खंड-‘अ’ – अऩठित बोध Show
• ★★ध्वनि★★ भाषा की बात ★★लाख की चूड़ियाँ★★ 8. ‘बदलू‘ कहानी की दृष्टि से पात्र है और भाषा की बात (व्याकरण) की दृष्टि से संज्ञा है। किसी भी व्यक्ति, स्थान, वस्तु, विचार अथवा भाव को संज्ञा कहते हैं। संज्ञा को तीन भेदों में बाँटा गया है – 9. गाँव की बोली में कई शब्दों के उच्चारण बदल जाते हैं। कहानी में बदलू वक्त (समय) को बखत, उम्र (वय/आयु) को उमर कहता है। इस तरह के अन्य शब्दों को खोजिए जिनके रूप में परिवर्तन हुआ हो, अर्थ में नहीं। ★★बस की यात्रा★★ • भाषा की बात बस ( सवारी के अर्थ में )- 1 .तुम्हारी देरी के कारण मेरी बस निकल गई । 2 .जब तक बस नहीं आती , यही खड़े रहो । वश( अधीनता के अर्थ में ) – 1 .आज-कल के बच्चों को समझाना सबके वश की बात नहीं। 9. “हम पाँच मित्रों ने तय किया कि शाम चार बजे की
बस से चलें। पन्ना से इसी कंपनी की बस सतना के लिए घंटे भर बाद मिलती है।” 10. “हम फ़ौरन खिड़की से दूर सरक गए। चाँदनी में रास्ता टटोलकर वह रेंग रही थी।” 11. “काँच बहुत कम बचे थे। जो बचे थे, उनसे हमें बचना था।” 12. बोलचाल में प्रचलित अंग्रेजी शब्द ‘फर्स्ट क्लास’ में दो शब्द हैं – फर्स्ट और क्लास। यहाँ क्लास का विशेषण है फर्स्ट। चूँकि फर्स्ट संख्या है, फर्स्ट क्लास संख्यावाचक विशेषण का उदाहरण है। ‘महान आदमी’ में किसी आदमी की विशेषता है महान। यह गुणवाचक विशेषण है। संख्यावाचक विशेषण और गुणवाचक विशेषण के दो-दो उदाहरण खोजकर लिखिए। ★★दीवानों की हस्ती★★ • भाषा की बात • भाषा की बात 10. ‘व्यापारिक‘ शब्द व्यापार के साथ ‘इक‘ प्रत्यय के योग से बना है। इक प्रत्यय के योग से बनने वाले शब्दों को
अपनी पाठ्यपुस्तक से खोजकर लिखिए। 11. दो स्वरों के मेल से होने वाले परिवर्तन को स्वर संधि कहते हैं;जैसे – रवीन्द्र = रवि + इन्द्र। इस संधि में इ + इ = ई हुई है। इसे दीर्घ संधि कहते
हैं। दीर्घ स्वर संधि के और उदाहरण खोजकर लिखिए। मुख्य रूप से स्वर संधियाँ चार प्रकार की मानी गई हैं – दीर्घ, गुण, वृद्धि और यण। भाषा की बात 8. दो शब्दों के मिलने से समास बनता है। समास का एक प्रकार है – द्वंद्व
समास।
9. पाठ से तीनों प्रकार की संज्ञाओं के उदाहरण खोजकर लिखिए। ★★कबीर की सखियाँ★★ • भाषा की बात जातिवाचक
संज्ञा : बस, यात्री, मनुष्य, ड्राइवर, कंडक्टर,हिन्दू, मुस्लिम, आर्य, द्रविड़, पति, पत्नी आदि। · भाषा की बात ★★जब सिनेमा ने बोलना सीखा★★
8. उपसर्ग और प्रत्यय दोनों ही शब्दांश होते हैं। वाक्य में इनका अकेला प्रयोग नहीं होता। इन दोनों में अंतर केवल इतना होता है कि उपसर्ग किसी भी शब्द में पहले लगता है और प्रत्यय बाद में।
इस प्रकार के 15-15 उदाहरण खोजकर लिखिए और अपने सहपाठियों को दिखाइए।
• ★★सुदामा चरित★★ •भाषा की बात • भाषा की बात 9. उपसर्गों और प्रत्ययों के बारे में आप जान चुके हैं। इस पाठ में आए उपसर्गयुक्त शब्दों को छाँटिए। उनके मूल शब्द भी लिखिए। आपकी सहायता के लिए इस पाठ में प्रयुक्त कुछ ‘उपसर्ग‘ और ‘प्रत्यय‘ इस
प्रकार हैं – अभि, प्र, अनु, परि, वि(उपसर्ग), इक, वाला, ता, ना।
★★अकबरी लोटा★★ 13. इस कहानी में लेखक ने जगह-जगह पर सीधी-सी बात कहने के बदले रोचक मुहावरों, उदाहरणों आदि के द्वारा कहकर अपनी बात को और अधिक मजेदार/रोचक बना दिया है। कहानी से वे वाक्य चुनकर लिखिए जो आपको सबसे अधिक मजेदार लगे। 14. इस कहानी में लेखक ने अनेक मुहावरों का प्रयोग किया है। कहानी में से पाँच मुहावरे चुनकर उनका प्रयोग करते हुए वाक्य लिखिए। • भाषा
की बात 9. श्रीकृष्ण के लिए पाँच पर्यायवाची शब्द लिखिए। 10. कुछ शब्द परस्पर मिलते-जुलते अर्थवाले होते हैं, उन्हें पर्यायवाची कहते हैं। और कुछ विपरीत अर्थ वाले भी। समानार्थी शब्द पर्यायवाची कहे जाते हैं और विपरीतार्थक शब्द विलोम, जैसे –
पाठों से दोनों प्रकार के शब्दों को खोजकर लिखिए।
• ★★पानी की कहानी★★ •भाषा की बात बेर की – सबंध कारक 2. हम बड़ी तेजी से बाहर फेंक दिए गए। • भाषा की बात 9. ‘आरामदेह‘ शब्द में ‘देह‘ प्रत्यय है। यहाँ ‘देह‘ ‘देनेवाला‘ के अर्थ में प्रयुक्त है। देने वाला के अर्थ में ‘द‘,
‘प्रद‘, ‘दाता‘, ‘दाई‘ आदि का प्रयोग भी होता है, जैसे – सुखद, सुखदाता, सुखदाई, सुखप्रद। उपर्युक्त समानार्थी प्रत्ययों को लेकर दो-दो शब्द बनाइए। • ★★टोपी★★ •भाषा की बात
9. मुहावरों के प्रयोग से भाषा आकर्षक बनती है। मुहावरे वाक्य के अंग होकर प्रयुक्त होते हैं। इनका अक्षरश: अर्थ नहीं बल्कि लाक्षणिक अर्थ लिया जाता है। पाठ में अनेक मुहावरे आए हैं। टोपी को लेकर तीन मुहावरे हैं; जैसे – कितनों को टोपी पहनानी पड़ती है। शेष मुहावरों को खोजिए और उनका अर्थ ज्ञात करने का प्रयास कीजिए।
लेखक-पंडित जवाहर लाल नेहरूअहमदनगर का किला कक्षा-8वीं #CBSE #NCERT #KVS #NVS पुस्तक-भारत की खोज लेखक-पंडित जवाहर लाल नेहरू प्रश्न-1 नेहरू जी अपनी कलम से किसके इतिहास पर प्रकाश डालना चाहते थे? अहमदनगर का किला के पाठ के आधार पर बताइए। उत्तर- नेहरू जी अपनी कलम से भारत के इतिहास पर प्रकाश डालना चाहते थे। प्रश्न-2 किसने अकबर की शाही सेना के विरुद्ध हाथ में तलवार उठाकर सेना का नेतृत्व किया था? अहमदनगर का किला पाठ के आधार पर बताए। उत्तर- चाँद बीबी नामक एक सुंदर महिला अकबर की शाही सेना के विरुद्ध तलवार अपनी सेना का नेतृत्व किया था। प्रश्न-3 चाँद बीबी की हत्या किसने की? अहमदनगर का किला पाठ के आधार पर बताएँ। उत्तर- चाँद बीबी की हत्या उसी के अपने एक आदमी ने की। प्रश्न-4 नेहरू जी आज़ाद हुए बिना इतिहास-लेखन में असमर्थ क्यों थे? उत्तर- आज़ाद हुए बिना नेहरू जी वर्तमान को अपने अनुभव का हिस्सा नहीं बना सकते थे और न वर्तमान के बारे में लिख सकते थे। वे पैगंबर बनकर भविष्य के बारे में भी नहीं लिख सकते थे। प्रश्न-5 भारतीयों ने स्वयं सक्षम होते हुए भी अनुकरण पद्धति क्यों अपनाई? (अहमदनगर का किला) उत्तर- भारतीयों में सक्षमता होते हुए भी नवीन करने की चाह और परिश्रम कम हो गया था। यही कारण था कि उन्होंने दूसरे देशों का अंधा अनुकरण करना शुरू कर दिया। प्रश्न-6 नेहरू जी ने कुदाल छोड़कर कलम क्यों उठाई? (अहमदनगर का किला) उत्तर- उन्होंने जेल में खुदाई के दौरान जमीन में से प्राचीन दीवारों के अवशेष एवं कुछ गुंबदों और इमारतों के ऊपरी हिस्से के टुकड़े प्राप्त किए। इससे उन्हें अहमदनगर के किले के बारे में कई जानकारियाँ मिल सकती थी लेकिन अधिकारियों ने इसकी इजाजत नहीं दी तो उन्होंने कुदाल छोड़कर कलम हाथ में पकड़ी अर्थात् बंदी होने के बावजूद, अपनी लेखनी से लेख लिखकर भारत की जनता के दिलों में राष्ट्रप्रेम की भावना जागृत करवाने का प्रयत्न करते रहे। प्रश्न-7 अहमदनगर किले के साथ कौन-सी घटना जुड़ी है? उत्तर- अहमदनगर किले के साथ साहसी चाँद बीवी की घटना जुड़ी है जिसने अकबर की शाही सेना के विरुद्ध हाथ में तलवार उठाकर अपनी सेना का नेतृत्व किया, लेकिन बाद में उसके अपने ही एक आदमी ने उसकी हत्या कर दी। प्रश्न-8 नेहरू जी ने अनपढ़ और ग्रामीण लोगों में ऐसा क्या देखा कि वे हैरान रह गए और नेहरू को उन लोगों में क्या संभावनाएँ नजर आईं? अहमदनगर का किला पाठ के आधार पर बताइए? उत्तर- नेहरू जी उन देहाती और अनपढ़ लोगों को देखकर इसलिए हैरान रह गए क्योंकि ग्रामीणों के अनपढ़ होते हुए भी इन लोगों को लोक प्रचलित अनुवादों और टीकाओं के माध्यम से ‘रामायण’ तथा ‘महाभारत’ जैसे ग्रंथों का ज्ञान था। इन ग्रंथों की कथाओं तथा घटनाओं का नैतिक अर्थ भी इन ग्रामीणों को भली-भाँति ज्ञात था। इन ग्रंथों के सैंकड़ों ऐसे पद ज्ञात थे, जिनका प्रयोग वे रोजमर्रा की बातचीत के बीच उदाहरण के रूप में करते थे। उन्हें नैतिक उपदेश देने वाली कहानियाँ याद थीं। वे नैतिक उपदेश भी देते थे। नेहरू जी को ग्रामीणों में यह संभावना नजर आई कि इन ग्रामीणों में उत्साह और साहस की कमी नहीं है। इनको साथ लेकर कुछ भी किया जा सकता है। यदि इन लोगों को अवसर मिले, तो इनकी स्थिति भी अच्छी हो सकती है। तलाश कक्षा-8वीं #CBSE #NCERT #KVS #NVS पुस्तक-भारत की खोज लेखक-पंडित जवाहर लाल नेहरू प्रश्न-1 भारतीय संस्कृति की क्या विशेषता है? उत्तर- भारतीय संस्कृति की यह विशेषता है कि प्राचीन व नवीन में सामंजस्य स्थापित कर, पुराने को बनाए रखने व नए विचारों को आत्मसात करने का सामर्थ्य होना। प्रश्न-2 प्राचीन भारत की क्या विशेषता थी? तलाश पाठ के आधार पर बताइए। उत्तर- प्राचीन भारत अपने आप में एक दुनिया थी, एक संस्कृति और सभ्यता थी, जिसने तमाम चीजें को आकार दिया था। प्रश्न-3 जब रचनात्मक प्रवृति क्षीण होती है तब कौन-सी प्रवृति उसकी जगह ले लेती है? उत्तर- रचनात्मक प्रवृति की जगह अनुकरण करने की प्रवृति ले लेती है। प्रश्न-4 नेहरू जी ने भारत की तलाश क्यों करनी चाही? उत्तर- नेहरू जी को बहुत कुछ ऐसा देखने को मिला जिनमें भारत के वास्तविक मूल्यों की झलक नहीं मिलती थी इसलिए उन्होंने भारत की तलाश करके पुनः भारत के विशेष मूल्यों को जनता के सामने लाना चाहा। प्रश्न-5 नेहरू जी ने सिंधु घाटी की सभ्यता को आश्चर्यजनक क्यों कहा हैं ? उत्तर- नेहरू जी ने सिंधु घाटी की सभ्यता को आश्चर्यजनक इसलिए कहा है क्योंकि यह सभ्यता एवं संस्कृति पाँच-छह हज़ार या उससे भी अधिक समय तक परिवर्तनशील रहकर भी विकासशील रही और यह निरंतर कायम रही। प्रश्न-6 नेहरू जी भारत को किस दृष्टि से देखते थे और क्यों ? उत्तर- नेहरू जी भारत को एक आलोचक की दृष्टि से देखते थे। वे एक ऐसे आलोचक थे जो वर्तमान को देखते थे पर अतीत के बहुत-से अवशेषों को नापसंद करते थे। वे ऐसा इसलिए करते थे जिससे वे अतीत के सकारा त्मक एवं नकारात्मक दोनों पक्षों का अवलोकन कर सकें। प्रश्न-7 उस समय भारत में जनजीवन की क्या स्थिति थी ? उत्तर- उस समय भारत में चारों ओर घोर गरीबी व्याप्त थी। ग्रामीणों तथा निम्न-मध्यवर्गीय लोगों की दशा बहुत खराब थी। अंग्रेज़ों के भय एवं दबाव में लोगों को जीना पड़ रहा था। मध्यम वर्ग आधुनिकता को अपनाने की ओर कदम बढ़ा चुका था। प्रश्न-8 सिंधु घाटी में स्थित मोहनजोदड़ो के एक नगर की क्या विशेषता थी? (अहमदनगर का किला) उत्तर-सिंधु घाटी में स्थित मोहनजोदड़ो के एक नगर की यह विशेषता थी कि पाँच हजार वर्ष पूर्व निर्मित होने पर भी यहाँ की सभ्यता पूर्णतः विकसित थी और यही आधुनिक सभ्यता का आधार भी। यहाँ की संस्कृति व सभ्यता निरंतर परिवर्तनशील व विकासमान रही। फ़ारस, मित्र, ग्रीस, चीन, अरब, मध्य एशिया एवं भू-मध्य सागर के लोगों से यहाँ के लोगों का निकट संबंध होने पर भी, इस संस्कृति व सभ्यता को कोई हिला नहीं पाया। सिंधु घाटी सभ्यता कक्षा-8वीं #CBSE #NCERT #KVS #NVS पुस्तक-भारत की खोज लेखक-पंडित जवाहर लाल नेहरू प्रश्न-1 कौटिल्य ने अपनी किस रचना से प्रसिद्धि पाई? उत्तर- कौटिल्य ने अपनी रचना ‘अर्थशास्त्र’ से प्रसिद्धि पाई। प्रश्न-2 सिंधु घाटी सभ्यता का व्यापारिक स्तर क्या था? उत्तर-‘सिंधु घाटी सभ्यता’ ने फ़ारस, मेसोपोटामिया और मिस्र की सभ्यताओं से संबंध स्थापित कर व्यापार किया। यह नागर सभ्यता थी। यहाँ का व्यापारी वर्ग धनाढ्य था। प्रश्न-3 प्राचीन भारत ने किन-किन क्षेत्रों में प्रगति की? (सिंधु घाटी सभ्यता) उत्तर- प्राचीन भारत ने ग्रामों के विकास, दस्तकारी उद्योगों, विभिन्न व्यापारों, समुद्री यातायात, विभिन्न लिपियों व लिखित स्वरूपों, औषध व शल्य विज्ञान व शिक्षा के क्षेत्र में अपार प्रगति की। प्रश्न-4 ‘गीता’ सभी वर्गों और संप्रदाय के लोगों के लिए क्यों मान्य है ? उत्तर-‘गीता’ में निहित संदेश किसी वर्ग या संप्रदाय विशेष के लिए नहीं हैं। ये संदेश किसी प्रकार की सांप्रदायिकता नहीं फैलातें । इनकी दृष्टि सार्वभौमिक है। इसी सार्वभौमिकता के कारण यह सभी वर्गों एवं संप्रदायों के लिए मान्य है। प्रश्न-5 उपनिषदों का मनुष्य के जीवन में क्या महत्त्व है ? उत्तर- उपनिषद भारतीय आर्यों की चिंतन क्षमता के बारे में गहराई से ज्ञान कराते हैं । ये ईसा पूर्व 800 के आस-पास की तत्कालीन सामाजिक गतिविधियों की जानकारी भी देते हैं । प्रश्न-6 प्राचीन साहित्य खोने को दुर्भाग्य क्यों कहा गया है, यह साहित्य क्यों खोया होगा? उत्तर- प्राचीन साहित्य के खोने को दुर्भाग्य इसलिए कहा गया है क्योंकि साहित्य के अभाव में तत्कालीन समाज एवं संस्कृति की प्रामाणिक जानकारी नहीं मिल पाती है। यह साहित्य इसलिए खोया होगा क्योंकि उस समय का साहित्य भोज-पत्रों या ताड़-पत्रों पर लिखा जाता था। जिसे सँभालकर रखना आसान न था। उस समय कागज़ पर लिखने का प्रचलन नहीं था। प्रश्न-7 महाकाव्य युग में शिक्षा की क्या व्यवस्था थी ? उत्तर- महाकाव्य युग में कस्बों के निकट ही वनों में विद्यालय हुआ करते थे, जिनमें अनेक विषयों का शिक्षण तथा सैन्य प्रशिक्षण दिया जाता था। यहाँ विद्यार्थियों को शहरी जीवन के आकर्षण से बचाकर नियमित रूप से ब्रह्मचर्य जीवन बिताने की सीख दी जाती थी। प्रश्न-8 सिंधु घाटी की सभ्यता के विषय में कौन-सी बातें पता चली हैं? उत्तर-सिन्धु घाटी की सभ्यता के विषय में ज्ञात हुआ है कि सिन्धु सभ्यता में व्यापारी वर्ग धनाढ्य था, सिन्धु सभ्यता अत्यंत विकसित सभ्यता थी, वह सभ्यता प्रधान रूप से धर्म निरपेक्ष थी तथा सांकृतिक युगों की अग्रदूत थी। सिंधु सभ्यता की खुदाई के समय मिले मकानों को देखकर जान पड़ता है कि ये दो या तीन मंजिला मकान हैं, सिन्धु घाटी की सिन्धु नामक नदी भी अपनी भयंकर बाढ़ों के लिए अत्यंत विख्यात है। यह ‘एक नागर सभ्यता थी तथा अत्यंत विकसित थी। खोज युगों का दौर कक्षा-8वीं #CBSE #NCERT #KVS #NVS पुस्तक-भारत की खोज लेखक-पंडित जवाहर लाल नेहरू
उत्तर- जावा स्पष्ट रूप से यवद्वीप अर्थात जौ का टापू होता है। यह आज भी एक अन्न का नाम है।
उत्तर- भारतीय सभ्यता ने अपनी जड़ें दक्षिण से पूर्वी एशिया के देशों में जमाई।
उत्तर- नाटक शैली का ह्रास उन्नीसवीं शताब्दी में हुआ।
उत्तर- भारतीय रसायनशास्त्र का विकास दूसरे देशों की तुलना में भारत में अधिक हुआ। फौलाद, लोहे व दूसरी धातुओं की भारतीयों को अत्यधिक पहचान थी। फौलाद व लोहे के अत्यधिक अस्त्र शस्त्र बनाए गए व धातुओं को मिलाकर औषध विज्ञान ने भी उन्नति की।
उत्तर- भारतीय उपनिवेशों का काल ईसा की पहली या दूसरी शताब्दी से शुरू होकर पंद्रहवीं शताब्दी के अंत तक माना जाता है अर्थात यह समय लगभग तेरह सौ साल या इससे कुछ अधिक पहले का है।
उत्तर- विदेशी शासकों के निरंतर प्रभाव से भारतीय ब्राह्मण वर्ग चिंतित हो उठा। धर्म और दर्शन इतिहास और परंपरा रीति-रिवाज व सामाजिक ढाँचा जिसके व्यापक घेरे में उस समय के भारतीय जीवन के सभी पहलू आते थे सभी विदेशियों से प्रभावित थे। लोगों में राष्ट्रीय भावना जगाना ही राष्ट्रीय धर्म था। इसे ही ब्राह्मणवाद या हिंदूवाद का नाम दिया गया।
उत्तर- आठवीं शताब्दी में खलीफ़ा अल्मसूर के काल के कई विद्वान बगदाद गए। वे अपने साथ खगोलशास्त्र व गणित की पुस्तकें भी लेकर गए। भारतीय गणित की पुस्तकों ने अरबी जगत को प्रभावित किया। वहाँ भारतीय अंक प्रचलित हो गए। धीरे-धीरे अरबी अनुवादों के माध्यम से यह गणितशास्त्र मध्य एशिया से स्पेन तक फैल गया। स्पेन के विश्वविद्यालयों के माध्यम से यूरोपीय देशों तक पहुँचा। 1490 में ब्रिटेन में भी भारतीय गणित के अंकों का प्रयोग किया गया।
उत्तर- रवींद्रनाथ ठाकुर ने लिखा कि मेरे देश को जानने के लिए उस युग की
यात्रा करनी होगी जब भारत ने अपनी आत्मा को पहचानकर अपनी भौतिक सीमाओं का अतिक्रमण किया। नयी समस्याएँ कक्षा-8वीं #CBSE #NCERT #KVS #NVS पुस्तक-भारत की खोज लेखक-पंडित जवाहर लाल नेहरू
उत्तर- महमूद गजनवी की मृत्यु 1030 ई. में हुई।
उत्तर- जय सिंह ने जयपुर राज्य का निर्माण करवाया। इस राज्य की यह विशेषता थी कि इसका निर्माण विदेशी नक्शों के आधार पर किया गया था।
उत्तर- विद्वान एडम स्मिथ ने अपनी पुस्तक ‘द वैल्थ ऑफ नेशंस’ में लिखा-‘एकमात्र व्यापारियों की कंपनी की सरकार किसी भी देश के लिए सबसे बुरी सरकार है।’
उत्तर- मुगलकाल में साहित्य को भी खूब बढ़ावा मिला। अनेक हिंदू साहित्यकारों ने दरबारी भाषा में पुस्तकें लिखीं। इसी समय विद्वान मुसलमानों ने संस्कृत की पुस्तकों का हिंदी में अनुवाद भी किया। हिंदी भाषा के प्रसिद्ध कवि मलिक मोहम्मद जायसी ने ‘पद्मावत’ लिखा तथा अब्दुल रहीम खानखाना ने अनेक नीति भरे दोहों की रचना की।
उत्तर- भारत की अखंडता एवं एकता बनाए रखने के लिए अकबर ने निम्नलिखित कार्य किए: (i) उसने स्वाभिमानी राजपूत सरदारों को अपनी ओर मिलाया। (ii) उसने अपनी तथा अपने बेटे की शादी राजपूत घराने में की। (iii) उसने विद्वान हिंदुओं को अपने दरबार में विशेष नौरत्नों में स्थान प्रदान किया। (ii) उसने ‘दीन-ए-इलाही’ नामक नया एवं सर्वमान्य धर्म चलाने का प्रयास किया।
उत्तर- बाबर भारत में मुगल वंश का संस्थापक था। उसने 1526 ई० में दिल्ली की सल्तनत को जीता।वह आकर्षक व्यक्तित्व वाला एवं कला और साहित्य का शौकीन था। अपने चार साल के शासनकाल में उसने कई युद्ध किए तथा आगरा को अपनी राजधानी बनाया।
उत्तर- हिन्दू-मुसलमानों के आपसी समन्वय से दोनों को आदतें, रहन-सहन का ढंग, कलात्मक रुचियाँ एक सी हो गई। व्यापार प्रयोग भी एक से ही हो गए। हिन्दू मुसलमानों को भारत का ही अंग समझने लगे। एक-दूसरे के त्योहारों य जलसों में भी शरीक होते थे। एक ही भाषा बोलते थे क्योंकि इस समय बोलचाल की भाषा में हिंदी व फारसी के शब्द मिले-जुले हो गए थे। दोनों की आर्थिक समस्याएँ भी समान थीं। इतना सब होने पर भी आपसी वैवाहिक सबंध बहुत कम थे। खान-पान भी अलग-अलग तरह से था।
उत्तर- शेरशाह ने मालगुजारी व्यवस्था की नींव डाली। शाहबुद्दीन गौरी एक अफगानी था। इसने महमूद गजनवी के गजनी पर आक्रमण किया और उसे हराकर वहाँ अपना शासन कायम किया। उसने गजनवी साम्राज्य का अंत कर दिया। आरंभ में शाहबुद्दीन गौरी ने लाहौर पर आक्रमण कर उसे अपने अधिकार में ले लिया। इसके बाद उसने दिल्ली पर आक्रमण किया और उसकी सल्तनत को भी हथिया लिया। उसने पृथ्वीराज चौहान को 1192 ई. में पराजित किया। इसके बाद वह स्वयं दिल्ली का शासक बन बैठा। अंतिम दौर एक
उत्तर- रवींद्रनाथ टैगोर और महात्मा गाँधी दोनों ही मानवतावादी विचारधारा पर बल देने वाले थे।
उत्तर- अबुल कलाम आजाद ने मुस्लिम बुद्धिजीवी समुदाय में सनसनी पैदा कर दी और युवा पीढ़ी के दिमाग में राष्ट्रीयता की भावना जगाने हेतु उत्तेजना भरी।
उत्तर- अबुल कलाम आजाद कांग्रेस के वर्तमान सभापति थे उन्होंने उर्दू में ‘अल-हिलाल’ निकाला जो लोगों में चेतना जागृत करने वाला था।
उत्तर- सन् 1857 के विद्रोह के बाद भारत के मुसलमान असमंजस में थे क्योंकि वे यह निर्णय नहीं ले पा रहे थे कि वे ब्रिटिश सरकार का साथ दें या हिंदुओं का। इसका परिणाम यह हुआ कि एक नए वर्ग का जन्म हुआ ‘बुर्जुआ वर्ग।’
उत्तर- अंग्रेज़ शिक्षा के प्रचार को नापसंद करते थे, फिर भी भारत में शिक्षा का प्रचार-प्रसार करना उनकी विवशता थी। वे भारत में पाश्चात्य संस्कृति तथाआचार-विचार को फैलाना चाहते थे। इसके अलावा उन्हें अपने कार्यों के लिए क्लर्क भी तैयार करने थे।
उत्तर- सर सैयद अहमद खाँ उत्साही मुस्लिम सुधारक थे। उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की स्थापना की। वे अंग्रेज़ी शिक्षा और उनकी नीतियों के समर्थक थे। वे मुसलमानों को अंग्रेज़ों का हितैषी सिद्ध करना चाहते थे।
उत्तर- रवींद्रनाथ ठाकुर, स्वामी विवेकानन्द के समकालीन थे। वे उस समय के कलाकार तथा श्रेष्ठ लेखक थे। उन्होंने सुधारवादी और स्वदेशी आंदोलन में भाग लिया। जलियाँवाला बाग कांड का विरोध करते हुए, उन्होंने ‘सर’ की उपाधि लौटा दी थी। घोर व्यक्तिवादी होने के बावजूद भी वे रूसी क्रांतियों की उपलब्धियों के प्रशंसक थे। वे सर्वोत्तम अंतर्राष्ट्रीयतावादी थे तथा भारत के सबसे बड़े मानवतावादी थे।
उत्तर- अंग्रेजों को भारतीयों की चेतना जाग्रत करने का श्रेय इसलिए दिया जाता है क्योंकि उन्हें अपना काम करवाने के लिए कुछ भारतीयों की आवश्यकता थी जिस वे कम वेतन पर अपने काम के लिए पढ़े-लिखे क्लर्क तैयार कर सकें। इसके लिए उन्होंने उन्हें शिक्षित करना बेहतर समझा। इसके अतिरिक्त वे भारतीयों को पूरी तरह से पाश्चात्य संस्कृति में ढालना चाहते थे ताकि वे अंग्रेज़ सरकार के भक्त बने रहे और उन्हें शासन चलने में कोई कठिनाई नहीं आए। यही कारण था कि शिक्षित होने के पश्चात भी भारतीयों ने गुलामी की जंजीरों को तोड़ने के विषय में सोचा। अंतिम दौर दो
उत्तर- ‘मार्शल लॉ’ ब्रिटिश सरकार द्वारा बनाया गया एक ऐसा कानून था, जिसमें किसी भी व्यक्ति को किसी भी समय बिना पुलिस और न्यायालय की इजाजत के गोली का निशाना बनाया जा सकता था।
उत्तर- कांग्रेस राष्ट्रीय एकता और लोकतंत्र की भावना पर अडिग थी।
उत्तर- गाँधी जी का उद्देश्य था-लोगों को प्रेरित करके उनमे सक्रियता का भाव जाग्रत करना।
उत्तर- अंग्रेजों ने कांग्रेस की नीति ‘एकता और लोकतंत्र’ का समर्थन नहीं किया। वे एकता या लोकतंत्र की बलि चाहते थे जो कांग्रेस को स्वीकार नहीं था। स्वतंत्रता-प्राप्ति के अंतिम दौर में उन्होंने ऐसी चाल चली कि मुस्लिम लीग के नेता जिन्ना मुसलमानों के लिए अलग राष्ट्र माँगने लगे। इससे सांप्रदायिकता की भावना को बल मिला। जिसके परिणामस्वरूप भारत दो राष्ट्रों में विभाजित हो गया।
उत्तर- ‘भारत छोड़ो’ प्रस्ताव 8 अगस्त सन् 1942 को पारित हुआ। जैसे ही जनता ने प्रदर्शन किया वैसे ही सरकार ने गिरफ्तारियाँ भी प्रारंभ कर दी। इन्हीं गिरफ्तारियों में जवाहर लाल नेहरू व उनके साथियों को अहमदनगर किले में बंद किया गया।
उत्तर- मार्शल लॉ ब्रिटिश सरकार द्वारा बनाया गया एक ऐसा कानून था जिसमें किसी भी व्यक्ति को किसी भी समय बिना पुलिस व न्यायालय की इजाज़त के गोली का निशाना बनाया जा सकता था।
उत्तर- जिन्ना ने अपने विचारों से स्वतंत्रता की माँग को नया स्वरूप दे दिया। उनके अनुसार हिन्दू-मुस्लिम धर्म के आधार पर भारत में दो राष्ट्र हैं। उनकी इसी अवधारणा ने भारत और पाकिस्तान के विभाजन को जन्म दिया। इस कारण स्वतंत्रता मिलते ही भारत के दो टुकड़े हो गए। मिस्टर जिन्ना के विचार सही नहीं थे। उनके विचारों ने केवल पाकिस्तान व भारत की अवधारणा को तो जन्म दिया पर उससे दो राष्ट्रों की समस्या का समाधान नहीं हुआ क्योंकि हिंदू और मुसलमान तो पूरे देश में थे।
उत्तर- विश्वयुद्ध के समय अंग्रेजों ने भारतीयों का प्रयोग करने के लिए उनसे बहुत से वायदे किए थे और लोगों को इस बात की आशा थी कि अब देश में राहत और प्रगति होगी, लेकिन युद्ध समाप्त होते ही सरकार ने तो दमन करने वाले कानूनों का निर्माण कर पंजाब में ‘मार्शल लॉ’ घोषित कर दिया, जिससे लोगों की आशा निराशा में परिवर्तित हो गई। तनाव
उत्तर- भारत छोडो आंदोलन वर्ष 1942 में आरम्भ हुआ।
उत्तर- ब्रिटेन तथा संयुक्त राष्ट्र के सामने कांग्रेस ने अपनी अपील पेश की।
उत्तर- कांग्रेस के सभापती ‘मौलाना अबुल कलाम’ थे।
उत्तर- भारत छोड़ो प्रस्ताव रखने का यह कारण था कि भारतीय अंग्रेजों के अत्याचारों से पीड़ित थे। भारतीय जनता में अंग्रेजों के विरुद्ध आक्रोश था। इस प्रस्ताव में जनता से यह अपील की गई थी कि अब अंग्रेजों को भारत छोड़ देना चाहिए। इसमें पुरुषों ने ही नहीं, बल्कि स्त्रियों ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था।
उत्तर- उस समय कंग्रेस के सभापति मौलाना अबुल कलाम आजाद थे। उन्होंने और गाँधीजी ने एकमत होकर यह निर्णय लिया कि उनका अगला कदम ब्रिटिश सरकार के प्रतिनिधि वायसराय से मुलाकात करना और खास संयुक्त राष्ट्रों के मुख्याधिकारियों से एक सम्मानपूर्ण समझौते के लिए अपील करना है और अब जन-आंदोलन भी होकर ही रहेगा।
उत्तर- यह एक लम्बा और प्रस्ताव था। इस प्रस्ताव में अंतरिम सरकार बनाने का आवेदन था, जिसमे भारत के सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व हो सके। इसमें मित्र शक्तियों के सहयोग से भारत की सुरक्षा और अपने सारे हथियारबंद और अहिंसक शक्तियों के साथ बाहरी आक्रमण को रोकने का प्रस्ताव भी था।
उत्तर- कांग्रेस कमेटी ने 7 और 8 अगस्त, 1942 को बैठक कर भारत छोडो प्रस्ताव पर विचार और बहस की। इसमें स्पष्ट किया गया था कि अब अंग्रेजों को भारत छोड़ने के लिए विवश करना होगा। इसी दिन इस प्रस्ताव को पारित करते समय ही इस प्रस्ताव में अंतरिम सरकार बनाने का भी सुझाव दिया गया था। ऐसी अंतरिम सरकार जिसमें सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व हो। कांग्रेस कमेटी ने भारत एवं संसार के सभी देशों की आजादी के लिए ब्रिटेन और संयुक्त राष्ट्र से अपील की तथा गाँधीजी के नेतृत्व में एक अहिंसक जन-आंदोलन शुरू करने की मांग भी की।
उत्तर- वर्ष 1942 के आरंभ के महीनों में तनाव का माहौल इसलिए बना हुआ था क्योंकि युद्ध का समय नजदीक आता जा रहा था। द्वितीय विश्व युद्ध चल रहा था। ऐसे माहौल में भारत के शहरों पर हवाई हमलों की संभावना बढ़ गई थी। इनका परिणाम क्या होगा, क्या भारत और इंग्लैंड के संबंधों में दूरी बढ़ जाएगी, आदि प्रश्न तनाव का वातावरण बना रहे थे। दो पृष्ठभूमियाँ भारतीय और अंग्रेज़ी
उत्तर- वर्ष 1942 में युवा वर्ग तथा विशेषकर विद्यार्थियों ने महत्वपूर्ण कार्य किया।
उत्तर- अकाल के दौरान कलकत्ता की हालत चिंताजनक थी।
उत्तर- वर्ष 1942 का विद्रोह योजनाबद्ध तरीके से अंजाम नहीं दिए जाने के कारण असफल रहा।
उत्तर- अकाल ने कलकत्ता की आम जनता को अधिक प्रभावित किया, सड़कों पर लोगों की लाशें मिली थी और दूसरी ओर अभिजात्य वर्ग था, जिस पर अकाल या लोगों के दुख-दर्द का कोई असर ही न था वह अपनी ही विलासिता में मस्त था।
उत्तर- 1943 ई० में भारत को भीषण अकाल का सामना करना पड़ा था। इस अकाल का प्रभाव बंगाल और पूर्वी तथा दक्षिण भारत की बहुसंख्यक जनता पर पड़ा।
उत्तर- वर्ष 1942 में नेताओं की गिरफ्तारी तथा गोली-बारी की बात सुनकर आम जनता भड़क उठी। जनता ने सहज तथा हिंसक प्रदर्शन किए। जनता इतनी उत्तेजित हो गई कि चुप नहीं बैठ सकी तथा तोड़-फोड़ करने से भी नहीं चूकी।
उत्तर- अकाल के समय कलकत्ता की आम जनता अधिक प्रभावित हुई, सड़कों पर चारों ओर लोगों की लाशें बिछ गईं तथा दूसरी तरफ अभिजात्य वर्ग था, जिसके सामाजिक जीवन पर कोई परिवर्तन नहीं आया था। उस पर न तो अकाल का कोई प्रभाव हुआ और न ही लोगों के दुःख-दर्द का कोई असर था। यह वर्ग अपनी ही विलासिता तें मग्न था। उसका जीवन उल्लास से भरा था।
उत्तर- नेहरू जी ने भारत की खोज’ लेखन में निम्न विचारों को स्थान देकर भारतीयों को प्रेरित करने का प्रयास किया है।
लेखक -प्रेमचंद Namak Ka Daroga पाठ का सारांश इस प्रकार है: यह कहानी हमें कर्मों के फल के महत्व के बारे में समझाती है। यह कहानी अधर्म पर धर्म औरअसत्य पर सत्य की जीत को दर्शाती है। भले ही इंसान खुद कितना भी बुरा काम क्यों न कर ले लेकिन उसे भी अच्छाई पसंद आती है। खुद कितना भी भ्रष्ट क्यों न हो लेकिन वह पसंद ईमानदार लोगों को ही करता है। कुछ लोग कितने भी ऊंचे पद पर क्यों न बैठे हो जाएं और कितना अच्छा वेतन क्यों न पाते हों लेकिन उनके मन में ऊपरी आय का लालच हमेशा बना रहता है। इस कहानी के द्वारा लेखक ने प्रशासनिक स्तर और न्यायिक व्यवस्था में भ्रष्टाचार और उसकी सामाजिक सुविकृति को बड़े ही साहसिक तरीके से उजागर किया है। ये कहानी आज़ादी के पहले की है अंग्रेजों ने नमक पर अपना एकाधिकार जताने के लिए अलग नमक विभाग बना दिया। नमक विभाग के बाद लोगों ने कर से बचने के लिए नमक का चोरी छुपे व्यापार भी करने लगे जिसके कारण भ्रष्टाचार भी फैलने लगा। कोई रिश्वत देकर अपना काम निकलवाता, कोई चालाकी और होशियारी से। नमक विभाग में काम करने वाले अधिकारी वर्ग की कमाई तो अचानक कई गुना बढ़ गई थी। अधिकतर लोग इस विभाग में काम करने के इच्छुक रहते थे क्योंकि इसमें ऊपर की कमाई काफी होती थी। लेखक कहते हैं कि उस दौर में लोग महत्वपूर्ण विषयों के बजाय प्रेम कहानियों व श्रृंगार रस के काव्यों को पढ़कर भी उच्च पद प्राप्त कर लेते थे। उसी समय मुंशी वंशीधर नौकरी के तलाश कर रहे थे। उनके पिता अनुभवी थे अपनी वृद्धावस्था का हवाला देकर ऊपरी कमाई वाले पद को बेहतर बताया। वे कहते हैं कि मासिक वेतन तो पूर्णमासी का चांद है जो एक दिन दिखाई देता है और घटते-घटते लुप्त हो जाता है। ऊपरी आय बहता हुआ स्रोत है जिससे सदैव प्यास बुझती है। वह अपने पिता से आशीर्वाद लेकर नौकरी की तलाश कर रहे होते है और भाग्यवश उन्हें नमक विभाग में नौकरी प्राप्त होती है जिसमें ऊपरी कमाई का स्रोत अच्छा है ये बात जब पिता जी को पता चली तो बहुत खुश हुए। छ: महीने अपनी कार्यकुशलता के कारण अफसरों को प्रभावित कर लिया था। ठंड के मौसम में वंशीधर दफ्तर में सो रहे थे। यमुना नदी पर बने नावों के पुल से गाड़ियों की आवाज सुनकर वे उठ गए। यमुना नदी पर बने नावों के पुल से गाड़ियों की आवाज सुनकर वे उठ गए। पंडित अलोपीदान इलाके के प्रतिष्ठित जमींदार थे। जब जांच की तो पता चला कि गाड़ी में नमक के थैले पड़े हुए हैं। पडित ने वंशीधर को रिश्वत ले कर गाड़ी छोड़ने को का लेकिन उन्होंने साफ़ मन कर दिया। पंडित जी को गिरफ्तार कर लिया गया। अगले दिन ये खबर आग की तरह से फेल गई। अलोपीदीन को अदालत लाया गया। लज्जा के कारण उनकी गर्दन शर्म से झुक गई। सारे वकील और गवाह उनके पक्ष में थे, लेकिन वंशीधर के पास के केवल सत्य था। पंडितजी को सबूतों के आभाव की वजह से रिहा कर दिया। पंडित जी ने बाहर आ कर पैसे बांटे और वंशीधर को व्यंगबाण का सामना करना पड़ा एक हफ्ते के अंदर उन्हें दंड स्वरूप नौकरी से हटा दिया। संध्या का समय था। पिता जी राम-राम की माला जप रहे थे तभी पंडित जी रथ पर झुक कर उन्हें प्रणाम किया और उनकी चापलूसी करने लगे और अपने बेटे को भलाबुरा कहा। उन्होने कहा मैंने कितने अधिकारियो को पैसो के बल पर खरीदा है लेकिन ऐसा कर्तव्यनिष्ठ नहीं देखा पंडित जी वंशीधर की कर्तव्यनिष्ठा के कायल हो गए। वंशीधर ने पंण्डित जी को देखा तो उनका सम्मानपूर्वक आदर सत्कार किया। उन्हें लगा कि पंडितजी उन्हें लज्जित करने आए हैं। लेकिन उनकी बात सुनकर आश्चर्यचकित हो गए और उन्होंने कहा जो पंडितजी कहेंगे वही करूंगा। पंडितजी ने स्टाम्प लगा हुआ एक पत्र दिया जिसमें लिखा था कि वंशीधर उनकी सारी स्थाई जमीन के मैनेजर नियुक्त किए गए हैं। वंशीधर की आंखों में आंसू आ गए और उन्होंने का वो इस पद के काबिल नहीं है। पंडित जी ने कहा मुझे न काबिल व्यक्ति ही चाहिए जो धर्मनिष्ठा से काम करे। कठिन शब्द उनके अर्थों के साथ Namak Ka Daroga में कठिन शब्द उनके अर्थों के साथ दिए गए हैं- निषेद – मनाही सुख -संवाद – सखु देनेवाला समाचार कानाफूसी – धीरे धीरे बात करना अविचलित – स्थिर विस्मित – हैरान तजवीज – सुझाव प्रवबल्य -प्रधानता बरकत – तरक्की संकुचित – छोटा – सा आत्मावलम्बन – खुद पर भरोसा करने वाला शूल – अत्याधिक पीड़ा अगाध – गहरा कगारे पर का वृक्ष – वृद्धावस्थ मुंशी वंशीधर ने अपना मित्र और पथ प्रदर्शक किसे बनाया? मुंशी वंशीधर ने धैर्य को अपना मित्र, बुद्धि को अपना पथ प्रदर्शक और आत्मावलम्बन को अपना सहायक बनाया था। मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखित ‘नमक का दरोगा’ कहानी में मुंशी वंशीधर एककर्तव्यनिष्ठ और ईमानदार दरोगा थे। जिन्होंने पंडित अलोपीदीन के भ्रष्टाचार के सामने हार नहीं मानी और ईमानदारी से अपने कर्तव्य को निभाया। इस कारण उन्हें अपने पद से भी हाथ धोना पड़ा, लेकिन उन्होंने अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं किया। जब मुझे बंशीधर की दरोगा की नौकरी लगी थी तो उनके पिता ने उन्हें ऊपरी कमाई करने का सुझाव दिया था, लेकिन मुंशी वंशीधर ईमानदार और अपने सिद्धांतों के पालन करने वाले थेष उनके लिए धैर्य उनका मित्र, बुद्धि उनकी पथ प्रदर्शक और आत्मावलंबन उनका सहायक था। उन्होंने अपने दरोगा पद पर ऊपरी आय और रिश्वतखोरी जैसे कार्य नही किये और ईमानदारी से अपना कर्तव्य पालन किया। प्रश्नोत्तर प्रश्न 1. कहानी का कौन-सा पात्र आपको सर्वाधिक प्रभावित करता है और क्यों? उत्तर-कहानी का नायक बंशीधर ने मुझे सबसे ज़्यदा प्रभावित किया क्योकि वो ईमानदार , कर्मयोगी , कर्त्तव्यनिष्ठ व्यक्ति थे। उनके घर की आर्थिक हालत थी नहीं थी फिर भी उन्होंने ईमानदारी नहीं छोड़ी। उनके पिता उन्हें ऊपरी आय पर नज़र रखने की सलाह देते थे मगर उन्हें ये बाते नहीं मानी। आज के युग में ऐसे कर्मयोगी लोगो की ज़रुरत है। प्रश्न 2.“नमक का दारोगा” कहानी में पंडित अलोपीदीन के व्यक्तित्व के कौन-से दो पहलू (पक्ष) उभरकर आते हैं? उत्तर-पंडित अलोपीदीन को धन का बहुत घमंड था इसीलिए उसने दरोगा बंशीधर को भी रिश्वत देने की कोशिश की।गिरफ्तार होने के बाद जब उसे अदालत में लाया गया तो उसने वहां पर भी वकीलों और गवाहों खरीद लिया ,अपने आप को सभी आरोपों से बरी करा लिया। जो उसके भ्रष्ट , बेईमान और चालाक होने का सबूत देते हैं। लेकिन उसके व्यक्तित्व का एक उजला पक्ष भी है जो बेहद प्रशंसनीय है। वंशीधर को दरोगा की नौकरी से निकलवाने के बाद पंडित अलोपीदीन को मन ही मन बहुत पछतावा हुआ। क्योंकि वह जानता था कि आज के वक्त में बंशीधर जैसे ईमानदार व कर्तव्यपरायण व्यक्ति मिलना मुश्किल है। इसीलिए उसने उसे अपनी सारी जायदाद का स्थाई मैनेजर नियुक्त कर दिया। प्रश्न 3.कहानी के लगभग सभी पात्र समाज की किसी-न-किसी सच्चाई को उजागर करते हैं। निम्नलिखित पात्रों के संदर्भ में पाठ से उस अंश को उद्धृत करते हुए बताइए कि यह समाज की किस सच्चाई को उजागर करते हैं ? उत्तर- (क) वृद्ध मुंशी- नौकरी में ओहदे की ओर ध्यान देना। यह तो पीर की मजार है। निगाह चढ़ावे और चादर पर रखनी चाहिए। ऐसा काम ढूंढना जहां कुछ ऊपरी आय हो। मासिक वेतन तो पूर्णमासी का चांद है। जो एक दिन दिखाई देता है और घटते-घटते लुप्त हो जाता है……”। बंशीधर के पिता के इस कथन से पता चलता है कि समाज में भ्रष्टाचार की जड़ें कितनी गहरी थी। वह अपने बेटे को ऐसी नौकरी करने की सलाह देते हैं जहां पद प्रतिष्ठा भले ही कम हो मगर ऊपरी आमदनी ज्यादा होती हो। (ख) वकील- “वकीलों ने यह फैसला सुना और उछल पड़े”। उत्तर- इस कथन से न्यायिक व्यवस्था में फैले भ्रष्टाचार का पता चलता है। जहां पंडित अलोपीदीन ने वकीलों को बड़ी आसानी से अपने पैसे के बल पर खरीद लिया था। ग) शहर की भीड़ -“जिसे देखिए , वही पंडित जी के इस व्यवहार पर टीका टिप्पणी कर रहा था। निंदा की बौछारों हो रही थी। मानो संसार से अब पापी का पाप कट गया। पानी को दूध के नाम पर बेचने वाला ग्वाला , कल्पित रोजाना पर्चे भरने वाले अधिकारी वर्ग , रेल में बिना टिकट सफर करने वाले बाबू लोग , जाली दस्तावेज बनाने वाले सेठ और साहूकार , यह सब-के-सब देवताओं की भांति गर्दन चला रहे थे….” । उत्तर- इन पंक्तियों से पता चलता है कि समाज के हर वर्ग के लोग कहीं ना कहीं भ्रष्टाचार में लिफ्त थे। चाहे वह दूधवाला हो या ट्रेन में बिना टिकट यात्रा करने वाला। लेकिन ये सब वो लोग थे जिन्हें अपनी गलतियां नजर नहीं आती थी लेकिन दूसरों का तमाशा देखने के लिए सबसे आगे रहते थे। प्रश्न 4.निम्न पंक्तियों को ध्यान से पढ़िए ? “नौकरी में ओहदे की ओर ध्यान मत देना, यह तो पीर का मज़ार है। निगाह चढ़ावे और चादर पर रखनी चाहिए। ऐसा काम ढूँढ़ना जहाँ कुछ ऊपरी आय हो। मासिक वेतन तो पूर्णमासी का चाँद है जो एक दिन दिखाई देता है और घटते-घटते लुप्त हो जाता है। ऊपरी आय बहता हुआ स्रोत है जिससे सदैव प्यास बुझती है। वेतन मनुष्य देता है , इसी से उसमें वृद्धि नहीं होती। ऊपरी आमदनी ईश्वर देता है , इसी से उसकी बरकत होती है , तुम स्वयं विद्वान हो , तुम्हें क्या समझाऊँ”। (क) यह किसकी उक्ति है? उत्तर- यह दरोगा बंशीधर के पिता का कथन है। (ख) मासिक वेतन को पूर्णमासी का चाँद क्यों कहा गया है ? खर्च होता चला जाता है और महीने के अंत तक यह पूरी तरह से समाप्त हो जाता है। इसीलिए ऐसे “पूर्णमासी का चाँद” कहा गया हैं। (ग) क्या आप एक पिता के इस वक्तव्य से सहमत हैं ? उत्तर-नहीं , मैं दरोगा बंशीधर के पिता के इस कथन से पूरी तरह से असहमत हूं। रिश्वत लेना और भ्रष्टाचार करना , दोनों ही गलत है। अगर व्यक्ति अपनी जरूरतों को नियंत्रित करते हुए चले तो अपनी मेहनत और ईमानदारी से वह जो भी कमाता है उसमें उसका आराम से गुजारा हो सकता है। और मेहनत से कमाये हुए धन से जीवन में सुख-शान्ति बनी रहती है। प्रश्न 5.“नमक का दारोगा” कहानी के कोई दो अन्य शीर्षक बताते हुए उसके आधार को भी स्पष्ट कीजिए। उत्तर-नमक का दरोगा के दो अन्य शीर्षक निम्न है। 1. धर्मनिष्ठ दरोगा – यह कहानी पूरी तरह से बंशीधर की ईमानदारी पर टिकी है। जो भ्रष्ट लोगों के बीच में रहकर भी अपने कर्तव्य को पूर्ण ईमानदारी के साथ निभाता है। 2. ईमानदारी का फल – दरोगा बंशीधर की ईमानदारी के कारण ही उसे अंत में पंडित अलोपीदीन अपना मैनेजर नियुक्त करता हैं। प्रश्न 6. कहानी के अंत में अलोपीदीन के वंशीधर को अपना मैनेजर नियुक्त करने के पीछे क्या कारण हो सकते हैं ? तर्क सहित उत्तर दीजिए। आप इस कहानी का अंत किस प्रकार करते ? उत्तर-पंडित अलोपीदीन खुद एक भ्रष्ट , बेईमान व चालाक व्यक्ति था।यह समझता था कि पैसे के बल पर किसी भी व्यक्ति को खरीदा जा सकता है या कोई भी काम करवाया जा सकता हैं। लेकिन जब उसने अपने जीवन में पहली बार किसी ऐसे व्यक्ति (दरोगा वंशीधर) को देखा जिसकी ईमानदारी को वह अपने पैसे से नहीं खरीद पाया तो वह आश्चर्य चकित रह गया।पंडित अलोपीदीन यह भी जानता था कि आज के समय में इस तरह के ईमानदार , कर्तव्य परायण व धर्मनिष्ठ व्यक्ति मिलना मुश्किल है। मैं भी इस कहानी का अंत कुछ इसी तरह से करता/ करती । घाट के देवता को भेंट चढ़ाने’ से क्या तात्पर्य है? इस कथन का तात्पर्य है कि इस क्षेत्र के नमक के दरोगा को रिश्वत देना आवश्यक है अर्थात् बिना रिश्वत दिए वह मुफ्त में घाट नहीं पार करने देंगे। ‘दुनिया सोती थी, पर दुनिया की जीभ जागती थी।’ से क्या तात्पर्य है? इस कथन के माध्यम से लेखक कहना चाहता है कि संसार में परनिंदा हर समय होती रहती है। रात के समय हुई घटना की चर्चा आग की तरह सारे शहर में फैल गई। हर आदमी मजे लेकर यह बात एक-दूसरे बता रहा था। देवताओं की तरह गर्दन चलाने का क्या मतलब है? इसका अर्थ है-स्वयं को निर्दोष समझना। देवता स्वयं को निर्दोष मानते हैं, अत: वे मानव पर तरह-तरह के आरोप लगाते हैं। पंडित अलोपीदीन के पकड़े जाने पर भ्रष्ट भी उसकी निंदा कर रहे थे। कौन-कौन लोग गर्दन चला रहे थे? पानी को दूध के नाम से बेचने वाला ग्वाला, नकली बही-खाते बनाने वाला अधिकारी वर्ग, रेल में बेटिकट यात्रा करने वाले बाबू जाली दस्तावेज बनाने वाले सेठ और साहूकार-ये सभी गरदनें चला रहे थे। किस वन का सिह कहा गया तथा क्यों? पंडित अलोपीदीन को अदालत रूपी वन का सिंह कहा गया, क्योंकि यहाँ उसके खरीदे हुए अधिकारी, अमले, अरदली, चपरासी, चौकीदार आदि थे। वे उसके हुक्म के गुलाम थे। कचहरी की अगाध वन क्यों कहा गया? कचहरी को अगाध वन कहा गया है, क्योंकि न्याय की व्यवस्था जटिल व बीहड़ होती है। हर व्यक्ति दूसरे को खाने के लिए बैठा है। वहाँ पैसों से बहुत कुछ खरीदा जा सकता है, जिससे जनसाधारण न्याय-प्रणाली का शिकार बनकर रह जाता है। लोगों के विस्मित होने का क्या कारण था? लोग अलोपीदीन की गिरफ्तारी से हैरान थे, क्योंकि उन्हें उसकी धन की ताकत व बातचीत की कुशलता का पता था। उन्हें उसके पकड़े जाने पर हैरानी थी क्योंकि वह अपने धन के बल पर कानून की हर ताकत से बचने में समर्थ था। बूढ़े मुंशी जी किसकी पढ़ाई-लिखाई को व्यर्थ मानते हैं? क्यों? बूढ़े मुंशी जी अपने बेटे वंशीधर की पढ़ाई-लिखाई को व्यर्थ मानते हैं। वे उसे अफसर बनाकर रिश्वत की कमाई से अपनी हालत सुधारना चाहते थे| वंशीधर ने उनकी कल्पना के उलट किया। ईश्वर प्रदत्त वस्तु क्या है? उसके निषेध से क्या परिणाम हुआ? ईश्वर प्रदत्त वस्तु नमक है। सरकार ने नमक विभाग बनाकर उसके निर्माण पर प्रतिबंध लगा दिया। प्रतिबंध के कारण लोग चोरी-छिपे इसका व्यापार करने लगे। इससे रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिला। फारसी का क्या प्रभाव था? इस समय फारसी का प्रभाव था। फारसी पढ़े लोगों को अच्छी नौकरियां मिल जाती थीं। प्रेम की कथाएँ और श्रृंगार रस के काव्य पढ़कर फ़ारसी जानने वाले सर्वोच्च पदों पर नियुक्त हो जाया करते थे। MCQs Namak Ka Daroga पाठ के लेखक ? (A) प्रेमचंद्र (B) कृष्ण चन्दर (C) शेखर जोशी (D) कृष्ण नाथ उत्तर – (A) प्रेमचंद्र 2. किस ईश्वर प्रदत्त वास्तु का व्यहवार करना निषेध हो गया था – (A) जल (B) वायु (C) नमक (D) धरती उत्तर – (C) नमक 3.किन के पौ बारह थे- (A) गृहणियों के (B) अधिकारीयों के (C) पतियों के (D) बच्चों के उत्तर – (B) अधिकारीयों के 4. नमक विभाग में दरोगा के पद के लिए कौन ललचाते थे – (A) डॉक्टर (B) प्रोफेसर (C) इंजीनियर (D) वकील उत्तर – (D) वकील 5. नामक विभाग में किसे दरोगा की नौकरी मिली – (A) अलोपीदीन को (B) वंशीधर को (C) बदलू सिंह को (D) दातादीन को उत्तर -(B) वंशीधर को 6. नमक की कालाबाजारी कौन कर रहा था – (A) अलोपदीन (B) रामदीन (C) दातादीन (D) मातादीन उत्तर -(A) अलोपदीन 7. दुनिया सोती थी मगर दुनिया ________ जागती थी – (A) आँख (B) कान (C) जीभ (D) नाक उत्तर – (C) जीभ 8. किसका लाखों का लेन देन था – (A) वंशीधर का (B) मुरलीधर का (C) मातादीन का (D) अलोपदीन का उत्तर- (D) अलोपदीन का 9. अलोपदीन को दरोगा को किस बल पर खरीद लेने का विश्वास था – (A) बल (B) छल (C) रिश्वत (D) सम्बन्ध उत्तर -(c) रिश्वत 10. न्याय और नीति सब लक्ष्मी के खिलौने है – यह कथन किसका था – (A) वंशीधर (B) अलोपदीन (C) बदलूसिंह (D) वंशीधर के पिता का उत्तर – (B) अलोपदीन 11. अलोपदीन क्या देखर मूर्छित होकर गिर पड़े – (A) हथकड़ियाँ (B) पुलिस (C) डाकू (D) लठैत उत्तर – (A) हथकड़ियाँ 12.’चालीस हज़ार नहीं , चालीस लाख भी नहीं ‘- यह कथन किस का है – (A) मजिस्ट्रटे का (B) वंशीधर का (C) बदलू सिंह का (D) अलोपदीन का उत्तर – (B) वंशीधर का 13. वंशीधर के पिता किसकी अगवानी के लिए दौड़ रहे थे – (A) वंशीधर की (B) मजिस्ट्रटे की (C) अलोपादीन की (D) मातादीन की उत्तर – (C) अलोपदीन की 14. प्रेमचंद्र जन्म कब हुआ था – (A) 1880 में (B) 1888 में (C) 1800 में (D) 1860 में उत्तर – (A) 1880 में 15. प्रेमचंद्र का निधन कब हुआ – (A) 1933 में (B) 1934 में (C) 1935 में (D) 1936 में उत्तर -(D) 1936 में 16. वंशीधर के पिता के विचार से ऊपरी आय क्या है? क) पीर का मजार ख) बहता स्रोत ग) चंद्रमा घ) खिलौना उत्तर: ख 17. वंशीधर को किस कार्यालय में नौकरी मिली? क) पुलिस विभाग में ख) न्यायालय में ग) नमक विभाग में घ) कहीं पर भी नहीं उत्तर: ग 18. वंशीधर के पिता ने उन्हें कैसा कार्य ढूंढने की सलाह दी? क) जिसमें केवल वेतन प्राप्त हो। ख) जिसमें ऊपरी आय मिलने की संभावना हो। ग) जिसमें ईमानदारी से कार्य किया जाए। घ) जिसमें कोई कार्य न करना पड़े। उत्तर: ख 19. मुकदमा चलाने पर अदालत ने किसे दोषी ठहराया? क) वंशीधर ख) अलोपीदीन ग) वकील घ) किसी को भी नहीं उत्तर: क 20. पंडित अलोपीदीन कौन थे? क) दारोगा ख) न्यायाधीश ग) जमींदार घ) किसान उत्तर: ग 21. किस ईश्वर प्रदत्त वस्तु का व्यवहार करना निषेध हो गया था – (क) जल (ख) वायु (ग) नमक (घ) धरती उत्तर – ग 22. बंशीधर के पिता ने मासिक वेतन को क्या कहा है? क) चाँद ख) अमावस्या का चांद ग) पूर्णमासी का चांद घ) बहता स्रोत उत्तर – ग 23. घाट के देवता को भेंट चढ़ाने से क्या तात्पर्य है? क) भगवान को भोग चढ़ाना ख) नदी किनारे श्राद्ध करना ग) ब्राह्मण को दान देना घ) नमक के दरोगा को रिश्वत देना उत्तर – घ 24. अलोपीदीन अंत में कितनी रिश्वत देने के लिए तैयार हो गए? क) 40 हजार ख) 30 हजार ग) 20 हजार घ) 5 हजार उत्तर – क 25. लोगों को किस बात पर आश्चर्य हो रहा था? क) अलोपीदीन की गिरफ्तारी पर * ख) वंशीधर की ईमानदारी पर ग) न्यायाधीश के न्याय पर घ) उपर्युक्त सभी उत्तर – क FAQs नमक का दरोगा कहानी की मूल संवेदना क्या है? ‘नमक का दरोगा’ कहानी की मूल संवेदना समाज और शासन-प्रशासन में फैले भ्रष्टाचार की प्रवृत्ति को उजागर करना और उस पर व्यंग्यात्मक कटाक्ष करना है। नमक के दरोगा से क्या शिक्षा मिलती है? यह कहानी धन के ऊपर धर्म के जीत की है। कहानी में मानव मूल्यों का आदर्श रूप दिखाया गया है और उसे सम्मानित भी किया गया है। अलोपीदीन की गाड़ियां कौन सी नदी के पुल पर जा रही थी? उनके दफ्तर से एक मील पहले जमुना नदी थी जिस पर नावों का पुल बना हुआ था। गाड़ियों की आवाज़ और मल्लाहों की कोलाहल से उनकी नींद खुली। बंदूक जेब में रखा और घोड़े पर बैठकर पुल पर पहुँचे वहाँ गाड़ियों की एक लंबी कतार पुल पार कर रही थीं। लोग नमक विभाग में नौकरी क्यों करना चाहते थे? लोग पटवारीगिरी के पद को छोड़कर नमक विभाग की नौकरी करना चाहते थे, क्योंकि इसमें ऊपर की कमाई होती थीं। लोग इनकों घूस देकर अपना काम निकलवाते थे। नौकरी पर जाते समय उन्हें किसने सलाह दी? मुंशी वंशीधर ने भी फारसी पढ़ी और रोजगार की खोज में निकल पड़े। उनके घर की आर्थिक दशा खराब थी। उनके पिता ने घर से निकलते समय उन्हें बहुत समझाया जिसका सार यह था कि ऐसी नौकरी करना जिसमें ऊपरी कमाई हो और आदमी तथा अवसर देखकर घूस जरूर लेना। नमक का दरोगा कहानी का उद्देश्य लिखिए? नमक का दरोगा कहानी का उद्देश्य होता है कि ईमानदारी एवं कर्तव्यनिष्ठ समाज का निर्माण करना। नमक का दरोगा कहानी के पात्र कौन-कौन हैं? नमक का दरोगा कहानी में चार प्रमुख पात्र हैं – अलोपीदीन, मुंशी वंशीधर, बूढ़े मुंशी जी और नमक। CBSE 22-23 प्रतिदर्श प्रश्न-पत्र 1. कोठार किसके काम आता होगा? ANSWER= अनाज जमा करने के लिए 2. दाढ़ी वाली मूर्ति का नाम क्या रखा गया है?
4. मुअनजो-दड़ो की गलियों तथा घरों को देखकर लेखक को किस प्रदेश का ख्याल आया?
5. मुअनजो-दड़ो के घरों में टहलते हुए लेखक को किस गाँव की याद आई?
6. मुअनजो-दड़ो की खुदाई में निकली पंजीकृत चीज़ों की संख्या कितनी थी?
7. खुदाई से प्राप्त गेहूँ का रंग कैसा है?
8. अजायबघर में तैनात व्यक्ति का नाम क्या था?
14. ‘डीके’ हलका किसके नाम पर रखा गया है?
सेवा में, श्रीमान प्रधानाचार्य, केंद्रीय विद्यालय हरसिहपुरा, करनाल | दिनांक- 01-08-2022 विषय- प्राचार्य महोदय को दोन दिन की छुट्टी के लिए पत्र | महोदय, सविनय निवेदन यह है कि कल मैं (नाम/कक्षा/वर्ग) विद्यालय से घर जाते समय बारिश में भीग गई, जिसके कारण मुझे तीव्र ज्वर हो गया | डॉ से सलाह लेने पर उन्होने मुझे दो दिन आराम करने को कहा| जिसके कारण मैं दो दिन विद्यालय आने में असमर्थ हूँ| अतः आपसे विनम्र निवेदन है कि मुझे दो दिन दिनांक 01-08-22 से 02-08-22 तक की छुट्टी देने की कृपा करें| आपकी अति महान कृपा होगी| धन्यवाद सहित! आपकी आज्ञाकारिणी शिष्या हस्ताक्षर- नाम- कक्षा- वर्ग– अनुक्रमांक- —-शुल्क माफ़ी हेतु पत्र सेवा में, श्रीमान प्रधानाचार्य, केंद्रीय विद्यालय हरसिहपुरा, करनाल | दिनांक- 30-07-2022 विषय- प्राचार्य महोदय को शुल्क माफ़ी हेतु पत्र | महोदय, सविनय निवेदन यह है कि कल मैं (नाम/कक्षा/वर्ग) आपके विद्यालय का होनहार छात्र हूँ | हम दो भाई-बहन इस विद्यालय में पढ़ते हैं| श्रीमान मेरे पिता जी की मासिक आय बहुत ही कम है जिसके कारण वो हम दोनों का शुल्क नहीं भर पा रहे हैं| अतः आपसे विनम्र निवेदन है कि हमारा शुल्क माफ़ करने की कृपा करें ताकि हम बाई-बहन अपनी आगे की पढ़ाई सुचारु रूप से जारी रख सकें| | आपकी अति महान कृपा होगी| धन्यवाद सहित! आपकी आज्ञाकारी शिष्य हस्ताक्षर- नाम- कक्षा- वर्ग– अनुक्रमांक- सारांश–उपर्युक्त कविता में कवयित्री कहती है कि अभी सबसे कठिन समय नहीं है क्योंकि अभी भी चिड़िया तिनका ले जाकर घोंसला बनाने की तैयारी में है। अभी भी झड़ती हुई पत्तियों को सँभालने वाला कोई हाथ है अर्थात अभी भी लोग एक दूसरे की मदद के लिए तैयार है। अभी भी अपने गंतव्य तक पहुँचने का इंतजार करने वालों के लिए रेलगाड़ियाँ आती हैं। अभी भी कोई कहता है जल्दी आ जाओ क्योंकि सूरज डूबने वाला है। अभी भी बूढी नानी की सुनाई कथा आज भी कोई सुनाता है कि अंतरिक्ष के पार भी दुनिया है। अतः अभी सबसे कठिन समय नहीं आया है। प्रश्नोत्तर — प्र॰1 ’’यह कठिन समय नहीं है?’’ यह बताने के लिए कविता में कौन-कौन से तर्क प्रस्तुत किए गए हैं? स्पष्ट कीजिए। उत्तर – यह बताने के लिए कवयित्री ने घोसला बनाने का प्रयास करती चिड़िया, गिरते पत्ते को थमने वाले हाथ, प्रतीक्षा करते यात्रियों के लिए आई रेलगाड़ी, तथा नानी की कहानी सुनने की लालसा आदि तर्क प्रस्तुत किए हैं । प्र॰2 चिड़िया चोंच में तिनका दबाकर उड़ने की तैयारी में क्यों है? वह तिनकों का क्या करती होगी? लिखिए। उत्तर – चिड़िया तिनकों से घोंसला बनाती है अतः वह अपने बच्चों के लिए रहने की जगह यानी घोंसला बनाना चाहती है इसलिए वह तिनके को चोंच में दबाकर उड़ने की तैयारी में है ताकि जल्दी घोंसला बना सके। प्र॰3 कविता में कई बार ‘अभी भी’ का प्रयोग करके बातें रखी गई हैं, अभी भी का प्रयोग करते हुए तीन वाक्य बनाइए और देखिए उनमें लगातार, निरंतर, बिना रुके चलनेवाले किसी कार्य का भाव निकल रहा है या नहीं? उत्तर – प्र॰4 नहीं और अभी भी को एक साथ प्रयोग करके तीन वाक्य लिखिए और देखिए ‘नहीं’‘अभी भी’के पीछे कौन-कौन से भाव छिपे हो सकते हैं? उत्तर
– प्रश्न-5 आप जब भी घर से स्कूल जाते हैं कोई आपकी प्रतीक्षा कर रहा होता है। सूरज डूबने का समय भी आपको खेल के मैदान से घर लौट चलने की सूचना देता है कि घर में कोई
आपकी प्रतीक्षा कर रहा है – प्रतीक्षा करनेवाले व्यक्ति के विषय में आप क्या सोचते हैं? अपने विचार लिखिए। अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न निम्नलिखित गदयांशों को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए – प्रश्न 1: उन लोगों के दो नाम थे-इंदर सेना या मेढक-मंडली। बिलकुल एक-दूसरे के विपरीत। जो लोग उनके नग्नस्वरूप शरीर, उनकी उछल-कूद, उनके शोर-शराबे और उनके कारण गली में होने वाले कीचड़ काँदो से चिढ़ते थे, वे उन्हें कहते थे मेढ़ क-मंडली। उनकी अगवानी गालियों से होती थी। वे होते थे दस-बारह बरस से
सोलह-अठारह बरस के लड़के, साँवला नंगा बदन सिर्फ एक जाँधिया या कभी-कभी सिर्फ़ लैंगोटी। एक जगह इकट्ठे होते थे। पहला जयकारा लगता था, “बोल गंगा मैया की जय।” जयकारा सुनते ही लोग सावधान हो जाते थे। स्त्रियाँ और लड़कियाँ छज्जे, बारजे से झाँकने लगती थीं और यह विचित्र नंग-धडंग टोली उछलती-कूदती समवेत पुकार लगाती थी :
उत्तर –
प्रश्न 2: सचमुच ऐसे दिन होते जब गली-मुहल्ला, गाँव-शहर हर जगह लोग गरमी में भुन-भुन कर त्राहिमाम कर रहे होते, जेठ के दसतपा बीतकर आषाढ़ का पहला पखवारा भी बीत चुका होता, पर क्षितिज पर कहीं बादल की रेख भी नहीं दिखती होती, कुएँ सूखने लगते,
नलों में एक तो बहुत कम पानी आता और आता भी तो आधी रात को भी मानो खौलता हुआ पानी हो। शहरों की तुलना में गाँव में और भी हालत खराब होती थी। जहाँ जुताई होनी चाहिए वहाँ खेतों की मिट्टी सूख कर पत्थर हो जाती, फिर उसमें पपड़ी पड़कर जमीन फटने लगती, लूऐसी कि चलते-चलते आदमी आधे रास्ते में लू खाकर गिर पड़े। ढोर-ढंगर प्यास के मारे मरने लगते लेकिन बारिश का कहीं नाम निशान नहीं, ऐसे में पूजा-पाठ कथा-विधान सब करके लोग जब हार जाते तब अंतिम उपाय के रूप में निकलती यह इंदर सेना। वर्षा के बादलों के स्वामी हैं इंद्र और
इंद्र की सेना टोली बाँधकर कीचड़ में लथपथ निकलती, पुकारते हुए मेघों को, पानी माँगते हुए प्यासे गलों और सूखे खेतों के लिए।
उत्तर –
प्रश्न 3: पानी की आशा पर जैसे सारा जीवन आकर टिक गया हो। बस एक बात मेरे समझ में नहीं आती थी कि जब चारों ओर पानी की इतनी कमी है तो लोग घर में इतनी कठिनाई से इकट्ठा करके रखा हुआ पानी बाल्टी
भर-भरकर इन पर क्यों फेंकते हैं। कैसी निर्मम बरबादी है पानी की। देश की कितनी क्षति होती है इस तरह के अंधविश्वासों से। कौन कहता है इन्हें इंद्र की सेना? अगर इंद्र महाराज से ये पानी दिलवा सकते हैं तो खुद अपने लिए पानी क्यों नहीं माँग लेते? क्यों मुहल्ले भर का पानी नष्ट करवाते घूमते हैं? नहीं यह सब पाखंड है। अंधविश्वास है। ऐसे ही अंधविश्वासों के कारण हम अंग्रेजों से पिछड़ गए और गुलाम बन गए।
उत्तर –
प्रश्न 4: मैं असल में था
तो इन्हीं मेढक-मंडली वालों की उमर का, पर कुछ तो बचपन के आर्यसमाजी संस्कार थे और एक कुमारसुधार सभा कायम हुई थी उसका उपमंत्री बना दिया गया था-सी समाज-सुधार का जोश कुछ ज्यादा ही था। अंधविश्वासों के खिलाफ तो तरकस में तीर रखकर घूमता रहता था। मगर मुश्किल यह थी कि मुझे अपने बचपन में जिससे सबसे ज्यादा प्यार मिला वे थीं जीजी। यूँ मेरी रिश्ते में कोई नहीं थीं। उम्र में मेरी माँ से भी बड़ी थीं, पर अपने लड़के-बहू सबको छोड़कर उनके प्राण मुझी में बसते थे। और वे थीं उन तमाम रीति-रिवाजों, तीज-त्योहारों,
पूजा-अनुष्ठानों की खान जिन्हें कुमारसुधार सभा का यह उपमंत्री अंधविश्वास कहता था, और उन्हें जड़ से उखाड़ फेंकना चाहता था। पर मुश्किल यह थी कि उनका कोई पूजा-विधान, कोई त्योहार अनुष्ठान मेरे बिना पूरा नहीं होता था।
उत्तर –
प्रश्न 5: लेकिन इस बार मैंने साफ़ इन्कार कर दिया। नहीं फेंकना है मुझे बाल्टी भर-भरकर पानी इस गंदी मेढक-मंडली पर। जब जीजी बाल्टी भरकर पानी ले गईं-उनके बूढ़े पाँव डगमगा रहे थे, हाथ काँप रहे थे, तब भी मैं अलग मुँह फुलाए खड़ा रहा। शाम को
उन्होंने लड्डू-मठरी खाने को दिए तो मैंने उन्हें हाथ से अलग खिसका दिया। मुँह फेरकर बैठ गया, जीजी से बोला भी नहीं। पहले वे भी तमतमाई, लेकिन ज्यादा देर तक उनसे गुस्सा नहीं रहा गया। पास आकर मेरा सर अपनी गोद में लेकर बोलीं, ‘देख भइया, रूठ मत। मेरी बात सुन। यह सब अंधविश्वास नहीं है। हम इन्हें पानी नहीं देंगे तो इंद्र भगवान हमें पानी कैसे देंगे?” मैं कुछ नहीं बोला। फिर जीजी बोलीं, “तू इसे पानी की बरबादी समझता है पर यह बरबादी नहीं है। यह पानी का अध्र्य चढ़ाते हैं, जो चीज मनुष्य पाना चाहता है उसे
पहले देगा नहीं तो पाएगा कैसे? इसीलिए ऋषि-मुनियों ने दान को सबसे ऊँचा स्थान दिया है।”
उत्तर –
प्रश्न 6: फिर जीजी बोलीं, “देख तू तो अभी से पढ़-लिख गया है। मैंने तो गाँव के मदरसे का भी मुँह नहीं देखा। पर एक बात देखी है । कि अगर तीस-चालीस मन गेहूँ उगाना है तो किसान पाँच-छह सेर अच्छा गेहूँ अपने पास से लेकर जमीन में क्यारियाँ बनाकर फेंक देता है। उसे बुवाई कहते हैं। यह जो सूखे के समय हम अपने घर का पानी इन पर फेंकते हैं वह भी बुवाई है। यह पानी गली में बोएँगे तो सारे शहर, कस्बा, गाँव पर
पानी वाले बादलों की फसल आ जाएगी। हम बीज बनाकर पानी देते हैं, फिर काले मेघा से पानी माँगते हैं। सब ऋषि-मुनि कह गए हैं कि पहले खुद दो तब देवता तुम्हें चौगुना-अठगुना करके लौटाएँगे। भइया, यह तो हर आदमी का आचरण है, जिससे सबका आचरण बनता है। ‘यथा राजा तथा प्रजा’ सिर्फ यही सच नहीं है। सच यह भी है कि ‘यथा प्रजा तथा राजा’। यह तो गाँधी जी महाराज कहते हैं।” जीजी का एक लड़का राष्ट्रीय आंदोलन में पुलिस की लाठी खा चुका था, तब से जीजी गाँधी महाराज की बात अकसर करने लगी थीं।
उत्तर –
प्रश्न 7: कभी-कभी कैसे-कैसे संदर्भों में ये बातें मन को कचोट जाती हैं, हम आज देश के लिए करते क्या हैं? माँगें हर क्षेत्र में बड़ी-बड़ी हैं पर त्याग का कहीं नाम-निशान नहीं है। अपना स्वार्थ आज एकमात्र लक्ष्य रह गया है। हम चटखारे लेकर इसके या उसके भ्रष्टाचार की बातें करते हैं पर क्या कभी हमने जाँचा है कि अपने स्तर पर अपने दायरे में हम उसी भ्रष्टाचार के अंग तो नहीं बन रहे हैं? काले मेघा दल के दल उमड़ते हैं, पानी झमाझम बरसता
है, पर गगरी फूटी की फूटी रह जाती है, बैल पियासे के पियासे रह जाते हैं? आखिर कब बदलेगी यह स्थिति ?
उत्तर –
पाठ्यपुस्तक से हल प्रश्न पाठ के साथ प्रश्न 1: लोगों ने लड़कों की टोली को मेढक – मंडली नाम किस आधार पर दिया ? यह टोली अपने आपको इंदर सेना कहकर क्यों बुलाटी थी
? प्रश्न 2: जीजी ने इंदर सेना पर पानी फेंके
जाने को किस तरह सही ठहराया?
प्रश्न 3: ‘पानी दे ,गुड़धनी दे’ मेघों से पानी के साथ – साथ गुड़धनी की माँग क्यों की जा रहा है ? प्रश्न 4: ‘गगरी फूटी बैल पियासा’ से लेखक का क्या आशय हैं? अथवा ‘गागरी फूटी बैल पियासा’ कथन के पीछे छिपी वेदना को स्पष्ट कीजिए। प्रश्न 5: इंदर सेना सबसे पहले गा मैया की जय क्यों बोलती हैं? नदियों का भारतीय सामाजिक, सांस्कृतिक परिवेश में क्या महत्व हैं? प्रश्न 6: “रिश्तों में हमारी भावना – शक्ति का बँट जाना ,विश्वासों के जंगल में सत्य की राह खोजनी हमारी बुदिध की शक्ति को कमज़ोर करती है। ” पाठ में जीजी लेखक की भावना के संदर्ब में इस कथन के ओचित्य की
समीक्षा कीजिए ? पाठ के आस-पास प्रश्न 1: क्या इंदर सेना आज के युवा वय का प्रेरणा-स्रोत हो सकती हैं? क्या आपके स्मृति-कोश में ऐसा कोई अनुभव हैं जब युवाओं ने संगठित होकर समाजोपयोगी रचनात्मक कार्य किया हो? उल्लेख
करें? प्रश्न 2:
तकनीकी विकास के दौर में भी भारत की अर्थव्यवस्था कृषि पर निर्भर है। कृषि-समाज में चैत्र, वैशाख सभी माह बहुत महत्वपूर्ण हैं, पर आषाढ़ का चढ़ना उनमें उल्लास क्यों भर देता हैं? प्रश्न 3: पाठ के संदर्भ में इसी पुस्तक में दी गई निराला की कविता ‘बदल राग’ पर विचार कीजिए और बताइए कि आपके जीवन में बादलों की क्या भूमिका है ? प्रश्न 4: “त्याग तो वह होता…उसी का फल मिलता हैं।”अपने जीवन के किसी प्रसंग से इस सूक्ति की सार्थकता समझाइए। प्रश्न 5: पानी का संकट वतमान स्थिति में भी बहुत गहराया हुआ हैं। इसी तरह के पयावरण से
संबद्ध अन्य संकटों के बारे में लिखिए । प्रश्न 6: आपकी दादी – नानी किस तरह के विश्वासों की बात करती है ? ऐसी स्थिति में उनके प्रति आपका रवैया क्या होता है ? चर्चा करें प्रश्न 1: बादलों से संबंधित अपने -अपने क्षेत्र में प्रचलित गीतों का संकलन करें तथा कैशा में चर्चा करें ? प्रश्न 2: पिछले 15-20 सालों में पयावरण से छेड़-छाड़ के कारण भी प्रकृति-चक्र
में बदलाव आया हैं, जिसका परिणाम मौसम का असंतुलन है। वर्तमान बाड़मेर (राजस्तान )में आई बढ़ ,मुंबई की बढ़ तथा महाराष्ट्र का भूकंप या फिर सुनामी भी इसी का नतीजा है। इस प्रकार की घटनाओ ,चित्रों का संकलन कीजिए और एक प्रदर्शनी का आयोजन कीजिए , जिसमे ‘बाज़ार दर्शन’ पाठ में बनाए गए विज्ञानपनों को भी शामिल कर सकते है। और हँ ,ऐसी स्थितियों से बचाव के उपाय पर पयावरण विशेषज्ञों की राय को प्रदशनी में मुख्य स्थान देना न भूलें। विज्ञापन की दुनिया प्रश्न 1: ‘पानी बचाओ’ से जुड़े विज्ञापनों को एकत्र कीजिए। इस सकट के प्रति चेतावनी बरतने के लिए आप किस प्रकार का विज्ञापन चाहेंगे? अन्य हल प्रश्न बोधात्मक प्रश्न प्रश्न 1: काले मेघा पानी दे ,संस्मरण के लेखक ने लोक – प्रचलित विश्वासों को अंधविश्वास कहकरण उनके निराकरण पर बल दिया है। – इस कथन की विवेचना कीजिए
? प्रश्न
2: ‘काले मेघा पानी दे’ पाठ की ‘इंदर सेना’ युवाओं को रचनात्मक कार्य करने की प्रेरणा दे सकती हैं-तर्क सहित उतार दीजिए। प्रश्न 3: यदि आप धर्मवीर भारती के स्थान पर होते तो जीजी के तक सुनकर क्या करते और क्यों? ‘काले मेधा पानी दे’-पाठ के आधार पर बताइए। प्रश्न 4: ‘काले मेघा पानी दे’ पाठ के आधार पर जल और वर्षा के अभाव में गाँव की दशा का वर्णन र्काजिए। प्रश्न 5: दिन-दिन गहराते पानी के संकट से निपटने के लिए क्या आज का युवा वर्ग ‘काले मेघा पानी दे’ र्का इंदर सेना की तर्ज पर कोई सामूहिक आंदोलन प्रारंभ कर सकता हैं? अपने विचार लिखिए। प्रश्न 6: ग्रीष्म में कम पानी वाले दिनों में गाँव-गाँव में डोलती मेढ़क-मंडली पर एक बाल्टी पानी उड़ेलना जीजी के विचार से पानी का बीज बोना हैं,
कैसे? प्रश्न 7: जीजी के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालिए। प्रश्न 8: ‘गगरी फूटी बैल पियासा’ का भाव या प्रतीकार्थ देश के संदर्भ में समझाइए। प्रश्न 9: ‘काले मेघा पानी दे’ सस्मरण विज्ञान के सत्य पर सहज प्रेम की विजय का चित्र प्रस्तुत करता हैं-स्पष्ट कीजिए। प्रश्न 10: धमवीर भारती मढ़क-मडली पर पानी डालना क्यों व्यर्थ मानते थे? प्रश्न 11: ‘काले मघा पानी दे’ में लेखक ने लोक-मान्यताओं के पीछ छिपे किस तक को उभारा है? आप’ भी अपने जीवन के अनुभव से किसी अधविश्वास के पीछे छिपे तक को स्पष्ट कीजिए। प्रश्न
12: मेढ़क मडली पर पानी डालने को लेकर लखक और जीजी के विचारों में क्या भिन्नता थी? स्वयं करें
(क) उपर्युक्त कथन किसका है? यह किस संदर्भ में कहा गया है? (ब) हम आज देश के लिए करते क्या हैं? माँगें हर क्षेत्र में बड़ी-बड़ी हैं पर त्याग का कहीं नाम-निशान नहीं है। अपना स्वार्थ आज एकमात्र लक्ष्य रह गया है। हम चटखारे लेकर इसके या उसके भ्रष्टाचार की बातें करते हैं पर क्या कभी हमने जाँचा है कि अपने स्तर पर अपने दायरे में हम उसी भ्रष्टाचार के अंग तो नहीं बन रहे हैं? काले मेघा दल के दल उमड़ते हैं, पानी झमाझम बरसता है, पर गगरी फूटी की फूटी रह जाती है, बैल पियासे के पियासे रह जाते हैं। आखिर कब बदलेगी यह स्थिति ? (क) ”
हम आज देश के लिए करते क्या हैं? माँगें हर क्षेत्र में बड़ी-बड़ी हैं।”- कथन के द्वारा लेखक देशवासियों की किस मानसिकता पर व्यंग्य कर रहा है? इस शिक्षा नीति को 2017 में मशहूर अतरिक्ष वैज्ञानिक पद्मभूषण के कस्तूरीरंगन जी की अध्यक्षता में शुरू किया गया और 2020 में लागू किया गया। इसका उद्देश्य/लक्ष्य है 2030 तक सकल नामांकन 100% करना या यूं कहें सभी बच्चे स्कूल जाएँ। भारत के वर्त्तमान प्रधानमंत्री शिक्षा नीति में संशोधन करके नयी शिक्षा नीति 2020 तैयार की है. नई शिक्षा नीति 5+3+3+4 पैटर्न पर आधारित है. नई शिक्षा नीति में पूर्व प्राथमिक स्तर यानि प्ले स्कूल की शिक्षा को जोड़ा गया है. बच्चों को शुरुआत के तीन साल प्ले स्कूल की तरह शिक्षा दिया जायेगा. और दूसरी कक्षा तक बच्चों को परीक्षा से मुक्त किया गया है। शिक्षा नीति किसे कहते है?एजुकेशन पालिसी को हिंदी में शिक्षा नीति कहते हैं. यह नीति बच्चों को उचित शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए बनायीं जाती है. शिक्षा नीति केंद्र सरकार द्वारा बनाया जाता है. शिक्षा नीति के अंतर्गत शिक्षा व्यवस्था का पैटर्न तैयार किया जाता है.उस शिक्षा व्यवस्था के पैटर्न को पूरे देश में लागू किया जाता है. इसलिए इसे शिक्षा नीति कहा जाता है. भारत में सबसे पहले 1968 में शिक्षा नीति बनायीं गयी थी. उसके बाद उसमें संशोधन करके नई शिक्षा नीति, 1986 लायी गयी. अब तक भारत की शिक्षा नीति में तीन बार संशोधन किया गया है. हाल ही में केंद्र सरकार शिक्षा नीति में संशोधन करके नई शिक्षा नीति, 2020 तैयार की है। नयी शिक्षा नीति 2020 क्या है? New Education Policy in Hindiनई शिक्षा नीति 2020, भारत की नई शिक्षा नीति है जो 5+3+3+4 पैटर्न पर आधारित है. जिसे भारत सरकार ने 29 जुलाई 2020 को घोषित की है. 1986 में जारी हुई नई शिक्षा नीति के बाद भारत की शिक्षा नीति में यह पहला नया संशोधन है. भारत में कुल 34 वर्षों के बाद शिक्षा नीति में बदलाव करके New Education Policy 2020 तैयार किया गया है. उसमें भी अभी केवल शिक्षा नीति का प्रारूप तैयार किया गया है, इसे लागु करने में कई वर्ष लग सकते हैं. यह शिक्षा नीति अंतरिक्ष वैज्ञानिक के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट पर आधारित है। 2020 की नई शिक्षा नीति के तहत ‘मानव संसाधन विकास मंत्रालय’ का नाम परिवर्तित करके केवल ‘शिक्षा मंत्रालय’ रखा गया है. पुरानी शिक्षा नीति के तहत 6 वर्ष की आयु में बच्चों को स्कूल में दाखिल किया जाता है. उसमें बदलाव किया गया, नई शिक्षा नीति के तहत 3 वर्ष की आयु में ही बच्चों को स्कूल में दाखिल किया जायेगा. नई शिक्षा नीति 2020 के तहत पूर्व-प्राथमिक स्तर की शिक्षा को शामिल किया गया है. पूर्व-प्राथमिक स्तर की शिक्षा तीन वर्ष तक दी जाएगी, जिसमें बच्चों को प्ले स्कूल की तरह खेल-खेल में शिक्षा दिया जायेगा. बच्चों को किताब-कॉपी नहीं लेकर जाना होगा. इससे बच्चों को बस्ता का भारी वजन नहीं ढोना पड़ेगा। नई शिक्षा नीति 2020 के तहत स्कूलों में 10 +2 प्रोग्राम के स्थान पर 5 +3+3+4 प्रोग्राम को शामिल किया गया. इसी पैटर्न पर बच्चों को शिक्षा प्रदान किया जायेगा. अब आप सोच रहे होंगे कि ये 5+3+3+4 प्रोग्राम क्या है. इसका मतलब यह है कि नयी शिक्षा नीति 2020 के तहत बारहवीं कक्षा तक की शिक्षा चार स्टेज में दी जाएगी. पांच वर्ष की शिक्षा फाउंडेशन स्टेज में, उसके बाद की तीन वर्ष की शिक्षा प्रिपरेटरी स्टेज, दूसरा तीन साल मिडिल स्टेज और अंतिम चार वर्ष सीनियर सेकेंडरी स्टेज में आएगा। नयी शिक्षा नीति 2020 के प्रमुख बिंदु5 वर्ष-Foundation Stage (Pre-Primary और class 1, 2 तक)शुरुआत की पांच वर्ष फाउंडेशन स्टेज कहलायेगा. इस स्टेज में प्री-प्राइमरी स्कूल (Play School) की शिक्षा तीन साल तक तथा कक्षा 1 और कक्षा 2 की पढाई होगी. पहले जहां सरकारी स्कूल में दाखिला 6 वर्ष में होता था, वहीँ अब 3 साल में ही बच्चों का नामांकन होगा. तीन वर्ष की आयु में बच्चों का नामांकन होगा. तीन साल तक पूर्व-प्राथमिक स्कूल की पढाई होगी औरदो साल कक्षा एक और दो कक्षा की पढाई होगी. इस स्टेज में बच्चों को परीक्षा नहीं देना होगा. शुरुआत के पांच वर्षों में परीक्षा नहीं होगा. इससे बच्चे में परीक्षा का भय, डर नहीं होगा। 3 वर्ष -Preparatory Stage (class 3, 4, 5)फाउंडेशन स्टेज पूरी करने के बाद इस स्टेज में बच्चा तीन कक्षा में आएगा. इस स्टेज में बच्चा तीन साल तक रहेगा यानि कक्षा तीन, चार और कक्षा पांचवीं (कक्षा 3, 4, 5) तक की पढाई होगी. इस स्टेज तक बच्चों को मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा में शिक्षा प्रदान किया जायेगा. इसी स्टेज में बच्चे का एग्जाम शुरू होगा यानि कि कक्षा तीन से बच्चों को परीक्षा देनी होगी। दूसरा 3 वर्ष -Middle Stage (class 6, 7, 8)पांचवीं कक्षा तक की पढाई पूरी करने के बाद बच्चा मिडिल स्टेज में आएगा. इस स्टेज में बच्चा कक्षा 6 में आएगा एवं तीन साल तक इसी स्टेज में रहेगा, यानि मिडिल स्टेज में बच्चा कक्षा छठी, सातवीं और आठवीं (Class 6-8) तक रहेगा. इस स्टेज में बच्चे को व्यावसायिक शिक्षा (Vocational Training) दिया जायेगा. जैसे, कंप्यूटर ट्रेनिंग, कोडिंग, सिलाई, बुनाई, बढई कार्य आदि का ट्रेनिंग दिया जायेगा. इस स्टेज में पढाई किसी भी भारतीय भाषा में दी जाएगी। 4 वर्ष -Secondary Stage (class 9, 10, 11, 12)मिडिल स्टेज के बाद बच्चा सेकेंडरी स्टेज में जायेगा. यह स्टेज कक्षा नौवीं से बारहवीं तक का होगा. इस स्टेज में बच्चा 9 क्लास में आएगा, और बारहवीं कक्षा तक रहेगा. इसमें बच्चा जिस सब्जेक्ट की पढाई करना चाहता है, वह सब्जेक्ट रख सकता है. साइंस, कॉमर्स, आर्ट्स इन सभी स्ट्रीम को हटा दिया गया है. Multiple subject का प्रावधान है, कोई भी स्ट्रीम नहीं होगा. बच्चा जो सब्जेक्ट पढना चाहता है, वह सब्जेक्ट रख सकता है. जैसे- अगर बच्चा को साइंस सब्जेक्ट अच्छा लगता है, तो एक साइंस का विषय, सामाजिक विज्ञान अच्छा लगता है, तो एक सामाजिक विज्ञान यानि इतिहास, भूगोल का विषय रख सकता है। एग्जाम पैटर्न में परिवर्तन किया गया है. पहले 9 से 12 तक वार्षिक परीक्षा होती थी. नयी शिक्षा नीति के तहत नौ से बारहवीं कक्षा की परीक्षा सेमेस्टर में होगा. प्रत्येक छः महीने में एक सेमेस्टर की परीक्षा होगी. इस स्टेज में एक विदेशी भाषा यानि फॉरेन लैंग्वेज की शिक्षा दी जाएगी। नई शिक्षा नीति 2020 क्या है?अब आप सोच रहे होंगे कि बारहवीं तक की पढाई इन चार स्टेज में होगी, तो ग्रेजुएशन डिग्री की शिक्षा किस प्रक्रिया में होगी. तो मैं आपको बता दूँ कि स्नातक यानि बी.ए (Graduation) 3 वर्ष की डिग्री. नयी शिक्षा नीति 2020 के तहत ग्रेजुएशन डिग्री 4 वर्ष की होगी. प्रत्येक वर्ष के लिए अलग-अलग प्रमाण-पत्र दिया जायेगा. जैसे-
इससे विद्यार्थियों को काफी फायदा होगा. जैसे अगर कोई बच्चा एक साल स्नातक की पढाई करता है, तो उसे ग्रेजुएशन सर्टिफिकेट दिया जायेगा. और दो वर्ष स्नातक की पढाई करता है, तो उसे ग्रेजुएशन डिप्लोमा प्राप्त होगा. उसके बाद अगर वह किसी कारणवश पढाई छोड़ देता है. उसके बाद फिर एक या दो वर्ष के बाद ग्रेजुएशन की पढाई पूरी करना चाहता है. तो उसे फिर से प्रथम वर्ष में एडमिशन नहीं लेना होगा. उसे सीधा स्नातक 3rd year में एडमिशन मिल जायेगा. क्योंकि पहले से उसके पास दो वर्ष का प्रमाण पत्र है। अगर पीजी यानि Post Graduation की बात करें, तो यह 1/2 वर्ष का होगा. आप एक या दो वर्ष का पोस्ट ग्रेजुएशन कर सकते हैं. लेकिन इसमें भी कुछ नियम है. जैसे- अगर आप तीन वर्ष का स्नातक डिग्री कोर्स किये है और आप पोस्ट ग्रेजुएशन करना चाहते हैं, तो आपको दो वर्ष का स्नातकोत्तर डिग्री करना होगा.केवल चार वर्षीय ग्रेजुएशन करने वालों को 1 वर्षीय स्नातकोत्तर में प्रवेश मिलेगा. 2020 की नयी शिक्षा नीति के तहत पीएचडी (PhD) कुल चार वर्ष की होगी। नयी शिक्षा नीति 2020 के लक्ष्य, उद्देश्य
गोपियों के अनुसार राजा का क्या होना चाहिए?Solution : गोपियों के अनुसार, राजा का धर्म यह होना चाहिए कि वह प्रजा को अन्याय से बचाए। उन्हें सताए जाने से रोके।
राजा का धर्म क्या होना चाहि ए?राजधर्म का अर्थ है - 'राजा का धर्म' या 'राजा का कर्तव्य'। राजवर्ग को देश का संचालन कैसे करना है, इस विद्या का नाम ही 'राजधर्म' है। राजधर्म की शिक्षा के मूल वेद हैं।
प्रश्न 6 गोपियों के अनुसार राजा का धर्म क्या होना चाहिए?गोपियों के अनुसार राजा का धर्म तो यह होना चाहिए कि वह किसी भी दशा में प्रजा को न सताए। वह प्रजा के सुख चैन का ध्यान रखे।
गोपियों के अनुसार राजा का धर्म क्या है एक वाक्य में उत्तर?(कृष्ण / उद्धव) 8.
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