क्या भारत दूसरे देशों को पेट्रोल निर्यात करता है? - kya bhaarat doosare deshon ko petrol niryaat karata hai?

भारत में पेट्रोल हांगकांग, जर्मनी और ब्रिटेन जैसे देशों की तुलना में सस्ता है लेकिन अमेरिका, रूस, पाकिस्तान और श्रीलंका की तुलना में महंगा है। बीओबी की एक शोध रिपोर्ट में यह दावा किया गया है।

क्या भारत दूसरे देशों को पेट्रोल निर्यात करता है? - kya bhaarat doosare deshon ko petrol niryaat karata hai?

Tarun Singhन्यू़ज एजेंसी,नई दिल्लीTue, 17 May 2022 05:29 PM

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Petrol Prices Today: भारत में पेट्रोल हांगकांग, जर्मनी और ब्रिटेन जैसे देशों की तुलना में सस्ता है लेकिन चीन, ब्राजील, जापान, अमेरिका, रूस, पाकिस्तान और श्रीलंका की तुलना में महंगा है। बैंक ऑफ बड़ौदा (बीओबी) की एक शोध रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। भारत में ईंधन की बढ़ती कीमतों के बीच इस पर बहस चल रही है कि राज्य या केंद्र में किसे अपने करों में कटौती करनी चाहिए। ईंधन की कीमतों में वृद्धि मुख्य रूप से कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतें बढ़ने के कारण है। इसके अलावा डॉलर के मजबूत होने से भी कच्चे तेल का आयात महंगा हो गया है।

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बीओबी की आर्थिक अनुसंधान रिपोर्ट में विभिन्न देशों में गत नौ मई को पेट्रोल की कीमतों का तुलनात्मक अध्ययन किया गया है। इसके लिए उस देश की प्रति व्यक्ति आय की तुलना में पेट्रोल की कीमतों को आधार बनाया गया। दुनिया के 106 देशों से मिले आंकड़ों के अध्ययन से पता चलता है कि भारत में पेट्रोल की कीमत 1.35 डॉलर प्रति लीटर है और यह इस सूची में 42वें स्थान पर है। इस तरह 50 से भी ज्यादा देशों में पेट्रोल की कीमतें भारत से भी ज्यादा हैं। 

रिपोर्ट कहती है, ''इस आंकड़े को देखकर हमें कुछ राहत मिलती है कि सिर्फ भारत में ही पेट्रोल इतना महंगा नहीं है। इन देशों में पेट्रोल की औसत कीमत 1.22 डॉलर प्रति लीटर है।'' रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में ईंधन की कीमतें ऑस्ट्रेलिया, तुर्की और दक्षिण कोरिया के बराबर हैं। यह कीमत हांगकांग, फिनलैंड, जर्मनी, इटली, नीदरलैंड, यूनान, फ्रांस, पुर्तगाल और नॉर्वे से कम है जहां यह प्रति लीटर दो डॉलर से ऊपर है। प्रति व्यक्ति के संदर्भ में भारत में पेट्रोल की कीमत वियतनाम, केन्या, यूक्रेन, बांग्लादेश, नेपाल, पाकिस्तान, श्रीलंका और वेनेजुएला से अधिक हैं। प्रमुख तेल उत्पादक देशों में पेट्रोल की कीमतें तुलनात्मक रूप से काफी कम हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक, ''भारत में पेट्रोल की कीमत अब हद से ज्यादा अधिक नहीं लगती है। हालांकि, जब इसे प्रति व्यक्ति आय के साथ जोड़कर देखें तो यही नजर आता है कि अधिक कीमत वाले ज्यादातर देशों में प्रति व्यक्ति आय भारत की तुलना में काफी अधिक है।'' ऐसी स्थिति में कम प्रति व्यक्ति आय वाले देशों के लिए पेट्रोल के दाम बढ़ने का आर्थिक कष्ट बहुत अधिक है। इसकी वजह यह है कि मुद्रास्फीति पर इसका प्रत्यक्ष एवं परोक्ष प्रभाव कहीं ज्यादा है जिससे निम्न-आय वाले समूहों पर सबसे ज्यादा मार पड़ती है। रिपोर्ट में फिलिपीन का उदाहरण देते हुए कहा गया है कि वहां पर पेट्रोल की कीमत भारत के लगभग समान है लेकिन उसकी प्रति व्यक्ति आय भारत की तुलना में 50 प्रतिशत ज्यादा है। वहीं केन्या, बांग्लादेश, नेपाल, पाकिस्तान एवं वेनेजुएला जैसे कम प्रति व्यक्ति आय वाले देशों में पेट्रोल की कीमतें बहुत कम हैं।  

बीओबी की शोध रिपोर्ट कहती है कि ऐसी स्थिति में लोगों के हितों की रक्षा के लिए सरकार को ईंधन पर करों में कटौती पर जरूर सोचना चाहिए। भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता और आयातक देश है। यह अपनी तेल जरूरतों का 85 प्रतिशत आयात करता है और इसलिए आयात समता दरों पर खुदरा ईंधन की कीमतें रखता है। दिल्ली में पेट्रोल की मौजूदा कीमत 105.41 रुपये (1.35 डॉलर) प्रति लीटर है। इसकी तुलना में पड़ोसी देशों में पेट्रोल कहीं सस्ता है। बांग्लादेश में पेट्रोल की कीमत 1.05 डॉलर प्रति लीटर, पाकिस्तान में 77 सेंट प्रति लीटर और श्रीलंका में 67 सेंट प्रति लीटर है। 

पश्चिमी देशों के लगाए कड़े प्रतिबंधों के बाद रूस को अपने तेल निर्यात के लिए नए बाज़ारों की तलाश है और भारत अपने आयात को बढ़ाने के लिए रियायती दरों पर मिल रहे तेल का फ़ायदा उठा रहा है.

अमेरिका ने कहा कि ये तेल आयात प्रतिबंधों का उल्लंघन नहीं करता लेकिन "रूस का समर्थन करने का मतलब है हमले का साथ देना, जिसके बेशक भयावह परिणाम होंगे."

भारत को कहां से मिलता है तेल?

तेल खपत में अमेरिका और चीन के बाद भारत दुनिया का सबसे बड़ा देश है. भारत अपनी ज़रूरत का 80 फ़ीसदी तेल आयात करता है.

साल 2021 में, भारत ने रूस से 1 करोड़ 20 लाख बैरल तेल आयात किया था, जो कि उसके कुल आयात का महज़ 2 फ़ीसदी था.

बीते साल भारत ने सबसे ज़्यादा तेल मध्य पूर्व से लिया. अमेरिका और नाइजीरिया भी भारत को तेल निर्यात करने वाले शीर्ष देशों में शामिल थे.

जनवरी और फ़रवरी महीने में भारत ने रूस से बिलकुल भी तेल आयात नहीं किया.

लेकिन कमॉडिटीज़ रिसर्च ग्रुप केपलर के आंकड़ों के मुताबिक़, मार्च और अप्रैल माह के कॉन्ट्रैक्ट अभी से ही 60 लाख बैरल तक पहुंच गए हैं.

भारत सरकार का कहना है कि अगर वो रूस से और तेल ख़रीद ले तो भी ये उसके दुनियाभर से किए गए आयातित तेल में एक बूंद के समान होगा.

भारत को क्या डील मिल रही है?

यूक्रेन पर हमले के बाद रूस के यूरल क्रूड ऑयल के अब गिने-चुने ख़रीदार रह गए हैं और इसकी कीमत भी घट गई है.

केपलर के साथ काम करने वाले एक विश्लेषक मैट स्मिथ कहते हैं, "हम ये नहीं जानते कि भारत वास्तव में कितनी कीमत चुका रहा है लेकिन, ब्रेंट क्रूड की तुलना में बीते सप्ताह यूरल करीब 30 डॉलर प्रति बैरल सस्ता मिल रहा था."

आमतौर पर ये दोनों क्रूड ऑयल एक जैसी कीमतों पर बिकते हैं.

लेकिन यूरल की कीमत में लगातार गिरावट की वजह से मार्च में एक समय ऐसा आया जब दोनों तेलों के दाम का फ़ासला अब तक के रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच गया.

उन्होंने कहा, "इसलिए भारत और चीन संभवतः बड़ी छूट पर ये तेल रूस से खरीदेंगे."

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भारत अपनी ज़रूरत का 80 फ़ीसदी तेल आयात करता है

आर्थिक प्रतिबंधों का क्या असर हो रहा है?

रूस के बैंकों पर प्रतिबंध की वजह से भारत की बड़ी रिफ़ाइनिंग कंपनियां इस रियायती दर को भुनाने में चुनौतियों का सामना कर रही हैं.

कारोबार में ये समस्या दोनों पक्षों (रूस और भारत) को हो रही है.

वित्तीय विश्लेषक ब्लूमबर्ग के अनुमान के अनुसार रूस को निर्यात करने वाली भारतीय इकाइयों का फिलहाल 50 करोड़ डॉलर का भुगतान अटका हुआ है.

इस समस्या के समाधान के लिए भारत एक विकल्प पर विचार कर रहा है. इसके तहत स्थानीय मुद्रा में लेन-देन की व्यवस्था होगी, यानी भारतीय निर्यातकों को डॉलर या यूरो की बजाय रूस से रूबल में भुगतान मिलेगा.

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यूक्रेन में रूस के कमज़ोर पड़ने की वजह

तेल ख़रीदने के लिए भारत के पास और कौन से विकल्प?

फ़ाइनेंशियल मार्केट डेटा उपलब्ध करवाने वाली कंपनी रेफ़िनिटिव के विशेषज्ञों के अनुसार फ़रवरी महीने से भारत का अमेरिका से तेल आयात तेज़ी से बढ़ा है.

हालांकि, बाज़ार के विशेषज्ञ कहते हैं कि आने वाले समय में यही स्थिति नहीं रहेगी क्योंकि यूक्रेन पर हमले के बाद रूस से आयात रोकने की वजह से अमेरिका को अब अपने तेल की ज़्यादा ज़रूरत होगी.

ऐसे भी सुझाव दिए जा रहे हैं कि ईरान के साथ वस्तु विनिमय प्रणाली (बार्टर मकैनिज़म) के तहत व्यापार शुरू किया जा सकता है. भारतीय तेल रिफ़ाइनरी कंपनिया व्यवस्था का इस्तेमाल ईरान से तेल खरीदने के लिए कर सकती हैं. ये व्यवस्था तीन साल पहले रोक दी गई थी, जब अमेरिका ने ईरान पर दोबारा प्रतिबंध लगा दिए थे.

लेकिन इस व्यवस्था के बहाल होने की संभावना तब तक नहीं है जब तक ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय उससे बातचीत के बाद किसी बड़े समझौते तक नहीं पहुंचता.

भारत कितने देशों को पेट्रोल निर्यात करता है?

भारत केवल पड़ोसी देशों को ही नहीं, बल्कि दुनिया के 106 देशों को तेल निर्यात करता है। यहां तक कि जिन मध्य-पूर्व के देशों को तेल का खजाना माना जाता है, उनके यहां भी भारत तेल निर्यात करता है... देश में पेट्रोल की कीमतें 100 रुपये प्रति लीटर के पार पहुंच चुकी हैं।

भारत पेट्रोल कहाँ से खरीदा है?

साल 2018-19 में भारत ने सबसे अधिक कच्चा तेल चीन से खरीदा है। भारत में पेट्रोल कहाँ से आता है ? अलग-अलग देशों से भारत में कच्चा तेल मंगवाया जाता है जैसे -ईराक, चीन, अमेरिका नाइजीरिया और साउदी अरब। उसके बाद कच्चे तेल से रिफाइनरी प्रोसेस के बाद पेट्रोल तैयार किया जाता है।

भारत को कौन सा देश पेट्रोल सप्लाई करता है?

भारत रिफाइन किए गए पेट्रोलियम उत्पाद अमेरिका, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया के साथ तेल उत्पादक देशों जैसे इराक और यूएई को भी निर्यात करता है. निर्यात किए जाने वाले रिफाइन्ड पेट्रोलियम उत्पादों की कीमत ग्लोबल सप्लाई और डिमांड के आधार तय होता है.

कौन सा देश पेट्रोल का आयात करता है?

भारत कच्चे तेल का दूसरा सबसे बड़ा खरीदार है। भारत मुख्य रूप से इराक, ईरान, सऊदी अरब और नाइजीरिया से अपना तेल आयात करता है। देश तेल खरीदने के लिए लगभग $120 बिलियन खर्च करता है।