बिंदु आवेश क्यों के कारण और दूरी पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता? - bindu aavesh kyon ke kaaran aur dooree par vidyut kshetr kee teevrata?

बिंदु आवेश के कारण विद्युत क्षेत्र की तीव्रता

कक्षा 12 भौतिकी का यह एक महत्वपूर्ण टॉपिक है इस पर लघु उत्तरीय प्रश्न आ जाता है। इसलिए आप सभी छात्र इस टॉपिक को ध्यान से पढ़ें, और लिखकर अभ्यास करें चित्र पर खासकर ध्यान दें।

माना एक बिंदु आवेश +q बिंदु O पर ऐसे माध्यम में स्थित है। जिसका परावैद्युतांक k है। बिंदु O से r दूरी पर एक P बिंदु है। जिस बिंदु पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता ज्ञात करनी है। तो इसके लिए माना बिंदु P पर एक +qo परीक्षण आवेश स्थित है। यदि इस परीक्षण आवेश पर लगने वाला बल F है। तो

बिंदु आवेश क्यों के कारण और दूरी पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता? - bindu aavesh kyon ke kaaran aur dooree par vidyut kshetr kee teevrata?

तब कूलाम के नियम के अनुसार
F = \large \frac{1}{4πε_o} \frac{qq_o}{r^2} समीकरण (1)
विद्युत क्षेत्र की तीव्रता के सूत्र से
E = \large \frac{F}{q_o}
या F = qoE
F का मान समीकरण (1) में रखने पर
F = \large \frac{1}{4πε_o} \frac{qq_o}{r^2}
qoE = \large \frac{1}{4πε_o} \frac{qq_o}{r^2}
\footnotesize \boxed { E = \frac{1}{4πε_o} \frac{q}{r^2} }

यही बिंदु आवेश के कारण विद्युत क्षेत्र की तीव्रता का सूत्र है। अगर बिंदु आवेश के कारण विद्युत क्षेत्र की तीव्रता से संबंधित प्रश्न आता है। तो बस यहीं तक ही करना, इससे आगे को हम आप को समझाने के लिए बता रहे हैं।

Note –
यदि बिंदु आवेश के स्थान पर कई आवेशों के कारण किसी बिंदु पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता ज्ञात करनी हो तो यह बिंदु आवेशों के कारण अलग-अलग विद्युत क्षेत्र की तीव्रताओ के सदिश योग के बराबर होता है।
अर्थात् इसका मतलब है कि अगर बिंदु आवेश धनात्मक है तो वह जुड़ जाएगा तथा ऋणात्मक है तो वह घट जाएगा।
माना बिंदु आवेश q1, -q2, q3……. हैं

तो विद्युत क्षेत्र की तीव्रता
E = \large \frac{1}{4πε_o} \frac{q_1}{r_1^2} + \large (\frac{1}{4πε_o} \frac{-q_2}{r_2^2}) + \large \frac{1}{4πε_o} \frac{q_3}{r_3^2}
\footnotesize \boxed { E = \frac{1}{4πε_o} \left[ \frac{q_1}{r_1^2} - \frac{q_2}{r_2^2} + \frac{q_3}{r_3^2} \right] }

इससे संबंधित कोई प्रश्न नहीं आता है यह सिर्फ हमने आप को समझाने के लिए बताया है कभी-कभी आंकिक प्रश्न पूछ लिया जाता है। जहां εo को वायु या निर्वात की विद्युतशीलता कहते हैं।

इससे संबंधित प्रश्न कुछ इस प्रकार पूछे जाते हैं। कि
किसी बिंदु आवेश के कारण विद्युत क्षेत्र की तीव्रता E = \large \frac{1}{4πε_o} \frac{q}{r^2} का निगमन करो?


Physics April 22, 2020 January 4, 2018

सब्सक्राइब करे youtube चैनल

बिंदु आवेश (electric field due to a point charge in hindi ) बिन्दु आवेश के कारण विद्युत क्षेत्र  : माना किसी बिन्दु O पर एक +Q आवेश उपस्थित है , O बिंदु से r दूरी पर एक बिन्दु P स्थित है।  P बिंदु पर हमें विद्युत क्षेत्र की तीव्रता ज्ञात  करनी है , P बिन्दु पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता ज्ञात करने के लिए P बिन्दु पर इकाई धन परिक्षण आवेश +q0 रखते है।

+q आवेश के कारण P बिंदु पर स्थित धन परिक्षण आवेश q0 पर विद्युत बल ( कूलॉम का नियम इस्तेमाल करने से )

विद्युत क्षेत्र की परिभाषा से

बिंदु आवेश क्यों के कारण और दूरी पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता? - bindu aavesh kyon ke kaaran aur dooree par vidyut kshetr kee teevrata?

यहाँ F का मान रखने पर

P बिन्दु पर विद्युत क्षेत्र की दिशा OP सदिश होगी , यदि -q हो तो विद्युत क्षेत्र की दिशा विपरीत होगी।

विद्युत क्षेत्र की तीव्रता के ज्ञात सूत्र से हम यह देख सकते है की विद्युत क्षेत्र की तीव्रता दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती है।
अतः विद्युत क्षेत्र की तीव्रता एवं दुरी के मध्य ग्राफ खींचने पर वह निम्न प्रकार प्राप्त होता है।

बिंदु आवेश क्यों के कारण और दूरी पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता? - bindu aavesh kyon ke kaaran aur dooree par vidyut kshetr kee teevrata?

यदि बिन्दु आवेश ε0 परावैद्युतांक माध्यम में उपस्थित हो तो
अतः विद्युत क्षेत्र की तीव्रता को निम्न प्रकार व्यक्त किया जाता है।

Em= E/ εr
अतः
Em < E
अतः हम यह कह सकते है की परावैद्युतांक माध्यम में विद्युत क्षेत्र की तीव्रता का मान निर्वात में उपस्थित विद्युत क्षेत्र की तीव्रता की अपेक्षा εr गुना कम होता है।

विद्युत बल रेखायें (ELOF) : विद्युत क्षेत्र में बल रेखाये, काल्पनिक रेखायें होती है। इस प्रदर्शित करने वाली रेखा पर खिंची गयी स्पर्श रेखा उस बिंदु पर विद्युत क्षेत्र की दिशा को प्रदर्शित करती है।

इसके गुण

  • बल रेखायें धनावेश से बाहर की ओर निकलती है तथा एक ऋणावेश पर समाप्त होती है। यदि केवल एक धनावेश है तो बल रेखायें धनावेश से निकलकर अनंत पर जाती है और केवल एक ऋणावेश है तो बल रेखायें अनंत से प्रारम्भ होकर ऋणावेश पर मिलती है।
  • दो बल रेखायें आपस में कभी एक दुसरे को नहीं कटती है क्योंकि किसी एक बिन्दु पर E की दो दिशा सम्भव नहीं हो सकती है।
  • स्थिर आवेश द्वारा बनने वाली विद्युत बल रेखायें , बंद लूप का निर्माण नहीं करते है। यदि बल रेखायें किसी बंद लूप का निर्माण करती है तब +q आवेश को लूप के अनुदिश गति कराने पर किया कार्य अशून्य होगा। अत: यह संरक्षित क्षेत्र नहीं है अत: इस तरह की बल रेखायें सम्भव नहीं है।
  • एकांक क्षेत्र फलन से गुजरने वाली रेखाओ की संख्या (रेखा घनत्व) विद्युत क्षेत्र के परिमाण को दर्शाता है।
  • यदि रेखायें सघन है => तो E अधिक होगा
  • यदि रेखायें विरल है => तो E कम होगा
  • और यदि E = 0 है तब कोई भी बल रेखा प्राप्त नहीं होगी
  • निकलने वाली या समाप्त होने वाली रेखाओं की संख्या , आवेश के समानुपाती होती है। +3q के आवेश से निकलने वाली कुल रेखाओं की संख्या = 9 है , -q पर समाप्त होने वाली कुल बल रेखायें = 3
  • विद्युत बल रेखाओं का प्रारंभ या अंत , चालक की सतह के लम्बवत होता है |
  • विधुत बल रेखायें कभी भी चालक में प्रवेश नहीं करती है |

किसी बिंदु आवेश क्यों के कारण उससे और दूरी पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता का व्यंजक ज्ञात कीजिए?

बिन्दु आवेश ( + Q ) से r दूरी पर स्थित बिन्दु P पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता ज्ञात करने के लिए बिन्दु P ( प्रेक्षण बिन्दु ) पर एक परीक्षण आवेश ( +q₀ ) रखते हैं । इसकी दिशा OP के विपरीत इंगित होगी । अर्थात् विद्युत क्षेत्र की तीव्रता दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होती है ।

बिंदु आवेश क्यों के कारण और दूरी पर विद्युत क्षेत्र क्या होगा?

P बिन्दु पर विद्युत क्षेत्र की दिशा OP सदिश होगी , यदि -q हो तो विद्युत क्षेत्र की दिशा विपरीत होगी। विद्युत क्षेत्र की तीव्रता के ज्ञात सूत्र से हम यह देख सकते है की विद्युत क्षेत्र की तीव्रता दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती है।

किसी बिंदु पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता क्या होती है?

विद्युत क्षेत्र की तीव्रता की परिभाषा (electric field intensity definition in hindi) : किसी विद्युत क्षेत्र में किसी बिन्दु पर विधुत क्षेत्र की तीव्रता उस बिन्दु पर रखे गए एकांक परिक्षण धन आवेश पर लगने वाले बल के तुल्य होती है। परिक्षण आवेश इस प्रकार रखा जाता है कि मूल आवेश वितरण अप्रभावित रहे।

बिंदु आवेश से आप क्या समझते हैं?

यदि आवेशित वस्तुओं का साइज़ उनके बीच की दूरी की तुलना में बहुत कम होता है तो हम उन्हें बिंदु आवेश मानते हैं। यह मान लिया जाता है कि वस्तु का संपूर्ण आवेश आकाश में एक बिंदु पर संकेंद्रित है।