झरिया में कौन सा खनिज पाया जाता है? - jhariya mein kaun sa khanij paaya jaata hai?

झारखंड में कोयला, लोहा अयस्क, बॉक्साइट, चूना पत्थर,  अभ्रक, कायनाइट, चीनी मिट्टी, लोहा पूरा पायराइट, मैगनीज, क्रोमियम, टंगस्टन, तांबा, सीसा, यूरेनियम, थोरियम, बेरिल, लिथियम, फेल्सपार, मिट्टी, स्टोन, संगमरमर आदि अनेक खनिज प्राप्त किए जाते हैं.

लोहा अयस्क

लोहा अयस्क उत्पादन में झारखंड राज्य संपूर्ण देश के अग्रणीय राज्यों में से एक है।  यहां देश का लगभग 27.37% ( खनन एवं भूगर्भ विज्ञान विभाग झारखंड सरकार 2014- 15 के अनुसार) लोहा अयस्क प्राप्त किया जाता है।  यहां के लोहे प्रस्त्रो में शुद्ध लोहे की मात्रा 60 से 70% तक पाई जाती है। झारखंड के सिंहभूम जिले की करमपदा, विजय घाट, कुरी, बुरु तथा गुआ खानों में हेमेटाइट और मैग्नेटाइट प्रकार का लोहा प्राप्त होता है।  मुख्य जमाव के पूर्व में सिंहभूम जिले के नोआमंडी में कुदादा, पोरापहाड़, कोतवार पहाड़, सिदूरपुर आदि स्थानों में लौह अयस्क निकाला जाता है। झारखंड के लोहे खदानों में पनरसिया, बुरु, किरुबुरु, जामदा झिलिंग बुरु, नोतू बुरु आदि। यहां का लोहा अयस्क टाटानगर, दुर्गापुर, राउरकेला और भिलाई लोहा  इस्पात के कारखानों को भेज दिया जाता है। इस राज्य में बोकारो नामक कारखाना एशिया का सर्वाधिक बड़ा कारखाना स्थापित किया गया है। इन सभी कारखानों को कच्चे लोहे की आपूर्ति झारखंड के खनिज क्षेत्रों से ही की जाती है।

लोहा अयस्क के नवीन भंडार पलामू जिले में कोयल नदी के पश्चिम में सेमरा सलतुआ क्षेत्र में कोल वासरी में मिले हैं। यहां उत्तर प्रकार का मैग्नेटाइट लोहा अयस्क मिला है, सिंहभूम जिले मैं टिटेनियम  व बेनाडिमयुक्त मैग्नेटाइट भी प्राप्त होता है।

मैगनीज

झारखंड में मैंगनीज अयस्क धारावर चट्टानों से प्राप्त होता है। इस राज्य में पाया जाने वाला मैग्नीज खनिज अधिक उत्तम कोटि का नहीं है। जामदा और चाईबासा यहां की प्रमुख खदानें हैं। राज्य में 13. 700 हजार टन के भंडार उपलब्ध है।

क्रोमियम

क्रोमाइट से क्रोमियम धातु बनाया जाता है।  क्रोमियम के प्रमुख भंडार झारखंड के सिंहभूम जिले में जो जोजूहात नामक स्थान पर है। सरायकेला के निकट करायकेला नामक स्थान पर भी क्रोमियम के भंडार मिले हैं।  रोरोबुरु, कित्ताबुरू, किन्सीबुरु और चिंतागबुरु में भी क्रोमियम भंडार उपलब्ध है।

टंगस्टन

झारखंड में हजारीबाग जिले में  कई स्थानों पर और सिंहभूम जिले में काली माटी क्षेत्र में  टंगस्टन प्राप्त किया जाता है। इसकी अधिक प्राप्ति के लिए अनुसंधान जारी और आशा की जाती है कि भविष्य में इसके अच्छे भंडार प्राप्त होंगे।

वैनेडियम

इस राज्य में वैनेडियम सिंहभूम जिले में लोहे की खानों के निकट परतों में उपलब्ध है। ऐसा अनुमान है कि दुबलाबेर (जिला सिंहभूम) दुबलाबेर नामक स्थान पर वैनेडियम के विशाल भंडार मौजूद हैं।

तांबा

झारखंड तांबा उत्पादन में भारत का प्रमुख राज्य है।  यहां तांबे के मुख्य भंडार तथा खदान केंद्र सिंहभूम के घाटशिला, राखा और मोसाबानि क्षेत्र में स्थित है।  इस राज्य के प्रमुख तांबा खदान क्षेत्र में धौबानी, आस्ताकोली, चरकमारा, चूरिया पहाड़, चापरी, बहर गोरा, हितकू, सुरदा, लोकेसार, जारीडिह, डाडलो पारसनाथ हसातू क्षेत्र मानभूम में कल्याणपुर क्षेत्र में तांबा मिलता है।  यहां देश का कुल 18.48% तांबा का उत्पादन होता है तथा राज्य में 288.120 हजार टन तांबे के भंडार उपलब्ध है।

सीसा

झारखंड के हजारीबाग क्षेत्र की नया टांडा, बरगुंडा तथा बारामा-सिया में, संथाल परगना में शाखा पहाड़ियों में तथा पलामू, रांची और सिंहभूम जिलों में छिटपुट रूप से कई स्थानों पर सीसा पाया जाता है।

टिन

कैसिटेराइट नामक खनिज स्तर से प्राप्त किया जाता है,झारखंड में संथाल परगना. हजारीबाग, पलामू , रांची, और सिंहभूम जिलों मे छिटपुट रूप से स्थानों छिटपुट रूप से उपलब्ध है।

बॉक्साइट

झारखंड के रांची और पलामू जिलों में बॉक्साइट के अपार भंडार हैं, रांची जिले जिले में धातु का प्रतिशत 50 से 60 है और पलामू में 60 से 63 है।  उत्तम श्रेणी के कुल भंडार 4.2 करोड़ टन के हैं। रांची जिले में रांची और लोहरदगा के निकट 80 निजी खाने हैं। पलामू जिले में नेतरहाट पठारी क्षेत्र में बॉक्साइट निकाला जाता है।  राज्य में 146.323 हजार टन बॉक्साइट के भंडार उपलब्ध है।

चांदी

चांदी सीसा, जस्ता और गंधक तथा तांबा के साथ मिले जुले रूप से प्राप्त होती है।  चांदी की प्राप्ति झारखंड के हजारीबाग, पलामू, रांची और सिंहभूम जिले से होती है। चांदी के नवीन भंडार गिरिडीह हजारीबाग जिलों के पठारी भाग में भी मिले हैं।  यहां देश का कुल 5% चांदी का उत्पादन है।

सोना

छोटा नागपुर के दक्षिणी भाग मैं स्वर्णयुक्त चट्टानों की परतें विद्यमान है। झारखंड के पठारी भाग से निकलकर प्रवाहित होने वाली कुछ नदियों के रेत में सुनहरे कण पाए जाते हैं जिन्हें एकत्र कर वहां के लोग सोना उपलब्ध करते हैं।  स्वर्ण स्वर्ण रेखा दक्षिणी कोयल सुनखाई, सोना नदी में तथा राज्य जिले की सोनपत घाटी से सोना प्राप्त होता है।

अभ्रक

अभ्रक आग्नेय एवं कायांतरित शैलो में सफेद या काले टुकड़ों के रूप में पाया जाता है। भारत का विश्व में अभ्रक उत्पादन में प्रथम स्थान है और भारत में झारखंड अभ्रक उत्पन्न करने में सर्वोपरि है।  झारखंड की अभ्रक पेटी सर्वोत्कृष्ट अभ्रक उत्पादन के लिए विश्व विख्यात है। झारखंड में अभ्रक क्षेत्र हजारीबाग और संथाल परगना प्रमंडलों में है। यहां मस्को वाइट बायोटाइट प्रकार का अभ्रक मिलता है। यहां अधिकांश खाने कोडरमा के वन क्षेत्र में है।  कोडरमा गिरिडीह, डोमचांच चाकल, डिनोट, गवान, सिंगूर चटकारी, मसनोदिह ,नवादिह, आदि स्थानों की खाने विशेष उल्लेखनीय है।  झारखंड में प्राप्त होने वाले अभ्रक और रूबी प्रकार का अभ्रक कहा जाता है।

एस्बेस्टस

झारखंड में एसबेस्टस का उत्पादन सिंहभूम जिले में जोजोहाट रारो नुरदा गांवों के निकट पुरुलिया, रांची जिलों में किया जाता है।

चूनापत्थर

चुनापत्थर झारखंड के हजारीबाग में बुन्दूवसरिया , कुरकुत्ता, रांची में खेलारी, होयार ओर भाभाऊ,तथा सिंहभूम में जगन्नाथपुर तथा राजनलिया में उत्पादित होता है। चूनापत्थर के केंद्रीय भंडार रांची जिले के बेतीबागद हजारीबाग जिले में गोला तथा पलामू जिले डेपू नरेशगढ़ में मिले हैं।  राज्य में 745.77 हजार टन के भंडार उपलब्ध है। ,

डोलोमाइट

डोलोमाइट लोहा गलाने के काम में प्रयुक्त होता है।  इसका उत्पादन पश्चिमी सिंहभूम जिले में चाइबासा, पलामू में पाया जाता है।  कुछ डोलोमाइट डाल्टनगंज से भी प्राप्त होता है।डोलोमाइट के नवीन भंडार गोड्डा जिले के लाल मटिया, दुमका जिले के मसान और गिरिडीह है जिले के जगदीशपुर, हजारीबाग जिले के सरोकी तथा रांची जिले के हुडरू और टिपूदाना में अन्वेषित किए गए हैं।

कोयला

झारखंड कोयला उत्पादन में अग्रणय है। भारत के कुल उत्पादन का लगभग 27.37%  ( 2014-15) के अनुसार) कोयला इसी राज्य से प्राप्त होता है। झारखंड में दामोदर घाटी कोयला क्षेत्र के झरिया, चंद्रपुरा, बोकारो, रामगढ़ और कर्णपुर में, हजारीबाग कोयला क्षेत्र के मांडू चरही, रैली गढ़ घाटी और गिरिडीह में अजय नदी घाटी कोयला क्षेत्र के जयंती, साहजोरी और राजमहल कोयला क्षेत्र में  ब्राह्मणी पचवारा, और हूरा में तथा उत्तरी कोयला घाटी कोयला क्षेत्र में डाल्टनगंज, हुतार और औरंगा में कोयला प्राप्त होता है। इन सभी स्थानों में झरिया कोयला उत्पादन में सर्वप्रमुख है। जहां से संपूर्ण देश का 10% कोयला प्राप्त किया जाता है। झारखंड में कोयला के नए भंडारों में लातेहार जिले के जंगलदेगा क्षेत्र में 4 तथा दुमका जिले के पछवाड़ा क्षेत्रों में उत्तम श्रेणी के दो कोयले के भंडार ज्ञात हुए हैं।  इन भंडारों में कोयले का संचित मात्रा पर्याप्त है।

भारत में कोयले के भंडार

भूगर्भीय सर्वे ऑफ इंडिया के अनुसार 1 अप्रैल, 2015 तक भारत में कोयले का कुल भंडार 306.60  बिलियन टन है। देश में कोयले के भंडार के मामले में झारखंड राज्य का प्रथम स्थान है। यहां कोयले का भंडार 81.049 बिलियन टन है, जो कुल भंडार का लगभग 27.37% है।

खनिज पदार्थों के अतिरिक्त झारखंड में चीनी मिट्टी रांची संथाल परगना और सिंहभूम जिले में फेल्सपार प्राप्त होता है।  हजारीबाग तथा संथाल परगना जिलों में अग्निसह मिट्टी छोटा नागपुर का दामोदर घाटी क्षेत्र तथा पलामू और रांची जिलों में खनिज रेत सिंहभूम, रांची, हजारीबाग जिलों में ग्रेफाइट पलामू जिलों की डाल्टनगंज तथा सोकरा में कायनाइट सिंहभूम के राजखर सावां के निकट लपसाबुरु की खानों में सेलखडी या सोपस्टोन सिंहभूम और हजारीबाग में आकियन और धारवाड़ श्रेणियों में निकाला जाता है।

वैज्ञानिक अध्ययनों और भूगर्भिक सर्वेक्षणो के आधार पर यह कहा जा सकता है कि झारखंड में पृथ्वी के गर्भ में अपार खनिज संपदा भरी पड़ी है।  नवीन अन्वेषणों में सोना, मैगनीज, ग्रेफाइट, एकवामेरीन, क्वार्टज डोलोमाइट, संगमरमर, कायनाइट, चीनी मिट्टी वे मैग्नेटाइट व एल्यूनियम, वैरायटी, बॉक्साइट, चूनापत्थर आदि अनेक खनिज भंडारों का पता लगता है।

झारखंड राज्य के खनन एवं भू-तत्व विभाग ने खनिजों की प्राप्ति की संभावना के आधार पर अनेक स्थानों पर अन्वेषण किए हैं।  इन अन्वेषण के सफल एवं सुनियोजित कार्यान्वन हेतु सिंहभूम जिले में कायनाइट, चीनी मिट्टी में मैग्नेटाइट, रांची जिले में एल्यूमिनियम आयस्क बेराइट, ग्रेफाइट हजारीबाग जिले में मैग्नेटाइट अभ्रक, चूना पत्थर, पलामू जिले में चुना पत्थर डोलोमाइट, संगमरमर, अग्निसह मिट्टी, संथाल परगना जिले में कोयला, सिलिका रेत, चीनी मिट्टी एवं गिरिडीह है जिले में चुनापत्थर के लिए खोज हेतु अन्वेषण कार्य सुचारू रूप से प्राथमिकता के आधार पर संचालित किया जा रहा है।

झारखंड में कौन कौन से खनिज पाए जाते हैं?

कोयला , अभ्रक , लोहा , तांबा , चीनी मिट्टी , फायार क्ले , कायनाइट ,ग्रेफाइट , बॉक्साइट तथा चुना पत्थर के उत्पादन में झारखंड अनेक राज्यों से आगे है । एस्बेस्टस ,क्वार्ट्ज तथा आण्विक खनिज के उत्पादन में भी झारखंड का महत्वपूर्ण स्थान है ।

झारखंड राज्य का सबसे बड़ा खनन क्षेत्र कौन सा है?

बॉक्साइट झारखंड के रांची और पलामू जिलों में बॉक्साइट के अपार भंडार हैं, रांची जिले जिले में धातु का प्रतिशत 50 से 60 है और पलामू में 60 से 63 है। उत्तम श्रेणी के कुल भंडार 4.2 करोड़ टन के हैं। रांची जिले में रांची और लोहरदगा के निकट 80 निजी खाने हैं।

झारखंड में सबसे ज्यादा क्या पाया जाता है?

कोयला :- 76712 मिलियन टन.
हेमेटाइट (लौह अयस्क) :- 4036 मिलियन टन.
मैग्नेटइट (लौह अयस्क) :- 1026 मिलियन टन.
ताम्र अयस्क :- 226 मिलियन टन.
चूना पत्थर :- 746 मिलियन टन.
बाॅक्साइड :- 118 मिलियन टन.
कायनाइट :- 5.7 मिलियन टन.
चाइनाक्ले :- 190.14 मिलियन टन.

खनिज उत्पादन में झारखंड का कौन सा स्थान है?

झारखंड खनिज उत्पादन की दृष्टि से संपूर्ण भारत में सर्वोच्च स्थान पर है । इसके कारण इसे रत्नगर्भ भी कहा जाता है । मूल्य की दृष्टि से भारत के कुल खनिज उत्पादन का 26 प्रतिशत एवं उत्पादन की दृष्टि से देश के कुल खनिज उत्पादन का लगभग 40 प्रतिशत हिस्सा वर्तमान में अकेले झारखंड से निकला जाता है।