चार्टर एक्ट 1813 के बारे में आप क्या जानते हैं? - chaartar ekt 1813 ke baare mein aap kya jaanate hain?

Charter act 1813 in Hindi – दोस्तों, आज हम चार्टर एक्ट 1813 ( Charter act 1813 ) के बारे में जानेंगे, यह एक्ट ब्रिटिश सरकार के द्वारा ईस्ट इंडिया कंपनी के चार्टर को 20 वर्ष के लिए आगे बढ़ाने के लिए लागू किया गया था। 

1740 में यूरोपीय क्षेत्रों में औद्योगिक क्रांति ( Industrial Revolution ) की शुरुवात हो गई थी, और जैसे की इस औद्योगिक क्रांति की शुरुवात ब्रिटेन से हुई थी, परिणामस्वरूप ब्रिटेन दुनिया के सबसे बड़े औद्योगिक राष्ट्र की श्रेणी में आ गया था। 

बहुत सारी फैक्ट्रियां ब्रिटेन के अंदर लगाई गई और इन फैक्ट्रियों के द्वारा बनाया हुए उत्पाद यूरोप के कोने-कोने तक भेजे और बेचे जा रहे थे और व्यापार काफी अच्छा चल रहा था। 

परंतु उस समय नेपोलियन के द्वारा बहुत सारे यूरोपीय देशों को जीता जा रहा था और वह अपना अधिकार बहुत सारे यूरोपीय देशों के ऊपर कर चुका था। 

ब्रिटेन के बढ़ते व्यापार को देखते हुए नेपोलियन का अगला लक्ष्य ब्रिटेन था और ब्रिटेन को कमज़ोर करने के लिए उसने ब्रिटेन को आर्थिक हानि पहुचानी चाही थी। 

इसके लिए उसने एक आर्डर को पास कर दिया जिसे कॉन्टिनेंटल ब्लॉकेड ( Continental Blockade ) या कॉन्टिनेंटल सिस्टम ( Continental System ) के नाम से भी जाना जाता है।

इस आर्डर में उसने यह कहा था की कोई भी यूरोपीय देश ब्रिटेन व्यापारियों के साथ व्यापार नहीं करेगा और कोई भी यूरोपीय देश ब्रिटेन से न ही आयात करेगा और न ही निर्यात करेगा। 

स्पेन और रूस जैसे यूरोपीय देश नेपोलियन के अधिकार में थे और इन्हीं देशों के साथ ब्रिटेन का बहुत ज्यादा व्यापार होता था, इस कारणवश अब ब्रिटेन के व्यापार को काफी ज्यादा नुकसान होने लगा था। 

नेपोलियन के द्वारा ऐसे आर्डर पास करने के बाद ब्रिटेन के व्यापारियों को काफी नुकसान हो रहा था क्यूंकि नेपोलियन ने उनके सारे रास्ते बंद कर दिए थे और भारत और बाकी पूर्वी देशों में तो सिर्फ ब्रिटिश सरकार ने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को ही व्यापार करने के अधिकार दिए हुए थे। 

ब्रिटेन के व्यापारी ने अपनी समस्याओं को ब्रिटिश सरकार तक पहुँचाया और ब्रिटिश सरकार ने चार्टर एक्ट 1813 ( Charter act 1813 ) से उनकी इस समस्या का दूर किया था। 

चार्टर एक्ट 1813 की विशेषताएं ( Characteristics of  Charter act 1813 )

दोस्तों, चार्टर एक्ट 1813 ( Charter act 1813 ) की अपनी कुछ विशेषताएं थी, आइये 1813 चार्टर एक्ट की विशेषता पर दृष्टि ड़ालें:

व्यापार का एकाधिकार ( Monopoly of Trade )

1600 में जबसे अंग्रेज भारत आये थे तबसे ब्रिटिश सरकार ने भारत और बाकी के पूर्वी देशों में व्यापार करने का अधिकार सिर्फ ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को दिया था अर्थात कोई दूसरी ब्रिटिश कंपनी इन क्षेत्रों में व्यापार नहीं कर सकती थी। 

ब्रिटिश सरकार ने चार्टर एक्ट 1813 ( Charter act 1813 ) के द्वारा ईस्ट इंडिया कंपनी के इन क्षेत्रों में व्यापार करने के अधिकारों को कम कर दिया था। 

अब ईस्ट इंडिया कंपनी सिर्फ चाय का व्यापार और चीन के साथ व्यापार कर सकती थी, इस कारण अब ईस्ट इंडिया कंपनी के अलावा दूसरे ब्रिटिश व्यापारी और कंपनिया भी भारत और बाकी के पूर्वी देशों के साथ व्यापार कर सकते थे। 

ईस्ट इंडिया कंपनी ने भी इस एक्ट को स्वीकार कर लिया था। 

अब जैसा की ईस्ट इंडिया कंपनी के अलावा भी बहुत ब्रिटिश कंपनिया भारत में व्यापार करने के लिए आई, इसकी वजह से ब्रिटेन के उत्पादों की बिक्री भी यहाँ बहुत होने लगी थी। 

इसके परिणामस्वरूप भारतीय उद्योगों को इसके कारण काफी नुकसान हो रहा था और भारतीय उद्योगों में बने उत्पाद इन ब्रिटेन की फैक्ट्रियों में बने उत्पादों की गुणवत्ता के आगे नहीं टिक पा रहे थे। 

इसके कारण धीरे-धीरे भारतीय उद्योगों की संख्या कम होती चली गई और एक समय में सिर्फ ब्रिटेन के ही उत्पादों का प्रयोग होने लग गया था। 

कंपनी का नियंत्रण ( Control of Company )

दोस्तों, जैसा की हमने हमारे पिट्स इंडिया एक्ट वाले आर्टिकल में आपको बताया था की ब्रिटिश सरकार ने ईस्ट इंडिया कंपनी के व्यावसायिक कार्यों को कोर्ट ऑफ़ डायरेक्टर्स और राजनितिक कार्यों को बोर्ड ऑफ़ कंट्रोल को सौंप दिया था। 

चार्टर एक्ट 1813 ( Charter act 1813 ) में इस प्रक्रिया में कोई बदलाव नहीं किया गया था, जो जैसा कार्य संभाल रहा था वो वैसा ही कार्य इस एक्ट के बाद भी संभाल रहा था। 

प्रशासन ( Administration )

इसमें भी कोई बदलाव नहीं किया गया, बॉम्बे और मद्रास के गवर्नर अभी भी बंगाल के गवर्नर जनरल को ही रिपोर्ट करते थे। 

बंगाल के गवर्नर जनरल की सहायता के उसकी कार्यकारी परिषद में अभी भी 3 सदस्य ही थे, जैसा की हमने पिट्स इंडिया एक्ट में पढ़ा था। 

केंद्रीय विधायिका ( Central Legislature )

इसमें भी कोई बदलाव नहीं किया गया, अगर कोई कानून बनाना होता था तो गवर्नर जनरल को अब भी या तो अपने कार्यकारी परिषद के 3 सदस्यों में बहुमत हासिल करनी होती थी और या तो एक भी सदस्य अगर गवर्नर जनरल के पक्ष में मत दे देता था तो गवर्नर जनरल अपनी वीटो पॉवर का इस्तेमाल करके कानून बना सकता था। 

प्रांतीय विधायिका ( provincial legislature )

इसमें भी कोई बदलाव नहीं किया गया, पिट्स इंडिया एक्ट के तरह ही इसमें भी बॉम्बे और मद्रास के गवर्नरों की कार्यकारी परिषद में 3-3 सदस्यों को ही रखा गया था। 

राजस्व ( revenue )

इसके अंदर चार्टर एक्ट 1813 ( Charter act 1813 ) के द्वारा बड़ा बदलाव किया गया था। 

जैसा की पहले वाणिज्यिक कारोबार ( commercial trade ), प्रादेशिक क्षेत्रों से लिया जाने वाला कर ( revenue from EIC territorial posessions ), नमक कर ( salt tax ) से होने वाली आय को एक ही माना जाता था या जोड़ा जाता था। 

अब इसमें इस एक्ट के द्वारा बदलाव करके वाणिज्यिक कारोबार ( commercial trade ) को अलग और प्रादेशिक क्षेत्रों से लिया जाने वाला कर ( revenue from EIC territorial posessions ) व नमक कर ( salt tax ) को अलग कर दिया गया था। 

चार्टर एक्ट 1813 ( Charter act 1813 ) के द्वारा अन्य कुछ महत्वपूर्ण बदलाव

1. ईस्ट इंडिया कंपनी को प्रति वर्ष भारतीय लोगों की शिक्षा हेतु 1 लाख की राशि को खर्च करना होता था, जिसके द्वारा भारतीय लोगों के लिए अच्छी शिक्षा का अवसर बना, भारतीयों के लिए अच्छे स्कूलों का निर्माण किया गया, अच्छे शिक्षकों को नियुक्त किया गया, अच्छी किताबें प्रदान कराई गई।  
2. अदालतों की शक्तियों को भी बढ़ा दिया गया, पहले सिर्फ भारतीयों पर ही मुक्कदमें चलाये जाते थे, परंतु अब भारत में रहने वाले यूरोपीय ब्रिटिश पर मुक्कदमें चलाये जा सकते थे। 
3. ईसाई मिशनरी जो भारत में आकर अपने धर्म का प्रचार-प्रसार करना चाहते थे, उन्हें भी अब चार्टर एक्ट 1813 ( Charter act 1813 ) के द्वारा भारत में अपने धर्म का प्रचार-प्रसार करने की अनुमति दे दी गई थी।
Charter act 1813 in Hindi – चार्टर एक्ट 1813

Charter act 1813 in Hindi – चार्टर एक्ट 1813

हम आशा करते हैं कि हमारे द्वारा दी गई  Charter act 1813 in Hindi ( चार्टर एक्ट 1813 ) के बारे में  जानकारी आपके लिए बहुत उपयोगी होगी और आप इससे बहुत लाभ उठाएंगे। हम आपके बेहतर भविष्य की कामना करते हैं और आपका हर सपना सच हो।

धन्यवाद।


यह भी पढ़े :1773 regulating act in hindi

यह भी पढ़े : Articles of Indian Constitution in Hindi

बार बार पूछे जाने वाले प्रश्न – Charter act 1813 in Hindi ( चार्टर एक्ट 1813 )

1813 का चार्टर एक्ट क्या है?

ब्रिटिश सरकार ने चार्टर एक्ट 1813 ( Charter act 1813 ) के द्वारा ईस्ट इंडिया कंपनी के इन क्षेत्रों में व्यापार करने के अधिकारों को कम कर दिया था। 

ब्रिटिश काल में शिक्षा के विकास में 1813 के चार्टर एक्ट का क्या महत्व था?

ईस्ट इंडिया कंपनी को प्रति वर्ष भारतीय लोगों की शिक्षा हेतु 1 लाख की राशि को खर्च करना होता था, जिसके द्वारा भारतीय लोगों के लिए अच्छी शिक्षा का अवसर बना, भारतीयों के लिए अच्छे स्कूलों का निर्माण किया गया, अच्छे शिक्षकों को नियुक्त किया गया, अच्छी किताबें प्रदान कराई गई।  

1813 में कौन सा एक्ट पारित हुआ?

ब्रिटिश सरकार के द्वारा ईस्ट इंडिया कंपनी के चार्टर को 20 वर्ष के लिए आगे बढ़ाने के लिए लागू किया गया था। 

चार्टर एक्ट 1813 से आप क्या समझते हैं?

1813 के चार्टर अधिनियम ने भारत में ब्रिटिश आधिपत्यों पर ब्रिटिश संप्रभुता को पुनः स्थापित किया। चाय, अफीम एवं चीन के साथ व्यापार को छोड़कर ईस्ट इंडिया कंपनी के व्यापारिक एकाधिकार की समाप्ति: इस प्रकार, चाय को छोड़कर सभी वस्तुओं के लिए भारत के साथ व्यापार को सभी ब्रिटिश कंपनियों के लिए खोल दिया गया था।

1813 में कौन सा एक्ट पारित हुआ था?

1813 ई के चार्टर एक्ट ने भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी के एकाधिकार को समाप्त कर दिया।

1833 का चार्टर एक्ट क्या है?

इसे सेंट हेलेना अधिनियम, 1833 या भारत सरकार अधिनियम, 1833 के रूप में भी जाना जाता है। सेंट हेलेना द्वीप का नियंत्रण ईस्ट इंडिया कंपनी से क्राउन को स्थानांतरित कर दिया गया था। इसे ब्रिटिश संसद द्वारा ईस्ट इंडिया कंपनी के चार्टर अधिनियम, 1813 को नवीनीकृत करने हेतु पारित किया गया था।

चार्टर एक्ट कब है?

1853 के चार्टर अधिनियम के प्रावधान 1. इस अधिनियम ने पहली बार गवर्नर जनरल की परिषद के विधायी एवं प्रशासनिक कार्यों को अलग कर दिया। इसके तहत परिषद में 6 नए पार्षद और जोड़े गए, इन्हें विधान पार्षद कहा गया।