इस मंदिर में भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा की मूर्तियां मिट्टी से नहीं बल्कि चन्दन की लकड़ी से बनी हुई हैं। इसके साथ ही हर 12 सालों बाद इन्हें बदल दिया जाता है। समुद्र के किनारे बना यह मंदिर अपने अंदर कई राज समेटे हुए है। लेकिन लोगों का मानना है कि इस मंदिर में आकर विज्ञान के सारे नियम फेल हो जाते हैं। Show
1. शिखर पर लगा झंडा : आमतौर पर मंदिरों के शिखर पर लगा झंडा उसी तरफ उड़ता है जिस दिशा में हवा चलती है। लेकिन जगन्नाथ मंदिर में यह नियम लागू नहीं होता। इस मंदिर के शिखर पर लहराता झंडा हमेशा हवा के विपरीत दिशा में रहता है। और ऐसा क्यों है यह कोई नहीं जान सका। 2. हवा का रुख है उल्टा : समुद्र तट पर दिन में हवा जमीन की तरफ आती है और शाम के समय इसके विपरीत, लेकिन पुरी में हवा दिन में समुद्र की ओर और रात को मंदिर की ओर बहती है। 3. चक्र हमेशा दिखता है सीधा : मंदिर के ऊपर एक सुदर्शन चक्र लगा है। जिसे आप किसी भी दिशा में खड़े होकर देखेंगे वह हमेशा सामने ही नजर आता है। 4. खाना पकाने की प्रक्रिया करती है हैरान : मंदिर में प्रसाद बनाने के लिए सात बर्तन एक दूसरे पर रखा जाते हैं। और प्रसाद लकड़ी जलाकर पकाया जाता है। इस प्रक्रिया में लेकिन सबसे ऊपर के बर्तन का प्रसाद पहले पकता है। 5. मंदिर के ऊपर नहीं उड़ता कोई पक्षी : हमने ज्यादातर मंदिरों के शिखर पर पक्षी बैठे और उड़ते देखे हैं। जगन्नाथ मंदिर की यह बात आपको चौंका देगी कि इसके ऊपर से कोई पक्षी नहीं गुजरता। 6. नहीं सुनाई देती है लहरों की आवाज : सिंहद्वार में प्रवेश करने पर आप सागर की लहरों की आवाज को नहीं सुन सकते। लेकिन कदम भर बाहर आते ही लहरों का संगीत कानों में पड़ने लगता है। 7. कभी कम नहीं पड़ता भोजन : मंदिर में कुछ हजार लोगों से लेकर 20 लाख लोग भोजन करते हैं। फिर भी अन्न की कमी नहीं पड़ती है। हर समय पूरे वर्ष के लिए भंडार भरपूर रहता है। रेलवे अधिकारी ने बताया कि भारत दर्शन ट्रेन 2 अप्रैल को लखनऊ से रवाना होकर 10 अप्रैल को लौटेगी। इस ट्रेन से जाने वाले श्रद्धालुओं को जसडीह में बैजनाथ मंदिर, कोलकाता में गंगासागर, पुरी में जगन्नाथ मंदिर, कोणार्क मंदिर और गया में विष्णुपाद मंदिर के दर्शन कराए जाएंगे।सांकेतिक तस्वीरइंडियन रेलवे केटरिंग ऐंड टूरिज्म कॉरपोरेशन (आईआरसीटीसी) अगले महीने जगन्नाथ पुरी, गंगा सागर और कोर्णाक मंदिर के लिए 3 एसी कोच वाली भारत दर्शन ट्रेन चलाएगा। 10 दिनों और 9 रातों के सफर के लिए 15,750 रुपये खर्च करने पड़ेंगे। इसमें 3 एसी दर्जे की यात्रा के साथ नाश्ते, खाने व होटलों में ठहरने के साथ ही धार्मिक स्थलों के भ्रमण के लिए बसों की सुविधा मिलेगी। आईआरसीटीसी के चीफ रीजनल मैनेजर अनिल गुप्ता ने बताया कि भारत दर्शन ट्रेन दो अप्रैल को लखनऊ से रवाना होकर 10 अप्रैल को लौटेगी। इस ट्रेन से जाने वाले श्रद्धालुओं को जसडीह में बैजनाथ मंदिर, कोलकाता में गंगासागर, पुरी में जगन्नाथ मंदिर, कोणार्क मंदिर और गया में विष्णुपाद मंदिर के दर्शन कराए जाएंगे। ट्रेन में आगरा, इटावा, कानपुर, लखनऊ, सुलतानपुर, जौनपुर और वाराणसी से बैठने की सुविधा मिलेगी। गोमतीनगर स्थित पर्यटन भवन के आईआरसीटीसी कार्यालय या वेबसाइट www.irctctourism.com से ऑनलाइन बुकिंग भी करवाई जा सकती है। अधिक जानकारी के लिए मोबाइल नंबर 8287930908 /09 /10 /11 /12/13/14/15 पर संपर्क किया जा सकता है। लेटेस्ट न्यूज़ से अपडेट रहने के लिए NBT फेसबुकपेज लाइक करें नमस्कार प्रिय पाठकों आज के इस नए लेख में हम हिंदू प्रसिद्ध तीर्थ स्थल चार धामों में से एक जो कि उड़ीसा राज्य के पुरी जिले अंतर्गत जगत के नाथ यानी कि जगन्नाथ पुरी यात्रा के बारे में बात करने जा रहे हैं। आगे इस लेख में आप जानेंगे जगन्नाथ पुरी कैसे जाये, जगन्नाथ पुरी कब जाना चाहिए, पुरी में कहा ठहरे, वहां खाने पीने की क्या व्यवस्था है, जगन्नाथपुरी में घूमने की जगह कौन-कौन सी है और अंत में ये भी बताएँगे स्वामी जगन्नाथ मंदिर के दर्शन में कुल कितना खर्च लग जाएगा , तो दोस्तों बने रहे हमारे इस लेख में जिससे जगन्नाथ स्वामी जी के दर्शन करने में काफी सहूलियत होगी। इस मंदिर में हर वर्ष मानसून के समय लाखों श्रद्धालुओं के द्वारा हर्षोल्लास के साथ रथयात्रा का उत्सव बड़े धूमधाम से मनाया जाता है तथा यह यात्रा संपूर्ण भारत में प्रसिद्ध है
जब रथयात्रा निकाली जाती है तो मंदिर में विराजमान दोनों भगवान और देवी को अलग-अलग सुसज्जित रथ में बैठा कर नगर से रथयात्रा से ब्रामण कराया जाता है । Table of Contents
जगन्नाथ मंदिर का रहस्यस्वामी जगन्नाथ मंदिर अपनी अद्भुत रहस्य हमेशा सुर्खियों में रहता है लेकिन इसके यह सबसे ज्यादा चर्चा का विषय होते हैं आइए जानते हैं-
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जगन्नाथ पुरी कैसे जाये ?जगन्नाथ मंदिर तक पहुंचने के लिए आपके पास दो ऑप्शन है Train से पूरी कैसे पहुंचेट्रेन का सफर करते हुए पूरी पहुंचने वाले यात्रियों के लिए इसका नजदीकी रेलवे स्टेशन पुरी जंक्शन है जिसकी कनेक्टिविटी भारत के सभी राज्यों के बड़े शहरों से काफी अच्छे तरीके से है। लेकिन अगर आपके शहर से डायरेक्ट पुरी के लिए ट्रेन उपलब्ध नहीं है तो भुवनेश्वर आके पुरी के लिए ट्रेन पकड़ सकते है जोकि भुवनेश्वर से पुरी की दूरी मात्र 60 किलोमीटर और पूरी रेलवे स्टेशन से जगन्नाथ मंदिर की दूरी मात्र 2 किलोमीटर है वायु मार्ग के द्वारायदि आपका पुरी तक पहुंचने का माध्यम हवाई जहाज है तो इसका नजदीकी एयरपोर्ट भुवनेश्वर है जो भारत के विभिन्न बड़े शहरों से काफी अच्छी तरह से well connected । और इसके आगे यानी की पुरी तक 60 किलोमीटर का सफर आपको बस , टैक्सी या ट्रेन के द्वारा करनी पड़ेगी।
पुरी में कहा ठहरे ?पूरी पहुंचने के बाद श्रद्धालुओं के मन में एक बड़ा सवाल रहता है कि आखिर पूरी में रुकने की व्यवस्था कहां करें जानकारी के लिए बता दूं पूरी में रुकने के लिए आपके पास 4 विकल्प हैं पहला मंदिर ट्रस्ट की तरफ से बने भक्ति निवास दूसरा धर्मशाला तीसरा प्राइवेट होटल और चौथा पूरी का मरीन ड्राइव लाइन आप अपनी सुविधा और बजट के अनुसार इन चारो में से कहीं भी रुकने की व्यवस्था बना सकता है। 1. भक्ति निवास पुरीजगन्नाथपुरी में रुकने के लिए पहला ऑप्शन है मंदिर ट्रस्ट की तरफ से श्रद्धालुओं को ठहरने के लिए यहां तीन भक्ति निवास बनाए गए हैं जो इस प्रकार है
इनकी बुकिंग आप जगन्नाथ पुरी धाम की ऑफिशियल वेबसाइट www.jagannatha.nic.in के माध्यम से ऑनलाइन बुकिंग करा सकते हैं या फिर वहां पहुंचकर खुद से ऑफलाइन बुकिंग करवा सकते हैं। 2. पुरी धर्मशालायदि आप सस्ता और अच्छा ऑप्शन होना है जगन्नाथ मंदिर परिसर के आसपास कई सारे धर्मशाला में बनी हुई है जिनका प्रतिदिन के हिसाब से ₹200 से ₹500 के बीच में अच्छी सुविधाओं के साथ में मिल जाते हैं। 3. प्राइवेट होटलपूरी में मंदिर के पास बहुत सारे प्राइवेट होटल्स बने हुए हैं और इनके चार्ज भी ज्यादा नहीं होता है लगभग ₹500 से ₹1000 के बीच में कल मिल जाता है जिन्हें आप अपनी सुविधा अनुसार अपनी ठहरने की व्यवस्था बना सकता है। 4.मरीन ड्राइव पुरीअगर आप सच में पुरी की सैर करने की सोच रहे हैं , इसे करीब से देखना चाहते हैं औरथोड़ा पैसा खर्च करना चाहते हैं तो मैं आपको सलाह दूंगा कि समुद्र के किनारे Beach का आनंद उठाने के लिए मरीन ड्राइव लाइन में अपने रुकने की व्यवस्था बनाएं जो की जगन्नाथ मंदिर से 2 किलोमीटर दूरी पर स्थित है । मरीन ड्राइव के पास बाले जो होटल के चार्ज होते हैं ₹1000 से लेकर लगभग ₹6000 तक के आसपास बड़े आसानी से मिल जाता है।
जगन्नाथ पुरी कब जाना चाहिए ?दोस्तों जगन्नाथ पुरी की यात्रा करने का सबसे अच्छा समय सर्दियों का होता है क्योंकि उस समय श्रद्धालुओं की ज्यादा भीड़ भाड़ भी नहीं होती जिससे लगने वाला होटल खर्च ,खाने-पीने और ट्रांसपोर्टिंग का खर्च में काफी ज्यादा बचत होती है । यदि आप मानसून के दौरान यानी कि आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष किस शुरुआत मेंजगन्नाथ पुरी की यात्रा करने जाते हैं तब आपको उस समय रथयात्रा भी देखने के लिए मिल जाएगी। क्योंकि बीचरथयात्रा यहां की निकाली जाती है तब लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं यदि आप रथ यात्रा देखना चाहते हैं मानसून के मौसम में अवश्य जाये । यदि मार्च से जुलाई के बीच यानी कि गर्मियों के मौसम में जाते हैं उस टाइम यहाँ काफी ज्यादा गर्मी पड़ती है जिसकी वजह से यात्रा करने में उतना आनंद नहीं आता जितना कि सर्दियों और मानसून की ऋतु में आता है। जगन्नाथ पूरी रथ यात्रा कब निकाली जाती हैदोस्तों पूरी स्थित जगन्नाथ मंदिर से भगवान श्री कृष्ण की रथयात्रा हर वर्ष आषाढ़ माह के शुल्क पक्ष के द्वितीय के दिन निकाली जाती है जो अगले 10 दिनों तक गुंडिचा मंदिर में विश्राम कराने के बाद वापस जगन्नाथ मंदिर के लिए निकलते हैं जो कि एकादशी के दिन प्रस्थान करते हैं । जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा 2022 में कब हैभगवान श्री कृष्ण के रथ यात्रा इस वर्ष यानी कि 2022 में आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष के द्वितीय का दिन जो की 1 जुलाई को पड़ रहा है जो कि इसी दिन से रथयात्रा प्रारंभ की जाएगी और अगले 10 दिन तक निरंतर चल चलेगी और आने वाली 11 जुलाई को रथ यात्रा संपन्न होगी। पुरी घूमने का खर्च कितना लगता है ?दोस्तों यदि आप स्वामी जगन्नाथ मंदिर के दर्शन के बाद और भी यहां की प्रसिद्ध टूरिस्ट प्लेस को घूमने जाते हैं तो आपको वहां लगभग 3 दिन का समय लग जाएगा और यदि आप इन सभी स्थानों को घूमते हैं तब प्रति व्यक्ति लगभग ₹3500 क्या पर्सनल खर्च हो जाता है। इस खर्च में सिर्फ तीन दिन का रहने ,खाने पीने दर्शन में लगने वाली पूजा सामग्री साथ ही साथ पुरी के आसपास में घूमने की सभी जगहों के ट्रांसपोर्टिंग में होने वाले खर्च को जोड़ा गया है।
इसे पढ़े :- बद्रीनाथ यात्रा की संपूर्ण जानकारी जगन्नाथ पुरी में घूमने की जगहचलिए दोस्तों अब आगे जानते हैं स्वामी जगन्नाथ जी के दर्शन करने के बाद आपको जगन्नाथपुरी में और कहां-कहां घूमने जाना है इसके बारे में बात करते हैं- 1. कोणार्क मंदिर (सूर्य मंदिर)इस प्राचीन मंदिर का निर्माण 13वीं शताब्दी कराया गया था उस समय पत्थरो से बनाई गई यहां की कलात्मक नक्काशी जो की गई है वो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध है। आप यहां जरूर जाइएगा क्योंकि आपको यहां पर ऐसी ऐसी चीजें देखने को मिलेगा कि शायद ही आपने कभी जीवन में नहीं देखा होगा खासकर कोणार्क मंदिर का चक्र भी संपूर्ण जगत में प्रसिद्ध है। 2. लिंगराज मंदिरफ्रेंड्स यह उड़ीसा राज्य का सबसे बड़ा शिव मंदिर है जिसे लिंगराज के नाम से जाना जाता है यहाँ भी जाइए और भोलेनाथ के दर्शन करिए उसके बाद बढिये अपने अगले सफर के लिए। 3. चंद्रभागा बीच Sea Beachदोस्तों यह एक समुद्री बीच है पर यहां कई सारी वॉटर एडवेंचर एक्टिविटी होती हैं यदि आप वॉटर स्पोर्ट्स की एडवेंचर एक्टिविटी में रुचि रखते हैं तो यहाँ समुद्री लहरों का खूब सारा एंजॉय कर सकते है खासकर फोटोग्राफी के लिए तो बहुत ही शानदार प्लेस है एक बार यहां जरूर जाइएगा। 4. नंदनकानन चिड़ियाघरउड़ीसा के पुरी जिले में स्थित भारत का दूसरा सबसे बड़ा चिड़ियाघर जो सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है आज तौर पर सफेद शेरों के लिए जहां आपको वाइट टाइगर देखने के लिए मिलेंगे और एक नहीं दो नहीं सैकड़ों प्रकार के जंगली जानवरों का यहां बसेरा है। इसके अलावा और भी कई जीव जंतु और पक्षियों के विभिन्न प्रकार के समूह को सैर करते हुए देखा जा सकता है। 5. चिल्का झीलपुरी में घूमने लायक जगह में सबसे बेस्ट जगहों में से एक चिल्का लेक जहां आपको समुद्र में चिल्का लेक को मिलते हुए देखेंगे जहां नाव की सवारी करके उस संगम तक पहुंचेंगे और आपको जो वहां प्राकृतिक दृश्य दिखाई देगा काफी ज्यादा मनमोहक होता है ।
निष्कर्ष आशा करता हूं आपको जगन्नाथ पुरी यात्रा का वर्णन जिसमें हमने आपको बताया जगन्नाथ पुरी कैसे जाये , जगन्नाथ पुरी कब जाना चाहिए ,और वहां कितने दिन की ट्रिप प्लान बनाना चाहिए तथा आसपास घूमने की जगह कौन-कौन सी हैं और इन सभी जगहों को घूमने के लिए आपको खर्च कितना लग जाएगा यह सब मैंने अपने खुद के एक्सपीरियंस पर बताया है। आशा करता हु आपको ये आर्टिकल अच्छा लगा होगा इसी तरह की हैरत की बिभिन्न यात्राओं को जानने के लिए हमरे इंस्टाग्राम को फॉलो करे । और पढ़ें:-
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पूरी में कौन सा सागर है?पुरी (Puri) भारत के ओड़िशा राज्य के पुरी ज़िले में बंगाल की खाड़ी से तटस्थ एक नगर है।
जगन्नाथ पुरी मंदिर से समुद्र की दूरी कितनी है?जगन्नाथ पुरी से लगभग 35 किलोमीटर दूर उत्तर-पूर्व दिशा में समुद्र तट पर स्थित कोणार्क सूर्य मंदिर अपनी वास्तुकला और नक्काशी के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है। इसे 13वीं शताब्दी में राजा नरसिंह देव ने बनवाया था।
जगन्नाथ मंदिर की परछाई क्यों नहीं बनती?इस मंदिर से जुड़ा एक रहस्य यह भी है कि कितनी भी धूप में इस मंदिर की परछाई कभी नहीं बनती. इस मंदिर के ऊपर एक झंडा लगा हुआ है जिसे रोज शाम को बदलाना जरूरी होता है. इसके पीछे यह मान्यता है कि अगर इस झंडे को नहीं बदला गया तो यह मंदिर आने वाले 18 सालों में बंद हो जाएगा.
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