इंसान मंगल ग्रह पर क्यों रहना चाहता है? - insaan mangal grah par kyon rahana chaahata hai?

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यूं तो विज्ञान के क्षेत्र में हमने काफी तरक्की कर ली है, लेकिन आज भी कई ऐसी चीजें हैं जो इंसानों के लिए हमेशा से एक चुनौती बनी हुई हैं। ऐसी ही एक चुनौती है मंगल ग्रह पर इंसानों का आज तक न पहुंच पाना। इसके पीछे कई वजहें हैं, जिनके बारे में अंतरिक्ष एजेंसी नासा भी जिक्र कर चुकी है। नासा ने पिछले साल मंगल ग्रह पर इंसान के पहुंचने के रास्ते में आने वाली मुश्किलों की एक सूची बनाई थी।

Life on Mars: अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA से लेकर चीनी स्पेस एजेंसी ने अपने रोवर को मंगल ग्रह पर लैंड करवाया है. लेकिन मंगल ग्रह को ठीक तरह से समझने के लिए इंसानों को वहां पर बसाना होगा.

इंसान मंगल ग्रह पर क्यों रहना चाहता है? - insaan mangal grah par kyon rahana chaahata hai?

मंगल (Planet Mars) पर इंसानों की स्थायी कॉलोनी (Human Colony on Mars) को बसाना एक विकल्प नहीं है, बल्कि ये एक जरूरत है. हालांकि, ऐसा करने में अरबों डॉलर का खर्च आएगा, लेकिन इसके बदले मानवता को काफी लाभ होगा. ऐसे में आइए जाना जाए आखिर इंसानों को मंगल पर बसाना क्यों जरूरी है?

इंसान मंगल ग्रह पर क्यों रहना चाहता है? - insaan mangal grah par kyon rahana chaahata hai?

मानव प्रजाति का अस्तित्व बनाए रखना: धरती पर से डायनासोरों को गायब होने से हमें पता चलता है कि इंसानों के लिए धरती पर लंबे समय तक मौजूद रहना कठिन है. किसी भी एस्टेरॉयड के टकराने से पृथ्वी पर भारी तबाही मच सकती है और मानव प्रजाति का अस्तित्व हमेशा के लिए खत्म हो सकता है. ऐसे में इंसानों को धरती के अलावा एक और ग्रह पर बसाने से उनकी मौजूदगी लाखों नहीं तो कम से कम हजारों सालों के लिए सुनिश्चित हो सकेगी.

इंसान मंगल ग्रह पर क्यों रहना चाहता है? - insaan mangal grah par kyon rahana chaahata hai?

मंगल ग्रह पर जीवन की तलाश: एक बात पूरी तरह से स्पष्ट है कि NASA और अन्य मुल्कों द्वारा भेजे गए रोवर और उपग्रहों के मुकाबले इंसान मंगल की धरती पर जीवन के सबूत को बेहतर ढंग से खोज सकते हैं. ऐसे में अगर मंगल ग्रह पर जीवन मौजूद है तो इंसान वहां जाकर इसे खोज सकता है. ये मानवता को बदलने वाली खोज होगी. इसलिए इंसानों को मंगल ग्रह पर भेजना जरूरी है. हालांकि, अभी तक जीवन के कोई भी ठोस सबूत ग्रह पर देखने को नहीं मिले हैं.

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पृथ्वी पर जीवन की गुणवत्ता को सुधारना: मानवता को गहरे अंतरिक्ष से लेकर गहरे समुद्र तक भेजने पर हम ऐसे आविष्कारों को कर सकते हैं, जो पृथ्वी पर जीवन को सुधार सकता है. मंगल पर बसने के लिए अडवांस्ड टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाएगा, जो आने वाले वक्त में पृथ्वी पर जीवन को सुधारने में इस्तेमाल किया जा सकता है. इसमें कई तरह की दवाइयों से लेकर खेती के तरीके शामिल हो सकते हैं.

इंसान मंगल ग्रह पर क्यों रहना चाहता है? - insaan mangal grah par kyon rahana chaahata hai?

एक प्रजाति के रूप में अंतरिक्ष में फैलना: मंगल ग्रह पर जाने से अगली पीढ़ी अंतरिक्ष में जाने के लिए प्रेरित होगी. इससे हमें अंतरिक्ष में तरह-तरह की खोजों को करने में मदद मिलेगी. अंतरिक्ष का पता लगाने के लिए मानवता की आकांक्षाएं हमें और अधिक अडवांस्ड टेक्नोलॉजी की खोज करने की ओर ले जाती हैं. इससे मानव जाति को किसी न किसी तरह से फायदा पहुंचेगा. साथ ही इंसान एक प्रजाति के रूप में अंतरिक्ष में अलग-अलग मौजूद होगा.

इंसान मंगल ग्रह पर क्यों रहना चाहता है? - insaan mangal grah par kyon rahana chaahata hai?

राजनीतिक और आर्थिक नेतृत्व का प्रदर्शन: अपोलो एस्ट्रोनोट्स बज एल्ड्रिन ने स्पेस, साइंस और प्रतिस्पर्धा को लेकर एक बार अमेरिकी सबकमिटी में बताया था कि मंगल ग्रह पर पहुंचना न केवल साइंस के लिए, बल्कि पॉलिसी के लिए भी जरूरी है. उन्होंने कहा कि इस सदी में अपने नेतृत्व का प्रदर्शन करने लिए मंगल ग्रह पर स्थायी उपस्थिति होना जरूरी है. ऐसे में जो भी मुल्क मंगल ग्रह पर अपनी स्थायी मौजूदगी बरकरार करेगा, उसे आर्थिक और राजनीतिक लाभ दोनों होंगे.

धरती की तुलना में मंगल ग्रह पर बेहद कम गुरुत्वाकर्षण है. माइक्राेग्रैविटी इंसानी शरीर पर निगेटिव असर करती है. इंसानों के हार्ट और हड्डियों पर इसका बहुत बुरा प्रभाव पड़ सकता है.

मंगल ग्रह पर मानव जीवन की परिकल्पना हमें रोमांच से भर देती है. एलॉन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स साल 2026 तक मंगल ग्रह पर इंसानों को भेजना चाहती है. कंपनी इस लाल ग्रह पर इंसानों के लिए बस्तियां बसाने का विचार कर रही है. केवल स्पेसएक्स ही नहीं, बल्कि नासा, इसरो, रोस्कोस्मोस समेत कई सरकारी और निजी स्पेस एजेंसियों ने मंगल पर मानव बस्तियां बसाने के लिए रोमांचक प्रोजेक्ट शुरू किया है.

हर साल 28 दिसंबर को रेड प्लेनेट डे मनाया जाता है, जो अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के मेरिनर-4 के प्रक्षेपण का प्रतीक है. तो ऐसे में, जबकि स्पेस एजेंसियां मंगल पर इंसानी जीवन की परिकल्पना कर रही है, मूल सवाल ये है कि इस लाल ग्रह पर इंसानों का रहना कितना चुनौतीपूर्ण होगा? मंगल ग्रह पर रहना इंसानों के लिए कितना कठिन है और इस राह में कौन-सी बाधाएं हैं?

मंगल पर बसने का मिशन

भारतीय, अमेरिकी या अन्य स्पेस एजेंसियां अपने-अपने मंगल मिशन पर काम कर रही हैं, जिनका उद्देश्य इंसानों को पृथ्वी से मंगल ग्रह पर बिना किसी वापसी मिशन के भेजना है. इस मिशन का उद्देश्य एक आत्मनिर्भर बस्ती स्थापित करना है, जहां इंसान लंबे समय तक यहां रह सकें. वास्तविक जीवन में फिलहाल इंसानों ने कभी मंगल ग्रह पर कदम नहीं रखा है. मंगल की परिस्थितियों के अनुकूल होने की राह में कई चुनौतियां हैं.

ऑक्सीजन नहीं, वातावरण भी प्रतिकूल

मंगल ग्रह पर वायुमंडल का आयतन पृथ्वी के वायुमंडल की तुलना में केवल 1 फीसदी है. मंगल ग्रह पर वायुमंडलीय दबाव भी बेहद कम है. रिपोर्ट के अनुसार, धरती की तुलना में मंगल ग्रह पर काफी कम हवा है. यहां के वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन और आर्गन गैसें पाई जाती हैं. मंगल धरती के आकार का केवल आधा है. यहां ऑक्सीजन बेहद कम है. ऐसे में स्पष्ट रूप से यह ग्रह मानव जीवन के लिए उपयुक्त नहीं है.

गुरुत्वाकर्षण की कमी

धरती पर इंसानों के टिके रहने की एक वजह अनुकूल गुरुत्वाकर्षण भी है. स्पेस में जाते ही गुरुत्वाकर्षण कम होता जाता है. धरती की तुलना में मंगल ग्रह पर बेहद कम गुरुत्वाकर्षण है. इंसानों के हार्ट और हड्डियों पर इसका बहुत बुरा प्रभाव पड़ सकता है. माइक्राेग्रैविटी इंसानी शरीर पर निगेटिव असर करती है. इससे लो ब्लडप्रेशर की स्थिति बनेगी और इंसानों के पैर बेहद कमजोर हो सकते हैं.

मंगल ग्रह पर ज्वालामुखी

सौर मंडल का अबतक का सबसे ऊंचा ज्ञात पर्वत ओलंपस मॉन्स है, जो मंगल ग्रह पर सबसे बड़ा ज्वालामुखी है. यह विशाल पर्वत करीब 16 मील (25 किलोमीटर) लंबा और 373 मील (600 किलोमीटर) व्यास का है. रिपोर्ट के अनुसार, यह अरबों साल पहले बना होगा, लेकिन इसके लावा के प्रमाण इतने हाल के हैं कि कई वैज्ञानिकों का मानना है, यह अभी भी सक्रिय हो सकता है.

यह जानना भी दिलचस्प है

वैज्ञानिकों का अनुमान है कि फोबोस ( मंगल का सबसे बड़ा और रहस्यमय चंद्रमा है) अंततः गुरुत्वाकर्षण बलों द्वारा अलग हो जाएगा. यह एक मलबे के क्षेत्र के निर्माण की ओर ले जाएगा और आखिर में एक स्थिर कक्षा में बस जाएगा. यह मंगल के चारों ओर शनि और यूरेनस की तरह एक चट्टानी वलय बनाएगा. धरती की तरह भूभाग का निर्माण.

दिलचस्प बात है कि मंगल, धरती के व्यास का लगभग आधा है, लेकिन इसकी सतह का क्षेत्रफल पृथ्वी की शुष्क भूमि यानी एक चौथाई भाग के बराबर है. मंगल ग्रह की सतह का गुरुत्वाकर्षण पृथ्वी की तुलना में केवल 37 फीसदी है. यानी आप मंगल पर लगभग तीन गुना अधिक छलांग लगा सकते हैं.

मंगल ग्रह की खास बात क्या है?

) सौरमंडल में सूर्य से चौथा ग्रह है। इसके तल की आभा रक्तिम है, जिस वजह से इसे "लाल ग्रह" के नाम से भी जाना जाता है। सौरमंडल के ग्रह दो तरह के होते हैं - "स्थलीय ग्रह" जिनका तल आभासीय होता है और "गैसीय ग्रह" जो अधिकतर गैस से निर्मित हैं।

मंगल ग्रह पर जीवन हो सकता है क्या?

About Mars Planet: लंबे समय से वैज्ञानिक धरती के अलावा सौरमंडल के दूसरे ग्रहों पर जीवन की संभावना तलाशने के लिए शोध करते आ रहे हैं. सूरज का चक्कर काट रहे सभी 8 ग्रहों में सिर्फ पृथ्वी ही एक ऐसा ग्रह है जहां जीवन है. इसके अलावा मंगल ग्रह पर जीवन की कुछ संभावना है क्योंकि यहां वायुमंडल के साथ-साथ बर्फ की भी मौजूदगी है.

कौन से ग्रह पर इंसान रह सकते हैं?

पृथ्वी एक अकेला ऐसा ग्रह है जहां इंसान रहते हैं

मंगल ग्रह पर इंसान कब से रहना शुरू करेंगे?

हालांकि इंसान मंगल ग्रह पर आखिर कब से रहना शुरू करेंगे, यह अभी तय नहीं है, लेकिन माना जा रहा है कि अगले 30 से 40 साल में इंसान इस ग्रह पर रहना शुरू कर देगा.