इन दिनों आम होती जा रही किडनी की परेशानियाँ भारत में हर साल लगभग तीन लाख लोगों को डायलिसिस की जरूरत पड़ती है। किडनी की विफलता, CKD (Chronic kidney disease) जैसी गंभीर बीमारियों के कारण देश के लगभग 80% मरीज अगले एक साल में मारे जाते हैं। जाने एस आर्टिकल के जरिए किडनी के मरीजों का डाइट चार्ट- Show
किडनी की बीमारी एक गंभीर समस्या है, किडनी विशेषज्ञ (Nephrologist) की मदद से आप अपनी किडनी को स्वस्थ रख सकते हैं और अगर आपकी किडनी में कोई परेशानी है तो इलाज के माध्यम से उसे दूर भी कर सकते हैं। किसी भी बीमारी से स्वस्थ होने में जितनी दवाइयाँ और इलाज महत्वपूर्ण हैं उतना ही आहार (Diet) भी महत्वपूर्ण है। किडनी की समस्या से जूझते मरीजों के लिए बहुत असमंजस्य की स्थिति होती है कि वे क्या खाएँ, क्या न खाएँ, कितना खाएँ, आदि। जिस तरह से किडनी की बीमारियों को कई चरणों में बाँटा गया उसी प्रकार इन बीमारियों में मरीज को कैसा आहार (Diet) लेना चाहिए यह भी निर्धारित किया है। किडनी की खराबी के इलाज में आहार का महत्वपूर्ण पात्र है। आहार संबंधी जानकारियाँ जिनसे आप CKD के इलाज में डायलीसिस को कुछ समय के लिए टाल सकते हैं, जानिए-
हमारे शरीर में किडनी का काम शरीर के अधिक पानी, नमक और अन्य क्षार (Acids) को पेशाब के माध्यम से शरीर से बाहर निकाल कर शरीर में इन पदार्थो का संतुलन बनाना है। CKD में जब हमारी किडनी क्षतिग्रस्त हो जाती हैं तो वे अपने इस काम को नहीं कर पाती हैं जिसके कारण मरीज के शरीर में पानी, पोटैशियम, यूरिया, क्रिएटिनीन, फास्फोरस और अन्य पदार्थों की मात्रा बढ़ने से गंभीर समस्या उत्पन्न हो जाती हैं। क्षतिग्रस्त किडनी को इसी बोझ से बचाने के लिए आहार में बदलाव करना जरूरी होता है। कौन से हैं वे पोशक तत्व जो CKD में सीमित मात्रा में लिये जाने चाहिए जानिए- कौन से पोशक तत्वों पर ध्यान देना चाहिए जानिये-प्रोटीनभारतीय मरीजों को पश्चिमी मरीजों की तुलना में प्रोटीन की कम जरूरत होती है। इसका कारण है, भातरीय आहार जो पश्चिमी देशों की तुलना में कम प्रोटीन युक्त होता है, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि आप बिना विशेषज्ञ के परामर्श के खुद ही अपना प्रोटीन सेवन रोक दें। अक्सर मरीज परिवार, दोस्तों और इंटरनेट पर पढ़कर प्रोटीन लेना बंद कर देते हैं, जिनमे दाल शामिल जो भारतीय आहार में प्रोटीन का मुख्य स्श्रोत होती हैं। इससे वजन घटने जैसी और शरीर की प्रतिरक्षा (immunity) पर नकारातमक प्रभाव पड़ता है। सामान्य तौर पर मरीज को उसके शरीर के वजन के मुताबिक प्रोटीन की जरूरत होती है यह मात्रा 0.6-0.8 gm/ kg शरीर के वजन/दिन के हिसाब से होनी चाहिए साथ दाल का भी सीमित मात्रा में सेवन करना चाहिए। विभिन्न खाद्य समूहों में प्रोटीन की मात्रा
सेडियमशरीर में किडनी सोडियम (नमक) पानी और रक्तचाप (Blood-pressure) का संतुलन बनाती हैं। इसीतरह हमारी किडनी शरीर में सोडियम का भी संतुलन करती है। जब किडनी क्षतिग्रस्त हो जाती है तो उसकी इस कार्यक्षमता में कमी आ जाती है। नमक का ज्यादा सेवन करना उच्च रक्तचाप का कारण बन जाता है जो हमारी किडनी के लिए नुकसानदायक होता है। इसी मात्रा का सही नियमन करने के लिए CKD के मरीज को सोडियम के सेवन में विशेषज्ञ के परामर्शानुसार बदलाव करने चाहिए। CKD में मरीजों को जिन्हें उच्च रक्तचाप या सूजन की समस्या हो उन्हें आधा चम्मच प्रतिदिन नमक लेने की सलाह दी जाती है। पोटैशियमपोटैशियम हमारे शरीर की नसों और मांसपेशियों को सामान्य रूप से काम करने में मदद करता है। चूंकि किडनी हमारे शरीर में विभिन्न तत्वों का संतुलन बनाए रखती है तो इसके क्षतिग्रस्त होने पर मरीज के खून में किडनी पौटेशियम का संतुलन नहीं बना पाती परिणामस्वरूप खून में पोटैशियम की मात्रा बढ़ जाती है। रक्त में पोटैशियम की मात्रा बढ़ने से दिल की गति में अवरोध होता है जिससे दिल का दौरा पड़ने का भी खतरा होता है। इसके कोई खास लक्षण नहीं दिखाई देते हैं, इसलिए इसे ‘साइलेन्ट किलर (silent killer)’ भी कहते हैं। CKD के विभिन्न चरणों में मरीज को अलग-अलग मात्रा में पोटेशियम की जरूरत पड़ती है। मरीज को दी जाने वाली पोटैशियम की मात्रा को ध्यान में रखते हुए खाघ पदार्थ का वर्गीकरण तीन भागों में किया गया है। ज्यादा, मध्यम और कम पोटैशियम वाले खाघ पदार्थ। सामान्य तौर पर ज्यादा पोटैशियम वाले खाघ पदार्थों पर निषेध, मध्यम पोटैशियमवाले खाघ पदार्थ सीमित मात्रा में और कम पोटैशियमवाले खाघ पदार्थ जरूरत के हिसाब से लेने की सलाह दी जाती है। क्या है अधिक, मध्यम और कम पोटैशियम वाले खाद्य पदार्थ इस मात्रा में लें मरीज-
फास्फोरसशरीर में फॉस्फोरस और कैल्सियम की उचित मात्रा हड्डियों के विकास, तंदुरुस्ती और मजबूती के लिए जरुरी है। किडनी आहार में मिली फास्फोरस में से शरीर के लिए जरूरी मात्रा को रक्त में स्थिर रखती है और जरूरत से ज्यादा को पेशाब के राह बाहर निकाल देती है। किडनी अगर क्षतिग्रस्त हो जाए तो वह अपना यह काम नहीं कर पाती जिससे रक्त में फास्फोरस की मात्रा बढ़ जाती है। CKD के मरीज के खून में आई अधिक फॉस्फोरस हडिड्यों में से कैल्सियम खींच लेती है, जिससे हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। इसलिए CKD के मरीज पर विशेषज्ञ फास्फोरस की ज्यादा मात्रा वाले पदार्थों को खाने पर रोक लगा देतें हैं। क्या हैं वे पदार्थ जानिए-
तरल पदार्थ (Fluid)सामान्य तौर पर पर पानी पर कोई प्रतिबंध नहीं है। लेकिन अगर CKD के मरीज का वजन बढ़ रहा हो, शरीर के कुछ हिस्सों में सूजन आ रही हो और फेफड़ों में पानी भरने जैसी समस्या हो पानी पीने से फेफड़ों में और पानी भर सकता है और साँस लेने में अत्याधिक तकलीफ होने लगती है। इसके लिए जरूरी है कि विशेषज्ञ के परामर्श के अनुसार ही इसका सेवन किया जाए। कैलोरी (Calories)CKD के मरीज के लिए कैलोरी आवश्यक है क्योंकि यह हमारे शरीर में ऊर्जा और वजन का संतुलन बनाए रखती हैं। CKD के रोगी होने के नाते अगर आपका वजन कम है तो जाहिर है कि विशेषज्ञ आपको आहार में कैलोरी बढ़ाने के लिए कह सकता है। डायलिसिस पर चल मरीज के लिए आहार संबंधी निर्देश
किडनी के मरीजों का डाइट चार्ट को लेकर जो सावधानियाँ बरतनी चाहिए-
डायलिसिस के बाद क्या नहीं खाना चाहिए?एक साथ बड़ी मात्रा में पानी पीने से बचें, इसके बजाय धीरे धीरे पिएं । उच्च नमकीन खाद्य पदार्थों से बचें जो रक्त में सोडियम के स्तर को बढ़ा सकते हैं। फैटी, स्मोक्ड खाद्य पदार्थों और जमे हुए खाद्य पदार्थों से बचें जिनमें संरक्षक होते हैं। गरिष्ठ भोजन / पेय और नशीले पेय का सेवन भी न करें।
डायलिसिस करने वाले को क्या खाना चाहिए?दूध और पनीर, सूखे बीन्स, मटर, नट्स और पीनट बटर जैसे खाद्य पदार्थ फास्फोरस से भरपूर होते हैं। इन खाद्य पदार्थों से बचने या उन्हें कम मात्रा में लेने की सलाह दी जाती है। आपकी स्थिति के आधार पर, डॉक्टर डायलिसिस सत्रों के बीच आपके रक्त के फास्फोरस को नियंत्रित करने के लिए फॉस्फेट-बाध्यकारी दवाएं लेने की सलाह दे सकते हैं।
डायलिसिस ठीक होने में कितना समय लगता है?डायलिसिस से गुजरने के बाद ठीक होने का समय एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भिन्न होता है। किसी के लिए यह 2 घंटे, किसी के लिए 4 से 6 घंटे और कुछ के लिए इलाज के बाद पूरी तरह से ठीक होने में लगभग 12 घंटे का समय लग सकता है।
किडनी पेशेंट को कौन सी दाल खानी चाहिए?अनाज: गेहूं, चावल. दाल: मूंग. फल एवं सब्जियां: अनार, पपीता, शिमला मिर्च, प्याज, ककड़ी, टिण्डा, परवल, लौकी, तोरई, करेला, कददू, मूली, खीरा, कुंदरू, गोभी, शिमला मिर्च. अन्य: हल्का खाना, लहसुन, धनिया, पुदीना, जायफल, जैतून का तेल, सूरजमुखी का तेल, पतंजलि आरोग्य बिस्कुट. |