पेट्रोलियम उत्पादन में भारत का प्रथम राज्य कौन है? - petroliyam utpaadan mein bhaarat ka pratham raajy kaun hai?

Free

History of Indian Constitution

15 Questions 15 Marks 9 Mins

Latest MP Police Constable Updates

Last updated on Nov 15, 2022

MP Police Constable Final Result announced. The Madhya Pradesh Police had announced a total of 4000 vacancies for the post of Constable. The selection process for MP Police Constable includes Written Test, Physical Efficiency Test ,Physical Measurement Test, and Trade/Driving Test (for the post of Driver only). The salary of the finally appointed candidates will be in the range of INR 19,500 - INR 62,600.

निम्नलिखित में से कौन-सा राज्य भारत में पेट्रोलियम (कच्चा) का अग्रणी उत्पादक है?

  1. असम
  2. गुजरात
  3. महाराष्ट्र
  4. आंध्र प्रदेश

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : गुजरात

Free

Bihar Police SI Prelims 2020: Full Mock Test

100 Questions 200 Marks 120 Mins

सही उत्तर गुजरात है।

  • भारत में तेल और गैस उत्पादन परिदृश्य (2015-16)-
    • देश में कच्चे तेल के उत्पादन में राजस्थान की हिस्सेदारी लगभग 23.29% है।
    • इसके बाद गुजरात (12.5%) और असम (12.1%) है।

पेट्रोलियम उत्पादन में भारत का प्रथम राज्य कौन है? - petroliyam utpaadan mein bhaarat ka pratham raajy kaun hai?

  • असम 8.3 MMSMCD के उत्पादन के साथ सर्वोच्च प्राकृतिक गैस उत्पादक राज्य है।

पेट्रोलियम उत्पादन में भारत का प्रथम राज्य कौन है? - petroliyam utpaadan mein bhaarat ka pratham raajy kaun hai?
Additional Information

  • शीर्ष पांच तेल उत्पादक देश इस प्रकार हैं-

देश

राजधानी राष्ट्रपति मुद्रा
यूएस अमेरिका  वाशिंगटन, डीसी जो बाइडेन यूएस डॉलर
सऊदी अरब  रियाद सऊदी अरब का सलमान  साऊदी रियाल
रूस  मास्को  व्लादिमीर पुतिन रूबल
कनाडा  ओटावा  जस्टिन ट्रूडो (पीएम) कैनेडियन डॉलर
चीन बीजिंग  शी जिनपिंग   रेनमिनबी

Latest Bihar Police SI Updates

Last updated on Sep 22, 2022

Bihar Police Subordinate Service Commission (BPSSC) has activated the link to download the mark sheet of Bihar Police Sub Inspector on 21st August 2022. The candidates, who appeared for Bihar Police SI exam, must check their results before 4th September 2022.The new notification for 2022-23 cycle is expected to be released soon.

भारत में पेट्रोलियम उत्पादक क्षेत्र क्या है , भारत में पेट्रोल भंडार वितरण कहां निकलता है petroleum in india found where in hindi

indian world June 2, 2021

सब्सक्राइब करे youtube चैनल

petroleum in india found where in hindi भारत में पेट्रोलियम उत्पादक क्षेत्र क्या है , भारत में पेट्रोल भंडार वितरण कहां निकलता है ?

पेट्रोलियम (Petroleum)
भारत में खनिज तेल की खोज
भारत में तेल की प्राप्ति सबसे पहले ऊपरी असम के माकूम क्षेत्र से सन् 1867 में हुई जब यहाँ पर 36 मीटर गहरा कुआँ खोदा गया। खनिज तेल प्रायः अवसादी चट्टानों में पाया जाता है। भारत में खनिज तेल युक्त अवसादी चट्टानों का विस्तार 17.2 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल पर है। इसमें से 3.20 लाख वर्ग किमी. महाद्वीपीय मग्नतट है जो सागर-तल से 200 मीटर की गहराई तक है। शेष उत्तरी तथा तटीय मैदानी भाग में विस्तृत है। तेलधारी पर्तों वाले 13 महत्वपूर्ण बेसिन हैं, जिन्हें तीन वर्गों में रखा गया है। कैम्बे बेसिन, ऊपरी असम तथा मुंबई अपतट बेसिन में वाणिज्य उत्पादन प्राप्त किया जा रहा है। राजस्थान, कावेरी-कृष्णा- गोदावरी बेसिन, अंडमान, बंगाल हिमालय पाद पहाड़ियों, गंगा घाटी तथा त्रिपुरा-नागालैण्ड वलय मेखला के बारे में यह ज्ञात है कि यहाँ पर तेलधारी परत पाई जाती हैं। परन्तु अभी तक यहाँ पर वाणिज्यिक पैमाने पर उत्पादन आरम्भ नहीं हुआ। कच्छ-सौराष्ट्र, केरल-कोंकण तथा महानदी में ऐसी भू-वैज्ञानिक संरचनाएँ पाई जाती हैं जहाँ से तेल प्राप्त किया जा सकता है। अतः ये हमारे तेल उत्पादन के भावी प्रदेश हैं।
तेल का उत्पादन
यद्यपि भारत में पहला तेल का कुआँ सन् 1867 में असम के माकूम क्षेत्र में खोदा गया, परन्तु काफी समय तक तेल के उत्पादन में वृद्धि नहीं हो सकी। हमारे तेल उत्पादन की स्थिति संतोषजनक नहीं है क्योंकि तेल की खपत इसके उत्पादन से सदा ही अधिक रही है। सन् 1950-51 में तेल का उत्पादन केवल तीन लाख टन था जबकि खपत 34 लाख टन थी। तालिका 2.22 से पता चलता है कि स्वतन्त्रता-प्राप्ति के पश्चात् हमारे देश में तेल के उत्पादन में बहुत वृद्धि हुई परन्तु खपत ससे कहीं अधिक बढ़ी। देश में तेल के उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि 1974 के बाद हुई जब मुंबई हाई से तेल का उत्पादन शुरू हुआ। सन् 1980-81 तक तटीय उत्पादन, अपटीय उत्पादन से अधिक था परन्तु इस समय तटीय उत्पादन से अपटीय उत्पादन लगभग दो गुना हो गया है। सन् 2008-09 में देश में तेल का कुल उत्पादन 33.5 मिलियन टन था।
भारत में तेल का वितरण
भारत में तेल निम्नलिखित तीन क्षेत्रों में पाया जाता हैः
1. असम के तेल क्षेत्रय
2. गुजरात के तेल क्षेत्रय
3. अरब सागर के अपतटीय (off – Shore) तेल क्षेत्र।
1. असम के तेल क्षेत्र
असम भारत का सबसे पुराना तेल उत्पादक क्षेत्र है। भारत में सबसे पहले तेल असम के माकूम क्षेत्र से ही प्राप्त हुआ था। 2004-05 में असम से लगभग 47 लाख टन तेल प्राप्त किया गया जो भारत के कुल उत्पादन का लगभग 13.9% था। असम के तेल उत्पादक क्षेत्र इस राज्य के उत्तर-पूर्वी किनारों से ब्रह्मपुत्र तथा सुरमा घाटियों के पूर्वी किनारों तक लगभग 320 किमी. लम्बी पेटी में मिलते हैं। यहाँ का तेल डिगबोई, नूनमती बरौनी तथा बोंगाइगाँव की तेल-शोधनशालाओं में साफ किया जाता है। असम के तेल को बरौनी तक ले जाने के लिए 1,167 किमी. लम्बी पाइप लाइन का निर्माण किया गया है। असम के मुख्य तेल उत्पादक क्षेत्र निम्नलिखित हैंः
(प) डिगबोई क्षेत्रः यह लखीमपुर जिले में टीपम पहाड़ियों के उत्तर-पूर्व में स्थित है। यहाँ डिगबोई, वप्पापुंग, पानीटोला तथा हंसापुंग नामक स्थानों से काफी समय से तेल निकाला जा रहा है। सम्पूर्ण क्षेत्र 13 वर्ग किमी. में फैला हुआ है। यहाँ 400 से 2000 मीटर की गहराई पर तेल मिलता है। लगभग 800 कुएँ खोदे गए हैं। इस क्षेत्र का तेल डिगबोई तेल-शोधनशाला में साफ किया जाता है। पहले यह भारत को तीन-चैथाई तेल प्रदान करता था परन्तु अब अन्य क्षेत्रों में तेल का उत्पादन बढ़ जाने से इस क्षेत्र का महत्व बहुत कम हो गया है।
(पप) सुरमा घाटीः सुरमा घाटी से बदरपुर, मसीमपुर तथा पथरिया नामक स्थानों पर तेल प्राप्त किया जाता है। बदरपुर से 16 किमी. पूर्व में मसीमपुर है। पथरिया असम तथा बांग्लादेश की सीमा पर स्थित है। यहाँ बदरपुर में सन् 1917 में तेल के कुओं की खुदाई शुरू हुई थी। तब से अब तक इन कुओं में से तेल निकाला जा रहा है और अब इन कुओं में बहुत कम तेल रह गया है। अब तेल काफी गहराई पर मिलता है और वार्षिक उत्पादन केवल बीस हजार टन है। यहाँ पर कुल 60 कुएँ हैं, जिनमें से अधिकांश में निम्न श्रेणी का तेल मिलता है।
(पपप) नाहरकटिया तेल क्षेत्र: यह स्थान डिगबाई से 32 किमी दक्षिण-पश्चिम में दिहिंग नदी के किनारे पर स्थित है। यहाँ तेल का उत्पादन सन् 1953 में आरम्भ हो तेल प्रायः 4000 से 5000 मीटर की गहराई पर मिलता है। इस क्षेत्र में 60 कुएँ हैं जिनमें से 56 में तेल तथा 4 में गैस मिलती है। इस क्षेत्र का वार्षिक उत्पादन 25 लाख टन तेल तथा 10 लाख घन मीटर प्राकृतिक गैस है। यहाँ का तेल बरौनी तथा नूनमती तेल शोधनशालाओं में साफ करने के लिए भेजा जाता है।
(पअ) हुगलीजन-मोरेन तेल क्षेत्र: यह क्षेत्र नाहरकटिया से 40 किमी. दक्षिण-पश्चिम में स्थित है। यहाँ पर 20 का हैं जिनमें से तेल के साथ-साथ प्राकृतिक गैस भी प्राप्तकी जाती है।
(अ) शिवसागर: इस क्षेत्र में तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ONGC) के प्रयासों से तेल की खोज की गई। यहाँ 366 मीटर की गहराई पर तेल मिलता है। भू-कम्पीय परीक्षणों से पता चला है कि अधिक गहराई पर रुद्रसागर में तेल है। लकवा तथा तिओक में भी तेल मिला है। ऑयल इण्डिया लिमिटेड के अनुसार यहाँ पर 50 करोड़ टन तेल के भण्डार हैं।
उपर्युक्त पाँचों क्षेत्रों में पहले दो पुराने हैं, जबकि शेष तीन नए क्षेत्र हैं।
2. गुजरात के तेल क्षेत्र
गुजरात राज्य में तेल एवं प्राकृतिक गैस आयोग के प्रयासों के फलस्वरूप तेल के क्षेत्रों का पता लगाया गया। इस आयोग द्वारा किए गए सर्वेक्षणों के अनुसार गुजरात के 15 360 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में तेल के भण्डार मिलते हैं। यहाँ तेल की पेटी सूरत से लेकर अमरेली (राजकोट) तक फैली हुई है। कच्छ, वडोदरा. भरूच, सूरत, खेड़ा, मेहसाणा आदि प्रमुख उत्पादक जिले हैं। इन जिलों में नवगाम, कलोल, बलोल, कोसम्बा, सानन्द, सन्थील, कठाना, बावेल, ढोलंका, अहमदाबाद, मेहसाना, शोभासन. कादो, दबका आदि स्थानों पर तेल के कुएँ खोदे गए हैं। गुजरात के मुख्य तेल उत्पादक क्षेत्र निम्नलिखित हैं:
(प) अंकलेश्वर तेल क्षेत्रः यह वडोदरा से 45 किमी. दूर दक्षिण-पश्चिम में नर्मदा नदी पर स्थित है। यहाँ 13 मई 1950 को तेल प्राप्त हुआ था। अब 1000 से 1200 मीटर की गहराई पर तेल मिलता है और वार्षिक उत्पादन लगभग 30 टन है। यहाँ पर तेल के विस्तृत भण्डार मिल हैं जिसके कारण स्वर्गीय पं. जवाहर लाल नेहरू ने इसे वसुधारा (Fountain of Prosperits) का नाम दिया था। इस क्षेत्र के तेल में गैसोलीन व मिट्टी के तेल को मात्रा अधिक होती है।
(पप) खम्भात या लुजेन तेल क्षेत्रः यह खम्भात की खाड़ी के तटवर्ती भाग में विस्तृत है। यहाँ 4 सितम्बर, 1959 को पहली बार तेल प्राप्त किया गया। लुजेन तथा बादसेर (वड़ोदरा) उल्लेखनीय हैं। सन् 1969 तक 62 कुएँ खोदे गए जिनमें से 19 से गैस तथा 3 से तेल प्राप्त किया जा रहा है। यहाँ तेल और गैस का वार्षिक उत्पादन क्रमशः 15 लाख टन तथा 5 लाख घन मीटर है।
(पपप) अहमदाबाद व कलोल क्षेत्र: यह अहमदाबाद तथा उसके पश्चिम में कलोल के आस-पास विस्तृत है। यहाँ अहमदाबाद जिले में वासना, बकरोल व सानन्द तथा मेहसाणाा जिले में कलोल, कीटी व बचराजी प्रमुख उत्पादक हैं। अन्य स्थान नवगाँव, कोसम्बा, कठना, इन्दुरा, सन्थोल व डबका हैं।
(पअ) राजस्थानः राजस्थान के बाड़मेर जिले में केन्द्र इंडिया लि. (Cairns India Ltd.) ने 2009 में तेल का उत्पादन शुरू कर दिया। यहां पर 6.5 अरब बैरल तेल मिलने की सम्भावना है। इस समय यहां से प्रतिदिन 60,000 बैरल तेल प्राप्त किया जाता है। 1985 के बाद यह तेल की सबसे बड़ी खोज है। आशा है कि इससे देश के तेल उत्पादन में 20% की वृद्धि होगी।
3. अरब सागर के अपतटीय तेल क्षेत्र
(off- Shore Oil Field of Arabian Sea)
भारत के तेल उत्पादन क्षेत्र में एक क्रान्तिकारी परिवर्तन तब आया जब सन् 1976 में अरब सागर के अपतटीय तेल क्षेत्रों में तेल का उत्पादन होने लगा। सन् 1980-81 में यहाँ लगभग 50 लाख टन तेल का उत्पादन हुआ, जो बड़ी तेजी से बढ़कर 2005-06 मे 208 लाख टन तक पहुँच गया। इस प्रकार अरब सागर का अपतटीय भाग भारत का सबसे अधिक महत्वपूर्ण तेल उत्पादक बन गया है। अरब सागर के महाद्वीपीय मग्न तट पर तेल के विशाल भण्डार हैं। अतः भविष्य में यहाँ तेल उत्पादन में और अधिक उन्नति होने की सम्भावना है। अरब सागर के अपतटीय भागों में निम्नलिखित तीन प्रमुख तेल क्षेत्र हैंः
(प) मुंबई हाई तेल क्षेत्रः यह महाराष्ट्र के महाद्वीपीय मग्न तट (Continental Shel) पर मुंबई की उत्तर-पश्चिम में 176 किमी. दूर स्थित है। इस तेल क्षेत्र की खोज 1974 में तेल एवं प्राकृतिक गैस आयोग द्वारा की गई थी। मई, 1976 में यहाँ पर तेल का उत्पादन शुरू हो गया था। इस क्षेत्र से सन् 2004-05 में 224.24 लाख टन तेल प्राप्त हुआ। इस समय यह क्षेत्र भारत के कुल तेल उत्पादन का 65 प्रतिशत से अधिक तेल पैदा करता है। यहाँ मायोसीन युग की तेलयुक्त चट्टानें लगभग 2,500 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में 80 मीटर की गहराई पर फैली हुई हैं। यहाँ समुद्र पर तैरते हुए विशाल जलयान की सहायता से तेल की खोज व उसका दोहन किया जाता है। यह एक प्रकार का जल में बना हुआ प्लेटामा है जिसे ‘सागर सम्राट‘ कहते हैं। मुम्बई हाई में के विशाल भण्डार हैं और यहाँ पर तेल के उत्पादन का भविष्य उज्ज्वल है।
(पप) बसीन (Bassein) तेल क्षेत्रः यह बम्बई हाई के दक्षिण में स्थितहै और इसकी खोज अभी हाल ही में हुई है। यह जंजीबार से 48 किमी. की दूरी पर है। यहाँ 1.900 मीटर की गहराई पर तेल के विशाल भण्डार मिल हैं। यहाँ के दो या तीन कुओं का उत्पादन बम्बई हार्ड के 16 कुओं के बराबर होगा। यहाँ पर तेल का उत्पादन शुरू हो गया है और आशा है कि शीघ्र ही यह बम्बई हाई जितना महत्व प्राप्त कर लेगा।
(पपप) अलियाबेट तेल क्षेत्रः यह गुजरात में भावनगर के 45 किमी. पश्चिम में खम्भात की खाड़ी में अलियाबेट द्वीप पर स्थित है। यहाँ पर तेल के विशाल भण्डारों का पता चला है। यह क्षेत्र भारत के तेल की खोज कार्यक्रम में क्रान्ति ला देगा। शीघ्र ही यहाँ पर तेल का उत्पादन शुरू हो जाने की सम्भावना है।
तमिलनाडु: सन् 2004-05 में इस राज्य ने 391 हजार टन तेल का उत्पादन किया। यहाँ पर कावेरी बेसिन में नारीमनाम तथा कोवीलप्पल तेल क्षेत्र हैं, जिनसे प्रतिवर्ष 4 लाख टन तेल प्राप्त होने की सम्भावना है। आंध्र प्रदेश भारत का एक प्रतिशत से कम तेल पैदा करता है। हाल ही में कृष्णा-गोदावरी बेसिन में तेल के भंडारों की खोज की गई है। अरुणाचल प्रदेश भी अल्प मात्रा में तेल पैदा करता है। यहाँ पर मानभूम खारसंग तथा चेराली पर तेल के भंडार मिलते हैं।
सम्भावित क्षेत्र: गंगा के मैदान की अवसादी चट्टानों में तेल के विशाल भण्डार मिलने की सम्भावना है। यद्यपि राजस्थान की अवसादी शैलों में अधिक तेल मिलने की सम्भावना नहीं है तो भी यहाँ पर गैस के बड़े भण्डार मिलने की आशा है। हिमाचल प्रदेश, पंजाब और जम्मू-कश्मीर में लगभग एक लाख वर्ग किमी. क्षेत्र पर तेल प्राप्त होने की आशा है। हिमाचल प्रदेश में ज्वालामुखी क्षेत्र से तेल प्राप्त होने की बड़ी सम्भावनाएँ हैं। यहाँ 800 मीटर की गहराई पर गैस प्राप्त हुई है। इसके अतिरिक्त धर्मशाला तथा बिलासपुर में भी तेल मिलने की सम्भावना है। पंजाब के होशियारपुर, लुधियाना तथा दसूआ क्षेत्रों में तेल उपस्थित है। जम्मू के मुसलगढ़ में भी तेल मिलने की सम्भावना है।
तेल का अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार
स्वतन्त्रता-प्राप्ति के समय हम अपनी तेल को आवश्यकताओं का केवल 5ः ही पैदा करते थे। शेष तेल विदेशो से आपात किया जाता था। इसके पश्चात् तेल के उत्पादन तथा इसको माँग में बड़ी तीव्र गति से वृद्धि हुई। हमारे लिए तेल के उत्पादन में आत्म-निर्भर होना अति आवश्यक है क्योंकि हमारी विदेशी मुद्रा का आधे से भी अधिक भाग तेल के आयात पर खर्च होता है। जहाँ तेल की घरेलू माँग बढ़ने से अधिक आयात आवश्यकता बढ़ती जा रही है वहाँ अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में तेल का मूल्य बड़ी तेजी से बढ़ रहा है। अतः हमें अपनी विदेश मुद्रा का अधिकांश भाग तेल के आयात पर ही खर्च कर पड़ता है। तेल तथा इससे सम्बन्धित वस्तुओं के आयात पर भार ने 1970-71 में 136.6 करोड़ रुपए खर्च किए। सन् 2005-06 में तेल तथा उससे सम्बन्धित वस्तुओं का आयात किया गया जिसका मूल्य 161,050 करोड़ रुपये था। परिवहन, उद्योग तथा चालक शक्ति के क्षेत्रों में उन्नति होने के साथ-साथ हमारे देश में तेल की खपत इसके उत्पादन से अधिक बढ़ रही है।
भारत अपना अधिकांश तेल सऊदी अरब, ईरान, इराक, संयुक्त अरब अमीरात, म्यांमार (पूर्व बर्मा), इण्डोनेशिया तथा वेनेजुएला से आयात करता है।
पाइप लाइनें (Pipe Lines)
खनिज तेल परिष्करणशालाएँ (Oil Refineries)
कुओं से कच्चा तेल (ब्तनकम व्पस) निकालकर उसे साफ करने के लिए तेल परिष्करणशालाओं में भेजा जाता है। वहाँ कच्चे तेल को साफ करके उसमें से मिट्टी का तेल, डीजल, अनेक प्रकार के स्नेहक पदार्थ (Lubricants) व बिटुमिन आदि प्राप्त किए जाते हैं। भारत की सबसे पहली परिष्करणशाला 1901 में असम के डिगबोई में स्थापित की गई थी और आधी शताब्दी से भी अधिक समय तक यह देश की एकमात्र परिष्करणशाला रही। देश की दूसरी परिष्करणशाला 1954 में तारापुर (मुंबई) में स्थापित की गई। इस समय देश में 19 परिष्करणशालाएं कार्य कर रही हैं। इनमें 17 सार्वजनिक क्षेत्र, एक निजी क्षेत्र तथा एक संयुक्त क्षेत्र में है। भारत में तेल परिष्करण की क्षमता 1950-51 में केवल 3 लाख टन थी, जो 1 अप्रैल, 2006 में बढ़कर 1324.68 लाख टन हो गई। सार्वजनिक क्षेत्र की 17 परिष्करणशालाएँ गुवाहाटी, बरौनी, कोयली, हल्दिया, मथुरा, डिगबोई, पानीपत, चेन्नई, नागपट्टपम. बोगाईगाँव. मुंबई (PCL), मुंबई (HPCL), विशाखापट्टनम, कोच्चि, नुमालीगढ़, तातीपाका, बीना नामक स्थानों पर स्थित हैं। इनकी वार्षिक क्षमता 75.95 मिलियन टन है। मंगलौर की परिष्करणशाला संयुक्त क्षेत्र में है। इसकी वार्षिक क्षमता 9.69 मिलियन टन है। निजी क्षेत्र की परिष्करणशाला रिलांयस इंडस्ट्रीज लि. ने जामनगर में 2001 में स्थापित की है। इसकी वार्षिक क्षमता 27 मिलियन टन है और यह देश की सबसे बड़ी परिष्करणशाला है। वर्तमान तथा निर्माणाधीन परिष्करणशालाओं को चित्र 2.8 में दर्शाया गया है।

भारत में पेट्रोलियम का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य कौन सा है?

सही उत्तर गुजरात है। देश में कच्चे तेल के उत्पादन में राजस्थान की हिस्सेदारी लगभग 23.29% है। इसके बाद गुजरात (12.5%) और असम (12.1%) है।

भारत में पेट्रोलियम का पहला उत्पादक राज्य कौन सा है?

Detailed Solution. सही उत्‍तर असम है। असम भारत में पेट्रोलियम का पहला उत्पादक था।

भारत में दूसरा सबसे बड़ा कच्चा तेल उत्पादन का राज्य कौन सा है?

बॉम्बे हाई के बाद भारत का दूसरा सबसे बड़ा कच्चा तेल उत्पादक राज्य राजस्थान है।

भारत का सबसे पहला तेल उत्पादक क्षेत्र कौन सा है?

Solution : असम घाटी, तेल क्षेत्र भारत का सबसे महत्वपूर्ण एवं प्राचीन तेल क्षेत्र है। सर्वप्रथम असम में सन् 1837 में सेना के एक अधिकारी द्वारा तेल की खोज की गयी थी।