नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। लकवा एक ऐसी गंभीर बीमारी है, जिसका जल्द उपचार नहीं किया जाए, तो मरीज़ तमाम उम्र इस बीमारी को मात नहीं दे सकता। इस बीमारी का मुख्य कारण दिमाग के एक हिस्से में खून का प्रवाह रुकने की वजह से उस हिस्से को होने वाली क्षति होता है। लकवा के मरीज़ों की बात करें तो करीब 85 प्रतिशत लोगों में दिमाग की खून की नली अवरुद्ध होने पर और करीब 15 प्रतिशत में दिमाग में खून की नस फटने से लकवा होता है। लकवे का असर बॉडी के किसी भी हिस्से पर हो सकता है। स्ट्रोक की वजह से शरीर का आधा हिस्सा लकवा से ग्रस्त हो सकता है। इस बीमारी के कारण मुंह, होंठ या संबंधित अंग टेढ़े हो जाते हैं। आयुर्वेद के मुताबिक मरीज़ की डाइट लकवा के असर को कम कर सकती है। आइए जानते हैं कि लकवा के मरीज़ों की डाइट कैसी हो और उन्हें किन चीज़ों से परहेज करना चाहिए। Show लकवा के मरीज क्या खाएं? High Blood Pressure : क्या बढ़ते उच्च रक्तचाप से आप भी हैं परेशान, इस एक चीज में छिपा है समाधान यह भी पढ़ें
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डिस्क्लेमर: स्टोरी के टिप्स और सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन्हें किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर नहीं लें। बीमारी या संक्रमण के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें। Sehat Ki Baat: क्या नहाने का भी कोई सही तरीका होता है? क्या गलत तरीके से नहाने की वजह से ब्रेन स्ट्रोक, हार्ट अटैक या लकवे जैसी गंभीर परिस्थतियों का सामना करना पड़ सकता है? क्या शॉवर का पानी सीधे सिर पर पड़ने से किसी की जान भी जा सकती है. आय दिन हमको डराने वाले ऐसे तमाम सवाल हमारे जहन को परेशान करने लगते हैं. ऐसे में, यह जानना बेहत जरूरी हो जाता है कि ये सवाल कितने वाजिब हैं. नहाने के तरीके को लेकर खड़े इन तमाम सवालों को लेकर हमने दिल्ली के सीनियर न्यूरोलॉजिस्ट से उनकी राय जानी. इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल के सीनियर न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. विनीत सूरी के अनुसार, यह बात सही है कि नहाते वक्त कई बार ब्रेन स्ट्रोक या हार्ट अटैक के मामले देखने को मिलते हैं. लेकिन, यह कहना बिल्कुल गलत है कि गलत तरीके से नहाने के चलते ब्रेन स्टोक या हार्ट अटैक जैसी गंभीर स्थिति उत्पन्न हो सकती है. अभी तक मेडिकल साइंस में इस तरह की कोई थ्योरी सामने नहीं आई हैं. जहां तक नहाते वक्त या बाथरूम में इस तरह के गंभीर अटैक की बात है तो उसका कारण गलत तरीके से नहाना नहीं, बल्कि ठंड के एक्सपोजर के चलते कोल्ड स्ट्रोक है. डॉ. विनीत सूरी ने बताया कि हमारे शरीर का एक थर्मोरेगुलेशन सिस्टम है, जो शरीर के आंतरिक तापमान के संतुलन को बनाने का काम करता है. सर्दी के मौसम में ठंड की वजह से शरीर में कुछ बदलाव आते हैं, जिसकी वजह थर्मोरेगुलेशन सिस्टम कमजोर हो होता है. कमजोर थर्मोरेगुलेशन के चलते शरीर को वॉसोकंस्ट्रिक्शन की स्थिति का सामना करना पड़ता है. जिसकी वजह से, त्वचा में खून की नलियां सिकुडने लगती है. थर्मोरेगुलेशन और वॉसोकंस्ट्रिक्शन के चलते ब्लड प्रेशर बढ़ता है और कई बार स्ट्रोक जैसी गंभीर स्थिति खड़ी हो जाती है. यह भी पढ़ें: डायबिटीज में क्या है लो और हाई ब्लड शुगर का मतलब, जानें इनके लक्षण और नुकसान नहाते वक्त पानी पहले सिर पर डाले या पैर पर? खबरों को बेहतर बनाने में हमारी मदद करें।खबर में दी गई जानकारी और सूचना से आप संतुष्ट हैं? खबर की भाषा और शीर्षक से आप संतुष्ट हैं? खबर के प्रस्तुतिकरण से आप संतुष्ट हैं? खबर में और अधिक सुधार की आवश्यकता है? ब्रेन हेमरेज में क्या नहीं खाना चाहिए?जानिए किन चीजों को खाने से आपको परहेज करना चाहिए.. ज्यादा मात्रा में न खाएं नमक ज्यादा मात्रा में नमक खाना स्ट्रोक के खतरे को बढ़ा सकता है. ... . सॉफ्ट ड्रिंक्स न पिएं सॉफ्ट ड्रिंक या डाइट कोक पीते हैं तो ये भी आपको नुकसान पहुंचाएगा. ... . स्मोक्ड और प्रोसेस्ड मीट. ब्रेन स्ट्रोक में कौन सी चीज का सेवन करना चाहिए?क्यों हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक में फायदेमंद है कीवी
बता दें कि ब्लड क्लॉट को ब्रेन स्ट्रोक, हार्ट अटैक और पल्मोनरी एम्बोलिज्म जैसी समस्याओं की प्रमुख वजहों में से एक माना जाता है. ऐसे में कीवी का सेवन करने से आपका शरीर ब्रेन स्ट्रोक, हार्ट अटैक और पल्मोनरी एम्बोलिज्म जैसी जानलेवा परेशानियों से बचाता है.
ब्रेन हेमरेज ठीक होने में कितना टाइम लगता है?क्रैनियोटॉमी सर्जरी या किसी अन्य ब्रेन हैमरेज को पूरी तरह से ठीक होने में लगभग 4-6 सप्ताह लगते हैं।
ब्रेन हेमरेज कैसे ठीक हो सकता है?यदि स्थिति गंभीर है तो ब्रेन हेमरेज के इलाज के लिए सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है। मस्तिष्क पर बन रहे दबाव को दूर करने के लिए ऑपरेशन किया जा सकता है। कई स्थितियों में खोपड़ी के हिस्से को हटाया भी जा सकता है। हालांकि यदि स्थिति गंभीर नहीं है तो डॉक्टर कुछ विशेष प्रकार की दवाएं दे सकते हैं।
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