इस कविता को मूलभाव क्या है स्पष्ट कीजिए? - is kavita ko moolabhaav kya hai spasht keejie?

प्रश्न 3: ‘एक पत्र छाँह भी माँग मत’ इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: हो सकता है कि कठिन दौर में आपकी मदद के लिए कई लोग आगे आएँ। वृक्ष हो भले खड़े, हों घने, हों बड़े से कवि का यही मतलब है। लेकिन कवि का कहना है कि ऐसे में किसी एक पत्ते से भी छाँह नहीं माँगनी चाहिए। इसका मतलब यह हुआ कि कोई मदद छोटी हो या बड़ी, उसकी माँग कभी नहीं करनी चाहिए। बल्कि कोशिश यह होनी चाहिए कि मनुष्य अपने दम पर सभी कठिनाइयों से पार पा ले।

निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए:

प्रश्न 1: तू न थमेगा कभी, तू न मुड़ेगा कभी

उत्तर: जब लगने लगे कि जीवन की राह कठिन से कठिनतम होती जा रही है तो भी इंसान को थकना नहीं चाहिए। उसे मुड़ना नहीं चाहिए का मतलब है कि उसे हार नहीं माननी चाहिए। यदि कोई हार मान जाता है तो वहीं पर उसका सफर समाप्त हो जाता है और वह कभी भी अपनी मंजिल पर नहीं पहुँच पाता है। रुक जाने से या मुड़ जाने से लक्ष्य नहीं मिलता है। इसलिए शपथ लेनी चाहिए कि बिना थके वह चलता ही रहेगा।

प्रश्न 2: चल रहा मनुष्य है, अश्रु, स्वेद, रक्त से लथपथ, लथपथ, लथपथ

उत्तर: मनुष्य अपने आँसू, पसीने और खून से लथपथ आगे बढ़ता रहता है और मंजिल को पा लेता है। आँसू या पसीने या खून से लथपथ होने का मतलब है आप तन मन धन से किसी काम में लग जाते हैं। अपना लक्ष्य पाने के लिए आप अपना सब कुछ अर्पण कर देते हैं।

प्रश्न 3: इस कविता का मूलभाव क्या है? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: जब कठिन दौर आता है तभी मनुष्य की असली परीक्षा होती है। ऐसे में उसे किसी से मदद नहीं माँगनी चाहिए। ऐसे समय में उसे न तो थमना चाहिए, न ही रुकना चाहिए और न ही पीछे मुड़ना चाहिए। इस प्रयास में इंसान को अपना लक्ष्य पाने के लिए अपना सब कुछ अर्पण करना चाहिए यानि पूरा जोर लगाना चाहिए।


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Question 1:

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए

() कवि ने 'अग्नि पथ' किसके प्रतीक स्वरूप प्रयोग किया है?

() 'माँग मत', 'कर शपथ', इन शब्दों का बार-बार प्रयोग कर कवि क्या कहना चाहता है?

() 'एक पत्र-छाँह भी माँग मत' पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।

Answer:

() कवि ने 'अग्नि पथ' का प्रयोग मानव जीवन में आने वाली कठिनाइयों के प्रतीक स्वरूप किया है। यह जीवन संघर्षमय है फिर भी इस पर सबको चलना ही पड़ता है और कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। कवि का मानना है कि यह जीवन कठिनाइयों, चुनौतियों और संकटों से भरा है।

() कवि ने इन शब्दों का बार-बार प्रयोग करके जीवन की कठिनाइयों को सहते हुए आगे बढ़ने की प्रेरणा दी है। कवि का कहना है कि इस मुश्किल भरे रास्ते से घबराकर रास्ता नहीं छोड़ना चाहिए, घबराकर हार नहीं माननी चाहिए। इसी प्रेरणा को देने के लिए कवि ने इस शब्द का बार-बार प्रयोग किया है।

() 'एक पत्र छाह भी माँग मत' − पंक्ति का आशय है कि मनुष्य अपनी प्रकृति के अनुसार माँगने लगता है और अपनी परिस्थितियों से घबराकर दूसरों की सहायता माँगने लगता है। इससे उसका आत्मविश्वास कम होने लगता है। इसलिए अपनी कठिनाइयों का सामना स्वयं ही करना चाहिए। यदि थोड़ा भी आश्रय मिल जाए तो उसकी अवहेलना न करके धन्य मानना चाहिए।

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Question 2:

निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए

() तू न थमेगा कभी

तू न मुड़ेगा कभी

() चल रहा मनुष्य है

अश्रु-स्वेद-रक्त से लथपथ, लथपथ, लथपथ

Answer:

() इस काव्यांश का अर्थ है कि व्यक्ति को इस कठिनाइयों भरे जीवन में अपने आपसे शपथ लेकर निरंतर आगे बढ़ते रहना चाहिए। बिना रूके, बिना पीछे देखे।

() कवि हरिवंश राय बच्चन जी ने मनुष्य को आगे चलते रहने की प्रेरणा दी है क्योंकि संघर्षमय जीवन में कई बार व्यक्ति को आँसू भी बहाने पड़ते हैं, थकने पर पसीने से तर भी हो जाता है। इससे शक्ति भी क्षीण हो जाती है परन्तु मनुष्य को किसी भी स्थिति में घबराकर उपने लक्ष्य से नहीं हटना चाहिए, लक्ष्य की ओर बढ़ते जाना चाहिए।

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Question 3:

इस कविता का मूलभाव क्या है? स्पष्ट कीजिए।

Answer:

इस कविता का मूलभाव है कि जीवन संघर्षों से भरा रहता है। इसमें कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। हर पल, हर पग पर चुनौतियाँ मिलती हैं परन्तु इन्हें स्वीकार करना चाहिए, इनसे घबरा कर पीछे नहीं हटना चाहिए, ना ही मुड़ कर देखना या किसी का सहारा लेना चाहिए। संकटों का सामना स्वयं ही करना चाहिए। बिना थके, बिना रूके, बिना हार माने इस जीवन पथ पर निरंतर आगे बढ़ते रहना चाहिए।

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कविता का मूलभाव क्या है?

कविता में कवि द्वारा प्रयोग किए गए इन शब्दों की पुनरावृत्ति मनुष्य को आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है। कवि के अनुसार मनुष्य को संघर्षमय जीवन में स्वयं के लिए सुखों की अभिलाषा नहीं रखनी चाहिए क्योंकि सुविधाभोगी मनुष्य का संघर्ष शक्ति समाप्त हो जाती है।

इस कविता का मूल संदेश क्या है?

इस कविता का मूलभाव है कि जीवन संघर्षों से भरा रहता है। इसमें कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। हर पल, हर पग पर चुनौतियाँ मिलती हैं परन्तु इन्हें स्वीकार करना चाहिए, इनसे घबरा कर पीछे नहीं हटना चाहिए, ना ही मुड़ कर देखना या किसी का सहारा लेना चाहिए। संकटों का सामना स्वयं ही करना चाहिए।

मूलभाव क्या होता है?

मूल भाव in English जो देवत्व के मूल भाव को पारिभाषित करता है. 2. The primary attributes of what it means to be human. इन्सान होने का जो मतलब है, उसका मूल भाव.

इस काव्यांश का मुख्य भाव क्या है?

प्रश्नः 3. काव्यांश का मुख्य संदेश स्पष्ट कीजिए। उत्तर: काव्यांश का संदेश यह है कि मनुष्य को अपने जीवन की असफलताओं से हारे बिना निरंतर संघर्ष एवं प्रयास करना चाहिए।