महिला आंदोलन के मुख्य मुद्दे क्या है? - mahila aandolan ke mukhy mudde kya hai?

Solution : महिला आंदोलन-औरतों ने व्यक्तिगत स्तर पर और आपस में मिलकर महिला शिक्षा तथा कानूनी सुधार के लिए तथा महिला हिंसा के विरोध व महिला स्वास्थ्य के लिए जो संघर्ष किए हैं। इन संघर्षों को महिला आंदोलन कहा जाता है | <br> महिला आंदोलन की रणनीतियाँ <br> महिला आंदोलन में चेतना जागृत करने, भेदभावों का मुकाबला करने और न्याय हासिल करने के लिए भिन्न-भिन्न रणनीतियों का उपयोग किया गया है। यथा <br> (1) अभियान-भेदभाव और हिंसा के विरोध में अभियान चलाना महिला आंदोलन का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है। इन अभियानों के कारण उन्हें अनेक सफलताएं मिली हैं। जैसे <br> (क) 1980 के दशक में दहेज सम्बन्धी कानून को बदला गया। <br> (ख) 1997 में सर्वोच्च न्यायालय ने कार्य के स्थान पर और शैक्षणिक संस्थानों में महिलाओं के साथ होने वाली .यौन प्रताड़ना. से उन्हें सुरक्षा प्रदान करने के लिए निर्देश जारी किए तथा <br> (ग) सन् 2006 में एक कानून बना, जिससे घर के अंदर शारीरिक और मानसिक हिंसा को भोग रही औरतों को कानूनी सुरक्षा दी जा सके। <br> (2) जागरूकता बढ़ाना-औरतों के अधिकारों के सम्बन्ध में समाज में जागरूकता बढ़ाना भी महिला आंदोलन का एक प्रमुख कार्य है। गीतों, नुक्कड़ नाटकों व जनसभाओं के माध्यम से वह अपने संदेश को लोगों के बीच पहुंचाता है। <br> (3) विरोध करना-जब किसी कानून या नीति द्वारा महिलाओं के हितों का उल्लंघन होता है, तब महिला आंदोलन ऐसे उल्लंघन के खिलाफ रैलियों, प्रदर्शन आदि के द्वारा आवाज उठाता है। <br> (4)बन्धुत्व व्यक्त करना-न्याय के अन्य मुद्दों व औरतों के साथ बन्धुत्व व्यक्त करना भी महिला आंदोलन का ही हिस्सा है |

Women’s Movement in India

Hello दोस्तों ज्ञानउदय में आपका एक बार फिर स्वागत है और आज हम बात करते हैं, राजनीति विज्ञान में महिला आंदोलन के बारे में । इस Topic के जरिए हम जानेंगे कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत में महिलाओं से संबंधित विभिन्न आंदोलन कहां तक अपने लक्ष्य की प्राप्ति में सफल रहे ।

परिचय

ऋग्वेद कालीन भारत में स्त्री का स्थान काफी सम्मानजनक था और स्त्री शिक्षा से वंचित नहीं थी और पर्दे का कोई विवाद नहीं था और स्त्री को अपना वर्क चने का अधिकार था । परंतु उत्तर वैदिक काल में महिलाओं की स्थिति धीरे-धीरे गिरती  गई । इसके बाद आया मध्य काल और मध्य काल में भारत पर इस्लामी आक्रमण हुआ और भारत पर इसका बहुत बुरा प्रभाव पड़ा । हिंदुओं में बाल विवाह और प्रदा प्रथा शुरू हो गई । नारियों का अपमान किया जाने लगा । नारी की रक्षा के लिए पर्दे को जरूरी माना गया और तभी से पर्दा प्रथा का आरंभ हुआ और कुछ राजपूत घरानों में कन्याओं की हत्या भी की जाने लगी । इसके बाद सती प्रथा शुरू हो गई ।

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इसके बाद इन सब बातों से तंग आकर कुछ विचारकों ने अपनी आवाज़ उठाई और अंत में इन कुरीतियों को समाप्त करने के लिए बहुत सारे महिला आंदोलन चलाए गए जिसकी निम्नलिखित रूप से देखा जा सकता है ।

समाज में धर्म सुधार आंदोलन

19वीं शताब्दी में 3 बड़े आंदोलन चलाए गए । जिन्होंने समाज को प्रभावित किया । एक तो ब्राह्मण समाज था और दूसरा थियोसोफिकल सोसाइटी । जिनमें स्त्रियों की दशा में सुधार के लिए अनेक प्रयास किए गए और इसके फल स्वरुप 1829 में सती प्रथा के विरुद्ध कानून बनाया गया और इसमें महिलाओं की स्थिति में सुधार आ गया । स्वतंत्रता आंदोलन में भी महिलाओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई । जैसे असहयोग आंदोलन में महिलाओं ने सक्रिय भूमिका निभाई । इसी प्रकार दुर्गा धामी, सुशीला देवी आदि ने क्रांतिकारियों का भरपूर सहयोग दिया ।

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समकालीन भारत में महिला आंदोलन

समकालीन भारत में महिला आंदोलन सबसे तेजी से बढ़ता हुआ सामाजिक आंदोलन है । इसके साथ साथ वैश्वीकरण के कारण नारी शक्ति और महिला सशक्तिकरण की विचारधारा को बढ़ावा मिलता है । समकालीन महिला आंदोलन की विशेषताएं इस तरह हैं ।

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i) परिवार में महिला की स्थिति को मजबूत करने पर बल दिया जा रहा है और महिलाओं के लिए सुविधाओं को बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है ।

ii) महिलाओं की स्थिति में सुधार के लिए महिला आरक्षण की मांग तेजी से बढ़ रही है । महिलाऐं आरक्षण का समर्थन करती हैं । लेकिन लंबे समय से यह कानून पास नहीं हो पाया है ।

iii) महिलाओं की स्थिति में सुधार के लिए आर्थिक क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी में वृद्धि बहुत जरूरी है और भागीदारी में बढ़ोतरी के लिए इस आंदोलन इसका प्रमुख उद्देश्य है ।

प्रमुख महिला आंदोलन

आइये अब बात करते हैं, उन आंदोलनों की जिनमें महिलाओं की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण रही है, और जिनके कारण महिलाओं को एक नई पहचान मिली और उनकी शक्ति को पहचाना गया ।

1 चिपको आंदोलन : 1970 के दशक में पेड़ों की कटाई को रोकने के लिए उसके विरुद्ध चलाए गए चिपको आंदोलन में महिलाओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई ।

2 ताड़ी विरोध : दक्षिण भारत में आंध्र प्रदेश की महिलाओं ने ताड़ी विरोधी आंदोलन चलाया और यह आंदोलन 1980 और 1990 के दशक तक चलता रहा, हालांकि सरकार द्वारा यह आंदोलन सफल नहीं हो सका फिर भी इससे महिलाओं को नई पहचान मिली ।

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3 नक्सलवादी आंदोलन : पश्चिम बंगाल में भूमिहीन किसानों ने नक्सलवादी आंदोलन का आरंभ किया और इस आंदोलन में वहाँ की महिलाओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और वर्तमान में देश के लगभग 78 जिले नक्सलवादी आंदोलन से प्रभावित हैं ।

4 दहेज निरोधक : 1980 के दशक में हिंसा दहेज और यौन उत्पीड़न के विरोध में कई महिला संगठनों ने जोरदार आवाज उठाई और 1986 में IPC की धारा द्वारा दहेज विरोधी अधिनियम 498-A पास किया गया और जिसमें दहेज के लिए महिलाओं का शोषण करने के लिए कार्यवाही की जाएगी और राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट के अनुसार 2006 देश में प्रत्यय 29 मिनट एक रेप और 77 मिनिट में दहेज से संबंधित हत्या होती थी ।

5 घरेलू हिंसा अधिनियम 2007 के अनुसार महिला के साथ घर में की गई हिंसा और मानसिक उत्पीड़न (Mentally Torture) और उत्पीड़न और शारीरिक उत्पीड़न नहीं किया जा सकता ।

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महिला आंदोलन की कमजोरियों और सुधार के सुझाव

1 महिलाओं की स्थिति में सुधार के लिए अर्थव्यवस्था में महिलाओं की भागीदारी बहुत जरूरी है । अतः शिक्षा और महिलाओं के लिए आरक्षण बहुत जरूरी है ।

2 भारत में महिलाओं की स्थिति सुधारने के लिए धार्मिक कारकों जैसे परंपराओं, रूढ़िवादी, पुराने रीतिरिवाजों, ढर्रों आदि में आवश्यक सुधार जरूरी है ।

3 भारत में महिलाओं से संबंधित कानूनों को अधिकतर बड़े पैमाने पर प्रचार करना बहुत जरूरी है ।

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भारत में महिला आंदोलन से संबंधित प्रमुख मुद्दे क्या रही हैं लिखिए?

आज के समय महिला आंदोलन के मुख्य मुद्दे हैं महिलाओं पर हिंसा को रोकना, निजी कानूनों में संशोधन, महिला स्वास्थ्य, आर्थिक दशा में सुधार इत्यादि । भारत में महिला आंदोलन अलग-अलग दौर व पड़ावों से गुज़र कर अपना अस्तित्व जमाए हुए है।

महिला आंदोलन से आप क्या समझते हैं?

समाज में धर्म सुधार आंदोलन जिनमें स्त्रियों की दशा में सुधार के लिए अनेक प्रयास किए गए और इसके फल स्वरुप 1829 में सती प्रथा के विरुद्ध कानून बनाया गया और इसमें महिलाओं की स्थिति में सुधार आ गया । स्वतंत्रता आंदोलन में भी महिलाओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई । जैसे असहयोग आंदोलन में महिलाओं ने सक्रिय भूमिका निभाई ।

नारी आंदोलन ने अपने इतिहास के दौरान कौन कौन से मुद्दे उठाए हैं?

स्त्रियों के मुद्दे प्रभावकारी रूप में सत्तर के दशक में सामने आए। स्त्रियों से संबंधित ज्वलंत मुद्दों में पुलिस कस्टडी में महिलाओं के साथ बलात्कार, दहेज हत्याएँ तथा लैंगिक असमानता इत्यादि प्रमुख थे। इधर नई चुनौतियाँ लड़कियों के जन्मदर में अत्यधिक कमी के रूप में सामने आई हैं, जो सामाजिक विभेद का द्योतक है।

महिला आंदोलन क्यों शुरू हुआ था?

इसने समाज को वैदिक काल के साथ जोड़ने का प्रयास किया जो कि हिन्दुत्व का आधार हैं। वे हिन्दुत्व के आधार के रूप में वैदिक संस्कृति को स्थापित करना चाहते थे जहाँ महिलाओं को समाज में काफी सम्मान प्राप्त था। ब्रह्म समाज की भांति ही इस संगठन ने भी बालविवाह एवं जातिप्रथा जैसी कुरीतियों का विरोध किया। आर्य समाज की स्थापना एम.