गुप्तकालीन किस महिला का उल्लेख भूमि दान के संदर्भ में क्या जाता है? - guptakaaleen kis mahila ka ullekh bhoomi daan ke sandarbh mein kya jaata hai?

गुप्त युग में भूमि पर सम्राट का स्वामित्व होता था। राजकीय भूमि के अतिरिक्त ऐसी भी भूमि थी, जिन पर कृषकों का निजी स्वामित्व होता था। मंदिरों तथा ब्राह्मणों को जो भूमि दान में दी जाती थी, उसे अग्रहार कहा जाता था। इस प्रकार की भूमि सभी करों से मुक्त होती थी तथा इनके ऊपर धारकों का पूर्ण स्वामित्व होता था।

ऐसे भूमिदानों का उद्देश्य एकमात्र शैक्षणिक एवं धार्मिक था। धार्मिक अनुदानों को सम्राट ग्रहीता के आचरण से अप्रसन्न होकर समाप्त कर सकता था तथा उन्हें दूसरे योग्य व्यक्ति को दे सकता था। गुप्त राजाओं ने भूमि के विकास की ओर विशेष ध्यान दिया था।

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  • गुप्तकालीन किस महिला का उल्लेख भूमि दान के संदर्भ में क्या जाता है? - guptakaaleen kis mahila ka ullekh bhoomi daan ke sandarbh mein kya jaata hai?

भूमिकर संग्रह करने के लिये ध्रुवाधिकरण तथा भूमि आलेखों को सुरक्षित करने के लिये महाक्षपटलिक और करणिक नामक पदाधिकारी थे। न्यायाधिकरण नामक पदाधिकारी भूमि संबंधी विवादों का निपटारा करते थे। सिंचाई की उत्तम व्यवस्था थी। गुप्त शासकों ने कुएँ, तालाब, नहरों आदि का निर्माण करवाया था। सम्राट स्कंदगुप्त के जूनागढ के राज्यपाल पर्णदत्त के पुत्र चक्रपालित ने गिरनार में सुदर्शन झील के बाँध का पुनर्निर्माण करवाया था।

जो लोग राजकीय भूमि पर कृषि करते थे, उन्हें अपनी उपज का एक भाग राजा को कर के रूप में देना होता था, जो सामान्यतः यह छठा भाग होता था। गुप्त अभिलेखों में भूमिकर को उद्रंग तथा भागकर कहा गया है।स्मृति ग्रंथों में इसे राजा की वृत्ति कहा गया है। नारद के अनुसार राजा प्रजा रक्षण के बदले में उपज का षष्ठांश राजस्व के रूप में प्राप्त करने का अधिकारी होता है। कालिदास लिखते हैं, कि तपस्वियों के तप की रक्षा तथा संपत्ति की चोरों से रक्षा करने के बदले में राजा चारों आश्रमों तथा वर्णों से उनके धन के अनुसार छठां भाग प्राप्त करता है।

इस प्रकार स्पष्ट है, कि गुप्तकाल में राजस्व उपज का छठां भाग ही लिया जाता था। भूमिकर नकद तथा अन्न दोनों में दिया जा सकता था। राजस्व का दूसरा प्रमुख स्रोत चुंगी था, जो नगर में आने वाली वस्तुओं के ऊपर लगायी जाती थी।

किसी-2 स्थान पर भूतोपात्तप्रत्याय नामक कर का उल्लेख मिलता है। अल्तेकर के अनुसार यह राज्य में उत्पन्न होने वाली वस्तुओं (भूत) तथा भीतर आयात की जाने वाली वस्तुओं (उपात्त) के ऊपर लगाया जाने वाला कर था। समकालीन लेखों में विष्टि (बेगार) का भी उल्लेख किया गया है।

वात्सायन के कामसूत्र से पता चलता है, कि गाँवों में किसान स्रियों को मुखिया के घर के विविध प्रकार के काम, जैसे- अनाज रखना, घर की सफाई, खेतों पर काम करना आदि करने के लिये बाध्य किया जाता था और इसके बदले में उन्हें कोई मजदूरी नहीं मिलती थी।

इन सबके अलावा व्यापारिक वस्तुओं, चारागाहों, वनों, नमक आदि पर भी कर लगाये जाते थे, जिससे राज्य को प्रभूत आय होती थी। सीमा, बिक्री की वस्तुओं, आदि पर जो कर लगते थे, उसे शुल्क कहा जाता था।

स्कंदगुप्त के बिहार लेख में शौल्किक नामक पदाधिकारी का उल्लेख मिलता है। वह सीमा शुल्क विभाग का अधीक्षक होता था। उसे व्यापारियों तथा सौदागरों के माल पर कर लगाने तथा उसे वसूल करने का अधिकार था। राज्य की आय का एक अन्य महत्त्वपूर्ण स्रोत भूमिरत्न, खानों की खुदाई तथा नमक का उत्पादन था। इन सभी के ऊपर राज्य का एकाधिकार होता था।

अपराधियों के ऊपर जो जुर्माने लगाये जाते थे, उनसे भी पर्याप्त धन राजकोष में जमा होता था। गुप्त युग की कर व्यवस्था उदार सिद्धांतों पर आधारित थी।

इस काल की रचना कामंदकीय नीतिसार में शासक को सलाह दी गयी है, कि जिस प्रकार सूर्य अपनी किरणों से जल ग्रहण करता है, उसी प्रकार से राजा थोङा-2 धन ग्रहण करे। राजा के आचरण की तुलना ग्वाले तथा माली से करते हुए कामंदक लिखते हैं, कि जिस प्रकार ग्वाला पहले गाय का पोषण करता है तथा फिर उसका दूध दुहता है, तथा जिस प्रकार माली पहले पौधों को सींचता है तथा फिर उनका चयन करता है, उसी प्रकार राजा को पहले प्रजा का पोषण करना चाहिए और फिर बाद में उससे कर ग्रहण करना चाहिये।

अतः हम कह सकते हैं, कि गुप्त सम्राटों ने इस आदर्श का अश्वमेव पालन किया था।

Reference : https://www.indiaolddays.com

विषयसूची

  • 1 गुप्त काल के स्रोत क्या है?
  • 2 गुप्त काल को स्वर्ण काल क्यों कहते हैं?
  • 3 स्वर्ण युग का क्या अर्थ है?
  • 4 स्वर्ण काल क्या होता है?
  • 5 गुप्त संवत किसने और कब चलाया?
  • 6 समुद्रगुप्त का राजकवि कौन था?

गुप्त काल के स्रोत क्या है?

इसे सुनेंरोकेंइसके अतिरिक्त गुप्त काल की जानकारी देने वाले प्रमुख साहित्यिक स्रोत ऋतुसंहार, कुमारसंभवम्, मेघदूत, मालविकाग्निमित्रम्, अभिज्ञान शाकुंतलम् हैं। इन सभी की रचना ‘कालिदास’ ने की थी। ‘शूद्रक’ कृत ‘मृच्छकटिकम्’ तथा ‘वात्स्यायन’ कृत ‘कामसूत्र’ प्रमुख साहित्यिक स्रोत हैं।

गुप्त काल को स्वर्ण काल क्यों कहते हैं?

इसे सुनेंरोकेंगुप्तकाल में विज्ञान प्रौद्योगिकी से लेकर साहित्य, स्थापत्य तथा मूर्तिकला के क्षेत्र में नये प्रतिमानों की स्थापना की गई जिससे यह काल भारतीय इतिहास में ‘स्वर्ण युग’ के रूप में जाना गया।

गुप्त शासकों की सरकारी भाषा क्या थी?

इसे सुनेंरोकेंगुप्त शासकों की सरकारी (दरबारी) भाषा संस्कृत थी। गुप्त शासक स्वयं संस्कृत भाषा और साहित्य के प्रेमी थे तथा उन्होंने योग्य कवियों लेखकों एवं साहित्यकारों को राज्याश्रय प्रदान किया था।

उद्रंग क्या था?

इसे सुनेंरोकेंभूमि का स्वामी कृषकों एवं उनकी स्त्रियों से बेकार या विष्टि लिया करता था। गुप्त अभिलेखों में भूमिकर को ‘उद्रंग’ या ‘भागकर’ कहा गया है।

स्वर्ण युग का क्या अर्थ है?

इसे सुनेंरोकेंस्वर्णयुग संज्ञा पुं० [सं०] सुख समृद्धि एवं शांति का काल ।

स्वर्ण काल क्या होता है?

इसे सुनेंरोकेंनिखरने की अवस्था या भाव ; स्वच्छता ; निर्मलता ; सफ़ाई 2. सुंदरता ; चारुता 3.

आर्यभट्ट किसका दरबारी था?

इसे सुनेंरोकेंआर्यभट्ट गुप्त राजा चंद्रगुप्त द्वितीय (375-415 ई) के दरबार में भारतीय गणित और भारतीय खगोल विज्ञान के शास्त्रीय युग से महान गणितज्ञ-खगोलविदों की पंक्ति में पहले थे।

गुप्तकालीन किस महिला का उल्लेख भूमि दान के संदर्भ में क्या जाता है?

इसे सुनेंरोकेंगुप्तकालीन साम्राज्य से प्राप्त अभिलेख में मथुरा से प्राप्त एक अभिलेख में दिए गए वर्णन के अनुसार कुमारगुप्त प्रथम के समय में हरिस्वामिनी नाम की एक जैन मतावलंबी महिला ने जैन मंदिर दान दिया था। गुप्तकालीन का समय में भूमि दान के संदर्भ में इसी महिला का उल्लेख मिलता है।

गुप्त संवत किसने और कब चलाया?

इसे सुनेंरोकेंचन्द्रगुप्त प्रथम ने एक संवत ‘गुप्त संवत’ (319-320 ई.) के नाम से चलाया। गुप्त संवत तथा शक संवत (78 ई.) के बीच 240 वर्षों का अन्तर है।

समुद्रगुप्त का राजकवि कौन था?

इसे सुनेंरोकेंहरीसेन गुप्त सम्राट समुद्रगुप्त के दरबारी कवि थे। इलाहाबाद स्तंभ शिलालेख को प्रयाग प्रशस्ति के नाम से भी जाना जाता है, जिसमें हरिषेना द्वारा रचित 33 पंक्तियाँ हैं। प्रयाग प्रशस्ति गुप्त वंश के राजनीतिक इतिहास के बारे में जानने के लिए महत्वपूर्ण अभिलेखीय स्रोतों में से एक है।

वे कौन से संदर्भ थे जिनमें गुप्त साम्राज्य का उत्थान और पतन हुआ?

320 सीई में भारत भर में एकता के टूटने के बाद गुप्त साम्राज्य उभरने में सक्षम था और पांचवीं शताब्दी के अंत में हुन आक्रमण तक सत्ता बनाए रखने में सक्षम था।

गुप्त साम्राज्य की भूमि का क्या हुआ?

हूण लोगों, जिन्हें हूण के नाम से भी जाना जाता है, ने गुप्त क्षेत्र पर आक्रमण किया और साम्राज्य को काफी नुकसान पहुँचाया। गुप्त साम्राज्य 550 CE में समाप्त हो गया, जब यह पूर्व, पश्चिम और उत्तर से कमजोर शासकों और आक्रमणों की एक श्रृंखला के बाद क्षेत्रीय राज्यों में बिखर गया

गुप्त समाज में कितने प्रकार के भूमि अनुदान प्रचलित थे?

गुप्त काल के दौरान, भूमि को अमरकोशलिस्ट ( 12 प्रकार की भूमि) के रूप में वर्गीकृत किया गया था:

गुप्त साम्राज्य का सबसे बड़ा पदाधिकारी कौन होता था?

गुप्तकाल में उच्च श्रेणी के पदाधिकारी को कहा जाता था - कुमारामात्य । गुप्तकालीन 'सेना के प्रधान' को कहा जाता था - महादण्डनायक । वह इतिहासकार जिसने रामगुप्त के विषय में सबसे पहले जानकारी दी -राखालदास बनर्जी । वह गुप्त शासक जिसने 375 से 415 ई.