बोतल से दूध पिलाना क्यों हानिकारक है? - botal se doodh pilaana kyon haanikaarak hai?

In this article

  • मैं शिशु के लिए फॉर्मूला दूध किस तरह तैयार करूं?
  • शिशु को कितनी बार फॉर्मूला दूध पिलाना चाहिए?
  • मैं कैसे सुनिश्चित करुं कि शिशु बोतल से आराम से दूध पी रहा है?
  • बोतल का दूध गर्म करने का सुरक्षित तरीका क्या है?
  • क्या मैं पहले से दूध बनाकर फ्रिज में रख सकती हूं?
  • शिशु यदि पूरा दूध खत्म न करे, तो क्या बचे दूध को बाद में पिलाया जा सकता है?
  • क्या शिशु को स्तनपान करवाने के साथ-साथ फॉर्मूला दूध की फीड दी जा सकती है?
  • क्या मुझे शिशु की बोतलों को कीटाणुमुक्त (स्टेरलाइज) करना चाहिए?
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अगर आप अपने शिशु को फॉर्मूला दूध पिलाने के बारे में सोच रही हैं, तो इससे पहले आपको कुछ चीजों का ध्यान रखना होगा। शुरुआत करने से पहले आपको दूध तैयार करने और बोतल व अन्य उपकरणों को कीटाणुमुक्त बनाने के बारे में सीखना होगा।

आपको यह भी जानना होगा कि शिशु को बोतल से दूध कैसे और कितनी बार पिलाया जाए। साथ ही, यह भी समझना होगा जब आप कहीं बाहर जाएं, तो शिशु को किस तरह दूध पिलाएं।

नई माँओं के लिए बोतल से दूध पिलाने से जुड़ी सभी जानकारी यहां दी गई है, जिससे आपको काफी मदद मिलेगी।

मैं शिशु के लिए फॉर्मूला दूध किस तरह तैयार करूं?

शिशुओं को स्तनदूध के विकल्प या स्तनदूध के साथ पूरक के तौर पर पिलाने के लिए बेबी फॉर्मूला मिल्क बनाया जाता है। फॉर्मूला दूध की कई अलग-अलग वैरायटी होती हैं और आपके शिशु की जरुरतों को देखते हुए डॉक्टर उसके लिए उचित फॉर्मूला दूध बताएंगे।

पाउडर वाले फॉर्मूला दूध की बोतल तैयार करने के लिए, पैकेट पर दिए निर्देशों का ध्यानपूर्वक पालन करें। आपको निम्न चीजें करने की जरुरत होगी:

  • फिल्टर किया गया पीने का पानी उबालें और इसे ठंडा होने के लिए रख दें। इसे आधे घंटे से ज्यादा ठंडा न होने दें। पानी का तापमान कम से कम 70 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए।
  • दूध तैयार करने से पहले अपने हाथों को अच्छी तरह धो लें।
  • दिए गए निर्देशों के अनुसार बोतल में एकदम सही मात्रा में पानी डालें।
  • पैक पर दिए निर्देशों के अनुसार उतनी ही चम्मच दूध बोतल में डालें। फॉर्मूला दूध के साथ दी गई चम्मच का इस्तेमाल करें। चम्मच को उसके स्तर (लेवल) से ज्यादा न भरें, और ज्यादा पाउडर आ जाने पर साफ चाकू से उसे चम्मच के स्तर पर ले आएं।
  • निप्पल और ढक्कन को लगा दें और बोतल को अच्छी तरह हिलाएं, ताकि सारा पाउडर पानी में घुल जाए।
  • दूध ज्यादा गर्म तो नहीं है, यह पता करने के लिए कलाई पर (अंदर की तरफ) एक दो बूंद दूध टपका कर देखें। यह हल्का गर्म महसूस होना चाहिए, ना कि बहुत ज्यादा गर्म।

शिशु को कितनी बार फॉर्मूला दूध पिलाना चाहिए?

आपके शिशु की भूख हर दिन और महीने दर महीने अलग रहेगी, तो उसे ही तय करने दें कि उसे कितनी भूख है। आपका शिशु जितनी जरुरत होगी उतनी बार दूध अवश्य पीएगा, बस आपको उसके दूध पीने की इच्छा वाले लक्षणों को पहचान कर उनके अनुसार काम करना होगा।

अगर आपका नवजात शिशु है, तो उसे कम मात्रा में लेकिन बार-बार दूध पीने की जरुरत होगी। इसलिए उसे हर दो-तीन घंटे में बोतल से दूध पिलाएं। शिशु जितनी देर तक दूध पीना चाहे, उसे पीने दें। अगर, उसका पेट भर गया हो, तो और ज्यादा दूध पिलाने की जबरदस्ती न करें।

जैसे-जैसे आपका शिशु बड़ा होता जाता है, वह ज्यादा मात्रा में दूध पी सकेगा। एक से दूसरे फीड के बीच का अंतराल भी बढ़ जाएगा।

सामान्य नियम के तौर पर आपके शिशु को हर दिन अपने वजन के प्रति किलोग्राम के अनुसार 150 से 200 मि.ली. दूध चाहिए होगा। यानि कि यदि आपके शिशु का वजन तीन किलो है, तो उसे 24 घंटों के दौरान अपनी भूख शांत करने के लिए तकरीबन 450 से 600 मि.ली. के बीच फॉर्मूला दूध चाहिए होगा।

यहां और विस्तार से पढ़ें कि आपके शिशु को कितने फॉर्मूला दूध की जरुरत होती है।

मैं कैसे सुनिश्चित करुं कि शिशु बोतल से आराम से दूध पी रहा है?

जब आप शिशु को बोतल से दूध पिला रही हों, तो बोतल को इस तरह पकड़े कि उसका छोर हल्का सा उठा हुआ हो, ताकि निप्पल में हर समय दूध भरा रहे, और हवा के लिए जगह न हो।

आपका शिशु थोड़ी-थोड़ी देर चूसने के बाद बीच में रुककर आराम भी कर सकता है। दूध पीते समय इस तरह रुककर शिशु ये पता लगाता है कि उसका पेट भरा है या नहीं।

अगर शिशु के दूध पीते समय चूसने की बहुत ज्यादा आवाज आए, तो हो सकता है कि वह काफी ज्यादा हवा अपने अंदर ले रहा है। शिशु कम हवा अंदर ले, इसके लिए आप शिशु को गोद में लेकर थोड़ा ऊंचा उठा लें। बोतल को थोड़ा उठाकर ही रखें, ताकि निप्पल और बोतल की गर्दन में हमेशा दूध भरा रहे।

बोतल से दूध पिलाना भी स्तनपान करवाने जैसा ममताभरा अहसास दे सकता है, इसलिए शिशु को अपने नजदीक थामें। कुछ शिशुओं को गोद में स्तनपान करने वाली अवस्था में लेटकर बोतल से दूध पीना अच्छा लगता है, वहीं कुछ को यह असहज लगता है। आप कोई भी अवस्था चुनें, आराम से बैठें और शिशु की नजरों से नजरें मिलाने की कोशिश करें। कभी भी शिशु को सपाट लिटाकर दूध न पिलाएं या उसे बोतल देकर कभी भी अकेला न छोड़ें, इससे गला अवरुद्ध होने का खतरा रहता है।

बोतल का दूध गर्म करने का सुरक्षित तरीका क्या है?

अगर आप एक्सप्रेस किए गए स्तनदूध या चुनिंदा दुकानों पर उपलब्ध रेडीमेड फॉर्मूला दूध का इस्तेमाल कर रही हैं, तो आप बोतल को हल्के गर्म पानी के जग, कटोरे या पैन में गर्म कर सकती हैं। बोतल को 15 मिनट से ज्यादा के लिए पानी में न रखें।

आप इलैक्ट्रिक बॉटल वॉर्मर खरीदने पर भी विचार कर सकती हैं। इसमें आपके करीब चार से छह मिनटों के अंदर बोतल का दूध शिशु के लिए उपयुक्त तापमान पर गर्म हो जाता है।

बोतल में निकाले हुए स्तनदूध या रेडीमेड फॉर्मूला दूध को माइक्रोवेव में गर्म नहीं करना चाहिए। माइक्रोवेव में चीजें समान रूप से गर्म नहीं होती हैं, इसलिए हो सकता है दूध कहीं से ज्यादा गर्म हो जाए, जिससे शिशु का मुंह जल सकता है। साथ ही जरुरत से ज्यादा गर्म करने पर दूध के जरुरी पोषक तत्व नष्ट हो सकते हैं।

क्या मैं पहले से दूध बनाकर फ्रिज में रख सकती हूं?

हर बार शिशु के लिए फॉर्मूला दूध की ताजा बोतल तैयार करें। दूध का पाउडर जीवाणुरहित नहीं होता है, दूध बनाने के लिए कीटाणुमुक्त पानी का इस्तेमाल करने के बावजूद भी दूध में जीवाणु बने रह सकते हैं।

चाहे आप फॉर्मूला दूध को फ्रिज में रख दें, फिर भी कुछ घंटों में बैक्टीरिया बनने लगते हैं, खासकर यदि आपके इलाके में बिजली की कटौती रहती है तो।

यह सब जानने के बाद भी, बहुत बार ऐसा होता है कि शिशु के लिए दूध पहले से तैयार करके रखने की जरुरत आ जाती है। यह स्थिति तब हो सकती है, जब आपके जुड़वा शिशु हों, या फिर आप खरीदारी के लिए बाहर हैं और आप ऐसी जगह पर शिशु का दूध तैयार करना नहीं चाहती, जहां आसपास बहुत से जीवाणु हों।

रेडीमेड फॉर्मूला दूध महंगा पड़ता है, इसलिए शायद आप हर बार उसके इस्तेमाल की बजाय पहले से ही दूध तैयार करके रखना ज्यादा बेहतर समझें।

ऐसे मामलों में, आप ताजा उबाले पानी को एक थर्मस (वैक्यूम फ्लास्क) में भर सकती हैं। इसमें पानी चार से छह घंटों तक गर्म रहेगा। छोटे कीटाणुमुक्त (स्टेराइल) डिब्बे लें, और हर डिब्बे में एक बार का दूध तैयार करने के लिए जरुरी मात्रा में फॉर्मूला पाउडर भर लें।

इस तरह आप, आपके पति या फिर आया, कीटाणुरहित बोतल में पानी और पाउडर डालकर शिशु के लिए आसानी से दूध तैयार कर सकते हैं। आपके डॉक्टर भी आपको इस बारे में उपयोगी सलाह दे सकते हैं।

शिशु यदि पूरा दूध खत्म न करे, तो क्या बचे दूध को बाद में पिलाया जा सकता है?

नहीं। तैयार फॉर्मूला दूध को करीब एक घंटे से ज्यादा समय तक न रखें। यदि शिशु अपना पूरा दूध खत्म नहीं करता, तो बचे हुए दूध को फेंक दें। आपको शायद दूध फेंकना अच्छा न लगे, मगर यह आपके शिशु के लिए सुरक्षित है। बचे हुए दूध में हानिकारक बैक्टीरिया पनप सकते हैं।

ये बैक्टीरिया आपके शिशु की लार से आ सकते हैं, जो निप्पल के जरिये फॉर्मूला दूध में पहुंच जाती है। कई जीवाणु हवा में भी होते हैं और कुछ बोतल की निप्पल में लगे हो सकते हैं। पाउडर वाले फॉर्मूला दूध में भी थोड़ी मात्रा में बैक्टीरिया हो सकते हैं। ऐसे में यदि आप दूध को बाद के लिए रखेंगी तो ये बैक्टीरिया कई गुणा बढ़ सकते हैं।

क्या शिशु को स्तनपान करवाने के साथ-साथ फॉर्मूला दूध की फीड दी जा सकती है?

स्तनपान करवाने के साथ-साथ आप शिशु को फॉर्मूला दूध या एक्सप्रेस किया हुआ स्तनदूध बोतल से पिला सकती हैं। यदि संभव हो तो इसके लिए आप शिशु के आठ हफ्तों का होने तक इंतजार करें। य​दि आप आठ हफ्तों से पहले स्तनपान के साथ शिशु को बोतल से दूध पिलाना शुरु करती हैं, तो इससे आपकी दूध की आपूर्ति पर असर पड़ सकता है।

कुछ परिस्थितियों में आप ​शायद स्तनदूध और फॉर्मूला दूध दोनों शिशु को देना चाहें, उदाहरण के लिए यदि आपको पर्याप्त स्तनदूध एक्सप्रेस करना मुश्किल लग रहा हो तो। शिशु को स्तनपान करवाना पूरी तरह बंद करने से बेहतर है कि आप उसे स्तनपान और फॉर्मूला दूध दोनों ही पिलाएं।

यह ध्यान रखें कि शिशु का बोतल की निप्पल चूसने का तरीका आपके स्तन चूसने के तरीके से अलग होता है, क्योंकि बोतल से दूध निकलना आसान होता है। इसी वजह से कुछ शिशु बोतल से दूध पीना ज्यादा पसंद करते हैं।

क्या मुझे शिशु की बोतलों को कीटाणुमुक्त (स्टेरलाइज) करना चाहिए?

हां, हर बार बोतल में दूध तैयार करने से पहले दूध पिलाने से जुड़े सभी उपकरणों को कीटाणुमुक्त (स्टेरलाइज) करना जरुरी है। स्टेरलाइज करने से शिशु की बोतल और उसके दूध में इकट्ठे होने वाले कीटाणु जाते हैं। ये कीटाणु आपके शिशु को बीमार बना सकते हैं।

शिशु का दूध तैयार करने से पहले सभी बोतलों, निप्पल, निप्पल लगाने वाली रिंग और ढक्कन को साफ, गर्म, साबुन के पानी में धोएं।

फीडिंग उपकरणों को साफ करने के लिए आने वाली ब्रश से रगड़कर सभी चीजों को साफ करें। निप्पल से भी पानी निकाल दें ताकि ये साफ हो जाए। नल के पानी में इन्हें अच्छे से धोएं और साफ तौलिये पर हवा में सूखने के लिए फैला दें।

यह सब करने के बाद सभी उपकरणों को स्टेरलाइज करें। हर बार इस्तेमाल से पहले यह प्रक्रिया दोहराएं। इसके अलावा फॉर्मूला दूध के साथ पैकेट में आने वाली चम्मच (स्कूप) को भी धोना और कीटाणुमुक्त बनाना अच्छा रहता है।

यदि आप उबालकर स्टेरलाइज कर रही हैं, तो पहले सुनिश्चित कर लें कि सभी उपकरणों को उबाला जा सकता है या नहीं। स्टेरइलाइज करने के लिए बोतल, निप्पल और इसकी रिंग को बंद पैन में कम से कम 10 मिनट तक उबालें। सभी चीजें पानी में पूरी तरह डूबी होनी चाहिए। समय का ध्यान रखने के लिए आप टाइमर या अलार्म लगा सकती हैं।

इसके अलावा आप इलैक्ट्रिक स्टीम स्टेरलाइजर या माइक्रोवेव स्टेरलाइजर का भी इस्तेमाल कर सकती हैं। बहुत से अलग-अलग तरह के स्टेरलाइजर उपलब्ध हैं, इसलिए फीडिंग उपकरणों को स्टेरलाइज करने, सुखाने और ठंडा करने के लिए हमेशा निर्माता के निर्देशों का पालन करें।

अधिकांश मामलों में जब तक आपको इस्तेमाल न करने हों तब तक स्टेरलाइज किए हुए उपकरणों को स्टेरलाइजर या पैन से निकालने की जरुरत नहीं होती। बोतल को स्टेरलाइजर, ढके हुए पैन या कंटेनर में रखने से ये कीटाणु मुक्त रहेंगे।

हालांकि, कुछ निर्माता यह समय निश्चित कर देते हैं कि स्टेरलाइजर में फीडिंग उपकरणों को कितने समय तक स्टोर रखना सुरक्षित है। इसलिए हमेशा निर्देशों का पालन करें।

जब आप उपकरणों को बाहर निकालें तो इसके लिए साफ चिमटी का इस्तेमाल करें, ताकि उनमें कोई कीटाणु न पहुंचें। और याद रखें कि साफ करने के लिए आप कोई भी तरीका अपनाएं मगर शुरु करने से पहले अपने हाथ अच्छी तरह अवश्य धोएं।

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क्या आप शिशु को स्तनदूध और फॉर्मूला दूध दोनों ही देती हैं या फिर देती थीं? अपना मत दें।

अंग्रेजी के इस लेख से अनुवादित: Bottle-feeding basics

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  • क्या शिशु को बोतल से दूध पिलाकर सुलाना सही है?
  • मैं अपने शिशु को गाय का दूध देना कब शुरु कर सकती हूं?

References

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WHO. 2007. Safe preparation, storage and handling of powdered infant formula. World Health Organization, Guidelines. http://www.who.int

बच्चों को बोतल से दूध पिलाने से क्या होता है?

मां के दूध में शिशु की इम्‍युनिटी को मजबूत करने वाले पोषक तत्‍व होते हैं। वहीं बोतल में दिया जाने वाला फॉर्मूला मिल्‍क इम्‍युनटी बढ़ाने वाले गुणों से युक्‍त नहीं होता है। इससे दस्‍त, छाती में इंफेक्‍शन या यूरीन इंफेक्‍श हो सकता है।

बोतल से दूध पिलाना हानिकारक क्यों है?

बोतल में संक्रमण के स्त्रोत होते है और अतिसार उत्पन्न कर सकते है। बोतल का दूध पिलाने से बच्चा उल्टी, दस्त, निमोनिया आदि से ग्रस्त हो सकता है। इससे शिशु की जान भी जा सकती है। नवजात शिशुओं के लिए मां का दूध ही सबसे बेहतर होता है।

बच्चे को बोतल से दूध कब तक पिलाएं?

विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन के अनुसार, 6 महीने तक शिशु को मां का दूध ही पीना चाहिए।

छोटे बच्चे बोतल से दूध कैसे पीते हैं?

बच्चे को हमेशा गोद में लेकर ही दूध पिलाएं। ऐसा तबतक करें, जब तक आपके बच्चे को आदत ना हो जाए। दूध पिलाते समय बच्चे को सीधा या उसकी पीठ को थोड़ा-सा उठाकर लिटाएं, ताकि दूध को गटकने में उसे तकलीफ ना हो। बोतल का पोजीशन हमेशा 45 डिग्री के आसपास रखें, इससे शिशु को दूध पीने में आसानी होती है।