों पर पानी, गड्ढों में पानी, आसपास कॉलोनियों और दूरदराज के क्षेत्रों में बस पानी ही पानी नज़र आ रहा है। इससे पानी जमा होने और उसमें कूड़ा-कचरा सड़ने के कारण बदबू आने लगी है। जल निकासी की समुचित व्यवस्था न होने से पानी कम होने का नाम नहीं ले रहा है। ऐसी स्थिति में घर से निकलना दूभर हो गया है। लोगों को अपने घर में ही कैद होकर नारकीय जीवन जीने पर विवश होना पड़ रहा है। ऐसी स्थिति में अब डेंगू, मलेरिया पैदा होने का खतरा भी उत्पन्न हो गया है। अतः आपसे प्रार्थना है कि इस जमा पानी को शीघ्रातिशीघ्र निकलवाने के लिए व्यक्तिगत रुचि लें तथा क्षेत्रवासियों को जल-भराव से उत्पन्न समस्या से मुक्ति दिलाएँ। सधन्यवाद प्रश्नः 5. सेवा में महाशय आपको यह सूचित करते हुए असीम हर्ष की अनुभूति हो रही है कि विद्यालय में 22 जुलाई, 20XX को वन महोत्सव कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। इस कार्यक्रम में समाज के अन्य पर्यावरणविद तथा समाज सेवियों को आमंत्रित किया गया है। इस अवसर पर विद्यालय के प्रधानाचार्य, शिक्षकगण और विद्यार्थियों द्वारा वृक्षारोपण किया जाएगा। इसके बाद विद्यार्थियों द्वारा ‘पेड़ बचाओ’ नाटक के मंचन के अलावा गीत, काव्य-पाठ आदि के माध्यम से वृक्षों की उपयोगिता के बारे में बताया जाएगा। इसके अलावा आदरणीय विद्वतजन अपने विचार भी प्रकट करेंगे। आपसे विनम्र अनुरोध है कि विद्यालय में आयोजित इस कार्यक्रम में भाग लेकर कार्यक्रम की शोभा बढ़ाएँ तथा अपने विचारों द्वारा हमें लाभान्वित करने की कृपा करें। सधन्यवाद प्रश्नः 6. सेवा में महोदय विनम्र निवेदन यह है कि मैं दूरदर्शन का नियमित दर्शक हूँ। दूरदर्शन में प्रायः विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम दिखाए जाते रहे हैं, जिनमें समाचार, नाटक, धारावाहिक, फिल्में, चित्रहार आदि प्रमुख हैं। ये कार्यक्रम दर्शकों द्वारा पसंद भी किए जा रहे हैं। इसके बाद भी दूरदर्शन जैसे राष्ट्रीय चैनल से देशभक्ति एवं देशप्रेम को बढ़ावा देने वाले कार्यक्रमों की अपेक्षा समूचे राष्ट्र को रहती है। इन कार्यक्रमों से लोगों का स्वस्थ मनोरंजन होता है तथा राष्ट्रीयता की भावना प्रगाढ़ होती है। ऐसे कार्यक्रम हमारी राष्ट्रीय एकता को मजबूत करते हैं तथा देश के लिए कुछ कर गुज़रने की प्रेरणा देते हैं। बच्चों और युवाओं के लिए ऐसे कार्यक्रम विशेष उपयोगी होते हैं। अतः आपसे अनुरोध है कि आप दिल्ली दूरदर्शन द्वारा ऐसे कार्यक्रमों का प्रसारण करें जो युवा पीढ़ी में राष्ट्रभक्ति एवं देशप्रेम की भावना भर सकें। प्रश्नः
7. सेवा में मान्यवर विनम्र प्रार्थना यह है कि हमारे गाँव कंझावला से अंतरराज्यीय बस अड्डा कश्मीरी गेट या उस ओर जाने वाली बसों की घोर कमी है। यहाँ से होकर एक या दो बसें ही प्रात:काल जाती हैं, जिसमें पहले से सवारियाँ भरी होती हैं। बच्चे और बूढे चाहकर भी इन बसों में सवार नहीं हो पाते हैं। सवेरे स्कूल जाने वाले विद्यार्थियों और नौकरी के लिए जाने वालों को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ता है। कई बार तो न चाहकर भी कर्मचारियों और बच्चों को छुट्टी करनी पड़ती है। यहाँ आसपास की अन्य कॉलोनियों से भरपूर सवारियाँ आती-जाती हैं जिनसे ऑटो वाले मनमाने पैसे वसूलते हैं। अतः आपसे प्रार्थना है कि यात्रियों की परेशानियों को देखते हुए इस रूट पर चलने वाली बसों के फेरे बढ़ाने की कृपा करें ताकि यहाँ के लोग इस समस्या से मुक्ति पा सकें। सधन्यवाद NCERT Solutions for Class 10 HindiCBSE Class 10 Hindi B व्याकरण मुहावरेमुहावरा जब भाषा या अपने कथन को विशेष ढंग से कहना होता है तथा उसे प्रभावी ढंग से अभिव्यक्ति करना होता है तब कुछ ऐसे वाक यांशों का प्रयोग किया जाता है जो अपने सामान्य अर्थ से हटकर अलग अर्थ का बोध कराते हैं। ऐसे वाक्यांशों या शब्द समूह को मुहावरा कहा जाता है। You can also download Class 10 Science NCERT Solutions to help you to revise complete syllabus and score more marks in your examinations. मुहावरा का शाब्दिक अर्थ है-अभ्यास। बार-बार प्रयोग करने के कारण कुछ शब्द समूह उक्ति बन जाते हैं और चमत्कारपूर्ण अर्थ की अभिव्यक्ति करने लगते हैं जो कालांतर में मुहावरा बन जाते हैं। अतः मुहावरा ऐसा शब्द समूह या वाक्यांश है जो अपने शाब्दिक अर्थ को छोड़कर नए एवं विशेष अर्थ की अभिव्यक्ति करता है। मुहावरे की विशेषताएँ –
पाठ्यपुस्तक ‘स्पर्श’ में प्रयुक्त मुहावरे पाठ-1 : बड़े भाई साहब 1. प्राण सूखना-डर लगना। 2. हँसी-खेल
होना-छोटी-मोटी बात। 3. आँखें फोड़ना-बड़े ध्यान से पढ़ना। 4. गाढ़ी कमाई–मेहनत की कमाई। 5. ज़िगर के टुकड़े-टुकड़े होना-दिल पर भारी आघात लगना। 6. हिम्मत टूटना-साहस समाप्त होना। 7.
जान तोड़ मेहनत करना-खूब परिश्रम होना। 8. दबे पाँव आना-चोरी-चोरी आना। 9. घुड़कियाँ खाना-डाँट-डपट सहना। 10. आड़े हाथों लेना-कठोरतापूर्ण व्यवहार करना। 11. घाव पर नमक छिड़कना-दुखी को और दुखी करना। 12. तलवार खींचना-लड़ाई के लिए तैयार रहना। 13. अंधे के हाथ बटेर लगना-अयोग्य को कोई महत्त्वपूर्ण वस्तु मिलना। 14. चुल्लूभर पानी देने वाला-कठिन समय में साथ देने वाला। 15.
दाँतों पसीना आना-बहुत अधिक परेशानी उठाना। 16. लोहे के चने चबाना-बहुत कठिनाई उठाना। 17. चक्कर खाना-भ्रम में पड़ना। 18. आटे-दाल का भाव मालूम होना-कठिनाई का अनुभव होना। 19. ज़मीन पर पाँव न रखना-बहुत खुश होना। 20. हाथ-पाँव फूल जाना-परेशानी देखकर घबरा जाना। पाठ-2 : डायरी का एक पन्ना 1. रंग दिखाना-प्रभाव या स्वरूप दिखाना। 2. ठंडा पड़ना-ढीला पड़ना। 3. टूट जाना-बिखर जाना। पाठ-3 : तताँरा-वामीरो कथा 1. सुध-बुध खोना-अपने वश में न रहना। 2. बाट जोहना-प्रतीक्षा करना। 3. खुशी का ठिकाना न रहना-बहुत अधिक खुशी होना। 4. आग-बबूला होना-बहुत क्रोध आना। 5. राह. न सूझना-उपाय न मिलना। 6. सुराग न मिलना-पता न मिलना। पाठ-4 : तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र 1. चक्कर खाना-घबरा जाना। 2. सातवें आसमान पर होना-ऊँचाई पर होना। 3. तराजू पर तोलना-उचित-अनुचित का निर्णय
लेना। 4. हावी होना-अधिक प्रभावी होना। पाठ-5 : गिरगिट 1. जिंदगी नर्क होना-बहुत कष्ट में दिन बीतना। 2. त्योरियाँ चढ़ाना-गुस्से में आना। 3. मज़ा चखाना-बदला
लेना। 4. मत्थे मढ़ना-ज़बरदस्ती आरोप लगाना। 5. तबाह होना-बरबाद होना। 6. गाँठ बाँध लेना-अच्छी तरह समझ लेना। पाठ-6 : अब कहाँ दूसरे के दुख में दुखी होने वाले 1. दीवार खड़ी करना-बँटवारा कर लेना। 2. बेघर करना-आश्रय छीन लेना। 3. डेरा डालना-स्थायी रूप से रहना। जब से यहाँ दंगे हुए हैं, तब से सेना ने यहाँ डेरा डाल दिया है। पाठ-7 : I. पतझड़ में टूटी पत्तियाँ 1. हवा में उड़ना-ऊपरी बातें करना। II. झेन की देन 1. सन्नाटा सुनाई देना-अत्यधिक शांति होना। पाठ-8 : कारतूस 1. तंग आना-परेशान होना। 2. कामयाब होना-सफल होना। 3. आँखों में धूल झोंकना-धोखा देना। 4. काम तमाम करना-मार डालना। 5. नज़र रखना-निगरानी करना। 6. जान बख्शना-हत्या न
करना। कुछ महत्त्वपूर्ण मुहावरे, उनके अर्थ और प्रयोग – 1. अंगूठा दिखाना-मना करना। 2. आँखों का तारा-बहुत प्यारा। 3. अक्ल पर पत्थर पड़ना-बुद्धि भ्रष्ट होना। 4. अंधे की लाठी-एकमात्र सहारा। 5. अपना उल्लू सीधा करना-स्वार्थ सिद्ध करना। 6. अंगार उगलना-कठोर वचन उगलना। 7. अंत पाना-भेद जानना। 8. अंधे के हाथ बटेर लगना-कम गुणी को गुणवान वस्तु मिल जाना। 9.आँखें बिछाना–स्वागत करना। 10. अगर-मगर करना-टाल-मटोल करना। 11. अंग-अंग ढीला होना-बहुत थक जाना। 12. आँखें पथरा जाना—स्तब्ध रह जाना। 13. अपने पैरों पर खड़े होना-आत्मनिर्भर होना। 14. अपना राग अलापना-सबसे अलग राय रखना। 15. अपने पाँव पर कुल्हाड़ी मारना-अपना ही अहित करना। 16. आँखें दिखाना-गुस्से से देखना। 17. आँखें फेरना-बदल जाना। 18. आँखों पर परदा पड़ना-भला बुरा कुछ न समझना। 19. आँखों का पानी मरना-बेशर्म
होना। 20. अंधेरे घर का उजाला-इकलौता पुत्र। 21. आँखों से ओझल होना-धोखा देना। 22. आँखें चुराना-सामने आने से बचना। 23. आँखों में खटकना-अच्छा न लगना। 24. आकाश के तारे तोड़ना-असंभव काम करना। 25. आस्तीन का साप-कपटी मित्र। 26. आग में घी डालना-क्रोध को भड़काना। 27. इधर-उधर की हाँकना-व्यर्थ बोलना। 28. ईद का चाँद होना-बहुत दिनों बाद दिखाई देना। 29. ईंट का जवाब पत्थर से देना-दुष्ट से दुष्टता करना। 30. ईंट से ईंट बजाना-तहस-नहस कर देना। 31. उल्लू बनाना-मूर्ख बनाना। 32. उन्नीस-बीस होना-थोड़ा-बहुत होना। 33. उँगली उठाना-दोष निकालना। 34. ऊँट के मुँह में जीरा-किसी वस्तु का बहुत कम मात्रा में होना। 35. ऊँगली पर नचाना-वश में करना। 36. एक पंथ दो काज-एक साथ दो कार्य संपन्न करना। 37. एड़ी चोटी का जोर लगाना-बहुत प्रयास करना। 38. एक अनार सौ बीमार-वस्तु की पूर्ति कम और माँग अधिक। 39. एक आँख से देखना-सभी को एक भाव से देखना। 40. कमर कसना-तैयार होना। 41. कलेजा फटना-असहनीय दुख होना। 42. कसौटी
पर कसना-परीक्षा में खरा उतरना। 43. कलेजा ठंडा होना-संतोष होना। 44. कानो-कान खबर न होना-बिलकुल खबर न होना। 45. कान पर जूं न रेंगना-असर न होना। 46. कमर टूटना-हिम्मत हार जाना। 47. कलई खुलना-भेद खुल जाना। 48. कान भरना-चुगली करना। 49. काम आना-वीरगति पाना। 50. काम तमाम करना-मार डालना। 51. खाक छानना-इधर-उधर भटकना। 52. खून खौलना-बहुत क्रोध में होना। 53. खरी खोटी सुनाना-बुरा-भला कहना। 54. खून की होली खेलना-मारकाट मचाना। 55. गड़े मुर्दे उखाड़ना-पुरानी बातों को दोहराना। 56. गागर में सागर होना-थोड़े में बहुत कुछ कहना। 57. गले का हार होना-बहुत प्रिय
होना। 58. गुड़-गोबर करना-बात बिगाड़ देना। 59. गिरगिट की तरह रंग बदलना-सिद्धांतहीन होना। 60. गाल बजाना-अपनी प्रशंसा स्वयं करना। 61. घड़ों पानी पड़ना-लज्जित होना। 62. घर
का ना घाट का-कहीं का न रहना। 63. घी के दिये जलाना-प्रसन्न होना। 64.घोड़े बेचकर सोना-निश्चित होना। 65. घुटने टेकना-पराजय स्वीकारना। 66. चाँद का टुकड़ा-अत्यंत सुंदर होना। 67. चिकना घड़ा
होना-निर्लज्ज होना। 68. चेहरा खिलना–प्रसन्न होना। 69. चेहरे पर हवाइयाँ उड़ना-घबरा जाना। 70. चेहरा मुरझाना-चमक फीकी पड़ना। 71. चार चाँद लगाना–शोभा बढ़ाना। कल्पना चावला ने अंतरिक्ष में जाकर भारत की
प्रतिष्ठा | 72. छक्के छुड़ाना-बुरी तरह हराना। 73. छप्पर फाड़कर देना-उम्मीद से अधिक मिलना। 74. छाती पर साँप लोटना-ईर्ष्या होना। 75. छठी का दूध याद आना-बहुत कष्ट होना। 76. छुपा
रुस्तम-देखने में साधारण। 77. जान देना-आत्महत्या करना। 78. जान में जान आना-राहत महसूस करना। 79. ज़मीन पर पैर न रखना-अधिक गर्व करना। 80. जूती चाटना-खुशामद करना। 81. झंडा गाड़ना-धाक जमा देना। 82. झख मारना–व्यर्थ में समय नष्ट करना। 83. टेढ़ी खीर होना-कठिन कार्य। 84. टाँग अड़ाना-व्यर्थ में दखल देना। 85. टाल-मटोल करना-बहाने बनाना। 86. टूट पड़ना-हमला कर देना। 87. ठोकर खाना-मुसीबतों का सामना करना। 88. डंके की चोट पर कहना-निर्भीक होकर कहना। 89. तारे गिनना–बेचैनी से प्रतीक्षा करना। 90. तिल का ताड़ करना-छोटी बात को बड़ा करना। 91. तितर-बितर होना-बिखर जाना। 92. दाँत खट्टे करना-परास्त करना। 93. दाल न गलना-सफल न होना। 94. दाल में काला होना-गड़बड़ होना। 95. दो-ट्रक जवाब देना-साफ़ इंकार करना। 96. दूध का दूध पानी का पानी करना-न्याय करना। 97. धरती पर पाँव न पड़ना-अभिमान में रहना। 98. धाक जमाना-प्रभाव जमाना। 99. नौ दो ग्यारह होना-भाग जाना। 100. नाक कटाना-बेइज्जती कराना। 101.नाक रख लेना-इज़्ज़त बचा लेना। 102. नाक में दम करना-परेशान करना। 103. पापड़ बेलना-विषम परिस्थितियों से गुज़रना। 104. पस्त करना-हरा देना। 105. पानी-पानी होना-लज्जित होना। 106. पीठ दिखाना-कायरतापूर्ण काम करना। 107. फूला न समाना-अधिक प्रसन्न होना। 108. बाँछे खिलना-बहुत प्रसन्न होना। 109. बाल भी बाँका न होना-कुछ भी न बिगाड़ना। 110. बुढ़ापे की लाठी-एकमात्र सहारा। 111. बाल-बाल बचना-साफ़ बच जाना। 112. मारा-मारा फिरना-इधर-उधर भटकना। 113. मुँह की खाना-हार जाना। 114. मुँह में पानी आना-ललचा जाना। 115. मुट्ठी गरम करना-रिश्वत देना। 116. मक्खियाँ मारना-बेकार बैठना। 117. मन में लड्डू फूटना-खुशी की अनुभूति होना। 118. माथे पर बल पड़ना-चिंतित होना। 119. मुँह फुलाना-नाराज़
होना। 120. मुँहतोड़ जवाब देना-साहसपूर्वक हरा देना। 121. मुँह पीला पड़ना-भयभीत होना। 122. मुँह फेरना-उपेक्षा करना। मुट्ठी में होना-वश में होना। 124. रंग में भंग पड़ना-खुशी में बाधा पड़ना। 125. रफूचक्कर होना-गायब होना। 126. रँगा सियार होना-ढोंगी होना। 127. राई का पहाड़ बनाना-बात को बहुत ही बढ़ा-चढ़ाकर कहना। 128. लकीर का फ़कीर होना-घिसी-पिटी को मानते
रहने वाला। 129. लटू होना-मुग्ध होना। 130. लोहा लेना-मुकाबला करना। 131. लाल-पीला होना-क्रोधित होना। 132. वेद वाक्य मानना-पूर्णतया विश्वसनीय एवं सत्य मानना। 133. सिर उठाना-विद्रोह करना। 134. सिर पर चढ़ना-उदंड होना। 135. सिर पर चढ़ाना-गलत काम के लिए बच्चों को प्रोत्साहित करना। 136. सिर से पानी गुज़रना-सहनशक्ति से बाहर होना। 137. सिर कलम करना-मृत्युदंड देना। 138. सिर पर खून सवार होना-किसी की हत्या करने क तैयार होना। 139. सोने में सुहागा होना-गुणवत्ता बढ़ जाना। 140. श्री गणेश करना-शुरुआत करना। 141. हवा होना-भाग जाना, गायब होना। 142. हवा लगना-प्रभाव में आ जाना। 143. हवाइयाँ उड़ना-भयभीत होना। 144. हवा से बातें करना-बहत तेज़ चलना या दौडना। 145. हथियार उठाना-मुकाबले को तैयार होना। 146. हथियार डालना-पराजय स्वीकार कर लेना। 147. हाथ धोकर पीछे पड़ना-बुरी तरह परेशान करना। 148. हाथ उठाना-पिटाई करना। 149. हाथ थामना-सहारा देना, अपना बनाना। 150. हाथ धो बैठना-वंचित हो जाना। 151. हाथ माँगना-वैवाहिक प्रस्ताव रखना। 152. हाथ-पाँव मारना-प्रयास करना। 153. हाथ पसारना-किसी से कुछ माँगना। 154. हाथ मलना-पछताना। 155. हाय-हाय करना-हमेशा धन की लालच में पड़े रहना। आओ देखें कितना सीखा प्रश्न 1.
प्रश्न 2. प्रश्न 3. NCERT Solutions for Class 10 HindiNCERT Solutions For Class 11 English Snapshots The Tale of Melon CityQUESTIONS FROM TEXTBOOK SOLVEDA. Reading With InsightQuestion 1: Question 2: Question 3: Question
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The actions, gestures and reactions of the characters also provide humour. The housewife being given orders, treated like dirt and forced to stay home every night while other members go out to amuse themselves is sharply contrasted with the position at the end of the play where she is the mistress of the house. Then play also satirises the eight hour work culture and threats to go on strike. Even the housewife adopts this weapon. Question 6: Question 7: More Resources For Class 11 Woven Words Short StoriesWoven Words EssayWoven Words PoetrySnapshotsHornbill NCERT Solutions For Class 11 English Snapshots Albert Einstein at SchoolQUESTIONS FROM TEXTBOOK SOLVEDA. Reading With InsightQuestion 1: Question 2: Question 3: MORE QUESTIONS SOLVEDA. Short Answer Type QuestionsQuestion 1: Question 2: Question 3: Question 4: Question 5: Question 6: Question 7: Question 8: Question 9: Question 10: Question 11: Question 12: Question 13: Question 14: Question 15: Question 16: Question 17: Question 18: Question 19: Question 20: Question 21: Question 22: Question 23: Question 24: Question 25: Question 26: Question 27: Question
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1: Question 2: Question 3: Question 4: Question 5: Question 6: Question 7: Question 8: More Resources For Class 11 Woven Words Short StoriesWoven Words EssayWoven Words PoetrySnapshotsHornbill ज्वर से पीड़ित सुखिया अपने पिता से क्या मांगती है?एक दिन उसे तेज ज्वर ने जकड़ लिया। जिसके कारण उसने मौन धारण कर लिया अर्थात् ज्वर की तीव्रता के कारण वह बेहोशी की हालत में चली गई। उसी अवस्था में वह अपने पिता से बोली मुझे माता के चरणों का एक फूल लाकर दे दो। यही उसकी अंतिम इच्छा थी।
सुखिया अपने पिता से क्या आग्रह करती है?लेखक ने निंदकों की तुलना ईश्वर का भजन करती भक्त मंडली से की है । इसका कारण यह है कि जिस तरह अत्यधिक अपनेपन के साथ पूरी तरह मन लगाकर भक्त लोग ईश्वर का भजन करते हैं उसी तरह मन लगाकर निंदक लोग किसी की निंदा करते हैं। 2. संतों ने निंदकों के लिए अपने आँगन में कुटिया बनवाकर रखने का आग्रह किया।
सुखिया ने पिता से किस चीज की मांग की सुखिया का पिता वह मांग पूरी क्यों नहीं कर पाया?▶क्योंकि सुखिया बीमार थी। उसकी इच्छा थी की उसे देवी माँ के प्रसाद का फूल मिले ।
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