विषयसूची फीचर लेखन के सोपान कौनसे है?इसे सुनेंरोकेंफीचर लेखन किसी कहानी , उपन्यास की तरह ही कुछ बिंदुओं पर आधारित होता है – आरंभ , मध्य , चरम , समापन , भाषा – शैली , नेता तथा निष्कर्ष। फीचर लेखन का आरंभ किसी घटना , यात्रा आदि पर आधारित होता है। फीचर लेखन में किसकी प्रधानता होनी चाहिए *?इसे सुनेंरोकें· किसी घटना की सत्यता या तथ्यता फीचर का मुख्य तत्व होता है। एक अच्छे फीचर को किसी सत्यता या तथ्यता पर आधारित होना चाहिये। · फीचर का विषय समसामयिक होना चाहिये। · फीचर का विषय रोचक होना चाहिये या फीचर को किसी घटना के दिलचस्प पहलुओं पर आधारित होना चाहिये। फीचर लेखन में कितने सोपान अथवा चरण होते है? इसे सुनेंरोकेंरखता है जिससे फीचर पढ़ने वाले को ज्ञान और अनुभव से संपन्न कर दे। (३) उपसंहार : यह अनुच्छेद संपूर्ण फीचर का सार अथवा निचोड़ होता है। इसमें फीचर लेखक फीचर का निष्कर्ष भी प्रस्तुत कर सकता है अथवा कुछ अनुत्तरित प्रश्न पाठकों के ऊपर भी छोड़ सकता है। फीचर लेखन की लेखिका का नाम क्या है? इसे सुनेंरोकेंफीचर लेखन पत्रकारिता क्षेत्र का मुख्य आधार स्तंभ बन गया है । फीचर का मुख्य कार्यकिसी विषय का सजीव वर्णन पाठक के सम्मुख करना होता है । प्रस्तुत पाठ में फीचर लेखिका स्नेहा के माध्यम से फीचर लेखन का स्वरूप, उसकी विशेषताएँ, प्रकार आदि पर प्रकाश डाला गया है । फीचर लेखन की विशेषताएं कौन कौन सी होती है?इसे सुनेंरोकेंकिसी घटना की सत्यता, तथ्यता फीचर का मुख्य तत्त्व है। फीचर लेखन में शब्द चयन अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। लेखन की भाषा सहज, संप्रेषणीयता से परिपूर्ण होनी चाहिए। प्रसिद्ध व्यक्तियों के कथनों, उद्धरणों, लोकोक्तियों और मुहावरों का प्रयोग फीचर में चार चाँद लगा देता है। फीचर लेखन के कितने प्रकार हैं?फीचर के प्रकार
सूचना प्रधान फीचर का उद्देश्य कौन सा है? इसे सुनेंरोकेंइसका लक्ष्य मनोरंजन करना, सूचना देना और जानकारी को जन उपयोगी ढंग से प्रस्तुत करना है।” एक अन्य परिभाषा के अनुसार, ”फीचर समाचार मूलक यथार्थ, भावना-प्रधान और सहज कल्पना वाली रसमय एवं संतुलित गद्यात्मक एवं दृश्यात्मक, शाश्वत, निसर्ग और मार्मिक अभिव्यक्ति हैं।” 3 फीचर लेखन की प्रक्रिया के मुख्य अंग कितने? एक अच्छे फीचर लेखन की विशेषता
फीचर संरचना के प्रमुख उद्देश्य कौन से हैं?इसे सुनेंरोकें”फीचर में तथ्यों को मनोरंजक ढंग से प्रस्तुत किया जाता हैं । इसका मुख्य उद्देश्य होता है सामान्य पाठक का मनोरंजन करना अथवा उसकी जानकारी बढ़ाना ।” फीचर के कितने भाग होते हैं?इसे सुनेंरोकेंफीचर का हिंदी पर्याय है रूपक पत्रकारिता के तीनों माध्यमों में फीचर 3 भिन्न नामों से जाना जाता है समाचार पत्र यानी मुद्रित माध्यम में इसे फीचर कहते हैं तो श्रव्य माध्यम अर्थात् रेडियो के लिए रूपक दृश्य श्रव्य माध्यम अर्थात् टेलीविजन के लिए फीचर। फीचर के कितने तत्व हैं? इसे सुनेंरोकेंफीचर लेखन की विशेषताएं फीचर का आरंभ रोचक होना चाहिए न कि नीरस, उबाऊ, क्लिष्ट और व्यर्थ की अलंकृत शब्दावली से भरा। हृदय पक्ष से जुड़ा होने के कारण इसमें भाषागत सौंदर्य और लालित्य का विशेष स्थान है। फीचर में अनावश्यक विस्तार से बचा जाना चाहिए। गागर में सागर भरना फीचर की अपनी कलात्मकता होती है। फीचर लेखन करते समय कौनसी सावधानी बरतनी चाहिए? इसे सुनेंरोकें(१) फीचर लेखन में आरोप-प्रत्यारोप करने से बचना चाहिए। (२) फीचर लेखन में आलंकारिक और अति क्लिष्ट भाषा का प्रयोग नहीं करना चाहिए। (३) फीचर लेखन में अति नाटकीयता से बचना चाहिए। (४) झूठा तथ्यात्मक आंकड़े, प्रसंग अथवा घटनाओं का उल्लेख करना उचित नहीं। Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 12th Digest Chapter 15 फीचर लेखन Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers. 12th Hindi Guide Chapter 15 फीचर लेखन Textbook Questions and Answers कृति-स्वाध्याय एवं उत्तर पाठ पर आधारित प्रश्न 1. अच्छा फीचर नवीनतम जानकारी से परिपूर्ण होता है। किसी घटना की सत्यता, तथ्यता फीचर का मुख्य तत्त्व है। फीचर लेखन में शब्द चयन अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। लेखन की भाषा सहज, संप्रेषणीयता से परिपूर्ण होनी चाहिए। प्रसिद्ध व्यक्तियों के कथनों, उद्धरणों, लोकोक्तियों और मुहावरों का प्रयोग फीचर में है चार चाँद लगा देता है। फीचर लेखन में भावप्रधानता होनी चाहिए, क्योंकि नीरस फीचर कोई भी नहीं पढ़ना चाहता। फीचर से संबंधित तथ्यों का आधार दिया जाना चाहिए। विश्वसनीयता के लिए फीचर ३ में तार्किकता आवश्यक है। तार्किकता के बिना फीचर अविश्वसनीय ३ बन जाता है। फीचर में विषय की नवीनता होना आवश्यक है, क्योंकि उसके अभाव में फीचर अपठनीय हो जाता है। फीचर में किसी व्यक्ति अथवा घटना विशेष का उदाहरण दिया गया हो तो उसकी संक्षिप्त जानकारी भी देनी चाहिए। फीचर के विषयानुकूल चित्रों, कार्टूनों अथवा फोटो का उपयोग किया जाए तो फीचर अधिक प्रभावशाली बन जाता है। फीचर लेखन में राष्ट्रीय स्तर के तथा अन्य महत्त्वपूर्ण तथा समसामयिक विषयों का समावेश होना है चाहिए। फीचर पाठक की मानसिक योग्यता और शैक्षिक पृष्ठभूमि के अनुसार होना चाहिए। प्रश्न 2.
प्रश्न 3.
व्यावहारिक प्रयोग प्रश्न
4. जब पहले उपग्रह को अंतरिक्ष में भेजा गया तब शायद ही किसी ने सोचा हो कि भारत का अंतरिक्ष यान किसी दिन मंगल ग्रह के लिए जा सकेगा। भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम से कई बड़े वैज्ञानिक जुड़े रहे हैं। पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम भी भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में योगदान दे चुके हैं। स्थापना के बाद से ही भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम अच्छी तरह से ऑर्केस्ट्रेटेड किया गया है और इसमें संचार और रिमोट सेंसिंग के लिए उपग्रह, अंतरिक्ष परिवहन प्रणाली और अनुप्रयोग कार्यक्रम जैसे तीन अलग-अलग तत्त्व थे। प्राकृतिक संसाधनों और आपदा प्रबंधन सहायता की निगरानी और प्रबंधन के लिए दूरसंचार, टेलिविजन प्रसारण और मौसम संबंधी सेवाओं और रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट के लिए दो प्रमुख परिपालन प्रणालियों को भारतीय राष्ट्रीय उपग्रह स्थापित किया गया है। 1960 और 1970 के दशक के दौरान भारत ने भू राजनीतिक और आर्थिक विचारों के कारण अपना स्वयं का लॉन्च वाहन कार्यक्रम प्रारंभ किया। देश ने एक साउंडिंग रॉकेट प्रोग्राम विकसित किया और 1980 के दशक तक सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल – 3 और अधिक उन्नत, संवर्धित सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (ए एस एल वी) को परिचालन सहायक बुनियादी ढाँचे के साथ पूरा किया। सबसे पहले धुंबा को रॉकेट लॉन्चिग सेंटर के तौर पर चुना गया था। धरती की भू चुंबकीय भूमध्य रेखा धुंबा से गुजरती है। भारत ने पहला रॉकेट 21 नवंबर 1963 को लॉन्च किया था यानी मंगल यान से करीब 50 साल पहले। ये एक नाइक-अपाचे रॉकेट था। 1975 में भारत ने अपना पहला उपग्रह आर्यभट्ट लॉन्च किया और इस तरह अंतरिक्ष युग में प्रवेश किया। इसका वजन सिर्फ 360 किलोग्राम था और इसका नाम प्राचीन भारत के प्रसिद्ध खगोलविद आर्यभट्ट के नाम पर रखा गया था। भास्कर – 1 भारत का पहला रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट था, इस उपग्रह का कैमरा जो तस्वीरें भेजता था, उन्हें वन, पानी और सागरों के अध्ययन में इस्तेमाल किया जाता था। चंद्रयान का भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में महत्त्वपूर्ण स्थान है। चंद्रयान ने चंद्रमा की सतह पर पानी की खोज की थी। इसरो ने प्रक्षेपण यान प्रौद्योगिकी की उन्नति के लिए अपनी ऊर्जा को आगे बढ़ाया, जिसके परिणामस्वरूप पी एस एल वी और जी एस एल वी प्रौद्योगिकियों का निर्माण हुआ। पिछले साढ़े चार दशकों में भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम ने एक सुसंगठित, आत्मनिर्भर कार्यक्रम के माध्यम से प्रभावशाली प्रगति की है। प्रश्न 5. लता मंगेशकर ने अपनी संगीत यात्रा का प्रारंभ मराठी फिल्मों से किया। इन्होंने ‘हिंदुस्तान क्लासिकल म्यूजिक’ के उस्ताद अमानत अली खान से क्लासिकल संगीत सीखना शुरु किया। भारत बँटवारे के बाद उस्ताद अमानत अली खान के पाकिस्तान चले जाने के बाद लता ने बड़े गुलाम अली खान, पंडित तुलसीदास शर्मा तथा उस्ताद अमानत खान देवसल्ले से संगीत सीखा। गुलाम हैदर ने 1948 में लता को ‘मजबूर’ फिल्म में पहला ब्रेक दिया। तब से लेकर 1989 तक लता मंगेशकर ने 30000 से भी अधिक गाने गाए हैं, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है। इस दौर में हिंदी फिल्म इंडस्ट्री का शायद ही कोई ऐसा फिल्म निर्देशक और संगीत निर्देशक होगा, जिसके साथ लता जी ने काम न किया हो। लता मंगेशकर अत्यंत शांत स्वभाव और प्रतिभा की धनी हैं। उन्होंने रागों पर आधारित अनेक गाने गाए, तो दूसरी ओर ‘अल्लाह. तेरो नाम’ और ‘प्रभु तेरो नाम’ जैसे भजन भी गाए, वहीं 1963 में पंडित जवाहरलाल नेहरू की उपस्थिति में देश का सबसे जीवंत गीत ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ गाया। इस गाने को सुनते समय नेहरू जी की आँखों से आँसू बह निकले थे। लता मंगेशकर भारतीय संगीत में महत्त्वपूर्ण योगदान देने के लिए पद्मभूषण, पद्मविभूषण, दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड, महाराष्ट्र भूषण अवॉर्ड, भारतरत्न, 3 बार राष्ट्रीय फिल्म अवॉर्ड, बंगाल फिल्म पत्रकार संगठन अवॉर्ड, फिल्म फेअर लाइफटाइम अचीवमंट अवॉर्ड सहित अनेक अवॉर्ड जीत चुकी हैं। आज पूरी संगीत दुनिया उनके आगे नतमस्तक है। फीचर के प्रकार
फीचर लेखन Summary in Hindiफीचर लेखन का परिचय फीचर लेखन लेखक का नाम : फीचर लेखन प्रमुख कृतियाँ : फीचर लेखन विशेषता : फीचर लेखन विषय प्रवेश : फीचर लेखन पाठ का सार स्नेहा एक पत्रकार है। आज वह और उसका पूरा परिवार आनंद और गर्व की भावना से भरा है। पत्रकारिता के क्षेत्र में फीचर लेखन के लिए दिए जाने वाले ‘सर्वश्रेष्ठ फीचर लेखन’ के लिए स्नेहा को राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। आज उसके परिवार द्वारा एक पार्टी का आयोजन किया गया है। स्नेहा के पति, उसके सास-ससुर, पुत्री प्रिया और पुत्र नैतिक उसे बधाई दे रहे हैं। स्नेहा की आँखों में खुशी के आँसू हैं। स्नेहा अतीत में खो जाती है। बी. ए. कर लेने के बाद पिता द्वारा भविष्य के बारे में पूछने पर वह पत्रकारिता का कोर्स करने है की इच्छा प्रकट करती है, जिसे माता द्वारा भी समर्थन मिलता है। स्नेहा पत्रकारिता का कोर्स ज्वाइन कर लेती है। पत्रकारिता की कक्षा का प्रथम दिवस – पहले लेक्चर में प्रोफेसर ने पत्रकारिता पाठ्यक्रम का पहला पेपर पढ़ाना शुरु किया। विषय था – फीचर लेखन। उन्होंने फीचर लेखन की विभिन्न परिभाषाओं को समझाते हुए कहा – फीचर लेखन के क्षेत्र में चर्चित जेम्स डेविस कहते हैं – ‘फीचर समाचारों को नया आयाम देता है, उनका परीक्षण करता है तथा उन पर नया प्रकाश डालता है।’ स्नेहा की फीचर लेखन में विशेष रुचि थी। उसके द्वारा प्रसिद्ध फीचर लेखक पी. डी. टंडन का उल्लेख करने पर प्रोफेसर ने बताया कि पी. डी. टंडन के अनुसार ‘फीचर किसी गद्य गीत की तरह होता है, जो बहुत लंबा, नीरस और गंभीर नहीं होना चाहिए। इससे पाठक बोर हो जाते हैं और ऐसे फीचर कोई पढ़ना नहीं चाहता। फीचर किसी विषय का मनोरंजक शैली में विस्तृत विवेचन है।’ इन परिभाषाओं के द्वारा स्नेहा अच्छी तरह समझ गई कि फीचर समाचारपत्र का प्राण तत्त्व होता है। पाठक की प्यास बुझाने, घटना की मनोरंजनात्मक अभिव्यक्ति की कला का नाम फीचर है। पत्रकारिता कोर्स के बीतते दिन-महीने, फीचर लेखन के संबंध में सुने हुए लेक्चर्स, प्रोफेसरों के साथ की गई चर्चाएँ, अध्ययन, परीक्षा, फीचर लेखन का प्रारंभ फीचर लेखन और आज का दिन। फीचर लेखन की सिद्धहस्त लेखिका बनना ही स्नेहा का एकमात्र सपना था। स्नेहा को याद आ रहा है वह दिन जब उसे पत्रकारिता कोर्स में फीचर लेखन पर व्याख्यान देने के लिए बुलाया गया था। आज उसे अपना परिश्रम सार्थक होता नजर आ रहा था। रोचक प्रसंगों के साथ स्नेहा फीचर लेखन की विशेषताएँ बताने लगी – अच्छा फीचर नवीनतम जानकारी से परिपूर्ण होता है। किसी घटना की सत्यता, तथ्यता फीचर का मुख्य तत्त्व है। फीचर लेखन में राष्ट्रीय स्तर के तथा अन्य महत्त्वपूर्ण विषयों का समावेश होना चाहिए क्योंकि समाचारपत्र दूर-दूर तक जाते हैं। साथ ही फीचर का विषय समसामयिक होना चाहिए। फीचर लेखन में भावप्रधानता होनी चाहिए, क्योंकि नीरस फीचर कोई भी नहीं पढ़ना चाहता। फीचर से संबंधित तथ्यों का आधार दिया जाना चाहिए। विश्वसनीयता के लिए फीचर में तार्किकता आवश्यक है। तार्किकता के बिना फीचर अविश्वसनीय बन जाता है। फीचर में विषय की नवीनता होना आवश्यक है क्योंकि उसके अभाव में फीचर अपठनीय हो जाता है। फीचर में किसी व्यक्ति अथवा घटना विशेष का उदाहरण दिया गया हो तो उसकी संक्षिप्त जानकारी भी देनी चाहिए। फीचर लेखन करते समय लेखक को पाठक की मानसिक योग्यता और शैक्षिक पृष्ठभूमि को ध्यान में रखना चाहिए। प्रसिद्ध व्यक्तियों के कथनों, उद्धरणों, लोकोक्तियों और मुहावरों का प्रयोग फीचर में चार चाँद लगा देता है। फीचर लेखक को निष्पक्ष रूप से अपना मत व्यक्त करना चाहिए तभी पाठक उसके विचारों से सहमत हो सकेगा। फीचर लेखन में शब्द चयन अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। लेखन की भाषा सहज, संप्रेषणीयता से परिपूर्ण होनी चाहिए। फीचर के विषयानुकूल चित्रों, कार्टूनों अथवा फोटो का उपयोग किया जाए तो फीचर अधिक प्रभावशाली बन जाता है। एक विद्यार्थी के पूछने पर स्नेहा बताती है कि फीचर किसी विशेष घटना, व्यक्ति, जीव-जंतु, तीज-त्योहार, दिन, स्थान, प्रकृतिपरिवेश से संबंधित व्यक्तिगत अनुभूतियों पर आधारित आलेख होता है। इस आलेख को कल्पनाशीलता, सृजनात्मक कौशल के साथ मनोरंजक और आकर्षक शैली में प्रस्तुत किया जाता है। फीचर अनेक प्रकार के हो सकते हैं। फीचर लेखन मुख्य रूप से –
स्नेहा ने आगे फीचर लेखन करते समय बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में बताया :
इन सभी सावधानियों को ध्यान रखेंगे तो फीचर लेखन अधिकाधिक विश्वसनीय और प्रभावी बन सकता है। फीचर लेखन की प्रक्रिया पर प्रकाश डालते हुए स्नेहा ने बताया कि फीचर लेखन के मुख्य तीन अंग हैं :
एक अन्य विद्यार्थी की जिज्ञासा शांत करते हुए स्नेहा ने बताया – निम्न चार सोपानों अथवा चरणों के आधार पर फीचर लिखा जाता है :
फीचर लेखन शब्दार्थ
फीचर लेखन पाठ के लेखक का नाम क्या है?(४) शीर्षक तथा आमुख : किसी अच्छे समाचार की तरह ही अच्छे फीचर का शीर्षक और आमुख भी उपयुक्त ढंग से लिखा जाना चाहिए। अच्छे शीर्षक से पाठक सहज रूप से फीचर की ओर आकर्षित हो सकता है। खराब शीर्षक के कारण यह भी हो सकता है कि पाठक का ध्यान उसकी ओर जाए ही नहीं।
फीचर लेखन का दूसरा नाम क्या है?फीचर को अंग्रेजी शब्द फीचर के पर्याय के तौर पर फीचर कहा जाता है। हिन्दी में फीचर के लिये रुपक शब्द का प्रयोग किया जाता है लेकिन फीचर के लिये हिन्दी में प्रायः फीचर शब्द का ही प्रयोग होता है। फीचर का सामान्य अर्थ होता है – किसी प्रकरण संबंधी विषय पर प्रकाशित आलेख है।
फीचर लेखन कहानी में स्नेहा की बेटी का नाम क्या है?बेटी के नाम पिता के पत्र
3 फीचर लेखन की प्रक्रिया के मुख्य अंग कितने हैं?फीचर लेखन का आयोजन चार चरणों में संपूर्ण होता है –. विषय वस्तु का चयन. सामग्री का चयन. फीचर का चयन. शीर्षक. निष्कर्ष. |