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किसी इंसान की हत्या की कोशिश का मामला अगर सामने आता है, तो ऐसा करने वाले शख्स पर भारतीय कानून यानी भारतीय दंड संहिता की धारा 307 लगाए जाने का प्रावधान है. लेकिन इस धारा 307 के बारे में बहुत से लोगों को जानकारी नहीं है. आइए संक्षेप में जानने की कोशिश करते हैं कि क्या है भारतीय दण्ड संहिता यानी इंडियन पैनल कोड और उसकी धारा 307.X IPC की इस धारा के तहत मुजरिम को उम्रकैद भी हो सकती है परवेज़ सागर
किसी इंसान की हत्या की कोशिश का मामला अगर सामने आता है, तो ऐसा करने वाले शख्स पर भारतीय कानून यानी भारतीय दंड संहिता की धारा 307 लगाए जाने का प्रावधान है. लेकिन इस धारा 307 के बारे में बहुत से लोगों को जानकारी नहीं है. आइए संक्षेप में जानने की कोशिश करते हैं कि क्या है भारतीय दण्ड संहिता यानी इंडियन पैनल कोड और उसकी धारा 307. भारतीय दंड सहिंता की धारा 307 क्या होती सजा ज़रूर पढ़ेंः किसी इंसान की जान लेने वाले पर लगती है आईपीसी के ये धारा क्या है भारतीय दंड संहिता अंग्रेजों की देन है आईपीसी आजतक के नए ऐप से अपने फोन पर पाएं रियल टाइम अलर्ट और सभी खबरें डाउनलोड करें मर्डर क्या है IPC की धारा 302? (What is IPC 302 in Hindi) धारा 302 (IPC Section 302) भारतीय दंड संहिता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। हत्या के आरोपी व्यक्तियों पर धारा 302 के तहत कोर्ट में मुकदमा चलाया जाता है। इसके अलावा, हत्या के मामले में आरोपी को दोषी पाए जाने पर धारा 302 के तहत सजा दी जाती है। धारा 302 के अनुसार आरोपी को या तो आजीवन कारावास या मृत्युदंड (हत्या की गंभीरता के आधार पर) के साथ - साथ जुर्माने की सजा दी जाती है। हत्या से संबंधित मामलों में न्यायालय के लिए विचार का प्राथमिक बिंदु आरोपी का इरादा और उद्देश्य है। यही वजह है कि यह महत्वपूर्ण है कि आरोपी का उद्देश्य और इरादा इस धारा के तहत मामलों में साबित हो। धारा 302 में सजा का प्रावधान (Punishment IPC Section 302 in Hindi) उत्तर : भारतीय दंड संहिता की धारा 302 में हत्या के लिए सजा का प्रावधान है। इस धारा के अनुसार जो कोई भी हत्या करता है उसे दण्डित किया जाता है : - मौत - आजीवन कारावास - दोषी भी जुर्माने के लिए उत्तरदायी होगा केवल RAREST से RAREST मामले में मृत्युदंड बचन सिंह बनाम पंजाब राज्य ; एआईआर 1980 एससी 898 ;। सुप्रीम कोर्ट ने यह माना था कि इस मामले में यह अनिवार्य है कि मौत की सजा केवल दुर्लभतम मामलों में ही दी जा सकती है। बचन सिंह बनाम पंजाब राज्य के मामले में कुछ मानदंड निर्धारित किए गए थे जिनका पालन किसी अभियुक्त को मृत्युदंड देने से पहले किया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील कपिल सांखला के मुताबिक, मूल सिद्धांत यह है कि मानव जीवन बहुत मूल्यवान है और मौत की सजा केवल तभी दी जानी चाहिए जब यह अनिवार्य हो और सजा का कोई अन्य विकल्प न हो और ऐसे मामलों में भी जहां अपराध की सीमा बहुत ही जघन्य हो।
सांकेतिक फोटो हाफ मर्डर में कौन सी धारा लगती है? उत्तर : हाफ मर्डर शब्द किसी भी कानून की किताब में कहीं नहीं लिखा है। लेकिन लोग लोकप्रिय रूप से 'हत्या के प्रयास' के अपराध को हाफ मर्डर (Half Murder) कहते हैं। इस अपराध के लिए केवल एक धारा है। यह आईपीसी की धारा 307 है। ऐसे कई मामले हैं जहां एक व्यक्ति पर हमला किया जाता है और उसे कई चोटें आती हैं लेकिन उसकी मृत्यु नहीं होती है। इस मामले में धारा 324 या 326 आईपीसी भी कई बार लागू होती है। आईपीसी की धारा 307 को आकर्षित करने के लिए चोटों की संख्या महत्वपूर्ण नहीं है। एक भी चोट या कोई चोट इस खंड को आकर्षित नहीं कर सकती है। इसमें अधिकत्तम सजा आजीवन कारावास से लेकर जुर्माने तक का प्रावधान है। हाथ पैर टूटने पर कौन सी धारा लगती है? उत्तर : IPC की धारा 320 - यानी गंभीर चोट मारना धारा 325 - गंभीर चोट पहुंचाने के लिए सजा स्वेच्छा से गंभीर चोट पहुंचाने के लिए दंड । जो कोई भी स्वेच्छा से गंभीर चोट का कारण बनता है, उसे किसी भी अवधि के कारावास से दंडित किया जाएगा, जिसे सात साल तक बढ़ाया जा सकता है। इसमें जुर्माने का भी प्रावधान है। गोली चलाने पर कौन सी धारा लगती है? धारा 326 - दूसरों के जीवन या व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डालने वाला कार्य जो कोई भी इतनी जल्दबाजी या लापरवाही से मानव जीवन या दूसरों की व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डालता है उसे किसी भी प्रकार के कारावास से दंडित किया जाएगा, जिसे एक अवधि के लिए बढ़ाया जा सकता है। तीन महीने या जुर्माने से, जो ढाई सौ रुपये तक हो सकता है या दोनों से। आईपीसी की धारा 307 क्या है ? हत्या की कोशिश वरिष्ठ वकील कपिल सांखला के मुताबिक, कोई भी इस तरह के इरादे या ज्ञान के साथ कोई कार्य करता है, और ऐसी परिस्थितियों में, यदि वह उस कार्य से मृत्यु का कारण बनता है, तो वह हत्या का दोषी होगा, उसे किसी भी तरह के कारावास से दंडित किया जाएगा, जिसकी अवधि दस साल तक हो सकती है, और जुर्माने के लिए भी उत्तरदायी होगा। यदि इस तरह के कृत्य से किसी व्यक्ति को चोट लगती है, तो अपराधी या तो आजीवन कारावास या इस तरह की सजा के लिए उत्तरदायी होगा। मर्डर केस में कितने दिनों में और कैसे जमानत मिलती है ? ये हरेक केस के तथ्यों और परिस्थितियों पर निर्भर करता है। किसी भी जघन्य अपराध में चार्जशीट दाखिल होने के बाद बेल के लिए आरोपी एप्लाई कर सकता है। हत्या एक गैर-जमानती अपराध है जिसके लिए पुलिस द्वारा जमानत नहीं दी जा सकती है और यह पूरी तरह से अदालत के दायरे में आता है। सीआरपीसी (CrPC) की धारा 437 और 439 के तहत आरोपी जमानत के लिए आवेदन कर सकता है। धारा 307 में जमानत कैसे मिलती है? वरिष्ठ वकील कपिल सांखला के मुताबिक, ये पूर्णत: अदालत में निर्भर करता है कि वो आरोपी को कब जमानत दे। अगर अदालत को लगता है कि आरोपी सबूतों से छेड़छाड़ कर सकता है तो इस स्थिति में उसे जमानत नहीं मिलती है। किसी के हाथ पैर तोड़ने पर कौन सी धारा लगती है?गंभीर चोट (घोर उपहति) के लिए दंड
भारतीय दंड संहिता की धारा 325 गंभीर प्रकार की चोट के लिए दंड का प्रावधान करती है। धारा 325 के अंतर्गत किसी भी गंभीर प्रकार की चोट कारित करने के परिणामस्वरुप 7 वर्षों तक के दंड का निर्धारण किया गया है।
सबसे खतरनाक धारा कौन सा होता है?भारतीय दंड संहिता में धारा 326 का अपराध बहुत ही गंभीर और बड़ा माना जाता है, क्योंकि इस धारा के अंतर्गत ऐसे व्यक्ति को सजा दी जाती है, जो भारतीय दंड संहिता की धारा 326 के तहत ही किसी जानलेवा हथियार से किसी अन्य व्यक्ति के शरीर को घोर उपहति करने का अपराध करता है, जिसमें इस अपराध के दोषी को धारा 326 के अनुसार उस अपराध की ...
सिर फट जाने पर कौन सी धारा लगती है?सर फटने या बेहोश हो जाने या चाकू मारने पर कौन सी धारा लगेगी -धारा 308 या 307 लग सकती है किसी व्यक्ति के सिर पर किसी ऐसे हथियार से वार करना जिससे उस व्यक्ति की मृत्यु होना संभव हो और यह जानते हुए कि उस प्रहार से उस व्यक्ति की मृत्यु हो सकती है ऐसा प्रहार जो कोई करेगा वह हत्या के प्रयास का दोषी होगा ।
पैर में गोली लगने से कौन सी धारा लगती है?गोली चलाने पर अब मामला भारतीय कानून की धारा 336 की बजाय 308 के तहत दर्ज किया जाएगा। धारा 308 में 3 से 7 साल तक की सजा का प्रावधान है। जबकि धारा 336 में केवल 3 माह का सजा का प्रावधान था। थाने से आसानी से जमानत भी मिल जाती थी।
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