जल चढ़ाते समय कौन सा मंत्र? - jal chadhaate samay kaun sa mantr?

Surya Arghya हिन्दू धर्म में सुबह सूर्य को जल चढ़ाने की परंपरा युगों से चली आ रही है। सूर्य को जल अर्पित करने के कई नियम हैं जिनका पालन करके आप जीवन में लाभ हासिल कर सकते हैं। आइए जानते हैं इसके नियम मंत्र आदि के बारे में।

Surya Arghya: हिन्दू धर्म में सुबह सूर्य को जल चढ़ाने की परंपरा युगों से चली आ रही है। शास्त्रों में उल्लेख है कि भगवान श्री राम हर दिन सूर्य कि पूजा करते थे। हर दिन सूर्य को जल देने के महत्व के बारे में बताया गया है क्योंकि सूर्य को प्रत्यक्ष तौर पर देवता माना जाता है। सूर्य को जल अर्पित करने के कई नियम हैं, जिनका पालन करके आप जीवन में लाभ हासिल कर सकते हैं। आइए जानते हैं इसके नियम, मंत्र आदि के बारे में।

सूर्य को कैसे दें अर्घ्य

1. सूर्य को अर्घ्य देने के नियमों में सबसे पहले बताया जाता है कि सूर्य देव को को तांबे के बर्तन से ही जल अर्पित करें।

2. शास्त्रों में बताया गया है कि सूर्य को जल अर्पित करने का भी एक समय होता है। सूर्य उदय होने के एक घंटे के अंदर अर्घ्य देना चाहिए, लेकिन सुविधा अनुसार आप सुबह तक सूर्य को जल चढ़ा सकते हैं।

3. सूर्य को अर्घ्य देने से पहले जल में रोली या फिर लाल चंदन मिलाएं, साथ ही लाल फूल के साथ अर्घ्य दें।

4. सूर्य पूर्व दिशा में उदय होता है। यदि किसी दिन सूर्य नजर ना आएं, तो पूर्व दिशा की ओर मुख करके अर्घ्य दे दें।

6. अर्घ्य देते वक्त आपके दोनों हाथ सिर से ऊपर होने चाहिए। ऐसा करने से सूर्य की सभी किरणें शरीर पर पड़ती हैं। सूर्य देव को जल चढ़ाने से नवग्रह की कृपा भी प्राप्त होती है।

सूर्य मंत्र

सूर्य को जल चढ़ाने के साथ रोज इन मंत्रों का भी जाप करें। इससे बल, बुद्धि, विद्या और दिव्यता प्राप्त होगी।

1. ऊँ नमो भगवते श्री सूर्याय क्षी तेजसे नम:। ऊँ खेचराय नम:।

2. ऊँ महासेनाय नम:। ऊँ तमसे नम:।

3. ऊँ रजसे नम:। ऊँ सत्वाय नम:।

4. ऊँ असतो मा सद्गमय।

5. तमसो मा ज्योतिर्गमय। मृत्योर्मामृतं गमय।

6. हंसो भगवाञ्छुचिरूप: अप्रतिरूप:।

7. विश्वरूपं घृणिनं जातवेदसं हिरण्मयं ज्योतीरूपं तपन्तम्।

8. सहस्त्ररश्मि: शतधा वर्तमान: पुर: प्रजानामुदत्येष सूर्य:।

9. ऊँ नमो भगवते श्रीसूर्यायादित्याक्षितेजसे हो वाहिनि वाहिनि स्वाहेति।

सूर्य को अर्घ्य देने के फायदे

1. ज्योतिष में सूर्य को आत्मा का कारक माना गया है। हर दिन सूर्य को जल देने से आत्म शुद्धि और बल की प्राप्ति होती है। सूर्य को जल देने से आरोग्य का लाभ मिलता है।

2. सूर्य को नियमित तौर से जल देने पर उनका प्रभाव शरीर में भी बढ़ता है और ये आपको ऊर्जावान भी बनाता है। आपको इसका लाभ कार्यक्षेत्र में मिलता है।

3. जिस किसी व्यक्ति के नौकरी में दिक्कत चल रही हो, वह नियमित तौर से सूर्य को जल देना शुरु करे, तो उच्चाधिकारी से सहयोग मिलेगा। साथ ही मुश्किलें भी दूर होंगी।

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'

Edited By: Kartikey Tiwari

शिव की फूल, बेलपत्र, और जल से पूजा करने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है. मन में जो भी मनोकामना होती है सब पूर्ण होती है. अगर कोई व्यक्ति सकाम भाव से, बिना किसी इक्षा के शिव की पूजा करे तो वह व्यक्ति शिव का ही एक रूप हो जाता है.

शिव को जल की धारा अत्यंत प्रिय है. लोगों का यह सवाल आता है कि हमें भगवान को जल चढ़ाते समय कौन सा मंत्र जाप करना चाहिए. और मंत्र जाप करके जल चढ़ाने से क्या लाभ होते  हैं. आज मैं इन सभी सवालों के उत्तर इस आर्टिकल (Article) में दूंगा. इसलिए इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें.

  • शिवलिंग पर जल चढ़ाने का मंत्र
  • शिवलिंग पर जल अर्पण करते समय ध्यान रखने योग्य बातें
  • शिवलिंग पर जल चढ़ाने के फायदे

शिवलिंग पर जल चढ़ाने का मंत्र

मन्दाकिन्यास्तु यद्वारि सर्वपापहरं शुभम् ।
तदिदं कल्पितं देव स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम् ॥
श्रीभगवते साम्बशिवाय नमः । स्नानीयं जलं समर्पयामि।

इस मंत्र की मदद से आप भगवान शिव को जल अर्पण कर सकते हैं. इस मंत्र का इस्तेमाल हर दिन किया जा सकता है.

मैं आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि शिव को जल अर्पण करने की अनेक विधियां बताई गई हैं. प्रत्येक कार्य के लिए प्रत्येक विधि से शिवजी को जल अर्पण करना चाहिए. हर कार्य के लिए अलग मंत्र भी होता है.

जल चढ़ाते समय कौन सा मंत्र? - jal chadhaate samay kaun sa mantr?
शिवलिंग पर जल चढ़ाने का मंत्र

अगर आपके घर में कोई भी व्यक्ति ज्वर – बुखार से पीड़ित है और आप इस बुखार से छुटकारा पाना चाहते हैं. तो आपको सच्चे मन से भगवान शिव को जल धारा प्रदान करनी चाहिए.

जलधारा प्रदान करते समय शत रुद्री मंत्र, एकादश रुद्र मंत्र, रुद्र जाप, रुद्र सूक्त, महामृत्युंजय या गायत्री मंत्र के अंत में नमः लगाकर जल की धारा करनी चाहिए.

यदि आपके घर में नित्य कलह होता हो तो शिवजी पर जल की धारा करने से सब दुख कष्ट दूर हो जाते हैं. शास्त्रों की ऐसी भी मान्यताएं हैं कि यदि शत्रु को तपाना हो तो शिवजी पर तेल की धारा चढ़ाएं.

हमारे शास्त्रों में भगवान शिव को गंगा जी के जल से जल धारा देने का भी महत्व बताया गया है. यदि कोई व्यक्ति शिव जी को गंगा जी के जल से धारा प्रदान करता है तो उसे मुक्ति प्राप्त होती है.

  ये भी पढ़े : शिवलिंग पर दूध चढ़ाने का मंत्र (पूरी जानकारी)

शिवलिंग पर जल अर्पण करते समय ध्यान रखने योग्य बातें

1. शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय कभी भी पूर्व दिशा की ओर खड़े होकर भगवान को जल अर्पण नहीं करना चाहिए. शास्त्रों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि भगवान की शिवलिंग का मुख पूर्व दिशा की ओर ही होता है.

2. पश्चिम दिशा की ओर खड़े होकर भी भगवान को जल अर्पण ना करें. क्योंकि पश्चिम दिशा की ओर भगवान की पीठ होती है और पीठ की ओर से खड़े होकर जल अर्पण करने से श्रेष्ठ फल प्राप्त नहीं होते.

शास्त्रों में पीठ की तरफ बैठकर के पूजा करने से बुरे परिणाम बताए गए हैं. ऐसा कहा जाता है कि भगवान की पीठ की ओर बैठ कर पूजा करने से पाप की उत्पत्ति होती है.

3. शिवलिंग पे जल चढ़ाते समय हमें दक्षिण दिशा की ओर खड़े होकर जल अर्पित करना चाहिए. ऐसा करने से हमारा मुख उत्तर दिशा की ओर हो जाएगा. और हम उत्तर दिशा से प्रवेश कर रहे देवी देवताओं का सच्चे मन से स्वागत कर पाएंगे.

4. शिवलिंग पर  जल चढ़ाने के लिए हमें चांदी का बर्तन या फिर तांबे का बर्तन इस्तेमाल करना चाहिए. इन बर्तनों से भगवान को जल अर्पण करने से अनेक प्रकार के शुभ फल बताए गए हैं.

शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय हमें कभी भी स्टील के बर्तनों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. शास्त्रों के अनुसार ऐसा करने से हमें पूजा के संपूर्ण फल प्राप्त नहीं हो पाते.

5. भगवान शंकर को जल की धारा बहुत पसंद है इसलिए शिव जी को धारा से ही जल अर्पण करना चाहिए. शिवलिंग पर कभी भी जल को तेजी से ना चढ़ाएं.

शिवलिंग पर हमें बहुत ही मध्यम रफ्तार से जल अर्पण करना चाहिए. शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय कभी भी जल्दबाजी नहीं दिखानी चाहिए.

ये भी पढ़े : शिवलिंग पर चढ़ा प्रसाद खाना चाहिए या नहीं

शिवलिंग पर जल चढ़ाने के फायदे

अलग अलग शिवलिंग पर जल चढ़ाने से अलग अलग प्रकार के फायदे होते हैं. आइए उन फायदों को जानते हैं.

1. कई लोग पार्थिव पूजन करते हैं. पार्थिव पूजन में भगवान शंकर की मिट्टी की शिवलिंग बनाते हैं. मिट्टी से बने शिवलिंग पर जल अर्पण करने से समस्त कार्यों की सिद्धि होती है.

2. पारद का शिवलिंग बनवा कर पूजा करने और जल अर्पण करने से धन और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है.

3. जो कोई भी व्यक्ति सोने के बने शिवलिंग पर जल अर्पण करता है उसके सभी पाप नष्ट होते हैं. उन्हें सभी बंधनों से मुक्ति मिलती है.

आपको हमारे द्वारा दी गई जानकारी कैसी लगी हमें कमेंट करके जरूर बताएं.

भगवान को जल देते समय क्या बोलना चाहिए?

सूर्य को जल देने के बाद ऊं आदित्य नम: मंत्र या ऊं घृणि सूर्याय नमः मंत्र का जाप करने से विशेष लाभ होता है.

सूर्य भगवान को जल चढ़ाते समय कौन सा मंत्र बोलना चाहिए?

तेजो राशे! जगत्पते! अनुकम्प्यं मां भक्त्या गृहाणार्घ्य दिवाकर! इस मंत्र का जाप सूर्य भगवान को अर्घ्य देते समय करना चाहिए.

सूर्य को जल देने वाले लोटे में क्या डालें?

भविष्य पुराण के अनुसार रोज सुबह स्नान के बाद भगवान सूर्य को जल अर्पित करना चाहिए। इसके लिए तांबे के लोटे में जल भरें, इसमें चावल, फूल डालकर सूर्य को अर्घ्य अर्पित करना चाहिए।

भगवान को जल कैसे दे?

सूर्य देव को जल चढ़ाने के लिए ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें. ... .
संभव हो तो उगते हुए सूर्य को ही जल चढ़ाएं. ... .
सूर्य देव को जल का अर्घ्य अर्पित करने के बाद तीन बार परिक्रमा अवश्य लगाएं और इसके बाद धरती के पैर छू कर ओम सूर्याय नम: मंत्र का जाप करें..