नमस्कार साथियों शिक्षा विचार हिंदी ब्लॉग में आप सभी का एक बार फिर स्वागत है। मित्रों इस ब्लॉग के माध्यम से हम गणित का अर्थ, गणित की परिभाषाएं तथा गणित की प्रकृति के बारे में लेख प्रस्तुत करेंगे। Show
गणित का अर्थ क्या होता है?What is the meaning of mathematics?गणित की प्रमुख परिभाषायें क्या है?What are the main definitions of mathematics?गणित की प्रकृति क्या होती है?What is the nature of mathematics?हमें You Tube पर Subscribe करें'गणित' शब्द बहुत प्राचीन है तथा वैदिक साहित्य में इसका बहुत ही ज्यादा उपयोग किया गया है। गणित शब्द का शाब्दिक अर्थ है- "वह शास्त्र जिसमें गणना की प्रधानता हो।" इस प्रकार कहा जा सकता है कि गणित अंक, आधार, चिन्ह आदि संक्षिप्त संकेतों का वह विधान है जिसकी सहायता से परिमाण दिशा तथा स्थान का बोध होता है। गणित विषय का प्रारंभ गिनती से ही हुआ है और संख्या पद्धति उसका एक विशेष क्षेत्र है, जिसकी सहायता से गणित के अन्य शाखाओं का विकास किया गया है। प्राचीन भारत में गणित में संख्याएं, गणना, ज्योतिष एवं क्षेत्र गणित सम्मिलित थे। कुछ विद्वानों का मत है कि हिंदू गणित के अंतर्गत परीकर्म, व्यवहार क्षेत्र गणित, राशि, भिन्न संबंधी परिकर्म, वर्ग, घन, चतुर्घात तथा विकल्प यानी क्रमचय और संचय आदि का ज्ञान रखते थे। प्राचीन काल से ही शिक्षा में गणित का सदा उच्च स्थान रहा है। गणित के बारे में तो जैन गणितज्ञ श्री महावीर आचार्य जी ने अपनी सीगणित सार संग्रह' नामक पुस्तक में अत्यंत प्रशंसा की है। गणित सार संग्रह में वह लखते हैं, "लौकिक, वैदिक तथा सामाजिक जो भी व्यापार हैं उन सब में गणित का प्रयोग है। कामशास्त्र, अर्थशास्त्र पाकशास्त्र, गंधर्वशास्त्र, नाट्य शास्त्र, आयुर्वेद, भवननिर्माण शास्त्र आदि विषयों में तथा छंद, अलंकार, काव्य, तर्क, व्याकरण, ललित कलाओं आदि समस्त विधाओं में गणित अत्यंत उपयोगी है। सूर्य आदि ग्रहों की गति ज्ञात करने में, दिशा तथा समय ज्ञात करने में, चंद्रमा के परिलेख आदि में गणित का प्रयोग करना पड़ता है। द्वीपों, समुद्रों, पर्वतों की संख्या, लोक अंतर्लक, ज्योतिरलोक, सभा भवनों एवं गुंबदकार मंदिरों के परिमाण तथा अन्य बातें गणित की सहायता से जानी जाती हैं।" नेपोलियन जैसे महान शासक एवं राजनीतिज्ञ के कथन अनुसार- "गणित की उन्नति के साथ देश की उन्नति का घनिष्ठ संबंध है।"प्लेटो ने तो अपनी पाठशाला के द्वार पर यहां तक लिख रखा था- "जो व्यक्ति रेखागणित को नहीं समझते वह पाठशाला में शिक्षा ग्रहण करने के धेय से प्रवेश न करें। गणित की विभिन्न परिभाषाएंDifferent definitions of mathematics
गणित के अर्थ के संबंध में प्रमुख बिंदु
हमें You Tube पर Subscribe करेंगणित की प्रकृतिNature of mathematicsप्रत्येक विषय को पढ़ाने की कुछ उद्देश्य तथा उसकी संरचना होती है जिसके आधार पर उस विषय की प्रकृति निश्चित होती है। गणित विषय की संरचना अन्य विषयों की अपेक्षा अधिक मजबूत तथा शक्तिशाली होती है जिसके कारण गणित अन्य विषयों की तुलना में अधिक स्थाई एवं महत्वपूर्ण है। किसे विषय की संरचना जैसे-जैसे कमजोर होती जाती है उस विषय की सत्यता मान्यता तथा पूर्व कथन की क्षमता भी उसी क्रम में घटती जाती है।किसी निश्चित ढांचे या संरचना के आधार पर प्रत्येक विषय की प्रकृति का निर्धारण किया जाता है तथा उसको पाठ्यक्रम में स्थान दिया जाता है। गणित विषय की प्रकृति एक अलग प्रकृति है जिसके आधार पर हम उसकी तुलना अन्य विषयों से कर सकते हैं। ये भी पढ़ें>>>>>>>>>>वैश्वीकरण का अर्थ। वैश्वीकरण में भौतिक विज्ञान की भूमिका>>>>>>शिक्षण के विभिन्न स्तर>>>>>>शिक्षण व्यूह रचना का अर्थ एवं परिभाषाकिन्ही दो या दो से अधिक विषयों की तुलना का आधार पूर्ण विषय की प्रकृति ही है जिसके आधार पर हम उस विषय के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं। गणित की प्रकृति को निम्नलिखित बिंदुओं द्वारा भरी बातें समझा जा सकता है।
इस प्रकार उपर्युक्त बिंदु के आधार पर हम गणित की प्रकृति को समझ सकते हैं तथा निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि वास्तव में गणित की संरचना अन्य विषयों की अपेक्षा अधिक स्वर्ण है जिसके आधार पर विद्यालय शिक्षा में गणित ज्ञान की आवश्यकता दृष्टिगोचर होती है। रोजर बेकन ने ठीक ही कहा है, "गणित सभी विज्ञानों का सिंह द्वार और कुंजी है।" गणित की प्रकृति के संबंध में स्कॉटिश दार्शनिक हैमिल्टन ने लिखा है- "नियमों सिद्धांतों एवं उपकरणों का प्रयोग एवं प्रसार सर्वव्यापी हो गया है जिनकी आधारशिला गणित ही है। वर्तमान समय में इंजीनियरिंग तथा तकनीकी व्यवसायियों को अधिक महत्वपूर्ण तथा पुत्र प्रतिष्ठित माना जाता है। इन सभी विषयों का ज्ञान एवं प्रशिक्षण गणित के द्वारा ही संभव हो सका है। लघु उद्योग एवं कुटीर उद्योगों की स्थापना का आधार भी गणित ही है। अतः यह कहा जा सकता है कि प्रत्येक व्यक्ति को अपनी जीविका कमाने के लिए गणित के ज्ञान की आवश्यकता प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अवश्य ही होती है तभी वह अपना जीवन यापन कर सकता है तथा अपने जीवन को सरल और सरस बना सकता है।" हमारे अन्य आर्टिकल>>>B.Ed Education In Hindiबीएड शिक्षा हिंदी में>>>>>>जेंडर और इससे सम्बंधित सांस्कृतिक परिक्षेप्य>>>>लिंग का अर्थ। लिंग विभेद। प्रकार व कारण>>>>>पर्यावरण का अर्थ। पर्यावरण का क्षेत्र। पर्यावरण के प्रमुख तत्व>>>>>>वंशानुक्रम और वातावरण>>>>>>शिक्षा मनोवज्ञान व उसकी प्रकृति>>>>>>विज्ञान का अर्थ व उसकी प्रकृति>>>>>>आधुनिक जीवन में विज्ञान शिक्षण का महत्व>>>>>>विज्ञान शिक्षण के उद्देश्य>>>>>>वैश्वीकरण का अर्थ। वैश्वीकरण में भौतिक विज्ञान की भूमिका>>>>>>शिक्षण के विभिन्न स्तर>>>>>>शिक्षण व्यूह रचना का अर्थ एवं परिभाषा>>>>>>शैक्षिक तकनीकी के विभिन्न रूप>>>>>>माध्यमिक शिक्षा आयोग या मुदलियार आयोग १९५२-५३>>>>>>मनोविज्ञान का शिक्षा पर प्रभाव>>>>>>मानव संसाधन विकास>>>>>>ज्ञान का अर्थ और उसके प्रमुख सिद्धांत>>>>>>पिछड़े बालकों की शिक्षा>>>>>>गणित शिक्षण का महत्व>>>>>>गणित का अर्थ एवं प्रकृति>>>>>>विज्ञान शिक्षण की प्रयोगशाला विधि>>>>>>बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र महत्वपूर्ण कथन>>>>>>लॉरेंस कोहलबर्ग का नैतिक विकास की अवस्था का सिद्धांत>>>>>>जीन पियाजे का संज्ञानात्मक विकास का सिद्धांतहमें You Tube पर Subscribe करेंगणित से आप क्या समझते हैं इसकी प्रकृति और कार्यक्षेत्र की चर्चा कीजिए?गणित में संख्याएं, स्थान, दिशा तथा मापन या माप तौल का ज्ञान प्राप्त किया जाता है। गणित के अध्ययन के माध्यम से प्रत्येक ज्ञान तथा सूचना स्पष्ट होती है तथा उसका एक संभावित उत्तर निश्चित होता है। गणित के अधीन से बालकों में आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता का विकास होता है। गणित की अपनी भाषा है।
गणित की प्रकृति क्या क्या है?हर विषय की प्रकृति अलग-अलग होती है जिसके अनुसार उस विषय को देखा, समझा जाता है गणित की प्रकृति में अमूर्तता, तार्किकता, विशिष्टता, क्रमबद्धता, सत्यता, प्रतीक आदि आते हैं । और हम इन सभी को गतिणीय अवधारणों के स्वरूप समझते हैं।
गणित विषय से आप क्या समझते हैं दैनिक जीवन में इसके महत्व का उल्लेख कीजिए?गणित, विज्ञान और प्रौद्योगिकी का एक महत्वपूर्ण उपकरण (टूल) है। भौतिकी, रसायन विज्ञान, खगोल विज्ञान आदि गणित के बिना नहीं समझे जा सकते। ऐतिहासिक रूप से देखा जाय तो वास्तव में गणित की अनेक शाखाओं का विकास ही इसलिये किया गया कि प्राकृतिक विज्ञान में इसकी आवश्यकता आ पड़ी थी। कुछ हद तक हम सब के सब गणितज्ञ हैं।
गणित की संचयी प्रकृति क्या है?इनमे प्रमुख है गणित की संचयी प्रकृति यदि एक अवधारणा का ज्ञान नहीं है तो उस पर आधारित अवधारणा भी समझ में नहीं आएगी परिणामस्वरुप गणित के प्रकरण कठिन लगने लगेंगे। एक अन्य मुख्य कारण प्रतीकात्मक भाषा की प्रमुखता ।
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