व्यञ्जन (en:consonant) वर्ण का प्रयोग वैसी ध्वनियों के लिए किया जाता है जिनके उच्चारण के लिये किसी स्वर की ज़रुरत होती है। ऐसी ध्वनियों का उच्चारण करते समय हमारे मुख के भीतर किसी न किसी अङ्ग विशेष द्वारा वायु का अवरोध होता है। जब हम व्यञ्जन बोलते हैं, हमारी जीभ मुह के ऊपर के हिस्से से रगड़कर उष्ण हवा बाहर आती है। Show
इस तालिका में सभी भाषाओं के व्यञ्जन गिये गये हैं, उनके IPA वर्णाक्षरों के साथ।
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ध्यान दें कि महाप्राण ध्वनियों, जैसे ख, घ, फ, ध, आदि के लिए उसके अल्पप्राण चिन्ह के बाद superscript में h का निशान लगाया जाता है, जैसे :
इन्हें भी देखें[संपादित करें]
जिन व्यंजनों का उच्चारण स्वर एवं व्यंजनों के मध्य का होता है उन्हें क्या कहते हैं?उच्चारण के समय जो व्यंजन मुँह के भीतर ही रहे उन्हें अन्तःस्थ व्यंजन कहते है। सरल शब्दों में- जिन वर्गो का उच्चारण वर्णमाला के बीच अर्थात (स्वरों और व्यंजनों) के बीच होता हो, वे अंतस्थ: व्यंजन कहलाते है। अन्तः = मध्य/बीच, स्थ = स्थित। इन व्यंजनों का उच्चारण स्वर तथा व्यंजन के मध्य का-सा होता है।
जिन व्यंजनों के उच्चारण के दौरान स्वरतंत्रियों में कंपन होता है उन्हें क्या कहते है?जिन व्यंजनों के उच्चारण में स्वरतंत्रियों में कंपन होता है, उन्हें घोष या सघोष कहा जाता हैं। दूसरे प्रकार की ध्वनियां अघोष कहलाती हैं। स्वरतंत्रियों की अघोष स्थिति से अर्थात जिनके उच्चारण में कंपन नहीं होता उन्हें अघोष व्यंजन कहा जाता है।
जिन व्यंजनों के उच्चारण में मुख से निकलने वाली वायु कम मात्रा में हो उन्हें क्या कहते है?अन्तस्थ व्यंजन कहते हैं। निम्नलिखित चार वर्ण अन्तस्थ हैं। वायु मुख में कम रुकती है। अतः इन्हें अर्ध स्वर या अर्ध व्यंजन कहा जाता है।
जिन स्वरों का उच्चारण मुँह के साथ साथ नाक से भी होता है उन्हें क्या कहते है?अनुनासिक स्वर
जिन स्वरों के उच्चारण में मुख के साथ-साथ नासिका (नाक) की भी सहायता लेनी पड़ती है,अर्थात् जिन स्वरों का उच्चारण मुख और नासिका दोनों से किया जाता है वे अनुनासिक कहलाते हैं।
व्यंजनों के उच्चारण में किसकी सहायता ली जाती है?व्यञ्जन (en:consonant) वर्ण का प्रयोग वैसी ध्वनियों के लिए किया जाता है जिनके उच्चारण के लिये किसी स्वर की ज़रुरत होती है। ऐसी ध्वनियों का उच्चारण करते समय हमारे मुख के भीतर किसी न किसी अङ्ग विशेष द्वारा वायु का अवरोध होता है। जब हम व्यञ्जन बोलते हैं, हमारी जीभ मुह के ऊपर के हिस्से से रगड़कर उष्ण हवा बाहर आती है।
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