गोपियों के अनुसार राजा क्या होना चादहए? - gopiyon ke anusaar raaja kya hona chaadahe?

खंड-‘अ’ – अऩठित बोध
अऩठित गद्यंश
प्रश्न- ननम्नलिखखत गद्यंश को ध््यन ऩूर्वक ऩठिए और सही वर्कल्ऩ चुनकर उत्तर दीजिए-
(1)
तत्ववेत्ता शिऺाववदों के अनुसाय ववद्मा दो प्रकाय की होती है। प्रथभ वह , जो हभें जीवन-माऩन के शरए
अजजन कयना शसखाती है औय द्ववतीम वह, जो हभें जीना शसखाती है। इनभें से एक का बी अबाव जीवन को
ननयथजक फना देता है। बफना कभाए जीवन-ननवाजह सॊबव नह ॊ। कोई बी नह ॊ चाहेगा कक वह ऩयावरॊफी हो; भाता-
वऩता, ऩरयवाय के ककसी सदस्म, जानत मा सभाज ऩय। ऩहर ववद्मा से ववह न व्मक्तत का जीवन दूबय हो जाता
है, वह दूसयों के शरए बाय फन जाता है। साथ ह ववद्मा के बफना साथजक जीवन नह ॊ क्जमा जा सकता। फहुत
अक्जजत कय रेने वारे व्मक्तत का जीवन मदद सुचारु रूऩ से नह ॊ चर यहा , उसभें मदद वह जीवन-िक्तत नह ॊ
है, जो उसके अऩने जीवन को तो सत्मऩथ ऩय अग्रसय कयती ह है, साथ ह वह अऩने सभाज, जानत एवॊ याष्ट्र
के शरए बी भागजदिजन कयती है, तो उसका जीवन बी भानव-जीवन का अशबधान नह ॊ ऩा सकता। वह बायवाह
गदजब फन जाता हैमा ऩॉूछ-सीॊगववह न ऩिुकहा जाता है।
वतजभान बायत भें दूसय ववद्मा का प्राम: अबाव ददखाई देता है, ऩयॊतुऩहर ववद्मा का रूऩ बी ववकृत ह
है, तमोंकक न तो स्कूर-कॉरेजों भें शिऺा प्राप्त कयके ननकरा छात्र जीववकाजजन के मोग्म फन ऩाता है औय न
ह वह उन सॊस्कायों से मुतत हो ऩाता है, क्जनसे व्मक्तत ‘कु’ से ‘सु’ फनता है; सुशिक्षऺत, सुसभ्म औय सुसॊस्कृत
कहराने का अधधकाय होता है। वतजभान शिऺा-ऩद्धनत के अॊतगजत हभ जो ववद्मा प्राप्त कय यहे हैं
, उसकी
वविेषताओॊ को सवजथा नकाया बी नह ॊ जा सकता। मह शिऺा कुछ सीभा तक हभाये दृक्ष्ट्िकोण को ववकशसत बी
कयती है, हभाय भनीषा को प्रफुद्ध फनाती हैतथा बावनाओॊ को चेतन कयती है, ककॊतुकरा, शिल्ऩ, प्रौद्मोधगकी
आदद की शिऺा नाभभात्र की होने के परस्वरूऩ इस देि के स्नातक के शरए जीववकाजजन िेढ खीय फन जाता
हैऔय फृहस्ऩनत फना मुवक नौकय की तराि भें अक्जजमाॉशरखने भें ह अऩने जीवन का फहुभूल्म सभम फफाजद
कय रेता है।
जीवन के सवाांगीण ववकास को ध्मान भें यखते हुए मदद शिऺा के क्रशभक सोऩानों ऩय ववचाय ककमा
जाए, तो बायतीम ववद्माथी को सवजप्रथभ इस प्रकाय की शिऺा द जानी चादहए , जो आवश्मक हो , दूसय जो
उऩमोगी हो औय तीसय जो हभाये जीवन को ऩरयष्ट्कृत एवॊ अरॊकृत कयती हो। मे तीनों सीदढमाॉएक के फाद
एक आती हैं, इनभें व्मनतक्रभ नह ॊ होना चादहए। इस क्रभ भें व्माघात आ जाने से भानव-जीवन का चारु
प्रासाद खडा कयना असॊबव है। मह तो बवन की छत फनाकय नीॊव फनाने के सदृि है। वतजभान बायत भें शिऺा
की अवस्था देखकय ऐसा प्रतीत होता है कक प्राचीन बायतीम दािजननकों ने ‘अन्न’ से ‘आनॊद’ की ओय फढने को
जो ‘ववद्मा का साय’ कहा था, वह सवजथा सभीचीन ह था।
i- ककन रोगों के अनुसाय ववद्मा दो प्रकाय की होती है?
(
क) इनतहास वेत्ताओॊ के अनुसाय
(
ख) बूगोर वेत्ताओॊ के अनुसाय
(ग)
तत्ववेत्ता शिऺाववदों के अनुसाय
(घ) काव्म-िाक्स्त्रमों के अनुसाय
ii- द्ववतीम ववद्मा हभें तमा शसखाती है?
(
क) ऻान
(
ख) भयना
(ग) ध्मान
(घ) जीना

गोपियों के अनुसार राजा क्या होना चादहए? - gopiyon ke anusaar raaja kya hona chaadahe?

• ★★ध्वनि★★

भाषा की बात
6. ‘हरे-हरे’, ‘पुष्प-पुष्प’ में एक शब्द की एक ही अर्थ में पुनरावृत्ति हुई है।
कविता के ‘हरे-हरे ये पात’ वाक्यांश में ‘हरे-हरे’ शब्द युग्म पत्तों के लिए विशेषण के रूप में प्रयुक्त हुए हैं। यहाँ ‘पात’ शब्द बहुवचन में प्रयुक्त है।
ऐसा प्रयोग भी होता है जब कर्ता या विशेष्य एकवचन में हो और कर्म, या क्रिया या विशेषण बहुवचन में; जैसे – वह लंबी-चौड़ी बातें करने लगा।
कविता में एक ही शब्द का एक से अधिक अर्थों में भी प्रयोग होता है – ”तीन बेर खाती थी , वे तीन बेर खाती है।” जो तीन बार खाती थी ,वह तीन बेर खाने लगी है।
एक शब्द ‘बेर’ का दो अर्थों में प्रयोग करने से वाक्य में चमत्कार आ गया। इसे यमक अलंकार कहा जाता है।
कभी-कभी उच्चारण की समानता से शब्दों की पुनरावृत्ति का आभास होता है जबकि दोनों दो प्रकार के शब्द होते हैं; जैसे – मन का/मनका।
ऐसे वाक्यों को एकत्र कीजिए जिनमें एक ही शब्द की पुनरावृत्ति हो।
ऐसे प्रयोगों को ध्यान से देखिए और निम्नलिखित पुनरावृत शब्दों का वाक्य में प्रयोग कीजिए –
बातों-बातों में, रह-रहकर, लाल-लाल, सुबह-सुबह, रातों-
रात, घड़ी-घड़ी।
उत्तर:- बातों-बातों में – बातों-बातों में कब घर आ गया, पता ही नहीं चला।
रह-रहकर – कल रात से रह-रहकर बारिश हो रही है।
लाल-लाल – लाल-लाल आँखों से पिताजी अमर को घूर रहें थे।
सुबह-सुबह – दादी जी सुबह-सुबह ही पूजा करने मंदिर निकल जाती हैं।
रातों-रात – ईश्वर की कृपा से रामन रातों-रात अमीर हो गया।
घड़ी-घड़ी – घड़ी-घड़ी शिक्षक उसे पढ़ाई में ध्यान लगाने के लिए टोकते रहते थे।

★★लाख की चूड़ियाँ★★
• भाषा की बात
7. ‘बदलू को किसी बात से चिढ़ थी तो काँच की चूडि़यों सेऔर बदलू स्वयं कहता है –जो सुंदरता काँच की चूडि़यों में होती है लाख में कहाँ संभव है? ”ये पंक्तियाँ बदलू की दो प्रकार की मनोदशाओं को सामने लाती हैं। दूसरी पंक्ति में उसके मन की पीड़ा है। उसमें व्यंग्य भी है। हारे हुए मन से, या दुखी मन से अथवा व्यंग्य में बोले गए वाक्यों के अर्थ सामान्य नहीं होते। कुछ व्यंग्य वाक्यों को ध्यानपूर्वक समझकर एकत्र कीजिए और उनके भीतरी अर्थ की व्याख्या करके लिखिए।
उत्तर:- व्यंग्य वाक्य – ‘अब पहले जैसी औलाद कहाँ?’
व्याख्या – आजकल किसी भी बुजुर्ग के मुख से आमतौर पर यह सुनने मिलता है जिसमें उनके हृदय में छिपा दुःख और व्यंग्य देखने मिलता है। उनका मानना है कि आजकल की संतान बुजुर्गों को अधिक सम्मान नहीं देती।

8. ‘बदलूकहानी की दृष्टि से पात्र है और भाषा की बात (व्याकरण) की दृष्टि से संज्ञा है। किसी भी व्यक्ति, स्थान, वस्तु, विचार अथवा भाव को संज्ञा कहते हैं। संज्ञा को तीन भेदों में बाँटा गया है –
(
क) व्यक्तिवाचक संज्ञा, जैसे – लला, रज्जो, आम, काँच, गाय इत्यादि
(
ख) जातिवाचक संज्ञा, जैसे – चरित्र, स्वभाव, वजन, आकार आदि द्वारा जानी जाने वाली संज्ञा।
(
ग) भाववाचक संज्ञा, जैसे – सुंदरता, नाजुक, प्रसन्नता इत्यादि जिसमें कोई व्यक्ति नहीं है और न आकार या वजन। परंतु उसका अनुभव होता है। पाठ से तीनों प्रकार की संज्ञाएँ चुनकर लिखिए।
उत्तर:- (क) व्यक्तिवाचक संज्ञा – बदलू, बेलन, मचिया
(ख) जातिवाचक संज्ञा – आदमी, मकान, शहर
(ग) भाववाचक संज्ञा – स्वभाव, रूचि, व्यथा

9. गाँव की बोली में कई शब्दों के उच्चारण बदल जाते हैं। कहानी में बदलू वक्त (समय) को बखत, उम्र (वय/आयु) को उमर कहता है। इस तरह के अन्य शब्दों को खोजिए जिनके रूप में परिवर्तन हुआ हो, अर्थ में नहीं।
उत्तर:- इंसान – मनुष्य
रंज – दुख
गम – मायूसी
ज़िंदगी – जीवन
औलाद – संतान

★★बस की यात्रा★★

• भाषा की बात
8. बस, वश, बस तीन शब्द हैं – इनमें बस सवारी के अर्थ में, वश अधीनता के अर्थ में, और बस पर्याप्त (काफी) के अर्थ में प्रयुक्त होता है,
जैसे – बस से चलना होगा।
मेरे वश में नहीं है।
अब बस करो।
उपर्युक्त वाक्यों के समान वश और बस शब्द से दो-दो वाक्य बनाइए।
उत्तर:-

बस ( सवारी के अर्थ में )- 1 .तुम्हारी देरी के कारण मेरी बस निकल गई ।

2 .जब तक बस नहीं आती , यही खड़े रहो ।

वश( अधीनता के अर्थ में ) – 1 .आज-कल के बच्चों को समझाना सबके वश की बात नहीं।
2 . भगवान की करनी मनुष्य के वश में नहीं।
बस ( सिर्फ / मात्र के अर्थ में ) – 1 .बस करो ,कितना खाओगे?
2 . बस करो, इतना काफी है।


9. “हम पाँच मित्रों ने तय किया कि शाम चार बजे की बस से चलें। पन्ना से इसी कंपनी की बस सतना के लिए घंटे भर बाद मिलती है।”
ऊपर दिए गए वाक्यों में ने, की, से आदि वाक्य के दो शब्दों के बीच संबंध स्थापित कर रहे हैं। ऐसे शब्दों को कारक कहते हैं। इसी तरह दो वाक्यों को एक साथ जोड़ने के लिए किका प्रयोग होता है।
कहानी में से दोनों प्रकार के चार वाक्यों को चुनिए।
उत्तर:- कारक शब्द से निर्मित वाक्य –
1. यह समझ में नहीं आता कि सीट पर हम बैठे हैं या सीट हम पर बैठी है।
2. नई नवेली बसों से ज़्यादा विश्वसनीय है।
3. यह बस पूजा के योग्य थी।
4. बस कंपनी के एक हिस्सेदार भी उसी बस में जा रहे थे।

10. “हम फ़ौरन खिड़की से दूर सरक गए। चाँदनी में रास्ता टटोलकर वह रेंग रही थी।”
दिए गए वाक्यों में आई सरकनाऔर रेंगनाजैसी क्रियाएँ दो प्रकार की गतियाँ दर्शाती हैं। ऐसी कुछ और क्रियाएँ एकत्र कीजिए जो गति के लिए प्रयुक्त होती हैं, जैसे – घूमना इत्यादि। उन्हें वाक्यों में प्रयोग कीजिए।
उत्तर:- टहलना – दादाजी को टहलना अच्छा लगता है।
चलना – चलना सेहत के लिए बहुत लाभदायक है।


11. “काँच बहुत कम बचे थे। जो बचे थे, उनसे हमें बचना था।”
इस वाक्य में बचशब्द को दो तरह से प्रयोग किया गया है। एक शेषके अर्थ में और दूसरा सुरक्षाके अर्थ में।
नीचे दिए गए शब्दों को वाक्यों में प्रयोग करके देखिए। ध्यान रहे, एक ही शब्द वाक्य में दो बार आना चाहिए और शब्दों के अर्थ में कुछ बदलाव होना चाहिए।
(
क) जल (ख) हार
उत्तर:- (क) जल – मीना गरम जल से बुरी तरह जल गई।
(ख) हार – यह प्रतियोगिता के इस पड़ाव में जिसकी जीत होगी ,उसे मोतियों का हार मिलेगा और जिसकी हार होगी, वह प्रतियोगिता के बाहर हो जाएगा।


12. बोलचाल में प्रचलित अंग्रेजी शब्द ‘फर्स्ट क्लास’ में दो शब्द हैं – फर्स्ट और क्लास। यहाँ क्लास का विशेषण है फर्स्ट। चूँकि फर्स्ट संख्या है, फर्स्ट क्लास संख्यावाचक विशेषण का उदाहरण है। ‘महान आदमी’ में किसी आदमी की विशेषता है महान। यह गुणवाचक विशेषण है। संख्यावाचक विशेषण और गुणवाचक विशेषण के दो-दो उदाहरण खोजकर लिखिए।
उत्तर:- संख्यावाचक विशेषण – चार, आठ, दस
गुणवाचक विशेषण – चाँदनी रात, समझदार आदमी

★★दीवानों की हस्ती★★

• भाषा की बात
4. संतुष्टि के लिए कवि ने छककर‘ ‘जी भरकरऔर खुलकरजैसे शब्दों का प्रयोग किया है। इसी भाव को व्यक्त करने वाले कुछ और शब्द सोचकर लिखिए, जैसे – हँसकर, गाकर।
उत्तर:- 1. खींचकर
2. पीकर
3. मुस्कराकर
4. देकर
5. मस्त होकर
6. सराबोर होकर

• भाषा की बात
9. किसी प्रयोजन विशेष से संबंधित शब्दों के साथ पत्र शब्द जोड़ने से कुछ नए शब्द बनते हैं, जैसे – प्रशस्ति पत्र, समाचार पत्र। आप भी पत्र के योग से बननेवाले दस शब्द लिखिए।
उत्तर:- 1. प्रार्थना पत्र
2. मासिक पत्र 3. बधाई पत्र
4. वार्षिक पत्र 5. दैनिक पत्र
6. साप्ताहिक पत्र 7. पाक्षिक पत्र
8. सरकारी पत्र 9. साहित्यिक पत्र 10. निमंत्रण पत्र


10. ‘व्यापारिकशब्द व्यापार के साथ इकप्रत्यय के योग से बना है। इक प्रत्यय के योग से बनने वाले शब्दों को अपनी पाठ्यपुस्तक से खोजकर लिखिए।
उत्तर:- इक प्रत्यय के योग से बनने वाले शब्द –
1. स्वाभाविक 2. साहित्यिक
3. व्यवसायिक 4. दैनिक
5. प्राकृतिक 6. जैविक
7. प्रारंभिक 8. पौराणिक
9. ऐतिहासिक 10.सांस्कृतिक


11. दो स्वरों के मेल से होने वाले परिवर्तन को स्वर संधि कहते हैं;जैसे – रवीन्द्र = रवि + इन्द्र। इस संधि में इ + इ = ई हुई है। इसे दीर्घ संधि कहते हैं। दीर्घ स्वर संधि के और उदाहरण खोजकर लिखिए। मुख्य रूप से स्वर संधियाँ चार प्रकार की मानी गई हैं – दीर्घ, गुण, वृद्धि और यण।
ह्रस्व या दीर्घ अ, , उ के बाद ह्रस्व या दीर्घ अ, , , आ आए तो ये आपस में मिलकर क्रमशः दीर्घ आ, , ऊ हो जाते हैं, इसी कारण इस संधि को दीर्घ संधि कहते हैं;जैसे – संग्रह + आलय = संग्रहालय, महा + आत्मा = महात्मा।
इस प्रकार के कम-से-कम दस उदाहरण खोजकर लिखिए और अपनी शिक्षिका/शिक्षक को दिखाइए।
उत्तर:- 1. गुरूपदेश = गुरू + उपदेश (उ + उ)
2. संग्रहालय = संग्रह + आलय (अ + आ)
3. हिमालय = हिम + आलय (अ + आ)
4. भोजनालय = भोजन + आलय (अ + आ)
5. स्वेच्छा= सु + इच्छा( उ + इ)
6. अनुमति = अनु + मति (उ + अ)
7. रवीन्द्र = रवि + इंद्र (इ + इ)
8. विद्यालय = विद्या + आलय (आ + आ)
9. सूर्य + उदय = सूर्योदय (अ + उ)
10. सदा + एव = सदैव (आ + ए)

भाषा की बात

8. दो शब्दों के मिलने से समास बनता है। समास का एक प्रकार है – द्वंद्व समास।
इसमें दोनों शब्द प्रधान होते हैं। जब दोनों भाग प्रधान होंगे तो एक-दूसरे में द्वंद्व (स्पर्धा, होड़) की संभावना होती है। कोई किसी से पीछे रहना नहीं चाहता,
जैसे – चरम और परम = चरम-परम, भीरु और बेबस = भीरू-बेबस। दिन और रात = दिन-रात।
औरके साथ आए शब्दों के जोड़े को औरहटाकर (-) योजक चिह्न भी लगाया जाता है। कभी-कभी एक साथ भी लिखा जाता है।
द्वंद्व समास के बारह उदाहरण ढूँढ़कर लिखिए।
उत्तर:-

सुख और दुख सुख-दुख
भूख और प्यास भूख-प्यास
हँसना और रोना हँसना-रोना
आते और जाते आते-जाते
राजा और रानी राजा-रानी
चाचा और चाची चाचा-चाची
सच्चा और झूठा सच्चा-झूठा
पाना और खोना पाना-खोना
पाप और पुण्य पाप-पुण्य
स्त्री और पुरूष स्त्री-पुरूष
राम और सीता राम-सीता
आना और जाना आना-जाना

9. पाठ से तीनों प्रकार की संज्ञाओं के उदाहरण खोजकर लिखिए।
उत्तर:- व्यक्तिवाचक संज्ञा :गाँधी ,तिलक , भारत , मदन मोहन मालवीय

★★कबीर की सखियाँ★★

• भाषा की बात
9.
बोलचाल की क्षेत्रीय विशेषताओं के कारण शब्दों के उच्चारण में परिवर्तन होता है जैसे वाणी शब्द बानी बन जाता है। मन से मनवा, मनुवा आदि हो जाता है। उच्चारण के परिवर्तन से वर्तनी भी बदल जाती है। नीचे कुछ शब्द दिए जा रहे हैं उनका वह रूप लिखिए जिससे आपका परिचय हो।
ग्यान, जीभि, पाऊँ, तलि, आंखि, बरी।
उत्तर:- ग्यान – ज्ञान
जीभि – जीभ
पाऊँ – पाँव
तलि – तले
आँखि – आँख
बरी – बड़ी

जातिवाचक संज्ञा : बस, यात्री, मनुष्य, ड्राइवर, कंडक्टर,हिन्दू, मुस्लिम, आर्य, द्रविड़, पति, पत्नी आदि।
भाववाचक संज्ञा : ईमानदारी, सच्चाई, झूठ, चोर, डकैत आदि।


· भाषा की बात
10. “धुली-बेधुली बालटी लेकर आठ हाथ चार थनों पर पिल पड़े।” धुली शब्द से पहले ‘बे’ लगाकर बेधुली बना है। जिसका अर्थ है ‘बिना धुली’ ‘बे’ एक उपसर्ग है।
‘बे’ उपसर्ग से बननेवाले कुछ और शब्द हैं –
बेतुका, बेईमान, बेघर, बेचैन, बेहोश आदि। आप भी नीचे लिखे उपसर्गों से बननेवाले शब्द खोजिए –
1. प्र ….. 2. आ ….. 3. भर ….. 4. बद …..
उत्तर:- 1. प्र – प्रबल, प्रभाव, प्रयोग, प्रचलन, प्रवचन 2. आ – आमरण, आभार, आजन्म, आगत 3. भर – भरपेट, भरपूर, भरमार, भरसक 4. बद – बदसूरत, बदमिज़ाज, बदनाम, बदतर

★★जब सिनेमा ने बोलना सीखा★★


• भाषा की बात
7. सवाक् शब्द​ वाक् के पहले लगाने से बना है। स उपसर्ग से कई शब्द​ बनते हैं। निम्नलिखित शब्दों के साथ का उपसर्ग की भाँति प्रयोग करके शब्द बनाएँ और शब्दार्थ में होनेवाले परिवर्तन को बताएँ।
हित, परिवार, विनय, चित्र, बल, सम्मान।
उत्तर:-      उपसर्ग  

उपसर्ग मूल शब्द  अर्थ  उपसर्ग युक्त शब्द  उपसर्ग युक्त शब्दों के अर्थ 
हित    भलाई            सहित  के साथ 
परिवार घर के लोगों का समूह  सपरिवार  परिवार के साथ 
स  विनय  प्रार्थना  सविनय  विनयपूर्वक 
स  चित्र  तस्वीर  सचित्र चित्र सहित 

8. उपसर्ग और प्रत्यय दोनों ही शब्दांश होते हैं। वाक्य में इनका अकेला प्रयोग नहीं होता। इन दोनों में अंतर केवल इतना होता है कि उपसर्ग किसी भी शब्द में पहले लगता है और प्रत्यय बाद में।
हिंदी के सामान्य उपसर्ग इस प्रकार हैं – अ/अन, नि, दु, क/कु, स/सु, अध, बिन, औ आदि।
पाठ में आए उपसर्ग और प्रत्यय युक्त शब्दों के कुछ उदाहरण नीचे दिए जा रहे हैं

मूल शब्द उपसर्ग प्रत्यय शब्द
वाक् सवाक्
लोचना सु सुलोचना
फिल्म कार फिल्मकार
कामयाब कामयाबी

इस प्रकार के 15-15 उदाहरण खोजकर लिखिए और अपने सहपाठियों को दिखाइए।
उत्तर:-

मूल शब्द उपसर्ग नया शब्द
पुत्र सु सुपुत्र
घट औघट
सार अनु अनुसार
मुख आमुख
परिवार सपरिवार
नायक अधि अधिनायक
मरण आमरण
संहार उप उपसंहार
ज्ञान अज्ञान
यश सु सुयश
कोण सम समकोण
कर्म सत् सत्कर्म
राग अनु अनुराग
बंध नि निबंध
पका अध अधपका
मूल शब्द प्रत्यय नया शब्द
चाचा ऐरा चचेरा
लेख लेखक
काला इमा  कालिमा 
लड़ आई लड़ाई
सज आवट सजावट
अंश त: अंशत:
सुनार इन सुनारिन
जल जलज
पर जीवी परजीवी
खुद आई खुदाई
ध्यान पूर्वक ध्यानपूर्वक
चिकना आहट चिकनाहट
विशेष तया विशेषतया
चमक ईला चमकीला
भारत ईय भारतीय

• ★★सुदामा चरित★★

भाषा की बात
7. “पानी परात को हाथ छुयो नहिं, नैनन के जल सो पग धोए”
ऊपर लिखी गई पंक्ति को ध्यान से पढ़िए। इसमें बात को बहुत अधिक बढ़ा-चढ़ाकर चित्रित किया गया है। जब किसी बात को इतना बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत किया जाता है तो वहाँ पर अतिशयोक्ति अलंकार होता है। आप भी कविता में से एक अतिशयोक्ति अलंकार का उदाहरण छाँटिए।
उत्तर:- ”कै वह टूटी-सी छानी हती, कहँ कंचन के अब धाम सुहावत।”- यहाँ अतिशयोक्ति अलंकार है।
‘टूटी -सी झोपड़ी के स्थान पर अचानक कंचन के महल का होना’ अतिशयोक्ति है।

• भाषा की बात

9. उपसर्गों और प्रत्ययों के बारे में आप जान चुके हैं। इस पाठ में आए उपसर्गयुक्त शब्दों को छाँटिए। उनके मूल शब्द भी लिखिए। आपकी सहायता के लिए इस पाठ में प्रयुक्त कुछ ‘उपसर्ग‘ और ‘प्रत्यय‘ इस प्रकार हैं – अभिप्रअनुपरिवि(उपसर्ग)इकवालाताना।
उत्तर:-

उपसर्ग अभि – अभिमान ( अभि+मान ) प्र – प्रयत्न( प्र+ यत्न ) अनु – अनुसरण ( अनु + सरण) परि – परिपक्व ( परि + पक्व) वि – विशेष ( वि + शेष )
प्रत्यय इक – धार्मिक (धर्म + इक) वाला – किस्मतवाला (किस्मत + वाला) ता – सजीवता (सजीव + ता) ना – चढ़ना (चढ़ + ना) नव – नव + साक्षर (नवसाक्षर) गतिशील – गतिशील + ता (गतिशीलता)

★★अकबरी लोटा★★
• भाषा की बात

13. इस कहानी में लेखक ने जगह-जगह पर सीधी-सी बात कहने के बदले रोचक मुहावरों, उदाहरणों आदि के द्वारा कहकर अपनी बात को और अधिक मजेदार​/रोचक बना दिया है। कहानी से वे वाक्य चुनकर लिखिए जो आपको सबसे अधिक मजेदार लगे।
उत्तर:- 1. अब तक बिलवासी जी को वे अपनी आँखों से खा चुके होते।
2. कुछ ऐसी गढ़न उस लोटे की थी कि उसका बाप डमरू, माँ चिलम रही हो।
3. ढ़ाई सौ रूपए तो एक साथ आँख सेंकने के लिए भी न मिलते हैं।


14. इस कहानी में लेखक ने अनेक मुहावरों का प्रयोग किया है। कहानी में से पाँच मुहावरे चुनकर उनका प्रयोग करते हुए वाक्य लिखिए।
उत्तर:- 1. चैन की नींद सोना – (निश्चिंत सोना)
वाक्य- कुख्यात चोर के पकड़े जाने पर पुलिस चैन की नींद सोई।
2. आँखों से खा जाना – (क्रोधित होना)
वाक्य- परीक्षा में कम अंक आने पर माँ ने पुत्र को ऐसे देखा मानो आँखों से ही खा जाएगी।
3. आँख सेंकने के लिए भी न मिलना – (दुर्लभ होना)
वाक्य- हस्तकला से बनी वस्तुएँ तो आजकल आँख सेंकने के लिए भी नहीं मिलती हैं।
4. मारा-मारा फिरना – (ठोकरें खाना)
वाक्य- बेटे आलीशान घर में रहते है और बाप बेचारा मारा-मारा फिरता हैं।
5. डींगे सुनना – (झूठ-मूठ की तारीफ सुनना)
वाक्य- लाला जी घर में तो भीगी बिल्ली है परंतु बाहर अपनी बहादुरी की डींगें मारते फ़िरते हैं।

• भाषा की बात
8. श्रीकृष्ण गोपियों का माखन चुरा-चुराकर खाते थे इसलिए उन्हें माखन चुराने वाला भी कहा गया है। इसके लिए एक शब्द दीजिए।
उत्तर:- माखन चुरानेवाला – माखनचोर

9. श्रीकृष्ण के लिए पाँच पर्यायवाची शब्द लिखिए।
उत्तर:- श्रीकृष्ण के पर्यायवाची शब्द – गोविन्द, रणछोड़, वासुदेव, मुरलीधर, नन्दलाल

10. कुछ शब्द परस्पर मिलते-जुलते अर्थवाले होते हैं, उन्हें पर्यायवाची कहते हैं। और कुछ विपरीत अर्थ वाले भी। समानार्थी शब्द पर्यायवाची कहे जाते हैं और विपरीतार्थक शब्द विलोम, जैसे –

पर्यायवाची चंद्रमा-शशि, इंदु, राका मधुकर-भ्रमर, भौंरा, मधुप सूर्य-रवि, भानु,दिनकर
विपरीतार्थक दिन-रात श्वेत-श्याम शीत-उष्ण

पाठों से दोनों प्रकार के शब्दों को खोजकर लिखिए।
उत्तर:-

पर्यायवाची शब्द अनोखा-अद्भुत , विचित्र , अनूठा मैया – जननी, माँ, माता दूध – दुग्ध, पय, गोरस सखा – मित्र , मीत , दोस्त बलराम – दाऊ, हलधर ढोटा – सुत, पुत्र, बेटा
विपरीतार्थक शब्द लम्बी – छोटी स्याम – श्वेत संग्रह – विग्रह मोटी- पतली रात – दिन प्रकट – ओझल

• ★★पानी की कहानी★★

भाषा की बात
8. किसी भी क्रिया को पूरी करने में जो भी संज्ञा आदि शब्द संलग्न होते हैं, वे अपनी अलग-अलग भूमिकाओं के अनुसार अलग-अलग कारकों में वाक्य मेंदिखाई पडते हैं; जैसे – “वह हाथों से शिकार को जकड़ लेती थी।”
जकड़ना क्रिया तभी संपन्न हो पाएगी जब कोई व्यक्ति (वह) जकड़नेवाला हो, कोई वस्तु (शिकार) हो जिसे जकड़ा जाए। इन भूमिकाओं की प्रकृति अलग-अलग है। व्याकरण में ये भूमिकाएँ कारकों के अलग-अलग भेदों; जैसे – कर्ता, कर्म, करण आदि से स्पष्ट होती हैं।
अपनी पाठ्य पुस्तक से इस प्रकार के पाँच और उदाहरण खोजकर लिखिए और उन्हें भलीभाँति परिभाषित कीजिए।
उत्तर –  1  . मैं आगे बढ़ा ही था  कि बेर की झाड़ी   पर से मोती- सी बूँद  मेरे हाथ पर आ गिरी  ।

          बेर की – सबंध कारक

2. हम बड़ी तेजी से बाहर फेंक दिए गए।
      तेज़ी से – अपादान कारक
3. मैं प्रति क्षण उसमें से निकल भागने की चेष्टा में लगी रहती थी।
      मैं – कर्ता
 4. वह चाकू से फल काटकर खाता है।
    चाकू से – करण कारक
5. बदलू लाख से चूड़ियाँ बनाता है।
     लाख से – करण कारक

• भाषा की बात
8. कहानी में से अपनी पसंद के पाँच मुहावरे चुनकर उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए।
उत्तर:- 1. भाँप लेना – बच्चों का मुँह देखकर माता जी ने यह भाँप लिया कि  परीक्षा का क्या नतीजा आया होगा। 
2. हिम्मत बाँधना –   अपने मित्र के आने पर ही  राहुल की हिम्मत बँधी कि अब सब ठीक हो जाएगा ।
3. अंतिम साँस गिनना – दादाजी की  बुरी हालत  देखकर माता जी ने स्थिति भाँप ली  कि वे उनकी अंतिम साँस गिन रहे हैं।
4. मन में आशा जागना – शिक्षिका की कहानी ने मेरे मन में आशा जगा दी।
5. प्राण हथेली पर  रखना – सिपाही  देशवासियों की जान बचाने के लिए अपने प्राणों को हथेली पर  रख लेते हैं।


9. ‘आरामदेहशब्द में देहप्रत्यय है। यहाँ देह‘ ‘देनेवालाके अर्थ में प्रयुक्त है। देने वाला के अर्थ में ‘, ‘प्रद‘, ‘दाता‘, ‘दाईआदि का प्रयोग भी होता है, जैसे – सुखद, सुखदाता, सुखदाई, सुखप्रद। उपर्युक्त समानार्थी प्रत्ययों को लेकर दो-दो शब्द बनाइए।
उत्तर:- प्रत्यय     शब्द
             द – सुखद, दुखद
            दाता – परामर्शदाता, सुखदाता
            दाई – सुखदाई, दुखदाई
            देह – विश्रामदेह, लाभदेह, आरामदेह
            प्रद – लाभप्रद, हानिप्रद, शिक्षाप्रद

• ★★टोपी★★

भाषा की बात
8. गाँव की बोली में कई शब्दों का उच्चारण अलग होता है। उनकी वर्तनी भी बदल जाती है। जैसे गवरइया गौरैया का ग्रामीण उच्चारण है। उच्चारण केअनुसार इस शब्द की वर्तनी लिखी गई है। फुँदना, फुलगेंदा का बदला हुआ रूप है।
कहानी में अनेक शब्द हैं जो ग्रामीण उच्चारण में लिखे गए हैं, जैसे – मुलुक-मुल्क, खमा-क्षमा, मजूरी-मजदूरी, मल्लार-मलार इत्यादि। आप क्षेत्रीय या गाँव की बोली में उपयोग होने वाले कुछ ऐसे शब्दों को खोजिए और उनका मूल रूप लिखिए, जैसे – टेम-टाइम, टेसन/टिसन-स्टेशन।
उत्तर:-

क्षेत्रीय भाषा मूल रूप
घइला घड़ा
दुपहर दोपहर
भीख भिक्षा
तरकारी सब्जी
भात चावल

9. मुहावरों के प्रयोग से भाषा आकर्षक बनती है। मुहावरे वाक्य के अंग होकर प्रयुक्त होते हैं। इनका अक्षरश: अर्थ नहीं बल्कि लाक्षणिक अर्थ लिया जाता है। पाठ में अनेक मुहावरे आए हैं। टोपी को लेकर तीन मुहावरे हैं; जैसे – कितनों को टोपी पहनानी पड़ती है। शेष मुहावरों को खोजिए और उनका अर्थ ज्ञात करने का प्रयास कीजिए।
उत्तर:-

मुहावरा अर्थ
टोपी उछलना बेइज्ज्ती होना
टोपी से ढ़ँक लेना इज्ज़त ढ़क लेना
टोपी कसकर पकड़ना सम्मान बचना

गोपियों के अनुसार राजा क्या होना चादहए? - gopiyon ke anusaar raaja kya hona chaadahe?
गोपियों के अनुसार राजा क्या होना चादहए? - gopiyon ke anusaar raaja kya hona chaadahe?

लेखक-पंडित जवाहर लाल नेहरू

अहमदनगर का किला कक्षा-8वीं #CBSE #NCERT #KVS #NVS

पुस्तक-भारत की खोज लेखक-पंडित जवाहर लाल नेहरू

प्रश्न-1 नेहरू जी अपनी कलम से किसके इतिहास पर प्रकाश डालना चाहते थे? अहमदनगर का किला के पाठ के आधार पर बताइए।

उत्तर- नेहरू जी अपनी कलम से भारत के इतिहास पर प्रकाश डालना चाहते  थे।

प्रश्न-2 किसने अकबर की शाही सेना के विरुद्ध हाथ में तलवार उठाकर सेना का नेतृत्व किया थाअहमदनगर का किला पाठ  के आधार पर बताए।

उत्तर- चाँद बीबी नामक एक सुंदर महिला अकबर की शाही सेना के विरुद्ध तलवार अपनी सेना का नेतृत्व किया था।

प्रश्न-3 चाँद बीबी की हत्या किसने कीअहमदनगर का किला पाठ के आधार पर बताएँ।

उत्तर- चाँद बीबी की हत्या उसी के अपने एक आदमी ने की।

प्रश्न-4 नेहरू जी आज़ाद हुए बिना इतिहास-लेखन में असमर्थ क्यों थे?

उत्तर- आज़ाद हुए बिना नेहरू जी वर्तमान को अपने अनुभव का हिस्सा नहीं बना सकते थे और न वर्तमान के बारे में लिख सकते थे। वे पैगंबर बनकर भविष्य के बारे में भी नहीं लिख सकते थे।

प्रश्न-5 भारतीयों ने स्वयं सक्षम होते हुए भी अनुकरण पद्धति क्यों अपनाई? (अहमदनगर का किला)

उत्तर- भारतीयों में सक्षमता होते हुए भी नवीन करने की चाह और परिश्रम कम हो गया था। यही कारण था कि उन्होंने दूसरे देशों का अंधा अनुकरण करना शुरू कर दिया।

प्रश्न-6 नेहरू जी ने कुदाल छोड़कर कलम क्यों उठाई? (अहमदनगर का किला)

उत्तर- उन्होंने जेल में खुदाई के दौरान जमीन में से प्राचीन दीवारों के अवशेष एवं कुछ गुंबदों और इमारतों के ऊपरी हिस्से के टुकड़े प्राप्त किए। इससे उन्हें अहमदनगर के किले के बारे में कई जानकारियाँ मिल सकती थी लेकिन अधिकारियों ने इसकी इजाजत नहीं दी तो उन्होंने कुदाल छोड़कर कलम हाथ में पकड़ी अर्थात् बंदी होने के बावजूद, अपनी लेखनी से लेख लिखकर भारत की जनता के दिलों में राष्ट्रप्रेम की भावना जागृत करवाने का प्रयत्न करते रहे।

प्रश्न-7 अहमदनगर किले के साथ कौन-सी घटना जुड़ी है?

उत्तर- अहमदनगर किले के साथ साहसी चाँद बीवी की घटना जुड़ी है जिसने अकबर की शाही सेना के विरुद्ध हाथ में तलवार उठाकर अपनी सेना का नेतृत्व किया, लेकिन बाद में उसके अपने ही एक आदमी ने उसकी हत्या कर दी।

प्रश्न-8 नेहरू जी ने अनपढ़ और ग्रामीण लोगों में ऐसा क्या देखा कि वे हैरान रह गए और नेहरू को उन लोगों में क्या संभावनाएँ नजर आईंअहमदनगर का किला पाठ के आधार पर बताइए?

उत्तर- नेहरू जी उन देहाती और अनपढ़ लोगों को देखकर इसलिए हैरान रह गए क्योंकि ग्रामीणों के अनपढ़ होते हुए भी इन लोगों को लोक प्रचलित अनुवादों और टीकाओं के माध्यम से ‘रामायण’ तथा ‘महाभारत’ जैसे ग्रंथों का ज्ञान था। इन ग्रंथों की कथाओं तथा घटनाओं का नैतिक अर्थ भी इन ग्रामीणों को भली-भाँति ज्ञात था। इन ग्रंथों के सैंकड़ों ऐसे पद ज्ञात थे, जिनका प्रयोग वे रोजमर्रा की बातचीत के बीच उदाहरण के रूप में करते थे। उन्हें नैतिक उपदेश देने वाली कहानियाँ याद थीं।  वे नैतिक उपदेश भी देते थे। नेहरू जी को ग्रामीणों में यह संभावना नजर आई कि इन ग्रामीणों में उत्साह और साहस की कमी नहीं है। इनको साथ लेकर कुछ भी किया जा सकता है। यदि इन लोगों को अवसर मिले, तो इनकी स्थिति भी अच्छी हो सकती है।

तलाश कक्षा-8वीं #CBSE #NCERT #KVS #NVS

पुस्तक-भारत की खोज लेखक-पंडित जवाहर लाल नेहरू

प्रश्न-1 भारतीय संस्कृति की क्या विशेषता है?

उत्तर- भारतीय संस्कृति की यह विशेषता है कि प्राचीन व नवीन में सामंजस्य स्थापित कर, पुराने को बनाए रखने व नए विचारों को आत्मसात करने का सामर्थ्य होना।

प्रश्न-2 प्राचीन भारत की क्या विशेषता थीतलाश पाठ के आधार पर बताइए।

उत्तर- प्राचीन भारत अपने आप में एक दुनिया थी, एक संस्कृति और सभ्यता थी, जिसने तमाम चीजें को आकार दिया था।

प्रश्न-3 जब रचनात्मक प्रवृति क्षीण होती है तब कौन-सी प्रवृति उसकी जगह ले लेती है?

उत्तर- रचनात्मक प्रवृति की जगह अनुकरण करने की प्रवृति ले लेती है।

प्रश्न-4 नेहरू जी ने भारत की तलाश क्यों करनी चाही?

उत्तर- नेहरू जी को बहुत कुछ ऐसा देखने को मिला जिनमें भारत के वास्तविक मूल्यों की झलक नहीं मिलती थी इसलिए उन्होंने भारत की तलाश करके पुनः भारत के विशेष मूल्यों को जनता के सामने लाना चाहा।

प्रश्न-5 नेहरू जी ने सिंधु घाटी की सभ्यता को आश्चर्यजनक क्यों कहा हैं ?

उत्तर- नेहरू जी ने सिंधु घाटी की सभ्यता को आश्चर्यजनक इसलिए कहा है क्योंकि यह सभ्यता एवं संस्कृति पाँच-छह हज़ार या उससे भी अधिक समय तक परिवर्तनशील रहकर भी विकासशील रही और यह निरंतर कायम रही।

प्रश्न-6 नेहरू जी भारत को किस दृष्टि से देखते थे और क्यों ?

उत्तर- नेहरू जी भारत को एक आलोचक की दृष्टि से देखते थे। वे एक ऐसे आलोचक थे जो वर्तमान को देखते थे पर अतीत के बहुत-से अवशेषों को नापसंद करते थे। वे ऐसा इसलिए करते थे जिससे वे अतीत के सकारा त्मक  एवं नकारात्मक दोनों पक्षों का अवलोकन कर सकें।

प्रश्न-7 उस समय भारत में जनजीवन की क्या स्थिति थी ?

उत्तर- उस समय भारत में चारों ओर घोर गरीबी व्याप्त थी। ग्रामीणों तथा निम्न-मध्यवर्गीय लोगों की दशा बहुत खराब थी। अंग्रेज़ों के भय एवं दबाव में लोगों को जीना पड़ रहा था। मध्यम वर्ग आधुनिकता को अपनाने की ओर कदम बढ़ा चुका था।

प्रश्न-8 सिंधु घाटी में स्थित मोहनजोदड़ो के एक नगर की क्या विशेषता थी? (अहमदनगर का किला)

उत्तर-सिंधु घाटी में स्थित मोहनजोदड़ो के एक नगर की यह विशेषता थी कि पाँच हजार वर्ष पूर्व निर्मित होने पर भी यहाँ की सभ्यता पूर्णतः विकसित थी और यही आधुनिक सभ्यता का आधार भी। यहाँ की संस्कृति व सभ्यता निरंतर परिवर्तनशील व विकासमान रही। फ़ारस, मित्र, ग्रीस, चीन, अरब, मध्य एशिया एवं भू-मध्य सागर के लोगों से यहाँ के लोगों का निकट संबंध होने पर भी, इस संस्कृति व सभ्यता को कोई हिला नहीं पाया।

सिंधु घाटी सभ्यता कक्षा-8वीं #CBSE #NCERT #KVS #NVS

पुस्तक-भारत की खोज लेखक-पंडित जवाहर लाल नेहरू

प्रश्न-1 कौटिल्य ने अपनी किस रचना से प्रसिद्धि पाई?

उत्तर- कौटिल्य ने अपनी रचना ‘अर्थशास्त्र’ से प्रसिद्धि पाई।

प्रश्न-2 सिंधु घाटी सभ्यता का व्यापारिक स्तर क्या था?

उत्तर-‘सिंधु घाटी सभ्यता’ ने फ़ारस, मेसोपोटामिया और मिस्र की सभ्यताओं से संबंध स्थापित कर व्यापार किया। यह नागर सभ्यता थी। यहाँ का व्यापारी वर्ग धनाढ्य था।

प्रश्न-3 प्राचीन भारत ने किन-किन क्षेत्रों में प्रगति की? (सिंधु घाटी सभ्यता)

उत्तर- प्राचीन भारत ने ग्रामों के विकास, दस्तकारी उद्योगों, विभिन्न व्यापारों, समुद्री यातायात, विभिन्न लिपियों व लिखित स्वरूपों, औषध व शल्य विज्ञान व शिक्षा के क्षेत्र में अपार प्रगति की।

प्रश्न-4 गीता’ सभी वर्गों और संप्रदाय के लोगों के लिए क्यों मान्य है ?

उत्तर-‘गीता’ में निहित संदेश किसी वर्ग या संप्रदाय विशेष के लिए नहीं हैं। ये संदेश किसी प्रकार की सांप्रदायिकता नहीं फैलातें । इनकी दृष्टि सार्वभौमिक है। इसी सार्वभौमिकता के कारण यह सभी वर्गों एवं संप्रदायों के लिए मान्य है।

प्रश्न-5 उपनिषदों का मनुष्य के जीवन में क्या महत्त्व है ?

उत्तर- उपनिषद भारतीय आर्यों की चिंतन क्षमता के बारे में गहराई से ज्ञान कराते हैं । ये ईसा पूर्व 800 के आस-पास की तत्कालीन सामाजिक गतिविधियों की जानकारी भी देते हैं ।

प्रश्न-6 प्राचीन साहित्य खोने को दुर्भाग्य क्यों कहा गया है, यह साहित्य क्यों खोया होगा?

उत्तर- प्राचीन साहित्य के खोने को दुर्भाग्य इसलिए कहा गया है क्योंकि साहित्य के अभाव में तत्कालीन समाज एवं संस्कृति की प्रामाणिक जानकारी नहीं मिल पाती है। यह साहित्य इसलिए खोया होगा क्योंकि उस समय का साहित्य भोज-पत्रों या ताड़-पत्रों पर लिखा जाता था। जिसे सँभालकर रखना आसान न था। उस समय कागज़ पर लिखने का प्रचलन नहीं था।

प्रश्न-7 महाकाव्य युग में शिक्षा की क्या व्यवस्था थी ?

उत्तर- महाकाव्य युग में कस्बों के निकट ही वनों में विद्यालय हुआ करते थे, जिनमें अनेक विषयों का शिक्षण तथा सैन्य प्रशिक्षण दिया जाता था। यहाँ विद्यार्थियों को शहरी जीवन के आकर्षण से बचाकर नियमित रूप से  ब्रह्मचर्य जीवन बिताने की सीख दी जाती थी।

प्रश्न-8 सिंधु घाटी की सभ्यता के विषय में कौन-सी बातें पता चली हैं?

उत्तर-सिन्धु घाटी की सभ्यता के विषय में ज्ञात हुआ है कि सिन्धु सभ्यता में व्यापारी वर्ग धनाढ्य था, सिन्धु सभ्यता अत्यंत विकसित सभ्यता थी, वह सभ्यता प्रधान रूप से धर्म निरपेक्ष थी तथा सांकृतिक युगों की अग्रदूत थी। सिंधु सभ्यता की खुदाई के समय मिले मकानों को देखकर जान पड़ता है कि ये दो या तीन मंजिला मकान हैं, सिन्धु घाटी की सिन्धु नामक नदी भी अपनी भयंकर बाढ़ों के लिए अत्यंत विख्यात है। यह ‘एक नागर सभ्यता थी तथा अत्यंत विकसित थी।

खोज युगों का दौर कक्षा-8वीं #CBSE #NCERT #KVS #NVS

पुस्तक-भारत की खोज लेखक-पंडित जवाहर लाल नेहरू

  1. जावा क्या होता है?

उत्तर- जावा स्पष्ट रूप से यवद्वीप अर्थात जौ का टापू होता है। यह आज भी एक अन्न का नाम है।

  • युगों का दौर पाठ के अनुसार भारतीय सभ्यता ने अपनी जड़ें कहाँ से कहाँ तक जमाई?

उत्तर- भारतीय सभ्यता ने अपनी जड़ें दक्षिण से पूर्वी एशिया के देशों में जमाई।

  • युगों का दौर पाठ के अनुसार नाटक शैली का ह्रास कब हुआ।

उत्तर- नाटक शैली का ह्रास उन्नीसवीं शताब्दी में हुआ।

  • युगों का दौर पाठ के अनुसार भारतीय रसायनशास्त्र ने कैसे उन्नति की?

उत्तर- भारतीय रसायनशास्त्र का विकास दूसरे देशों की तुलना में भारत में अधिक हुआ। फौलाद, लोहे व दूसरी धातुओं की भारतीयों को अत्यधिक पहचान थी। फौलाद व लोहे के अत्यधिक अस्त्र शस्त्र बनाए गए व धातुओं को मिलाकर औषध विज्ञान ने भी उन्नति की।

  • भारतीय उपनिवेशों का काल कब से कब तक माना जाता है ?

उत्तर- भारतीय उपनिवेशों का काल ईसा की पहली या दूसरी शताब्दी से शुरू होकर पंद्रहवीं शताब्दी के अंत तक माना जाता है अर्थात यह समय लगभग तेरह सौ साल या इससे कुछ अधिक पहले का है।

  • युगों का दौर पाठ के अनुसार ब्राह्मणवाद या हिंदूवाद से आप क्या समझते हैं?

उत्तर- विदेशी शासकों के निरंतर प्रभाव से भारतीय ब्राह्मण वर्ग चिंतित हो उठा। धर्म और दर्शन इतिहास और परंपरा रीति-रिवाज व सामाजिक ढाँचा जिसके व्यापक घेरे में उस समय के भारतीय जीवन के सभी पहलू आते थे सभी विदेशियों से प्रभावित थे। लोगों में राष्ट्रीय भावना जगाना ही राष्ट्रीय धर्म था। इसे ही ब्राह्मणवाद या हिंदूवाद का नाम दिया गया।

  • युगों का दौर पाठ के अनुसार भारतीय गणित ने विदेशों में विस्तार कैसे पाया?

उत्तर- आठवीं शताब्दी में खलीफ़ा अल्मसूर के काल के कई विद्वान बगदाद गए। वे अपने साथ खगोलशास्त्र व गणित की पुस्तकें भी लेकर गए। भारतीय गणित की पुस्तकों ने अरबी जगत को प्रभावित किया। वहाँ भारतीय अंक प्रचलित हो गए। धीरे-धीरे अरबी अनुवादों के माध्यम से यह गणितशास्त्र मध्य एशिया से स्पेन तक फैल गया। स्पेन के विश्वविद्यालयों के माध्यम से यूरोपीय देशों तक पहुँचा। 1490 में ब्रिटेन में भी भारतीय गणित के अंकों का प्रयोग किया गया।

  • युगों का दौर पाठ के अनुसार रवींद्रनाथ ठाकुर ने भारत के विषय में क्या लिखा?

उत्तर- रवींद्रनाथ ठाकुर ने लिखा कि मेरे देश को जानने के लिए उस युग की यात्रा करनी होगी जब भारत ने अपनी आत्मा को पहचानकर अपनी भौतिक सीमाओं का अतिक्रमण किया।
अर्थात् उनका यह मानना था कि भारत देश की वास्तविकता को यदि हम परखना चाहते हैं तो हमें उसके उस काल को देखना होगा जब यह अपने-आप में पूर्ण था और इससे बाहर के देशों में अपने उपनिवेश कायम कर व्यापार और धर्म को बढ़ाया।

नयी समस्याएँ कक्षा-8वीं #CBSE #NCERT #KVS #NVS

पुस्तक-भारत की खोज लेखक-पंडित जवाहर लाल नेहरू

  1. महमूद गज़नवी की मृत्यु कब हुई?

उत्तर- महमूद गजनवी की मृत्यु 1030 ई. में हुई।

  • जय सिंह ने किस राज्य का निर्माण करवाया उसकी क्या विशेषता थी?

उत्तर- जय सिंह ने जयपुर राज्य का निर्माण करवाया। इस राज्य की यह विशेषता थी कि इसका निर्माण विदेशी नक्शों के आधार पर किया गया था।

  • विद्वान एडम स्मिथ ने ईस्ट इंडिया कंपनी के लिए क्या लिखा?

उत्तर- विद्वान एडम स्मिथ ने अपनी पुस्तक ‘द वैल्थ ऑफ नेशंस’ में लिखा-‘एकमात्र व्यापारियों की कंपनी की सरकार किसी भी देश के लिए सबसे बुरी सरकार है।’

  • मुगल शासनकाल में साहित्य को भी बढ़ावा मिला था ,स्पष्ट कीजिए । 

उत्तर- मुगलकाल में साहित्य को भी खूब बढ़ावा मिला। अनेक हिंदू साहित्यकारों ने दरबारी भाषा में पुस्तकें लिखीं। इसी समय विद्वान मुसलमानों ने संस्कृत की पुस्तकों का हिंदी में अनुवाद भी किया। हिंदी भाषा के प्रसिद्ध कवि मलिक मोहम्मद जायसी ने ‘पद्मावत’ लिखा तथा अब्दुल रहीम खानखाना ने अनेक नीति भरे दोहों की रचना की।

  • भारत की अखंडता एवं एकता बनाए रखने के लिए अकबर ने क्या-क्या प्रयास किए ?

उत्तर- भारत की अखंडता एवं एकता बनाए रखने के लिए अकबर ने निम्नलिखित कार्य किए: (i) उसने स्वाभिमानी राजपूत सरदारों को अपनी ओर मिलाया। (ii) उसने अपनी तथा अपने बेटे की शादी राजपूत घराने में की। (iii) उसने विद्वान हिंदुओं को अपने दरबार में विशेष नौरत्नों में स्थान प्रदान किया। (ii) उसने ‘दीन-ए-इलाही’ नामक नया एवं सर्वमान्य धर्म चलाने का प्रयास किया।

  • बाबर कौन था, उसके व्यक्तित्व की विशेषताएँ लिखिए ?

उत्तर- बाबर भारत में मुगल वंश का संस्थापक था। उसने 1526 ई० में दिल्ली की सल्तनत को जीता।वह आकर्षक व्यक्तित्व वाला एवं कला और साहित्य का शौकीन था। अपने चार साल के शासनकाल में उसने कई युद्ध किए तथा आगरा को अपनी राजधानी बनाया।

  •  हिंदू-मुसलमानों के आपसी समन्वय से भारत की सामाजिक स्थिति पर क्या प्रभाव पड़ा?

उत्तर- हिन्दू-मुसलमानों के आपसी समन्वय से दोनों को आदतें, रहन-सहन का ढंग, कलात्मक रुचियाँ एक सी हो गई। व्यापार प्रयोग भी एक से ही हो गए। हिन्दू मुसलमानों को भारत का ही अंग समझने लगे। एक-दूसरे के त्योहारों य जलसों में भी शरीक होते थे। एक ही भाषा बोलते थे क्योंकि इस समय बोलचाल की भाषा में हिंदी व फारसी के शब्द मिले-जुले हो गए थे। दोनों की आर्थिक समस्याएँ भी समान थीं। इतना सब होने पर भी आपसी वैवाहिक सबंध बहुत कम थे। खान-पान भी अलग-अलग तरह से था।

  • शेरशाह ने किसकी नींव डाली तथा शाहबुद्दीन गौरी कौन थानयी समस्याएँ पाठ के आधार पर बताइए।

उत्तर- शेरशाह ने मालगुजारी व्यवस्था की नींव डाली। शाहबुद्दीन गौरी एक अफगानी था। इसने महमूद गजनवी के गजनी पर आक्रमण किया और उसे हराकर वहाँ अपना शासन कायम किया। उसने गजनवी साम्राज्य का अंत कर दिया। आरंभ में शाहबुद्दीन गौरी ने लाहौर पर आक्रमण कर उसे अपने अधिकार में ले लिया। इसके बाद उसने दिल्ली पर आक्रमण किया और उसकी सल्तनत को भी हथिया लिया। उसने पृथ्वीराज चौहान को 1192 ई. में पराजित किया। इसके बाद वह स्वयं दिल्ली का शासक बन बैठा। 

अंतिम दौर एक

  1. रवींद्रनाथ टैगोर और महात्मा गाँधी के विचारों में क्या समानता थी?

उत्तर- रवींद्रनाथ टैगोर और महात्मा गाँधी दोनों ही मानवतावादी विचारधारा पर बल देने वाले थे।

  • अबुल कलाम आज़ाद ने क्या विशेष कार्य किया?

उत्तर- अबुल कलाम आजाद ने मुस्लिम बुद्धिजीवी समुदाय में सनसनी पैदा कर दी और युवा पीढ़ी के दिमाग में राष्ट्रीयता की भावना जगाने हेतु उत्तेजना भरी।

  • सन् 1912 में अबुल कलाम आज़ाद किस पद पर थे? उन्होंने कौन-सा समाचार पत्र निकाला? (अंतिम दौर एक)

उत्तर- अबुल कलाम आजाद कांग्रेस के वर्तमान सभापति थे उन्होंने उर्दू में ‘अल-हिलाल’ निकाला जो लोगों में चेतना जागृत करने वाला था।

  • सन् 1857 के गदर के बाद भारत के मुसलमान असमंजस में क्यों थे? इसका परिणाम क्या हुआ?

उत्तर- सन् 1857 के विद्रोह के बाद भारत के मुसलमान असमंजस में थे क्योंकि वे यह निर्णय नहीं ले पा रहे थे कि वे ब्रिटिश सरकार का साथ दें या हिंदुओं का। इसका परिणाम यह हुआ कि एक नए वर्ग का जन्म हुआ ‘बुर्जुआ वर्ग।’

  • शिक्षा के प्रचार को नापसंद करने वाले अंग्रेज़ों को भारत में शिक्षा का प्रचार क्यों करना पड़ा ?

उत्तर- अंग्रेज़ शिक्षा के प्रचार को नापसंद करते थे, फिर भी भारत में शिक्षा का प्रचार-प्रसार करना उनकी विवशता थी। वे भारत में पाश्चात्य संस्कृति तथाआचार-विचार को फैलाना चाहते थे। इसके अलावा उन्हें अपने कार्यों के लिए क्लर्क भी तैयार करने थे।

  • सर सैयद अहमद खाँ कौन थे, वे अंग्रेज़ों के प्रति कैसा दृष्टिकोण रखते थे ?

उत्तर- सर सैयद अहमद खाँ उत्साही मुस्लिम सुधारक थे। उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की स्थापना की। वे अंग्रेज़ी शिक्षा और उनकी नीतियों के समर्थक थे। वे मुसलमानों को अंग्रेज़ों का हितैषी सिद्ध करना चाहते थे।

  • रवीन्द्रनाथ ठाकुर के विषय में आप क्या जानते हैं? लिखिए। अंतिम दौर-एक पाठ के आधार पर बताइए।

उत्तर- रवींद्रनाथ ठाकुर, स्वामी विवेकानन्द के समकालीन थे। वे उस समय के कलाकार तथा श्रेष्ठ लेखक थे। उन्होंने सुधारवादी और स्वदेशी आंदोलन में भाग लिया। जलियाँवाला बाग कांड का विरोध करते हुए, उन्होंने ‘सर’ की उपाधि लौटा दी थी। घोर व्यक्तिवादी होने के बावजूद भी वे रूसी क्रांतियों की उपलब्धियों के प्रशंसक थे। वे सर्वोत्तम अंतर्राष्ट्रीयतावादी थे तथा भारत के सबसे बड़े मानवतावादी थे।

  • अंग्रेजों के भारतीयों की चेतना जाग्रत करने का श्रेय क्यों दिया जाता हैअंतिम दौर एक पाठ के आधार पर बताइए।

उत्तर- अंग्रेजों को भारतीयों की  चेतना जाग्रत करने का श्रेय इसलिए दिया जाता है क्योंकि उन्हें अपना काम करवाने के लिए कुछ भारतीयों की आवश्यकता थी जिस वे कम वेतन पर अपने काम के लिए पढ़े-लिखे क्लर्क तैयार कर सकें। इसके लिए उन्होंने उन्हें शिक्षित करना बेहतर समझा। इसके अतिरिक्त वे भारतीयों को पूरी तरह से पाश्चात्य संस्कृति में ढालना चाहते थे ताकि वे अंग्रेज़ सरकार के भक्त बने रहे और उन्हें शासन चलने में कोई कठिनाई नहीं आए। यही कारण था कि  शिक्षित होने के पश्चात भी भारतीयों ने गुलामी की जंजीरों को तोड़ने के विषय में सोचा।

अंतिम दौर दो

  1. मार्शल लॉ क्या थाअंतिम दौर-दो पाठ के आधार पर बताइए |

उत्तर- ‘मार्शल लॉ’ ब्रिटिश सरकार द्वारा बनाया गया एक ऐसा कानून था, जिसमें किसी भी व्यक्ति को किसी भी समय बिना पुलिस और न्यायालय की इजाजत के गोली का निशाना बनाया जा सकता था।

  • कांग्रेस किन दो विचारों पर अडिग थी?

उत्तर- कांग्रेस राष्ट्रीय एकता और लोकतंत्र की भावना पर अडिग थी।

  • गाँधी जी का उद्देश्य क्या था? अंतिम दौर-दो पाठ के आधार पर बताइए।

उत्तर- गाँधी जी का उद्देश्य था-लोगों को प्रेरित करके उनमे सक्रियता का भाव जाग्रत करना।

  • अंग्रेज़ों की नीति ने सांप्रदायिकता को किस तरह बढ़ावा दिया, उसका क्या परिणाम निकला ?

उत्तर- अंग्रेजों ने कांग्रेस की नीति ‘एकता और लोकतंत्र’ का समर्थन नहीं किया। वे एकता या लोकतंत्र की बलि चाहते थे जो कांग्रेस को स्वीकार नहीं था। स्वतंत्रता-प्राप्ति के अंतिम दौर में उन्होंने ऐसी चाल चली कि मुस्लिम लीग के नेता जिन्ना मुसलमानों के लिए अलग राष्ट्र माँगने लगे। इससे सांप्रदायिकता की भावना को बल मिला। जिसके परिणामस्वरूप भारत दो राष्ट्रों में विभाजित हो गया।

  • भारत छोड़ोप्रस्ताव कब हुआ व इसका परिणाम क्या निकला?

उत्तर- ‘भारत छोड़ो’ प्रस्ताव 8 अगस्त सन् 1942 को पारित हुआ। जैसे ही जनता ने प्रदर्शन किया वैसे ही सरकार ने गिरफ्तारियाँ भी प्रारंभ कर दी। इन्हीं गिरफ्तारियों में जवाहर लाल नेहरू व उनके साथियों को अहमदनगर किले में बंद किया गया।

  • मार्शल लॉ क्या था?

उत्तर- मार्शल लॉ ब्रिटिश सरकार द्वारा बनाया गया एक ऐसा कानून था जिसमें किसी भी व्यक्ति को किसी भी समय बिना पुलिस व न्यायालय की इजाज़त के गोली का निशाना बनाया जा सकता था।

  • स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए जिन्ना के क्या विचार थे? क्या उनके विचार सही थेअंतिम दौर दो पाठ के आधार पर बताइए।

उत्तर- जिन्ना ने अपने विचारों से स्वतंत्रता की माँग को नया स्वरूप दे दिया। उनके अनुसार हिन्दू-मुस्लिम धर्म के आधार पर भारत में दो राष्ट्र हैं। उनकी इसी अवधारणा ने भारत और पाकिस्तान के विभाजन को जन्म दिया। इस कारण स्वतंत्रता मिलते ही भारत के दो टुकड़े हो गए। मिस्टर जिन्ना के विचार सही नहीं थे। उनके विचारों ने  केवल पाकिस्तान व भारत की अवधारणा को तो जन्म  दिया  पर  उससे दो राष्ट्रों की समस्या का समाधान नहीं हुआ क्योंकि हिंदू और मुसलमान तो पूरे देश में थे।

  • विश्वयुद्ध की समाप्ति पर क्या हुआअंतिम दौर-दो पाठ के आधार पर बताइए।

उत्तर- विश्वयुद्ध के समय अंग्रेजों ने भारतीयों का प्रयोग करने के लिए उनसे बहुत से वायदे किए थे और लोगों को इस बात की आशा थी कि अब देश में राहत और प्रगति होगी, लेकिन युद्ध समाप्त होते ही सरकार ने तो दमन करने वाले कानूनों का निर्माण कर पंजाब में ‘मार्शल लॉ’ घोषित कर दिया, जिससे लोगों की आशा निराशा में परिवर्तित हो गई।

तनाव

  1. भारत छोडो आंदोलन किस वर्ष में आरम्भ हुआ?

उत्तर- भारत छोडो आंदोलन वर्ष 1942 में आरम्भ हुआ।

  • कांग्रेस कमेटी ने किसके सामने अपनी अपील पेश की?

उत्तर- ब्रिटेन तथा संयुक्त राष्ट्र के सामने कांग्रेस ने अपनी अपील पेश की।

  • कांग्रेस के सभापति कौन थेतनाव पाठ के आधार पर बताइए।

उत्तर- कांग्रेस के सभापती ‘मौलाना अबुल कलाम’ थे।

  • भारत छोड़ो प्रस्ताव रखने का कारण स्पष्ट कीजिए। तनाव पाठ के आधार प[पर बताइए।

उत्तर- भारत छोड़ो प्रस्ताव रखने का यह कारण था कि भारतीय अंग्रेजों के अत्याचारों से पीड़ित थे। भारतीय जनता में अंग्रेजों के विरुद्ध आक्रोश था। इस प्रस्ताव में जनता से यह अपील की गई थी कि अब अंग्रेजों को भारत छोड़ देना चाहिए। इसमें पुरुषों ने ही नहीं, बल्कि स्त्रियों ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था।

  • कांग्रेस-सभापति और गाँधीजी ने प्रस्ताव के बारे में क्या निर्णय लियातनाव पाठ के आधार पर बताइए।

उत्तर- उस समय कंग्रेस के सभापति मौलाना अबुल कलाम आजाद थे। उन्होंने और गाँधीजी ने एकमत होकर यह निर्णय लिया कि उनका अगला कदम ब्रिटिश सरकार के प्रतिनिधि वायसराय से मुलाकात करना और खास संयुक्त राष्ट्रों के मुख्याधिकारियों से एक सम्मानपूर्ण समझौते के लिए अपील करना है और अब जन-आंदोलन भी होकर ही रहेगा।

  • भारतियों ने अपने आवेदन प्रस्ताव में अंग्रेजों से क्या अपील की थी? तनाव पाठ के आधार पर बताइए।

उत्तर- यह एक लम्बा और  प्रस्ताव था। इस प्रस्ताव में अंतरिम सरकार बनाने का आवेदन था, जिसमे भारत के सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व  हो सके। इसमें मित्र शक्तियों के सहयोग से भारत की सुरक्षा और अपने सारे हथियारबंद और अहिंसक शक्तियों के साथ बाहरी आक्रमण को रोकने का प्रस्ताव भी था।

  • कांग्रेस कमेटी ने भारत में अंतरिम सरकार बनाने का सुझाव कर दिया और संयुक्त राष्ट्र और ब्रिटेन से क्या अपील की?

उत्तर- कांग्रेस कमेटी ने 7 और 8 अगस्त, 1942 को बैठक कर भारत छोडो प्रस्ताव पर विचार और बहस की। इसमें स्पष्ट किया गया था कि अब अंग्रेजों को भारत छोड़ने के लिए विवश करना होगा। इसी दिन इस प्रस्ताव को पारित करते समय ही इस प्रस्ताव में अंतरिम सरकार बनाने का भी सुझाव दिया गया था। ऐसी अंतरिम सरकार जिसमें सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व हो। कांग्रेस कमेटी ने भारत एवं संसार के सभी देशों की आजादी के लिए ब्रिटेन और संयुक्त राष्ट्र से अपील की तथा गाँधीजी के नेतृत्व में एक अहिंसक जन-आंदोलन शुरू करने की मांग भी की।

  • वर्ष 1942 में आरंभ के महीनों में भारत में तनाव का माहौल क्यों बना हुआ था?

उत्तर- वर्ष 1942 के आरंभ के महीनों में तनाव का माहौल इसलिए बना हुआ था क्योंकि युद्ध का समय नजदीक आता जा रहा था। द्वितीय विश्व युद्ध चल रहा था। ऐसे माहौल में भारत के शहरों पर हवाई हमलों की संभावना बढ़ गई थी। इनका परिणाम क्या होगा, क्या भारत और इंग्लैंड के संबंधों में दूरी बढ़ जाएगी, आदि प्रश्न तनाव का वातावरण बना रहे थे।

दो पृष्ठभूमियाँ भारतीय और अंग्रेज़ी

  1. वर्ष 1942 में किसने महत्वपूर्ण कार्य कियादो पृष्ठभूमियाँ भारतीय और अंग्रेज़ी पाठ के आधार पर बताइए।

उत्तर- वर्ष 1942 में युवा वर्ग तथा विशेषकर विद्यार्थियों ने महत्वपूर्ण कार्य किया।

  • अकाल के दौरान कलकत्ता की हालत कैसी थीदो पृष्ठभूमियाँ भारतीय और अंग्रेज़ी पाठ के आधार पर बताइए।

उत्तर- अकाल के दौरान कलकत्ता की हालत चिंताजनक थी।

  • वर्ष 1942 का विद्रोह असफल क्यों रहा?

उत्तर- वर्ष 1942 का विद्रोह योजनाबद्ध तरीके से अंजाम नहीं दिए जाने के कारण असफल रहा।

  • कलकत्ता में अकाल के समय कैसी स्थिति थी?

उत्तर- अकाल ने कलकत्ता की आम जनता को अधिक प्रभावित किया, सड़कों पर लोगों की लाशें मिली थी और दूसरी ओर अभिजात्य वर्ग था, जिस पर अकाल या लोगों के दुख-दर्द का कोई असर ही न था वह अपनी ही विलासिता में मस्त था।

  • 1943 ई० में भारत को किस भीषण प्राकृतिक आपदा का सामना करना पड़ा, इसका प्रभाव कहाँ-कहाँ तक था?

उत्तर- 1943 ई० में भारत को भीषण अकाल का सामना करना पड़ा था। इस अकाल का प्रभाव बंगाल और पूर्वी तथा दक्षिण भारत की बहुसंख्यक जनता पर पड़ा।

  • वर्ष 1942 में नेताओं की गिरफ्तारी का आम जनता पर किस तरह का प्रभाव पड़ादो पृष्ठभूमियाँ भारतीय और अंग्रेज़ी पाठ के आधार पर बताइए|

उत्तर- वर्ष 1942 में नेताओं की गिरफ्तारी तथा गोली-बारी की बात सुनकर आम जनता भड़क उठी। जनता ने सहज तथा हिंसक प्रदर्शन किए। जनता इतनी उत्तेजित हो गई कि चुप नहीं बैठ सकी तथा तोड़-फोड़ करने से भी नहीं चूकी।

  • अकाल के समय कलकत्ता की स्थिति का अवलोकन करिए। दो पृष्ठभूमियाँ भारतीय और अंग्रेज़ी पाठ के आधार पर बताइए|

उत्तर- अकाल के समय कलकत्ता की आम जनता अधिक प्रभावित हुई, सड़कों पर चारों ओर लोगों की लाशें बिछ गईं तथा दूसरी तरफ अभिजात्य वर्ग था, जिसके सामाजिक जीवन पर कोई परिवर्तन नहीं आया था। उस पर न तो अकाल का कोई प्रभाव हुआ और न ही लोगों के दुःख-दर्द का कोई असर था। यह वर्ग अपनी ही विलासिता तें मग्न था। उसका जीवन उल्लास से भरा था।

  • नेहरू जी ने अपने लेखन भारत की खोजमें किन-किन विचारों को स्थान देकर, भारतीयों को कैसे प्रेरित किया है?

उत्तर- नेहरू जी ने भारत की खोज’ लेखन में निम्न विचारों को स्थान देकर भारतीयों को प्रेरित करने का प्रयास किया है।

  1. भारत एक भौगोलिक व आर्थिक सत्ता है, उसकी विभिन्नता में सांस्कृतिक एकता है।
    1. भारत पर विदेशी जातियों के कितने ही आक्रमण हुए लेकिन उसकी आत्मा अर्थात् अस्तित्व को कोई जीत न सका, भले ही शासन सत्ता बदलती रही।
    1. भारत का अतीत सदा भारतीयों के साथ जुड़ा रहेगा।
    1. यदि हम विदेशों के साथ मिलकर नहीं चलेंगे तो पिछड़ापन हमें घेर लेगा।
    1. अंतरराष्ट्रीयतावाद की ओर कदम बढ़ाने होंगे।
    1. वर्तमान में सच्ची स्वतंत्रता, समानता और सच्ची अंतरराष्ट्रीयता ही उन्नति का आधार है।
    1. हमें अपने देश, देशवासियों, संस्कृति और परंपराओं पर गर्व करना चाहिए।
    1. अपनी कमजोरियों व असफलताओं को न भुलाकर उनमें सुधार लाने का प्रयत्न करना चाहिए।
    1. दुनिया की रफ़्तार के साथ चलते हुए दूसरी संस्कृतियों के साथ मेलजोल करके आगे बढ़ना चाहिए।
    1. सामूहिक कार्यों में सबका सहयोग देना भारतीयों का धर्म हो।
    1. दूसरों की कृपा और सहारे का प्रार्थी भारतीयों को नहीं बनना।
    1. भारतीयों को सच्चे भारतीय और एशियाई बन अंतरराष्ट्रीयता को अपनाते हुए विश्व नागरिक बनना है अर्थात् विश्व में सर्वश्रेष्ठ स्थान प्राप्त करना है।
गोपियों के अनुसार राजा क्या होना चादहए? - gopiyon ke anusaar raaja kya hona chaadahe?

लेखक -प्रेमचंद

गोपियों के अनुसार राजा क्या होना चादहए? - gopiyon ke anusaar raaja kya hona chaadahe?

Namak Ka Daroga पाठ का सारांश इस प्रकार है:

यह कहानी हमें कर्मों के फल के महत्व के बारे में समझाती है। यह कहानी अधर्म पर धर्म औरअसत्य पर सत्य की जीत को दर्शाती है। भले ही इंसान खुद कितना भी बुरा काम क्यों न कर ले लेकिन उसे भी अच्छाई पसंद आती है। खुद कितना भी भ्रष्ट क्यों न हो लेकिन वह पसंद ईमानदार लोगों को ही करता है। कुछ लोग कितने भी ऊंचे पद पर क्यों न बैठे हो जाएं और कितना अच्छा वेतन क्यों न पाते हों लेकिन उनके मन में ऊपरी आय का लालच हमेशा बना रहता है। इस कहानी के द्वारा लेखक ने प्रशासनिक स्तर और न्यायिक व्यवस्था में भ्रष्टाचार और उसकी सामाजिक सुविकृति को बड़े ही साहसिक तरीके से उजागर किया है।

ये कहानी आज़ादी के पहले की है अंग्रेजों ने नमक पर अपना एकाधिकार जताने के लिए अलग नमक विभाग बना दिया। नमक विभाग के बाद लोगों ने कर से बचने के लिए नमक का चोरी छुपे व्यापार भी करने लगे जिसके कारण भ्रष्टाचार भी फैलने लगा। कोई रिश्वत देकर अपना काम निकलवाता, कोई चालाकी और होशियारी से। नमक विभाग में काम करने वाले अधिकारी वर्ग की कमाई तो अचानक कई गुना बढ़ गई थी। अधिकतर लोग इस विभाग में काम करने के इच्छुक रहते थे क्योंकि इसमें ऊपर की कमाई काफी होती थी। लेखक कहते हैं कि उस दौर में लोग महत्वपूर्ण विषयों के बजाय प्रेम कहानियों व श्रृंगार रस के काव्यों को पढ़कर भी उच्च पद प्राप्त कर लेते थे।

उसी समय मुंशी वंशीधर नौकरी के तलाश कर रहे थे। उनके पिता अनुभवी थे अपनी वृद्धावस्था का हवाला देकर ऊपरी कमाई वाले पद को बेहतर बताया। वे कहते हैं कि मासिक वेतन तो पूर्णमासी का चांद है जो एक दिन दिखाई देता है और घटते-घटते लुप्त हो जाता है। ऊपरी आय बहता हुआ स्रोत है जिससे सदैव प्यास बुझती है। वह अपने पिता से आशीर्वाद लेकर नौकरी की तलाश कर रहे होते है और भाग्यवश उन्हें नमक विभाग में नौकरी प्राप्त होती है जिसमें ऊपरी कमाई का स्रोत अच्छा है ये बात जब पिता जी को पता चली तो बहुत खुश हुए।

छ: महीने अपनी कार्यकुशलता के कारण अफसरों को प्रभावित कर लिया था। ठंड के मौसम में वंशीधर दफ्तर में सो रहे थे। यमुना नदी पर बने नावों के पुल से गाड़ियों की आवाज सुनकर वे उठ गए। यमुना नदी पर बने नावों के पुल से गाड़ियों की आवाज सुनकर वे उठ गए। पंडित अलोपीदान इलाके के प्रतिष्ठित जमींदार थे। जब जांच की तो पता चला कि गाड़ी में नमक के थैले पड़े हुए हैं। पडित ने वंशीधर को रिश्वत ले कर गाड़ी छोड़ने को का लेकिन उन्होंने साफ़ मन कर दिया। पंडित जी को गिरफ्तार कर लिया गया।            

अगले दिन ये खबर आग की तरह से फेल गई। अलोपीदीन को अदालत लाया गया। लज्जा के कारण उनकी गर्दन शर्म से झुक गई। सारे वकील और गवाह उनके पक्ष में थे, लेकिन वंशीधर के पास के केवल सत्य था। पंडितजी को सबूतों के आभाव की वजह से रिहा कर दिया।

पंडित जी ने बाहर आ कर पैसे बांटे और वंशीधर को व्यंगबाण का सामना करना पड़ा एक हफ्ते के अंदर उन्हें दंड स्वरूप नौकरी से हटा दिया। संध्या का समय था। पिता जी राम-राम की माला जप रहे थे तभी पंडित जी रथ पर झुक कर उन्हें प्रणाम किया और उनकी चापलूसी करने लगे और अपने बेटे को भलाबुरा कहा। उन्होने कहा मैंने कितने अधिकारियो को पैसो के बल पर खरीदा है लेकिन ऐसा कर्तव्यनिष्ठ नहीं देखा पंडित जी वंशीधर की कर्तव्यनिष्ठा के कायल हो गए। वंशीधर ने पंण्डित जी को देखा तो उनका सम्मानपूर्वक आदर सत्कार किया।

उन्हें लगा कि पंडितजी उन्हें लज्जित करने आए हैं। लेकिन उनकी बात सुनकर आश्चर्यचकित हो गए और उन्होंने कहा जो पंडितजी कहेंगे वही करूंगा। पंडितजी ने स्टाम्प लगा हुआ एक पत्र दिया जिसमें लिखा था कि वंशीधर उनकी सारी स्थाई जमीन के मैनेजर नियुक्त किए गए हैं। वंशीधर की आंखों में आंसू आ गए और उन्होंने का वो इस पद के काबिल नहीं है। पंडित जी ने कहा मुझे न काबिल व्यक्ति ही चाहिए जो धर्मनिष्ठा से काम करे।

कठिन शब्द उनके अर्थों के साथ

Namak Ka Daroga में कठिन शब्द उनके अर्थों के साथ दिए गए हैं-

निषेद – मनाही

सुख -संवाद – सखु देनेवाला  समाचार

कानाफूसी – धीरे धीरे बात करना

अविचलित – स्थिर

विस्मित – हैरान

तजवीज – सुझाव

प्रवबल्य -प्रधानता

बरकत – तरक्की

संकुचित – छोटा – सा

आत्मावलम्बन – खुद पर भरोसा करने वाला

शूल – अत्याधिक पीड़ा

अगाध – गहरा

कगारे पर का वृक्ष – वृद्धावस्थ

मुंशी वंशीधर ने अपना मित्र और पथ प्रदर्शक किसे बनाया?

मुंशी वंशीधर ने धैर्य को अपना मित्र, बुद्धि को अपना पथ प्रदर्शक और आत्मावलम्बन को अपना सहायक बनाया था। मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखित ‘नमक का दरोगा’ कहानी में मुंशी वंशीधर एककर्तव्यनिष्ठ और ईमानदार दरोगा थे। जिन्होंने पंडित अलोपीदीन के भ्रष्टाचार के सामने हार नहीं मानी और ईमानदारी से अपने कर्तव्य को निभाया। इस कारण उन्हें अपने पद से भी हाथ धोना पड़ा, लेकिन उन्होंने अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं किया। जब मुझे बंशीधर की दरोगा की नौकरी लगी थी तो उनके पिता ने उन्हें ऊपरी कमाई करने का सुझाव दिया था, लेकिन मुंशी वंशीधर ईमानदार और अपने सिद्धांतों के पालन करने वाले थेष उनके लिए धैर्य उनका मित्र, बुद्धि उनकी पथ प्रदर्शक और आत्मावलंबन उनका सहायक था। उन्होंने अपने दरोगा पद पर ऊपरी आय और रिश्वतखोरी जैसे कार्य नही किये और ईमानदारी से अपना कर्तव्य पालन किया।

प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. कहानी का कौन-सा पात्र आपको सर्वाधिक प्रभावित करता है और क्यों?

उत्तर-कहानी का नायक बंशीधर ने मुझे सबसे ज़्यदा प्रभावित किया क्योकि वो ईमानदार , कर्मयोगी , कर्त्तव्यनिष्ठ व्यक्ति थे। उनके घर की आर्थिक हालत थी नहीं थी फिर भी उन्होंने ईमानदारी नहीं छोड़ी।  उनके पिता उन्हें ऊपरी आय पर नज़र रखने की सलाह देते थे मगर उन्हें ये बाते नहीं मानी। आज के युग में ऐसे कर्मयोगी लोगो की ज़रुरत है। 

प्रश्न 2.“नमक का दारोगा” कहानी में पंडित अलोपीदीन के व्यक्तित्व के कौन-से दो पहलू (पक्ष) उभरकर आते हैं?

उत्तर-पंडित अलोपीदीन को धन का बहुत घमंड था इसीलिए उसने दरोगा बंशीधर को भी रिश्वत देने की कोशिश की।गिरफ्तार होने के बाद जब उसे अदालत में लाया गया तो उसने वहां पर भी वकीलों और गवाहों खरीद लिया ,अपने आप को सभी आरोपों से बरी करा लिया। जो उसके भ्रष्ट , बेईमान और चालाक होने का सबूत देते हैं। लेकिन उसके व्यक्तित्व का एक उजला पक्ष भी है जो बेहद प्रशंसनीय है। वंशीधर को दरोगा की नौकरी से निकलवाने के बाद पंडित अलोपीदीन को मन ही मन बहुत पछतावा हुआ। क्योंकि वह जानता था कि आज के वक्त में बंशीधर जैसे ईमानदार व कर्तव्यपरायण व्यक्ति मिलना मुश्किल है।  इसीलिए उसने उसे अपनी सारी जायदाद का स्थाई मैनेजर नियुक्त कर दिया।

प्रश्न 3.कहानी के लगभग सभी पात्र समाज की किसी-न-किसी सच्चाई को उजागर करते हैं। निम्नलिखित पात्रों के संदर्भ में पाठ से उस अंश को उद्धृत करते हुए बताइए कि यह समाज की किस सच्चाई को उजागर करते हैं ?

उत्तर- (क) वृद्ध मुंशी-  नौकरी में ओहदे की ओर ध्यान देना। यह तो पीर की मजार है। निगाह चढ़ावे और चादर पर रखनी चाहिए। ऐसा काम ढूंढना जहां कुछ ऊपरी आय हो। मासिक वेतन तो पूर्णमासी का चांद है।  जो एक दिन दिखाई देता है और घटते-घटते लुप्त हो जाता है……”।

बंशीधर के पिता के इस कथन से पता चलता है कि समाज में भ्रष्टाचार की जड़ें कितनी गहरी थी। वह अपने बेटे को ऐसी नौकरी करने की सलाह देते हैं जहां पद प्रतिष्ठा भले ही कम हो मगर ऊपरी आमदनी ज्यादा होती हो।

(ख) वकील- “वकीलों ने यह फैसला सुना और उछल पड़े”।

उत्तर- इस कथन से न्यायिक व्यवस्था में फैले भ्रष्टाचार का पता चलता है। जहां पंडित अलोपीदीन ने वकीलों को बड़ी आसानी से अपने पैसे के बल पर खरीद लिया था।

ग) शहर की भीड़ -“जिसे देखिए , वही पंडित जी के इस व्यवहार पर टीका टिप्पणी कर रहा था। निंदा की बौछारों हो रही थी। मानो संसार से अब पापी का पाप कट गया। पानी को दूध के नाम पर बेचने वाला ग्वाला , कल्पित रोजाना पर्चे भरने वाले अधिकारी वर्ग , रेल में बिना टिकट सफर करने वाले बाबू लोग ,  जाली दस्तावेज बनाने वाले सेठ और साहूकार , यह सब-के-सब देवताओं की भांति गर्दन चला रहे थे….” ।

उत्तर- इन पंक्तियों से पता चलता है कि समाज के हर वर्ग के लोग कहीं ना कहीं भ्रष्टाचार में लिफ्त थे।  चाहे वह दूधवाला हो या ट्रेन में बिना टिकट यात्रा करने वाला। लेकिन ये सब वो लोग थे जिन्हें अपनी गलतियां नजर नहीं आती थी लेकिन दूसरों का तमाशा देखने के लिए सबसे आगे रहते थे।

प्रश्न 4.निम्न पंक्तियों को ध्यान से पढ़िए ?

“नौकरी में ओहदे की ओर ध्यान मत देना, यह तो पीर का मज़ार है। निगाह चढ़ावे और चादर पर रखनी चाहिए। ऐसा काम ढूँढ़ना जहाँ कुछ ऊपरी आय हो। मासिक वेतन तो पूर्णमासी का चाँद है जो एक दिन दिखाई देता है और घटते-घटते लुप्त हो जाता है। ऊपरी आय बहता हुआ स्रोत है जिससे सदैव प्यास बुझती है। वेतन मनुष्य देता है , इसी से उसमें वृद्धि नहीं होती। ऊपरी आमदनी ईश्वर देता है , इसी से उसकी बरकत होती है , तुम स्वयं विद्वान हो , तुम्हें क्या समझाऊँ”।

(क) यह किसकी उक्ति है?

उत्तर-  यह दरोगा बंशीधर के पिता का कथन है।

(ख) मासिक वेतन को पूर्णमासी का चाँद क्यों कहा गया है ?

खर्च होता चला जाता है और महीने के अंत तक यह पूरी तरह से समाप्त हो जाता है। इसीलिए ऐसे “पूर्णमासी का चाँद” कहा गया हैं।

(ग) क्या आप एक पिता के इस वक्तव्य से सहमत हैं ?

उत्तर-नहीं , मैं दरोगा बंशीधर के पिता के इस कथन से पूरी तरह से असहमत हूं। रिश्वत लेना और भ्रष्टाचार करना , दोनों ही गलत है। अगर व्यक्ति अपनी जरूरतों को नियंत्रित करते हुए चले तो अपनी मेहनत और ईमानदारी से वह जो भी कमाता है उसमें उसका आराम से गुजारा हो सकता है। और मेहनत से कमाये हुए धन से जीवन में सुख-शान्ति बनी रहती है।

प्रश्न 5.“नमक का दारोगा” कहानी के कोई दो अन्य शीर्षक बताते हुए उसके आधार को भी स्पष्ट कीजिए।

उत्तर-नमक का दरोगा के दो अन्य शीर्षक निम्न है।

1. धर्मनिष्ठ दरोगा – यह कहानी पूरी तरह से बंशीधर की ईमानदारी पर टिकी है। जो भ्रष्ट लोगों के बीच में रहकर भी अपने कर्तव्य को पूर्ण ईमानदारी के साथ निभाता है।

2. ईमानदारी का फल – दरोगा बंशीधर की ईमानदारी के कारण ही उसे अंत में पंडित अलोपीदीन अपना मैनेजर नियुक्त करता हैं।

प्रश्न 6. कहानी के अंत में अलोपीदीन के वंशीधर को अपना मैनेजर नियुक्त करने के पीछे क्या कारण हो सकते हैं ? तर्क सहित उत्तर दीजिए। आप इस कहानी का अंत किस प्रकार करते ?

उत्तर-पंडित अलोपीदीन खुद एक भ्रष्ट , बेईमान व चालाक व्यक्ति था।यह समझता था कि पैसे के बल पर किसी भी व्यक्ति को खरीदा जा सकता है या कोई भी काम करवाया जा सकता हैं। लेकिन जब उसने अपने जीवन में पहली बार किसी ऐसे व्यक्ति (दरोगा वंशीधर) को देखा जिसकी ईमानदारी को वह अपने पैसे से नहीं खरीद पाया तो वह आश्चर्य चकित रह गया।पंडित अलोपीदीन यह भी जानता था कि आज के समय में इस तरह के ईमानदार , कर्तव्य परायण व धर्मनिष्ठ व्यक्ति मिलना मुश्किल है। मैं भी इस कहानी का अंत कुछ इसी तरह से करता/ करती । 

घाट के देवता को भेंट चढ़ाने’ से क्या तात्पर्य है?

इस कथन का तात्पर्य है कि इस क्षेत्र के नमक के दरोगा को रिश्वत देना आवश्यक है अर्थात् बिना रिश्वत दिए वह मुफ्त में घाट नहीं पार करने देंगे।

‘दुनिया सोती थी, पर दुनिया की जीभ जागती थी।’ से क्या तात्पर्य है?

इस कथन के माध्यम से लेखक कहना चाहता है कि संसार में परनिंदा हर समय होती रहती है। रात के समय हुई घटना की चर्चा आग की तरह सारे शहर में फैल गई। हर आदमी मजे लेकर यह बात एक-दूसरे बता रहा था।

देवताओं की तरह गर्दन चलाने का क्या मतलब है?

इसका अर्थ है-स्वयं को निर्दोष समझना। देवता स्वयं को निर्दोष मानते हैं, अत: वे मानव पर तरह-तरह के आरोप लगाते हैं। पंडित अलोपीदीन के पकड़े जाने पर भ्रष्ट भी उसकी निंदा कर रहे थे।

कौन-कौन लोग गर्दन चला रहे थे?

पानी को दूध के नाम से बेचने वाला ग्वाला, नकली बही-खाते बनाने वाला अधिकारी वर्ग, रेल में बेटिकट यात्रा करने वाले बाबू जाली दस्तावेज बनाने वाले सेठ और साहूकार-ये सभी गरदनें चला रहे थे।

किस वन का सिह कहा गया तथा क्यों?

पंडित अलोपीदीन को अदालत रूपी वन का सिंह कहा गया, क्योंकि यहाँ उसके खरीदे हुए अधिकारी, अमले, अरदली, चपरासी, चौकीदार आदि थे। वे उसके हुक्म के गुलाम थे।

कचहरी की अगाध वन क्यों कहा गया?

कचहरी को अगाध वन कहा गया है, क्योंकि न्याय की व्यवस्था जटिल व बीहड़ होती है। हर व्यक्ति दूसरे को खाने के लिए बैठा है। वहाँ पैसों से बहुत कुछ खरीदा जा सकता है, जिससे जनसाधारण न्याय-प्रणाली का शिकार बनकर रह जाता है।

लोगों के विस्मित होने का क्या कारण था?

लोग अलोपीदीन की गिरफ्तारी से हैरान थे, क्योंकि उन्हें उसकी धन की ताकत व बातचीत की कुशलता का पता था। उन्हें उसके पकड़े जाने पर हैरानी थी क्योंकि वह अपने धन के बल पर कानून की हर ताकत से बचने में समर्थ था। बूढ़े मुंशी जी किसकी पढ़ाई-लिखाई को व्यर्थ मानते हैं? क्यों?

बूढ़े मुंशी जी अपने बेटे वंशीधर की पढ़ाई-लिखाई को व्यर्थ मानते हैं। वे उसे अफसर बनाकर रिश्वत की कमाई से अपनी हालत सुधारना चाहते थे| वंशीधर ने उनकी कल्पना के उलट किया।

ईश्वर प्रदत्त वस्तु क्या है? उसके निषेध से क्या परिणाम हुआ?

ईश्वर प्रदत्त वस्तु नमक है। सरकार ने नमक विभाग बनाकर उसके निर्माण पर प्रतिबंध लगा दिया। प्रतिबंध के कारण लोग चोरी-छिपे इसका व्यापार करने लगे। इससे रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिला।

फारसी का क्या प्रभाव था?

इस समय फारसी का प्रभाव था। फारसी पढ़े लोगों को अच्छी नौकरियां मिल जाती थीं। प्रेम की कथाएँ और श्रृंगार रस के काव्य पढ़कर फ़ारसी जानने वाले सर्वोच्च पदों पर नियुक्त हो जाया करते थे।

MCQs

Namak Ka Daroga पाठ के लेखक ?

(A) प्रेमचंद्र

(B) कृष्ण चन्दर

(C) शेखर जोशी

(D) कृष्ण नाथ

उत्तर – (A) प्रेमचंद्र

2. किस ईश्वर प्रदत्त वास्तु का व्यहवार करना निषेध हो गया था –

(A) जल

(B) वायु

(C) नमक

(D) धरती

उत्तर – (C) नमक

3.किन के पौ बारह थे-

(A) गृहणियों के

(B) अधिकारीयों के

(C) पतियों के

(D) बच्चों के

उत्तर – (B) अधिकारीयों के 

4. नमक विभाग में दरोगा के पद के लिए कौन ललचाते थे –

(A) डॉक्टर

(B) प्रोफेसर

(C) इंजीनियर

(D) वकील

उत्तर – (D) वकील

5.  नामक विभाग में किसे दरोगा की नौकरी मिली –

(A) अलोपीदीन को

(B) वंशीधर को

(C) बदलू सिंह को

(D) दातादीन को

उत्तर -(B) वंशीधर को

6. नमक की कालाबाजारी कौन कर रहा था –

(A) अलोपदीन

(B) रामदीन

(C) दातादीन

(D) मातादीन

उत्तर -(A) अलोपदीन

7. दुनिया सोती थी मगर दुनिया  ________ जागती थी –

(A) आँख

(B) कान

(C) जीभ

(D) नाक

उत्तर – (C) जीभ

8. किसका लाखों का लेन देन था –

(A) वंशीधर का

(B) मुरलीधर का

(C) मातादीन का

(D) अलोपदीन का

उत्तर- (D) अलोपदीन का

9. अलोपदीन को दरोगा को किस बल पर खरीद लेने का विश्वास था –

(A) बल

(B) छल

(C) रिश्वत

(D) सम्बन्ध

उत्तर -(c) रिश्वत

10. न्याय और नीति सब लक्ष्मी के खिलौने है – यह कथन किसका था –

(A) वंशीधर

(B) अलोपदीन

(C) बदलूसिंह

(D) वंशीधर के पिता का

उत्तर – (B) अलोपदीन

11. अलोपदीन क्या देखर मूर्छित होकर गिर पड़े –

(A) हथकड़ियाँ

(B) पुलिस

(C) डाकू

(D) लठैत

उत्तर –  (A) हथकड़ियाँ 

12.’चालीस हज़ार नहीं , चालीस लाख भी नहीं ‘- यह कथन किस का है –

(A) मजिस्ट्रटे का

(B) वंशीधर का

(C) बदलू सिंह  का

(D) अलोपदीन का

उत्तर – (B) वंशीधर का

13. वंशीधर के पिता किसकी अगवानी के लिए दौड़ रहे थे –

(A) वंशीधर की

(B) मजिस्ट्रटे की

(C) अलोपादीन की 

(D) मातादीन की

उत्तर – (C) अलोपदीन की

14. प्रेमचंद्र जन्म कब हुआ था –

(A) 1880 में

(B) 1888 में

(C) 1800 में

(D) 1860 में

उत्तर – (A) 1880 में  

15. प्रेमचंद्र का निधन कब हुआ –

(A) 1933 में

(B) 1934  में

(C) 1935  में

(D) 1936  में

उत्तर -(D) 1936 में

16. वंशीधर के पिता के विचार से ऊपरी आय क्या है?

क) पीर का मजार

ख) बहता स्रोत

ग) चंद्रमा

घ) खिलौना

उत्तर: ख

17. वंशीधर को किस कार्यालय में नौकरी मिली?

क) पुलिस विभाग में

ख) न्यायालय में

ग) नमक विभाग में

घ) कहीं पर भी नहीं

उत्तर: ग

18. वंशीधर के पिता ने उन्हें कैसा कार्य ढूंढने की सलाह दी?

क) जिसमें केवल वेतन प्राप्त हो।

ख) जिसमें ऊपरी आय मिलने की संभावना हो।

ग) जिसमें ईमानदारी से कार्य किया जाए।

घ) जिसमें कोई कार्य न करना पड़े।

उत्तर: ख

19. मुकदमा चलाने पर अदालत ने किसे दोषी ठहराया?

क) वंशीधर

ख) अलोपीदीन

ग) वकील

घ) किसी को भी नहीं

उत्तर: क

20. पंडित अलोपीदीन कौन थे?

क) दारोगा

ख) न्यायाधीश

ग) जमींदार

घ) किसान

उत्तर: ग

21. किस ईश्वर प्रदत्त वस्तु का व्यवहार करना निषेध हो गया था –

(क) जल

(ख) वायु

(ग) नमक

(घ) धरती

उत्तर – ग

22. बंशीधर के पिता ने मासिक वेतन को क्या कहा है?

क) चाँद

ख) अमावस्या का चांद

ग) पूर्णमासी का चांद

घ) बहता स्रोत

उत्तर – ग

23. घाट के देवता को भेंट चढ़ाने से क्या तात्पर्य है?

क) भगवान को भोग चढ़ाना

ख) नदी किनारे श्राद्ध करना

ग) ब्राह्मण को दान देना

घ) नमक के दरोगा को रिश्वत देना

उत्तर – घ

24. अलोपीदीन अंत में कितनी रिश्वत देने के लिए तैयार हो गए?

क) 40 हजार

ख) 30 हजार

ग) 20 हजार

घ) 5 हजार

उत्तर – क

25. लोगों को किस बात पर आश्चर्य हो रहा था?

क) अलोपीदीन की गिरफ्तारी पर *

ख) वंशीधर की ईमानदारी पर

ग) न्यायाधीश के न्याय पर

घ) उपर्युक्त सभी

उत्तर – क

FAQs

नमक का दरोगा कहानी की मूल संवेदना क्या है?

‘नमक का दरोगा’ कहानी की मूल संवेदना समाज और शासन-प्रशासन में फैले भ्रष्टाचार की प्रवृत्ति को उजागर करना और उस पर व्यंग्यात्मक कटाक्ष करना है।

नमक के दरोगा से क्या शिक्षा मिलती है?

यह कहानी धन के ऊपर धर्म के जीत की है। कहानी में मानव मूल्यों का आदर्श रूप दिखाया गया है और उसे सम्मानित भी किया गया है।

अलोपीदीन की गाड़ियां कौन सी नदी के पुल पर जा रही थी?

उनके दफ्तर से एक मील पहले जमुना नदी थी जिस पर नावों का पुल बना हुआ था। गाड़ियों की आवाज़ और मल्लाहों की कोलाहल से उनकी नींद खुली। बंदूक जेब में रखा और घोड़े पर बैठकर पुल पर पहुँचे वहाँ गाड़ियों की एक लंबी कतार पुल पार कर रही थीं।

लोग नमक विभाग में नौकरी क्यों करना चाहते थे?

लोग पटवारीगिरी के पद को छोड़कर नमक विभाग की नौकरी करना चाहते थे, क्योंकि इसमें ऊपर की कमाई होती थीं। लोग इनकों घूस देकर अपना काम निकलवाते थे।

नौकरी पर जाते समय उन्हें किसने सलाह दी?

मुंशी वंशीधर ने भी फारसी पढ़ी और रोजगार की खोज में निकल पड़े। उनके घर की आर्थिक दशा खराब थी। उनके पिता ने घर से निकलते समय उन्हें बहुत समझाया जिसका सार यह था कि ऐसी नौकरी करना जिसमें ऊपरी कमाई हो और आदमी तथा अवसर देखकर घूस जरूर लेना।

नमक का दरोगा कहानी का उद्देश्य लिखिए?

नमक का दरोगा कहानी का उद्देश्य होता है कि ईमानदारी एवं कर्तव्यनिष्ठ समाज का निर्माण करना।

नमक का दरोगा कहानी के पात्र कौन-कौन हैं?

नमक का दरोगा कहानी में चार प्रमुख पात्र हैं – अलोपीदीन, मुंशी वंशीधर, बूढ़े मुंशी जी और नमक।

CBSE 22-23 प्रतिदर्श प्रश्न-पत्र  

1. कोठार किसके काम आता होगा?

ANSWER= अनाज जमा करने के लिए

2. दाढ़ी वाली मूर्ति का नाम क्या रखा गया है?

  • ANSWER=  याजक नरेश
  • 3. मुअनजो-दड़ो हड़प्पा से प्राप्त हुई नर्तकी की मूर्ति किस राष्ट्रीय संग्रहालय में रखी हुई है?
  • ANSWER= दिल्ली संग्रहालय में 

4. मुअनजो-दड़ो की गलियों तथा घरों को देखकर लेखक को किस प्रदेश का ख्याल आया?

  • ANSWER=  राजस्थान

5. मुअनजो-दड़ो के घरों में टहलते हुए लेखक को किस गाँव की याद आई?

  • ANSWER= कुलधरा 

6. मुअनजो-दड़ो की खुदाई में निकली पंजीकृत चीज़ों की संख्या कितनी थी?

  • ANSWER= 50 हजार से अधिक

7. खुदाई से प्राप्त गेहूँ का रंग कैसा है?

  • ANSWER= काला

8. अजायबघर में तैनात व्यक्ति का नाम क्या था?

  • ANSWER= अली नवाज़
  • 9. सिंधु सभ्यता की खूबी क्या है?
  • ANSWER= सौंदर्य-बोध
  • 10. लेखक ने सिंधु सभ्यता के सौंदर्य-बोध को क्या नाम दिया है?
  • ANSWER= समाज-पोषित
  • 11. मुअनजो-दड़ो अपने काल में किसका केंद्र रहा होगा?
  • ANSWER=  सभ्यता का
  • 12. मुअनजो-दड़ो नगर कितने हैक्टेयर में फैला हुआ था?
  • ANSWER= 200 हैक्टेयर
  • 13. भग्न इमारत में कितने खंभे हैं?
  • ANSWER=  20 खंभे

14. ‘डीके’ हलका किसके नाम पर रखा गया है?

  • ANSWER=  दीक्षितकाशीनाथ के
  • 15. मुअनजो-दड़ो की लंबी सड़क अब कितनी बची है?
  • ANSWER= 1/2 मील
  • 16. मुअनजो-दड़ो में लगभग कितने कुएँ थे?
  • ANSWER= 700
  • 17. सिंधु घाटी सभ्यता में कौन-से फल उगाए जाते थे?
  • ANSWER=  खजूर और अंगूर
  • 18. सिंधु घाटी सभ्यता में कपास पैदा होती थी। इसका क्या प्रमाण है?
  • ANSWER=  सूती कपड़ा
  • 19. ‘अतीत में दबे पाँव’ नामक पाठ के रचयिता का नाम क्या है?
  • ANSWER=  ओम थानवी
  • 20. लेखक के अनुसार मुअनजो-दड़ो की आबादी लगभग कितनी थी?
  • ANSWER= 85 हजार
  • 21. मुअनजो-दड़ो का नगर कितने हजार साल पहले का है?
  • ANSWER= 5000 साल
  • 22. मुअनजो-दड़ो की मुख्य सड़क की चौड़ाई कितनी है?
  • ANSWER= 33 फीट
  • 23. मुअनजो-दड़ो की सभ्यता और संस्कृति किसकी शोभा बढ़ा रहे हैं?
  • ANSWER= अजायबघर की
  • 24. मुअनजो-दड़ो के सबसे ऊँचे चबूतरे पर क्या विद्यमान है?
  • ANSWER=  बौद्ध स्तूप
  • 25. बौद्ध स्तूप कितने फुट ऊँचे चबूतरे पर निर्मित है?
  • ANSWER=  25 फुट
  • 26. चबूतरे पर किसके कमरे बने हुए हैं?
  • ANSWER=  भिक्षुओं के
  • 27. राखालदास बैनर्जी यहाँ पर किस वर्ष आए थे?
  • ANSWER=  सन् 1922 में
  • 28. राखालदास बैनर्जी कौन थे?
  • ANSWER=  पुरातत्त्ववेत्ता
  • 29. मुअनजो-दड़ो को नागर भारत का सबसे पुराना क्या कहा गया है?
  • ANSWER= लैंडस्केप
  • 30. मुअनजो-दड़ो के वास्तुकला की तुलना किस नगर के साथ की गई है?
  • ANSWER= चंडीगढ़ से
  • 31. मुअनजो-दड़ो से सिंधु नदी कितनी दूरी पर बहती है?
  • ANSWER= 5 किलोमीटर
  • 32. दक्षिण में टूटे-फूटे घरों का जमघट किसकी बस्ती मानी गई है?
  • ANSWER= कामगारों की
  • 33. महाकुंड कितने फुट लंबा है?
  • ANSWER= 40 फुट
  • 34. महाकुंड की चौड़ाई कितनी है?
  • ANSWER= 25 फुट
  • 35. महाकुंड की गहराई कितनी है?
  • ANSWER= 7 फुट
  • 36. महाकुंड के तीन तरफ किसके कक्ष बने हुए हैं?
  • ANSWER= साधुओं के
  • 37. उत्तर में दो पांत में कितने स्नानघर हैं?
  • ANSWER= आठ
  • 38. कुंड के पानी के प्रबंध के लिए क्या व्यवस्था है?
  • ANSWER=  कुआँ

गोपियों के अनुसार राजा क्या होना चादहए? - gopiyon ke anusaar raaja kya hona chaadahe?

सेवा में,

श्रीमान प्रधानाचार्य,

केंद्रीय विद्यालय हरसिहपुरा,

करनाल |

दिनांक- 01-08-2022

विषय- प्राचार्य महोदय को दोन दिन की छुट्टी के लिए पत्र |

महोदय,

            सविनय निवेदन यह है कि कल मैं (नाम/कक्षा/वर्ग) विद्यालय से घर जाते समय बारिश में भीग गई, जिसके कारण मुझे तीव्र ज्वर हो गया | डॉ से सलाह लेने पर उन्होने मुझे दो दिन आराम करने को कहा| जिसके कारण मैं दो दिन विद्यालय आने में असमर्थ हूँ|

            अतः आपसे विनम्र निवेदन है कि मुझे दो दिन दिनांक 01-08-22 से 02-08-22 तक की छुट्टी देने की कृपा करें|

आपकी अति महान कृपा होगी|

धन्यवाद सहित!

आपकी आज्ञाकारिणी शिष्या

हस्ताक्षर-

नाम-

कक्षा-                वर्ग– 

अनुक्रमांक-

गोपियों के अनुसार राजा क्या होना चादहए? - gopiyon ke anusaar raaja kya hona chaadahe?

—-शुल्क माफ़ी हेतु पत्र

सेवा में,

श्रीमान प्रधानाचार्य,

केंद्रीय विद्यालय हरसिहपुरा,

करनाल |

दिनांक- 30-07-2022

विषय- प्राचार्य महोदय को शुल्क माफ़ी हेतु पत्र |

महोदय,

            सविनय निवेदन यह है कि कल मैं (नाम/कक्षा/वर्ग) आपके विद्यालय का होनहार छात्र हूँ | हम दो भाई-बहन इस विद्यालय में पढ़ते हैं| श्रीमान मेरे पिता जी की मासिक आय बहुत ही कम है जिसके कारण वो हम दोनों का शुल्क नहीं भर पा रहे हैं|

            अतः आपसे विनम्र निवेदन है कि हमारा शुल्क माफ़ करने की कृपा करें ताकि हम बाई-बहन अपनी आगे की पढ़ाई सुचारु रूप से जारी रख सकें| |

आपकी अति महान कृपा होगी|

धन्यवाद सहित!

आपकी आज्ञाकारी शिष्य

हस्ताक्षर-

नाम-

कक्षा-                वर्ग– 

अनुक्रमांक-

गोपियों के अनुसार राजा क्या होना चादहए? - gopiyon ke anusaar raaja kya hona chaadahe?

गोपियों के अनुसार राजा क्या होना चादहए? - gopiyon ke anusaar raaja kya hona chaadahe?
जया जादवानी

सारांश–उपर्युक्त कविता में कवयित्री कहती है कि अभी सबसे कठिन समय नहीं है क्योंकि अभी भी चिड़िया तिनका ले जाकर घोंसला बनाने की तैयारी में है। अभी भी झड़ती हुई  पत्तियों को सँभालने वाला कोई हाथ है अर्थात अभी भी लोग एक दूसरे की मदद के लिए तैयार है। अभी भी अपने गंतव्य तक पहुँचने का इंतजार करने वालों के लिए रेलगाड़ियाँ आती हैं। अभी भी कोई कहता है जल्दी आ जाओ क्योंकि सूरज डूबने वाला है। अभी भी बूढी नानी की सुनाई कथा आज भी कोई सुनाता है कि अंतरिक्ष के पार भी दुनिया है। अतः अभी सबसे कठिन समय नहीं आया है।

प्रश्नोत्तर —

प्र॰1 ’’यह कठिन समय नहीं है?’’ यह बताने के लिए कविता में कौन-कौन से तर्क प्रस्तुत किए गए हैं? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर – यह बताने के लिए कवयित्री ने घोसला बनाने का प्रयास करती चिड़िया, गिरते पत्ते को थमने वाले हाथ, प्रतीक्षा करते यात्रियों के लिए आई रेलगाड़ी, तथा नानी की कहानी सुनने की लालसा आदि तर्क प्रस्तुत किए हैं ।

प्र॰2 चिड़िया चोंच में तिनका दबाकर उड़ने की तैयारी में क्यों है? वह तिनकों का क्या करती होगी? लिखिए।

उत्तर – चिड़िया तिनकों से घोंसला बनाती है अतः वह अपने बच्चों के लिए रहने की जगह यानी घोंसला बनाना चाहती है इसलिए वह तिनके को चोंच में दबाकर उड़ने की तैयारी में है ताकि जल्दी घोंसला बना सके।

प्र॰3 कविता में कई बार ‘अभी भी’ का प्रयोग करके बातें रखी गई हैं, अभी भी का प्रयोग करते हुए तीन वाक्य बनाइए और देखिए उनमें लगातार, निरंतर, बिना रुके चलनेवाले किसी कार्य का भाव निकल रहा है या नहीं?

उत्तर –
1. तुम अभी भी सुबह उठकर योगा करते हो?
2. तुम अभी भी बस से दफ्तर जाते हो ?
3. तुम अभी भी उसी दफ्तर में काम करते हो?
यदि किसी एक शब्द को दो तीन वाक्यों में प्रयोग किया जाय तो
वो वाक्य चाहे कितने ही अलग हो उनमें एक निरंतरता आ
जाती है।

प्र॰4 नहीं और अभी भी को एक साथ प्रयोग करके तीन वाक्य लिखिए और देखिए ‘नहीं’‘अभी भी’के पीछे कौन-कौन से भाव छिपे हो सकते हैं?

उत्तर –
1. राम अभी भी स्याम से बात नहीं कर रहा है।
2. वह अभी भी समझ नहीं रहा है।
3. आप अभी भी चुप नहीं हो सकते।
उपरोक्त वाक्यों में पहले वाक्य में बहुत दिनों तक बात न कर पाने का भाव छिपा है। दूसरे वाक्य में बहुत समझाने पर भी न समझने का भाव है। तीसरे वाक्य में बहुत बोलने पर भी चुप न रहने का भाव छिपा है।

प्रश्न-5 आप जब भी घर से स्कूल जाते हैं कोई आपकी प्रतीक्षा कर रहा होता है। सूरज डूबने का समय भी आपको खेल के मैदान से घर लौट चलने की सूचना देता है कि घर में कोई आपकी प्रतीक्षा कर रहा है – प्रतीक्षा करनेवाले व्यक्ति के विषय में आप क्या सोचते हैं? अपने विचार लिखिए।
उत्तर-प्रतीक्षा करनेवाले व्यक्ति हमारे प्रियजन ही हो सकते हैं। मेरे तो दिन की शुरुआत और अंत माँ के प्यार से ही होता है। सुबह में प्यार से माथा चूमकर जगाने में माँ का प्यार, नाश्ते में बनी पसंद की चीज़ों में माँ का प्यार, भले-बुरे की डाँट में माँ का प्यार, सूरज डूबने के साथ खेल के मैदान से घर लौट चलने की सूचना देता माँ का प्यार तथा जीने का सलीका सिखाता माँ का प्यार।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न

निम्नलिखित गदयांशों को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए –

प्रश्न 1: उन लोगों के दो नाम थे-इंदर सेना या मेढक-मंडली। बिलकुल एक-दूसरे के विपरीत। जो लोग उनके नग्नस्वरूप शरीर, उनकी उछल-कूद, उनके शोर-शराबे और उनके कारण गली में होने वाले कीचड़ काँदो से चिढ़ते थे, वे उन्हें कहते थे मेढ़ क-मंडली। उनकी अगवानी गालियों से होती थी। वे होते थे दस-बारह बरस से सोलह-अठारह बरस के लड़के, साँवला नंगा बदन सिर्फ एक जाँधिया या कभी-कभी सिर्फ़ लैंगोटी। एक जगह इकट्ठे होते थे। पहला जयकारा लगता था, “बोल गंगा मैया की जय।” जयकारा सुनते ही लोग सावधान हो जाते थे। स्त्रियाँ और लड़कियाँ छज्जे, बारजे से झाँकने लगती थीं और यह विचित्र नंग-धडंग टोली उछलती-कूदती समवेत पुकार लगाती थी :
प्रश्न:

  1. गाँव से पानी माँगने वालों के नाम क्या थे? ये पानी क्यों माँगते थे?
  2. मेढ़क-मंडली से क्या तात्पर्य है?
  3. मेढ़क-सडली में कैसे लड़के होते थे?
  4. इंदर सेना के जयकारे की क्या प्रतिक्रिया होती थी?

उत्तर –

  1. गाँव से पानी माँगने वालों के नाम थे-मेढक-मंडली या इंदर सेना। गाँवों में जब आषाढ़ में पानी नहीं बरसता था या ‘ सूखा पड़ने का अंदेशा होता था तो लड़के इंद्र देवता से पानी माँगते थे।
  2. जो बच्चे मेढक की तरह उछल-कूद, शोर-शराबा व कीचड़ करते थे, उन्हें मेढक-मंडली कहा जाता था।
  3. मेढक-मंडली में दस-बारह वर्ष से सोलह-अठारह वर्ष के लड़के होते थे। इनका रंग साँवला होता था तथा ये वस्त्र के नाम पर सिर्फ़ एक जाँधिया या कभी-कभी सिर्फ़ लैंगोटी पहनते थे।
  4. इंदर सेना या मेढक-मंडली का जयकारा “बोल गंगा मैया की जय” सुनते ही लोगों में हलचल मच जाती थी। स्त्रियाँ और लड़कियाँ बारजे से इस टोली के क्रियाकलाप देखने लगती थीं।

प्रश्न 2: सचमुच ऐसे दिन होते जब गली-मुहल्ला, गाँव-शहर हर जगह लोग गरमी में भुन-भुन कर त्राहिमाम कर रहे होते, जेठ के दसतपा बीतकर आषाढ़ का पहला पखवारा भी बीत चुका होता, पर क्षितिज पर कहीं बादल की रेख भी नहीं दिखती होती, कुएँ सूखने लगते, नलों में एक तो बहुत कम पानी आता और आता भी तो आधी रात को भी मानो खौलता हुआ पानी हो। शहरों की तुलना में गाँव में और भी हालत खराब होती थी। जहाँ जुताई होनी चाहिए वहाँ खेतों की मिट्टी सूख कर पत्थर हो जाती, फिर उसमें पपड़ी पड़कर जमीन फटने लगती, लूऐसी कि चलते-चलते आदमी आधे रास्ते में लू खाकर गिर पड़े। ढोर-ढंगर प्यास के मारे मरने लगते लेकिन बारिश का कहीं नाम निशान नहीं, ऐसे में पूजा-पाठ कथा-विधान सब करके लोग जब हार जाते तब अंतिम उपाय के रूप में निकलती यह इंदर सेना। वर्षा के बादलों के स्वामी हैं इंद्र और इंद्र की सेना टोली बाँधकर कीचड़ में लथपथ निकलती, पुकारते हुए मेघों को, पानी माँगते हुए प्यासे गलों और सूखे खेतों के लिए।
प्रश्न:

  1. लोगों की परेशानी का क्या कारण था?
  2. गाँव में लोगों की क्या दशा होती थी ?
  3. गाँव वाले बारिश के लिए क्या उपाय करते थे?
  4. इंदर सेना क्या है? वह क्या करती हैं?

उत्तर –

  1. जब आषाढ़ के पंद्रह दिन बीत चुके होते थे तथा बादलों का नामोनिशान नहीं दिखाई होता था। कुओं का पानी सूख रहा होता था। नलों में पानी नहीं आता। यदि आता भी था तो वह बेहद गरम होता था इसी कारण लोगों का परेशानी होती थी
  2. गाँव में बारिश न होने से हालत अधिक खराब होती थी। खेतों में जहाँ जुताई होनी चाहिए, वहाँ की मिट्टी सूखकर – पत्थर बन जाती थी, फिर उसमें पपड़ी पड़ जाती थी और जमीन फटने लगती थी। लू के कारण लोग चलते-चलते गिर जाते थे। पशु प्यास के कारण मरने लगे थे।
  3. गाँव वाले बारिश के देवता इंद्र से प्रार्थना करते थे। वे कहीं पूजा-पाठ करते थे तो कहीं कथा-कीर्तन करते थे। इन सबमें विफल होने के बाद इंदर सेना कीचड़ व पानी में लथपथ होकर वर्षा की गुहार लगाती थी।
  4. इंदर सेना उन किशोरों का झुंड होता था जो भगवान इंद्र से वर्षा माँगने के लिए गली-गली घूमकर लोगों से पानी माँगते थे। वे लोगों से मिले पानी में नहाते थे, उछलते-कूदते थे तथा कीचड़ में लथपथ होकर मेघों से पानी माँगते थे।

प्रश्न 3: पानी की आशा पर जैसे सारा जीवन आकर टिक गया हो। बस एक बात मेरे समझ में नहीं आती थी कि जब चारों ओर पानी की इतनी कमी है तो लोग घर में इतनी कठिनाई से इकट्ठा करके रखा हुआ पानी बाल्टी भर-भरकर इन पर क्यों फेंकते हैं। कैसी निर्मम बरबादी है पानी की। देश की कितनी क्षति होती है इस तरह के अंधविश्वासों से। कौन कहता है इन्हें इंद्र की सेना? अगर इंद्र महाराज से ये पानी दिलवा सकते हैं तो खुद अपने लिए पानी क्यों नहीं माँग लेते? क्यों मुहल्ले भर का पानी नष्ट करवाते घूमते हैं? नहीं यह सब पाखंड है। अंधविश्वास है। ऐसे ही अंधविश्वासों के कारण हम अंग्रेजों से पिछड़ गए और गुलाम बन गए।
प्रश्न:

  1. लेखक को कौन-सी बात समझ में नहीं आती?
  2. देश को किस तरह के अंधविश्वास से क्षति होती हैं?
  3. कौन कहता है इन्हे इंद्र की सेना ? – इस कथन का व्यग्य स्पष्ट कीजिए।
  4. इदर सेना के विरोध में लेखक क्या तक देता हैं?

उत्तर –

  1. लेखक को यह समझ में नहीं आता कि जब पानी की इतनी कमी है तो लोग कठिनाई से इकट्ठे किए हुए पानी को बाल्टी भर-भरकर इंदर सेना पर क्यों फेंकते हैं। यह पानी की बरबादी है।
  2. वर्षा न होने पर पानी की कमी हो जाती है। ऐसे समय में ग्रामीण बच्चों की मंडली पर पानी फेंककर गलियों में पानी बरबाद करने जैसे अंधविश्वासों से देश की क्षति होती है।
  3. इस कथन से लेखक ने इंदर सेना और मेढक-मंडली पर व्यंग्य किया है। ये लोग पानी की बरबादी करते हैं तथा पाखंड फैलाते हैं। यदि ये इंद्र से औरों को पानी दिलवा सकते हैं तो अपने लिए ही क्यों नहीं माँग लेते।
  4. इंदर सेना के विरोध में लेखक तर्क देता है कि यदि यह सेना इंद्र महाराज से पानी दिलवा सकती है तो यह अपने लिए घड़ा-भर पानी क्यों नहीं माँग लेती? यह सेना मुहल्ले का पानी क्यों बरबाद करवा रही है?

प्रश्न 4: मैं असल में था तो इन्हीं मेढक-मंडली वालों की उमर का, पर कुछ तो बचपन के आर्यसमाजी संस्कार थे और एक कुमारसुधार सभा कायम हुई थी उसका उपमंत्री बना दिया गया था-सी समाज-सुधार का जोश कुछ ज्यादा ही था। अंधविश्वासों के खिलाफ तो तरकस में तीर रखकर घूमता रहता था। मगर मुश्किल यह थी कि मुझे अपने बचपन में जिससे सबसे ज्यादा प्यार मिला वे थीं जीजी। यूँ मेरी रिश्ते में कोई नहीं थीं। उम्र में मेरी माँ से भी बड़ी थीं, पर अपने लड़के-बहू सबको छोड़कर उनके प्राण मुझी में बसते थे। और वे थीं उन तमाम रीति-रिवाजों, तीज-त्योहारों, पूजा-अनुष्ठानों की खान जिन्हें कुमारसुधार सभा का यह उपमंत्री अंधविश्वास कहता था, और उन्हें जड़ से उखाड़ फेंकना चाहता था। पर मुश्किल यह थी कि उनका कोई पूजा-विधान, कोई त्योहार अनुष्ठान मेरे बिना पूरा नहीं होता था।
प्रश्न:

  1. लेखक बचपन में क्या काम करता था?
  2. जीजी का लेखक के साथ क्या रिश्ता था?
  3. लेखक अंधविश्वासों को मानने के लिए क्यों विवश होता था?
  4. अधविश्वासों के खिलाफ तरकस में तीर रखकर घूमने का आशय क्या हैं?

उत्तर –

  1. लेखक बचपन में आर्यसमाजी संस्कारों से प्रभावित था। वह कुमार-सुधार सभा का उपमंत्री था। वह अंधविश्वासों के खिलाफ़ प्रचार करता था। वह मेढक-मंडली को नापसंद करता था।
  2. जीजी का लेखक के साथ कोई रिश्ता नहीं था। वे लेखक की माँ से भी बड़ी उम्र की थीं और लेखक को सर्वाधिक प्यार करती थीं। उनके प्राण अपने लड़के-बहू की बजाय लेखक में बसते थे।
  3. जीजी तमाम रीति-रिवाजों, तीज-त्योहारों, पूजा-अनुष्ठानों को मानती थीं तथा वे इन सबके विधि-विधान लेखक से पूरा करवाती थीं। वे लेखक को बहुत चाहती थीं। इस कारण लेखक को इन अंधविश्वासों को मानने के लिए विवश होना पड़ता था।
  4. अंधविश्वासों के खिलाफ़ तरकस में तीर रखकर घूमने का आशय है-अंधविश्वासों के खिलाफ़ जन-जागृति फैलाते हुए उन्हें समाप्त करने का प्रयास करना।

प्रश्न 5: लेकिन इस बार मैंने साफ़ इन्कार कर दिया। नहीं फेंकना है मुझे बाल्टी भर-भरकर पानी इस गंदी मेढक-मंडली पर। जब जीजी बाल्टी भरकर पानी ले गईं-उनके बूढ़े पाँव डगमगा रहे थे, हाथ काँप रहे थे, तब भी मैं अलग मुँह फुलाए खड़ा रहा। शाम को उन्होंने लड्डू-मठरी खाने को दिए तो मैंने उन्हें हाथ से अलग खिसका दिया। मुँह फेरकर बैठ गया, जीजी से बोला भी नहीं। पहले वे भी तमतमाई, लेकिन ज्यादा देर तक उनसे गुस्सा नहीं रहा गया। पास आकर मेरा सर अपनी गोद में लेकर बोलीं, ‘देख भइया, रूठ मत। मेरी बात सुन। यह सब अंधविश्वास नहीं है। हम इन्हें पानी नहीं देंगे तो इंद्र भगवान हमें पानी कैसे देंगे?” मैं कुछ नहीं बोला। फिर जीजी बोलीं, “तू इसे पानी की बरबादी समझता है पर यह बरबादी नहीं है। यह पानी का अध्र्य चढ़ाते हैं, जो चीज मनुष्य पाना चाहता है उसे पहले देगा नहीं तो पाएगा कैसे? इसीलिए ऋषि-मुनियों ने दान को सबसे ऊँचा स्थान दिया है।”
प्रश्न:

  1. लेखक ने किस काय से इनकार किया तथा क्यों?
  2. पानी डालते समय जीजी की क्या हालत थी?
  3. जीजी ने नाराज लेखक से क्या कहा?
  4. जीजी ने दान के पक्ष में क्या तर्क दिए?

उत्तर –

  1. लेखक ने मेढक-मंडली पर बाल्टी भर पानी डालने से साफ़ इनकार कर दिया क्योंकि वह इसे पानी की बरबादी समझता है और इसे अंधविश्वास मानता है।
  2. पानी डालते समय जीजी के हाथ काँप रहे थे तथा उसके बूढ़े पाँव डगमगा रहे थे।
  3. जीजी ने नाराज लेखक को पहले लड्डू-मठरी खाने को दिए पर लेखक के न खाने पर वे तमतमाई तथा फिर उसे स्नेह से कहा कि यह अंधविश्वास नहीं है। यदि हम इंद्र को अध्र्य नहीं चढ़ाएँगे तो भगवान इंद्र हमें पानी कैसे देंगे।
  4. जीजी ने दान के पक्ष में यह तर्क दिया कि यदि हम इंदर सेना को पानी नहीं देंगे तो इंद्र भगवान हमें पानी कैसे देगा। यह पानी की बरबादी नहीं है। यह बादलों पर अध्र्य चढ़ाना है। जो हम पाना चाहते हैं, उसे पहले दान देना पड़ता है। तभी हमें वह बढ़कर मिलता है। ऋषि-मुनियों ने दान को सबसे ऊँचा स्थान दिया है।

प्रश्न 6: फिर जीजी बोलीं, “देख तू तो अभी से पढ़-लिख गया है। मैंने तो गाँव के मदरसे का भी मुँह नहीं देखा। पर एक बात देखी है । कि अगर तीस-चालीस मन गेहूँ उगाना है तो किसान पाँच-छह सेर अच्छा गेहूँ अपने पास से लेकर जमीन में क्यारियाँ बनाकर फेंक देता है। उसे बुवाई कहते हैं। यह जो सूखे के समय हम अपने घर का पानी इन पर फेंकते हैं वह भी बुवाई है। यह पानी गली में बोएँगे तो सारे शहर, कस्बा, गाँव पर पानी वाले बादलों की फसल आ जाएगी। हम बीज बनाकर पानी देते हैं, फिर काले मेघा से पानी माँगते हैं। सब ऋषि-मुनि कह गए हैं कि पहले खुद दो तब देवता तुम्हें चौगुना-अठगुना करके लौटाएँगे। भइया, यह तो हर आदमी का आचरण है, जिससे सबका आचरण बनता है। ‘यथा राजा तथा प्रजा’ सिर्फ यही सच नहीं है। सच यह भी है कि ‘यथा प्रजा तथा राजा’। यह तो गाँधी जी महाराज कहते हैं।” जीजी का एक लड़का राष्ट्रीय आंदोलन में पुलिस की लाठी खा चुका था, तब से जीजी गाँधी महाराज की बात अकसर करने लगी थीं।
प्रश्न:

  1. जीजी अपनी बात के समर्थन में क्या तर्क देती है ?
  2. जीजी पानी की बुवाई के संबंध में क्या बात कहती है ?
  3. जीजी द्वारा गांधी जी का नाम लेने के पीछे क्या कारण था ?
  4. ‘यथा राजा तथा प्रजा’ व ‘यथा प्रजा तथा राजा’ में क्या अंतर है ?

उत्तर –

  1. जीजी अपनी बात के समर्थन में खेत की बुवाई का तर्क देती हैं। किसान तीस-चालीस मन गेहूँ की फसल लेने के लिए पाँच-छह सेर अच्छा गेहूँ अपने पास से खेत में क्यारियाँ बनाकर डालता है।
  2. जीजी पानी की बुवाई के विषय में कहती हैं कि सूखे के समय हम अपने घर का पानी इंदर सेना पर फेंकते हैं तो यह भी एक प्रकार की बुवाई है। यह पानी गली में बोया जाता है जिसके बदले में गाँव, शहर, कस्बों में बादलों की फसल आ जाती है।
  3. जीजी के लड़के को राष्ट्रीय आंदोलन में भाग लेने के लिए पुलिस की लाठियाँ खानी पड़ी थीं। उसके बाद से जीजी गांधी महाराज की बात करने लगी थीं।
  4. ‘यथा राजा तथा प्रजा’ का अर्थ है-राजा के आचरण के अनुसार ही प्रजा का आचरण होना। ‘यथा प्रजा तथा राजा’ का आशय है-जिस देश की जनता जैसी होती है, वहाँ का राजा वैसा ही होता है।

प्रश्न 7: कभी-कभी कैसे-कैसे संदर्भों में ये बातें मन को कचोट जाती हैं, हम आज देश के लिए करते क्या हैं? माँगें हर क्षेत्र में बड़ी-बड़ी हैं पर त्याग का कहीं नाम-निशान नहीं है। अपना स्वार्थ आज एकमात्र लक्ष्य रह गया है। हम चटखारे लेकर इसके या उसके भ्रष्टाचार की बातें करते हैं पर क्या कभी हमने जाँचा है कि अपने  स्तर पर अपने दायरे में हम उसी भ्रष्टाचार के अंग तो नहीं बन रहे हैं? काले मेघा दल के दल उमड़ते हैं, पानी झमाझम बरसता है, पर गगरी फूटी की फूटी रह जाती है, बैल पियासे के पियासे रह जाते हैं? आखिर कब बदलेगी यह स्थिति ?
प्रश्न:

  1. लेखक के मन को क्या बातें कचोटती हैं और क्यों?
  2. गगरी तथा बैल के उल्लख से लखक क्या कहना चाहता हैं?
  3. भ्रष्टाचार की चचा करते समय क्या आवश्यक हैं और क्यों?
  4. ‘आखिर कब बदलेगी यह स्थिति?’-आपके विचार से यह स्थिति कब और कैसे बदल सकती है?

उत्तर –

  1. लेखक के मन को यह बात बहुत कचोटती है कि लोग आज अपने स्वार्थ के लिए बड़ी-बड़ी माँगें करते हैं, स्वार्थों की घोषणा करते हैं। उसे यह बात इसलिए कचोटती है क्योंकि वे न तो त्याग करते हैं और न अपना कर्तव्य करते हैं।
  2. गगरी और बैल के माध्यम से लेखक कहना चाहता है कि आज हमारे देश में संसाधनों की कमी नहीं है परंतु भ्रष्टाचार के कारण वे साधन लोगों के पास तक नहीं पहुँच पाते। इससे देश की जनता की जरूरतें पूरी नहीं हो पातीं।
  3. भ्रष्टाचार की चर्चा करते समय यह आवश्यक है कि हम ध्यान रखें कि कहीं हम उसमें लिप्त तो नहीं हो रहे हैं, क्योंकि हम भ्रष्टाचार में शामिल हो जाते हैं और हमें यह पता भी नहीं चल पाता है।
  4. ‘आखिर कब बदलेगी यह स्थिति’ मेरे विचार से यह स्थिति तब बदल सकती है जब समाज और सरकार में इसे बदलने की दृढ़ इच्छा-शक्ति जाग्रत हो जाए और लोग स्वार्थ तथा भ्रष्टाचार से दूरी बना लें।

पाठ्यपुस्तक से हल प्रश्न

पाठ के साथ

प्रश्न 1: लोगों ने लड़कों की टोली को मेढक – मंडली नाम किस आधार पर दिया ? यह टोली अपने आपको इंदर सेना कहकर क्यों बुलाटी थी ?
उत्तर – लोग जब इन लड़कों की टोली को कीचड़ में धंसा देखते, उनके नंगे शरीर को, उनके शोर शराबे को तथा उनके कारण गली में होने वाली कीचड़ या गंदगी को देखते हैं तो वे इन्हें मेढक-मंडली कहते हैं। लेकिन बच्चों की यह टोली अपने आपको इंदर सेना कहती थी क्योंकि ये इंदर देवता को बुलाने के लिए लोगों के घर से पानी माँगते थे और नहाते थे। प्रत्येक बच्चा अपने आपको इंद्र कहता था इसलिए यह इंदर सेना थी।

प्रश्न 2: जीजी ने इंदर सेना पर पानी फेंके जाने को किस तरह सही ठहराया?
उत्तर – जीजी ने इंदर सेना पर पानी फेंके जाने के समर्थन में कई तर्क दिए जो निम्नलिखित हैं –

  1. किसी से कुछ पाने के लिए पहले कुछ चढ़ावा देना पड़ता है। इंद्र को पानी का अध्र्य चढ़ाने से ही वे वर्षा के जरिये पानी देंगे।
  2. त्याग भावना से दिया गया दान ही फलीभूत होता है। जिस वस्तु की अधिक जरूरत है, उसके दान से ही फल मिलता है। पानी की भी यही स्थिति है।
  3. जिस तरह किसान अपनी तरफ से पाँच-छह सेर अच्छे गेहूँ खेतों में बोता है ताकि उसे तीस-चालीस मन गेहूँ मिल सके, उसी तरह पानी की बुवाई से बादलों की अच्छी फसल होती है और खूब वर्षा होती है।

प्रश्न 3: ‘पानी दे ,गुड़धनी दे’ मेघों से पानी के साथ – साथ गुड़धनी की माँग क्यों की जा रहा है ?
उत्तर – ‘गुड़धानी’ शब्द का वैसे तो अर्थ होता है गुड़ और चने से बना लड्डू लेकिन यहाँ गुड़धानी से आशय ‘अनाज’ से है। बच्चे पानी की माँग तो करते ही हैं लेकिन वे इंदर से यह भी प्रार्थना करते हैं कि हमें खुब अनाज भी देना ताकि हम चैन । से खा पी सकें। केवल पानी देने से हमारा कल्याण नहीं होगा। खाने के लिए अन्न भी चाहिए। इसलिए हमें गुड़धानी भी दो।।

प्रश्न 4: ‘गगरी फूटी बैल पियासा’ से लेखक का क्या आशय हैं?

अथवा

‘गागरी फूटी बैल पियासा’ कथन के पीछे छिपी वेदना को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – इंदर सेना गाती है – काले मेधा पानी दे, गगरी फूटी बैल पियास। इस पंक्ति में ‘बैल’ को प्रमुखता दी गई है। ‘बैल’ ग्रामीण जीवन का अभिन्न हिस्सा है। कृषि-कार्य उसी पर आधारित है। वह खेतों को जोतकर अन्न उपजाता है। उसके प्यासे रहने से कृषि-कार्य बाधित होता है। कृषि ठीक ढंग से न हो मजवनासुव नाह ह सकता। इस कण दि सेना के इसा खेलतमें बैलो के प्यासा एनेक बात मुक्त हुई है।

प्रश्न 5: इंदर सेना सबसे पहले गा मैया की जय क्यों बोलती हैं? नदियों का भारतीय सामाजिक, सांस्कृतिक परिवेश में क्या महत्व हैं?
उत्तर – गंगा माता के समान पवित्र और कल्याण करने वाली है। इसलिए बच्चे सबसे पहले गंगा मैया की जय बोलते हैं। भारतीय संस्कृति में नदी को माँ’ की तरह पूजने वाली बताया गया है। सभी नदियाँ हमारी माताएँ हैं। भारतीय सांस्कृतिक परिवेश में सभी नदियाँ पवित्रता और कल्याण की मूर्तियाँ हैं। ये हमारी जीवन की आधार हैं। इनके बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। भारतीय समाज गंगा और अन्य नदियों को धारित्री बताकर उनकी पूजा करता है ताकि इनकी कृपा बनी रहे।

प्रश्न 6: “रिश्तों में हमारी भावना – शक्ति का बँट जाना ,विश्वासों के जंगल में सत्य की राह खोजनी हमारी बुदिध की शक्ति को कमज़ोर करती है। ” पाठ में जीजी लेखक की भावना के संदर्ब में इस कथन के ओचित्य की समीक्षा कीजिए ?
उत्तर – यह कथन पूर्णत: सत्य है। रिश्तों में हमारी भावना-शक्ति बँट जाती है। ऐसे में विश्वासों के जंगल में सत्य की राह खोजती हमारी बुद्धि की शक्ति कमजोर हो जाती है। इस पाठ में जीजी लेखक को बेपनाह स्नेह करती हैं। वे अनेक तरह की धार्मिक क्रियाएँ लेखक से करवाती थीं जिन्हें लेखक अंधविश्वास मानता था। इंदर सेना पर पानी फेंकने से मना करने पर जीजी अपने तर्क देती हैं। लेखक उन तकों की काट नहीं दे पाता, क्योंकि उन तकों के पीछे भावनात्मक लगाव था। भावना में जीवन के अनेक सत्य छिप जाते हैं तो कुछ प्रकट हो जाते हैं। बुद्धि शुष्क होती है तथा तर्क पर आधारित होती है। भावना में तर्क का स्थान नहीं होता, वहाँ विश्वास ही प्रमुख होता है। विश्वास खंडित होने पर रिश्ते समाप्त हो जाते हैं तथा समाज का ढाँचा बिखर जाता है।

पाठ के आस-पास

प्रश्न 1: क्या इंदर सेना आज के युवा वय का प्रेरणा-स्रोत हो सकती हैं? क्या आपके स्मृति-कोश में ऐसा कोई अनुभव हैं जब युवाओं ने संगठित होकर समाजोपयोगी रचनात्मक कार्य किया हो? उल्लेख करें?
उत्तर –इंदर सेना आज के युवा वर्ग के लिए प्रेरणा स्रोत बन सकती है। इंदर सेना के कार्यों को देखकर कोई भी युवा सामाजिक कार्य करने के लिए प्रेरित हो सकता है। हमारे मुहल्ले में भी पिछले दिनों कुछ युवाओं ने ऐसा ही कार्य किया। एक गरीब बुढ़िया बहुत बीमार हो गई। उसके इलाज पर दस हजार रुपए का खर्चा था। उस बुढ़िया के पास तो दो सौ रुपए मिले। देखते ही देखते लगभग 12,000 रुपए इकट्ठे हो गए। इस प्रकार बुढ़िया का इलाज हो गया। वह बीमारी से निजात पा चुकी थी।

प्रश्न 2: तकनीकी विकास के दौर में भी भारत की अर्थव्यवस्था कृषि पर निर्भर है। कृषि-समाज में चैत्र, वैशाख सभी माह बहुत महत्वपूर्ण हैं, पर आषाढ़ का चढ़ना उनमें उल्लास क्यों भर देता हैं?
उत्तर –तकनीकी विकास के दौर में भी भारत की अर्थव्यवस्था कृषि पर निर्भर है। कृषि-समाज में चैत्र, वैशाख सभी माह महत्वपूर्ण हैं, पर आषाढ़ का चढ़ना उनमें उल्लास भर देता है। इसका कारण यह है कि इस महीने में अधिकतर वर्षा होती है और किसानों को आशा की नयी किरण दिखने लगती है। जमीन की प्यास बुझती है तथा खेत बुवाई के लिए तैयार हो जाते हैं। खेतों में धान की रोपाई होती है तथा इस समय उल्लास छा जाता है। गरमी से राहत मिलने, पानी की कमी दूर होने, कृषि-कार्य के प्रारंभ होने आदि से गाँवों में प्रसन्नता का माहौल बन जाता है।

प्रश्न 3: पाठ के संदर्भ में इसी पुस्तक में दी गई निराला की कविता ‘बदल राग’ पर विचार कीजिए और बताइए कि आपके जीवन में बादलों की क्या भूमिका है ?
उत्तर – बादल हमारे जीवन का अभिन्न अंग हैं। बादलों के बिना जीवन की कल्पना करना असंभव है बादलों के आकाश में छा जाने से सभी का मन प्रसन्न हो जाता है। बादल यदि अपने निर्धारित समय पर बरसते हैं तो खूब धन धान्य होता है। खेत फसलों से लहलहा उठते हैं। अतः बादल हमारे जीवन के आधार हैं।

प्रश्न 4: “त्याग तो वह होता…उसी का फल मिलता हैं।”अपने जीवन के किसी प्रसंग से इस सूक्ति की सार्थकता समझाइए।
उत्तर – विद्यार्थी स्वयं करें। 

प्रश्न 5: पानी का संकट वतमान स्थिति में भी बहुत गहराया हुआ हैं। इसी तरह के पयावरण से संबद्ध अन्य संकटों के बारे में लिखिए ।
उत्तर – पानी के संकट की तरह अन्य कई संकट हमारे पर्यावरण में बने हुए हैं। खतरनाक गैसों का संकट, बाढ़ का संकट, सूखे का संकट, भूखमरी का संकट, खाद्यान्न का संकट आदि संकट पर्यावरण में बने हैं। इन संकटों के कारण कभी-कभी तो देश की गति तक रुक जाती-सी प्रतीत होती है। कहीं बाढ़ है तो कहीं सूखा है। कहीं लोग भूखमरी के कारण बेहाल हैं। तो कहीं खाद्यान्न पड़ा-पड़ा सड़ रहा है। हवा में फैली खतरनाक गैसें सभी को दूषित कर रही हैं। इन हवाओं में साँस लेना भी कठिन होता जा रहा है।

प्रश्न 6: आपकी दादी – नानी किस तरह के विश्वासों की बात करती है ? ऐसी स्थिति में उनके प्रति आपका रवैया क्या होता है ?
उत्तर – हमारी दादी-नानी अनेक तरह के व्रत करती हैं ताकि परिवार पर कोई कष्ट न आए। वे अंधविश्वासों से ग्रस्त हैं; जैसे बिल्ली का रास्ता काटना, छींकना, आँख फड़कना आदि। वे पुराने विचारों की हैं। मैं ऐसे विश्वासों/अंधविश्वासों को नहीं मानता, परंतु उनके प्रति विरोध भी प्रकट नहीं करता, क्योंकि उनका विरोध करने पर तनाव उत्पन्न होता है। दूसरे, वे ये सारे कार्य परिवार को कष्टों से दूर रखने की भावना से करती हैं। ऐसे में भावनात्मक लगाव के कारण उनका विरोध नहीं किया जा सकता ।

चर्चा करें

प्रश्न 1: बादलों से संबंधित अपने -अपने क्षेत्र में प्रचलित गीतों का संकलन करें तथा कैशा में चर्चा करें ?
उत्तर – विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 2: पिछले 15-20 सालों में पयावरण से छेड़-छाड़ के कारण भी प्रकृति-चक्र में बदलाव आया हैं, जिसका परिणाम मौसम का असंतुलन है। वर्तमान बाड़मेर (राजस्तान )में आई बढ़ ,मुंबई की बढ़ तथा महाराष्ट्र का भूकंप या फिर सुनामी भी इसी का नतीजा है। इस प्रकार की घटनाओ ,चित्रों का संकलन कीजिए और एक प्रदर्शनी का आयोजन कीजिए , जिसमे ‘बाज़ार दर्शन’ पाठ में बनाए गए विज्ञानपनों को भी शामिल कर सकते है। और हँ ,ऐसी स्थितियों से बचाव के उपाय पर पयावरण विशेषज्ञों की राय को प्रदशनी में मुख्य स्थान देना न भूलें।
उत्तर – विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

विज्ञापन की दुनिया

प्रश्न 1: ‘पानी बचाओ’ से जुड़े विज्ञापनों को एकत्र कीजिए। इस सकट के प्रति चेतावनी बरतने के लिए आप किस प्रकार का विज्ञापन चाहेंगे?
उत्तर – विद्यार्थी स्वयं करें।

अन्य हल प्रश्न

बोधात्मक प्रश्न

प्रश्न 1: काले मेघा पानी दे ,संस्मरण के लेखक ने लोक – प्रचलित विश्वासों को अंधविश्वास कहकरण उनके निराकरण पर बल दिया है। – इस कथन की विवेचना कीजिए ?
उत्तर – लेखक ने इस संस्मरण में लोक-प्रचलित विश्वासों को अंधविश्वास कहा है। पाठ में इंदर सेना के कार्य को वह पाखंड मानता है। आम व्यक्ति इंदर सेना के कार्य को अपने-अपने तकों से सही मानता है, परंतु लेखक इन्हें गलत बताता है। इंदर सेना पर पानी फेंकना पानी की क्षति है जबकि गरमी के मौसम में पानी की भारी कमी होती है। ऐसे ही अंधविश्वासों के कारण देश का बौद्धिक विकास अवरुद्ध होता है। हालाँकि एक बार इन्हीं अंधविश्वास की वजह से देश को एक बार गुलामी का दंश भी झेलना पड़ा।

प्रश्न 2: ‘काले मेघा पानी दे’ पाठ की ‘इंदर सेना’ युवाओं को रचनात्मक कार्य करने की प्रेरणा दे सकती हैं-तर्क सहित उतार दीजिए।
उत्तर –
इंदर सेना युवाओं को रचनात्मक कार्य करने की प्रेरणा दे सकती है। इंदर सेना सामूहिक प्रयास से इंद्र देवता को प्रसन्न करके वर्षा कराने के लिए कोशिश करती है। यदि युवा वर्ग के लोग समाज की बुराइयों, कमियों के खिलाफ़ सामूहिक प्रयास करें तो देश का स्वरूप अलग ही होगा। वे शोषण को समाप्त कर सकते हैं। दहेज का विरोध करना, आरक्षण का विरोध करना, नशाखोरी के खिलाफ़ आवाज उठाना-आदि कार्य सामूहिक प्रयासों से ही हो सकते हैं।

प्रश्न 3: यदि आप धर्मवीर भारती के स्थान पर होते तो जीजी के तक सुनकर क्या करते और क्यों? ‘काले मेधा पानी दे’-पाठ के आधार पर बताइए।
उत्तर – यदि मैं लेखक के स्थान पर होता तो जीजी का तर्क सुनकर वही करता जो लेखक ने किया, क्योंकि तर्क करने से तो जीजी शायद ही कुछ समझ पातीं, उनका दिल दुखता और हमारे प्रति उनका सद्भाव भी घट जाता। लेखक की भाँति मैं भी जीजी के प्यार और सद्भाव को खोना नहीं चाहता । यही कारण है कि आज भी बहुत-सी बेतुकी परंपराएँ हमारे देश को जकड़े हुए हैं।

प्रश्न 4: ‘काले मेघा पानी दे’ पाठ के आधार पर जल और वर्षा के अभाव में गाँव की दशा का वर्णन र्काजिए।
उत्तर – गली-मोहल्ला, गाँव-शहर हर जगह लोग गरमी से भुन-भुन कर त्राहिमाम-त्राहिमाम कर रहे थे। जेठ मास भी अपना ताप फैलाकर जा चुका था और अब तो आषाढ़ के भी पंद्रह दिन बीत चुके थे। कुएँ सूखने लगे थे, नलों में पानी नहीं आता था। खेत की माटी सूख-सूखकर पत्थर हो गई थी। पपड़ी पड़कर अब खेतों में दरारें पड़ गई थीं। झुलसा देने वाली लू चलती थी। ढोर-ढंगर प्यास से मर रहे थे, पर प्यास बुझाने के लिए पानी नहीं था। निरुपाय से ग्रामीण पूजा-पाठ में लगे थे। अंत में इंद्र से वर्षा के लिए प्रार्थना करने इंदर सेना भी निकल पड़ी थी।

प्रश्न 5: दिन-दिन गहराते पानी के संकट से निपटने के लिए क्या आज का युवा वर्ग ‘काले मेघा पानी दे’ र्का इंदर सेना की तर्ज पर कोई सामूहिक आंदोलन प्रारंभ कर सकता हैं? अपने विचार लिखिए।
उत्तर – आज के समय पानी के गहरे संकट से निपटने के लिए युवा वर्ग सामूहिक आंदोलन कर सकता है। युवा वर्ग शहर व गाँवों में पानी की फिजूलखर्ची को रोकने के लिए प्रचार आंदोलन कर सकता है। गाँवों में तालाब खुदवा सकता है ताकि वर्षा के जल का संरक्षण किया जा सके। युवा वृक्षारोपण अभियान चला सकता है ताकि वर्षा अधिक हो तथा पानी भी संरक्षित रह सके। वह घर-घर में पानी के सही उपयोग की जानकारी दे सकता है।

प्रश्न 6: ग्रीष्म में कम पानी वाले दिनों में गाँव-गाँव में डोलती मेढ़क-मंडली पर एक बाल्टी पानी उड़ेलना जीजी के विचार से पानी का बीज बोना हैं, कैसे?
उत्तर – जीजी का मानना है कि गरमी के दिनों में मेढक-मंडली पर एक बाल्टी पानी उड़ेलना पानी का बीज बोना है। वे कहती हैं कि जब हम किसी को कुछ देंगे तभी तो अधिक लेने के हकदार बनेंगे। इंद्र देवता को पानी नहीं देंगे तो वह हमें क्यों पानी देगा। ऋषि-मुनियों ने भी त्याग व दान की महिमा गाई है। पानी के बीज बोने से काले मेघों की फसल होगी जिससे गाँव, शहर, खेत-खलिहानों को खूब पानी मिलेगा।

प्रश्न 7: जीजी के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालिए।
उत्तर – लेखक ने जीजी के व्यक्तित्व की निम्नलिखित विशेषताएँ बताई हैं
(क) स्नेहशील-जीजी लेखक को अपने बच्चों से भी अधिक प्यार करती थीं। वे सारे अनुष्ठान, कर्मकांड लेखक से करवाती थीं ताकि उसे पुण्य मिलें।
(ख) आस्थावती-जीजी आस्थावती नारी थीं। वे परंपराओं, विधियों, अनुष्ठानों में विश्वास रखती थीं तथा श्रद्धा से उन्हें पूरा करती थीं।
(ग) तर्कशीला-जीजी अपनी बात के समर्थन में तर्क देती थीं। उनके तकों के सामने आम व्यक्ति पस्त हो जाता था। इंदर सेना पर पानी फेंकने के पक्ष में जो तर्क वे देती हैं, उनका कोई सानी नहीं। लेखक भी उनके समक्ष स्वयं को कमजोर मानता है।

प्रश्न 8: ‘गगरी फूटी बैल पियासा’ का भाव या प्रतीकार्थ देश के संदर्भ में समझाइए।
उत्तर – ‘गगरी फूटी बैल पियासा’ एक ओर जहाँ सूखे की ओर बढ़ते समाज का सजीव एवं मार्मिक चित्रण प्रस्तुत करता है वहीं यह देश की वर्तमान हालत का भी चित्रण करता है। यहाँ गाँव तथा आम लोगों के कल्याणार्थ भेजी अरबों-खरबों की राशि न जाने कहाँ गुम हो जाती है। भ्रष्टाचार का दानव इस समूची राशि को निगल जाता है और आम आदमी की स्थिति वैसी की वैसी ही रह जाती है अर्थात उसकी आवश्यकता रूपी प्यास अनबुझी रह जाती है।

प्रश्न 9: ‘काले मेघा पानी दे’ सस्मरण विज्ञान के सत्य पर सहज प्रेम की विजय का चित्र प्रस्तुत करता हैं-स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – ‘काले मेघा पानी दे’ संस्मरण में वर्षा न होना, सूखा पड़ना आदि के विषय में विज्ञान अपना तर्क देता है और वर्षा न होने जैसी समस्या के सही कारणों का ज्ञान कराते हुए हमें सत्य से परिचित कराता है। इस सत्य पर लोक-प्रचलित विश्वास और सहज प्रेम की जीत हुई है क्योंकि लोग इस समस्या का हल अपने-अपने ढंग से ढूँढ़ने में जुट जाते हैं, जिनका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। लोगों में प्रचलित विश्वास इतना पुष्ट है कि वे विज्ञान की बात मानने को तैयार नहीं होते।

प्रश्न 10: धमवीर भारती मढ़क-मडली पर पानी डालना क्यों व्यर्थ मानते थे?
उत्तर – लेखक धर्मवीर भारती मेढक-मंडली पर पानी डालना इसलिए व्यर्थ मानते थे क्योंकि चारों ओर पानी की घोर कमी थी। लोग पीने के लिए बड़ी कठिनाई से बाल्टी-भर पानी इकट्ठा करके रखे हुए थे, जिसे वे इस मेढक-मंडली पर फेंक कर पानी की घोर बर्बादी करते हैं। इससे देश की अति होती है। वह पानी को यूँ फेकना अंधविश्वास के सिवाय कुछ नहीं मानने थे।

प्रश्न 11: ‘काले मघा पानी दे’ में लेखक ने लोक-मान्यताओं के पीछ छिपे किस तक को उभारा है? आप’ भी अपने जीवन के अनुभव से किसी अधविश्वास के पीछे छिपे तक को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – ‘काले मेघा पानी दे” में लेखक ने लोक-मान्यताओं के पीछे छिपे उस तर्क को उभारा है, जिसके अनुसार ऐसी मान्यता है कि जब तक हम किसी को कुछ देंगे नहीं, तब तक उससे लेने का हकदार कैसे बन सकते हैं। उदाहरणतया, यदि हम इंद्र देवता को पानी नहीं देंगे तो वे हमें पानी क्यों देंगे। इंदर सेना पर बाल्टी भरकर पानी फेंकना ऐसी ही लोकमान्यता का प्रमाण है। हमारे जीवन के अनुभव से अंधविश्वास के पीछे छिपा तर्क यह है कि यदि काली बिल्ली रास्ता काट जाती है तो अंधविश्वासी लोग कहते हैं कि रुक जाओ, बाद में जाना पर मेरा तर्क यह है कि इसमें कोई सत्यता नहीं है। यह समय को बरबाद करने के अलावा कुछ नहीं है।

प्रश्न 12: मेढ़क मडली पर पानी डालने को लेकर लखक और जीजी के विचारों में क्या भिन्नता थी?
उत्तर – मेढक मंडली पर पानी डालने को लेकर लेखक का विचार यह था कि यह पानी की घोर बर्बादी है। भीषण गर्मी में जब पानी पीने को नहीं मिलता हो और लोग दूर-दराज से इसे लाए हों तो ऐसे पानी को इस मंडली पर फेंकना देश का नुकसान है। इसके विपरीत, जीजी इसे पानी की बुवाई मानती हैं। वे कहती हैं कि सूखे के समय हम अपने घर का पानी इंदर सेना पर फेंकते हैं, तो यह भी एक प्रकार की बुवाई है। यह पानी गली में बोया जाता है जिसके बदले में गाँवों, शहरों में, कस्बों में बादलों की फसल आ जाती है।

स्वयं करें

  1. बच्चों की टोली को ‘इंदर सेना’ का नाम किसने दिया था? इंदर सेना क्या कार्य करती थी?
  2. सूखे के कारण गाँवों की क्या स्थिति हो जाती है? अपने शब्दों में लिखिए।
  3. इंदर सेना द्वारा किए जाने वाले कार्यों को आप अपने लिए कितना प्रेरणादायक पाते हैं और क्यों?
  4. आप लेखक के विचारों से सहमत हैं या जीजी के? तर्क सहित उत्तर दीजिए।
  5. ‘गगरी फूटी बैल पियासा’-में बैलों के ही प्यासे रहने की बात कही गई है, अन्य जानवरों की नहीं। आपके विचार से ऐसा क्यों? तर्क सहित लिखिए।
  6. स्वतंत्रता के पचास वर्षों बाद भी लेखक दुखी है। उसके दुखी होने के क्या कारण हैं? क्या वे कारण वर्तमान में भी मौजूद हैं?
  7. निम्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए
    (अ) ‘देख बिना त्याग के दान नहीं होता। अगर तेरे पास लाखों-करोड़ों रुपये हैं और उसमें से तू दो-चार रुपये किसी की दे दे तो यह क्या त्याग हुआ। त्याग तो वह होता है कि जो चीज तेरे पास भी कम है, जिसकी तुझको भी जरूरत है तो अपनी जरूरत पीछे रखकर दूसरे के कल्याण के लिए उसे दे तो त्याग तो वह होता है, दान तो वह होता है, उसी का फल मिलता है।”

(क) उपर्युक्त कथन किसका है? यह किस संदर्भ में कहा गया है?
(ख) संपन्न लांगों का दान वास्तविक दान क्यो’ नहीं है?
(ग) वास्तविक त्याग किसे माना गया है? क्यों?
(घ) अपने जीवन के किसी प्रसंग से अंतिम वाक्य में निहित सूक्ति र्का सार्थकता संक्षेप में समझाइए।

(ब) हम आज देश के लिए करते क्या हैं? माँगें हर क्षेत्र में बड़ी-बड़ी हैं पर त्याग का कहीं नाम-निशान नहीं है। अपना स्वार्थ आज एकमात्र लक्ष्य रह गया है। हम चटखारे लेकर इसके या उसके भ्रष्टाचार की बातें करते हैं पर क्या कभी हमने जाँचा है कि अपने स्तर पर अपने दायरे में हम उसी भ्रष्टाचार के अंग तो नहीं बन रहे हैं? काले मेघा दल के दल उमड़ते हैं, पानी झमाझम बरसता है, पर गगरी फूटी की फूटी रह जाती है, बैल पियासे के पियासे रह जाते हैं। आखिर कब बदलेगी यह स्थिति ?

(क) ” हम आज देश के लिए करते क्या हैं? माँगें हर क्षेत्र में बड़ी-बड़ी हैं।”- कथन के द्वारा लेखक देशवासियों की किस मानसिकता पर व्यंग्य कर रहा है?
(ख) देश के नागारिकों के चरित्र में किस गुण का अभाव है? उस अभाव का कारण क्या है?
(ग) हम किस बात के लिए दूसरों की आलोचना करते हैं? क्या हम वास्तव में उस आलोचना करने के अधिकारी हैं?
(घ) निम्नलिखित अंश में निहित अर्थ स्पष्ट कीजिए-
‘काले मेधा दल के दल उमड़ते हैं, पानी झमाझम बरसता हैं, पर गगरी फूटी की फूटी रह जाती हैं, बैल प्यासे के प्यासे रह जाते हैं।”

इस शिक्षा नीति को 2017 में मशहूर अतरिक्ष वैज्ञानिक पद्मभूषण के कस्तूरीरंगन जी की अध्यक्षता में शुरू किया गया और 2020 में लागू किया गया।

इसका उद्देश्य/लक्ष्य है 2030 तक सकल नामांकन 100% करना या यूं कहें सभी बच्चे स्कूल जाएँ।

भारत के वर्त्तमान प्रधानमंत्री शिक्षा नीति में संशोधन करके नयी शिक्षा नीति 2020 तैयार की है. नई शिक्षा नीति 5+3+3+4 पैटर्न पर आधारित है. नई शिक्षा नीति में पूर्व प्राथमिक स्तर यानि प्ले स्कूल की शिक्षा को जोड़ा गया है. बच्चों को शुरुआत के तीन साल प्ले स्कूल की तरह शिक्षा दिया जायेगा. और दूसरी कक्षा तक बच्चों को परीक्षा से मुक्त किया गया है।

शिक्षा नीति किसे कहते है? 

एजुकेशन पालिसी को हिंदी में शिक्षा नीति कहते हैं. यह नीति बच्चों को उचित शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए बनायीं जाती है. शिक्षा नीति केंद्र सरकार द्वारा बनाया जाता है. शिक्षा नीति के अंतर्गत शिक्षा व्यवस्था का पैटर्न तैयार किया जाता है.उस शिक्षा व्यवस्था के पैटर्न को पूरे देश में लागू किया जाता है. इसलिए इसे शिक्षा नीति कहा जाता है. भारत में सबसे पहले 1968 में शिक्षा नीति बनायीं गयी थी. उसके बाद उसमें संशोधन करके नई  शिक्षा नीति, 1986 लायी गयी. अब तक भारत की शिक्षा नीति में तीन बार संशोधन किया गया है. हाल ही में केंद्र सरकार शिक्षा नीति में संशोधन करके नई शिक्षा नीति, 2020 तैयार की है।

नयी शिक्षा नीति 2020 क्या है? New Education Policy in Hindi

नई शिक्षा नीति 2020, भारत की नई शिक्षा नीति है जो 5+3+3+4  पैटर्न पर आधारित है. जिसे भारत सरकार ने 29 जुलाई 2020 को घोषित की है. 1986 में जारी हुई नई शिक्षा नीति के बाद भारत की शिक्षा नीति में यह पहला नया संशोधन है. भारत में कुल 34 वर्षों के बाद शिक्षा नीति में बदलाव करके New Education Policy 2020 तैयार किया गया है. उसमें भी अभी केवल शिक्षा नीति का प्रारूप तैयार किया गया है, इसे लागु करने में कई वर्ष लग सकते हैं. यह शिक्षा नीति अंतरिक्ष वैज्ञानिक के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट पर आधारित है।

2020 की नई शिक्षा नीति के तहत ‘मानव संसाधन विकास मंत्रालय’ का नाम परिवर्तित करके केवल ‘शिक्षा मंत्रालय’ रखा गया है. पुरानी शिक्षा नीति के तहत 6 वर्ष की आयु में बच्चों को स्कूल में दाखिल किया जाता है. उसमें बदलाव किया गया, नई शिक्षा नीति के तहत 3 वर्ष की आयु में ही बच्चों को स्कूल में दाखिल किया जायेगा. नई शिक्षा नीति 2020 के तहत पूर्व-प्राथमिक स्तर की शिक्षा को शामिल किया गया है. पूर्व-प्राथमिक स्तर की शिक्षा तीन वर्ष तक दी जाएगी, जिसमें बच्चों को प्ले स्कूल की तरह खेल-खेल में शिक्षा दिया जायेगा. बच्चों को किताब-कॉपी नहीं लेकर जाना होगा. इससे बच्चों को बस्ता का भारी वजन नहीं ढोना पड़ेगा।

नई शिक्षा नीति 2020 के तहत स्कूलों में 10 +2 प्रोग्राम के स्थान पर 5 +3+3+4 प्रोग्राम को शामिल किया गया. इसी  पैटर्न पर बच्चों को शिक्षा प्रदान किया जायेगा. अब आप सोच रहे होंगे कि ये 5+3+3+4 प्रोग्राम क्या है. इसका मतलब यह है कि नयी शिक्षा नीति 2020 के तहत बारहवीं कक्षा तक की शिक्षा चार स्टेज में दी जाएगी. पांच वर्ष की शिक्षा फाउंडेशन स्टेज में, उसके बाद की तीन वर्ष की शिक्षा प्रिपरेटरी स्टेज, दूसरा तीन साल मिडिल स्टेज और अंतिम चार वर्ष सीनियर सेकेंडरी स्टेज में आएगा।

नयी शिक्षा नीति 2020 के प्रमुख बिंदु 

5 वर्ष-Foundation Stage (Pre-Primary और class 1, 2 तक)

शुरुआत की पांच वर्ष फाउंडेशन स्टेज कहलायेगा. इस स्टेज में प्री-प्राइमरी स्कूल (Play School) की शिक्षा तीन साल तक तथा कक्षा 1 और कक्षा 2 की पढाई होगी. पहले जहां सरकारी स्कूल में दाखिला 6 वर्ष में होता था, वहीँ अब 3 साल में ही बच्चों का नामांकन होगा. तीन वर्ष की आयु में बच्चों का नामांकन होगा. तीन साल तक पूर्व-प्राथमिक स्कूल की पढाई होगी औरदो साल कक्षा एक और दो कक्षा की पढाई होगी. इस स्टेज में बच्चों को परीक्षा नहीं देना होगा. शुरुआत के पांच वर्षों में परीक्षा नहीं होगा. इससे बच्चे में परीक्षा का भय, डर नहीं होगा।

3 वर्ष -Preparatory Stage (class 3, 4, 5)

फाउंडेशन स्टेज पूरी करने के बाद इस स्टेज में बच्चा तीन कक्षा में आएगा. इस स्टेज में बच्चा तीन साल तक रहेगा यानि कक्षा तीन, चार और कक्षा पांचवीं (कक्षा 3, 4, 5) तक की पढाई होगी. इस स्टेज तक बच्चों को मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा में शिक्षा प्रदान किया जायेगा. इसी स्टेज में बच्चे का  एग्जाम शुरू होगा यानि कि कक्षा तीन से बच्चों को परीक्षा देनी होगी।

दूसरा 3 वर्ष -Middle Stage (class 6, 7, 8)

पांचवीं कक्षा तक की पढाई पूरी करने के बाद बच्चा मिडिल स्टेज में आएगा. इस स्टेज में बच्चा कक्षा 6 में आएगा एवं तीन साल तक इसी स्टेज में रहेगा, यानि मिडिल स्टेज में बच्चा कक्षा छठी, सातवीं और आठवीं  (Class 6-8) तक रहेगा. इस  स्टेज में बच्चे को व्यावसायिक शिक्षा (Vocational Trainingदिया जायेगा. जैसे, कंप्यूटर ट्रेनिंग, कोडिंग, सिलाई, बुनाई, बढई कार्य आदि का ट्रेनिंग दिया जायेगा. इस स्टेज में पढाई किसी भी भारतीय भाषा में दी जाएगी।

4 वर्ष -Secondary Stage (class 9, 10, 11, 12)

मिडिल स्टेज के बाद बच्चा सेकेंडरी स्टेज में जायेगा. यह स्टेज कक्षा नौवीं से बारहवीं तक का होगा. इस स्टेज में बच्चा 9 क्लास में आएगा, और बारहवीं कक्षा तक रहेगा. इसमें बच्चा जिस सब्जेक्ट की पढाई करना चाहता है, वह सब्जेक्ट रख सकता है. साइंस, कॉमर्स, आर्ट्स इन सभी स्ट्रीम को हटा दिया गया है. Multiple subject का प्रावधान है, कोई भी स्ट्रीम नहीं होगा. बच्चा जो सब्जेक्ट पढना चाहता है, वह सब्जेक्ट रख सकता है. जैसे- अगर बच्चा को साइंस सब्जेक्ट अच्छा लगता है, तो एक साइंस का विषय, सामाजिक विज्ञान अच्छा लगता है, तो एक सामाजिक विज्ञान यानि इतिहास, भूगोल का विषय रख सकता है।

एग्जाम पैटर्न में परिवर्तन किया गया है. पहले 9 से 12 तक वार्षिक परीक्षा होती थी. नयी शिक्षा नीति के तहत नौ से बारहवीं कक्षा की परीक्षा सेमेस्टर में होगा. प्रत्येक छः महीने में एक सेमेस्टर की परीक्षा होगी. इस स्टेज में एक विदेशी भाषा यानि फॉरेन लैंग्वेज की शिक्षा दी जाएगी।

नई शिक्षा नीति 2020 क्या है?

अब आप सोच रहे होंगे कि बारहवीं तक की पढाई इन चार स्टेज में होगी, तो ग्रेजुएशन डिग्री की शिक्षा किस प्रक्रिया में होगी. तो मैं आपको बता दूँ कि स्नातक यानि बी.ए (Graduation) 3 वर्ष की डिग्री. नयी शिक्षा नीति 2020 के तहत ग्रेजुएशन डिग्री 4 वर्ष की होगी. प्रत्येक वर्ष के लिए अलग-अलग प्रमाण-पत्र दिया जायेगा. जैसे-

  • 1 वर्ष की पढाई करने के बाद ग्रेजुएशन सर्टिफिकेट दिया जायेगा।
  • 2 साल पढाई करने के बाद ग्रेजुएशन डिप्लोमा प्रमाण पत्र दिया जायेगा।
  • 3 वर्ष तक पढाई करने वाले को ग्रेजुएशन डिग्री मिलेगा।
  • 4 वर्ष का स्नातक करने वाले को रिसर्च यानि शोध ग्रेजुएशन प्रमाण पत्र दिया जायेगा।

इससे विद्यार्थियों को काफी फायदा होगा. जैसे अगर कोई बच्चा एक साल स्नातक की पढाई करता है, तो उसे ग्रेजुएशन सर्टिफिकेट दिया जायेगा. और दो वर्ष स्नातक की पढाई करता है, तो उसे ग्रेजुएशन डिप्लोमा प्राप्त होगा. उसके बाद अगर वह किसी कारणवश पढाई छोड़ देता है. उसके बाद फिर एक या दो वर्ष के बाद ग्रेजुएशन की पढाई पूरी करना चाहता है. तो उसे फिर से प्रथम वर्ष में एडमिशन नहीं लेना होगा. उसे सीधा स्नातक 3rd year में एडमिशन मिल जायेगा. क्योंकि पहले से उसके पास दो वर्ष का प्रमाण पत्र है।

अगर पीजी यानि Post Graduation की बात करें, तो यह 1/2 वर्ष का होगा. आप एक या दो वर्ष का पोस्ट ग्रेजुएशन कर सकते हैं. लेकिन इसमें भी कुछ नियम है. जैसे- अगर आप तीन वर्ष का स्नातक डिग्री कोर्स किये है और आप पोस्ट ग्रेजुएशन करना चाहते हैं, तो आपको दो वर्ष का स्नातकोत्तर डिग्री करना होगा.केवल चार वर्षीय ग्रेजुएशन करने वालों को 1 वर्षीय स्नातकोत्तर में प्रवेश मिलेगा. 2020 की नयी शिक्षा नीति के तहत पीएचडी (PhD) कुल चार वर्ष की होगी।

नयी शिक्षा नीति 2020 के लक्ष्य, उद्देश्य 

  • नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का लक्ष्य वर्ष 2030 तक सकल नामांकन अनुपात 100 प्रतिशत करना।
  • पाँचवीं कक्षा तक की शिक्षा मातृभाषा/स्थानीय या क्षेत्रीय भाषा में उपलब्ध करवाना।
  • मातृभाषा को कक्षा-8 और उससे आगे की शिक्षा के लिए प्राथमिकता देने का सुझाव दिया गया है।
  • इस नीति के तहत 3 से 18 साल तक के बच्चों को शिक्षा का अधिकार कानून, 2009 के अंतर्गत रखा गया है।
  • न्यू एजुकेशन पालिसी 2020 का उद्देश्य सभी छात्रों को उच्च शिक्षा प्रदान करना है।
  • 2025 तक पूर्व-प्राथमिक शिक्षा (3 से 6 वर्ष की आयु सीमा) को सार्वभौमिक बनाना।
  • इसके अन्तर्गत शिक्षा क्षेत्र पर सकल घरेलू उत्पाद के 6% हिस्से को सार्वजनिक व्यय का लक्ष्य रखा गया है।
  • देश के सभी उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए ‘भारतीय उच्च शिक्षा परिषद’ नामक एक एकल नियामक की परिकल्पना की गई।
गोपियों के अनुसार राजा क्या होना चादहए? - gopiyon ke anusaar raaja kya hona chaadahe?

गोपियों के अनुसार राजा का क्या होना चाहिए?

Solution : गोपियों के अनुसार, राजा का धर्म यह होना चाहिए कि वह प्रजा को अन्याय से बचाए। उन्हें सताए जाने से रोके।

राजा का धर्म क्या होना चाहि ए?

राजधर्म का अर्थ है - 'राजा का धर्म' या 'राजा का कर्तव्य'। राजवर्ग को देश का संचालन कैसे करना है, इस विद्या का नाम ही 'राजधर्म' है। राजधर्म की शिक्षा के मूल वेद हैं।

प्रश्न 6 गोपियों के अनुसार राजा का धर्म क्या होना चाहिए?

गोपियों के अनुसार राजा का धर्म तो यह होना चाहिए कि वह किसी भी दशा में प्रजा को न सताए। वह प्रजा के सुख चैन का ध्यान रखे।

गोपियों के अनुसार राजा का धर्म क्या है एक वाक्य में उत्तर?

(कृष्ण / उद्धव) 8.