छत्तीसगढ़ में झूम खेती कहां और कैसे की जाती है - chhatteesagadh mein jhoom khetee kahaan aur kaise kee jaatee hai

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CT : General Intelligence and Reasoning (Practice Set)

10 Questions 20 Marks 8 Mins

Last updated on Nov 16, 2022

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फूलों की खेती से लाखों कमा रहे छत्तीसगढ़ के किसान...

यह लेख छत्तीसगढ़ स्टोरी सीरीज़ का हिस्सा है..

छत्तीसगढ़ में केवल एक ही खेती करने वाले किसानों को अन्य दूसरी फसलें उगाने के लिए भी प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसका परिणाम ये हुआ कि पहले जहां किसान सिर्फ धान की फसल करते थे अब वे सब्जी, फूल और अन्य फसलें लगाने लगे हैं। इससे उन्हें काफी फायदा भी हो रहा है।

छत्तीसगढ़ में झूम खेती कहां और कैसे की जाती है - chhatteesagadh mein jhoom khetee kahaan aur kaise kee jaatee hai


 सूजरपुर जिले के रविन्द्रनगर में किसान परंपरागत खेती के अलावा फूल और सब्जियों की खेती बड़ी मात्रा में करते हैं यही कारण है कि यहां के किसान अब आर्थिक रूप से भी मजबुत हो रहे हैं 

भारत में आधी से अधिक आबादी प्रत्यक्ष तौर पर खेती पर निर्भर है। किसानों को देश में अन्नदाता कहा जाता है, लेकिन पर्याप्त सुविधा और जानकारी न होने के कारण किसानों की स्थिति जस की तस बनी रहती है। कई इलाके ऐसे हैं जहां किसान साल में सिर्फ एक ही खेती करते हैं। इससे उन्हें काफी नुकसान होता है। छत्तीसगढ़ में केवल एक ही खेती करने वाले किसानों को अन्य दूसरी फसलें उगाने के लिए भी प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसका परिणाम ये हुआ कि पहले जहां किसान सिर्फ धान की फसल करते थे अब वे सब्जी, फूल और अन्य फसलें लगाने लगे हैं। इससे उन्हें काफी फायदा भी हो रहा है।

सरकार केवल एक ही फसल से होने वाले नुकसान से किसानों को बचाने के लिए दूसरी फसलों पर ध्यान देने के पुरजोर प्रयास कर रही है। प्रदेश में किसान केवल धान की परंपरागत खेती करते हैं जिससे उनके आर्थिक स्तर में सुधार नहीं हो पाता है। इसलिए सरकार चाहती है कि प्रदेश के किसान सब्जी, फल, फूल और अन्य खेतियों पर ध्यान दें और सरकार को उद्यानिकी से जुड़ी खेती करने के लिए किसानों को समझाने में सफलता मिल रही है। छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले की बात करें तो यहां किसान हजारों की संख्या में फूल, फल और सब्जियों की खेती में लाखों का मुनाफा कमा रहे हैं। इसीलिए मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने भी किसानों की मेहनत का लोहा मानते हुए इसे "फूलों का जिला" जैसे शब्दों से संबोधित किया है।

सूरजपुर जिले के कई इलाकों में अब किसानों के खेत रंग बिरंगे फूलों से भरे नज़र आते है। सूजरपुर जिले के रविन्द्रनगर में किसान परंपरागत खेती के अलावा फूल और सब्जियों की खेती बड़ी मात्रा में करते हैं यही कारण है कि यहां के किसान अब आर्थिक रूप से भी मजबूत हो रहे हैं और ये सब संभव हूआ है प्रदेश की सरकार के हार्टिकल्चर को सकारात्मक उर्जा प्रदान करने से। जिले के किसान भी मानते हैं की पहले एक फसल के बाद उनके खेत बेजान पड़े रहते थे लेकिन अब सरकार के उद्यानिकी विभाग के सहयोग से वे पूरे साल अपने खेतों से फूल और फलों सहित सब्जी की खेती कर भारी मुनाफा कमा रहें हैं।

गौरतबल है कि छत्तीसगढ़ में जिन नये नौ जिलों का निर्माण किया गया उनमें एक जिला सूरजपुर भी शामिल था। इन नए जिलों को विकसित करने के लिए सरकार ने विकास नीतियों के साथ साथ कृषि को बढ़ावा देने के कार्यक्रम उद्यानिकी विभाग के माध्यम से चलाये। जिसमें सूरजपुर जिले के किसान काफी उत्साह के साथ भाग ले रहे हैं और लाभ भी ले रहे हैं। उद्यानिकी विभाग के मुताबिक जिलें में पांच सौ हेक्टेयर में 961 किसान फल,सब्जी और फूलों की खेती कर लाभान्वित हो रहें हैं। इसके साथ ही जिलें में सब्जियों की बम्पर पैदावार के कारण यहां कृषक उत्पादक संघ का गठन किया जा रहा है ताकि वे अपने उत्पाद का व्यापार कर सकें।

जिले में सब्जी और फूलों का उत्पादन करने वाले पच्चीस सौ से अधिक किसान पंजीकृत हो चुके है इसके अलावा पंजीयन का कार्य प्रगति पर है। जिले में हार्टिकल्चर के माध्यम से हो रही बम्पर पैदावार को देखते हुए कृषि मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने जिले में हाट बाजार आर मंडी निर्माण के लिए भी स्वीकृति प्रदान की है।

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छत्तीसगढ़ में झूम खेती कहां और कैसे की जाती है - chhatteesagadh mein jhoom khetee kahaan aur kaise kee jaatee hai
इस लेख में हमारा Topic है- झूम खेती क्या है? हम लोग इस लेख में अध्ययन करेंगे कि झूम खेती किसे कहते हैं? झूम खेती कहां होती है तथा झूम खेती कैसे की जाती है? तो चलिए हम लोग जानते हैं कि झूम खेती किसे कहते हैं?

झूम खेती क्या है?

झूम खेती कृषि का एक पद्धति है। इस प्रकार की खेती में एक फसल जब कट जाता है तो जमीन को कुछ साल तक छोड़ दिया जाता है। कुछ सालों तक उसमें खेती नहीं करते हैं। खाली जगह होने के कारण जमीन पर बास या अन्य जंगल उग जाता है। उस जंगल को बुखार तो नहीं है बस उस जंगल को गिरा कर जला देते हैं। जुड़ा होता है वह खाद का काम करता है। फिर जब खेती का समय आता है तब जमीन को जोता नहीं जाता है। सिर्फ मिट्टी को हल्के से हिलाकर बीज छिड़क देते हैं।

झूम खेती में एक ही खेत में अलग-अलग तरह के बीच पाए जाते हैं जैसे :- मकई, सब्जियां, मिर्ची और चावल इत्यादि।

Q. झूम खेती कहां की जाती है?
Ans :- झूम खेती में मिजोरम में की जाती हैं।

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झूम खेती से जुड़े रोचक तथ्य

झूम खेती मिजोरम में की जाती है।
इस प्रकार की खेती में फसल काटने के बाद कुछ सालों तक जमीन को छोड़ दिया जाता है।
खाली जगह में जो जंगल उगता है उसे उखाड़कर फेकते नहीं है। सिर्फ जंगल को गिरा कर जला देते हैं।
झूम खेती में जमीन को जोता नहीं जाता है। सिर्फ मिट्टी को हिलाकर बीज छिड़क दिया जाता है।
झूम खेती में मुख्य फसल “चावल” का किया जाता है।

इस लेख में हम लोगों ने जाना कि झूम खेती किसे कहते हैं? झूम खेती कहां होती है तथा झूम खेती कैसे की जाती है?

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छत्तीसगढ़ में झूम कृषि को क्या कहते हैं?

स्थानांतरण कृषि या झूम कृषि (slash and burn farming) एक आदिम प्रकार की कृषि है जिसमें पहले वृक्षों तथा वनस्पतियों को काटकर उन्हें जला दिया जाता है और साफ की गई भूमि को पुराने उपकरणों (लकड़ी के हलों आदि) से जुताई करके बीज बो दिये जाते हैं

झूम खेती कहां और कैसे की जाती है?

भारत की पूर्वोत्तर पहाड़ियों में आदिम जातियों द्वारा की जाने वाली इस प्रकार की कृषि को झूम कृषि कहते हैं। इस प्रकार की स्थानांतरणशील कृषि को श्रीलंका में चेना, हिन्देसिया में लदांग और रोडेशिया में मिल्पा कहते हैं। अक्सर यह दावा किया जाता रहा है कि झूम के कारण क्षेत्र के बहुमूल्य प्राकृतिक संसाधनों का नुकसान हुआ है।

झूम की खेती कौन से राज्य में होती है?

यह मुख्य रूप से भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में प्रचलित है, जिसमें असम, मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड आदि शामिल हैं। खेती के इस तरीके को "झूम खेती" के नाम से भी जाना जाता है। इसे कर्तन- दहन कृषि भी कहा जाता है।

झूम खेती का दूसरा नाम क्या है?

स्थानांतरित कृषि कृषि पद्धति का एक रूप है जिसमें किसान कृषि उद्देश्यों के लिए वनस्पतियों को काटकर और जंगलों को जलाकर भूमि के एक क्षेत्र को साफ करते हैं। इस प्रथा को स्लैश-एंड-बर्न कृषि के रूप में भी जाना जाता है। झूम कृषि को स्थानांतरित कृषि या स्लेश एंड बर्न कृषि के रूप में भी जाना जाता है।