गुरु का अर्थ भारी भी होता है क्या? - guru ka arth bhaaree bhee hota hai kya?

गुरु ग्रह बृहस्पति इंसान की जिंदगी पर गहरा असर छोड़ता है. अगर आपकी कुंडली में बृहस्पति कमजोर हो, तो परेशानियां बढ़ती चली जाती हैं, क्योंकि किसी भी चीज को बृहस्पति विशाल रूप देता है.

ज्योतिष के जानकारों की मानें, तो आपकी जिंदगी में होने वाली हर बड़ी घटना का कारक बृहस्पति हो सकता है. तो आइए जानते हैं कि आपकी जिंदगी को कैसे प्रभावित करता है गुरु ग्रह...

कौन है बृहस्पति, क्या है इसका प्रभाव?

- नवग्रहों में बृहस्पति को गुरु और मंत्रणा का कारक माना जाता है.
- बृहस्पति का रंग पीला है, जो धन और ज्ञान से जुड़े मामलों को नियंत्रित करता है.
- सोना, तिजोरी, कानून, धर्म, मंत्र और संस्कार बृहस्पति के अधीन हैं.
- पाचन तंत्र, पेट और उम्र की सीमा से है बृहस्पति का संबंध.
- बृहस्पति के कारण ही मोटापा घटता और बढ़ता है.
- पांच तत्वों में आकाश तत्त्व का अधिपति है बृहस्पति.
- बृहस्पति का प्रभाव बहुत बड़ा और विराट होता है.
- महिलाओं के विवाह की पूरी जिम्मेदारी बृहस्पति से ही तय होती है.

हर इंसान सेहतमंद रहना चाहता है, सुंदर दिखना चाहता है, लेकिन कुंडली का कमजोर बृहस्पति सेहत पर बड़ा खतरा बनकर मंडराता है. अगर आपकी कुंडली में बृहस्पति की स्थिति खराब है, तो अचनाक आपका वजन बढ़ सकता है. हम बताते हैं कि कैसे आपको मोटापे का शिकार बना सकता है कमजोर बृहस्पति और क्या है इससे बचने का उपाय...

बृहस्पति का मोटापे से क्या संबंध है?

- शरीर में वसा इकट्ठा करने की क्षमता बृहस्पति के पास होती है.
- लग्न या लग्न के स्वामी पर बृहस्पति का असर हो तो बढ़ता है मोटापा.
- बृहस्पति कमजोर हो, तो खाने की गलत आदत से मोटापा बढ़ता है.
- लग्न के आस-पास बृहस्पति हो, तो अनुवांशिक कारणों से मोटापा बढ़ता है.
- बृहस्पति पर पाप ग्रहों का प्रभाव हो, तो बीमारी से मोटापा बढ़ता है.

बृहस्पति के उपाय से कैसे दूर होगा मोटापा?

- एकादशी का उपवास रखें.
- खाने में नींबू और दही जरूर शामिल करें.
- रोज सुबह और शाम को बृहस्पति के मन्त्र का जाप करें.
- मंत्र होगा- 'ॐ बृं बृहस्पतये नमः'

कहते हैं कि बीमारियां दिमाग में पैदा होती हैं और पेट में बढ़ती हैं, इसलिए पेट का सही होना बेहद जरूरी है, लेकिन कमजोर बृहस्पति आपके पेट और पाचन तंत्र को बीमार कर देता है. ऐसे में कई दूसरी बीमारियां भी आपको घेर सकती हैं. बृहस्पति कैसे बिगाड़ देता है आपके पेट और पाचन तंत्र की दशा और इससे बचने के लिए क्या उपाय करें...

बृहस्पति का पाचन तंत्र से क्या संबंध है?

- खाने के पचने की प्रक्रिया बृहस्पति से जुड़ी है.
- बृहस्पति कमजोर हो तो इंसान का पाचन तंत्र कमजोर होता है.
- जल्दबाजी में भोजन के कारण पाचन क्रिया बिगड़ जाती है.
- दिनचर्या नियमित न हो, तो पाचन तंत्र पर बुरा असर पड़ता है.
- हाइपर एसिडिटी और कमजोर पाचन शक्ति का कारक बृहस्पति होता है.

बृहस्पति के उपाय से कैसे सुधारें पाचन शक्ति?

- भोजन में हरी सब्जियों का प्रयोग करें.
- दाल और अनाज कम से कम खाएं.
- रोजाना तांबे के बर्तन से पानी पिएं.
- दाहिने हाथ की तर्जनी अंगुली में सोने या पीतल का छल्ला पहनें.

ज्योतिष के जानकारों की मानें, तो खराब बृहस्पति इंसान को कैंसर जैसे रोगों का शिकार भी बना सकता है. बृहस्पति कैसे बनता है कैंसर का कारण और इस बीमारी से बचने के लिए क्या उपाय करें, आइए जानते हैं...

क्या बृहस्पति देता है कैंसर जैसे लाइलाज रोग?

- बृहस्पति किसी भी चीज को बड़ा और विशाल कर देता है.
- अक्सर कुंडली में जिस भाव में बृहस्पति रहता है, उसे खराब कर देता है.
- शरीर के जिस हिस्से में बृहस्पति हो, उसमें लंबी बीमारियां होती हैं.
- कैंसर जैसे बड़े और लाइलाज रोग भी देता है बृहस्पति.
- कभी-कभी इसका समाधान भी नामुमकिन हो जाता है.

कैंसर से कैसे बचाएगा बृहस्पति का उपाय?

- अपने स्वभाव को बेहतर बनाएं.
- भगवान शिव या अपने गुरु की उपासना करें.
- रोज सुबह और शाम को 'गजेन्द्र मोक्ष' का पाठ करें.
- रोग पहले से हो, तो हर महीने एक बार गन्ने के रस से रुद्राभिषेक करवाएं.

ज्योतिष के ये उपाय आपकी कुंडली में चमत्कारी बदलाव ला सकते हैं, तो अब इलाज के साथ–साथ इन उपायों को भी अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाइए. बृहस्पति के कष्टों से बहुत जल्द मुक्ति मिलेगी.

गुरु या गुरू? यह सवाल कुछ लोगों को परेशान करता है कि इसमें रु होगा या रू। लेकिन कुछ अन्य लोगों को यह बिल्कुल परेशान नहीं करता। इसलिए नहीं कि वे सही स्पेलिंग जानते हैं, बल्कि इसलिए कि उनको पता ही नहीं कि र में भी बाक़ी व्यंजनों की तरह उ की दो मात्राएँ होती हैं। गुरु हो या शुरू, वे तो बस र की दाहिनी तरफ़ एक चुटिया लगा देते हैं और समझ लेते हैं कि काम हो गया। हक़ीक़त क्या है, जानने के लिए पढ़ें।

जब मैंने गुरू और गुरु पर फ़ेसबुक पोल किया तो मुझे मालूम था कि यह एक आसान पोल है और ज़्यादातर वोट सही जवाब पर पड़ेंगे। वही हुआ भी। दो-तिहाई से कुछ ज़्यादा यानी 72% ने सही जवाब पर वोट दिया यानी गुरु पर। एक-तिहाई से कुछ कम यानी 28% ने गुरू के पक्ष में राय दी।

गुरु क्यों सही है? क्योंकि संस्कृत में यही है और हिंदी में भी वही है (देखें चित्र)। 

गुरु का अर्थ भारी भी होता है क्या? - guru ka arth bhaaree bhee hota hai kya?
गुरु का अर्थ भारी भी होता है क्या? - guru ka arth bhaaree bhee hota hai kya?

अब प्रश्न बस यह है कि कुछ लोग गुरु को गुरू क्यों बोलने लगे। मेरे अनुसार इसके तीन में से कोई एक या एकाधिक कारण हो सकते हैं।

  • पहला कारण : हिंदी की प्रकृति दीर्घ स्वरांत की है यानी आख़िर में यदि कोई ह्रस्व स्वर है तो उसे दीर्घ के रूप में बोला जाता है। संस्कृत से हिंदी में आए कई शब्दों में हम यह परिवर्तन देखते हैं जैसे अश्रु का आँसू, दस्यु का डाकू और लड्डु का लड्डू। हो सकता है, इसी कारण कुछ लोग गुरु को गुरू बोलते हैं और वैसा ही लिखते भी हैं।
  • दूसरा कारण : ‘शुरू’ जो अरबी से हिंदी में आया है, उसमें अंत में ‘रू’ है। संभव है, शुरू से मिलता-जुलता होने के कारण कई लोग गुरु को भी गुरू बोलने-लिखने लगे हों जैसे – गुरू, हो जा शुरू।
  • तीसरा कारण : एक वजह यह भी हो सकती है कि अधिकतर हिंदीभाषियों को पता ही नहीं है कि रु और रू में कोई अंतर भी है। ईमानदारी से कहूँ तो प्राथमिक कक्षाओं तक मुझे भी यह जानकारी नहीं थी। र की दाहिनी तरफ़ एक पोनी टेल लगा देते थे और समझ लेते थे कि हो गया काम। यह तो नवीं-दसवीं से जब हिंदी शब्दकोश देखने की आदत लगी, तब जाकर यह मालूम हुआ कि रु और रू दोनों अलग-अलग हैं और कुछ शब्दों में रु आता है (जैसे रुपया) और कुछ में रू (जैसे रूमाल)। जब आगे चलकर पत्रकारिता जगत में क़दम रखा तो जाना कि रु और रू को एक ही समझने वालों की तो यहाँ भरमार है।

गुरु सही है, यह मैंने आपको शब्दकोशों के हवाले से बताया। लेकिन एक और रोचक जानकारी आपको देना चाहूँगा कि संस्कृत के हिसाब से गुरू भी सही है बशर्ते दो गुरुओं की बात हो रही हो। यानी एकवचन में गुरु, द्विवचन में गुरू (देखें चित्र)। हिंदी में द्विवचन होता नहीं है और एकवचन से बहुवचन बनाने के यहाँ नियम भी अलग हैं, इसलिए एक हो तो गुरु, दो हों तो गुरु और दो से अधिक हों तो भी गुरु।

गुरु का अर्थ भारी भी होता है क्या? - guru ka arth bhaaree bhee hota hai kya?

ऊपर मैंने शुरू का ज़िक्र किया। अक्सर प्रश्न उठता है कि शुरू से शुरुआत होगा या शुरूआत। हमारे सीनियर कहते थे कि शुरू में रू है लेकिन शुरुआत में रु होगा। हमने भी यही बात अपने जूनियरों को बताई और आज शायद यही बात वे नए पत्रकारों को बता रहे होंगे। कोई तीन साल पहले इसके बारे अपने फ़ेसबुक प्रोफ़ाइल पेज से एक पोल भी किया था और उसमें शुरुआत को सही बताया था। लेकिन उसी पोस्ट के जवाब में उर्दू के एक जानकार ने बताया कि उर्दू में शुरूआत ही है, शुरुआत नहीं। उन्होंने मद्दाह के उर्दू-हिंदी शब्दकोश का एक चित्र भी शेयर किया और मैंने उर्दू के अन्य शब्दकोशों में भी देखा तो पाया कि उर्दू में शुरूआत ही है (देखें चित्र)।

गुरु का अर्थ भारी भी होता है क्या? - guru ka arth bhaaree bhee hota hai kya?

तो फिर शुरुआत कहाँ से आया? मेरी समझ से इसका श्रेय ज्ञानमंडल के शब्दकोश को जाता है क्योंकि इसी में यह स्पेलिंग है। हिंदी शब्दसागर में शुरू तो दिया हुआ है मगर शुरुआत या शुरूआत नहीं। चूँकि इन दोनों शब्दकोशों को प्रामाणिक माना जाता है, इसलिए हिंदी जगत ने ज्ञानमंडल में दी हुई शुरुआत वाली स्पेलिंग ही अपना ली (देखें चित्र)।

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ज्ञानमंडल की एंट्री देखकर मैं जो समझ पाया हूँ, उसके अनुसार कोशकार का तर्क यह है –  

1. मूल अरबी शब्द शुरुअ है (रु) इसलिए उसका बहुवचन होगा शुरुआत (जैसे सवाल का सवालात, काग़ज़ का काग़ज़ात आदि)। वैसे वे यह बताना नहीं भूलते कि हिंदी में शुरुआत का एकवचन के तौर पर ही इस्तेमाल होता है।

2. शुरुअ के अंत में मौजूद अ के हट जाने से उसका उच्चारण दीर्घ हो गया। जैसे अंग्रेज़ी के टुअर (Tour) या सिअरीज़ (Series) का हिंदी में उच्चारण टूर और सीरीज़ हो जाता है, कुछ-कुछ उसी तरह।

मैं अरबी नहीं जानता, उर्दू भी नहीं जानता। इसलिए इसके बारे में कोई मत नहीं दूँगा। लेकिन इतना कहना चाहूँगा कि शुरूआत को अब मैं ग़लत नहीं मानता। हिंदी समेत हर भाषा में कुछ शब्दों के दो-दो रूप चलते हैं। शुरुआत और शुरूआत के मामले में भी दोनों ही चलें।

फिर से रु और रू को लेकर व्याप्त दुविधा के बारे में थोड़ी-सी चर्चा। मुझसे कई लोगों ने पूछा कि क्या इसका कोई फ़ॉर्म्युला है जिससे पता चले कि कहाँ रु होगा और कहाँ रू। मैंने इसके बारे में अपने शुरुआत/शुरूआत वाले पोस्ट में कुछ सुझाव दिए थे। उन्हीं को यहाँ दोहरा देता हूँ क्योंकि आपमें से अधिकतर ने उसे नहीं पढ़ा होगा।

शुरू में अधिकतर रु

1. शब्द के आरंभ में – अधिकतर प्रचलित शब्द रु से शुरू होते हैं। रू से शुरू होनेवाले शब्द कम हैं। सो उन शब्दों को दिमाग़ में बिठा लीजिए जो रू से शुरू होते हैं। नीचे ऐसे शब्दों की छोटी-सी लिस्ट देखें।

  • रूँधना, रूखा, रूठना, रूढ़, रूसना, रूप, रूबरू, रूह, रूमाल, रूस।
  • इसमें कुछ अंग्रेज़ी के शब्द जोड़ने हों तो रूम, रूल, रूड, रूमर आदि जोड़ सकते हैं।

रोज़मर्रा काम में आने वाले कुल जमा 15-20 शब्द होंगे जिनमें रू शुरू में आता है। आप इनसे और शब्दों की स्पेलिंग भी बना सकते हैं जो इन्हीं शब्दों से बने हैं जैसे आरूढ़, रूपक, रूहानी, रूसी, रूलर आदि। अब यह लिस्ट आपने देख ली तो समझिए कि किसी शब्द के शुरू में रु है या रू, इसकी समस्या आपकी ख़त्म हो गई क्योंकि बाक़ी सारे शब्दों में आप रु लगा सकते हैं चाहे वह रुपया हो या रुस्तम।

2. शब्द के अंत में – अंत में कहाँ रु होगा और कहाँ रू, इसकी कोई लिस्ट नहीं बनाई है मैंने। लेकिन एक समझ के आधार पर कह सकता हूँ कि यदि शब्द तत्सम (संस्कृत) है तो रु होगा, तद्भव और विदेशी (उर्दू) है तो रू होगा। कुछ उदाहरणों पर ग़ौर फ़रमाएँ।

  • तरु, गुरु, अश्रु, शत्रु, भीरु, चारु, सुचारु।
  • घुँघरू, डमरू, उतारू, बाज़ारू, रूबरू, जोरू, दवा-दारू, आबरू।

ऊपर रूसना शब्द से याद आया एक मज़ेदार वाक़या। बात मेरी किशोरावस्था की है जब मैं कोलकता में रहता था (अभी भी वहीं हूँ)। एक दिन मैंने एक पोस्टर देखा। लिखा था – रूस गईलें सैयाँ हमार। नाम से लगता था, भोजपुरी फ़िल्म है। पोस्टर पर राकेश पांडे और पद्मा खन्ना के परिचित चेहरे भी दिख रहे थे। लेकिन यह समझ में नहीं आया कि सैयाँ के रूस जाने पर यह कैसी फ़िल्म बनी है। बंगाली फ़िल्म होती तो समझ में भी आता कि हीरो का बाप कॉम्युनिस्ट पार्टी का नेता रहा होगा और हीरो उच्च शिक्षा के लिए रूस चला गया होगा। लेकिन भोजपुरी फ़िल्म का रूस से क्या रिश्ता? बहुत सोचा, कुछ खोपड़ी में नहीं घुसा।

गुरु का अर्थ भारी भी होता है क्या? - guru ka arth bhaaree bhee hota hai kya?

वह तो बाद में किसी बिहारी सहपाठी से चर्चा की तो पता चला कि यहाँ रूस जाने का मतलब Russia नामक देश में जाना नहीं है, बल्कि (साजन के) ‘रूठ’ जाने से है। यहाँ रूसना का अर्थ है रूठना।

ऊपर आपने Rumour के उच्चारण पर ध्यान दिया? सही उच्चारण रूमर ही है लेकिन हम भारतीय ह्यूमर (Humour) की तर्ज़ पर Rumour को (र्+यूमर) बोलते हैं। अंग्रेज़ी में र्+यू की ध्वनि नहीं है। इसलिए Andrew का उच्चारण भी ऐंड्रू होगा, न कि ऐंड्र्यू। अंग्रेज़ी में U का उच्चारण कहाँ क्या होता है, इसके बारे में आप मेरी इंग्लिश क्लास में जान सकते हैं जिसका लिंक नीचे दिया हुआ है।

गुरु के कितने अर्थ होते हैं?

गुरु' शब्द में 'गु' का अर्थ है 'अंधकार' और 'रु' का अर्थ है 'प्रकाश' अर्थात् गुरु का शाब्दिक अर्थ हुआ 'अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाला मार्गदर्शक'। सही अर्थों में गुरु वही है जो अपने शिष्यों का मार्गदर्शन करे और जो उचित हो उस ओर शिष्य को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करे।

गुरु शब्द का अर्थ क्या होता है?

संस्कृत भाषा के इस शब्द का अर्थ शिक्षक और उस्ताद से लगाया जाता है। इस आधार पर व्यक्ति का पहला गुरु माता-पिता को माना जाता है। दूसरा गुरु शिक्षक होता है जो अक्षर ज्ञान करवाता है। उसके बाद कई प्रकार के गुरु जीवन में आते हैं जो बुनियादी शिक्षाएं देते हैं।

गुरु की क्या विशेषता है?

“केवल एक गुरु (सिद्ध पुरुष), जो ईश्वर को जानता है, दूसरों को सही ढंग से ईश्वर के प्रति शिक्षा दे सकता है। व्यक्ति को अपनी दिव्यता को पुनः पाने के लिए एक ऐसा ही सद्गुरु चाहिए। जो निष्ठापूर्वक सद्गुरु का अनुसरण करता है वह उसके समान हो जाता है, क्योंकि गुरु अपने शिष्य को अपने ही स्तर तक उठने में सहायता करता है।”

गुरु और गुरू में क्या अंतर है?

यानी एकवचन में गुरु, द्विवचन में गुरू (देखें चित्र)। हिंदी में द्विवचन होता नहीं है और एकवचन से बहुवचन बनाने के यहाँ नियम भी अलग हैं, इसलिए एक हो तो गुरु, दो हों तो गुरु और दो से अधिक हों तो भी गुरु