गुजरात का सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्र कौन सा है? - gujaraat ka sabase mahatvapoorn kshetr kaun sa hai?

गुजरात के महत्वपूर्ण तथ्य

राज्यपाल ओम प्रकाश कोहली मुख्यमंत्री विजय रूपानी आधिकारिक वेबसाइट www.gujaratindia.com स्थापना का दिन 1 मई, 1960 क्षेत्रफल 1,96,024 वर्ग किमी घनत्व 308 प्रति वर्ग किमी जनसंख्या (2011) 60,439,692 पुरुषों की जनसंख्या (2011) 31,491,260 महिलाओं की जनसंख्या (2011) 28,948,432 जिले 33 राजधानी नदियाँ साबरमती, माही, नर्मदा, ताप्ती, दमनगंगा, सरस्वती वन एवं राष्ट्रीय उद्यान गिर राष्ट्रीय उद्यान, वाइल्ड एस अभयारण्य कच्छ, नल सरोवर पक्षी अभयारण्य, कृष्णमृग राष्ट्रीय उद्यान, वेलावदार राष्ट्रीय उद्यान, बंसदा राष्ट्रीय उद्यान भाषाएँ अंग्रेजी, गुजराती, सिंधी, मारवाड़ी, कच्छी, उर्दू, हिन्दी, सौराष्ट्र, वासवी पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, दमन और दीव, दादरा और नागर हवेली राजकीय पशु एशियाई शेर राजकीय पक्षी ग्रेटर फ्लेमिंगो राजकीय वृक्ष आम राजकीय फूल मैरीगोल्ड नेट राज्य घरेलू उत्पाद (2011) 75115 साक्षरता दर (2011) 76.64% 1000 पुरुषों पर महिलायें 918 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र 182 संसदीय निर्वाचन क्षेत्र 26

गुजरात, भारत का एक राज्य है। कच्छ, सौराष्ट्र, काठियावाड, हालार, पांचाल, गोहिलवाड, झालावाड और गुजरात उसके प्रादेशिक सांस्कृतिक अंग हैं। इनकी लोक संस्कृति और साहित्य का अनुबन्ध राजस्थान, सिंध और पंजाब, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के साथ है। विशाल सागर तट वाले इस राज्य में इतिहास युग के आरम्भ होने से पूर्व ही अनेक विदेशी जातियाँ थल और समुद्र मार्ग से आकर स्थायी रूप से बसी हुई हैं। इसके उपरांत गुजरात में अट्ठाइस आदिवासी जातियां हैं। जन-समाज के ऐसे वैविध्य के कारण इस प्रदेश को भाँति-भाँति की लोक संस्कृतियों का लाभ मिला है।

गुजरात नाम, गुर्जरत्रा से आया है। गुर्जरों का साम्राज्य ६ठीं से १२वीं सदी तक गुर्जरत्रा के नाम से जाना जाता था गुर्जर राजाओं के राज्य के कारण इसे गुर्जरत्रा कहा गया हैं। [8] प्राचीन महाकवि राजसेखर ने गुर्जर प्रतिहार का सम्बन्ध सूर्यवंश या रघुवंश से बताया है।[9] कुछ विद्वान इन्हे मध्य-एशिया से आये आर्य भी बताते है। किंतु इस पर पूर्ण रूप से विश्वास नहीं किया जा सकता गुर्जरों की संस्कृति को देख यही प्रतीत होता है की वो भारत के मूल निवासी हैं।

गुजरात का इतिहास पाषाण युग के बस्तियों के साथ शुरू हुआ, इसके बाद चोलकोथिक और कांस्य युग के बस्तियों जैसे सिंधु घाटी सभ्यता।[10] गुजरात का इतिहास ईसवी पूर्व लगभग २,००० वर्ष पुराना है। माना जाता है कि कृष्‍ण मथुरा छोड़कर सौराष्‍ट्र के पश्चिमी तट पर जा बसे, जो द्वारिका यानी प्रवेशद्वार कहलाया। बाद के वर्षो में मौर्य, गुप्त, गुर्जर प्रतिहार तथा अन्‍य अनेक राजवंशों ने इस प्रदेश पर राज किया। चालुक्य राजवंश अर्थात् सोलंकी गुर्जरो का शासनकाल गुजरात में प्रगति और समृद्ध का युग था। महमूद गजनवी की लूटपाट के बावजूद चालुक्य राजवंशो ने यहां के लोगों की समृद्धि और भलाई का पूरा ध्‍यान रखा।

स्वतन्त्रता से पहले गुजरात का वर्तमान क्षेत्र मुख्‍य रूप से दो भागों में विभक्त था- एक ब्रिटिश क्षेत्र और दूसरा देसी रियासतें। राज्‍यों के पुनर्गठन के कारण सौराष्‍ट्र के राज्‍यों और कच्‍छ के केन्द्र शासित प्रदेश के साथ पूर्व ब्रिटिश गुजरात को मिलाकर द्विभाषी बम्बई राज्‍य का गठन हुआ। १ मई १९६० को वर्तमान गुजरात[11] राज्‍य अस्तित्‍व में आया। गुजरात भारत के पश्चिमी तट पर स्थित है। इसके पश्चिम में अरब सागर, उत्तर में पाकिस्‍तान तथा उत्तर-पूर्व में राजस्‍थान, दक्षिण-पूर्व में मध्‍यप्रदेश और दक्षिण में महाराष्‍ट्र है। राज्य का भौगोलिक क्षेत्रफल 1,96,024 वर्ग किमी है।

गुजरात कपास, तम्बाकू और मूँगफली का उत्‍पादन करने वाला देश का प्रमुख राज्‍य है तथा यह कपड़ा, तेल और साबुन जैसे महत्‍वपूर्ण उद्योगों के लिए कच्‍चा माल उपलब्‍ध कराता है। यहाँ की अन्‍य महत्‍वपूर्ण नकदी फसलें हैं - इसबगोल, धान, गेहूँ और बाजरा। गुजरात के वनों में उपलबध वृक्षों की जातियाँ हैं-सागवान, खैर, हलदरियो, सादाद और बाँस।

राज्‍य में औद्योगिक ढाँचे में धीरे-धीरे विविधता आती जा रही है और यहाँ रसायन, पेट्रो-रसायन, उर्वरक, इंजीनियरिंग, इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स आदि उद्योगों का विकास हो रहा है। २००४ के अन्त में राज्‍य में पंजीकृत चालू फैक्‍टरियों की संख्‍या २१,५३६ (अस्‍थाई) थी जिनमें औसतन ९.२७ लाख दैनिक श्रमिकों को रोजगार मिला हुआ था। मार्च, २००५ तक राज्‍य में २.९९ लाख लघु औद्योगिक इकाइयों का पंजीकरण हो चुका था। गुजरात औद्योगिक विकास निगम को ढाँचागत सुविधाओ के साथ औद्योगिक सम्पदाओं के वि‍कास की भूमिका सौंपी गई है। दिसंबर, २००५ तक गुजरात औद्योगिक विकास निगम ने २३७ औद्योगिक सम्पदाएँ स्‍थापित की थी।

राज्‍य में भूतलीय जल तथा भूमिगत जल द्वारा कुल सिंचाई क्षमता ६४.४८ लाख हेक्‍टेयर आंकी गई है जिसमें सरदार सरोवर (नर्मदा) परियोजना की १७.९२ लाख हेक्‍टेयर क्षमता भी सम्मिलित है। राज्‍य में जून २००५ तक कुल सिंचाई क्षमता ४०.३४ लाख हेक्‍टेयर क्षमता भी सम्मिलित है। राज्‍य में जून २००७ तक कुल सिंचाई क्षमता ४२.२६ लाख हेक्‍टेयर तक पहुँच गई थी। जून २००७ तक अधिकतम उपयोग क्षमता ३७.३३ लाख हेक्‍टेयर आँकी गई।

सड़कें

२००५-०६ के अन्त में राज्य में सड़कों की कुल लम्बाई (गैर योजना, सामुदायिक, नगरीय और परियोजना सड़कों के अतिरिक्त) लगभग ७४,०३८ किलोमीटर थी।

उड्डयन

राज्‍य के अहमदाबाद स्थित मुख्‍य हवाई अड्डे से मुम्बई, दिल्‍ली और अन्‍य नगरों के लिए दैनिक विमान सेवा उपलब्‍ध है। अहमदाबाद हवाई अड्डे को अब अन्तरराष्‍ट्रीय हवाई अड्डे का दर्जा मिल गया हैं। अन्‍य हवाई अड्डे वड़ोदरा, भावनगर, भुज, सूरत, जामनगर, काण्डला, केशोद, पोरबन्दर और राजकोट में है।

रेल

गुजरात का सबसे व्यस्त रेलवे स्टेशन वडोदरा जंक्शन है। यहाँ से हर रोज १५० से भी ज्यादा ट्रेन पसर होती है और भारत के लगभग हर एक कोने में जाने के लिए यहाँ से ट्रेन उपलब्ध होती है। वडोदरा के अलावा गुजरात के बड़े स्टेशनों में अहमदाबाद, सूरत, राजकोट, भुज और भावनगर का समावेश होता है। गुजरात भारतीय रेल के पश्चिम रेलवे ज़ोन में पड़ता है।

बन्दरगाह

गुजरात में कुल ४० बन्दरगाह हैं। काण्डला राज्‍य का प्रमुख बन्दरगाह है। वर्ष २००४-०५ के दौरान गुजरात के मंझोले और छोटे बन्दरगाहों से कुल ९७१.२८ लाख टन माल ढोया गया जबकि काण्डला बन्दरगाह से ४१५.५१ लाख टन माल ढोया गया।

भाद्रपद्र (अगस्‍त-सितंबर) मास के शुक्‍ल पक्ष में चतुर्थी, पंचमी और षष्‍ठी के दिवस तरणेतर गांव में भगवान शिव की स्‍तुति में तरणेतर मेला लगता है। भगवान कृष्‍ण द्वारा रुक्‍मणी से विवाह के उपलक्ष्‍य में चैत्र (मार्च-अप्रैल) के शुक्‍ल पक्ष की नवमी को पोरबंदर के पास माधवपूर में माधावराय मेला लगता है। उत्तरी गुजरात के बनासकांठा जिले में हर वर्ष मां अंबा को समर्पित अंबा जी मेला आयेजित किया जाता हैं। राज्‍य का सबसे बड़ा वार्षिक मेला द्वारिका और डाकोर में भगवान कृष्‍ण के जन्‍मदिवस जन्‍माष्‍टमी के अवसर पर बड़े हर्षोल्‍लास से आयोजित होता है। इसके अलावा गुजरात में मकर सक्रांति, नवरात्रि, डांगी दरबार, शामलाजी मेले तथा भावनाथ मेले का भी आयोजन किया जाता हैं।

राज्‍य में द्वारका, सोमनाथ, पालीताना, पावागढ़, अंबाजी भद्रेश्‍वर, शामलाजी,बगदाणा,वीरपुर,खेरालु (सूर्यमंदिर),मोढेरा (सूर्यमंदिर) तारंगा,निष्कलंक महादेव,राजपरा (भावनगर),बहुचराजी, और गिरनार जैसे धार्मिक स्‍थलों के अलावा महात्‍मा गांधी की जन्‍मभूमि पोरबंदर तथा पुरातत्‍व और वास्‍तुकला की दृष्टि से उल्‍लेखनीय पाटन, सिद्धपुर, घुरनली, दभेई, बडनगर, मोधेरा, लोथल और अहमदाबाद जैसे स्‍थान भी हैं। अहमदपुर मांडवी, चारबाड़ उभारत और तीथल के सुंदर समुद्री तट, सतपुड़ा पर्वतीय स्‍थल, गिर वनों के शेरों का अभयारण्‍य और कच्‍छ में जंगली गधों का अभयारण्‍य भी पर्यटकों के आकर्षण का केद्र हैं। इसके अलावा गुजरात के स्थानीय व्यंजन के जायके भी गुजरात की खूबसूरती को और बढ़ाते है। गुजरात के पाटण में स्थित रानी की वाव यूनेस्को विश्व विरासत स्थल सूची में शामिल है।

राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त राज्यपाल गुजरात के प्रशासन का प्रमुख होता है। मुख्यमंत्री के नेतृत्व में मंत्रिमंडल राज्यपाल को उसके कामकाज में सहयोग और सलाह देता है। राज्य में एक निर्वाचित निकाय एकसदनात्मक विधानसभा है। उच्च न्यायालय राज्य की सर्वोपरि न्यायिक सत्ता है, जबकि नगर न्यायालय, ज़िला व सत्र न्यायाधीशों के न्यायालय और प्रत्येक ज़िले में दीवानी मामलों के न्यायाधीशों के न्यायालय हैं। राज्य को 34 प्रशासनिक ज़िलों में बांटा गया है। अहमदाबाद, अमरेली, बनास कंठा, भरूच, भावनगर, डेंग, गाँधीनगर, खेड़ा, महेसाणा, पंचमहल, राजकोट, साबर कंठा, सूरत सुरेंद्रनगर, वडोदरा, महीसागर, वलसाड, नवसारी, नर्मदा, दोहद, आनंद, पाटन, जामनगर, पोरबंदर, जूनागढ़ और कच्छ, प्रत्येक ज़िले का राजस्व और सामान्य प्रशासन ज़िलाधीश की देखरेख में होता है, जो क़ानून और व्यवस्था भी बनाए रखता है। स्थानीय प्रशासन में आम लोगों को शामिल करने के लिए 1963 में पंचायत द्वारा प्रशासन की शुरुआत की गई।

स्वास्थ्य और चिकित्सा सेवाओं में मलेरिया, तपेदिक, कुष्ठ और अन्य संक्रामक रोगों के उन्मूलन के साथ-साथ पेयजल की आपूर्ति में सुधार और खाद्य सामग्री में मिलावट को रोकने के कार्यक्रम शामिल हैं। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, अस्पतालों और चिकित्सा महाविद्यालयों के विस्तार के लिए भी क़दम उठाए गए हैं।

बच्चों, महिलाओं और विकलांगों, वृद्ध, असहाय, परित्यक्त के साथ-साथ अपराधी भिखारी, अनाथ और जेल से छुटे लोगों की कल्याण आवश्यकताओं की देखरेख विभिन्न राजकीय संस्थाएं करती हैं। राज्य में तथाकथित पिछड़े वर्ग के लोगों की शिक्षा, आर्थिक विकास, स्वास्थ्य और आवास की देखरेख के लिए एक अलग विभाग है।

गुजराती जनसंख्या में विविध जातीय समूह का मोटे तौर पर इंडिक / भारतोद्भव (उत्तरी मूल) या द्रविड़ (दक्षिणी मूल) के रूप में वर्गीकरण किया जा सकता है। पहले वर्ग में नगर ब्राह्मण, भटिया, भदेला, राबरी और मीणा जातियां (पारसी, मूल रूप से फ़ारस से, परवर्ती उत्तरी आगमन का प्रतिनिधित्व करते हैं), जबकि दक्षिणी मूल के लोगों में वाल्मीकि, कोली, डबला, नायकदा व मच्छि-खरवा जनजातिया हैं। शेष जनसंख्या में आदिवासी भील मिश्रित विशेषताएं दर्शाते हैं। अनुसूचित जनजाति और आदिवासी जनजाति के सदस्य प्रदेश की जनसंख्या का लगभग पाँचवां हिस्सा हैं। यहाँ डेंग ज़िला पूर्णत: आदिवासी युक्त ज़िला है। अहमदाबाद ज़िले में अनुसूचित जनजाति का अनुपात सर्वाधिक है। गुजरात में जनसंख्या का मुख्य संकेंद्रण अहमदाबाद, खेड़ा, वडोदरा, सूरत और वल्सर के मैदानी क्षेत्र में देखा जा सकता है। यह क्षेत्र कृषि के दृष्टिकोण से उर्वर है और अत्यधिक औद्योगीकृत है। जनसंख्या का एक अन्य संकेंद्रण मंगरोल से महुवा तक और राजकोट एवं जामनगर के आसपास के हिस्सों सहित सौराष्ट्र के दक्षिणी तटीय क्षेत्रों में देखा जा सकता है। जनसंख्या का वितरण उत्तर (कच्छ) और पूर्वी पर्वतीय क्षेत्रों की ओर क्रमश कम होता जाता है। जनसंख्या का औसत घनत्व 258 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी (2001) है और दशकीय वृद्धि दर 2001 में 22.48 प्रतिशत पाई गई।

500 या इससे ज़्यादा जनसंख्या वाले लगभग सभी गाँवों में सात से ग्यारह वर्ष के सभी बच्चों के लिए प्राथमिक पाठशालाएँ खोली जा चुकी हैं। आदिवासी बच्चों को कला और शिल्प की शिक्षा देने के लिए विशेष विद्यालय चलाए जाते हैं। यहाँ अनेक माध्यमिक और उच्चतर विद्यालयों के साथ-साथ नौ विश्वविद्यालय और उच्च शिक्षा के लिए बड़ी संख्या में शिक्षण संस्थान हैं। अभियांत्रिकी महाविद्यालयों और तकनीकी विद्यालयों द्वारा तकनीकी शिक्षा उपलब्ध कराई जाती है। शोध संस्थानों में अहमदाबाद में फ़िज़िकल रिसर्च लेबोरेटरी अहमदाबाद टेक्सटाइल इंडस्ट्रीज़ रिसर्च एशोसिएशन, सेठ भोलाभाई जेसिंगभाई इंस्टिट्यूट ऑफ़ लर्निंग ऐंड रिसर्च, द इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट, द नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ डिज़ाइन और द सरदार पटेल इंस्टिट्यूट ऑफ़ इकोनॉमिक ऐंड सोशल रिसर्च, वडोदरा में ओरिएंटल इंस्टिट्यूट तथा भावनगर में सेंट्रल साल्ट ऐंड मॅरीन केमिकल रिसर्च इंस्टिट्यूट एवम वङोदरा में देश की पहली रेलवे यूनिवर्सिटी शामिल हैं।

गुजराती और हिन्दी राज्य की अधिकृत भाषाएं हैं। दोनों में गुजराती का ज़्यादा व्यापक इस्तेमाल होता है, जो संस्कृत के अलावा प्राचीन भारतीय मूल भाषा प्राकृत और 10 वीं शताब्दी के बीच उत्तरी और पश्चिमी भारत में बोली जाने वाली अपभ्रंश भाषा से व्युत्पन्न एक भारतीय-आर्य भाषा है। समुद्र मार्ग से गुजरात के विदेशों से संपर्क ने फ़ारसी, अरबी, तुर्की, पुर्तग़ाली और अंग्रेज़ी शब्दों से इसका परिचय करवाया। गुजराती में महात्मा गांधी की विलक्षण रचनाएं अपनी सादगी और ऊर्जस्विता के लिए प्रसिद्ध हैं। इन रचनाओं ने आधुनिक गुजराती गद्य पर ज़बरदस्त प्रभाव डाला है। गुजरात में राजभाषा गुजराती भाषा के अतिरिक्त हिन्दी, मराठी और अंग्रेज़ी का प्रचलन है। गुजराती भाषा नवीन भारतीय–आर्य भाषाओं के दक्षिण–पश्चिमी समूह से सम्बन्धित है। इतालवी विद्वान तेस्सितोरी ने प्राचीन गुजराती को प्राचीन पश्चिमी राजस्थानी भी कहा, क्योंकि उनके काल में इस भाषा का उपयोग उस क्षेत्र में भी होता था, जिसे अब राजस्थान राज्य कहा जाता है।

गुजरात में अधिकांश जनसंख्या हिन्दू धर्म को मानती है, जबकि कुछ संख्या इस्लाम, जैन और पारसी धर्म मानने वालों की भी है। २१वीं सदी की शुरुआत में अयोध्या से लौट रहे कारसेवकों को गोधरा में रेलबोगी में जिन्दा जला दिए जाने के बाद यहाँ सांप्रदायिक दंगे हुए। इन दंगो की जांच के लिए केन्द्र सरकार द्वारा जस्टिस नानावटी आयोग की नियुक्ति की गई। [12]

गुजरात की अधिकांश लोक संस्कृति और लोकगीत हिन्दू धार्मिक साहित्य पुराण में वर्णित भगवान कृष्ण से जुड़ी किंवदंतियों से प्रतिबिंबित होती है। कृष्ण के सम्मान में किया जाने वाला रासनृत्य और रासलीला प्रसिद्ध लोकनृत्य "गरबा" के रूप में अब भी प्रचलित है। यह नृत्य देवी दुर्गा के नवरात्र पर्व में किया जाता है। एक लोक नाट्य भवई भी अभी अस्तित्व में है।

गुजरात में शैववाद के साथ-साथ वैष्णववाद भी लंबे समय से फलता-फूलता रहा है, जिनसे भक्ति मत का उद्भव हुआ। प्रमुख संतों, कवियों और संगीतज्ञों में 15वीं सदी में पदों के रचयिता नरसी मेहता, अपने महल को त्यागने वाली 16वीं सदी की राजपूत राजकुमारी व भजनों की रचनाकार मीराबाई, 18वीं सदी के कवि और लेखक प्रेमानंद और भक्ति मत को लोकप्रिय बनाने वाले गीतकार दयाराम शामिल हैं। भारत में अन्य जगहों की तुलना में अहिंसा और शाकाहार की विशिष्टता वाले जैन धर्म ने गुजरात में गहरी जड़े जमाई। ज़रथुस्त्र के अनुयायी पारसी 17वीं सदी के बाद किसी समय फ़ारस से भागकर सबसे पहले गुजरात के तट पर ही बसे थे।

इस समुदाय के अधिकांश लोग बाद में बंबई (वर्तमान मुंबई) चले गए। कृष्ण, दयानन्द सरस्वती, महात्मा गाँधी, सरदार पटेल तथा सुप्रसिद्ध क्रिकेट खिलाड़ी रणजी जैसे व्यक्तित्व ने प्रदेश के समाज को गौरवांवित किया। गुजरात की संस्कृति में मुख्यत: शीशे का काम तथा 'गरबा' एवं 'रास' नृत्य पूरे भारत में प्रसिद्ध है। प्रदेश का सर्वप्रमुख लोक नृत्य गरबा तथा डांडिया है। गरबा नृत्य में स्त्रियाँ सिर पर छिद्रयुक्त पात्र लेकर नृत्य करती हैं, जिस के भीतर दीप जलता है। डांडिया में अक्सर पुरुष भाग लेते हैं परंतु कभी-कभी स्त्री-पुरुष दोनों मिलकर करते हैं। प्रदेश के रहन-सहन और पहनावे पर राजस्थान का प्रभाव देखा जा सकता है। प्रदेश का भवई लोकनाट्य लोकप्रिय है। स्थापत्य शिल्प की दृष्टि से प्रदेश समृद्ध है। इस दृष्टि से रुद्र महालय, सिद्धपुर, मातृमूर्ति पावागढ़, शिल्पगौरव गलतेश्वर, द्वारिकानाथ का मंदिर, शत्रुंजय पालीताना के जैन मंदिर, सीदी सैयद मस्जिद की जालियाँ, पाटन की काष्ठकला इत्यादि महत्त्वपूर्ण हैं। हिन्दी में जो स्थान सूरदास का है गुजराती में वही स्थान नरसी मेहता का है।

भारत के पश्चिमी भाग में बसा समृद्धशाली राज्य गुजरात अपने त्योहारों और सांस्कृतिक उत्सवों के लिये विश्व प्रसिद्ध है।
भाद्रपद्र (अगस्त-सितंबर) मास के शुक्ल पक्ष में चतुर्थी, पंचमी और षष्ठी के दिवस तरणेतर गांव में भगवान शिव की स्तुति में तरणेतर मेला लगता है।
भगवान कृष्ण द्वारा रुक्मणी से विवाह के उपलक्ष्य में चैत्र (मार्च-अप्रैल) के शुक्ल पक्ष की नवमी को पोरबंदर के पास माधवपुर में माधवराय मेला लगता है।
उत्तरी गुजरात के बांसकांठा ज़िले में हर वर्ष मां अंबा को समर्पित अंबा जी मेला आयेजित किया जाता हैं।
राज्य का सबसे बड़ा वार्षिक मेला द्वारका और डाकोर में भगवान कृष्ण के जन्मदिवस जन्माष्टमी के अवसर पर बड़े हर्षोल्लास से आयोजित होता है। इसके अतिरिक्त गुजरात में मकर संक्राति, नवरात्र, डांगी दरबार, शामला जी मेले तथा भावनाथ मेले का भी आयोजन किया जाता हैं।

गुजरात की वास्तुकला शैली अपनी पूर्णता और अलंकारिकता के लिए विख्यात है, जो सोमनाथ, द्वारका, मोधेरा, थान, घुमली, गिरनार जैसे मंदिरों और स्मारकों में संरक्षित है। मुस्लिम शासन के दौरान एक अलग ही तरीक़े की भारतीय-इस्लामी शैली विकसित हुई। गुजरात अपनी कला व शिल्प की वस्तुओं के लिए भी प्रसिद्ध है। इनमें जामनगर की बांधनी (बंधाई और रंगाई की तकनीक), पाटन का उत्कृष्ट रेशमी वस्त्र पटोला, इदर के खिलौने, पालनपुर का इत्र कोनोदर का हस्तशिल्प का काम और अहमदाबाद व सूरत के लघु मंदिरों का काष्ठशिल्प तथा पौराणिक मूर्तियाँ शामिल हैं। राज्य के सर्वाधिक स्थायी और प्रभावशाली सांस्कृतिक संस्थानों में महाजन के रूप में प्रसिद्ध व्यापार और कला शिल्प संघ है। अक्सर जाति विशेष में अंतर्गठित और स्वायत्त इन संघों ने अतीत कई विवादों को सुलझाया है और लोकहित के माध्यम की भूमिका निभाते हुए कला व संस्कृति को प्रोत्साहन दिया है।

गुजरात राज्य में की जाने वाली वास्तु शिल्पीय नक़्क़ाशी कम से कम 15वीं शताब्दी से गुजरात भारत में लकड़ी की नक़्क़ाशी का मुख्य केंद्र रहा है। निर्माण सामग्री के रूप में जिस समय पत्थर का इस्तेमाल अधिक सुविधाजनक और विश्वसनीय था, इस समय भी गुजरात के लोगों ने मंदिरों के मंडप तथा आवासीय भवनों के अग्रभागों, द्वारों, स्तंभों, झरोखों, दीवारगीरों और जालीदार खिड़कियों के निर्माण में निर्माण में बेझिझक लकड़ी का प्रयोग जारी रखा। मुग़ल काल (1556-1707) के दौरान गुजरात की लकड़ी नक़्क़ाशी में देशी एवं मुग़ल शैलियों का सुंदर संयोजन दिखाई देता है। 16वीं सदी के उत्तरार्द्ध एवं 17वीं सदी के जैन काष्ठ मंडपों पर जैन पौराणिक कथाएँ एवं समकालीन जीवन के दृश्य तथा काल्पनिक बेल-बूटे, पशु-पक्षी एवं ज्यामितीय आकृतियाँ उत्कीर्ण की गई हैं; आकृति मूर्तिकला अत्यंत जीवंत एवं लयात्मक है। लकड़ी पर गाढ़े लाल रौग़न का प्रयोग आम था। 19वीं सदी के कई भव्य काष्ठ पुरोभाग संरक्षित हैं, लेकिन उनका अलंकरण पहले की निर्मितियों जैसा ललित और गत्यात्मक नहीं है। गुजरात (/ ˌɡʊdʒərɑːt / Gujrāt [ɡudʒ (ə) ɾaːt̪] (इस ध्वनि के बारे में सुनो) पश्चिमी भारत में एक राज्य है, इसका क्षेत्र 1,6,024 किमी 2 (75,685 वर्ग मील) है जिसमें 1,600 किलोमीटर (9 9 0 9 मील), जिनमें से अधिकांश काठियावाड़ प्रायद्वीप पर स्थित है, और 60 मिलियन से अधिक की आबादी है राज्य को राजस्थान से उत्तर की ओर, दक्षिण में महाराष्ट्र, पूर्व में मध्य प्रदेश, और अरब सागर और पश्चिम में सिंध के पाकिस्तानी प्रांत में सीमाएं हैं। इसकी राजधानी गांधीनगर है, जबकि इसका सबसे बड़ा नगर अहमदाबाद है। गुजरात भारत के गुजराती भाषण वाले लोगों का घर है।

राज्य में प्राचीन सिंधु घाटी सभ्यता की कुछ साइटें शामिल हैं, जैसे लोथल और ढोलवीरा लोथल को दुनिया के पहले बंदरगाहों में से एक माना जाता है। गुजरात के तटीय नगरो, मुख्यतः भरूच और खंभात, मोरिया और गुप्त साम्राज्यों में बंदरगाहों और व्यापार केंद्रों के रूप में कार्य करते थे, और पश्चिमी सतराप काल से शाही शक राजवंशों के उत्तराधिकार के दौरान।

गुजरात प्राचीन यूनानियों के लिए जाना जाता था, और यूरोपीय मध्य युग के अंत के माध्यम से सभ्यता के अन्य पश्चिमी केंद्रों में परिचित था। गुजरात के 2,000 साल के समुद्री इतिहास का सबसे पुराना लिखित रिकार्ड एक ग्रीक किताब में प्रकाशित किया गया है जिसका नाम पेरिप्लस ऑफ द इरिथ्रेअन सी: ट्रैवल एंड ट्रेड इन हिंद ओन्सन ऑफ द मर्चेंट ऑफ द फर्स्ट सेंचुरी है।

विषय वस्तु 1 व्युत्पत्ति 2 इतिहास 2.1 प्राचीन इतिहास 2.2 मध्यकालीन इतिहास 2.3 राजपूत अवधि 2.4 मुस्लिम शासन 2.4.1 इस्लामी विजय 1197-1614 ई 2.4.2 गुजरात के सल्तनत और व्यापारियों 2.4.3 मुगल साम्राज्य में गुजरात 2.5 मराठा साम्राज्य 2.6 यूरोपीय औपनिवेशवाद 1614-19 47 ई 2.7 पोस्ट स्वतंत्रता 3 भूगोल 3.1 कच्छ के रान 4 जनसांख्यिकी 4.1 धर्म 4.2 भाषा 5 प्रशासन और प्रशासन 6 अर्थव्यवस्था 6.1 इंफ्रास्ट्रक्चर 6.2 औद्योगिक विकास 6.3 विद्युत संयंत्र 6.4 कृषि 7 संस्कृति 7.1 साहित्य 7.2 भोजन 7.3 सिनेमा 7.4 संगीत 7.5 समारोह 7.6 संस्कृति का प्रसार 8 वनस्पति और जीव 8.1 डायनासोर पार्क बालासिनर 9 पर्यटन 10 परिवहन 10.1 एयर 10.1.1 अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों 10.1.2 भारतीय हवाई अड्डे प्राधिकरण (एएआई) द्वारा संचालित घरेलू हवाई अड्डा 10.1.3 राज्य संचालित हवाईअड्डा 10.2 रेल 10.3 सागर 10.4 रोड 11 शिक्षा और अनुसंधान 11.1 रिसर्च 12 उल्लेखनीय व्यक्ति 13 भी देखें 14 सन्दर्भ 15 बाहरी लिंक

आधुनिक दिवस गुजरात संस्कृत शब्द गुर्जरेदेसा, गुर्जर राष्ट्र से प्राप्त होता है। आधुनिक राजस्थान और गुजरात के कुछ हिस्सों को मुगल काल से पहले शताब्दियों तक गुरुराजरा या गुर्जरभूमि (गुर्जर की भूमि) के रूप में जाना जाता है।


प्राचीन लोथल की ढक्कन आज की तरह है

ढोलवीरा में प्राचीन जल भंडार गुजरात सिंधु घाटी सभ्यता के मुख्य केंद्रों में से एक था। इसमें सिंधु घाटी से प्राचीन महानगरीय नगरो जैसे लोथल, धौलावीरा और गोला धोरो शामिल हैं। लोथल प्राचीन नगर था जहां भारत का पहला बंदरगाह स्थापित किया गया था। प्राचीन नगर ढोलवीरा, सिंधु घाटी सभ्यता से संबंधित भारत की सबसे बड़ी और सबसे प्रमुख पुरातात्विक स्थलों में से एक है। सबसे हालिया खोज गोला धोरो थी। कुल मिलाकर, लगभग 50 सिंधु घाटी स्थितियों के खंडहर गुजरात में खोजे गये है।

गुजरात के प्राचीन इतिहास को इसके निवासियों की वाणिज्यिक गतिविधियों से समृद्ध किया गया था। 1000 से 750 ईसा पूर्व के समय के दौरान फारस की खाड़ी में मिस्र, बहरीन और सुमेर के साथ व्यापार और वाणिज्य संबंधों का स्पष्ट ऐतिहासिक प्रमाण है। मौर्या राजवंश, पश्चिमी सतराप, सातवाहन राजवंश, गुप्त साम्राज्य, चालुक्य वंश, राष्ट्रकूट साम्राज्य, पाल साम्राज्य और गुर्जर-प्रतिहार साम्राज्य के साथ-साथ स्थानीय राजवंशों जैसे मैत्रकस और फिर हिंदू और बौद्ध राज्यों का उत्तराधिकार था।

गुजरात के शुरुआती इतिहास में चंद्रगुप्त मौर्य की शाही भव्यता को दर्शाया गया है, जिसने पहले के कई राज्यों पर विजय प्राप्त की जो अब गुजरात है। पुष्यगुप्त, एक वैश्य, को मौर्य शासन द्वारा सौराष्ट्र के राज्यपाल नियुक्त किया गया था। उन्होंने गिरिंगर (आधुनिक दिवस जूनागढ़) (322 ईसा पूर्व से 2 9 4 ईसा पूर्व) पर शासन किया और सुदर्शन झील पर एक बांध बनाया। चंद्रगुप्त मौर्य के पोते सम्राट अशोक ने केवल जूनागढ़ में चट्टान पर अपने पदों के उत्कीर्णन का आदेश नहीं दिया, बल्कि राज्यपाल टुशेरफा को झील से नहरों में कटौती करने के लिए कहा, जहां पहले मौर्य राज्यपाल ने बांध बांध दिया था। मौर्य शक्ति की कमी और उज्जैन के सम्प्रति मौर्यों के प्रभाव में सौराष्ट्र आने के बीच, डेमेट्रीयूस के नेतृत्व में गुजरात में एक इंडो-ग्रीक आक्रमण हुआ। 1 शताब्दी ईस्वी के पहले छमाही में, गुजरात गोंडफेयर के एक व्यापारी की कहानी है जो गुजरात में उत्तराधिकारी थॉमस के साथ उतरती है। शेर की हत्या कर रहे कप वाहक की घटना से संकेत हो सकता है कि बंदरगाह नगर का वर्णन गुजरात में है।

1 सदी ईस्वी की शुरुआत से लगभग 300 वर्षों तक, गुजरात शासकों ने गुजरात के इतिहास में एक प्रमुख भूमिका निभाई। जूनागढ़ में मौसम से पीटा हुआ चट्टान शाकाहारी रूद्राद्रमैन I (100 एडी) की सैकड़ों सैक्रापों की एक झलक देता है जिन्हें पश्चिमी सतराप, या क्षत्रप कहा जाता है।

गुजरात में सबसे अधिक क्या पाया जाता है?

Detailed Solution. सही उत्तर दूध है। गुजरात भारत के सबसे बड़े दूध उत्पादक राज्यों में से एक है, जिसका भारत के कुल दूध उत्पादन में 7.75% हिस्सेदारी है। गुजरात भारत में प्रमुख नकदी फसलों जैसे कपास, मूंगफली, तंबाकू, जीरा, तिल आदि का सबसे बड़ा उत्पादक है।

गुजरात फेमस क्यों है?

भारत के पश्चिमी भाग में बसा समृद्धशाली राज्य गुजरात अपने त्योहारों और सांस्कृतिक उत्सवों के लिये विश्व प्रसिद्ध है।

गुजरात का पुराना नाम क्या है?

Ancient Name of Gujarat: गुजरात का प्राचीन नाम गुर्जरत्रा थागुजरात 6ठीं से 12वीं सदी तक गुर्जरत्रा के नाम से जाना जाता रहा है। इस समय गुर्जरों का साम्राज्य था, गुर्जर जनजाति के अत्यधिक लोगो का निवास होने के कारण इसे गुर्जरत्रा कहा गया था

गुजरात में सबसे बड़ा जिला कौन सा है?

भारत के गुजरात राज्य में ३३ ज़िले है। कच्छ सब से बड़ा और सब से छोटा ज़िला डांग है। अहमदाबाद ज़िले में सब से ज्यादा जनसंख्या और सब से कम जनसंख्या डांग ज़िले में है। सुरत ज़िला सब से ज्यादा जनसंख्या घनत्व वाला ज़िला है।