दरअसल, इसबगोल जिसे अंग्रेजी में साइलियम हस्क कहते हैं, प्लांटैगो ओवेटो के पौधे से मिलने वाला बीज और भूसी है। इसबगोल बीज के आसपास की भूसी में घुलनशील फाइबर होता है। इसलिए जब आप इस तरह के फाइबर को पानी में मिलाते हैं, तो यह जेल बनाने के लिए पानी को अवशोषित करता है। इसके अलावा, इसबगोल का इस्तेमाल खाने में भी किया जाता है। साथ ही साथ यह वजन घटाने में भी मदद करता है। Show
कब्ज में राहतइसबगोल में हाइग्रोस्कोपिक गुण होते हैं, जो डाइजेस्टिव सिस्टम से ज्यादा पानी सोखने में मदद करते हैं। इसबगोल में मौजूद फाइबर कब्ज ठीक करने का अच्छा उपाय है। दूध के साथ 2 चम्मच इसबगोल मिलाकर पी सकते हैं। दस्त रोकने में मददगारइसबगोल, आंतों को साफ करता है जो संक्रमण के कारण सूक्ष्म जीवों को हटाने में मदद करता है। दस्त के दौरान आप इसबगोल को दही में मिलाकर खा सकते हैं। दही और इसबगोल दोनों ही दस्त को रोकने में प्रभावी हैं। ब्लड शुगर कम करेइसबगोल ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने में मदद करता है, क्योंकि यह ग्लूकोज के टूटने के अवशोषण को रोकता है। इसके अलावा, इसमें मौजूद जिलेटिन आपके ब्लड शुगर को कम करने में मदद करता है। कलेस्ट्रॉल कम करेइसबगोल पित्त ऐसिड को बांधता है और एलडीएल यानी बैड कलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद करता है। यह एचडीएल यानी गुड कलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ाने में भी मददगार है। दिल रखे स्वस्थइसबगोल दिल को स्वस्थ रखने में भी मदद करता है क्योंकि यह शरीर में ट्राइग्लिसराइड के लेवल को कम करता है। यह दिल की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है, लिपिड के स्तर को बढ़ाता है और ब्लड प्रेशर कंट्रोल करता है। वेट लॉस में मददगारइसबगोल वजन घटाने में भी फायदेमंद है। इसको 1 गिलास पानी में या फिर जूस में डालकर पिएं। इसबगोल को पानी और नींबू के रस के साथ मिलाकर भी पी सकते हैं। ओवरइटिंग रोकने में मददगार हैआयुर्वेदाचार्य डॉ ए के मिश्र कहते हैं, इसबगोल ओवरइटिंग रोकने में मददगार है। हालांकि इसको सीमित मात्रा में लेना चाहिए क्योंकि इसके ज्यादा सेवन से गैस, सूजन जैसी समस्याएं हो सकती हैं। आजकल औषधीय खेती का चलन तेजी से बढ़ रहा है। जागरूक किसान अपनी आय बढ़ाने के लिए पारंपरिक खेती से मुंह मोड़ रहे हैं और अधिक मुनाफे वाली खेती करने में ज्यादा रुचि ले रहे हैं। जो किसान अभी तक पिछड़े हुए हैं उनको भी पारंपरिक खेती का मोह छोड़ कर औषधीय खेती करनी चाहिए। यहां बात करते हैं ईसबगोल की खेती की। किसानों की जानकारी के लिए बता दें कि कम समय में तैयार होने वाली ईसबगोल की फसल किसानों को मालामाल कर सकती है। ईसबगोल एक औषधीय प्रजाति का पौधा है। देखने में यह पौधा झाड़ी के समान लगता है। फसल के रूप में इसमें गेहूं जैसी बालियां लगती हैं। ईसबगोल की भूसी में अपने वजन की कई गुना पानी सोख लेने की क्षमता होती है। भारत में ईसबगोल की खेती (Isabgol farming in India)भारत में ईसबगोल की खेती राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, गुजरात और मध्यप्रदेश में अधिक की जाती है। ईसबगोल का इस्तेमाल कई प्रकार की बीमारियों को दूर करने में किया जाता है वहीं इसकी पत्तियां पशुओं के चारे के रूप में काम ली जाती हैं। इस तरह से किसानों को दोहरा लाभ होता है। पशुओं के चारे का प्रबंध भी अलग से नहीं करना पड़ता और ईसबगोल की फसल तैयार होने पर मंडी मेंं इसके अच्छे दाम मिलते हैं। आइए, जानते हैं ईसबगोल की खेती कैसे की जाती है? इसके लिए कैसी जलवायु उपयुक्त रहती है और कौन-कौन सी इसकी उम्दा किस्में है जो अधिक पैदावार दे सकती हैं? ईसबगोल की उन्नत खेती के लिए उम्दा किस्मों का करें चयन / इसबगोल का पौधा ऐसे चुनेंईसबगोल की खेती करने के इच्छुक किसान भाइयों को चाहिए कि वे अपने क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति के आधार पर ईसबगोल की किस्मों का चुनाव करें। इससे उनको प्रति हेक्टेयर उत्पादन वृद्धि का लाभ मिल सकेगा। यहां ईसबगोल की उन्नत किस्मों के बारे में उपयोगी जानकारी दी जा रही है जो इस प्रकार है-:
इसके अलावा ईसबगोल की अन्य कई आधुनिक किस्में हैं इनमें निहारिका, इंदौर ईसबगोल, मंदसौर ईसबगोल आदि हैं। ईसबगोल की खेती कैसे करें (Isabgol Cultivation)ईसबगोल के लिए उपयुक्त जलवायु और मिट्टी कैसी हो ?यहां किसानों की जानकारी के लिए बता दें कि इसकी खेती उष्ण जलवायु में भी आसानी से की जा सकती है। इसके पौधों को विकास करने के लिए भूमि का पीएच मान सामान्य होना चाहिए। यदि जमीन नमी वाली हो तो इसके पौधों का सही तरीके से विकास नहीं होता। इसीलिए ईसबगोल की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है जिसमें जीवाश्म की मात्रा अधिक हो। ईसबगोल की बुआई का सही समयईसबगोल की खेती के लिए किसानों को सही समय का ज्ञान होना चाहिए। बता दें कि ईसबगोल की बुआई अक्टूबर से नवंबर माह के बीच होनी चाहिए। इसके बीजों की बुआई कतारों में की जाती है। इनकी कतार से कतार की दूरी 25 से 30 सेंटीमीटर होना जरूरी है। बीज को करीब 3 ग्राम थाईरम प्रति किलोग्राम के हिसाब से उपचारित कर लें और मिट्टी में मिला लें। इसके बाद ही बुआई की जानी चाहिए। वैज्ञानिक तरीके से खेती करने से बढ़ता है उत्पादनईसबगोल की खेती करने की वैज्ञानिक तकनीक अपनाई जानी चाहिए। जैसे अच्छी पैदावार के लिए उन्नत किस्म के बीजों की आवश्यकता होती है उसी प्रकार से खेत का तैयार करना, कंपोस्ट खाद आदि का प्रयोग करना। वहीं फसल उगने के बाद समय-समय पर उसकी सही देखभाल जरूरी है। यहां कुछ ऐसी महत्वपूर्ण बातें बताई जा रही है जो ईसबगोल की खेती के दौरान किसानों को इसका उत्पादन बढ़ाने में सहायक होती हैं। ये मुख्य बातें इस प्रकार हैं-:
ईसबगोल की खेती (Isabgol ki kheti) : रोग और कीटों से बचाव की जानकारी
एक क्विंटल ईसबगोल की कीमत करीब 12,500 रुपयेआपको बता दें कि ईसबगोल कम लागत में अधिक मुनाफे वाली फसल है। यह करीब 115 दिन में पक कर तैयार हो जाती है। एक हेक्टेयर में यदि बढिया तरीके से प्रबंधन किया जाए तो 10 से 15 क्विंटल तक ईसबगोल की उपज हो जाती है। इसे मंडी में बेचने पर एक क्विंटल के करीब 12,500 रुपये का भाव मिलता है। ईसबगोल के फायदे (Isabgol Benefits) : ईसबगोल की भूसी में हैं कई रोगों को खत्म करने के गुणयही नहीं ईसबगोल में भूसी भी निकलती है। इस भूसी का भाव 25,000 रुपये प्रति क्विंटल तक मिलता है। एक हेक्टेयर में करीब 5 क्विंटल भूसी निकलती है। इसके बाद भी ईसबगोल की खेती में भूसी निकलने के बाद खली, गोली आदि अन्य उत्पाद बचते हैं। ईसबगोल बहुत की उपयोगी औषधीय फसल है। इसका उपयोग पाचन तंत्र को मजबूत करने, मोटापा दूर करने में किया जाता है। ईसबगोल के बीज के ऊपर सफेद रंग का पदार्थ चिपका रहता है जिसे भूसी कहते हैं। भूसी में म्यूसीलेज होता है जिसमें जाईलेज, ऐरिबिनोज एवं ग्लेकटूरोनिक ऐसिड पाया जाता है। इसके बीजों में 17 से 19 प्रतिशत प्रोटीन होता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ईसबगोल की भूसी में ही सबसे ज्यादा औषधीय गुण पाए जाते हैं लेकिन भूसी रहित बीज का उपयोग पशु और मुर्गियों के आहार के रूप में भी किया जाता है। गौरतलब है कि ईसबगोल का विश्व के कुल उत्पादन का 80 प्रतिशत उत्पादन भारत में ही होता है। लागत काटकर 1 हेक्टेयर में कमाएं 1,76,600 रुपयेईसबगोल की खेती से किसानों को बंपर कमाई होती है। यहां एक हेक्टेयर खेती की कुल लागत और इसके बाद शुद्ध कमाई के बारे में पूरा विवरण इस प्रकार है-:
कुल लागत - 10,800 रुपये जानें, क्या है ईसबगोल कृषि कार्यमाला?ईसबगोल की खेती करने वाले किसानों को ईसबगोल कृषि कार्यमाला के बारे में भी जानकारी होनी चाहिए। बता दें कि ईसबगोल कृषि कार्यमाला में कृषि विभाग की वे तमाम जानकारियां शामिल होती है जो ईसबगोल की उन्नत खेती के लिए बहुत जरूरी हैं। इसमें उन्नत किस्मे, मिट्टी परीक्षण, कल्टीवेशन, कीट प्रबंधन, उर्वरकों का सही प्रयोग करना, कृषि सहायकों से जानकारी हासिल करना आदि बाते शामिल हैं। अपने नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र या कृषि विश्वविद्यालय से संपर्क किया जा सकता है। इस तरह से ईसबगोल कृषि कार्य माला की सहायता लेकर किसान ईसबगोल की अधिक पैदावार के तरीके जान सकते हैं। अगर आप अपनी कृषि भूमि, अन्य संपत्ति, पुराने ट्रैक्टर, कृषि उपकरण, दुधारू मवेशी व पशुधन बेचने के इच्छुक हैं और चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा खरीददार आपसे संपर्क करें और आपको अपनी वस्तु का अधिकतम मूल्य मिले तो अपनी बिकाऊ वस्तु की पोस्ट ट्रैक्टर जंक्शन पर नि:शुल्क करें और ट्रैक्टर जंक्शन के खास ऑफर का जमकर फायदा उठाएं। ईसबगोल भूसी कैसे बनती है?इसबगोल प्लांटागो ओवाटा नामक पौधे का बीज होता है। यह पौधा देखने में बिल्कुल गेंहूं के जैसा होता है जिसमें छोटी छोटी पत्तियां और फूल होते हैं। इस पौधे की डालियों में जो बीज लगे होते हैं उनके ऊपर सफ़ेद रंग का पदार्थ चिपका रहता है। इसे ही इसबगोल की भूसी (Psyllium husk) कहते हैं।
ईसबगोल की भूसी खाने से क्या होता है?इसबगोल की भूसी के फायदे | Benefits of Isabgol Husk
- इसबगोल की भूसी ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने में मदद करती है. यह भूसी ग्लूकोज के अवशोषण को रोकती है और इसमें मौजूद जिलेटिन ब्लड शुगर लेवल को कम करते हैं. - वहीं इसकी भूसी खराब कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में भी मददगार है और गुड कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ाती है.
ईसबगोल की भूसी कब खाना चाहिए?इसबगोल को सुबह-सुबह खाना खाने के बाद खा लेना चाहिए। लेकिन अगर आप गर्भवती हैं तो सोच समझ के इसका सेवन करें। एक गिलास गर्म पानी में एक से दो चम्मच ईसबगोल की भूसी मिलाएं और रात में खाना खाने के बाद इसका सेवन करें। एक कटोरी दही में एक से दो चम्मच इसबगोल की भूसी मिलाकर खाने से दस्त से आराम मिलता है।
कब्ज में इसबगोल का प्रयोग कैसे करें?एक गिलास गर्म पानी में एक से दो चम्मच ईसबगोल की भूसी मिलाएं और रात में खाना खाने के बाद इसका सेवन करें। एक कटोरी दही में एक से दो चम्मच इसबगोल की भूसी मिलाएं। मिठास के लिए आप इसमें चीनी भी स्वादानुसार मिला सकते हैं। इसबगोल और दही का मिश्रण दस्त से आराम दिलाने में बहुत कारगर होता है।
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