फुफ्फुस में कूपिकाओं की तथा वृक्क में वृक्काणु (नेफ्रान) की रचना तथा क्रियाविधि की तुलना - phuphphus mein koopikaon kee tatha vrkk mein vrkkaanu (nephraan) kee rachana tatha kriyaavidhi kee tulana

विज्ञान

Q.34: फुफ्फुस में कूपिकाओं की तथा वृक्क में वृक्काणु (नेफ्रॉन) की रचना तथा क्रिया विधि की तुलना कीजिए।

उत्तर :

फुस्फुस में कूपिकाएं

  1. मानव शरीर में विद्यमान दोनों फेफड़ों में बहुत अधिक संख्या में कूपिकाएं होती हैं।
  2. प्रत्येक कृपिका प्याले के आकार जैसी होती है।
  3. कूपिका दोहरी दीवार से निर्मित होती है।
  4. कूपिका की दोनों दीवारों के बीच रुधिर कोशिकाओं का सघन जाल बिछा रहता है।
  5. कूपिकाएं वायु भरने पर फैल जाती हैं।
  6. यहां रुधिर की लाल रुधिर कणिकाओं में हीमोग्लोबिन ऑक्सीजन प्राप्त कर लेती है तथा प्लाज्मा में उपस्थित कार्बन डाइऑक्साइड कूपिका में चली जाती है।
  7. कूपिकाओं में गैसीय आदान-प्रदान के बाद फेफडे के संकुचन से कूपिकाओं में भरी वायु शरीर के बाहर निकल जाती है।

वृक्क में वृक्काणु

  1. मानव शरीर में वृक्क संख्या में दो होते हैं। प्रत्येक वृक्क में लगभग 10 लाख वृक्काणु होते हैं।
  2. प्रत्येक वृक्काणु महीन धागे की आकृति जैसा होता है।
  3. वृक्काणु के एक सिरे पर प्याले के आकार की मैल्पीघियन सम्पुट विद्यमान होती है।
  4. बोमैन सम्पुट में रुधिर कोशिकाओं का गुच्छ उपस्थित होता है जिसे कोशिका गुच्छ कहते हैं।
  5. वृक्काणु में ऐसी क्रिया नहीं होती।
  6. कोशिका गुच्छ में रुधिर में उपस्थित वज् पदार्थ छन जाते हैं।
  7. मूत्र निवाहिका से मूत्र बहकर मूत्राशय में इकट्ठा हो जाता है और वहां से मूत्रमार्ग द्वारा शरीर के बाहर निकाल दिया जाता है।


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