मानव विकास सूचकांक की गणना कैसे की जाती है? - maanav vikaas soochakaank kee ganana kaise kee jaatee hai?

इसे सुनेंरोकेंयह स्कोर 1 के जितना निकट होगा, मानव विकास का स्तर उतना ही अधिक होगा। मानव विकास प्रतिवेदन 2005 के अनुसार 57 देशों का स्कोर 0.8 से ऊपर है जो उच्च वर्ग में आते हैं। 88 देशों का स्कोर 0.5 से 0.799 के बीच मध्यम वर्ग में तथा 32 देशों को स्कोर 0.5 से नीचे है जो निम्न संवर्ग में रखे गये हैं।

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मानव विकास सूचकांक की गणना कैसे की जाती है?

इसे सुनेंरोकें(Human Development Index) : पहला मानव विकास सूचकांक वर्ष 1990 में जारी किया गया। इसको प्रतिवर्ष संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम द्वारा जारी किया जाता है। सूचकांक की गणना 3 प्रमुख संकेतकों- जीवन प्रत्याशा, स्कूली शिक्षा के अपेक्षित वर्ष, शिक्षा के औसत वर्ष और प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय के अंतर्गत की जाती है।

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मानव विकास सूचकांक के घटक कौन कौन से हैं?

इसे सुनेंरोकेंमानव विकास रिपोर्ट तीन संकेतकों-स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर-को मिलाकर विकास को मापती है। इन तीनों संकेतकों को समग्र रूप से मानव विकास सूचकांक यानी एच.डी. आई. में बदल दिया जाता है।

भारत में मानव विकास सूचकांक के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए और क्या प्रयास किए जाने चाहिए?

इसे सुनेंरोकेंसमाधान: मानव विकास का विस्तार- महिलाओं और लड़कियों की शिक्षा में वृद्धि, महिलाओं का आर्थिक सशक्तीकरण, घर परिवार में युवा लड़कियों को अधिक सशक्त बनाना, गरीबी में कमी करना आदि।

मानव विकास सूचकांक के आधार पर विश्व के देशों को कितने भागों में बांटा गया है?

यह मानव विकास सूचकांक के अनुसार सभी देशों की एक सूची है जो संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के मानव विकास रिपोर्ट में शामिल है।…पूरे देशों की सूची

श्रेणी2018 के आंकडे (2019 का रिपोर्ट)​17देश और प्रदेशबेल्जियममानव विकास सूचकांक2018 के आंकडे (2019 का रिपोर्ट)​0.919औसत वार्षिक एचडीआई वृद्धि (2010-2018)​0.22%

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मानव विकास सूचकांक के कितने सूचक हैं?

इसे सुनेंरोकेंएचडीआइ के तीन आयाम ये सूचक हैं- ‘जन्म के समय जीवन प्रत्याशा’, संभावित स्कूली शिक्षा या मीन ईयर्स ऑफ स्कूलिंग और पीपीपी आधार पर प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय।

इसे सुनेंरोकेंमानव विकास सूचकांक की गणना करने के लिए इस तीन मापदंडों का प्रयोग किया जाता है: (I) जीवन प्रत्याशा (ii) शिक्षा, और (iii) रहने का जीवन स्तर (Standard of Living)। इस सूचकांक की गणना 10 संकेतकों द्वारा की जाती है।

मानव विकास सूचकांक के प्रमुख मापदंड क्या है?

इसे सुनेंरोकेंमानव विकास सूचकांक (एचडीआई) [जीवन प्रत्याशा], [शिक्षा], और [प्रति व्यक्ति आय] संकेतकों का एक समग्र आंकड़ा है, जो मानव विकास के चार स्तरों पर देशों को श्रेणीगत करने में उपयोग किया जाता है। जिस देश की जीवन प्रत्याशा, शिक्षा स्तर एवं जीडीपी प्रति व्यक्ति अधिक होती है, उसे उच्च श्रेणी प्राप्त होती हैं।

सूचकांक क्या कहलाता है?

इसे सुनेंरोकेंअर्थ एवम् परिभाषा- सूचकांक एक विशेष प्रकार के माध्य होते हैं, जिनके द्वारा संख्याओं की किसी समूह की सामान्य प्रवृत्ति को मापा जाता है। ब्लेयर (Blair) के अनुसार ” निर्देशांक एक विशिष्ट प्रकार के माध्य होते हैं। “

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भारत में मानव विकास का आधारभूत सूचक क्या है?

इसे सुनेंरोकेंआर्थिक विकास को मापने के उद्देश्य से इस सूचकांक का प्रतिपादन 1990 में UNDP (United Nation Development Program) से जुड़े पाकिस्तानी मूल के अर्थशास्त्री महबूब-उल-हक व उनके सहयोगी नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने किया था। जिनके 3 आधारभूत आयाम शिक्षा, स्वास्थ्य व जीवन स्तर हैं।

मानव विकास के तीन आधारभूत पक्ष क्या है?

इसे सुनेंरोकेंमानव विकास के उद्देश्य – मानव विकास का मूल उद्देश्य ऐसी परिस्थितियों को उत्पन्न करना है जिनमें लोग सार्थक जीवन व्यतीत कर सकें। मानव विकास के तीन महत्त्वपूर्ण पक्ष हैं:- (1) दीर्घ एवं स्वस्थ जीवन, (2) शिक्षा का प्रसार, (3) संसाधनों तक पहुँच । उपरोक्त तीनों पक्ष मानव विकास के केंद्र बिंदु हैं।

मानव विकास सूचकांक का मान कितना होता है?

इसे सुनेंरोकेंपहला मानव विकास सूचकांक साल 1990 में जारी किया गया था. तब से हर साल संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) द्वारा इसे प्रकाशित करता है. भारत की एचडीआई वैल्यू (0.640) दक्षिण एशिया के औसत 0.638 से थोड़ी अधिक है. भारत के पड़ोसी देशों बांग्लादेश और पाकिस्तान की HDI वैल्यू 0.608 और 0.562 है.

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मानव विकास सूचकांक का आधार क्या है?

इसे सुनेंरोकेंसंयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) ने अपनी सालाना मानव विकास सूचकांक (Human Development Index) रिपोर्ट जारी की है. पिछले साल की तरह इस बार भी इस सूची में नॉर्वे सबसे ऊपर रहा और उसके बाद आयरलैंड, स्विट्जरलैंड, हांगकांग और आइसलैंड को जगह मिली.

मानव विकास को मानव विकास सूचकांक (Human Development Index, HDI) के रूप में मापा जाता है. इसे मानव विकास की आधारभूत उपलब्धियों पर निर्धारित एक साधारण समिश्र सूचक (composite indicator) के रूप में मापा जाता है और विभिन्न देशों द्वारा स्वास्थ्य, शिक्षा तथा संसाधनों तक पहुँच  के क्षेत्र में की गई उन्नति के आधार पर उन्हें श्रेणी (rank) प्रदान करता है. यह श्रेणी 0 से 1 के बीच के स्कोर पर आधारित होता है, जो एक देश, मानव विकास के महत्त्वपूर्ण सूचकों में अपने रिकॉर्ड से प्राप्त करता है. मानव विकास सूचकांक UNDP (United Nation Development Programme) द्वारा नापा जाता है.  UNDP का headquarter न्यूयॉर्क में है. इसकी स्थापना 1965 को हुई थी. चलिए जानते हैं मानव विकास सूचकांक क्या होता है और इसको मापने के लिए किन पैमानों (measures) का प्रयोग किया जाता है?

स्वास्थ्य

स्वास्थ्य के सूचक को निश्चित करने के लिए जन्म के समय जीवन-प्रत्याशा को चुना गया है. इसका अर्थ यह है कि लोगों को लम्बा एवं स्वास्थ्य जीवन व्यतीत करने का अवसर मिलता है. जितनी उच्च जीवन-प्रत्याशा होगी, उतनी ही अधिक विकास का सूचकांक (HDI) होगा.

शिक्षा

यहाँ पर शिक्षा का अभिप्राय प्रौढ़ साक्षरता दर तथा सकल नामांकन अनुपात से है. इसका अर्थ यह है कि पढ़ और लिख सकने वाले वयस्कों की संख्या तथा विद्यालयों में नामांकित बच्चों की संख्या अधिक होने से सूचकांक (index) में वृद्धि होती है.

संसाधनों तक पहुँच

संसाधनों तक पहुँच को करी शक्ति (अमेरिकी डॉलर में) के सन्दर्भ में मापा जाता है.

सूचकांक निर्मित करने के लिए प्रत्येक सूचक के लिए सर्वप्रथम न्यूनतम तथा अधिकतम मान निश्चित कर लेते हैं:

जन्म के समय जीवन प्रत्याशा: 25 वर्ष और 85 वर्ष

सामान्य साक्षरता दर: 0 प्रतिशत और 100 प्रतिशत

प्रतिव्यक्ति वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (PPP)

$100 अमेरिकी डॉलर और $40, 000 अमेरिकी डॉलर. इनमें से प्रत्येक आयाम को 1/3 भारिता (weights) दी जाती है. मानव विकास सूचकांक (Human Development Index) इन सभी आयामों को दिए गए weights का कुल योग होता है. स्कोर, 1 के जितना निकट होता है, मानव विकास का स्तर उतना ही अधिक होता है. इस प्रकार 0.983 का स्कोर अति उच्च स्तर का, जबकि 0.268 मानव विकास का अत्यंत निम्न स्तर माना जायेगा.

2015 में भारत ने 130वाँ स्थान लाया और भारत का स्कोर था – –  0.609. Norway ने 1st rank, Australia ने 2nd रैंक और Switzerland 3rd स्थान प्राप्त किया.

प्राप्तियाँ और कमियाँ (Attainment and Shortfalls)

मानव विकास सूचकांक (HDI) मानव विकास में प्राप्तियों एवं कमियों को मापता है.

प्राप्तियाँ (ATTAINMENTS):

प्राप्तियाँ मानव विकास के प्रमुख क्षत्रों में की नई उन्नति की सूचक हैं. ये सर्वाधिक विश्वनीय माप नहीं है, क्योंकि ये वितरण (distribution) के सम्बन्ध में कोई सूचना नहीं देती.

कमियाँ (SHORTFALLS):

मानव गरीबी सूचकांक, मानव विकास सूचकांक (Human Development Index) से सम्बंधित है और मानव विकास में कमियों को मापता है. इनमें कई पक्षों को सम्मिलित किया जाता है, जैसे – 40 वर्ष कम आयु तक जीवित न रह पाने की संभाव्यता (feasibility), प्रौढ़ निरक्षरता दर (adult illiteracy rate), स्वच्छ जल तक पहुँच न रखने वाले लोगों की संख्या और अल्प्भार वाले छोटे बच्चों की संख्या (number of underweight children) आदि. मानव विकास सूचकांक इन पैमानों (measures) द्वारा संयुक्त अवलोकन कर के किसी देश में मानव विकास की स्थिति का यथार्थ चित्र प्रस्तुत करता है|

मानव विकास सूचकांक की गणना क्या है?

मानव विकास सूचकांक के 3 मानक हैं- शिक्षा, स्वास्थ्य और आय तथा मानव विकाससूचकांक की गणना 4 संकेतकों- जन्म के समय जीवन प्रत्याशा, स्कूली शिक्षा के औसत वर्ष, स्कूली शिक्षा के अपेक्षित वर्ष और प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय द्वारा की जाती है। इसकी गणना 0 और 1 के बीच की जाती है।

मानव विकास सूचकांक का मापन कैसे किया जाता है?

1 Answer. मानव विकास सूचकांक (Human Development Index) का निर्धारण कुछ चुने हुए विकास मापदण्डों के आधार पर देशों का क्रम तैयार करके किया जाता है। यह क्रम 0 से 1 के मध्य स्कोर पर आधारित होता है। विकास मापदण्ड में स्वास्थ्य, जन्म के समय जीवन प्रत्याशा, साक्षरता दर, क्रयशक्ति क्षमता आदि को सम्मिलित किया जाता है।

मानव विकास सूचकांक की गणना के लिए निम्नलिखित में से कौन सा संकेतक आवश्यक है?

मानव विकास सूचकांक के संकेतक एचडीआई के प्रमुख संकेतक: स्वास्थ्य (जन्म के समय जीवन प्रत्याशा)। शिक्षा (स्कूली शिक्षा के वर्ष)। जीवन स्तर (सकल राष्ट्रीय आय प्रति व्यक्ति)।

मानव विकास सूचकांक क्या है Hindi?

मानव विकास सूचकांक एक सांख्यिकीय तरीका है, जिसका उपयोग किसी देश में रहने वाले लोगों के सामाजिक और आर्थिक विकास को मापने में किया जाता है. यह एक देश की शिक्षा, स्वास्थ्य, आय और जीवन स्तर की स्थिति को बताता है. 30 सालों में ऐसा पहली बार हुआ है, जब भारत ने लगातार दो वर्षों में मानव विकास सूचकांक में गिरावट दर्ज कराई है.