फ़्रांस की क्रांति के परिणाम | Consequences of the French Revolution Show फ़्रांस की क्रांति के परिणामfrance ki kranti ke parinam;फ्रांस की क्रांति एक युग परिवर्तनकारी घटना थी कुछ इतिहासकारों के अनुसार या एक जनतंत्र विरोधी और प्रगतिशील तथा अराजकतावादी आंदोलन था। इतिहासकार है हेजन के अनुसार, " फ्रांस की क्रांति ने राज्य के संबंध में एक नई धारणा को जन्म दिया राजनीतिक तथा समाज के विषय में नए सिद्धांत प्रतिपादित किए जीवन का एक नया दृष्टिकोण सामने रखा और एक नई आशा तथा विश्वास उत्पन्न किया इन सब से बहुमत जनता की कल्पना और विचार प्रज्वलित हुए उनमें एक आदित्य उत्साह का संचार हुआ तथा हसीन आशाओं ने उन्हें अनुप्राणित किया।" फ्रांस की क्रांति के परिणाम(1) सामंत शाही का अंत फ्रांसीसी क्रांति की महत्वपूर्ण इन सामंती व्यवस्था का अंत करना था। इस व्यवस्था के अंतर्गत बहुत वर्षों तक सामान्य जनता का शोषण किया गया आर्थिक शोषण तो इस व्यवस्था की चरित्रिक विशेषता थी फ्रांस की क्रांति द्वारा विशेष अधिकारों का अंत करके समानता के सिद्धांत का प्रतिपादन किया गया। क्रांति का अन्य देशों पर भी प्रभाव पड़ा कि यूरोप के अन्य देशों में भी धीरे-धीरे सामंत शाही का अंत हो गया। (2) धर्मनिरपेक्ष राज्य की स्थापना इस क्रांति का परिणाम स्वरुप यूरोपीय देश में धार्मिक सहिष्णुता का दुष्प्रभाव हुआ एवं लोगों को धार्मिक उपासना की सुंदरता प्राप्त हुई तथा धारण के संबंध में राजा का कोई हस्तक्षेप नहीं रहा। (3) सामाजिक समानता एवं राष्ट्रीय बंधुत्व की भावना का विकास क्रांति के समय कांति कार्यों द्वारा इन्हें 3 सिद्धांतों के प्रसार को अपना ध्येय बनाया गया। क्रांति ने राजनीतिक आर्थिक सामाजिक तथा धार्मिक दृष्टि से प्रत्येक नागरिक को पूर्ण रूप से स्वतंत्रता का अधिकार प्रदान किया। स्वतंत्रता समानता और बंधुत्व का प्रचार केवल फ्रांस में ही नहीं अपितु समस्त यूरोप में किया गया। (4) राष्ट्रीयता की भावना का विकास इस क्रांति की एक महत्वपूर्ण दिन नागरिक के हृदय में अपने देश की सुरक्षा के लिए राष्ट्रीयता की भावना उत्पन्न करना है जब विदेशी सेनाओं ने राजतंत्र की सुरक्षा के लिए फ्रांस पर आक्रमण किया तो उस समय किसान मजदूर एवं अन्य लोगों ने सेना में भर्ती होकर अत्यंत वीरता के साथ विदेशी सेनाओं का सामना किया तथा विजय प्राप्त की। राष्ट्रीयता की भावना यूरोप के अन्य देशों में भी व्याप्त होती गई 1830 ई. से 1848 ई. की व्यापक क्रांतियां तथा 1870-71 में इटली और जर्मनी के एकीकरण इसके प्रमुख उदाहरण हैं। (5) लोकप्रिय संप्रभुता के सिद्धांत का प्रतिपादन इस क्रांति के द्वारा राजनीतिक दृष्टि से राजाओं के अधिकार के सिद्धांत का अंत करके लोकप्रिय सिद्धांत का प्रतिपादन किया गया। सर्वसाधारण द्वारा देश की राजनीति में प्रत्यक्ष रूप से हिस्सा बताने में उनमें आत्मविश्वास की भावना का संचार हुआ। (6) समाजवाद की स्थापना कुछ इतिहासकारों के अनुसार फ्रांस की क्रांति समाजवादी विचारधारा का स्रोत थी। इस घोषणा में
स्पष्ट रूप से कहा गया कि "सभी मनुष्य समान है तथा उनकी उन्नति का अवसर प्रत्येक को समान रूप से दिया जाना चाहिए।" विशेषाधिकार ई युक्त वर्ग का अंत करने के लिए 4 अगस्त 1789 ई. को प्रस्ताव पास किया गया जिसके द्वारा कुलीन वर्ग का अंत हो गया अब कुलीन लोग साधारण वर्क के समान ही थे तथा अब वेद दरिद्र किसानों पर अत्याचार नहीं कर सकते थे दास प्रथा का भी अंत हो गया। जागीरदारों ने जनता के रुख को देखकर स्वयं ही अपना विशेष अधिकार त्याग दिए तथा फ्रांस में असमानता समाप्त हो गई। फ्रांस की क्रांति ने शिक्षा को चर्च के अधिपत्य से निकालकर उसे राष्ट्रीय सार्वभौमिक तथा धर्मनिरपेक्ष बनाया साथ ही पुरातन व्यवस्था के अंधविश्वासों को नष्ट किया यूरोप साहित्य में स्वच्छंदतावाद ई आंदोलन भी क्रांति का ही परिणाम था। इन्हे भी पढें :-
फ्रांसीसी क्रांति के क्या परिणाम हुए थे?क्रान्ति के फलस्वरूप राजा को गद्दी से हटा दिया गया, एक गणतंत्र की स्थापना हुई, खूनी संघर्षों का दौर चला, और अन्ततः नेपोलियन की तानाशाही स्थापित हुई जिससे इस क्रान्ति के अनेकों मूल्यों का पश्चिमी यूरोप में तथा उसके बाहर प्रसार हुआ। इस क्रान्ति ने आधुनिक इतिहास की दिशा बदल दी।
फ्रांस की क्रांति का नारा क्या है?Answer: फ्रांसीसी क्रांति का नारा स्वतंत्रता, समानता और बन्धुत्वता था।
1789 की फ्रांसीसी क्रांति का यूरोप पर क्या प्रभाव पड़ा?क्रांति के फलस्वरूप यूरोप भर में निरंकुश शासन की नींव हिल गई। राष्ट्रीय एकता और संवैधानिक स्वतंत्रता के विचार पनपने लगे फलस्वरूप यूरोप के देशों में वैधानिक शासन का विकास हुआ। सार्डिनिया, स्विट्जरलैण्ड, फ्रांस, हॉलैण्ड में वैधानिक शासन की स्थापना के लिए जन आंदोलन हुआ और उन्हें सफलता भी मिली।
1848 की फ्रांसीसी क्रांति के क्या कारण है?उत्तर-1848 ई. की क्रान्ति का मुख्य कारण लुई फिलिप की आन्तरिक और बाह्य नीतियाँ थीं, जिनके कारण फ्रांस में उसका शासन अलोकप्रिय हो गया। 1848 ई. में फ्रांस में जो क्रान्ति हुई, वह केवल फ्रांस तक ही सीमित नहीं रही, वरन् इस क्रान्ति की चपेट में सम्पूर्ण यूरोप आ गया।
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