बाजार से आप क्या समझते हैं बाजार के प्रकारों का वर्णन कीजिए? - baajaar se aap kya samajhate hain baajaar ke prakaaron ka varnan keejie?

विषयसूची

  • 1 बाजार क्या है बाजार के प्रकारों को लिखिए?
  • 2 बाजार मूल्यांकन पर प्रभाव डालने वाले घटक कौन कौन से हैं?
  • 3 बाजार की प्रकृति क्या है?
  • 4 बाजार कितने प्रकार के होते हैं वर्गीकरण कीजिए?
  • 5 बाजार क्या है बाजार को कौन कौन से घटक प्रभावित करते हैं?
  • 6 बाजार को प्रभावित करने वाले कारक कौन कौन से हैं?
  • 7 बाजार क्या है इसकी विभिन्न विशेषताओं की व्याख्या कीजिए?
  • 8 बाजार से आप क्या समझते हैं इसकी मुख्य विशेषताओं की विवेचना कीजिए?

बाजार क्या है बाजार के प्रकारों को लिखिए?

इसे सुनेंरोकेंसामान्य अथवा मिश्रित बाजार:- मिश्रित बाजार उस बाजार को कहते हैं जिसमें अनेक एवं विविध प्रकार की वस्तुओं का क्रय विक्रय होता है। यहां क्रेताओं की आवश्यकताओं की सभी वस्तुएं उपलब्ध हो जाती है। 2. विशिष्ट बाजार:- यह वह बाजार होते हैं जहाँ किसी वस्तु विशेष का क्रय-विक्रय होता है।

बाजार मूल्यांकन पर प्रभाव डालने वाले घटक कौन कौन से हैं?

इसे सुनेंरोकें(i) सक्ष्म वातावरण- सूक्ष्म वातावरण में उन शक्तियों का वर्णन होता है जिनसे कम्पनी के ग्राहकों को प्रभावित किया जाता है। ये शक्तियाँ बाह्य होती हैं परंतु कम्पनी की बाजार व्यवस्था को प्रभावित करती हैं। इन शक्तियों में माल की पूर्ति देने वाले मध्यस्थ, प्रतियोगी, ग्राहक तथा जनता आती है।

बाजार क्या है बाजार के विस्तार को प्रभावित करने वाले क्षेत्र की व्याख्या कीजिए?

इसे सुनेंरोकेंAnswer: वस्तु की पर्याप्त पूर्ति – वस्तु के बाजार-विस्तार के लिए वस्तु की पूर्ति माँग के अनुरूप होनी आवश्यक है। यदि किसी वस्तु की माँग अधिक है और पूर्ति कम है तब वस्तु का बाजार विस्तृत नहीं हो सकेगा। इसलिए वस्तु की पर्याप्त पूर्ति बाजार के विस्तार को प्रभावित करती है।

बाजार की प्रकृति क्या है?

इसे सुनेंरोकेंसाधारणतया, बाजार से अभिप्राय किसी स्थान से होता है जहां वस्तुओं का क्रय-विक्रय होता है जैसे – बिग बाजार, देहली में चांदनी चौक, मुम्बई में फैशन स्ट्रीट आदि। बाजार किसी विशेष स्थान तक सीमित नहीं होना चाहिए। अर्थशास्त्र में क्रेताओं तथा विक्रेताओं के व्यक्तिगत सम्पर्क के बिना भी बाजार का अस्तित्व हो सकता है।

बाजार कितने प्रकार के होते हैं वर्गीकरण कीजिए?

बाजार का वर्गीकरण (bazar ka vargikaran)

  • (अ) स्थानीय बाजार
  • (ब) क्षेत्रीय बाजार
  • (स) राष्ट्रीय बाजार
  • (द) अंतर्राष्ट्रीय बाजार
  • (अ) दीर्घकालीन बाजार
  • (ब) अति दीर्घकालीन बाजार
  • (स) अल्पकालीन बाजार
  • (द) अति अल्पकालीन बाजार

मार्केट कितने प्रकार का होता है?

इसे सुनेंरोकेंवैसे तो मुख्या रूप से दस तरह के मार्केट के प्रकार है पर मैंने अपनी तरफ से एक और जोड़ दिया है जिसके बारे में आपको आगे मालूम पड़ेगा क्योंकि वो भी एक महत्वपूर्ण टॉपिक है जिसे हर इन्वेस्टर को जरूर सीखना चाहिए ताकि जल्दी से जल्दी उनका अनुभव मार्केट शेयर में बढ़ सके ।

बाजार क्या है बाजार को कौन कौन से घटक प्रभावित करते हैं?

इसे सुनेंरोकेंबाजार से आशय साधारणतया उस जगह से लगाया जाता है। जहां क्रेता और विक्रेता होते हैं अर्थात खरीदने वाला व्यक्ति उस स्थान पर जाता है और अपनी और अपनी आवश्यकता के अनुसार उस वस्तु या सेवा को खरीदता हैं। ठीक वैसे ही वहां पर विक्रेता भी अपने वस्तुओं एवं सेवाओं के बेचने के लिए जाता है। आज का बाजार बहुत ही विस्तृत हो गया है।

बाजार को प्रभावित करने वाले कारक कौन कौन से हैं?

इसे सुनेंरोकेंबाजार के विस्तार को प्रभावित करने वाले तत्व – (1) व्यापक मांग-वस्तु की मांग अधिक होने पर बाजार व्यापक होता है। (2) वहनीयता- वस्तुओं का भार कम एवं मूल्य अधिक होने पर बाजार विस्तृत होता है। (3) टिकाऊपन – टिकाऊ वस्तुओं का बाजार विस्तृत होता है। (4) पूर्ति की मात्रा- वस्तु की पूर्ति अधिक होने पर बाजार विस्तृत होता है।

बाजार के लिए आवश्यक तत्व क्या है?

इसे सुनेंरोकेंमांग और पूर्ति के बिना किसी वस्तु के बाजार की कल्पना ही नही जा सकती है। वस्तु के क्रेता तथा विक्रेता दोनों की उपस्थिति ही बाजार बनाती है। बाजार की पूर्णता के लिए क्रेता तथा विक्रेताओं के बीच आपस मे संपर्क तथा घनिष्ठ संबंध व सौदे होने आवश्यक है, तभी वस्तु के मूल्य निर्धारण मे सहायता मिलती है।

बाजार क्या है इसकी विभिन्न विशेषताओं की व्याख्या कीजिए?

इसे सुनेंरोकेंBazar ka arth paribhasha visheshtaye;सामान्य अर्थ मे “बाजार” शब्द से तात्पर्य एक ऐसे स्थान या केन्द्र से होता है, जहां पर वस्तु के क्रेता और विक्रेता भौतिक रूप से उपस्थित होकर क्रय-विक्रय का कार्य करते है। उदाहरण के लिए शहरों मे स्थापित व्यापारिक केन्द्र जैसे कपड़ा बाजार या गाँव मे लगने वाले हाट।

बाजार से आप क्या समझते हैं इसकी मुख्य विशेषताओं की विवेचना कीजिए?

इसे सुनेंरोकेंसामान्य बोलचाल की भाषा में, बाज़ार का अर्थ उस स्थान विशेष से लगाया जाता है, जहाँ पर किसी वस्तु के क्रेता व विक्रेता एकत्रित होकर वस्तुओं के क्रय-विक्रय का कार्य करते हैं। जैसे- सब्ज़ी मंडी, कपड़ा बाज़ार या अनाज मंडी आदि। यानि कि बाज़ार के लिए निश्चित स्थान तथा ख़रीदने एवं बेचने वाले की उपस्थिति ज़रूरी है।

बाजार क्या है इसके लक्षण क्या है?

इसे सुनेंरोकें’बाजार’ शब्द का प्रचलित अर्थ उस जगह को संदर्भित करता है, जहां सामान खरीददारों और विक्रेताओं के बीच मूल्य विचार के खिलाफ खरीदा और बेचा जाता है। लेकिन अर्थशास्त्र के दृष्टिकोण से, बाजार एक जगह नहीं बल्कि एक कमोडिटी कार वस्तुओं और खरीदारों और विक्रेताओं को संदर्भित करता है, जो एक दूसरे के साथ सीधे प्रतिस्पर्धा में हैं।

बाजार से आप क्या समझते हैं बाजार के विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए?

उत्तर - बाजार शब्द का अर्थ सामान्य अर्थ में “बाजार” शब्द से तात्पर्य एक ऐसे स्थान या केन्द्र से होता है, जहाँ पर वस्तु के क्रेता और विक्रेता भौतिक रूप से उपस्थित होकर क्रय-विक्रय का कार्य करते हैं। उदाहरण के लिए शहरों में स्थापित व्यापारिक केन्द्र जैसे कपड़ा बाजार या गाँवों में लगने वाले हाट।

बाजार से आप क्या समझते हैं?

सामान्य अर्थ में बाजार से अभिप्राय उस स्थान से होता है जहाँ क्रेता तथा विक्रेता वस्तु का सौदा करने के लिए किसी जगह एकत्र होते हैं। अर्थशास्त्र में बाजार शब्द का अर्थ उस प्रभावपूर्ण व्यवस्था से लगाया जाता है जिसमें कि विक्रेताओं और क्रेताओं का घनिष्ठ संबंध स्थापित किया जाता है।