भाषा क्या है भाषा और बोली में अंतर बताइए? - bhaasha kya hai bhaasha aur bolee mein antar bataie?

भाषा क्या है भाषा और बोली में अंतर बताइए? - bhaasha kya hai bhaasha aur bolee mein antar bataie?
भाषा और बोली में अंतर हिंदी और खोरठा में

भाषा और बोली में अंतर हिंदी और खोरठा | different between language and Dialect

मानव सभ्यताओं के विकास के साथ ही भाषा और बोली का विकास हुआ है। यह अभिव्यक्ति का एक माध्यम है और एक ऐसी शक्ति है, जो मनुष्य के विचारों, अनुभवों और संदर्भों को व्यक्त करती है। यह ध्वनि के साथ-साथ संकेतों या इशारों या फिर अन्य रूपों में भी व्यक्त की जा सकती है। भाषा और बोली को कुछ आधारों पर अलग किया जा सकता है।

👉 भाषा और बोली में अंतर पहले हिंदी में और नीचे खोरठा भाषा में देख सकते हैं

भाषा और बोली में अंतर:-

1. भाषा शब्द संस्कृत के भाष धातु से बना है, जिसका अर्थ होता है बोलना। जैसे:- हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू, मराठी, खोरठा इत्यादि।
          जबकि बोली अंग्रेजी के शब्द डाइलेक्ट (Dialect) का प्रति शब्द है। जिसे उपभाषा या प्रांतीय भाषा कहते हैं। जैसे:- हिंदी भाषा में कई बोलियां हैं- अवधि, ब्रज उसी तरह खोरठा भाषा में भी कई बोलियां हैं- रामगढ़िया, सिखरिया खास इत्यादि।

2. भाषा एक होती है। जइसे हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत, खोरठा, मराठी इत्यादि।
            जबकि उसी भाषा की कई बोलियां होती है। जैसे खोरठा एक भाषा है। जबकि रामगढिया, सिखरिया खास, परनदिया इसकी बोली है। इस प्रकार कई बोलियां मिलकर एक भाषा का निर्माण होता है।

3. भाषा विकास प्रक्रिया का उच्चतम रूप होता है।
            जबकि बोली किसी भी भाषा के विकास की प्रारंभिक अवस्था होती है।

4. भाषा का अपना व्याकरण होता है।
            जबकि बोली का कोई भी व्याकरण नहीं होता।

5. भाषा में साहित्य की रचना की जाती है।
           जबकि बोली में साहित्य की रचना नहीं होती है, हां इसमें लोक साहित्य की रचना देखी जाती है।

6. भाषा का क्षेत्र विस्तृत होता है तथा प्रत्येक स्थान पर इसका रूप एक समान होता है।
           जबकि बोली का क्षेत्र छोटा होता है तथा एक भाषा क्षेत्र में कई उपभाषा अर्थात बोली बोला जाता है।

7. भाषा का एक मानक रूप होता है।
             जबकि बोली का मानक रूप नहीं होता।

8. भाषा में शुद्धता और अशुद्धता का ध्यान रखना होता है।
           जबकि बोली को बोलने के लिए कोई नियम नहीं है।

9. भाषा लिखित और मौखिक दोनों रूपों में पाई जाती हैं।
            जबकि बोली अधिकतर मौखिक रूप में ही होती है।

10. भाषा की लिपि होती है। जैसे हिंदी की लिपि देवनागरी है उसी तरह अंग्रेजी की लिपि रोमन है।
             जबकि सामान्यतः बोली की लिपि नहीं होती।

11. भाषा का प्रयोग राजकार्य में भी किया जा सकता है।
              जबकि बोली का प्रयोग राजकीय कार्य में नहीं किया जाता है।

12. भाषा बचपन में नहीं बोली जाती है।
            जबकि बोली बचपन यानी जन्म से शुरू हो जाता है।

13. भासा की पढाई होती है। इसके लिए पाठ्यक्रम होता है।
             जबकि बोली की पढ़ाई नहीं होती और न हीं इसका पाठ्यक्रम होता है।

इस प्रकार से भाषा और बोली के बीच अंतर स्पष्ट किया जा सकता है।
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D.el.ed के छात्र/छात्रा इसे खोरठा भाषा में ही लिखेंगे। उपर में हिंदी में समझने के लिए दिया गया है। जबकि आपके काम का चीज आगे खोरठा भाषा में लिखा जा रहा जो मूलतः उपर लिखे गये हिंदी का खोरठा अनुवाद है।

         इसे खोरठा भाषा में कैसे लिखें  

मनुख सभियता बिकास के संगे-संगे भासा आर बोलीक बिकास भेल हई। ई अभिबेकति (अभिव्यक्ति) के एगो सकत माधियम हके आर एइसन ताकत हे जेकर से मानुखेक बिचार, ‘अनुभव’ आर ‘संदर्भ’ के ‘व्यक्त’ करल जा हे। भासा आर बोली ‘ध्वनि’ बा सांडा के संगे-संग ‘इशारा’ आर चिन्हा मुदरी रूपें भी फरछावल जा हे। भासा आर बोलीक कुछ आधार पर भिन्नु-भिन्नु करल जा सको हे।

भासा आर बोली में अंतर

1. भासा सबद संस्कृतेक ‘भाष’ धातु से बनल हे। जेकर अरथ हवो हे – बोलना। जइसे – हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू, खोरठा।
          मकिन बोली अंग्रेजी के सबद ‘डाइलेक्ट’ (Dialect) के प्रति सबद हे। जेकरा ‘उप भासा बा प्रांतीय भासा कहल जा हे। जइसे- हिंदी भासाञ अवधि, ब्रज, खोरठा भासाञ रामगढिया, सिखरिया, परनदिया बोलीक रूप हई।

2. भासा एगो हवो हे। जइसे हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत, खोरठा, मराठी।
           मकिन ऊ एगो भासाक कइगो बोली हवो हे। जइसे – हिंदी एगो भासा हे- ब्रज, अवधि एकर बोली हे। खोरठा ऐरो भासा हे- रामगढ़िया, सिखरिया खास, परनदिया एकर बोलीक नाम हके।

3. भासा बिकास ‘प्रक्रिया’ के फुनगीक (उच्चतम) रूप हके।
            मकिन बोली भासा बिकास की सुरूआती ‘प्रक्रिया’ हके।

4. भासाक आपन बेयाकन हवो हे।
          मकिन बोलीक आपन बेयाकन नाञ हवो हे।

5. भासाञ साहितेक रचना हवो हे।
           मकिन बोली में साहितेक रचना नाञ हवो हे। लोक साहितेक रचना भेटा हे।

6. भासा ढांगा-ओसार छेतरें पसरल हे आर सभे जगह पर एके ‘समान’ पावल जाहे।
          मकिन बोलीक छेतर कम हवो हे।

7. भासाक आपन एगो मानक रूप हवो हे।
           मकिन बोलीक मानक रूप नाञ।

8. भासाक परजोग में ‘शुद्धता और अशुद्धता’ का ध्यान रखना होता है।
           मकिन बोलीक परजोग एसन कोई नियम नाञ।

9. भासा ‘लिखित और मौखिक’ दुइयो रूपें पावल जा हे।
          मकिन बोली मुइख रूपें ‘मौखिक’ सुनल-बचकल जा हे।

10. भासाक लिपि हवो हे। जइसे- हिंदी, संस्कृत, खोरठा भासाक लिपि देवनागरी हे।
          मकिन बोलीक ‘सामान्यतः’ लिपि नाञ।

11. भासाक परजोग राजकार्य में करल जा हे। जइसे- झारखंड सरकार के हिंदी हे।
          मकिन बोलीक परजोग राजकार्य में नाञ हवो हे।

12. भासा ‘बचपन’ में नाञ बोलल जा हे।
          मकिन बोली बचपन से बोलल जाहे।

13. भासाक ‘पढ़ाई’ हवो हे।
          मकिन बोलीक ‘पढ़ाई’ नाञ हवो हे।

ई रूपें भासा आर बोलीक मइधे अंतर फरिछावल जा सको हे।
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प्रस्तुतीकरण
www.gyantarang.com
संकलन
महेंद्र प्रसाद दांगी, शिक्षक
एम. ए. भूगोल
एम. ए. खोरठा
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भाषा क्या है भाषा और बोली में अंतर?

भाषा का उपयोग समाज में साहित्यिक, व्यापारिक, वैज्ञानिक, सामाजिक, और प्रशासनिक आदि सभी औपचारिक कार्यों में किया जाता है । बोली का क्षेत्र इतना व्यापक नहीं होता । औपचारिक कार्यों में बोलियों का प्रयोग नहीं होता । बोली का प्रयोग अधिकांशतः दैनिक कार्यों के निमित्त होता है।

भाषा किसे कहते हैं बोली और भाषा में अंतर बताते हुए भारत में मान्यता प्राप्त सामान्य भाषा कितनी है?

विश्व में जब किसी जन-समूह का महत्त्व किसी भी कारण से बढ़ जाता है तो उसकी बोलचाल की बोली 'भाषा' कही जाने लगती है, अन्यथा वह 'बोली' ही रहती है। स्पष्ट है कि 'भाषा' की अपेक्षा 'बोली' का क्षेत्र, उसके बोलने वालों की संख्या और उसका महत्त्व कम होता है। एक भाषा की कई बोलियाँ होती हैं क्योंकि भाषा का क्षेत्र विस्तृत होता है।

भाषा और बोली से क्या तात्पर्य है?

अतः हम कह सकते हैं कि किसी एक क्षेत्र या सामाजिक समूह की वाचन विशेषता बोली कहलाती है। Additional Informationप्रादेशिक भाषा- किसी एक क्षेत्र विशेष के लोगों द्वारा लेखन के लिए इस्तेमाल की जा रही भाषा। मानक भाषा- सत्ताधारी लोगों द्वारा इस्तेमाल की जा रही भाषा