Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 11 Hindi Antral Chapter 1 अण्डे के छिलके Textbook Exercise Questions and Answers. Show
RBSE Class 11 Hindi Solutions Antral Chapter 1 अण्डे के छिलकेRBSE Class 11 Hindi अण्डे के छिलके Textbook Questions and Answersप्रश्न 1. प्रश्न 2. जैसी व्यक्ति की सोच की स्वतंत्रता होती है उतने ही वह तर्क उपस्थित करती है। पुरातन परम्परा के लोग व बहुत सारे आधुनिक लोग भी अंडा नहीं खाते हैं। अंडे खाने या नहीं खाने से न कोई आधुनिक सोच वाला है और न कोई पुरातन सोच वाला होता है। एकांकी में गोपाल, श्याम दोनों भाई अंडे खाते हैं किन्तु पारिवारिक लिहाज की वजह से छिपाते हैं। परिवर्तनशीलता समय की आवश्यकता है किन्तु इसकी प्रक्रिया शनैः-शनैः होती है। अत: अंडे खाना या नहीं खाना किसी भी अपराध की श्रेणी में नहीं आता है। प्रश्न 3. उसके भाई के कमरे की वैसी ही दशा रहती थी जैसी कि आज भी श्याम के अपने कमरे की है। वहाँ प्रत्येक वस्तु अव्यवस्थित पड़ी रहती है। जब से गोपाल की शादी वीना से हुई है, तभी से कमरे का स्वरूप बदल गया है। वीना ने उसे बदल दिया है. हर, निर्धारित स्थान पर रखी मिलती है। कुछ भी अव्यवस्थित तरीके से इधर-उधर बिखरा नहीं है। गोपाल की मेज की तो दशा ही बदल गई है, वह ऐसे चमकती है, जैसे अभी-अभी पालिश करके आई हो। कमरे का एक कोना ही गोपाल के पुराने कमरे जैसा लगता है, जहाँ अब भी खूटी पर कोट और पेंट लटके हुए दिखाई देते हैं। कमरे का पुराना अव्यवस्थित स्वरूप श्याम को अंपना लगता था। उसका सदा से उसी स्वरूप से परिचय था। उसने आरम्भ से ही कमरे में सामान को जगह-जगह बिखरा देखा था। अब वीना ने करीने से सब चीजों को रखा है। कोई सामान इधर-उधर बिखरा नहीं है। वह सुसज्जित तथा साफ-सुथरा दिखाई देता है। कमरे का यह नया रूप श्याम को अपरिचित तथा पराया-सा लगता है। उसमें घुसने का उसका साहस नहीं होता। प्रश्न 4. प्रश्न 5. मैं यदि उनकी जगह होता तो अण्डे खाना व 'चन्द्रकान्ता' जैसी पुस्तकों को पढ़ने आदि की क्रिया को कभी भी छिपकर नहीं करता। मैं सर्वप्रथम तो परिवार की परम्परा व रीति-नीति का पालन करते हुए अण्डा नहीं खाता तथा 'चन्द्रकान्ता' पुस्तक भी नहीं पढ़ता और यदि मुझे किसी कारणवश अण्डा खाना आवश्यक होता या 'चन्द्रकान्ता' पुस्तक पढ़ना भी आवश्यक प्रतीत होता तो मैं इसे परिवार के सदस्यों से छिपकर करने के बजाय उनके सामने अपना पक्ष व आवश्यकतायुक्त तर्क रखकर इन कार्यों को करने की आवश्यकता प्रतिपादित करता। मेरी दृष्टि में परिवार के सदस्यों से छिपकर ऐसा कार्य करना जो परिवार की परम्परा व रीति-नीति के विरुद्ध हो, उचित नहीं है। प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. RBSE Class 11 Hindi अण्डे के छिलके Important Questions and Answersबहुविकल्पीय प्रश्न - प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. प्रश्न 10. अतिलघूत्तरात्मक प्रश्नोत्तर - प्रश्न
1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. प्रश्न 10. लघु एवं दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्नोत्तर - प्रश्न 1. इस समय पानी थोड़ा थमा है, फिर जोर से बरसने लगेगा। तेज पानी बरसने से पहले ही वह बाजार से सामान ले आना चाहता है। वीना के पूछने पर श्याम बताता है कि बाजार में इस समय गरम-गरम कचौड़ी और समोसे भी मिल जायेंगे। यदि वीना चाहे तो वह कोई-सी चीज भी ला सकता है। बीना कहती है-जब बरसते पानी में बाजार जा रहे हो तो कोई अच्छी चीज ही लाओ। समोसा, कचौड़ी क्या खाना? श्याम कुछ हकलाते हुए संकोचपूर्वक बताता है कि अच्छी चीज हो सकती है-अण्डा। प्रश्न 2. फिर वह पीछे से खुद ही उसकी बरसाती उतारने लगी। वीना ने कहा-उतार दो यह बरसाती। मैं इसे बाहर रख आती हूँ। इससे टपकते पानी के कारण कमरे का फर्श भी गीला हो रहा है। बरसाती उतारते-उतारते श्याम ने उसको फिर से पहन लिया और कहा-मैं बरसाती एक हूँ। ऐसे सुहाने मौसम में सूखी चाय पी नहीं जा सकती। मैं दौड़कर बाजार से चाय के साथ खाने के लिए कोई चीज ले आता हूँ। इस समय पानी थमा है, फिर जोर से बरसने लगेगा। वीना और श्याम की उपर्युक्त बातचीत से यह स्पष्ट हो जाता है कि 'सुहाना मौसम' भीगी हुई बरसाती को कहा गया है। उससे टपककर पानी कमरे को भिगो रहा था। वीना ने उसको सुहाना मौसम कहकर कमरे से बाहर रखने को कहा था। दूसरी ओर श्याम बरसात की फुहारों के कारण बदले वातावरण को सुहाना मौसम कहता है। प्रश्न 3. श्याम अण्डे खाता है। वह बाजार से अण्डे ही लाना चाहता है। वीना भी उससे अण्डे लाने तथा अण्डों का हलवा बनाने की बात कहती है परन्तु वह अण्डे का नाम लेने से अपनी भाभी को रोक देता है। इसका कारण यह है कि वह तथा घर के अन्य लोग चोरी-छिपे अण्डे खाते हैं। घर में माँजी इसको पसन्द नहीं करती। उनके भय से ये लोग इस बात को छिपाते हैं। वे नहीं चाहते कि माँजी को तथा बड़े भैया को यह बात पता चले। इसे माँजी का भय कहें अथवा उनके प्रति सम्मान का भाव कि सभी लोग अण्डे खाने की बात को उन पर प्रकट होने देना नहीं चाहते। प्रश्न 4. वह उसके लिए आमलेट बना देती है। ये लोग नाश्ता चुपचाप माँजी से छिपाकर अपने कमरे में ही तैयार कर लेते हैं। बिजली का स्टोव सोलह रुपये खर्च करके यूँ ही नहीं खरीदा गया है। उसका उपयोग अण्डों से आमलेट बनाने या अण्डा फ्राई करने में होता है। माँजी को बता दिया गया है कि सुबह बैड टी लेने की गोपाल की आदत है। रसोई से बनाकर लाने पर चाय ठण्डी हो जाती है। अत: वे लोग कमरे में ही बिजली के स्टोव पर बैड टी तैयार कर लेते हैं। प्रश्न 5. अन्य जनों के विचारों से सहमत नहीं थी। वह अण्डे खाना बुरा नहीं समझती थी। उसकी दृष्टि में छिपकर अण्डे खाना ठीक नहीं था। अण्डे खाने में माँजी, के अपमान की भी कोई बात नहीं थी। माँजी अण्डे नहीं खाती। इसलिए रसोईघर में अण्डे न बनाने की बात तो ठीक थी परन्तु कमरे में अण्डे पकाने में कोई बुराई नहीं थी। इसमें छिपाने की तो कोई बात थी ही नहीं। श्याम के रोकने पर वीना उससे स्पष्ट शब्दों में कहती है-तुम लोगों की यह बात मेरी समझ में बिल्कुल नहीं आती। अगर खाना ही है तो इसमें छिपाने की क्या बात है? सबके सामने खाओ। ....... अण्डे में जीव कहाँ होता है? जैसे दूध, वैसे अण्डा। वीना अण्डे खाने में माँजी की अवज्ञा अथवा अपमान नहीं समझती। वैसे भी वह जिस परिवार से आई है, वहाँ के संस्कार इस परिवार के संस्कारों से भिन्न हैं। इस कारण उसके विचार इनके विचारों से नहीं मिलते। प्रश्न 6. श्याम भी यद्यपि अण्डा खाने का काम चोरी-छिपे ही करता है, परन्तु उसकी चोरी को पकड़ना सम्भव नहीं है। कम से कम श्याम तो ऐसा ही समझता है। वह वीना से कहता है-आपके कमरे में बिजली का स्टोव तथा फ्राइंग पैन है। परन्तु मेरे कमरे में ऐसा कुछ भी नहीं है। कच्चा अण्डा दूध में फेंटो और पी लिया। फिर अण्डा खाने की बात प्रमाणित हो ही कैसे सकती है? माँजी को पता भी चल जाय कि वह अण्डे खाता है, तब भी उसे सिद्ध करना सम्भव नहीं है। प्रश्न 7. मगर इस चीज का नाम मुँह पर मत लाओ।' श्याम बीना की रिस्क पर बाजार से अण्डे लाने को तैयार हो गया। यदि अण्डे लाते समय उसकी चोरी पकड़ी गई और इस बारे में उसका नाम लिया गया तो वह साफ मुकर जायेगा। वह माँजी से कह देगा कि अण्डे वीना ने मँगाये हैं। उसके कमरे में बिजली का स्टोव और फ्राइंग पैन इस बात के गवाह हैं कि वह अण्डे खाती है। अतः वह अण्डे खाये परन्तु खुलेआम अण्डे का नाम भी न ले। प्रश्न 8. वीना ने श्याम से कहा कि वह माँजी से कह देगी कि वह रसोई के बर्तनों का प्रयोग अण्डे खाने के लिए करता है, इस तरह उनके बर्तन भ्रष्ट करता है। कल से वह उसका गिलास अलग रखवा देगी। श्याम ने भी वीना को धमकी दी कि ह चाहे तो माँजी के सामने वीना का रहस्य खोलकर उसके कमरे से बिजली का स्टोव तथा फ्राइंग पैन वहाँ से उठवा सकता है। परन्तु यदि वीना अपनी जबान को खाने के काम में प्रयोग करे, अण्डों के बारे में शोर मचाने में नहीं तो समझौता हो सकता है। वह बाजार जाकर आधा दर्जन वह चीज जो वीमा कह रही थी, अपने पैसों से लाकर उसे दे सकता है। प्रश्न 9. वह अण्डों का हलवा बनाने का प्रस्ताव करती है। श्याम उसे पुनः अण्डे का नाम लेने से रोकता है। मगर अण्डे लाने के लिए तैयार हो जाता है। वह कहता है, "लाओ, पैसे निकालो। मैं तुम्हारे रिस्क पर ले आता हूँ।" वह स्वयं अपने कमरे में दूध में मिलाकर अण्डे खाने की बात वीना को बता देता है। वीना उससे मजाक करती है कि वह रहस्य खोलकर उसका गिलास अलग करवा देगी। श्याम भी तुरन्त कहता है-“अच्छी बात है। तुम हमारा दूध का गिलास अलग रखवा देना और हम यह फ्राइंग पैन यहाँ से उठवा देंगे।" इसके बाद वह अपनी जेब के पैसों से अण्डे लाकर वीना को देता है। वीना तथा श्याम का यह व्यवहार देवर-भाभी के परम्परागत व्यवहार के अनुरूप ही है। प्रश्न
10. वीना को गोपाल की यह आदत अच्छी नहीं लगती। इससे गन्दगी होती है। वह चाहती है कि छिलके तुरन्त बाहर नाली में फेंक दिये जायें। परन्तु गोपाल की आदत है कि वह उन छिलकों को पूरे सप्ताह इकट्ठा करता रहता है। फिर उनको एक डिब्बे में भरकर बाहर ले जाता है, जैसे कि किसी के लिए कोई सौगात ले जा रहा हो। वीना को छिलकों को इस तरह मोजों में भरकर रखना बिल्कुल अच्छा नहीं लगता। वह चाहती है कि गन्दगी को तुरन्त घर से बाहर फेंका जाये। प्रश्न 11. प्रश्न 12. उसने तो मिडिल में ही चन्द्रकान्ता, चन्द्रकान्ता संतति तथा भूतनाथ पुस्तकें पढ़ ली थीं। राधा ने कहा कि माँजी देख लेंगी, तो क्या सोचें कि यह रामायण, महाभारत छोड़कर ऐसे किस्से पढ़ती है? कौशल्या भाभी के बहुत जिद करने पर वह पुस्तक ले आई थी। वरना उसके पास गुटका रामायण ही है, फुर्सत बचकाना शब्द से राधा कुछ चिढ़ गई तो वीना ने कहा कि उसका मतलब यह था कि महाभारत और रामायण पढ़ने वाली राधा के लिए चन्द्रकान्ता बचकाना टेस्ट की मालूम होगी। प्रश्न 13. प्रश्न 14. गोपाल बताता है कि वह घर में किसी के आगे सिगरेट नहीं पीता। केवल भाभी (राधा) के आगे पी लेता है। वह इस कारण कि एक बार वह गैलरी में छिपकर सिगरेट पी रहा था और भाभी वहाँ आ गई थीं। उन्होंने देख लिया था। चोरी पकड़े जाने पर उसने पोना स्वीकार कर लिया था। उसके बाद वह भाभी के सामने उनके कमरे में जाकर छिपकर सिगरेट पी लेता था। भाभी ने भी किसी को नहीं बताया। तब से पाँच वर्ष हो गए। मगर भाभी के अलावा कोई इस बारे में नहीं जानता। प्रश्न 15. प्रश्न 16. गोपाल जल्दी से वीना का जंपर उठाकर अण्डे के छिलकों पर डाल देता है। वह चीनी की एक प्लेट लेकर फ्राइंग पैन में बने हलवे को ढक देता है। वीना चम्मच को हाथ में लेकर खड़ी रह जाती है। माँजी उससे इसका कारण पूछती है। वह फ्राइंग पैन के बारे में कहती है तथा उसमें क्या बनाया गया है; यह भी जानना चाहती है। गोपाल और वीना उसको तरह-तरह से रोकने का प्रयास करते है। श्याम के चोट लगने का बहाना बनाते हैं तथा अण्डे के हलवे को चोट पर बाँधने का पुल्टिस बताते हैं। वे सभी बहुत घबड़ा जाते हैं और किसी तरह माँजी को उनके कमरे में पहुँचा देते हैं। प्रश्न 17. उसी समय गोपाल आकर बताता है कि भैया इधर ही आ रहे हैं। श्याम गोपाल को आश्वस्त करता है कि वह पुल्टिस की चिन्ता न करें। उसे तो वह खा चुका। गोपाल अण्डों के छिलकों को अपने कोट की जेब में भरने के लिए वीना से कहता है। सहसा माधव गैलरी में आ जाता है। वह छिलकों तथा पुल्टिस के बारे में पूछता है। माधव हँसकर बताता है कि उसे पता है कि श्याम के कमरे में दध क्यों जाता है? गोपाल के कमरे में फ्राइंग पैन में क्य उँगलियाँ पीली क्यों हो गई हैं तथा राधा रात में मोमबत्ती जलाकर कौन-सी किताब पढ़ती है? माधव से यह जानकर कि माँजी को भी इन सब बातों का पता है, सभी आश्चर्यचकित रह जाते हैं। प्रश्न 18. गोपाल माधव से कहता है कि वह इन बातों को माँजी को न बताए, किन्तु उनको माधव से यह जानकर आश्चर्य होता है कि माँजी इन सब बातों के बारे में पहले से ही जानती है। माधव गोपाल से कहता है कि वह आगे से छिलकों को डिब्बों में भरने के स्थान पर नाली में फेंका करे। अम्मा इन्हें नाली में पड़े हुए भी नहीं देखेंगी। माधव का यह कहने से आशय है कि माँजी तो पहले से सब कुछ जानती हैं परन्तु वह प्रदर्शित यह करती हैं कि वह कुछ नहीं जानी। वह सब कुछ जानकर भी अनजान बनी हुई हैं। अण्डों के छिलके नाली में पड़े देखकर भी वह अनजान ही बनी रहेंगी और ऐसा प्रकट करेंगी कि उन्होंने छिलकों को नाली में देखा ही नहीं है। वह किसी से इस बारे में कुछ नहीं पूछेगी। प्रश्न 19. गोपाल छिपकर सिगरेट पीता है और राधा छिपकर 'चन्द्रकान्ता' नामक तिलिस्मी उपन्यास पढ़ती है और रामायण पढ़ने का बहाना करती है। श्याम और गोपाल अण्डे खाने की बात छिपाना चाहते हैं। माँजी के कमरे में आने पर अण्डों के छिलकों तथा अण्डों के हलवे को छिपाने का प्रयास करते हैं। माधव के आने पर भी यही सब कुछ किया है किन्तु यह पता चलने पर कि माधव तथा माँजी इन बातो को जानते हैं, वे आश्चर्य में पड़ जाते हैं। अन्त में माधव गोपाल को छिलके नाली में फेंकने का निर्देश देता है। एकांकी की कथावस्तु में अण्डे के छिलकों का महत्वपूर्ण स्थान है। एकांकी का आरम्भ बाजार से अण्डे लाने से होता है। माँजी के कमरे में आने पर अण्डे के छिलकों को छिपाया जाता है। माधव के द्वारा छिलकों को नाली में फेंकने की सलाह के साथ ही एकांकी समाप्त होता है। पूरा कथानक तथा घटनाक्रम अण्डों तथा छिलकों पर आधारित है। कथानक के विकास में अण्डों का महत्वपूर्ण स्थान है। अण्डों के विषय में चलने वाले पात्रों के संवादों से उनके चरित्र की विशेषताएँ प्रकट होती हैं। 'अण्डे के छिलके' शीर्षक अत्यन्त मनोवैज्ञानिक है। उसमें पाठकों की जिज्ञासा को उत्तेजित करने की शक्ति है। वह अत्यन्त आकर्षक एवं उचित शीर्षक है। प्रश्न 20. श्याम अपने कमरे में दूध ले आता है तथा उसमें अण्डे मिलाकर छिपकर पीता है। माधव की पत्नी राधा चन्द्रकान्ता पढ़ती है और रामायण पढ़ने का बहाना करती है। एकांकी में वीना ही ऐसी पात्र है, जो अण्डे खाने अथवा उपन्यास पढ़ने की बात को छिपाने के पक्ष में नहीं है। इसका कारण भी उसकी पारिवारिक पृष्ठभूमि है। एकांकी के अन्य पात्र इसी पारिवारिक पृष्ठभूमि के कारण इन बातों को छिपाते हैं। अण्डे खाना उन पर आधुनिकता का प्रभाव है तो उसे छिपाना उनके पारिवारिक वातावरण तथा परम्परा के कारण है। वे जिस बात को मानते हैं अथवा जिस काम को करते हैं, उसकी अच्छाई पर एक प्रकार का संशय स्वयं उनके मन में बना रहता है। यही कारण है कि वे उसको सार्वजनिक रूप से स्वीकार नहीं कर पाते। परम्परा और आधुनिकता के इस द्वन्द्व को एकांकीकार ने सफलतापूर्वक प्रकट किया है। परिवार में अण्डे के प्रयोग का निषेध है, परन्तु परिवार के लगभग सभी सदस्य मन-ही-मन इसके उपयोग के पक्षधर हैं। आधुनिक समाज की इस दिखावे वाली संस्कृति तथा सामाजिक विकृति को राकेश जी ने अनोखे ढंग से इस एकांकी में प्रस्तुत किया है। एकांकी में संदेश दिया गया है कि थोथे आदर्शवाद में न पड़कर जीवन के यथार्थ पर आचरण करना चाहिए। करना कुछ और दिखावा कुछ एक विकृति है, इससे बचना ही जीवन के स्वस्थ विकास के लिए जरूरी है। इस बात को समझना ही एकांकीकार का उद्देश्य है। प्रश्न 21. प्रतिपाद्य की दृष्टि से 'अण्डे के छिलके' एकांकी को विचारात्मक माना जा सकता है। एकांकीकार ने अण्डे खाने किन्तु उसे झूठे आदर्शवाद के कारण छिपाने की मानसिक दुर्बलता पर विचार करने का प्रयास किया है। क्या किसी आधुनिक विचार अथवा व्यवस्था को इस कारण नहीं अपनाया जाना चाहिए कि वह पुरानी वर्जनाओं के अनुसार सामाजिक हित में नहीं शैली अथवा शिल्प की दृष्टि से अण्डे के छिलके को व्यंग्य एकांकी की श्रेणी में रखा जा सकता है। इस एकांकी में हास्य-विनोद के पुट के साथ गोपाल, श्याम, राधा इत्यादि पात्रों के आचरण को अनुचित बताया गया है। अण्डे खाने को दूषित और अनुचित आचरण मानने की सामाजिक मान्यता का खण्डन किया गया है। इस सम्बन्ध में पारिवारिक निषेध को विवेकपूर्ण नहीं माना गया है। एकांकी की प्रत्येक घटना और पात्रों के संवाद एकांकी में उठायी गई सामाजिक समस्या को रोचक तथा सांकेतिक ढंग से प्रस्तुत करते हैं। एकांकी में माँजी के तथा माधव के आने पर गोपाल के कमरे के वातावरण को मनोरंजक तरीके से पेश किया गया है। इसमें पात्रों की मानसिक कमजोरी तथा प्रदर्शनपूर्ण आचरण पर तीखा व्यंग्य है। एकांकी की भाषा विषयानुरूप सरल है तथा शैली हास्य-व्यंग्य से पूर्ण है। संवाद छोटे तथा नाटकीय हैं। पात्रों का चरित्रांकन उनकी विशेषताओं को प्रकट करने वाला है। कथावस्तु उद्देश्यपूर्ण है। इस प्रकार हम अण्डे के छिलके' को एक सफल एकांकी मान सकते हैं। प्रश्न 22. विचार और कर्म में एकरूपता-वीना के कार्य उसके विचारों के अनुरूप हैं। वह करनी और कथनी की एकता में विश्वास रखती है। सोचना कुछ और दिखाना कुछ और उसको ठीक नहीं लगता। अण्डों के प्रयोग के सम्बन्ध में वह अपने पति गोपाल तथा देवर श्याम के विचारों से असहमत है। वह श्याम से कहती है-“भई, तुम लोगों की यह बात मेरी समझ में बिल्कुल नहीं आती। अगर खाना ही है तो उसमें छिपाने की क्या बात है? सबके सामने खाओ।" राधा द्वारा 'चन्द्रकान्ता' छिपकर पढ़ने पर वह उससे पूछती है-"इसमें ऐसा तो कुछ भी नहीं है कि इसे तकिए के नीचे छिपाकर रखा जाए तथा दरवाजे बन्द करके पढ़ा जाए।" वह गोपाल का प्रतिवाद करते हुए कहती है-"आपको जब दीदी से सिगरेट का छिपाव नहीं है, तो अण्डे का छिपाव रखने की क्या जरूरत है।" व्यवहार-कशल-वीना
व्यवहार-कशल महिला है। परिवार में छोटे-बड़ों के प्रति उसका व्यवहार मर्यादानकल है। वह बड़ों का सम्मान करती है। श्याम उसका देवर है। उसके प्रति व्यवहार देवर-भाभी के परम्परागत व्यवहार के अनुकूल है। 'चन्द्रकान्ता' पुस्तक को 'जीजी का गुटका रामायण' कहकर वह अपनी विनोदप्रियता का परिचय देती है। इसके साथ ही कुशल गृहिणी के रूप में, पाक कला में प्रवीणता, घर को स्वच्छ और व्यवस्थित रखने में भी वह प्रश्न 23. 'अण्डे के छिलके' में एकांकीकार ने संकलन-त्रय का पूरा ध्यान रखा है। कथावस्तु में एक ही विषय अण्डे के प्रयोग के सम्बन्ध में परम्परा और आधुनिकता के द्वन्द्व को उभारा गया है। एकांकी का घटना स्थल गोपाल का कमरा है, जो आदि से अन्त तक यथावत् रहता है। समस्त घटनाक्रम एक-दो घण्टे के अन्तराल में घटित होता है। यह एकांकी अभिनेय हो, एकांकीकार ने इसका ध्यान रखा है। रंगमंच, पात्रों के वेश-सज्जा तथा अभिनय के सम्बन्ध में स्पष्ट निर्देश एकांकीकार ने दिये हैं। एकांकी की कथावस्तु सुगठित है तथा एक ही विषय पर आधारित है। एकांकी के समस्त व्यापार तथा घटनायें व्यवस्थित रूप से प्रस्तुत की गई हैं। एकांकीकार ने पात्रों की वेशभूषा के साथ ही उनके संवाद तथा भाव-व्यंजना का भी ध्यान रखा है। संवाद रोचक और संक्षिप्त हैं। एकांकी की भाषा पात्रानुकूल है तथा सरल और बोधगम्य है। शैली व्यंग्य-विनोदपूर्ण है, जिसके कारण एकांकी के प्रभाव में वृद्धि हुई है। एकांकी का रचना- हेय दर्शकों को झूठे आदर्शवाद से सावधान करके कथनी और करनी में अभेद रखने का संदेश देना है। एकांकीकार को इसमें पूरी सफलता मिली है। एकांकी के अन्त में घटित नाटकीय घटनायें एकांकी को रोचक बनाने में सहायक सिद्ध हुई हैं। उपर्युक्त बातों के आधार पर हम कह सकते हैं कि अभिनेयता की दृष्टि से अण्डे कि एक सफल एकांकी है। प्रश्न
24. कथानक में विषयवस्तु सम्बन्धित गहरी एकरूपता है। कथानक का आरम्भ श्याम और वीना के वार्तालाप से होता है, जो अण्डों के प्रयोग से सम्बन्धित है। श्याम अण्डा खाता है परन्तु उसे छिपाना चाहता है जबकि वीना कथनी और करनी के भेद को अनुचित मानती है। राधा को कमरा बन्द करके चन्द्रकान्ता पढ़ते दिखाने से कथानक आगे बढ़ता है तथा गोपाल के आने पर और श्याम द्वारा अण्डे बाजार से लेकर आने तथा उन्हें जेबों में छिपाये रखने तक कथानक पर्याप्त विकसित हो चुका होता है। कथानक का चरम बिन्दु माँजी तथा माधव के कमरे में प्रवेश से आता है। माधव द्वारा यह प्रकट करने पर कि वह तथा माँजी सभी छिपी हुई बातों से पहले से ही परिचित हैं, गोपाल, श्याम, वीना तथा राधा अवाक् रह जाते हैं। इस प्रकार एकांकी का अन्त उसके चरम बिन्दु पर ही होता है जो अत्यन्त आकर्षक है। इस तरह एकांकी में कथानक की अवस्थायें आरम्भ, विकास तथा चरम बिन्दु विद्यमान हैं। प्रश्न 25. पात्रानुकूल-संवाद पात्रों की मानसिक तथा कथानक में उनकी स्थिति के अनुकूल हैं। वीना की स्पष्टवादिता से विचलित श्याम का यह संवाद उसकी मन:स्थिति को सूचित करता है-"शिव, शिव, शिव! किसी और चीज का नाम लो भाभी। इस घर में अण्डे का नाम ले रही हो? जाओ जल्दी से जाकर कुल्ला कर लो। मुँह भ्रष्ट हो गया।" कथानक के विकास में सहायक-एकांकी के संवाद कथानक.के विकास में परी तरह सहायक हैं। वे पात्रों के चरित्रांकन में भी सहायक हैं। संवादों से पात्रों की विशेषताएँ स्वतः प्रकट हो जाती हैं। एकांकी के संवादों में नाटकीयता है जो अत्यन्त आवश्यक है। इससे एकांकी के प्रभाव में वृद्धि होती है तथा वह रोचक बनता है। संवाद की भाषा सरल तथा आसानी से समझ में आने वाली है। इसमें व्यंग्य-विनोद का पुट उन्हें और अधिक रोचक बनाता है। प्रश्न 26. लापरवाह-गोपाल लापरवाह है। वह टाइयाँ और कपड़े कुर्सियों के पीछे टाँग देता था। अब वीना के रोकने पर वह उनको ढेर के रूप में खूटी पर लटका देता है। वह अण्डे के छिलके मोजों में भरकर लूंटी पर लटका देता है। यहाँ तक कि उन्हें माधव से छिपाने के लिए वह छिलकों को अपने टोप या कोट की जेब में रखने के लिए भी वीना से कहता है। परम्परा का प्रदर्शन-वह परम्परा का प्रदर्शन करता है। वह परिवार के निषेधों के कारण छिपकर सिगरेट पीता है तथा .अण्डे खाता है। उसकी सोच तथा कार्यों में स्पष्ट भेद है। राधा जब सबके सामने अण्डों के प्रयोग की बात कहती है तो वह उसको रोकता है- "अण्डों का हलुआ? यह तुम्हें क्या सूझी है? मैंने तुम्हें अच्छी तरह समझा दिया था, फिर भी तुम?" स्पष्टवादिता का अभाव-गोपाल अपने मत को साफ-साफ नहीं कह सकता। माँ के आने पर वह हड़बड़ा जाता है। माँ के पूछने पर "सब लोग इस तरह चुपचाप क्यों हो गए हो?" वह घबड़ाकर उत्तर देता है-"कु-कुछ नहीं माँ! तु-तुम अ-आओ, आओ!' तथा 'कु-कुछ नहीं, माँ, यह...वह...वह....वहाँ पर.....क्या नाम है उसका....वह....वह....वीना का हाथ जरा जल गया था। एकांकी में श्याम तथा राधा के घटनाक्रम पर वह अवाक् हो जाता है तथा अपना रहस्य खुलने पर उसके आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहता। प्रश्न 27. स्नेही एवं खुशमिजाज-श्याम का स्वभाव स्नेहपूर्ण है। वह अपने परिवार के लोगों से सच्चा स्नेह रखता है, वह सदा प्रसन्न रहता है। वह भाइयों में सबसे छोटा है। राधा और वीना उसकी भाभी हैं। भाभियों का वह परम्परागत देवर है तथा उनके साथ उसका व्यवहार विनोदपूर्ण छेड़छाड़ का है। वह वीना से कहता है-"अच्छी बात है। तुम हमारा दूध का गिलास अलग रखवा देना और हम यह फ्राइंग पैन यहाँ से उठवा देंगे। वैसे चाहो तो अब भी समझौता हो सकता है....इस समझौते की खुशी में पैसे भी अपनी जेब से खर्च कर देता हूँ। मंजूर ? अच्छा, हा-हा।" प्रश्न 28. भाषा में पालिश, गैलरी, इंटरेस्टिंग, टेस्ट, स्टोव, बैड टी, प्लेट, फ्राइंग पैन इत्यादि अंग्रेजी शब्दों के साथ नक्शा, मौसम, मजा, वक्त, वसूल, इकबाल, तलब, इंतजाम, तिलिस्म, इजाजत इत्यादि अरबी-फारसी के शब्दों का खुलकर प्रयोग हुआ है। बोलचाल की भाषा के शब्द यथा-इस्नान, रीत, करंट, लच्छन भी इस भाषा के प्रभाव में वृद्धि करने वाले हैं। इसमें खैर नहीं, सुनी-अनसुनी करना, जान निकाल देना, इधर की बात उधर करना, परदा होना, होश की दवा करना इत्यादि मुहावरे भी भाषा की शक्ति को बढ़ाने वाले हैं। शैली-एकांकीकार ने 'अण्डे के छिलके' एकांकी में विनोदपूर्ण शैली को अपनाया है। इसमें व्यंग्य के यत्र-तत्र छींटे हैं। इसमें कहीं-कहीं (जैसे अम्माँ इन्हें नाली में पड़े हुए भी नहीं देखेंगी) प्रतीकात्मक शैली का भी प्रयोग हुआ है। वाक्य छोटे हैं तथा भाव-व्यंजन में समर्थ हैं। प्रश्न 29. परिवारों में इनका सेवन निषिद्ध था। माँ तथा अन्य बड़ों का प्रतिवाद करने का साहस छोटों में नहीं होता था। इस एकांकी में भी इसी प्रकार का वातावरण है। गोपाल और श्याम अण्डे खाते हैं, मगर छिपकर खाते हैं। वे माँजी से अपनी बात खुलकर कहने का साहस नहीं रखते। आधुनिक प्रभाव के कारण वे अण्डा-सेवन के पक्ष में हैं परन्तु परम्परा के प्रतिकूल खुलकर खड़े होना उनको ठीक नहीं लगता। एकांकीकार ने इसमें पात्रों के विचार, भाषा, वेशभूषा इत्यादि बातों में देश काल के पालन करने का ध्यान रखा है। प्रश्न 30. वयोवृद्ध - जमुनादेवी वृद्धा हैं। उनके तीन पुत्र हैं, दो का विवाह हो चुका है। आयु अधिक होने के कारण उनको कम दिखाई देता है। उन्हें चलने में परेशानी होती है। गैलरी में अँधेरा होने के कारण गोपाल उनको 'हाथ पकड़कर' उनके कमरे में छोड़ने जाता है। वात्सल्यमयी - जमुना देवी वात्सल्यमयी माँ है।, अपने पुत्रों से उन्हें बहुत प्रेम है। गोपाल के दफ्तर से लौटने के बारे में पूछने के लिए वह अपने कमरे से चलकर गोपाल के कमरे तक आ जाती है। श्याम के चोट लगने की बात जानकर वह स्वयं उसकी चोट पर पुल्टिस बाँधना चाहती है। गृह-नियन्त्रक - घर की बड़ी होने के नाते वह घर पर नियन्त्रण रखती है। वह अपने परिवार को अपनी परम्परा के अनुसार जीवनयापन करने के लिए निर्देशित करती है। परन्तु यह जानकर भी कि उनके पुत्र-पुत्रवधू उनके निर्देशों का आधुनिकता के प्रभाव में पड़कर उल्लंघन कर रहे हैं, वह शांत बनी रहती है। यह समय को पहचानकर उसके अनुसार चलने की उनकी बौद्धिक कुशलता के कारण हो सकता है। पैनी निगाह-जमुना देवी की निगाह पैनी है। उनकी दृष्टि से कुछ नहीं चूकता। गोपाल के कमरे में आने पर सब लोगों सुम खड़े देखकर वह तुरन्त उस बारे में पूछती है। वह जानना चाहती है कि वीना के हाथ में चम्मच क्यों है तथा रेल कोने में क्या कर रहा है। बिजली के स्टोव के ऊपर रखे फ्राइंग पैन तथा उसमें रखी हुई वस्तु के बारे में भी वह पूछती है। वह मेज पर अण्डों के छिलकों पर ढके हुए जंपर के बारे में पूछती है कि क्या यह मेज साफ करने के लिए है। जमनादेवी का चरित्र-चित्रण घर की बड़ी-बढी महिला के अनुरूप ही एकांकीकार ने किया है। प्रश्न 31. इसी क्रम में रामायण व चन्द्रकान्ता की आपसी समानता को सिद्ध करने के लिए वीना कहती है कि दोनों ही पुस्तकों के नायकों ने साहसिक कार्य करके एक आदर्श प्रस्तुत किया है। उदाहरण के लिए, जिस तरह भगवान राम समुद्र लाँघकर सीता का उद्धार करते हैं उसी प्रकार चन्द्रकान्ता में कुँवर वीरेन्द्र सिंह तिलिस्म तोड़कर चन्द्रकान्ता का उद्धार करते हैं। समग्र रूप से दोनों अपने वार्तालाप में इन पुस्तकों की समानता को गिनाने के माध्यम से यह सिद्ध करना चाहती हैं कि रामायण पढ़ने की शिक्षा देना तथा चन्द्रकान्ता पढ़ने का विरोध करना उचित नहीं है। चूंकि दोनों पुस्तकें अपनी आधारभूत विशेषताओं के आधार पर अनेक समानताएँ रखती हैं। अतः चन्द्रकान्ता को हेय दृष्टि से देखना उचित नहीं है। दोनों स्त्रियाँ चन्द्रकान्ता को पढ़ने के औचित्य को सिद्ध कर उसके प्रति उपेक्षा के भाव को मिटाना चाहती हैं। प्रश्न 32. माँ बिजली के चूल्हे को कोसते हुए उसके ऊपर रखी हुई वस्तु को जानने हेतु जब आगे बढ़ती हैं तो गोपाल फ्राइंग पैन बताकर उन्हें रोकता है। माँ पुनः पूछती हैं कि नयी बहू इसमें क्या-क्या बनाकर खिलाती है? वह देखने के लिए जब पुनः आगे बढ़ती है तो गोपाल उन्हें चिकनी-चुपड़ी बातें बनाकर रोक देता है। माँ के यह पूछने पर कि छोटी बहू ने इसमें क्या बनाया है, राधा बहाना बनाती है कि श्याम के टखने में क्रिकेट खेलते समय चोट लगने के कारण उस चोट पर बाँधने के लिए पुलटिस तैयार की गई है। माँ उसके पैर पर स्वयं पुलटिस बाँधने हेतु कपड़ा ढूँढ़ते समय रेशमी जंपर को मेज पर डालने का कारण पूछती है। चूँकि जंपर के नीचे अण्डे के छिलके छिपाकर रखे गये हैं, अतः माँ द्वारा जंपर को उठाने हेतु आगे बढ़ने पर गोपाल उसे मैला कपड़ा कहकर माँ को पुनः रोक देता है। कुल मिलाकर सभी लोग अण्डों की बात को माँजी से छिपाने हेतु अनेक बहाने बनाते हैं। इन बहानों के माध्यम से वे इसे छिपाने में सफल भी हो जाते हैं। प्रश्न 33.
प्रश्न 34. अण्डे के छिलके Summary in Hindiलेरवक-परिचय : जीवन-परिचय-हिन्दी नाटक-परम्परा के विशिष्ट नाटककार मोहन राकेश का जन्म 8 जनवरी, 1925 को अमृतसर में हुआ था। उनके पिता करमचंद अरोरा (गुगलानी) पेशे से वकील एवं अत्यन्त अनुशासनप्रिय संस्कारी व्यक्तित्व के धनी थे। राकेश जब केवल 16 वर्ष की अवस्था के थे तभी उनके पिता का देहान्त हो गया था। मोहन राकेश ने हिन्दी व संस्कृत में एम.ए. किया। इसके बाद उन्होंने पत्रकारिता व अध्यापन सहित कई नौकरियाँ की परन्तु किसी भी नौकरी में स्थाई रूप से नहीं रह पाए। उन्होंने प्रसिद्ध कहानी-पत्रिका 'सारिका' का भी सम्पादन किर नौकरी की तरह ही वैवाहिक क्षेत्र में भी उनकी अस्थिरता देखने को मिलती है। उन्होंने तीन विवाह किए। पहले दो विवाह स्थाई नहीं रहे और शीघ्र ही संबंध-विच्छेद हो गए। 3 दिसम्बर, 1972 को मोहन राकेश का हृदय गति रुक जाने से निधन हो गया। मोहन राकेश 'नयी कहानी' आन्दोलन से जुड़े रचनाकार थे। कहानियों और उपन्यासों के अलावा राकेश ने नाटक भी लिखे जिनसे उनको विशिष्ट ख्याति प्राप्त हुई। मोहन राकेश ने कुल चार नाटक लिखे। उनका पहला नाटक 'आषाढ़ का एक दिन' 1958 में प्रकाशित हुआ, जिस पर 1959 में उन्हें 'संगीत नाटक अकादमी' द्वारा पुरस्कृत किया गया। उनके अन्य नाटक 'लहरों के राजहंस', 'आधे अधूरे' और 'पैर तले की जमीन' हैं। 'पैर तले की जमीन' उनका अन्तिम नाटक है, जिसे वे पूरा नहीं कर सके। उन्हें सन् 1971 में नाट्यलेखन के लिए 'साहित्य अकादमी' द्वारा सम्मानित किया गया। उन्होंने गद्य साहित्य की अनेक विधाओं में रचना करके अपनी बहुमुखी लेखकीय प्रतिभा का परिचय दिया। उनकी प्रमुख कृतियाँ निम्नानुसार हैं - नाटक-'आषाढ़ का एक दिन', 'लहरों के राजहंस', 'आधे अधूरे' और 'पैर तले की जमीन'। एकांकी संग्रह-'अण्डे के छिलके' 'अन्य एकांकी तथा बीज नाटक', 'रात बीतने तक'। कहानी संग्रह-'इन्सान के खण्डहर', 'नए बादल', 'जानवर और जानवर', 'एक और जिन्दगी'। उपन्यास-'अँधेरे बंद कमरे', 'न आने वाला कल'। यात्रावृत्त-'आखिरी चट्टान तक'। बालोपयोगी कथा संग्रह-'बिना हाड़ माँस के आदमी'। मोहन राकेश के लेखन में मध्यवर्ग की विविध समस्याओं, स्त्री-पुरुष के सम्बन्धों के बदलते स्वरूप एवं युगीन यथार्थ का प्रभावी चित्रण देखने को मिलता है। उनकी भाषा-शैली सहजता, चित्रात्मकता से युक्त होने के साथ-साथ भावानुकूल भी है। गद्य की उपर्युक्त सभी विधाओं में उनका लेखन विशिष्टता लिए हुए है। मोहन राकेश द्वारा लिखित एकांकी 'अण्डे के छिलके' उस मध्यमवर्गीय मानसिकता पर केन्द्रित है जिसमें परिवार के सभी सदस्य माँजी से व एक-दूसरे से छिपकर अण्डे खाते हैं जबकि एक-दूसरे के सामने शाकाहारी होने का ढोंग करते हैं। परिवार के सभी सदस्य अपनी-अपनी रुचियों को एक-दूसरे से विशेषकर माँजी से छिपकर पूरा करते हैं। राधा 'चन्द्रकान्ता' जैसी जासूसी पुस्तक छिपकर पढ़ती है क्योंकि वह माँजी के सामने यह प्रदर्शित करती है कि वह केवल रामायण, महाभारत जैसी धार्मिक पुस्तकें ही पढ़ती है। सभी सदस्य अपने-अपने कमरे में छिपकर अण्डे खाने की पूरी व्यवस्था रखते हैं तथा एक-दूसरे से छिपाने के लिए अण्डे के छिलकों व बर्तनों आदि को भी छिपाना चाहते हैं। एकांकी में अत्यन्त मनोविनोदपूर्ण स्थिति कई बार उत्पन्न होती है जब परिवार के सदस्य एक-दूसरे से छिपाने के कारण कई मनगढन्त बहाने बनाते हैं। अण्डे का हलवा बनाते समय माँजी के आ जाने पर सभी सदस्य अत्यन्त जटिल स्थिति में फंस जाते हैं तथा अण्डे के हलवे को माँजी से छिपाने के लिए अनेक प्रकार के बहाने लगाकर स्वयं ही उसमें फँसते हुए नजर आते हैं। अन्त में माधव द्वारा यह रहस्य खोलने पर कि उनके द्वारा छिपकर किए जा रहे सभी कार्यों से वह और यहाँ तक कि माँजी भी परिचित हैं; एकांकी का पटाक्षेप हो जाता है। घर के सभी सदस्य इस बात को जानकर अवाक रह जाते हैं कि जिन माँजी से व माधव से वे सब कुछ छिपाते रहे, वे सब कुछ जानते हैं और जानकर भी अनजान बने हुए हैं। संक्षेप में एकांकी में परिवार के सदस्यों की मानसिक भावना व छिप-छिपकर रुचि पूरी करने की प्रवृत्ति सहज रूप से उजागर होती है। परिवार के सदस्यों की करनी व कथनी का मोड़ एकांकी में मुख्य रूप से उभरकर सामने आया है। पाठका सारांश : अण्डे खाने का रहस्य खुलना-एकांकी के प्रारम्भ में देवर-श्याम व भाभी-वीना के मध्य वार्तालाप शुरू होता है, उस समय, श्याम बरसात में भीगता हुआ घर में प्रवेश करता है। वीना श्याम को अण्डे लाने के लिए कहती है और अपने कमरे में ही स्टोव पर रोजाना छिपकर अण्डे का आमलेट बनाने की बात स्वीकार करती है, वहीं श्याम भी अपने कमरे में रोजाना चोरी-छिपे कच्चे अण्डे खाने का रहस्य खोलता है। इस प्रकार वीना व श्याम का परस्पर एक-दूसरे के सामने अण्डे खाने का रहस्य खुल जाता है। चन्द्रकान्ता किताब का रहस्य खुलना-परिवार में रहस्यों की परत-दर-परत खुलती जाती है। वीना जब अपनी जेठानी राधा के कमरे में जाती है तो उसे छिप-छिपकर 'चन्द्रकान्ता' पुस्तक पढ़ते हुए देख लेती है। इससे यह बात प्रकट हो जाती है कि राधा चोरी-छिपे 'चन्द्रकान्ता संतति' तिलिस्मी उपन्यास पढ़ती है परन्तु प्रदर्शित यह करती है कि वह रामायण-महाभारत जैसी धार्मिक पुस्तकें पढ़ती है, जिनके पढ़ने की सलाह घर के बड़े लोग दिया करते हैं। अण्डे के खुलासे में गोपाल व राधा का शामिल होना-धीरे-धीरे छिप-छिपकर अण्डे खाने के रहस्य में परिवार के अन्य सदस्य भी जुड़ने लगते हैं। श्याम द्वारा बाजार से अण्डे लेकर आने पर गोपाल व राधा के सामने भी एक दूसरे की पोल-पट्टी खुल जाती है और श्याम, वीना, गोपाल व राधा परस्पर एक दूसरे के सामने इस तथ्य को स्वीकार कर लेते हैं कि वे छिप-छिपकर अण्डे खाते हैं। इसी बीच गोपाल द्वारा छिपकर सिगरेट पीने का राज भी खुल जाता है। अण्डे के हलवे का बनना व माँ का प्रवेश- श्याम, गोपाल, वीना व राधा चारों के द्वारा एक-दूसरे के सामने अपनी-अपनी पोल-पट्टी खोल देने के बाद वीना द्वारा अण्डे का हलवा तैयार किया जाता है। इसी बीच माँजी का जमुना के कमरे में अचानक प्रवेश का समय होता है। सभी सदस्य अपने-अपने तरीके से बहाने बनाकर अण्डे के हलवे की बात को माँजी से छिपाना चाहते हैं। माधव द्वारा एकांकी के रहस्य का पटाक्षेप-अन्त में माधव सभी के सामने यह प्रदर्शित कर सबको अवाक् कर देता है कि उनके द्वारा छिप-छिपकर किए जा रहे कार्यों का उसको और यहाँ तक किं माँजी को भी पता है। सभी सदस्य आश्चर्यचकित रह जाते हैं कि जिस माँजी व माधव भाई साहब से वे अपनी बातें छिपाना चाहते थे, वे सब कुछ जानते हैं और फिर भी उन्होंने कभी यह प्रकट नहीं किया कि उन्हें सभी के द्वारा छिपकर किए जा रहे कार्यों के बारे में जानकारी है। एकांकी इसी अप्रत्याशित रहस्योद्घाटन पर जाकर समाप्त होता है। कठिन शब्दार्थ :
शाम को कमरे का एक कोना गोपाल भैया का क्यों नजर आता था?श्याम को कमरे का एक कोना गोपाल भैया का नजर आता था, क्योंकि उस कोने में पतलूनें और कोट एक-दूसरे के ऊपर टँगे थे।
वीना राधा को कौन सी किताब पढ़ते हुए पकड़ लेती है?उत्तर: वीना अपने कमरे में “संज़ एंड लवर्ज” नामक अंग्रेज़ी पुस्तक पढ़ा करती थीं।
अंडे के छिलके पाठ कौन सी विधा में लिखा गया है?उत्तर – अंडे के छिलका हिंदी साहित्य के अनुसार एकांकी विधा के अंतर्गत आता है।
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