बच्चे के जन्म के समय असावधानी बरतने तथा संक्रमण के कारण उनकी नाभि पाक जाती है| ऐसी स्थिति में बच्चा बार-बार रोता रहता है| Show
“नाभि के पक जाने के 6 घरेलु उपचार” सुनने के लिए Play Button क्लिक करें | Homemade Remedies for Mature Navel Listen Audioनाभि के पक जाने के 6 घरेलु नुस्खे इस प्रकार हैं:1. चिकनी सुपारीचिकनी सुपारी को पानी में घिसकर दिन में चार-पांच बार बच्चे की नाभि पर लगाएं| 2. हल्दी और सरसोंहल्दी को सरसों के तेल में मिलाकर फाहा भिगो लें| फिर इसे नाभि पर रखकर पट्टी बांध दें| दिन में तीन बार फाहा बदलें| 3 मुलहठी और सरसोंमुलहठी के चूर्ण का काढ़ा बनाकर सरसों के तेल में मिलाकर शिशु की नाभि पर लगाएं| 4. पठानी लोधपठानी लोध को तेल में मिलाकर गरम करके नाभि पर लगाएं| 5. प्रियंगुप्रियंगु का चूर्ण नाभि पर बुरकने से काफी लाभ होता है| 6. तुलसी और सरसोंतुलसी के पत्तों का रस मोम तथा सरसों के तेल में मिलाकर मलहम बना लें| इसे नाभि पर बार-बार लगाएं| नाभि के पक जाने का कारणनर्सों की असावधानी के कारण जब बच्चे की नाभि से नाल ठीक प्रकार से नहीं काटी जाती तो उनकी नाभि पक जाती है| उसमें से रक्त और मवाद आने लगती है| नाभि के पक जाने की पहचानशिशु की नाभि में बहुत दर्द होता है| वह रोता रहता है| कभी-कभी नाभि अत्यंत लाल-सुर्ख हो जाती है| NOTE: इलाज के किसी भी तरीके से पहले, पाठक को अपने चिकित्सक या अन्य स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता की सलाह लेनी चाहिए।Consult Dr. Veerendra Aryavrat +91-9254092245 (Recommended by SpiritualWorld) Health, Wellness & Personal Care Store – Buy OnlineClick the button below to view and buy over 50000 exciting ‘Wellness & Personal Care’ products50000+ Products लाइफस्टाइल डेस्कः नाभि शरीर का बहुत ही कोमल अंग होता है। इसकी देखभाल चेहरे और शरीर के बाकी हिस्सों जितनी ही जरूरी है। गर्भ में शिशु का विकास पूरी तरह नाभि द्वारा ही होता है, जिसे जन्म के बाद अलग किया जाता है। बॉडी का सेंटर प्वाइंट होते हुए भी ज्यादातर लोग इसकी सफाई को इग्नोर करते हैं, जिस वजह से कई प्रकार के इन्फेक्शन होने का खतरा बना रहता है। नाभि में इन्फेक्शन का खतरा किसी भी व्यक्ति को किसी भी उम्र में हो सकता है, यहां तक कि नवजात शिशुओं को भी। ये दो प्रकार का होता है- बैक्टीरियल और यीस्ट इन्फेक्शन। नाभि का एरिया बहुत ही गहरा होता है। इसलिए वहां इन दोनों इन्फेक्शन का खतरा सबसे ज्यादा होता है। पसीना, साबुन, पियर्सिंग भी बैक्टीरियल इन्फेक्शन को बढ़ा सकते हैं। इसके अलावा सफाई से न रहने की आदत, सर्जरी, डायबिटीज, सिस्ट जैसे और कई कारण भी जिम्मेदार होते हैं। कई मामलों में तो सूरज की अल्ट्रा वायलेट किरणों और मोटापा भी इसका कारण बन जाता है। इन्फेक्शन होने के कारण हल्का दर्द, नाभि का लाल होना, हरा और सफेद डिस्चार्ज और सूजन की समस्या भी हो सकती है। इसे दूर करने के क्या उपाय हैं, इन्हें जानना जरूरी है, ताकि समस्या की पहचान कर उसे तत्काल दूर किया जा सके। नाभि के इन्फेक्शन को दूर करने के आसान घरेलू उपाय नमक डला गर्म पानी नाभि के इन्फेक्शन को दूर करने का सबसे आसान घरेलू नुस्खा है नमक डला गर्म पानी। इस पानी के इस्तेमाल से इन्फेक्शन वाले एरिया में ब्लड का सर्कुलेशन तेजी से होने लगता है। नमक नाभि के अंदर के मॉइश्चराइजर को सोख लेता है, जिससे इन्फेक्शन की समस्या दूर हो जाती है। इस्तेमाल -1 चम्मच नमक को 1 कप गरम पानी में डाल अच्छे से घुलने दें। -कॉटन की मदद से इस मिक्सचर को नाभि के आसपास अच्छे से लगाएं और इसे सूखने दें। -सूखने के बाद एंटी बैक्टीरियल क्रीम लगा लें। -दिन में तीन से चार बार इसका इस्तेमाल बहुत ही फायदेमंद रहेगा। Other Remedies: नीम की पत्तियां, सिंकाई करना , एल्कोहल से मालिश, व्हाइट विनेगर, एलोवेरा, हल्दी। नाभि के इन्फेक्शन को दूर करने के अन्य घरेलू नुस्खों के बारे में विस्तार से जानने के लिए आगे की स्लाइड्स पर क्लिक करें.. In this article
शिशु के जन्म के बाद उसकी गर्भनाल में एक चिमटी (क्लैंप) लगाकर नाल को नवजात शिशु के पेट के पास से काट दिया जाता है। इस प्रक्रिया में दर्द नहीं होता। शिशु के पेट पर नाल का जो 2 से 3 सें.मी. लंबा हिस्सा जुड़ा रह जाता है, वह ठूंठ (स्टंप) अपने आप सूखकर गिर जाता है। इस जगह का घाव ठीक होकर आपके शिशु की नाभि बनता है। आपको शिशु की गर्भनाल के ठूंठ को साफ और इनफेक्शन से दूर रखना होगा। इसकी देखभाल के लिए डॉक्टर द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करें। किसी भी तरह की दुर्गंध, मवाद, खून आना, नाभि के आसपास की त्वचा लाल होना या वहां सूजन होना इनफेक्शन के संकेत हो सकते हैं। इसे शिशु के डॉक्टर को दिखाया जाना चाहिए। नाभि ठूंठ क्या होता है?गर्भ में शिशुओं को पोषण और ऑक्सीजन अपरा (प्लेसेंटा) के जरिये मिलता है, जो कि मां के गर्भाशय की अंदरुनी दीवार से जुड़ी होती है। प्लेसेंटा, गर्भनाल (अंबिलिकल कॉर्ड) के जरिये आपके शिशु से जुड़ी होती है। गर्भनाल एक नलिका जैसी होती है जो शिशु के पेट से जुड़ी होती है। शिशु के जन्म के बाद, गर्भनाल को चिमटी (क्लेंप) लगाकर नवजात शिशु के शरीर के पास से काट दिया जाता है। इस प्रक्रिया में दर्द नहीं होता। इसे काटे जाने पर आप और आपके शिशु दोनों को ही कोई अहसास नहीं होगा, क्योंकि गर्भनाल में कोई नसें नहीं होती हैं। नाल जहां से नवजात शिशु के पेट से जुड़ी होती है, काटने के बाद वहां 2 से 3 सेंं.मी. लंबा नाभि ठूंठ रह जाएगा और इस पर प्लास्टिक की क्लैंप लगी होगी। जब तक यह सूखकर गिर नहीं जाता और घाव पूरी तरह ठीक नहीं हो जाता, तब तक आपको इसे साफ और इनफेक्शन से दूर रखना होगा। मेरे नवजात शिशु का नाभि ठूंठ टूटकर कब गिरेगा?आपके शिशु का नाभि ठूंठ अपने आप जन्म के पांच से 10 दिनों के अंदर सूखकर गिर जाएगा। अगर इसे सूखा रखा जाए, तो आमतौर पर करीब एक हफ्ते में यह हट जाता है। जब ठूंठ सूख रहा होता है, तो यह सख्त और संकुचित हो जाता है। इसकी दिखावट और रंगत पीले-हरे से भूरी या काली हो जाती है। यह बहुत जरुरी है कि आप नाभि ठूंठ को हटाने के लिए जल्दबाजी न करें। ठूंठ को हिलाए-डुलाएं नहीं, इसे काटे नहीं या इसे खींचे नहीं, फिर चाहे यह केवल एक धागे से ही लटकी क्यों न हो। नाभि ठूंठ को अपने आप सूखने दें और यह सूखकर अपने आप टूट जाएगी। शिशु के ठूंठ की देखभाल कैसे की जाए?शिशु के नाभि के ठूंठ को संक्रमण से बचाने के लिए उसे स्वच्छ और सूखा रखने की आवश्यकता है। यहां कुछ सुझाव दिए गए हैं, जिन्हें आपको ध्यान में रखना चाहिए, जैसे कि:
यदि आपके शिशु का जन्म समय से पहले हुआ है (प्रीमैच्योर) या जन्म के बाद उसे विशेष देखभाल की जरुरत है, तो नवजात आईसीयू में शिशु के नाभिठूंठ की देखभाल में डॉक्टर और नर्स आपकी मदद करेंगे। जब आप अपने प्रीमैच्योर शिशु को अस्पताल से घर लाते हैं और तब भी उसकी नाभि ठूंठ जुड़ी हुई हो, तो डॉक्टर आपको इसकी साफ-सफाई और देखभाल के तरीके के बारे में बताएंगे। आपको शायद शिशु को स्पंज बाथ करवाने की ही सलाह दी जाएगी, क्योंकि प्रीटर्म शिशु को पूर्ण अवधि पर जन्मे स्वस्थ शिशु की तुलना में इनफेक्शन का खतरा ज्यादा हो सकता है। क्या गर्म और आर्द्र मौसम में नाभि ठूंठ की और अधिक देखरेख करनी चाहिए?चाहे कोई भी मौसम हो, जरुरी है कि शिशु के नाभि ठूंठ को साफ और सूखा रखा जाए और इनफेक्शन के संकतों पर नजर रखी जाए। फिर भी, आर्द्र मौसम में खासतौर पर मानसून के दिनों में कई बार कुछ पेरशानियां आ सकती हैं। जब आर्द्रता बढती है तो आप पाएंगी कि पसीने को वाष्पित होने में ज्यादा समय लगता है, जिससे त्वचा लंबे समय तक नम रहती है। आर्द्र और उमसभरे मौसम में कीटाणुओं और बैक्टीरिया को भी बढ़ावा मिलता है। अपने शिशु को ठंडे और आरामदायक माहौल में रखें जहां हवा की आवाजाही बनी रहे। यदि आप एसी या कूलर का इस्तेमाल कर रहे हैं तो शिशु पर सीधी ठंडी हवा न लगने दें। यदि आपके क्षेत्र में बार-बार बिजली कटौती रहती है, तो शिशु को सुरक्षित और आरामदेह रखने के उपाय अजमाएं। मालिश के दौरान शिशु के नाभि ठूंठ की सुरक्षा कैसे करनी होगी?यदि गर्भनाल ठूंठ के हटने और घाव के ठीक होने से पहले ही आप शिशु की मालिश शुरु करना चाहें, तो बेहतर है कि आप उसके पेट पर मालिश न करें। उसकी हल्के हाथ से मालिश करें और ध्यान रखें कि क्लैंप पर हाथ न लगे। पारंपरिक तौर पर जापा बाई या मालिशवाली नाभि ठूंठ और इसके आसपास तेल से मालिश करती हैं। कुछ तो खुद तैयार किया गया हर्बल पाउडर या तेल इस्तेमाल करती हैं ताकि नाभि ठूंठ जल्दी ठीक हो सके। बहरहाल, तेल और पाउडर लगाने से त्वचा की सिलवटों में नमी और धूल फंस सकती है, जिससे ठूंठ में जलन या इनफेक्शन हो सकता है। साथ ही, कुछ पाउडर या तेल में ऐसे तत्व भी हो सकते हैं जो शिशुओं के लिए सुरक्षित नहीं होते। शिशु को नहलाने के बाद उसकी नाभि में पिसी हुई हींग या अजवायन डालने की भी एक आम प्रथा है। माना जाता है कि इससे पाचन संबंधी परेशानियों से राहत मिलती है और उदरशूल (कॉलिक) से बचाव होता है। हालांकि, इनका इस्तेमाल पीढ़ियों से चला आ रहा है और यह एक लोकप्रिय प्रथा है, मगर कहा नहीं जा सकता कि ये कितना प्रभावी हैं। बेहतर है कि जब तक शिशु का गर्भनाल ठूंठ टूटकर गिरता नहीं और घाव पूरी तरह भर नहीं जाता, तब तक इस तरह के घरेलू उपाय न आजमाएं। आपके शिशु का नाभि ठूंठ काफी संवेदनशील होता है। इसे किसी चीज से ढकना या तेल या हर्बल मिश्रण लगाने से इसे ठीक होने में ज्यादा समय लग सकता है और गंभीर इनफेक्शन भी हो सकता है। घाव के भर जाने के बाद भी बेहतर है कि हर्बल मिश्रण आदि को नाभि के बाहर की तरफ ही लगाया जाए, अंदर न लगाएं। आप शिशु की नाभि पर रुई का फाहा रखकर इसके चारों तरफ यह मिश्रण लगा सकती हैं। इस तरह यह नाभि के अंदर नहीं जाएगा। कैसे पता चलेगा कि शिशु के नाभि ठूंठ में इनफेक्शन हो गया है?जब नाभि ठूंठ ठीक हो रहा होता है, तो इसके आसपास थोड़ा खून दिखाई देना सामान्य है। यह इसके संक्रमित होने का संकेत नहीं है। हालांकि, यदि आपके शिशु को निम्नांकित लक्षण भी हों तो हो सकता है ठूंठ में इनफेक्शन हो गया हो:
यदि आपके शिशु को इनमें से कोई भी लक्षण हों तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। शिशु के डॉक्टर उसकी नाभि ठूंठ की जांच करके देखना चाहेंगे कि कहीं यह संक्रमित तो नहीं है। अधिकांश मामलों में किसी उपचार की जरुरत नहीं होती। हालांकि, शिशु के लक्षणों को देखते हुए डॉक्टर निम्नांकित सलाह दे सकते हैं:
मेरे शिशु की नाभि को पूरी तरह ठीक होने में कितना समय लगेगा?ठूंठ के टूटकर गिरने के बाद उस जगह छोटा घाव रहेगा। नाभि क्षेत्र को पूरी तरह ठीक होने में सात और 10 दिन के बीच का समय लग सकता है। यह घाव ठीक होने के बाद आपके शिशु की नाभि बनती है। आपको शिशु की नैपी की कमरपट्टी में थोड़ा खून लगा दिख सकता है। यह एकदम सामान्य है। हालांकि, यदि पौंछने के बाद भी खून आना बंद न हो तो डॉक्टर की सलाह लें। यह रक्त संबंधी विकार का संकेत हो सकता है। अगर शिशु का नाभि ठूंठ ठीक न हो रहा हो तो क्या करना चाहिए?कई बार, नाभि का घाव ठीक होने में 10 दिन से ज्यादा का समय लग सकता है। हालांकि, अगर आपको नाभि ठूंठ के क्षेत्र में नरम गुलाबी या लाल गांठ सी दिखाई दें, जिसमें से साफ या पीला तरल निकल रहा हो या नमीयुक्त हो, तो हो सकता है आपके शिशु को अम्बिलिकल ग्रेनुलोमा हो। घाव भरने क बाद बने उत्तकों (स्कार टिश्यू) की अत्याधिक बढ़त को ग्रेनुलोमा कहा जाता है। अम्बिलिकल ग्रेनुलोमा गंभीर नहीं होता और आमतौर पर इसका उपचार आसान होता है। यदि आपको लगे कि आपके शिशु के साथ यह स्थिति है, तो डॉक्टर से बात करें। वे आपके शिशु के लिए बेहतर उपचार बता सकेंगे। यदि इलाज के बाद भी स्थिति में सुधार न आए तो डॉक्टर कॉटराइजेशन की प्रक्रिया अपनाएंगे। इसमें सिल्वर नाइट्रेट नामक रसायन से उत्तकों को बंद किया जाता है। यह सुनने में काफी भयावह लग सकता है, मगर यह एक साधारण प्रक्रिया है। आपके शिशु को इसका कोई अहसास नहीं होगा क्योंकि गर्भनाल में कोई नसें नहीं होती हैं। मेरे शिशु की नाभि का आकार कुछ अजीब सा है। क्या इसे ठीक किया जा सकता है?गर्भनाल का ठूंठ जब टूटकर गिर जाता है तो जो घाव बचता है, वह नाभि बनता है। आपके शिशु की नाभि का आकार वास्तव में इस बात पर निर्भर करता है कि गर्भनाल उसके पेट से किस तरह जुड़ी थी। इसलिए इसमें बदलाव के लिए आप कुछ नहीं कर सकतीं और न ही करना चाहिए। आपने शायद सुना हो कि शिशु के नाभि ठूंठ पर सिक्का चिपका देने से नाभि को अंदर की तरफ दबने में मदद मिलती है और वह बाहर नहीं निकलती। मगर, सच्चाई यह है कि दबाव डालने से भी नाभि के आकार में बदलाव नहीं आता है। साथ ही, यदि सिक्का हटकर गिर जाए और शिशु इसे मुंह में ले ले तो गला अवरुद्ध होने का खतरा रहता है। क्या शिशु की नाभि में तेल की बूंदें डालना सुरक्षित है?नहीं, नवजात की नाभि में तेल डालना सही नहीं है। जब तक कि नवजात का नाभि ठूंठ टूटकर गिर नहीं जाता, तब तक इसे सूखा ही रखना चाहिए। नाभि में तेल डालने से उसमें धूल-मिट्टी और मैल जमा हो सकता है, जिससे इनफेक्शन का खतरा रहता है। शिशु के नाभि ठूंठ में संक्रमण के संकेतों पर नजर रखें। अंग्रेजी के इस लेख से अनुवादित: Caring for your newborn's umbilical cord stump हमारे लेख पढें:
ReferencesAWHONN. 2013. Neonatal skin care. 3rd ed. Association of Women's Health, Obstetric and Neonatal Nurses, Evidence-based clinical practice guideline. Washington: AWHONN Blume-Peytavi U, Lavender T, Jenerowicz D, et al. 2016. Recommendations from a European round table meeting on best practice healthy infant skin care. Pediatr Dermatol 33(3):311-21 iHV. 2017. Understanding umbilical granuloma. Institute of Health Visiting. ihv.org.uk Imdad A, Bautista RM, Senen KA, et al. 2013. Umbilical cord antiseptics for preventing sepsis and death among newborns. Cochrane Database Syst Rev (5): CD008635. www.ncbi.nlm.nih.gov NHS. 2021. Getting to know your newborn. NHS, Health A-Z, Your Pregnancy and Baby Guide. www.nhs.uk NICE. 2015. Postnatal care up to 8 weeks after birth. National Institute for Health and Care Excellence, CG37. www.nice.org.uk Parsons H. 2017. Umbilical care. Clinical Guidelines. Great Ormond Street Hospital for Children. www.gosh.nhs.uk Perlstein D. nd. Umbilical cord care. www.emedicinehealth.com नवजात शिशु की नाभि पक जाए तो क्या करें?जब तक नाभि ठूंठ टूटकर गिर नहीं जाती और पूरी तरह घाव भर नहीं जाता, तब तक शिशु को बॉडीसूट या वनजी स्टाइल वाले कपड़े न पहनाएं। कुछ डॉक्टर सलाह देते हैं कि जब तक नाभि ठूंठ टूटकर गिर नहीं जाता, तब तक शिशु को केवल स्पंज स्नान करवाना चाहिए। आप शिशु को नहला भी सकती हैं।
बच्चे की नाभि बाहर क्यों आती है?कई शिशुओं की नाभि बाहर को निकली हुई होती है या सामान्य से ज्यादा उभरी हुई और बड़ी होती है। इसका कारण अम्बिलिकल हर्निया हो सकता है। सामान्यत: शिशुओं में ये समस्या अपने आप ठीक हो जाती है। मगर यदि 3-4 साल की उम्र तक भी शिशु की नाभि उभरी हुई और बड़ी हो, तो ये अम्बिलिकल हर्निया का संकेत हो सकता है।
नाभि फूलने का क्या कारण है?एक अवंशानुगत (उपार्जित) नाभि-हर्निया प्रत्यक्ष रूप से मोटापा, भारी उत्थापन, खांसने के लंबे इतिहास या एकाधिक गर्भधारण के कारण उत्पन्न उदर के अन्दर बढ़े हुए दवाब के परिणामस्वरूप होता है।
नाभि फूल जाए तो क्या करें?यदि नाभि के आस-पास कोई सर्जरी हुई है तो उसे दबाने पर दर्द होगा। हालांकि, बढ़ते दिन के साथ यह कम होता जाता है, लेकिन यदि आपको दर्द में कोई कमी नहीं नजर आ रही है तो यह एक इन्फेक्शन का संकेत है। ऐसे में अपने सर्जन/डॉक्टर से बात करें।
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