बजट क्या है एक आदर्श बजट के सिद्धांत का वर्णन कीजिए? - bajat kya hai ek aadarsh bajat ke siddhaant ka varnan keejie?

बजट सरकार के एक वर्ष के समस्त आय और व्यय के विवरण को कहते हैं। सरकार के समस्त वितीय संसाधनों को सार्वजनिक वित्त कहते हैं। सार्वजनिक वित्त के अन्तर्गत केन्द्र सरकार की समस्त आय एवं व्यय के मदों को सम्मिलित किया जाता है। इसी सार्वजनिक वित्त के बजटीय प्रबंधन क्रो सार्वजनिक बजट कहते हैं। इसके अनेक प्रकार होते हैं.

बजट क्या है एक आदर्श बजट के सिद्धांत का वर्णन कीजिए? - bajat kya hai ek aadarsh bajat ke siddhaant ka varnan keejie?
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आम बजट एक वित्तीय वर्ष (1 अप्रैल से 31 मार्च तक) की अवधि के दौरान सरकार की प्राप्तियां तथा व्यय के अनुमानों का विवरण होता है। बजट के मुख्यतः दो भाग होते हैं, आय और व्यय।

सरकार के समस्त प्राप्तियों और राजस्व को आय कहा जाता है तथा सरकार के सभी खर्चों को व्यय कहा जाता है.

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 112 में बजट का उल्लेख है जहां बजट शब्द का प्रयोग न कर के इसे वार्षिक वित्तीय विवरण कहा गया है।

बजट केवल एक सीमित अवधि के लिए होता है सामान्यतः एक वर्ष।

बजट के प्रकार

बजटीय प्रक्रिया के दौरान विभिन्न सरकारी हस्तक्षेप, सरकार के कल्याणकारी स्वरूप, देश हित आदि के आधार पर बजट के अनेक रूप होते हैं, जो कि उल्लेखित हैं।

आम बजट

यह एक सामान्य किस्म का बजट है जिसमे समस्त आय और व्यय का लेखा-जोखा रहता है। बजट का यह स्वरूप अत्यन्त पारस्परिक होता है, इस बजट में वस्तुओं या मद का महत्त्व उद्देश्य की अपेक्षा अधिक होता है। इसे पारस्परिक बजट भी कहते हैं।

बदलते स्वरूप को देखते हुए बजट की यह प्रणाली भारत की समस्याओँ को सुलझाने एवं इसकी महत्वाकांक्षाओं क्रो प्राप्त करने में असफल रही। अत: बजट को इस रूप के स्थान पर निष्पादन बजट की आवश्यकता महसूस की गई।

निष्पादन बजट

बजट का वह स्वरूप जिसका निर्माण परिणामों को ध्यान में रखकर किया जाता है वह निष्पादन बजट कहा जाता है। निष्पादन बजट (Performance Budget) मैं सरकार उपलब्धियों पर ध्यान रखते हुए प्रस्तावित कार्यक्रमों की रूपरेखा एवं उन पर खर्च किए जाने वाले सभी मदों का मूल्यांकन आदि किया जाता है। इसे उपलब्धि बजट भी कहा जाता है, बजट के प्रकार.

निष्पादन बजट का सर्वप्रथम प्रयोग संयुक्त राज्य अमेरिका में किया गया।

भारतीय संसद मैं पहली बार 25 अगस्त, 2005 को निष्पादन बजट वित्त मंत्री पी. चिदम्बरम द्वारा प्रस्तुत किया गया।

आउटकम बजट

आउटकम बजट एक नए प्रकार का बजट है। इसके अन्तर्गत साधनों के साथ-साथ उन लक्ष्यों को भी निर्धारित कर दिया जाता है, जिन्हें प्राप्त करना आवश्यक माना जाता है। इस बजट के अन्तर्गत एक वित्तीय बर्ष के लिए किसी मंत्रालय अथवा विभाग को आबंटित किए गए बजट मैं मूल्यांकन किए जा सकने चाले भौतिक लक्ष्यों का निर्धारण इस उद्देश्य से किया जाता है, जिससे बजट के क्रियान्वयन को परखा जा सके।

आउटकम बजट सामान्य बजट की तुलना में एक जटिल प्रक्रिया हैं, जिसमे वित्तीय प्रावधानों को परिणामों के सन्दर्भ में देखा जाना होता है।

भारत में इसकी शुरूआत वित्तमंत्री पी. चिदम्बरम ने वर्ष 2005 में की थी

सन्तुलित बजट

यह एक आदर्श बजट है, जिसे व्यवहार में लाना अत्यंत कठिन है, सन्तुलित बजट में विभिन्न क्षेत्रों का समान अनुपात में आबंटन किया जाता है तथा इसमें व्यय एवं प्राप्ति का अन्तराल सीमित होता है, जिसके परिणामस्वरूप बजट के अनुमानित घाटे एवं वास्तविक घाटे में भी अन्तर नहीं होता।

लैंगिक बजट

वह बजट जो महिला और शिशु कल्याण को ध्यान मई रखकर बनाया जाता है उसे लैंगिक बजट कहा जाता है. यह बजट महिला विकाश और सशक्तिकरण के योजनाओं के लिए राशि सुनिश्चित करता है.

शुन्य आधारित बजट

यह बजट गत वर्षों के आंकड़ों को आधार न मानकर शुन्य को अधर मानते हुए बनाया जाता है. इस बजट को तब अपनाया जाता है जब आम बजट घाटे मई चलने लगता है. यह बढ़ते घटे को अंकुश लगाने मई सहायक होता है.


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बजट क्या है एक आदर्श बजट के सिद्धांत का वर्णन कीजिए? - bajat kya hai ek aadarsh bajat ke siddhaant ka varnan keejie?

Sheshan Pradhan

Sheshan Pradhan is a blogger and author at pscnotes.in. He has published various articles in leading news and laws websites including livelaw.in and barandbench.com.

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  • प्रश्न :

    बजट निर्माण के विभिन्न सिद्धांतों को संक्षेप में प्रस्तुत करें।

    09 Jan, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था

    उत्तर :

    उत्तर की रूपरेखा:

    • इससे संबंधित सिद्धांतों को स्पष्ट करें।
    • बजट के बारे में बताएँ।

    बजट का तात्पर्य किसी अर्थव्यवस्था के अनुमानित खर्चों और प्राप्तियों के विवरण से है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 112 में वार्षिक वित्तीय विवरण का उल्लेख है। इसके अनुसार राष्ट्रपति संसद के दोनों सदनों में भारत सरकार के लिये उस अवधि हेतु प्राक्कलित प्राप्तियों और व्ययों का विवरण रखवाएंगे। बजट का निर्माण एक जटिल प्रक्रिया है। इसके निर्माण से संबंधित सिद्धांतों को निम्न रूप में देखा जा सकता है-

    जनता शासन की आर्थिक नीतियों तथा कार्यक्रमों के प्रति अब गहरी जिज्ञासा और रूचि रखने लगी है। बजट निर्माण के संबंध मे विभिन्न विद्वानों ने अपने विचार प्रकट किए है। इसमे प्रमुख है-- ग्रेन्ज, डिमाॅक एण्ड डिमाॅक वाल्डो तथा हैराल्ड स्मिथ। सामान्यतः बजट निर्माण के निम्म सिद्धांत महत्व के प्रतीत होते है--

    1. कार्यपालिका का उत्तरदायित्व 

    बजट बनाने का कार्य सामान्यता कार्यपालिका का ही होता है। अतः उसे ही सौंपा जाना चाहिए। प्रशासन चलाने का उत्तरदायित्व कार्यपालिका का ही ही होता है। अतः वही यह जान सकती है कि किस मद हेतु कितने धन की आवश्यकता पड़ेगी। इस सिद्धांत का आशय यह भी है कि बिना कार्यपालिका की अनुमति के कोई भी मांग प्रस्तुत नही की जानी चाहिए तथा बजट निर्माण सीधे कार्यपालिका के नियंत्रण मे ही होना चाहिए।

    पढ़ना न भूलें; बजट क्या है? परिभाषा, प्रकार 

    2. संतुलित बजट  

    बजट निर्माण का स्वस्थ सिद्धांत है: उसका संतुलित होना। पी. के. वाटल का मत है," संतुलित बजट वित्तीय स्थायित्व की पहली आवश्यकता है।" 

    आय एवं व्यय मे बहुत अधिक अंतर नही होना चाहिए। किसी भी देश के लिए न तो बहुत ही घाटे का बजट और न ही अधिक लाभ का बजट उपयोगी माना जा सकता है। 

    संतुलित बजट ही सबसे अच्छा सबसे अच्छा होता है, क्योंकि घाटे के बजट मे, घाटे को पूरा करने के लिए ॠण लेना पड़ता है अथवा नोट छापने पड़ते है, जिससे सारी अर्थव्यवस्था डगमगा जाती है। इसके विपरीत, बचत के बजट का अर्थ है कि शासन के पास धन है, लेकिन वह फिर भी विकास कार्यों के लिए खर्च नही कर रहा है। अतः असंतुलित बजट आम जनता मे सरकार के प्रति अविश्सनीयता ही पैदा करेगा। इसलिए बजट संतुलित होना चाहिए।

    3. प्रचार 

    देश की जनता पर ही बजट का प्रभाव पड़ता है। अतः बजट का जनता मे ज्यादा प्रचार एवं प्रकाशन अनिवार्य है। बजट के प्रत्येक चरण अर्थात् प्रस्तुति, उस पर सामान्य बहस, मांगो पर मतदान, टैक्सों की स्वीकृति, उस पर की गई प्रतिक्रियाएं आदि का जमकर प्रचार होना चाहिए ताकि जनता अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर सके।

    4. स्पष्टता 

    बजट का रूप इस प्रकार का हो कि वह स्पष्ट रूप से समझ मे आ सके। बजट की भाषा सरल एवं सुबोध होना चाहिए तथा उसे द्विअर्थी नही होना चाहिए ताकि जनता उसे आसानी से समझ सके।

    5. व्यापकता 

    व्यापकता किसी भी बजट के लिए अनिवार्यता होती है। अनिवार्यता से आशय आय एवं व्यय के संपूर्ण विवरण के अतिरिक्त नई नीतियां, प्रस्तावित योजनाएं, देश की आर्थिक स्थिति इत्यादि सब बातों का समावेश होना चाहिए।

    6. एकता 

    इसका आशय है कि देश के लिए एक ही बजट होना चाहिए। अलग-अलग विभागों के लिए अलग-अलग बजट नही। समस्त आमदनी एक निश्चित फण्ड मे जाना चाहिए; इसी तरह समस्त व्यय भी। यदि हर विभाग अलग-अलग बजट बनाएगा तो उस देश की वास्तविक स्थिति का पता नही चलेगा क्योंकि हो सकता है कोई घाटे का बजट बनाए तो कोई लाभ का। हमारे देश मे दो बजट प्रस्तुत किए जाते है-- एक सामान्य बजट, दूसरा रेलवे बजट। इस तरह हमारे देश मे इस सिद्धांत का पालन नही होता।

    7. नियतकालीनता 

    बजट द्वारा सरकार को विनियोजकों तथा व्यय का जो अधिकार दिया जाये, वह एक निश्चित अवधि के लिए ही होना चाहिए। यदि धन का उपयोग इस अवधि मे नही हो पाता है तो वह समाप्त हो जायेगा तथा पूनः स्वीकृति के उपरांत ही खर्च किया जा सकता है।

    8. परिशुद्धता 

    बजट के अनुमानों को यथासंभव परिशुद्ध एवं विश्वस्त होना चाहिए। एक अच्छी वित्तीय व्यवस्था के लिए बजट अनुमानों मे शुद्धता आवश्यक है।

    9. सत्यशीलता 

    सत्यशीलता का आशय है कि बजट का क्रियान्वयन ठीक उसी रूप मे होना चाहिए जिस रूप मे उसे पारित किया गया हो अन्यथा विधायी स्वीति एवं नियंत्रण का कोई महत्व नही रहेगा।

    10. मितव्ययिता 

    बजट मे मितव्ययिता सबसे आवश्यक है। सार्वजनिक धन के रूप मे एक पैसे का भी अनावश्यक व्यत दुरूपयोग या बर्बादी नही होना चाहिए। देश की सुदृढ़ अर्थव्यवस्था के लिए मितव्ययिता आवश्यक है।

    11. नकदी का आधार 

    बजट एक बर्ष के भीतर नकद रूपये प्राप्त होने वाली आमदनी तथा किए जाने वाले व्यय के आधार पर बनाया जाना चाहिए।

    12. आय तथा व्यय का सही अनुमान 

    किसी भी अच्छे बजट के लिए सही अनुमानों का लगाया जाना अत्यन्त आवश्यक होता है। कहीं ऐसा न हो कि आय के ज्यादा अनुमान लगाए जायें तथा व्यय के कम से कम, हमारे देश मे तो यह एक बीमारी है। हम अपने देश की प्राकृतिक विपदाओं का सही मूल्यांकन नही कर पाते है। ज्यादा आय की उम्मीद करते है पर होती कम है। अस्तु बजट डगमगा जाता है। 

    13. नमनीयता 

    बजट मे नमनीयता भी होना चाहिए। देश की परिस्थिति के अनुसार इसे बदला जा सके, यह गुण होना चाहिए।

    14. गुप्तता नही 

    बजट मे कोई गुप्त लेख न हो। एक बार संसद के सन्मुख प्रस्तुत कर दिए जाने के बाद उसे सार्वजनिक बना देना चाहिए।

    15. वित्तीय परिणामों का उल्लेख 

    बजट मे यह उल्लेख किया जाना चाहिए कि प्रत्येक व्यय प्रस्ताव का क्या भौतिक परिणाम होगा। इसे कार्यफल बजट (परफोरमेन्स बजट) भी कह सकते है। कम से कम हमारे देश मे इसका उल्लेख पूरी तरह नही होता। उदाहरण के लिए केन्द्र ने राज्य शासन के लिए कोई अनुदान दिया या ऋण दिया तो जनता को यह जानने का अधिकार है कि राज्य सरकार ने इसका किस प्रकार उपयोग किया या कि सरकारी उद्यमों या उपक्रमों मे राज्य या केन्द्र ने जो पूंजी लगाई है, उसका क्या हुआ। इसका उल्लेख बजट मे नही होता। बजट मे समस्त वित्तीय विनियोजनों के लाभ एवं हानि का उल्लेख होना चाहिए।

    बजट क्या है एक आदर्श बजट के सिद्धांतों का वर्णन कीजिए?

    बजट के सिद्धांत- यह सटीक व सही होना आवश्यक है जिससे लक्ष्यों की अधिकतम प्राप्ति हो सके। बजट को इस प्रकार बनाना चाहिए जिससे की इसमें आवश्यकता के अनुसार परिवर्तन कर सके। बजट वास्तविक आय पर आधारित होना चाहिए जिससे की यह अधिकाधिक तर्कसंगत हो सके। बजट में आय तथा व्यय में संतुलन होना चाहिए।

    बजट से आप क्या समझते हैं वर्णन करें?

    एक बजट भविष्य की योजनाओं और उद्देश्यों के आधार पर अनुमानित आय और व्यय का एक औपचारिक विवरण है। दूसरे शब्दों में, एक बजट एक दस्तावेज है जो प्रबंधन व्यवसाय के लिए अपने लक्ष्यों के आधार पर आगामी अवधि के लिए राजस्व और खर्चों का अनुमान लगाने के लिए बनाता है।

    बजट क्या है इसके प्रकार बताइए?

    सरकार की ओर से पेश वित्तीय ब्योरे में किसी खास वित्त वर्ष में केंद्र सरकार की अनुमानित प्राप्तियों और खर्चों को दिखाया जाता है. यानी कि बजट अगले वित्त वर्ष के लिए सरकार की वित्तीय योजना का ब्योरा देता है. भारत में बजट मुख्य तौर पर तीन श्रेणियों के अंतर्गत आता है, जिसमें संतुलित बजट, अधिशेष बजट और घाटा बजट शामिल हैं.

    बजट से आप क्या समझते हैं बजट की विशेषताओं और उद्देश्यों की व्याख्या करें?

    बजट से हमारा आशय सरकार या लोकसत्ताओं द्वारा वित्तीय संसाधनों को जुटाने एवं उनको व्यय करने सम्बन्धी कार्यक्रमों की रूपरेखा से लगाया जाता है। बजट एक सरकारी प्रपत्र होता है जिसमें सार्वजनिक कार्यक्रमों को संचालित करने के लिये आवश्यक कार्यों की पूर्ति करने के स्रोत एवं मात्रा के साथ सम्बन्धित मदों का पूर्ण विवरण होता है।