Gandhi Jayanti 2021: सत्य और अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी ने देश को आजादी दिलाने में महती भूमिका निभाई थी. गांधी जी ने आजादी के लिए कई आंदोलन चलाए, जिनके बलबूते पर अंग्रेजों को भारत छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा. आजादी के संघर्ष के साथ गांधी जी बड़े विचारक व्यक्ति थे. उनके विचारों ने कई लोगों के जीवन को बदल दिया. गांधी के जीवन बहुत साधारण था. वो अपनी सादगी के लिए पूरी दुनियाभर में जाने जाते हैं. महात्मा गांधी के जीवन की झलक दिखाते हुए ये 5 तस्वीरें काफी कुछ बयां करती हैं. Show
Updated:Oct 02, 2021, 01:14 PM IST गांधी जी का बचपन1/5 गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1969 को पोरबंदर में हुआ था. गांधी जी बचपन से ही पढ़ने लिखने में काफी तेज थे. अपनी आत्मकथा ‘सत्य के साथ मेरे प्रयोग’ में गांधी जी लिखते हैं कि मुझे बचपन में भूतों से बहुत डर लगता था. उस डर को काटने के लिए उन्होंने राम का नाम प्रयोग करना शुरू किया था, जो उनके अंतिम समय तक उनके साथ रहा. कस्तूरबा गांधी से हुई थी शादी2/5 13 साल की उम्र में ही महात्मा गांधी की शादी कस्तूरबा गांधी से हो गई थी. उनके गंभीर और स्थिर स्वभाव के चलते उन्हें सभी ‘बा’ कहकर पुकारते थे. साल 1922 में स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ते हुए महात्मा गांधी जब जेल चले गए तब स्वाधीनता संग्राम में महिलाओं को शामिल करने और उनकी भागीदारी बढ़ाने के लिए कस्तूरबा गांधी ने आंदोलन चलाया और उसमें कामयाब भी रहीं. 1915 में कस्तूरबा जब महात्मा गांधी के साथ भारत लौंटी तो साबरमती आश्रम में लोगों की मदद करने लगीं. आश्रम में सभी उन्हें ‘बा’ कहकर बुलाते थे. ‘बा’ का मतलब होता है ‘मां. पेशे से थे बैरिस्टर3/5 हायर एजुकेशन के लिए महात्मा गांधी ने कॉलेज में दाखिला लिया लेकिन गरीब परिवार से आने और फीस अफोर्ड नहीं कर पाने के चलते उन्हें बीच में ही कॉलेज छोड़ना पड़ा. जब गांधी ने कॉलेज छोड़ा तब उनके पारिवारिक मित्र मावजी दवे जोशीजी ने उन्हें और उनके परिवार को सलाह दी कि उन्हें लंदन जाकर लॉ (वकालत) की पढ़ाई करनी चाहिए. इसके बाद घर वालों को राजी करके वे लंदन गए और बैरिस्टर की पढ़ाई की. वे काफी साल अफ्रीका में भी रहे. बाद में भारत लौटने पर देश को आजाद करने में अपना जीवन लगा दिया. लोग उनके विचारों से इतने प्रभावित थे कि सब उन्हें महात्मा के नाम से जानने लगे. दांडी यात्रा4/5 महात्मा गांधी ने अंग्रेजों के नमक कानून को तोड़ने के लिए दांडी मार्च का आयोजन किया था. ये यात्रा 12 मार्च 1930 गुजरात के दांडी से शुरू हुई थी. यह एक ऐसा वक्त था, जब देश आजादी के लिए अंगड़ाई ले रहा था. एक तरफ भगतसिंह जैसे युवा नेताओं ने अंग्रेजों की नाक में दम किया हुआ था और दूसरी तरफ महात्मा गांधी अंहिसात्मक आंदोलन के जरिए अंग्रेजों का नमक कानून तोड़ने निकल पड़े. स्वदेशी अपनाओ का देते थे संदेश5/5 गांधी जी ने सत्य, अहिंसा के साथ चरखे को अपनी ताकत बनाया था और उसी चरखे ने हमारे देश को आजादी से पहले ही आत्मनिर्भर बनने का पहला पाठ पढ़ाया था. गांधी जी चरखे के माध्यम से उस समय भी स्वदेशी अपनाओ का संदेश दिया करते थे. अगली गैलरी 30 जनवरी को महात्मा गांधी की पुण्यतिथि मनाई जाती है. इसी दिन नाथूराम होडसे की पिस्टल से निकली गोलियों ने गांधी जी की जान ले ली थी और उनके मुंह से अंतिम शब्द निकले थे 'हे राम.'जीवन भर सत्य, अहिंसा और निडरता की प्रेरणा देने वाले महात्मा गांधी बचपन में बहुत डरते थे. उस डर को काटने के लिए उन्होंने राम का नाम प्रयोग करना शुरू किया था, जो उनके अंतिम समय तक उनके साथ रहा. 30 जनवरी को महात्मा गांधी की पुण्यतिथि मनाई जाती है. इसी दिन नाथूराम गोडसे की पिस्टल से निकली गोलियों ने गांधी जी की जान ले ली थी और उनके मुंह से अंतिम शब्द निकले थे ‘हे राम.’ वह कौन सी घटना थी जिसने गांधी का संबंध राम से स्थापित किया, आइए जानते हैं. भूत का डर अपनी आत्मकथा ‘सत्य के साथ मेरे प्रयोग’ में गांधी जी लिखते हैं कि मुझे बचपन में भूतों से बहुत डर लगता था. उस घटना के बारे में बताते हैं कि एक बार उन्हें दूसरे कमरे में जाना था लेकिन अंधेरा बहुत ज्यादा था. एक तो रात का अंधेरा और फिर भूत का डर. उनका पांव आगे नहीं बढ़ रहा था. उन्हें लग रहा था कि वह भूत कहीं छिपा बैठा उनका इंतजार कर रहा होगा और बाहर निकलते ही उन पर आकर कूद पड़ेगा. उन्होंने तेजी से धड़कते दिल के साथ अपना एक पैर बाहर निकाला, इतने में बाहर खड़ी बूढ़ी दाई रंभा ने उन्हें देखा. हंसते हुए पूछा ‘क्या बात है बेटे?’ गांधी जी ने कहा ‘मुझे बहुत डर लग रहा है.’ गांधी जी ने बताया कि अंधेरे में मुझे भूतों से डर लगता है. इस पर दाई रंभा ने उनकी पीठ पर हाथ फेरते हुए कहा ‘राम का नाम लो. कभी कोई भूत तुम्हारे पास आने की हिम्मत नहीं करेगा. कोई तुम्हारा कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा, राम तुम्हारी रक्षा करेंगे.’ इसके बाद गांधी जी ने राम का नाम कभी नहीं छोड़ा. उनका पसंदीदा भजन ‘रघुपति राघव राजा राम’ था. वे भारत में ‘रामराज्य’ की कल्पना करते थे जिसमें प्रेम और सद्भाव हो. अंत समय भी उनके मुंह से ‘हे राम’ निकला था. ये भी पढ़ेंः इस जगह आकर महात्मा गांधी ने घड़ी और काठियावाड़ी सूट पहनने से कर ली थी तौबा महात्मा गांधी ने बताया क्यों उनके साथी को लोग प्यार से कहते थे ‘प्याज चोर’ गांधी जी का बचपन कैसे बीता था?गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1969 को पोरबंदर में हुआ था. गांधी जी बचपन से ही पढ़ने लिखने में काफी तेज थे. अपनी आत्मकथा 'सत्य के साथ मेरे प्रयोग' में गांधी जी लिखते हैं कि मुझे बचपन में भूतों से बहुत डर लगता था. उस डर को काटने के लिए उन्होंने राम का नाम प्रयोग करना शुरू किया था, जो उनके अंतिम समय तक उनके साथ रहा.
महात्मा गांधी कैसे दिखते हैं?गांधी को महात्मा के नाम से सबसे पहले 1915 में राजवैद्य जीवराम कालिदास ने संबोधित किया था।
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. महात्मा गांधी जी का बचपन उपनाम क्या था?पितामह ओता गांधी और पिता कबा गांधी के नाम से पुकारे जाते थे। इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए कर्मचंद गांधी ने अपने बच्चों के घरेलू नाम रखे थे। मोहनदास का घरेलू नाम मोनिया रखा गया।
गांधी जी बचपन में कैसे विद्यार्थी थे?स्कूल में गांधीजी किसी से भी बात नहीं करते थें। इनका स्वभाव बहुत शर्मीला था। यहां तक की अपने शर्मीलेपन के कारण किसी से दोस्ती भी नहीं की थी। घंटी बजने के समय तुरंत पाठशाला पहुंच जाते थे और जैसी ही पाठशाला के खत्म होती तो दोड़ते हुए घर की और भागते।
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